Thursday, November 28, 2013

मेरी भाभी मेरी गर्ल फ्रेंड

यह बात तब की है जब मैं केवल 19 साल का था और मेरे ताऊजी के बड़े लड़के की शादी हुई थी और मैं 12 में पढ़ता था, हमारा संयुक्त परिवार था तो सब एक साथ ही रहते थे तब। मेरी एक आदत थी जो कि हर उस उम्र के लोंडे की होती है, उस समय मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, मैं उससे रोज़ रात में फ़ोन-सेक्स करता और अपने कमरे में ढीला होकर वैसे ही चड्डी में सो जाता।
जब से भाभी आई थी, तबसे हम लोग काफी घुलमिल गए थे और मेरा सुबह का नाश्ता हो या खाना वो कमरे में ही आने लगा।
एक सुबह मैं सोया हुआ था और बाहर की एक आवाज़ से मेरी नींद खुल गई और रात में की मस्ती के कारण मेरा लंड सुबह पूरे जोश में था और मैं उसे सहला रहा था। अचानक भाभी नाश्ता लेकर कमरे में आई और मेरा लंड खड़ा था।
मैंने सोने का नाटक किया पर लंड तो मस्ती में था। लेकिन मेरी फ्रेंची चड्डी के कारण लंड दब गया था पर भाभी को देखकर समझ आ गया था कि मेरा पप्पू जाग गया है, उन्होंने देखा कि मैं सो रहा हूँ तो वो मेरे लंड को निहारती रही और हँस कर निकल गई।
मैं यह सब देख कर अन्दर ही खुश हो गया कि चलो उनको गुस्सा वुस्सा नहीं आया और फिर मेरा दिमाग दिन भर उसी पल के बारे में सोचते हुआ परेशान करता रहा, मैंने सोचा कि चलो भाभी से चांस लिया जाए।
छुट्टियों में मेरे घर में से मम्मी और त़ाई ज्यादातर मामा के घर पर ही रहती थी और दोनों बड़े मेरे भाई और ताऊजी के लड़के भी ऑफिस चले जाते थे, घर में सिर्फ वो और में रह जाते थे।
सो एक दिन मैंने भाभी-चोदन मिशन को अंजाम देने की तैयारी की, सुबह मैंने देर तक सोने का बहाना किया और जब तक सब लोग चले नहीं गये, मैं उठा नहीं तो भाभी मुझे उठाने के लिए कमरे में आई। मैंने चादर के अन्दर अपना लंड चड्डी के इलास्टिक में खड़ा करके फंसा दिया और ऊपर से चादर डाल ली। अब तम्बू खड़ा था और यह देखते ही भाभी की शर्मीली हंसी निकल गई।
तो उन्होंने धीरे से मेरे ऊपर से चादर हटाई कि मैं उठ न जाऊँ, और चादर का भार हटते ही लंड को चड्डी नहीं संभाल पाई और मेरा उस समय 6" का पप्पू बाहर निकल आया।
यह देखकर भाभी की आँखें और मुँह खुले रह गये, फिर उन्होंने संभाल कर मेरी चड्डी चढ़ानी चाही, तभी मैं उठा और उनको हैरानी भरी नजरों से देखने का नाटक करने लगा। वो एकदम हटी नहीं पर मैंने कहा- यह आप क्या रही हो?
तो वो हाथ हटा कर बोली- यह तो मुझे पूछना चाहिये कि रोज़ रात में ऐसा क्या करते हो देवर जी, जो रोज़ सुबह आपका यह हथौड़ा खड़ा हो जाता है, और आज तो हद ही कर दी ,चड्डी के बाहर निकल कर खड़ा था।
तो मैंने उनसे हाथ-पाँव जोड़े और कहा- यह बात किसी को न बतायें और अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बताया।
फिर मुझे एक शॉकिंग बात पता चली कि जितना मैं उनको चोदना चाह रहा था, उससे ज्यादा वो मेरे को चोदना चाह रही थी रोज़ रोज़ मेरा लंड देखने के बाद।
उनके डी-कप बूब्स, उठे हुए चूतड़ और रसीले लबों को देखकर मैं पागल तो पहले ही था तो हम लोगों ने उस समय एक दूसरे के मन में जो भी था सब उगल दिया और वो अपने सामान की तारीफ सुन कर खूब मस्त हो रही थी, मैंने लोहा गर्म देख कर हथौड़ा मारा और उनका हाथ अपने लंड पर रखकर यह दिखाने की कोशिश की कि आज उनकी इच्छा पूरी कर देता हूँ।
फिर मैने अपनी बनियान-चड्डी उतारी और उनको अपना लंड सैंप दिया, वो उसे हाथ से सहलाती रही।
लेकिन मुझे चुसवाना था तो मैंने कहा- भाभी, आओ आज वो करें जो तुमने नहीं किया होगा अब तक !
फिर उनको नंगी किया और उनको नंगी देखकर मेरे लंड में अलग सी ताकत आ गई।मैंने उनको चूमन चाटना शुरु किया और कुछ्देर बाद चूत के पास चेहरा लाकर बोला- भाभी, आपने कभी ओरल किया है?
तो उन्होंने कहा- नहीं !
फिर मैंने 69 पोज़ीशन में लंड उनके सामने कर दिया तो वो हिचकिचाने लगी पर मैंने चूत को चाटना शुरू कर दिया। यह देखकर उन्होंने भी अपने देवार का लण्ड मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।69 करने के बाद मैंने उनके बूब्स को खूब मसला और चूसा, चाटा।
अब बारी थी चूत में डालने की, तो उन्होंने कहा- आराम से, इतना बड़ा पहले कभी नहीं लिया है।
यह सुनकर मेरी छाती चौड़ी हो गई और फिर मैंने उनको चोदना चालू रखा, कई आसन बदले और फिर जब छूटने को था उनको पूछा- भाभी जी, कहाँ निकालूँ?
तो उन्होंने कहा- अन्दर नहीं !
तो मैंने अपना माल उनके वक्ष पर निकाला और उनसे पोर्न मूवीज के तरह लंड को चाट कर साफ़ करने के लिए चूसने को कहा पर उन्होंने नहीं किया।
फिर तब से भाभी नo.1 के साथ मेरे सेक्स एडवेंचर्स शुरु हो गये, हम कभी पोर्न मूवीज देखते, एक दूसरे को शेव करते और मौका मिलने पर नहाने का लुत्फ़ उठाते थे।
तब तक मेरे दूसरे भाई की शादी नहीं हुई थी, उसकी शादी बाद सब कुछ बदलने वाला था जो हमने कभी नहीं सोचा था।

Sunday, November 17, 2013

सौरभ भैया से अपनी चूत फड़वा ली

यह कहानी उस समय की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा देने के बाद इंजीनियरिंग के टैस्ट देने के लिए इलाहबाद अपनी मौसी के घर गई थी। वैसे मेरी मौसी के घर सिर्फ दो लोग रहते हैं, मेरी मौसी और उनका लड़का सौरभ... मेरे मौसा की मौत दो साल पहले कैंसर की वजह से हो गई थी इसलिए मेरी मौसी को जॉब करनी पड़ती है... वो बैंक में कैशियर हैं, उनका पूरा दिन बैंक के काम में बीत जाता है... और सौरभ जो मुझसे एक साल छोटा है वो अभी गयारहवीं पास करके बारहवीं में आया है।

मेरी मौसी का घर बहुत छोटा है, दो कमरे, एक रसोई और कमरे से ही जुड़ा बाथरूम है।

मैं पिछले साल वहाँ आई आई टी की परीक्षा देने गई थी मैं तीन दिन पहले ही वहाँ पहुँच गई थी।

तब मौसी ऑफिस के काम से आउट ऑफ़ स्टेशन थी और अगले दिन रात तक आने वाली थी। घर में सिर्फ सौरभ था। मैं सुबह सुबह वह पहुँच गई थी।

मौसी के कमरे में ही मैंने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी... दोपहर में खाना खाने के बाद मैं और सौरभ थोड़ा घूमने चले गई और फिर रात का खाना बाहर ही खाकर आए। हमें वापस आने में रात के दस बज गए थे। मैं मौसी के कमरे में पढ़ाई करने चली गई और पढ़ाई करते करते सुबह के चार बज गए...

मुझे जोरों की प्यास लगी थी, मैं पानी पीने के लिए रसोई में गई, वापस आते समय देखा कि सौरभ के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाजा भी थोड़ा खुला था। मैं दरवाजे की तरफ बढ़ी और मैंने अंदर की तरफ देखा तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था जो मैंने देखा। मानो कि आसमान नीचे और ज़मीन ऊपर चली गई हो !

मैंने देखा कि सौरभ अंदर बैठ कर ब्लू फिल्म देख रहा था.. इतना छोटा लड़का और ऐसी हरकतें.. और मैं भी बाहर से खड़े होकर उसकी हरकतें देखने लगी।लगभग आधा घंटा ब्लू फिल्म देखने के बाद वो उठकर बाथरूम में चला गया और उसने बाथरूम का दरवाज़ा नहीं बंद किया था, शायद वो ब्लू फिल्म देखने के बाद जोश में आ गया था और अपने अंदर की वासना को शांत करने गया था...

मैंने बाथरूम के अंदर देखना चाहा पर मैं अचानक दरवाजे पर बहक सी गई... और दरवाज़ा पूरा खुल गया, मैं वहाँ से जोर से भागी पर दरवाज़ा खुलने के शोर से सौरभ बाहर आ गया और शायद उसने मुझे वहाँ से जाते हुए देख लिया...

मैं अपने कमरे में चली गई और वहाँ से देख रही थी। सौरभ परेशान दिख रहा था, शायद उसे डर था कि मैंने जो देखा है वो मैं किसी को बता न दूँ। वह बेचारा डर के मारे एकदम पसीने-पसीने हुआ जा रहा था, मानो कि उसने शर्ट पानी में भिगो कर पहनी हो... उसकी इस हालत को देख कर मेरे भी अंदर आग लग रही थी और उसके ऊपर दया आ रही थी...

मैंने सौरभ को बुलाया, वह मेरे कमरे में आया, मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- कुछ नहीं...

"तो फिर इतने परेशान क्यों हो? क्या बात है?"

उसने फिर बोला- कुछ नहीं दीदी...

मैंने कहा- शर्माओ मत, बोलो...

उसने सर झुकाते हुए कहा- सॉरी दीदी..

"पर किस लिए?"

"प्लीज, जो भी आपने देखा, किसी को मत बताइएगा..."

"अरे पगले, यह भी कोई कहने की बात है क्या?"

उसने मुस्कुराते हुए कहा- मैं डर गया था...

मैंने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा- अब ठीक है न?

उसकी मुस्कराहट और बढ़ गई !

"कब से कर रहे हो ये सब?"

"दीदी आप भी ना !"

"अरे तू इतना शर्माता क्यों है? बता ना !"

"अरे छोड़िए इस बात को !

"ठीक है, पर ज्यादा मत कर ये सब ! तेरी सेहत पर असर पड़ेगा..."

वो मुस्कुराते हुए वहाँ से उठ कर नहाने चला गया।

मैंने पीछे से आवाज़ लगाई- अपना अधूरा काम पूरा कर लेना...

सब सोच सोच कर मेरे तन बदन में आग लग रही थी।

मैं उठी और उसके कमरे से उसकी वो पसीने से भीगी शर्ट ले आई जिसकी महक मेरी कामुकता को बढ़ाए जा रही थी... मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसकी शर्ट पहन ली।

उस भीगी शर्ट में मैं बहुत सेक्सी दिख रही थी, मेरी पूरे तन बदन में आग लग चुकी थी, मैंने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा ही करते करते मैं बिस्तर में ही झड़ गई... और न जाने कब वहीं सो गई। जब आँख खुली तो सुबह के दस बज चुके थे।

मैं उठी और बाथरूम में नहाने चली गई। जब नहा कर निकली और अपने कपड़े निकालने के लिए बैग खोला तो देखा कि मैं जल्दी जल्दी में अपनी ब्रा लाना भूल गई थी...

मैंने बिना ब्रा और पैंटी के बिना कपड़े पहन लिए। मैं सौरभ के पास गई और उसे बताया कि मैं अपनी ब्रा लाना भूल गई हूँ।

तो उसने कहा- चलो खरीद लाते हैं।

और हम दोनों उसकी बाइक पर बैठ कर बाज़ार चले गए। मैं पीछे बैठ कर अपनी छाती का दबाव उसकी पीठ पर दे रही थी जिसकी वजह से वो जोश में आ रहा था और वैसा ही मैं चाहती थी...

और ऐसा ही करते करते हमने ब्रा खरीद ली, मैंने घर आ कर ब्रा पहनी तो वो कुछ तंग थी पर एकदम फिट थी वो काले रंग की ब्रा !

मैंने ब्लू जीन्स के ऊपर एक चिकन का सफ़ेद टॉप पहन लिया जिसका गला बहुत गहरा था और वह चिकन का था जिसकी वजह से मेरे अंदर के पूरे सामान के दर्शन हो जाते थे।

टॉप पहनना सिर्फ एक दिखावा था, उसके पहनने और न पहनने से कुछ फर्क नहीं था...

मुझे सौरभ ने देखा तो वह मुह खोल कर देखता ही रह गया।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- आप बहुत अच्छी लग रही हैं...

मैंने उसके खड़े लंड को देखते हुए कहा- अच्छी लग रही हूँ या फिर सेक्सी...?

उसने कहा- सेक्सी भी छोटा पड़ रहा है...

मैं हंस पड़ी...

हम फिर खाना खाने बैठे...

उसने पूछा- दीदी, आपका कोई बॉयफ़्रेन्ड नहीं है?

मैंने कहा- नहीं...

"क्यों?"

मैंने कहा- लड़के पागल होते हैं, उनको समझ नहीं आता कि एक लड़की क्या चाहती है..!

"मतलब..?"

"मतलब कोई अच्छा मिला नहीं अभी तक...! सौरभ, मैंने कुछ पूछा था कल, तुमने बताया नहीं?"

"क्या?"

"यही कि कब से कर रहे हो?"

"यही कुछ एक साल से..."

"कभी असली में किया है... मतलब किसी लड़की के साथ?"

"नहीं दीदी ! और आपने?"

"मैंने भी कभी नहीं किया..."

तभी दरवाजे की घण्टी बजी, शायद मौसी आ गई थी। सौरभ दरवाज़ा खोलने के लिए उठा। मैंने कहा- एक मिनट रुको !

मैंने फट से अपना पारदर्शी टॉप उतार कर सुशील लडकियों वाला एक कपड़ा पहन लिया।

सौरभ ने कहा- यह क्या?

मैंने अपनी चूचियों को हाथ में लेते हुए कहा- ये मेरे मम्मे हैं, सबको नहीं दिखाती ! सिर्फ कुछ ख़ास लोग को दिखाती हूँ जैसे तुम...

वह मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोलने चला गया।
मौसी आ गई थी, मुझे लगा कि मेरा काम अधूरा ही रह गया। वैसे तो मेरा और मौसी का रिश्ता दो सहेलियों की तरह है लेकिन है तो वो मेरी मौसी...

मौसी ने मुझे प्यार से गले लगाते हुए कहा- कैसी हो पूजा बेटी !

फिर मौसी ने भी खाना खा लिया और मुझसे इधर उधर की बात करने लगी।

बात करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई। वहाँ उन्होंने मेरा सारा सामान देखा, उन्होंने मुझे बुलाया और बोली- यह कमरा बहुत छोटा है, तू सौरभ के रूम में शिफ्ट हो जा..

मैंने इस बात पर फट से हामी भर दी आखिर हामी भरती भी क्यों न, आखिर मेरी मन मांगी मुराद मुझे बिना मेहनत के जो मिल गई थी..

मैंने अपना सारा सामान लेकर सौरभ के कमरे में रख दिया, यह देख सौरभ के मन में भी लड्डू फूटने लगे...

उस रात जो हुआ मैंने कभी अपने जीवन में नहीं सोचा था कि मैं सौरभ के साथ यह सब करुँगी...

मैं अपनी चिकन वाली पारदर्शी टॉप पहन कर तैयार हो गई थी वो भी बिना ब्रा के जिसकी वजह से मैं नंगी के समान ही थी। रात के लगभग 12 बज रहे थे, मैं बिस्तर पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी, मेरे बगल मैं सौरभ बैठ कर लैपटॉप में मूवी देख रहा था और तिरछी निगाहों से मेरी चूचियों को निहार रहा था।

मैंने उसे कहा- क्या हुआ? आज कैसे दूसरी मूवी देख रहे हो? उस दिन वाली मूवी नहीं है क्या जो रात में अकेले देख रहे थे...?

उसने बोला- वो अकेले देखने वाली है ना, इसलिए अभी नहीं देख रहा...

मैंने कहा- कभी मुझे भी दिखाना ब्लू फिल्म ! मैं भी देखूँ, ऐसा क्या होता है उसमें...

मेरा निशाना तो सौरभ था, यह सब कुछ तो मैं उस तक पहुँचने के लिए कह रही थी।

सौरभ बोला- कभी क्या, अभी देख लो !

और उसने एक ब्लू फिल्म चला दी... मैं अपनी ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़के के साथ बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही थी... पहले एक लड़की और एक लड़का आए उन्होंने एक दूसरे को खूब चूमा, फिर एक एक कर के सारे कपड़े उतार दिए, फिर लड़का लड़की की चूत चाटने लगा, फिर लड़की ने भी लड़का का हथियार मुँह में लिया और मजे लेकर चूसने लगी.. फिर लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत पर टिकाया और धक्के देने लगा, लड़की भी उसका खूब सहयोग कर रही थी...

सौरभ का लण्ड खड़ा हो चुका था, उसने लैपटॉप अपनी जाँघ पर रखा था, मैंने लैपटॉप सही करने के बहाने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया.. पैंट के तनाव से उसके लण्ड का कड़ापन साफ़ दिख रहा था। मैंने धीरे धीरे उसकी जांघ सहलाना शुरू किया।

कुछ देर तक सहलाने के बाद जब उसकी तरफ से कोई रेस्पोंस नहीं मिला तो मैंने सहलाना बंद कर दिया।

तभी उसनी कहा- प्लीज़ दीदी, रुकिए मत !

और मुझे चूमने लगा...

हम दोनों एक दूसरे को भूखे शेर की तरह चूमने लगे, उस समय हम दोनों के बदन एक दूसरे से ऐसे जुड़े थे कि बीच में से हवा भी नहीं गुजर सकती थी।

फिर सौरभ ने मुझे गर्दन के नीचे चूमना शुरू किया, कुछ ही देर मैं उसने मेरा टॉप उतारा और मेरी चूचियों को दबाने लगा और उन्हें पीने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने मेरा लोअर उतारा और फिर पैंटी ! अब मैं सौरभ के सामने नंगी लेटी हुई थी... और वह मेरे ऊपर लेट कर मेरे सारे बदन को चूमे जा रहा था...

मेरे बदन को चूमते चूमते उसका मुँह मेरी बुर पर चला गया और फिर उसने मेरी बुर चूमना-चूसना शुरू कर दिया। मेरे पूरे शरीर में मानो एक तरंग सी दौड़ गई हो, आखिर हो भी क्यूँ न ! आज ज़िन्दगी में पहली बार एक मर्द मिला था...

हम दोनों की सांसें तेज़ हो चुकी थी, मैंने कहा- सौरभ, अब मुझसे और नहीं रुका जा रहा...

उसने इतना ही सुनते फ़ौरन अपनी पैंट उतार दी और उसका खड़ा लण्ड मेरे सामने था, एक 6" का मोटा तगड़ा लण्ड !

उसका लण्ड देख कर मेरे दिल में एक प्यास सी जाग गई... मैंने अपने आप अपनी दोनों टाँगें फैला दी।

सौरभ मेरे ऊपर आया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने लगा। चूत काफी संकरी थी और लण्ड काफी मोटा ! जा नहीं पाया।

उसने दूसरा प्रयास किया लेकिन फिर लण्ड चटक गया... और मैं थोड़ी हंस सी पड़ी !

सौरभ मेरा मुँह देखने लगा और उठ कर तेल की शीशी ले आया.. उसने थोड़ा तेल मेरी चूत पर डाला और अपनी उंगली से उसे भीतर तक अच्छे से लगाने लगा। उसकी उंगली अंदर जाते ही मुझे मानो जन्नत सी मिल गई हो, मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर उसने थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगाया उसका लण्ड एकदम चमकने लगा और भी अच्छा दिखने लगा...

फिर से उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का लगाया और उसका आधा लण्ड मेरी चूत में था। मेरी सांसें मानो अटक सी गई, पैर अकड़ने लगे और आँखों से आँसू छलक आए।

उसने पहले झटके के तुरंत बाद दूसरा झटका लगाया और मेरी चूत में से खून की धार फूट गई और दर्द से मैं कराह उठी...

और सौरभ धक्के पे धक्का लगाता गया, मुझे चक्कर सा आने लगा, मेरी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया और मैं बेहोश होने लगी। मेरी हालत देख सौरभ रुक गया, उसने अपना लण्ड बाहर निकाला जो मेरी चूत के खून से सन कर एकदम लाल हो गया था। उसने मुझे पानी दिया, मैंने पानी पिया तो थोड़ा होश आया।

मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो लड़खड़ा गई। सौरभ मुझे बाथरूम तक ले गया, मैंने अपनी खून से सनी योनि पर पानी डाला और साफ़ किया। बहुत दर्द हो रहा था, चिरमिराहट सी लग रही थी अभी तक !

फिर मैं नहाई और कपड़े पहन कर वापस आ गई। सौरभ वैसे ही नंगा बैठा हुआ था, उसने मुझसे पूछा- दीदी, आप ठीक तो हैं?

मैंने हंसते हुए कहा- हाँ यार... पर अभी और नहीं करेंगे ! दुख रही है !

और फ़िर सौरभ भी नहा लिया। उसके बाद हम दोनों सोने चले गए।

दूसरे दिन सुबह जब मेरी आँख खुली तो दस बज रहे थे, मौसी ऑफिस जा चुकी थी, तभी सौरभ चाय लेकर कमरे में आया और मुझे चाय दी... उसने कहा- दीदी, मैं तो कल डर ही गया था कि आप को क्या हो गया...

मैंने कहा- तुम्हें थोड़ा आराम से करना चाहिए था, तो ऐसा नहीं होता.. हम लोगों को सेक्स प्यार से मजे लेकर करना चाहिए, कोई मशीनी काम की तरह नहीं करना चाहिए कि लण्ड चूत में घुसा और एकदम हच-हचा-हच ! बेचारी लड़की तो मर ही जाएगी...

सौरभ एकदम चुप हो गया।

मैंने कहा- क्या हुआ? आज नहीं करोगे क्या...?

उसने कहा- क्यों नहीं !

और वो मेरे ऊपर चढ़ आया, थोड़ी चूमाचाटी की और दोनों नंगे हो गए ! उसने इस बार अपना लण्ड धीरे से अन्दर घुसाया और झटका मारा, मैं चीख पड़ी।

सौरभ रुक गया, फिर उसने धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया। मुझे दर्द हो रहा था पर कुछ ही देर में मेरा सारा दर्द मजे में बदल गया, मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी और मैं भी अपने चूतड़ और कमर उछाल उछाल कर उसका साथ देने लगी और कुछ ही देर में मैं झड़ गई और उसके तुरंत बाद सौरभ भी झड़ गया, उसने अपना सारा वीर्य मेरे पेट पर गिरा दिया और फिर मेरे ऊपर लेट गया।

और इसी तरह हम रोज नियम से अपना चुदाई खेल खलते रहे...

एक दिन रात में सेक्स करते समय सौरभ ने मुझसे गांड मरवाने के लिए कहा लेकिन मैंने पहले से सोच रखा था कि गाण्ड नहीं मरवाऊँगी, चाहे जो हो जाए क्योंकि मैंने सुना था कि गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है।

हमने कई तरह से सेक्स किया, हम लोग रोज नेट पे सेक्स करने के नए नए पोज़ देखते और उन्हें करते, कभी टांग उठा के, कभी लेट के तो कभी खड़े होकर, कभी कंडोम लगा के, तो कभी तेल लगा कर, तो कभी विगोरा खाकर लेकिन मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई और कुछ दिन के बाद मुझे घर वापस आना का हुआ तो उस दिन सौरभ ने मुझे छः बार चोदा और इतने दिन से सेक्स करते करते मुझे एक सम्पूर्ण औरत होना का अहसास होने लगा, मेरा शरीर काफी उभर आया था, जो नई ब्रा खरीदी थी, वो छोटी पड़ने लगी थी।

कूल्हे भी पीछे को उभर आए थे और बुर का तो भोंसड़ा बन गया था... मैं एक औरत बन कर अपनी बड़ी चूचियाँ, फटी चूत और एक अनोखा एहसास लिए घर को वापस चली आई...06-13-2016 (11).jpg

छोटे भाई की पहली मस्ती

मेरा नाम पिंकी है मेरा छोटा भाई मुकेश बारहवीं में पढ़ता है। वह गोरा चिट्टा और क़रीब मेरे ही बराबर लंबा भी है और वह मुझे दीदी कहता है। मैं इस समय 20 की हूँ और वह 18 का। मुझे मुकेश के गुलाबी होंठ बहुत प्यारे लगते हैं, दिल करता है कि बस चबा लूँ। पापा मिस्त्री है और माँ प्राइवेट जॉब में हैं। माँ कई बार जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती रहती हैं उन दिनों मैं घर में बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे।

एक बार माँ तीन दिनों के लिए बाहर गई थी। रात को हमने डिनर के बाद कुछ देर टीवी देखा फिर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले गये।

क़रीब एक घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गई। बोतल देखी तो ख़ाली थी, मैं उठकर रसोई में पानी पीने गई तो लौटते समय देखा कि मुकेश के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था। मुझे लगा कि शायद वह लाइट ऑफ करना भूल गया है, मैं ही बंद कर देती हूँ। मैं चुपके से उसके कमरे में गई लेकिन अंदर का नज़ारा देखकर मैं हैरान हो गई।

मुकेश एक हाथ में कोई किताब पकड़कर पढ़ रहा था और दूसरे हाथ से अपने तने हुए लंड को पकड़कर मुट्ठ मार रहा था। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला लड़का ऐसा भी कर सकता है। मैं दूर चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया, उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाज़े पर मुझे खड़ा पाकर चौंक गया।

वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया। फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिए के नीचे छुपा दी। मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूँ। मेरे दिल में यह ख़्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शरमायगा और बात करने से भी कतराएगा। घर में इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता।

मुझे अपने दिन याद आए, मैं और मेरा एक कज़न इसी उमर के थे जबसे हमने मज़ा लेना शुरू किया था, तो इसमें कौन सी बड़ी बात हुई अगर यह मुट्ठ मार रहा था।

मैं उसके पास गई और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गई वह चुपचाप रहा।

मैंने उसके कंधों को दबाते हुए कहा- अरे यार, अगर यही करना था, तो कम से कम दरवाज़ा बंद कर लिया होता।

वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किए रहा।

मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली- अभी से यह मज़ा लेना शुरू कर दिया? कोई बात नहीं, मैं जाती हूँ, तू अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन ज़रा यह किताब तो दिखा।

मैंने तकिए के नीचे से किताब निकाल ली। वह हिंदी में लिखी मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़न भी बहुत सी किताबें इसी लेखक की लाता था और हम दोनों ही मज़े लेने के लिए साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय खानियों के डायलोग बोलकर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।

जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तो वह पहली बार बोला- दीदी, सारा मज़ा तो आपने ख़राब कर दिया, अब क्या मज़ा करूँगा।

"अरे, अगर तूने दरवाज़ा बंद किया होता तो मैं आती ही नहीं !"

"अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती !"

अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़न क़रीब 6 महीने से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। मुकेश मेरा छोटा भाई था और बहुत ही सेक्सी लगता था इसलिए मैंने सोचा कि अगर घर मैं ही मज़ा मिल जाए तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत। फिर मुकेश का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार लेती इसलिए मैंने कहा- चल अगर मैंने तेरा मज़ा ख़राब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ।

मैं पलंग पर बैठ गई और उसे चित्त लिटाया और उसके मुरझाए लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लंड को पकड़ लिया था।

अब मेरे भाई को यक़ीन हो चुका था कि मैं उसका राज़ नहीं खोलूँगी इसलिए उसने अपनी टांगें खोल दी ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लंड को बहुत हिलाया, सहलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ।

वह बड़ी मायूसी के साथ बोला- देखा दीदी, अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।

"अरे क्या बात करते हो ! अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है, मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूँगी।" ऐसा कह मैं भी उसकी बगल में ही लेट गई, मैं उसका लंड सहलाने लगी और उसे किताब पढ़ने को कहा।

"दीदी मुझे शर्म आती है !"

"साले अपना लंड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आई?" मैंने ताना मारते हुए कहा- ला, मैं पढ़ती हूँ।

और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली। मैंने एक कहानी निकाली जिसमें भाई बहन के डायलोग थे और उससे कहा- मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला।

मैंने पहले पढ़ा- अरे राजा, मेरी चूचियों का रस तो बहुत पी लिया, अब अपना बनाना शेक भी तो मुझे चखा !

"अभी लो रानी, पर मैं डरता हूँ इसलिए कि मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी चूत में कैसे जाएगा।"

और इतना पढ़ कर हम दोनों ही मुस्करा दिए क्योंकि यहाँ हालत बिल्कुल उल्टे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लंड छोटा था। वह शरमा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ाई के बाद ही उसके लंड में जान भर गई और वह तन कर क़रीब 6 इंच का लंबा और 1.5 का मोटा हो गया।

मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा- अब इस किताब की कोई ज़रूरत नहीं। देख, अब तेरा खड़ा हो गया है, तू बस दिल में सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मुट्ठ मार देती हूँ।

मैं अब उसके लंड की मुट्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था, बीच बीच में सिसकारियाँ भी भरता था। एकाएक उसने अपने चूतड़ उठाकर लंड ऊपर की ओर ठेला और बोला- बस दीदी !

और उसके लंड ने गाढ़ा पानी फैंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा। मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पर लगाती और उसी तरह सहलती रही और कहा- क्यों भाई, मज़ा आया?

"सच दीदी, बहुत मज़ा आया !"

"अच्छा यह बता कि ख़्यालों में किसकी ले रहा था?"

"दीदी शर्म आती है, बाद मैं बताऊँगा !" इतना कह उसने तकिए में मुँह छुपा लिया।

"अच्छा चल अब सो जा, नींद अच्छी आएगी। और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बंद कर लिया करना !"

"अब क्या करना दरवाज़ा बंद करके दीदी, तुमने तो सब देख ही लिया है !"

"चल शैतान कहीं का !" मैंने उसके गाल पर हल्की सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा। मैं और क़िस करना चाहती थी पर आगे के लिए छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गई।

अपनी शलवार कमीज़ उतार कर नाईटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी कच्छी बुरी तरह भीगी हुई है मुकेश के लंड का पानी निकालते निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। अपना हाथ कच्छी में डालकर अपनी चूत सहलाने लगी तो स्पर्श पाकर मेरी चूत फिर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया। चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उंगली के।

मैं बेड़ पर लेट गई, मुकेश के लंड के साथ खेलने से मैं बहुत उत्तेजित थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी बीच वाली उंगली जड़ तक चूत में डाल दी, तकिए को सीने से कसकर भींचा और जांघों के बीच दूसरा तकिया दबा आँखें बंद की और मुकेश के लंड को याद करके उंगली अंदर-बाहर करने लगी। इतनी मस्ती छा गई थी कि क्या बताऊँ, मन कर रहा था कि अभी जाकर मुकेश का लंड अपनी चूत में डलवा लूँ।

उंगली से चूत की प्यास और बढ़ गई इसलिए उंगली निकाल तकिए को चूत के ऊपर दबा औंधे मुँह लेटकर धक्के लगाने लगी। बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गई।

भैया भाभी के साथ मस्ती


मेरे पापा के एक दोस्त हैं अनिल अग्रवाल ! पापा और अनिल अंकल एक ही कम्पनी में काम करते हैं, दोनों की काफी अच्छी दोस्ती है।

अनिल अंकल हमारे घर अक्सर आते रहते हैं।

एक दिन अनिल अंकल का पापा के पास फोन आया, कहा- यार मुझे और मेरी पत्नी को रिश्तेदारी में एक शादी में जाना है और मेरा बेटा भी काम के सिलसिले में बाहर गया है। हम शादी में जायेंगे तो पलक बहू घर में अकेली हो जाएगी, शादी में जाना भी जरूरी है और मेरी पोती बहुत छोटी है, तो हम पलक को अकेला नहीं छोड़ सकते। क्या तुम रोमा को कुछ दिन के लिए मेरी बहू के साथ हमारे घर में रहने के लिए भेज सकते हो?

तो पापा ने कहा- मैं रोमा से पूछ कर बताता हूँ।

फिर पापा ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- ठीक है, मैं चली जाऊँगी।

पापा ने अंकल को कह दिया- ठीक है, वो पलक के साथ रह लेगी !

तो अंकल ने कहा- हमें कल शाम में जाना है, मैं कल सुबह रोमा को लेने आ जाऊँगा।

उनका घर हमारे घर से काफी दूर है, मैंने अपनी तैयारी की जाने की और अगले दिन सुबह अंकल मुझे लेने के लिए आ गये। मैं तैयार हो रही थी, मम्मी ने उन्हें जलपान कराया फिर उन्होंने कहा- हम दोनों में तो एक हफ्ते के लिए जा रहे हैं पर मेरा बेटा तीन-चार दिन में घर वापस आ जायेगा तो वो रोमा को वापस छोड़ देगा तब तक रोमा पलक और उसकी बेटी के साथ रह लेगी।

पापा ने कहा- ठीक है यार, जब तक तुम दोनों नहीं आ जाते, रोमा वहाँ रह सकती है।

और फिर अंकल मुझे लेकर अपने घर आ गए।

उनके घर जाकर मैं उनकी बहू से मिली, वैसे तो मैं उनसे पहले भी मिल चुकी थी जब वो हमारे घर आई थी पर हमारी ज्यादा बात नहीं हो पाई थी।

फिर शाम को पाँच बजे अंकल और आँटी की ट्रेन थी तो वो चले गये, मैं उनके घर में थोड़ी चुप-चुप सी थी तो पलक भाभी ने मुझसे कहा- रोमा, तुम इतनी चुप क्यों हो? क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है?

मैंने कहा- नहीं नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है !

तो भाभी कहने लगी- रोमा, तुम इसे अपना ही घर समझो, किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कहना ! तुम मुझे अपनी सखी-सहेली ही समझो।

भाभी की बेटी अभी नौ महीने की है, मैं उसके साथ खेलने लगी।

भाभी ने रात का खाना बनाया, हमने खाना खाया, फिर मैंने भाभी से कहा- मैं कहाँ पर सोऊँगी भाभी?

तो भाभी ने कहा- रोमा, तुम मेरे साथ मेरे ही कमरे में सो जाओ, तुम्हारे भईया तो है नहीं, तुम मेरे साथ सोओगी तो अच्छा रहेगा।

रात में भाभी और मैं कुछ बातें करने लगे। उनकी बेटी रोने लगी तो भाभी ने अपना ब्लाउज ऊपर करके एक उरोज को बाहर निकाल कर गुलाबी निप्पल को बेबी के मुँह में देकर उसे दूध पिलाने लगी।

मैं यह देख कर वहाँ से उठ कर जाने लगी तो भाभी ने कहा- कहाँ जा रही हो रोमा ! बैठी रहो ! इसमें क्या शरमाना !

मैं वहीं बैठी रही।

भाभी के स्तन काफी बड़े थे जो मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे। मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आपकी अरेंज मैरिज थी या लव मैरिज?

तो भाभी मुस्कुराने लगी कहा- अरेंज कम लव मैरिज थी।

फिर मैंने पूछा- भाभी, आप और भईया कहाँ मिले थे?

तो भाभी कहने लगी- हम कॉलेज में मिले थे !

काफी देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे, बात करते करते रात का एक बज गया था, मैंने भाभी से पूछा- भईया ने आपको प्रपोज कैसे किया था?

तो भाभी कहने लगी- रात बहुत हो गई है रोमा, हमें सोना चाहिए, अब कल बात करेंगे।

फिर सुबह जब मेरी नींद खुली तो भाभी बिस्तर पर नहीं थी। मैं उठ कर बाथरूम की तरफ गई पर बाथरूम अन्दर से बन्द था। भाभी को पता चल गया था कि मैं उठ गई हूँ तो उन्होंने अन्दर से ही कहा- रोमा, मैं अभी 5 मिनट में निकलती हूँ !

मैंने कहा- ठीक है।

फिर भाभी बाथरूम से निकली तो वो सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी और वो ब्रा-पेंटी सफ़ेद रंग की पारदर्शी थी। भाभी तौलिये से अपने बालों को पौंछ रही थी।

मैं उन्हें देखती ही रही, उनके बड़े बड़े उरोज ब्रा में से छलक-झलक रहे थे और उनकी योनिस्थल पर हल्के हल्के बाल थे, जो मुझे उस पारदर्शी ब्रा पेंटी से दिखाई दे रहे थे। मैं उन्हें एकटक देखे जा रही थी।

फिर भाभी ने अलमारी से अपने कपड़े निकाले और उन्हें पहनते हुए भाभी ने मुझे कहा- जाओ रोमा, तुम भी जाकर नहा लो।

मैं अपने बैग से कपड़े निकलने लगी पर बैग में ब्रा और पेंटी दिखी नहीं तो मैं बैग में ही ढूंढने लगी।

तो भाभी ने मुझे देख कर पूछा- क्या ढूँढ रही हो रोमा?

तो मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी !

तो उन्होंने कहा- क्या हुआ, बताओ? तुम कुछ परेशान सी लग रही हो?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी, लगता है मैं अपनी ब्रा-पेंटी घर ही भूल आई हूँ, वो बैग में नहीं है !

तो भाभी ने कहा- इसमें परेशान होने की क्या बात है, मेरे पास बहुत सारी हैं तुम वो ले लो !

तो मैंने कहा- भाभी, आपकी ब्रा-पेंटी मुझे कहाँ फिट आयेंगी, आप का साइज़ और मेरा साइज़ अलग अलग है।

तो भाभी ने कहा- मेरे पास तुम्हारे साइज़ की ब्रा-पेंटी भी हैं। जब मेरी नई नई शादी हुई थी तो मेरा साइज़ भी तुम्हारे साइज़ जितना ही था, तुम्हारे भईया जब भी बाहर जाते हैं, मेरे लिए ब्रा पेंटी लेकर ही आते हैं। रुको, मैं तुम्हें वो लाकर देती हूँ !

तब भाभी ने अलमारी खोली और उसमें से मुझे अपनी 4-5 ब्रा-पेंटी निकाल कर दी और कहा- ये लो रोमा, ये तुम रख लो ! अब

ये मेरे साइज़ की नहीं है, ये तुम्हारे काम आयेंगी।

मैं नहाने चली गई। जब मैं नहा कर बाहर आई तो भाभी कमरे में ही थी।

भाभी ने मुझे कहा- रोमा, दिखाओ तो तुम्हें ब्रा पेंटी ठीक आई या नहीं?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी, ठीक साइज़ की हैं।

तो उन्होंने कहा- दिखाओ तो ! मुझ से क्या शरमा रही हो?

और उन्होंने मेरा तौलिया हटा दिया, फिर कहा- हाँ ठीक हैं ये !

और कहा- रोमा, मुझसे तुम शर्माया मत करो, मुझे अपनी दोस्त ही समझो !

तो मैंने कहा- ठीक है भाभी !

और वो कमरे से चली गई, मैंने अपने कपड़े पहने, फिर हमने नाश्ता किया।

मैंने फिर भाभी से पूछा- बताओ नाअ भाभी, आप लोग कैसे मिले थे?

तो भाभी ने कहा- मैंने बताया तो था कि हम कॉलेज में मिले थे और तुम्हारे भईया ने मुझे वहाँ प्रपोज किया, मुझे भी वो पसंद आये तो मैंने भी हाँ कर दी थी। फिर हम ऐसे ही मिलते रहे थे और पढ़ाई पूरी करने के बाद हमारी शादी हो गई।

और कहने लगी- शादी से पहले हमने लाइफ को खूब एन्जोय किया !

तो मैंने कहा- वो कैसे भाभी?

तो उन्होंने कहा- हम शादी से पहले खूब घूमते थे और मस्ती किया करते थे।

मैंने कहा- क्या क्या मस्ती करते थे आप?

तो उन्होंने कहा- हमने शादी के पहले भी बहुत चुदाई की है !

फिर भाभी ने मुझ से कहा- रोमा, तुमने कभी चुदाई की है?

तो मैंने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराने लगी।

फिर भाभी ने कहा- बताओ रोमा? की है तुमने कभी चुदाई?

"की है !" मैंने भाभी से कहा- हाँ मैंने की है भाभी ! आप किसी को बताना मत !

उन्होंने ने कहा- ठीक है !

फिर भाभी ने कहा- कैसा लगा था तुम्हें?

तो मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा था !

फिर भाभी ने कहा- चलो, मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ !

हम कमरे में गए तो भाभी ने एक बैग निकाला, उसे खोला तो उसमें ढेर सारी सीडी थी !

मैंने पूछा- ये किसकी सीडी हैं?

तो भाभी ने कहा- चुदाई की सीडी हैं, तुम्हारे भईया की हैं हम कभी कभी साथ बैठ कर देखते हैं। और फिर जैसे जैसे उस सीडी में चुदाई होती है तुम्हारे भईया भी मुझे वैसे वैसे ही चोदते हैं। बहुत मजा आता है।

भाभी ने एक सीडी लेपटोप में लगा दी, भाभी और मैं उस सीडी में चल रही चुदाई को देखने लगे। चुदाई को देख कर मेरा मन भी चुदने का करने लगा और भाभी भी गर्म हो गई थी तो उन्होंने अपनी साड़ी उठाई और पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी, मैं उन्हें देख रही थी फिंगरिंग करते हुए !

फिर भाभी ने कहा- रोमा, क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा चुदने का?

मैंने कहा- भाभी कर तो रहा है !

तो उन्होंने मुझे कहा- तुम भी फिंगरिंग कर लो, तुम्हें अच्छा लगेगा !

और उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया। मैं भी गर्म थी तो मैंने भी अपनी सलवार उतार दी।

फिर भाभी ने कहा- अब तुम भी करो रोमा !

तो मैं भी करने लगी।

भाभी ने कहा- रोमा, मैं तुम्हारी कुछ मदद करूँ क्या?

और फिर उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और मेरी चूत में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था कुछ ही देर बाद मैं झड़ गई।

फिर भाभी कहने लगी- रोमा, तुम्हारे भईया का लंड बहुत बड़ा और मोटा है, मुझे उससे चुदने में बहुत मजा आता है। वो 8-10 दिन से बाहर हैं तो मैं चुदाई की प्यासी हो गई हूँ, अब तो ऐसे लग रहा है कि वो जल्दी से आ जायें और मुझे चोदें ! और वो भी मुझे चोदने के लिए उतने ही बेताब होंगे जितना कि मैं उनसे चुदने के लिए बेताब हूँ ! देखना आते ही सबसे पहले वो मेरी चुदाई करेंगे !भाभी कहने लगी- रोमा, तुम्हारे भईया का लंड बहुत बड़ा और मोटा है, मुझे उससे चुदने में बहुत मजा आता है। वो 8-10 दिन से बाहर हैं तो मैं चुदाई की प्यासी हो गई हूँ, अब तो ऐसे लग रहा है कि वो जल्दी से आ जायें और मुझे चोदें ! और वो भी मुझे चोदने के लिए उतने ही बेताब होंगे जितना कि मैं उनसे चुदने के लिए बेताब हूँ ! देखना आते ही सबसे पहले वो मेरी चुदाई करेंगे !

अगली सुबह भईया का फ़ोन आया कि वो आज रात में घर आ रहे हैं तो भाभी की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था।

फिर मैंने भैया के उस बैग से एक दूसरी सीडी निकाली और उसे लेपटोप पर लगा कर देखने लगी और अपनी चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगी।

भाभी ने कहा- रोमा, अब तुम्हें फिंगरिंग की नहीं किसी लंड की जरूरत है।

मैंने कहा- भाभी, अब वो मुझे कहाँ मिलेगा, इसलिए मैं ये कर रही हूँ।

तो भाभी ने कहा- रोमा, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूँ।

मैंने पूचा- वो कैसे भाभी?

तो उन्होंने कहा- मैं तुम्हें अपने पति से चुदवा सकती हूँ !

मैंने चौंकते हुए कहा- यह क्या बोल रही हो भाभी आप? मैं ऐसा नहीं कर सकती ! वो आप के पति हैं, मैं उन्हें भइया बोलती हूँ।

तो भाभी ने कहा- तो क्या हुआ रोमा? मैं तुमको उनसे चुदने की परमिशन दे रही हूँ और वैसे भी काफी दिनों से वो बोल रहे थे कि उन्हें किसी और चूत का स्वाद चखना है। तो तुम ही उनको अपनी चूत का स्वाद चखा दो !

मैंने कुछ भी नहीं कहा, मैं चुप ही रही तो फिर भाभी ने कहा- अच्छा तुम आज रात हमारी चुदाई देख लो, फिर अच्छा लगे तो तुम भी अपनी चुदाई करवा लेना।

और कहने लगी- रोमा, जब तुम उनका लंड एक बार देख लोगी तो तुम खुद को रोक नहीं आओगी और उनसे चुदाई करवा ही लोगी।

फिर भाभी औरमैं रात के खाने की तैयारी करने लगे। रात के 8 बज चुके था पर भईया अभी तक नहीं आये थे तो भाभी ने उन्हें फोन लगाया और पूछा कि वो कहाँ पर हैं, घर कब तक पहुँचेंगे।

तो उन्होंने कहा- 10 बज जायेंगे घर आते तक !

फिर मैंने कहा- चलो भाभी, हम खाना खा लेते हैं।

भाभी ने कहा- ठीक है !

और हम खाना खाने बैठ गए। खाना खाकर कमरे में जा कर हम दोनों टी वी देखने लगे। थोड़ी देर बाद दरवाजे की घंटी तो भाभी झट से उठी और दरवाजा खोलने गई। मैं भी उठ कर कमरे से बाहर आई तो मैंने देखा, भाभी ने जैसे ही दरवाजा खोला, भैया उन पर टूट पड़े, उन्होंने भाभी को अपने गले से लगा लिया और उन्हें चूमने लगे। कभी वो भाभी के गाल और गर्दन को चूमते तो कभी उनके होठों को !

भाभी भैया को कहने लगी- रुक जाओ, इतनी जल्दी क्या है, मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ !

तो भईया ने कहा- नहीं, मुझसे नहीं रुका जायेगा !

फिर भईया ने अचानक मेरी तरफ देखा कि मैं उन्हें देख रही हूँ तो वो भाभी से अलग हो गए। वो अन्दर आये और अपना

सामान रख कर मुझे कहा- अरे रोमा, तुम अभी तक सोई नहीं !

तो भाभी ने झट से कहा- नहीं, वो मेरे साथ आप के आने का इन्तजार कर रही थी।

फिर भाभी ने भैया को कहा- जाओ, आप जाकर फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगाती हूँ !

मैं भी कमरे में आकार टीवी देखने लगी तब भईया भी उसी कमरे में आए और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चले गए।

तभी भईया ने आवाज लगाई- अरे, जरा मेरा तौलिया तो देना !

तब भाभी आई और मुझे कहा- रोमा, जरा उन्हें तौलिया दे देना, मेरे हाथ गन्दे हैं।

मैं तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ गई और दरवाजा खटखटाया तो भईया ने कहा- दरवाजा खुला है !

तो मैंने दरवाजे को थोड़ा से खोला और कहा- यह आपका तौलिया !

तो भईया ने हाथ बड़ा कर तौलिया लिया और मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर खींचने लगे।

मैंने कहा- भईया, यह आपका तौलिया !

तो उन्होंने मेरा हाथ छोड़ दिया और दरवाजा बंद कर लिया। यह बात मैंने भाभी को आकर बताई तो भाभी हँसी और कहने लगी- रोमा, शायद उन्होंने समझा होगा कि मैं हूँ इसलिए उन्होंने तुम्हारा हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा होगा। वो अक्सर ऐसा ही करते हैं, तौलिया लेकर बाथरूम नहीं जाते और फिर मुझे कहते हैं कि तौलिया दो और जब मैं उन्हें तौलिया देने जाती हूँ तो मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर खींच लेते हैं।

फिर भईया जब फ्रेश होकर बाहर आये वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगे। मैं भी मुस्कुराने लगी तो भाभी ने उनसे कहा- मेरे लिए क्या ले कर आये हो?

तो भईया ने कहा- वही जो हमेशा लाता हूँ ! बैग में है।

भाभी ने भईया को खाना परोसा और कहा- मैं जाकर देखती हूँ !

भाभी ने कहा- चलो रोमा !

मैं उनके साथ चली गई। भाभी ने बैग खोली तो उसमें एक बॉक्स था, भाभी ने भईया को आवाज देकर पूछा- बॉक्स में ही है क्या?

तो भईया ने कहा- हाँ बॉक्स में ही है !

भाभी ने जल्दी से उस बॉक्स को खोला तो उसमें से गुलाबी ब्रा पेंटी का सेट था। भाभी ने वो मुझे भी दिखाया तो मैंने कहा- भाभी, ये तो उसी ब्रा और पेंटी के जैसे हैं जो आपने मुझे दी थी, और जो मैंने अभी पहन भी रखी हैं।

भाभी ने कहा- मुझे दिखाओ रोमा !

और उन्होंने मेरी कुर्ती को ऊपर कर दी और देखने लगी, कहने लगी- हाँ रोमा, ये तो एक जैसी ही हैं।

भाभी ने कहा- कोई बात नहीं !

और फिर भाभी ने भईया से पूछा- आपका खाना हो गया क्या?

तो उन्होंने कहा- हो ही गया है।

फिर भाभी ने कहा- मैं इसे पहन कर देख लूँ क्या?

भईया ने कहा- हाँ पहन लो, ये भी कोई पूछने की बात है?

फिर भईया कमरे में आये और भाभी से पूछा- पसंद तो आई ना?

तो भाभी ने कहा- हाँ बहुत अच्छी है !

फिर भईया ने अपनी बेटी को उठा कर कमरे से बाहर चले गए और उसके साथ खेलने लगे।

भाभी ने अपनी साड़ी उतार दी और मुझसे भी कहा- रोमा अब तुम भी कपड़े बदल लो !

मैं कपड़े बदलने बाथरूम में जाने लगी तो भाभी ने टोका- कहाँ जा रही हो?

तो मैंने कहा- कपड़े बदलने बाथरूम में जा रही हूँ !

तो भाभी ने कहा- तुम यहीं बदल लो, मुझे जाना है बाथरूम !

और फिर भाभी ने जल्दी से अपना पेटीकोट, ब्लाउज, ब्रा-पेंटी को उतार उस नई ब्रा पेंटी को पहना और बाथरूम में चली गई।

मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने बैग से नाईटी निकालने लगी, तभी अचानक भईया ने आकर पीछे से मेरे बूब्स पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगे और मेरी गर्दन पर चुम्बनों की बौछार कर दी। अचानक हुए इस हमले से मैं घबरा गई, मैंने कहा- भईया, ये क्या कर रहे हो आप?

तो भईया ने मेरा मुँह घुमाया और मुझे देख कर दूर हट गये और कहा- रोमा तुम? पलक कहाँ है?

मैं वैसे ही खड़ी थी ब्रा और पेंटी में, मैंने कहा- भाभी बाथरूम में हैं !

तो भईया ने कहा- मुझे माफ़ कर देना रोमा, मैंने सोचा पलक है।

और कहा- मैंने जो पलक के लिए लाया था वो तुमने कैसे पहन लिया? इसलिए मुझे गलतफहमी हो गई और मुझे लगा कि तुम ही पलक हो।

उधर भाभी बाथरूम से निकल कर आई और कहा- मैं यहाँ हूँ !

भईया ने भाभी की तरफ देख और कहा- तुम दोनों ने एक सी ब्रा-पेंटी कैसे पहनी हैं। मैं तो इस ब्रा-पेंटी का एक ही सेट लाया था तो ये दो जोड़ी कैसे हो गई। तुम दोनों ने एक सी ब्रा-पेंटी पहनी है।

तो भाभी ने कहा- आप एक बार पहले भी यही ब्रा पेंटी का सेट लाए थे मेरे लिए, जब हमारी शादी हुई थी, जो अब मुझे छोटी हो गई है तो मैंने रोमा को दे दी है और इत्तेफाक से रोमा वही पहने है।

भईया मुझे देख कर मुस्कुराने लगे, मैं भी मुस्कुराई और अपनी नाईटी पहन कर कमरे के बाहर जाने लगी तो भैया ने भाभी का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने सीने से लगा लिया और उन्हें चूमने लगे।

तब भाभी ने कहा- अभी रुको, बेटी को सुला तो लेने दो !

फिर भाभी भईया से छुट कर बाहर आई तो मैंने भाभी से कहा- भाभी, आज मैं कहाँ सोऊँ?

तो भाभी ने कहा- हमारे ही कमरे में सो जाओ !

तो मैंने कहा- नहीं भाभी, भईया बहुत दिन बाद आये हैं।

और मैंने भाभी से इसे ही मजाक करते हुए कहा- आज तो भैया आप को छोड़ने वाले नहीं हैं, कैसे उतावले हो रहे हैं, मेरे सामने ही चूमा चाटी कर रहे हैं।

तो फिर भाभी ने कहा- हाँ, ये तो आज मुझे चोदे बिना छोड़ेंगे नहीं, तुम बगल वाले कमरे में सो जाओ !

और फिर भाभी ने भी मुझसे कहा- वैसे भी तुम्हें भी आज नींद कहाँ आयेगी !

मैं मुस्कुराने लगी तो भाभी ने कहा- सच सच बताना रोमा, तुम्हारा भी मन कर रहा है ना चुदने का?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी, जिस तरह भैया आपके साथ चूमा चाटी कर रहे थे और मुझे भी उन्होंने जिस तरह पीछे से आकर पकड़ कर मेरे चूचों को मसल दिया, मुझे बहुत अच्छा लगा !

तो भाभी कहने लगी- तो कर लो ना इनके साथ सेक्स ! बहुत अच्छी चुदाई करते हैं तुम्हारे भईया ! इनसे चुदते हुए मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं स्वर्ग में हूँ !

तो मैंने कहा- नहीं भाभी, आप जाइये, भईया आपकी राह देख रहे हैं, वो बहुत उताबले हो रहे हैं !

फिर भाभी बोली- मैं अपनी बेटी को सुला देती हूँ ! रोमा प्लीज, तुम इसे आज इसे अपने पास सुलाए रखना, क्योंकि जब ये मेरे साथ सेक्स करते है तो बहुत बुरी तरीके से करते हैं और उस हड़बड़ी में यह उठ जाती है, फिर इसे सुलाने में सारा मज़ा खराब हो जाता है।

फ़िर आगे बोली- मैं इसे सुलाती हूँ, जब सो जाएगी तो मैं तुम्हें आवाज दे दूंगी, तुम इसे ले जाना !

मैंने कहा- ठीक है भाभी, मैं ले जाऊँगी !

भाभी अपने कमरे में चली गई, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी तो मैं उत्तेजनावश उनके कमरे के पास आ गई।

मुझे कुछ सुनाई दिया, भाभी भईया से कह रही थी- तुम रोमा की चुदाई करना चाहते हो? तुम उसे जिस तरह पीछे से आकर पकड़ कर उसके बूब्स दबा रहे थे, उसे बहुत अच्छा लग रहा था, जब उसने मुझे बताया, तो मैंने उससे पूछ लिया कि क्या वो सेक्स करना चाहती है तो उसने चुदने की इच्छा जताई !

भैया ने कहा- हाँ पलक, मैं भी रोमा को चोदना चाहता हूँ, मुझे उसकी चूत का स्वाद चखना है।

यह सुन कर जब मैं उनके कमरे में झांकने लगी तो भाभी सिर्फ पेंटी में थी, उन्होंने ब्रा उतार दी थी और बेटी को दूध पिला रही थी।

और भैया को भी ! भाभी का एक निप्पल उनकी बेटी के मुँह में था और दूसरा भैया के मुँह में ! वो दोनों को दूध पिला रही थी और कह रही थी- छोड़ो, बेटी के हिस्से का दूध भी तुम पी लोगे क्या?

भईया ने भाभी से कहा- अब यह सो गई है, तुम इसे रोमा को दे दो, अब तो मुझ से रहा नहीं जा रहा है।

भाभी ने मुझे आवाज दी और कहा- रोमा इसे ले जाओ।

मैं उनके कमरे में गई, भैया अभी भी भाभी के निप्पल को मुँह में लिए चूस रहे थे !

बुआ की चुदाई

 कुमार एक अठरह वर्ष का हृष्ट-पुष्ट युवक हूँ और अपनी तैंतीस वर्षीय बुआ के साथ, मुंबई में एक दो कमरे वाले फ्लैट में रहता हूँ। मेरे जन्म के समय ही मेरी माँ का निधन हो गया था और तब से आज तक मेरी बुआ ने ही मेरी परवरिश की और मुझे पालपोस कर बड़ा भी किया। जब मैं दस वर्ष का था तब मेरे पापा दुबई में नौकरी करने चले गए थे और आज तक वापिस नहीं आये ! लेकिन वह हर माह बुआ को मेरी पढ़ाई और घर खर्च के लिए पैसे ज़रूर भेजते हैं और आज भी वह हर माह खर्चा भेजना नहीं भूलते !

मेरी बुआ एक बाल-विधवा है, जब वह चौदह वर्ष की थी तब उनका विवाह कर दिया गया था, लेकिन शादी के एक माह के बाद ही उनके पति की सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। उनके पति की अकाल मृत्यु के बाद, जिसमें उनका कोई दोष नहीं था, हमारे निर्दई समाज की कुरीतियों ने उन्हें अकारण ही शापित घोषित कर दिया। क्योंकि पति की मृत्यु के समय तक उनका गौना नहीं हुआ था इसलिए वह ससुराल ना जाकर अपने पीहर में ही रहने लगी। लेकिन उनके दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उनके पति की मृत्यु के छह माह के बाद ही मेरे दादाजी भी गुज़र गए और वह बिल्कुल असहाय तथा अकेली हो गई। समाज से शापित कहलाने के कारण उनके लिए कोई और रिश्ता भी नहीं आया और उनका पुनर्विवाह नहीं हो सका था। इसलिए तब मेरे पिता ने अपनी बहन को सहारा दिया और उन्हें हमारे घर का एक सदस्य बना लिया।

उन्ही पारिवारिक दुखद दिनों में, मेरा जन्म भी हुआ था और दुर्भाग्य से मेरी माँ का स्वर्गवास भी हुआ। बुआ बताती है कि मेरी माँ ने अंतिम साँस लेने से पहले मुझे उनकी गोद में डाल कर मेरी देखभाल और परवरिश की ज़िम्मेदारी दे दी थी। पहले के दस वर्ष तो बुआ मुझे पालने के लिए घर पर ही रही, लेकिन पापा के दुबई जाने के बाद उन्होंने घर की आमदनी बढ़ाने के लिए अथवा अपने को व्यस्त रखने के लिए एक गैर सरकारी संगठन में नौकरी भी कर ली।

अब जिस घटना का मैं विवरण करने जा रहा वह इस वर्ष मार्च के तीसरे रविवार की है जब मैं नहाने के बाद बाथरूम से बाहर अपने कमरे में आ कर अपना बदन पोंछ रहा था। तभी बुआ बाथरूम में लगे गीज़र से रसोई के लिए गरम पानी लेने के लिए मेरे कमरे में आ गई और मुझे बिल्कुल नंगा देख कर एक बार तो रुकी, मुझे निहारा और फिर मुस्कराती हुई बाथरूम से पानी लेने चली गई।

मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि रसोई में काम कर रही बुआ, रसोई के उस दरवाज़े से, जो मेरे कमरे में खुलता है, मेरे कमरे में भी आ सकती हैं। जब मैं कपड़े पहन कर बुआ से रसोई में जाकर इस बारे में खेद प्रकट किया तो बुआ ने कहा कि इसमें खेद करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने तो मुझे जन्म से ही नंगा देखा है तथा दस वर्षों तक मुझे नग्न अवस्था में स्नान भी कराया है। अगर आज आठ वर्षों के बाद उसने मेरे को एक बार फिर से नग्न देख लिया है तो इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं है, कभी कभी छोटे से घर में ऐसी घटना हो ही जाती है।

फिर बुआ ने मुझे अपने गले से लगा कर प्यार किया और कहा कि मैं इस बात को भूल जाऊँ। मैं रसोई से बाहर तो आ गया लेकिन बुआ का इस तरह गले से लगा कर प्यार करना और उनकी आँखों में जो चमक थी उसका कारण मुझे समझ में नहीं आया। अगले आठ दिन सामान्य रूप से निकल गए और मंगलवार को होली की छुट्टी थी। क्योंकि बुआ तो होली खेलती नहीं थी इसलिए मैंने अकेले ही पड़ोसियों के साथ खूब होली खेली तथा दोपहर एक बजे के बाद मैं बुरी तरह रंगा हुआ और पूरा गीला बदन लिए हुए घर लौटा !

मेरे को उस हालत में रंग और बाल्टी लिए घर में घुसते देख कर बुआ ने रसोई से ऊँची आवाज़ में ही कह दिया कि मैं कमरे को गन्दा नहीं करूँ और सीधा बाथरूम में जा कर नहा लूँ।

बुआ बहुत ही शक्की मिजाज़ की है इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए मैं उनके कहे अनुसार बाथरूम जाता हूँ या नहीं वह मेरे पीछे पीछे खुद भी वहीं बाथरूम में आ गई !

क्योंकि मैं तो होली के ही मूड में था इसलिए बुआ को देखते ही मैंने पलट कर बुआ को गले से लगा कर होली की मुबारक दी तथा उन के पूरे चेहरे पर गुलाल लगाया और उनके बदन को बाल्टी में रखे हुए नीले रंग से उन्हें पूरा भिगो दिया।

आकस्मिक रंग लगाने की मेरी इस हरकत से वह मेरे पर झल्ला उठीं और मुझे बहुत ही बुरी तरह डांटते हुए अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट को बाथरूम में ही उतार कर, पैंटी और ब्रा में ही अपना हाथ मुँह धोया तथा मुझे नहाने का आदेश देकर बाथरूम से बाहर चली गई।

उनके उस गुस्से के रूप को देख कर मैं घबरा गया और बाथरूम का दरवाज़ा बंद किये बिना, जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नहाने बैठ गया।

अभी आधा ही नहाया था कि बुआ फिर बाथरूम में आ गई और कहने लगी कि मेरी गर्दन के पीछे और पीठ पर बहुत रंग लगा हुआ था और क्योंकि वह रंग मुझ से उतर नहीं रहा था, इसलिए वह उसे अच्छी तरह रगड़ कर उतार देती हैं।

मैं बिल्कुल नंगा था और मुझे शर्म भी आ रही थी लेकिन बुआ मेरे लाख मना करने पर भी पैंटी और ब्रा में ही बिल्कुल बेझिझक मुझे नहलाती रही।

जब मैं नहा चुका और खड़ा होकर अपना बदन को पोंछने लगा तब बुआ मेरी परवाह किये बिना ही अपनी पैंटी और ब्रा उतार कर नहाने बैठ गई।

बदन पोंछने के बाद जैसे ही मैं तौलिया बाँध कर कमरे में जाने लगा तभी बुआ ने आवाज़ लगा कर कहा कि उसकी गर्दन के पीछे और पीठ पर जो रंग मैंने लगाया था उसे मैं ही रगड़ कर छुड़ा दूँ !

मेरे मन में बुआ को कुछ देर और नंगा देखने की इच्छा जाग उठी थी, इसलिए उस इच्छा को पूरा करने की मंशा से मेरे पास बुआ की आज्ञा मानने के इलावा और कोई चारा नहीं था। मैंने बुआ के पीछे से जाकर उसकी गर्दन से रंग छुड़ाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा, तभी बुआ ने कहा- तौलिया गीला हो जायेगा, उसे उतार कर पानी में आना !पहली बार किसी औरत के नंगे बदन को देख कर मेरे लौड़े में जान आ गई थी और वह तन कर खड़ा हो चुका था। मैंने तौलिया उतार कर खूंटी पर टांग दिया और किसी तरह अपने पर काबू करते हुए बुआ के कहने के अनुसार बुआ की गर्दन और पीठ का रंग उतारने लगा।

एक बार तो कंधे पर साबुन लगाते समय वह मेरे हाथ से फिसल कर नीचे की ओर सरक गया। जब मैं उसे पकड़ने के लिए लपका तो साबुन तो छिटक दूर जा गिरा और बुआ की चूची मेरे हाथ में आ गई, और मेरा तना हुआ लौड़ा बुआ की गर्दन से जा टकराया।इसके लिए मैंने बुआ से माफ़ी मांगी लेकिन उसने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। इसके बाद मैं बुआ को नहाते हुए छोड़, तौलिए से अपने हाथ पोंछता हुआ नंगा ही बाथरूम से बाहर बैडरूम में चला गया।

लगभग दस मिनट के बाद बुआ ने मुझे आवाज़ देकर तौलिया देने को कहा। मैं बैड से तौलिया उठा कर उन्हें देने के लिए बाथरूम में गया तो बुआ मेरे इन्तज़ार में दरवाज़े की ओर मुँह कर के खड़ी थी। मैंने उन्हें तौलिया दिया और कमरे में वापिस जाने के बजाये वहीं खड़े रह कर बुआ के बहुत ही मनमोहक बदन को देखता रहा !

उनका रंग बहुत ही गोरा और चिकना था, उनका चेहरा आकर्षक और नैन नक्श तीखे थे, गर्दन लंबी और जिस्म गठा हुआ था, 26 इंच की कमर बहुत ही पतली और नाभि बहुत ही आकर्षक लग रही थी ! उनकी चूचियाँ गोल तथा उठी हुई और बहुत ठोस दिख रही थी, मुझे चूचियों का साइज़ लगभग 34 लगा ! उनकी बाजु और टाँगें पतली मगर मज़बूत, तथा बहुत चिकनी लग रही थी और जांघें सुडोल और ताकतवर तथा बहुत ही लुभावनी लग रही थी, उनके चूतड़ गोल और बड़े बड़े थे तथा उनका साइज़ भी 38  तो होगा ही !

बुआ के सिर के बाल तो घने और काले थे, काँखों और जाँघों के बाल भी काले रंग के थे लेकिन बहुत ही थोड़े से थे ! उन थोड़े से काले रंग के बालों के बीच में से उनकी चूत की फांकें साफ़ नज़र आ रही थी ! उनकी चूचियों पर गहरे भूरे रंग की मोटी मोटी चुचुक देख कर मेरा मन उन चूचियों को छूने और मसलने के लिए बहुत ही विचलित हो उठा था !

बुआ ने जब बदन पोंछ कर मुझे इस तरह बुत बन कर उसे घूरते हुए देखा तो झट से बदन को तौलिए ढांपते हुए पूछा कि मैं क्या देख रहा हूँ !

तब मेरे मुँह से निकला- मैं तो एक परी को देख रहा था और अब आपने उसे ढांप ही दिया !

बुआ ने कहा क्या वह इस उम्र में भी मुझे परी लगती हैं तो मैंने जवाब में कह दिया कि वे रंग रूप और बदन से तो अभी भी एक इक्कीस-बाईस वर्ष की एक परी जैसी ही लगती हैं।

मेरे मुख से अपने रूप-रंग और जिस्म की इतनी तारीफ़ सुन कर बुआ शरमा गई और जल्दी बैडरूम में आकर कपड़े पहनने लगी।

सबसे पहले उसी तरह तौलिया बंधे बंधे ही दूसरी तरफ मुँह करके अपनी पैंटी पहनी, जब वह पैंटी को टांगों में डालने के लिए नीचे झुकी तब पीछे से तौलिया ऊपर हो गया और उसकी दोनों टांगों के बीच में से उसकी पतली फांकों वाली अनचुदी कुंवारी चूत दिखाई देने लगी। बुआ ने जल्दी से सीधा हो कर पैंटी को ऊपर खींच कर अपनी स्थान पर सेट किया और फिर मेरी ओर मुँह करके अपनी सलवार पहनी। इसके बाद उसने अपनी ब्रा उठाई और इधर उधर कुछ देख कर रुकी लेकिन फिर जाने क्या सोच कर तौलिए को उतार दिया और बाहें उठा कर ब्रा पहनने लगी। उसके नंगे वक्ष पर दो मौसम्मी जितनी बड़ी चूचियाँ बहुत ही सुन्दर लग रही थी जिन्हें देखते ही मेरा लौड़ा सलामी देने लगा। मैंने उसे टांगों के बीच में दबा कर नियंत्रण में किया और बुआ को देखने लगा।

बुआ ने आगे से ब्रा को अपनी चूचियों पर निर्धारित कर अपने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक बंद करने लगी लेकिन वह बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब बुआ ने मेरी ओर देख कर मुझे उन्हें बंद करने के लिए कहा तो मैंने साफ़ मना कर दिया, तब वह मेरे नज़दीक आकर पूछने लगी कि क्या मैं उसकी चूचियों देखने एवं छूने का इच्छुक हूँ?

मैंने उसकी तरफ देख कर अपने सिर को हिला कर जब पुष्टि की, तब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ब्रा के अंदर डाल दिया और एक चूची मेरी हाथों में दे दी। मैं पहले तो उसे एक सपना समझा लेकिन जब हाथों में बुआ के चूचुक का स्पर्श महसूस हुआ तब यकीन हुआ कि मैं सपने में नहीं यथार्थ में बुआ की चूचियों को पकड़े हुए था !

कुछ देर मैंने बुआ की चूचियों और चूचुक को दबाया, मसला और फिर थोड़ा अलग हो कर उनकी ब्रा के हुक को बंद कर दिया ! उसके बाद बुआ ने कमीज़ पहनी और बाल संवार कर रसोई में खाना बनाने चली गई !बुआ ने आगे से ब्रा को अपनी चूचियों पर निर्धारित कर अपने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक बंद करने लगी लेकिन वह बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब बुआ ने मेरी ओर देख कर मुझे उन्हें बंद करने के लिए कहा तो मैंने साफ़ मना कर दिया, तब वह मेरे नज़दीक आकर पूछने लगी कि क्या मैं उसकी चूचियों देखने एवं छूने का इच्छुक हूँ?

मैंने उसकी तरफ देख कर अपने सिर को हिला कर जब पुष्टि की, तब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ब्रा के अंदर डाल दिया और एक चूची मेरी हाथों में दे दी। मैं पहले तो उसे एक सपना समझा लेकिन जब हाथों में बुआ के चूचुक का स्पर्श महसूस हुआ तब यकीन हुआ कि मैं सपने में नहीं यथार्थ में बुआ की चूचियों को पकड़े हुए था !

कुछ देर मैंने बुआ की चूचियों और चूचुक को दबाया, मसला और फिर थोड़ा अलग होकर उनकी ब्रा के हुक को बंद कर दिया ! उसके बाद बुआ ने कमीज़ पहनी और बाल संवार कर रसोई में खाना बनाने चली गई !

मैं भी उसके पीछे रसोई में चला गया और हम दोनों ने वहीं रखी एक मेज़ पर बैठ कर भोजन किया तथा उसके बाद हम बैठक में बैठ कर टीवी देखने लगे। जब टीवी पर कोई भी प्रोग्राम मुझे पसंद नहीं आया, मैं बोर होने लगा, तब मैं बुआ से कह कर बेडरूम में आ गया और अपने कपड़े उतार दिए, सिर्फ जांघिया पहने हुए सोने चला गया। मैं लगभग तीन घंटे सोया होऊँगा, क्योंकि जब मेरी नींद खुली तब मैंने घड़ी में देखा कि वह शाम के छह बजा रही थ।

जैसे ही मैंने करवट लेकर सीधा होना चाहा तो हो नहीं सका और जब सिर मोड़ा कर देखा तो पाया कि बैड पर मेरे पीछे बुआ सोई हुई थी। मैं धीरे से थोड़ा अलग हट कर उठा और मुड कर बुआ को देखा तो हैरान रह गया, बुआ बिल्कुल सीधा सिर्फ एक पैंटी पहने सो रही थी और उनकी चूचियाँ उनकी छाती पर किसी मीनार के गुम्बदों की तरह सिर ऊपर उठा कर खड़ी थी।

मैं कुछ देर तो बुआ को और उनकी चूचियों को देखता रहा लेकिन जब मैं अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका तो अपने दोनों हाथों से उन चूचियों को सहलाने लगा, उन चूचियों के ऊपर चुचुकों को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में मसलने लगा।

मेरे ऐसा करने पर बुआ की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए तथा आँखों से गुस्सा दिखा कर पूछने लगी कि मैं यह क्या कर रहा हूँ।

पहले तो मैं उनके प्रश्न से सकपका गया लेकिन जल्द ही अपने को संभाला और बोला- मैं तो अपनी परी को प्यार कर रहा था ! इस पर बुआ ने पूछा कि क्या परी को प्यार ऐसे करते है, तब मैंने झट से कह दिया कि अगर आप अनुमति दे तो मैं सही तरीके से प्यार कर देता हूँ।

तब बुआ ने उठ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे सिर को चूमने लगी। बुआ के चूमने के कारण मेरा मुँह नीचे हो गया और उनकी चूचियों बिल्कुल मेरे होंठों के पास आ गई, मैं अपने आप को रोक नहीं सका तथा अपना मुँह खोल कर उनकी दाईं चूची को अपने होंठों के बीच में दबा कर चूसने लगा। मेरा ऐसा करना शायद बुआ को अच्छा लगा इसलिए उन्होंने मेरे चेहरे को अपने सीने में दबा लिया और मुझे चूचियों को चूसने की खुली छूट दे दी।

अगले दस मिनट तक मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा और बुआ भी कभी मेरा सिर, कभी माथा और कभी गालों को चूमती रही। जैसे ही मैं बुआ से अलग हुआ तब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। इधर मेरा अर्धनग्न शरीर बुआ के अर्धनग्न शरीर पर लेटा था और उधर नीचे मेरे जांघिये में मेरा लौड़ा उत्तेजित हो कर बुआ की जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था।

जब बुआ को उनकी जांघों पर मेरे लौड़े की चुभन महसूस हुई तो उन्होंने नीचे दोनों के शरीर के बीच में हाथ डाल कर मेरे लौड़े को पकड़ कर साइड में कर दिया और मुझे फिर अपने से चिपका लिया! मेरा लौड़ा बेचारा हम दोनों के शरीर के बीच में फंस कर रह गया और अत्यंत उत्तेजना के कारण उसमें से धीरे धीरे पूर्व-वीर्य का रिसाव होने लगा। दस मिनट तक मुझे अपने ऊपर ऐसे लिटाये रखने के बाद बुआ ने अपनी बाजुओं को थोड़ा ढीला किया और झट से मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये तथा मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मेरा चुम्बन लेने लगी।

मैं तो उत्तेजित था ही इसलिए बुआ का साथ देने लगा और उनकी जीभ और होंठों को चूसने लगा। यह सिलसला करीब पन्द्रह मिनट तक चला और जब बुआ तथा मेरी सांसें फूलने लगी तब हम अलग हुए !

इसके बाद मैं बुआ के ऊपर से हट कर उनकी बाईं ओर लेट गया और एक हाथ से उनकी चूचियों को दबाने लगा। जब दूसरा हाथ मैंने बुआ की जांघों की ओर बढ़ाया तो उनने मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे ऐसा करने से रोक दिया।

जब मैंने पिछले एक घंटे से कमरे में छाई चुप्पी को तोड़ते हुए बुआ से पूछा ही लिया कि वहाँ हाथ क्यों नहीं लगाऊँ तो उन्होंने बोला कि अभी नहीं, रात हो जाने दो !

उनके मुँह से इतना सुनते ही और रात में होने वाले रोमांच की आशा से मेरा दिल उछाल मारने लगा और मैं बुआ से चिपक गया तथा अपने दोनों हाथ से बुआ की चूचियों पकड़ ली।

तब बुआ ने कहा- चाय का समय हो गया है, उठना चाहिए !

और मुझ से अलग हो कर वह उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं कुछ देर तो उसी तरह बैड पर लेटा रहा और रात को होने वाली क्रिया के बारे सोच कर रोमांचित होता रहा ! फिर मैं भी उठ कर बाथरूम में गया तो देखा कि बुआ ने अपनी पैंटी उतार कर एक तरफ रख दी थी और चूत को अच्छी तरह से रगड़ कर धो रही थी। मैंने जब पैंटी को हाथ लगा तो उसे बुरी तरह गीला पाया तो समझ गया कि जब मैं बुआ की चूचियों को चूस रहा था तब बुआ का पानी छूट गया होगा। पैंटी मेरे हाथ में देख कर बुआ थोड़ा मुस्कराई और फिर उंगली से मेरी तरफ नीचे की ओर इशारा किया। जब मैंने नीचे की ओर अपने गीले जांघिये को देखा तो मैं भी अपनी मुस्कराहट रोक नहीं सका। उसके बाद मैंने भी अपना जांघिया उतार कर बुआ की पैंटी से मधुर मिलन के लिए उसके ऊपर ही रख कर अपने लौड़े को धोने लगा।

बुआ उसी तरह बिना कपड़ों के रसोई में चाय बनाने चली गई और मैं साफ़ जांघिया पहन कर टीवी देखने के लिए बैठक में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद नंगी बुआ चाय लेकर आई और उसे मेज़ पर रख कर बैडरूम में जा कर नाइटी पहन कर वापिस बैठक में मेरे पास आ कर बैठ गई। जब हम चाय पीते हुए बातें कर रहे थे तब मैंने बुआ से पूछा कि वह कपड़े उतार कर मेरे साथ क्यों सोई थी, तो उन्होंने बताया कि बिजली चली गई थी और उन्हें बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए कपड़े उतार दिए थे। जब बिजली आई तो बैडरूम में चल रहे पंखे के नीचे अपना पसीना सुखाने के लिए मेरे पास लेट गई और वहीं उसकी आँख लग गई। जब मैंने बुआ से रात के बारे में कुछ बात करने की चेष्टा की तो उन्होंने डांट दिया कि मैं चुपचाप जा कर पढूं !

मैंने हताश होकर चाय पी और अपनी मेज़ पर जाकर पढ़ने बैठ गया। रात साढ़े नौ बजे बुआ मेरे पास आई और प्यार से मेरे बालों में हाथ फेरती हुई मुझे खाना खाने के लिए कहा। तब मैंने किताबें बंद कर उसके साथ रसोई में जाकर खाना खाया और फिर उसी तरह सिर्फ जांघिया पहने हुए बैड पर जा कर लेट गया !

करीब आधे घंटे के बाद बुआ रसोई का काम समाप्त करके कमरे में आई और मेरे पास लेट गई। जब मैं कुछ देर तक आँखें बंद किए लेटा रहा तो बुआ से रहा नहीं गया और उसने मेरी ओर करवट लेकर मुझे अपने साथ चिपका लिया। उनकी ठोस चूचियाँ मेरे बदन में चुभ रही थी और उसकी जाँघों की गर्माहट मेरी टांगों को जला रही थी। इस हालत में मेरा लौड़ा क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया और जांघिये का तम्बू बना दिया। मैं अभी उस खड़े लौड़े को छुपाने या बिठाने का सोच ही रहा था कि बुआ ने मेरे जांघिये को नीचे सरका कर उस हिलती मीनार को हवा में लहराने के लिए आज़ाद कर दिया।

बुआ के ऐसा करने से मुझे उनकी इच्छा का संकेत मिल गया और मैंने भी उनकी ओर करवट लेकर उनकी नाइटी ऊपर करी और उनकी चूचियों पर टूट पड़ा। तब बुआ भी मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी और उसके ऊपर की त्वचा को पीछे खींच कर सुपारे को बाहर निकाल दिया। बुआ की इस हरकत के कारण मेरे लौड़ा तन कर लोहे की रॉड जैसा हो गया, तब बुआ उठ बैठी और झुक कर उन्होंने मेरे लौड़े को बहुत गौर से देखा और अपने हाथ से उसकी मोटाई और लम्बाई को नापने की कोशिश करने लगी। उन्होंने कहा कि यह तो बहुत पतला और छोटा सा होता था, लेकिन अब तो यह काफी मोटा भी हो गया था और मुझसे उसकी लम्बाई तथा मोटाई के बारे में पूछा !

जब मैंने उन्हें बताया कि मेरा लौड़ा साढ़े सात इंच लंबा और दो इंच मोटा है तब उन्होंने आकस्मात ही झुक कर मेरे लौड़े के सुपारे को चूम लिया ! फिर बुआ ने मेरी टांगों को चौड़ा कर मेरे टट्टों को पकड़ लिया और मेरी ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा- ये भी काफी बड़े हैं, लगता है कि इनमें काफी रस होगा !

बुआ का इस तरह मेरे लौड़े और टट्टों को पकड़ कर उनकी तारीफ़ करना सुन कर मुझे बुआ की कल वाली आँखों की चमक का मतलब कुछ कुछ समझ आ गया और उ्नकी आगे क्या करने की मंशा है इसका भी कुछ कुछ अंदेशा हो गया। तब मैंने बुआ से नाइटी उतारने को कहा तो उन्होंने झट से जवाब दिया कि उन्होंने तो मुझे उतारने के लिए कभी मना ही नहीं किया। बुआ की यह बात सुन कर मैंने आगे बढ़ कर उनकी नाइटी ऊँची करके उतार दी। बुआ ने ब्रा एवं पैंटी नहीं पहनी हुई थी इसलिए नाइटी उतारते ही वे मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गई थी !

फिर मैंने झुक कर बुआ के माथे, आँख॥न, नाक, कान, गालों को चूमा और अपने होंठ उनके होंटों पर रख दिए !

बुआ ने भी मेरी इस हरकत का जवाब दिया और मेरी चुम्बन को स्वीकार किया और मेरे होंटों को कस कर चूम लिया तथा मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया। उनकी चूचियों को पकड़े पकड़े ही मैंने उनकी ठोड़ी, गर्दन तथा वक्ष को चूमा और फिर उनकी चूचियों के चुचुकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मेरा ऐसे करने पर बुआ बेड पर लेट गई और धीमी आवाज़ में आह... आह... करने लगी और अपने पेड़ू के बालों में उँगलियाँ फेरने लगी। लगभग पांच मिनट के बाद मैंने बुआ के पेट और कमर को चूमा और उनकी नाभि में अपनी जीभ घुमाई जिससे बुआ को गुदगुदी हुई और वह हँसने लगी। अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए मैं आगे बढ़ा और बुआ की झांटों के बालों को चूमता हुआ उसकी जाँघों के अंदर की ओर से चूमा और बुआ की टांगों को चौड़ा करके उनकी चूत की फांकों को चूमने लगा।

चूत पर मेरे होंठ लगते ही बुआ सिहर उठी और उनकी चूत फूलने लगी तथा उसकी फांकें फूल की पत्तियों की तरह खुल गई और उसका भग-शिश्न मेरे होंटों को छूने लगा। मैंने उस भग-शिश्न को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया तब बुआ ने काफी ऊंचे स्वर में आह... आह... की आवाजें निकालने लगी तथा देखते ही देखते वह अकड़ गई और उसकी चूत ने थोड़ा सा पानी निकाला।

मैंने उस पानी को चखा तो मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा, तब मैंने उसके भग-शिश्न पर थोड़ी जोर से जीभ से सहलाया तो बुआ ने फिर ऊँचे स्वर में आआह्ह्ह्ह... की और मेरी प्यास बुझाने के लिए चूत ने फिर पानी की धारा छोड़ दी! इसके बाद जैसे ही मैं अलग हुआ तब बुआ ने मुझे पकड़ लिया और कहा कि अब मुझे उनकी प्यास भी बुझानी चाहिए !

मेरे पूछने पर कि कैसे तो उसने कहा वह उस समय वह बहुत गर्म थी और उसे ठंडा करने के लिए जैसे वह कहती है मैं वैसे ही करूँ! मैंने अनुमान लगा लिया कि अब वह भी वही चाहती थी जो मैं चाहता था, इसलिए मैं तुरंत तैयार हो गया।

बुआ ने मुझे खड़ा करके खुद नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। चूसते चूसते उन्होंने मेरा पूरा लौड़े को अपने मुँह के अंदर गले तक उतार लिया और अपने सिर को आगे पीछे करना शुरू कर मुँह की चुदाई करने लगी। मुझे उनका ऐसा करना बहुत अच्छा लगा, इससे मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मेरे लौड़े में से रस की धारें निकली और बुआ के गले में उतरने लगी ! छह में से पांच धारें तो बुआ के गले में उतर गई लेकिन आखिरी धार बाहर उसके मुँह और बदन पर गिरी।

बुआ ने उस बिखरे हुए रस को हाथ से अपने चेहरे, वक्ष और चूचियों पर मल लिया। इसके बाद बुआ बेड पर लेट गई और टाँगें चौड़ी करके मुझे बीच में बिठा लिया और मेरे लौड़े को मसलने लगी। लगभग बीस मिनट तक मसलने के बाद जैसे ही मेरा लौड़ा तना, उन्होंने उसे पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और मुझे धक्का मारने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का लगाया लौड़ा अंदर न जाकर एक तरफ़ को फिसल गया, तब बुआ ने कहा कि मेरा लौड़ा मोटा है और क्योंकि आज तक उसकी चुदाई नहीं हुई इसलिए उसकी कुवारीं चूत बिल्कुल सिकुड़ी हुई है और लौड़े को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रही !

फिर बुआ ने अपनी टांगों को और चौड़ा किया जिससे उनकी चूत का मुँह और खुल जाए और उन्होंने एक बार फिर मेरे लौड़े को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर मुझे फिर से धक्का देने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का दिया तो मेरे लौड़े का सुपारा बुआ की चूत के अंदर चला गया और इस के साथ ही बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आईईई... मार डाला ! और जोर जोर से चिल्लाने लगी!वह बार बार मुझे कहने लगी कि मैंने तो उसकी चूत ज़रूर फाड़ दी होगी। मैं थोड़ी देर तक बुआ के सामान्य होने का इंतजार किया और फिर इससे पहले बुआ मुझे कुछ कहे, मैंने एक और धक्का लगाया तथा आधा लौड़ा उनकी चूत के अंदर कर दिया।

बुआ एक बार फिर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आई ईई..... मर गई, अबे क्या अपना लौड़ा घुसेड़ रहा है या कोई मूसल घुसा रहा है?

बुआ दर्द के मारे तड़पने लगी और जोर जोर से रोने लगी तथा मुझे गालियाँ भी देने लगी। उसे चुप कराने के लिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा ! तभी मुझे अपने लौड़े पर गीलापन महसूस हुआ और जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो मुझे अपने हाथ पर खून लगा नज़र आया, तभी मैं समझ गया कि आज बुआ की मुनिया का सील-तोड़ उदघाटन हो गया था!

कुछ देर के बाद जब बुआ शांत हो गई तब मैंने लौड़े को चूत के अन्दर करने के लिए आहिस्ता आहिस्ता जोर लगाया लेकिन मेरा लौड़ा बिल्कुल ही नहीं सरका। तब मुझसे और नहीं रुका गया और मैंने एक जोर का धक्का लगा कर पूरा का पूरा लौड़ा चूत के अन्दर जड़ तक घुसेड़ दिया !

इस बार बुआ तिलमिला कर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाह आह आआ आआई ईई... मार डाला, उई ईईई ईईईइ... माँआआ... मर गई ! बुआ दर्द से तड़पने लगी और फिर से रोने लगी और उनके आंसू आँखों से बह कर उसके गालों को धोने लगे।कुछ देर के लिए मैं फिर उनके ऊपर लेट गया और वह सुबकते सुबकते बड़बड़ाती रही कि आज तो तूने मेरी चूत का सत्यानास कर दिया होगा, उसे फाड़ कर उसके चीथड़े कर दिए होंगे!

मैं आँखें बंद किये चुपचाप बुआ के ऊपर लेटा रहा और उनके दर्द के कम होने की इंतज़ार करने लगा। पांच मिनट के बाद पूछने पर उन्होंने कहा कि अब वे ठीक हैं और उन्हें दर्द भी नहीं है तथा अब मैं उसे जम के चोद सकता हूँ तब मैंने धक्के मारने शुरू कर दिये। पहले धीरे धीरे धक्के दिए, फिर तेज़ी से धक्के दिए और उसके पांच मिनट के बाद तो बहुत ही तेज़ी से झटके दिए। इस दौरान बुआ हर दो से तीन मिनट के बाद इधर अकड़ कर आआह्ह्ह्ह... आआह्ह्ह्ह... हाआ आआ ईई... हा आआह आआईईई.... उई ईईइ...उईइ....की आवाजें निकालती और उधर उनकी चूत भी पानी छोड़ देती।

जब बुआ की चूत में पाँचवी बार अंदरूनी खिंचावट शुरू होने वाली थी, तब उन्होंने मुझे कहा कि मैं बहुत ही जोर से धक्के मारूँ ! तब मैंने सुपारे को अंदर ही छोड़ते हुए बाकी के लौड़े को बाहर निकल कर बहुत तेज़ी से जोरदार धक्के देने लगा और लौड़े को चूत के इतना अंदर तक डाला कि उसका सुपारा बच्चेदानी के अन्दर घुस गया। मेरे सातवें धक्के पर बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई और अकड़ गई, उनकी चूत सिकुड़ गई और मेरा लौड़ा उनकी बच्चेदानी में फंस गया !

मैं लौड़े को बाहर नहीं खींच पाया, तभी मेरे लौड़े में भी हलचल हुई और उसमें से ज़बरदस्त पिचकारी छूटी तथा छह बार तेज धारें निकली और मैंने बुआ के साथ उसकी चूत के अंदर भी होली खेल ली !

लौड़े में से इतना रस निकला की बुआ की चूत पूरी तरह भर गई तथा वह चूत में से बाहर भी निकलने लगा ! कुछ देर के बाद बुआ की चूत जैसे ही ढीली हुई, मेरा लौड़ा उस में से बाहर निकल आया।

मैं बहुत थक गया था इसलिए मैं उसी तरह बुआ के उपर ही लुढ़क गया। दस मिनट तक हम वैसे ही लेटे रहे और उसके बाद जब बुआ उठी तथा चादर पर खून को देखा तो झट से अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखने लगी। जब उन्होंने अपने हाथ पर भी खून देखा तो बदहवास हो गई और मुझे कोसते हुए बोली- देख तेरे इस मूसल ने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है, इसे फाड़ कर इसके चीथड़े कर दिये हैं ! इतना खून बह रहा है अब अगर यह बंद नहीं हुआ तो क्या करुँगी, कैसे बंद करूँ इसे?

तब मैंने बुआ को समझाया- यह तो बस थोड़ी देर में ही बंद हो जायेगा इसके लिए आप बाथरूम में जाकर चूत को ठण्डे पानी से अच्छी तरह धो लो !

जब बुआ मेरी बात नहीं मानी तो मैं उन्हें गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया और उनकी चूत को मल मल कर ठण्डे पानी से धोया और बीच बीच में प्यार से चाट भी लिया !

कुछ देर के बाद जब बुआ ने बार बार हाथ लगा कर तसल्ली कर ली कि चूत से खून नहीं निकल रहा तब वह बाथरूम से बाहर आई और मुझे तथा मेरे लौड़े को कस कर चूमा और मुझसे बोली- तुमने मेरे जीवन की पहली चुदाई में ही मुझे बहुत ही आनन्द और संतुष्टि दी है ! मेरे मन को इस बात की जीवन भर तसल्ली रहेगी कि मेरी चूत मेरे भतीजे ने ही फाड़ी है किसी बाहर वाले गैर ने नहीं ! इसके बाद मैंने और बुआ ने बिस्तर की चादर बदली, बुआ ने नाइटी तथा मैंने लुंगी पहनी और हम एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

रात को दो बजे मैं गहरी नींद में था जब मैंने अपने बदन में हलचल को महसूस किया और पाया कि बुआ का एक हाथ मेरे सीने पर था और उनका दूसरा हाथ मेरी लुंगी से बाहर निकाले हुए लौड़े पर था तथा वे मेरे लौड़े को मसल व हिला रही थी। देखते ही देखते मेरा लौड़ा तन गया तब बुआ उठी और पलटी होकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी तथा अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी। मुझ से भी रहा नहीं गया और मैं भी उनकी चूत को चूसने लगा।

लगभग दस मिनट के बाद जब मेरा लौड़ा लोहे की रॉड जैसा हो गया तब बुआ मुझ से अलग होकर उठी और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे तने हुए लौड़े को अपनी रस भरी चूत में डाल कर उछल उछल कर चुदाई करने लगी। मैं भी उसी जोश से नीचे से उछल कर धक्के लगाने लगा।

बीस मिनट के बाद बुआ और मैं दोनों चिल्ला उठे और हमने एक साथ अपना अपना रस छोड़ दिया !

बुआ निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गई और मेरा लौड़ा उनकी चूत में फंसा ही रह गया, हम दोनों इसी हालत में सोते रहे।

सुबह पांच बजे जब मेरी नींद खुली और बुआ को अपने ऊपर लेटे हुए पाया तो मेरे लौड़े ने बुआ की चूत के अंदर ही हरकत शुरू कर दी और वह तन गया। मुझे जोश चढ़ गया और मैं बुआ की चूचियाँ आहिस्ते से दबाने लगा, चूचुकों को उँगलियों से मसलने लगा।मेरी इस हरकत से बुआ की नींद खुल गई और उनकी चूत में भी कंपन शुरू हो गया। उन्होंने मेरे होंटों पर अपने होंट रख दिए और मुझे चूमने लगी, मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी।

मैंने भी उसी तरह उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और घुमा कर चूमने लगा! मेरे द्वारा उनके चूचुक को उँगलियों से मसलने और चूमने से बुआ को भी जोश आ गया और अंत में उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया कि क्या मेरा मन भी उसकी चुदाई करने का है तो मैंने झट हाँ कह दी।

बुआ खुश हो गई और तुरंत अपने को अलग कर के नीचे लेट गई और मुझे ऊपर चढ़ कर तेज़ी से चोदने को कहने लगी। जब मैं उनके ऊपर आया तब उन्होंने अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और धक्का देने को कहा।

मैंने जोश में आकर जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लौड़ा एक ही झटके में बुआ की चूत में घुसेड दिया।

बुआ चिल्ला उठी, लेकिन इससे पहले वे कुछ कहें, मैं तेज धक्के लगाने लगा। बुआ की चूत तेज़ी से सिकुड़ने और मेरे लौड़े को जकड़ने लगी, जिससे मेरे लौड़े पर जबरदस्त रगड़ लगने लगी और दस मिनट में ही बुआ ने शोर मचाते हुए अपना पानी छोड़ दिया !

मैं उनकी चुदाई उसी जोश से करता रहा और हर पांच मिनट के बाद बुआ का पानी निकालता रहा !

जब वे चौथी बार झड़ी तो बहुत ही जोर से चिल्ला कर अकड़ गई और उनकी चूत ने मेरे लौड़े को अंदर से तथा उसकी बाजुओं और टांगों ने मुझे बाहर से जकड़ लिया !

तब मेरे लौड़े में भी झनझनाहट हुई और मैंने बुआ की चूत के अंदर ही अपनी पिचकारी चला दी और उसे अपने रस से भर दिया ! अचानक ही उसकी की चूत भी बहुत जोर से सिकुड़ने लगी और मेरे लौड़े को निचोड़ कर उसका रस निगलने लगी !

लगभग पांच मिनट के बाद बुआ को जैसे राहत आई तब उन्होंने तथा उनकी चूत ने मुझे अपनी जकड़न से राहत दी और मैं सांस ले सका !

बुआ से अलग होने के लिए मुझे अपने लौड़े को खींच के बाहर निकलना पड़ा, उनकी चूत तो जैसे मेरे लौड़े को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। अलग होने पर बुआ ने उठ कर मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूस व चाट चाट कर साफ कर दिया।

बुआ ने मुझे और लौड़े को कस के चूमा और एक बार फिर मुझे बताया कि उसकी जीवन की सब से अच्छी चुदाई आज ही दो बार हुई थी। उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की कि अब से जब भी मैं उसकी चुदाई करूँ तो उनको इसी तरह ही चोदूं और उन्होंने मेरे सारे बदन को चूम चूम कर गीला कर दिया !

पहले मैं बिस्तर से उठा और बुआ को गोदी में उठाया तथा बाथरूम में ले जाकर उनकी झाँघों, टांगों व चूत को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया और उंगली मार कर चूत के अंदर से रस को भी निकाल दिया ताकि वह गर्भवती न हो जायें !

फिर बेडरूम में आकर बुआ के साथ मिल कर बिस्तर की चादर बदली और एक बार फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर, लौड़े को बुआ की चूत के बालों में छुपा कर और उनके मम्मों को अपनी छाती से चिपका कर लेट गए और सुबह होने का इंतज़ार करने लगे !

इस तरह मेरा और बुआ की चुदाई का प्रसंग शुरू हुआ और आज चार महीनों के बाद भी लगातार चल रहा है। हम सप्ताह के छह दिनों को तो रात को सोने से पहले और सुबह जागने के बाद ज़रूर चुदाई करते हैं लेकिन रविवार को तो हम दोपहर को भी चुदाई कर लेते हैं !मुझे और बुआ को उसकी माहवारी के दिनों में चुदाई न कर पाना बहुत ही अखरता था, लेकिन पिछले माह जब माहवारी के दिनों में भी मैंने कंडोम चढ़ा कर बुआ की चुदाई की तो वे बहुत ही खुश हुई !

अब तो महीने के हर दिन हम इस क्रिया का आनन्द लेते हैं और अपनी कामवासना को संतुष्ट करते हैं !

 वे कहीं गर्भवती न हो जाएँ, इसके लिए बुआ अब नियमत रूप से गर्भ निरोधक गोलियाँ माला-डी खाती हैं और रोजाना मुझे से चुदती हैं।