Wednesday, January 27, 2016

हैलो मेरा नाम ईशिता है.. मैं हरियाणा के रोहतक में रहती हूँ। मैं 21 साल की हूँ मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरे बदन का साइज़ 30-28-34 का है। जो भी लड़का मुझे देखता है वो अपना लंड हिलाने लग जाता है।
यह बात करीब 2 साल पहले की है.. जब मैं 19 साल की थी.. तो मेरी छुट्टियाँ हुई ही थीं कि मैंने सोचा कि इन छुट्टियों में मामा के घर हो आऊँ.. तो मैंने मम्मी से बात की और अगले दिन मामा के घर चली गई।
मामा का घर गाँव में था तो मैं सुबह 9 बजे घर से निकल गई और करीब 12 बजे मैं मामा के घर पहुँच गई।
वहाँ पहुँचते ही मैं सब से मिली.. सब लोग मेरे चारों ओर जुड़ गए।
हाँ.. मैं आपको यहाँ बता दूँ कि मेरे मामा का सयुंक्त परिवार है.. तो लोग भी ज़्यादा हैं। उन सभी से बात करते-करते शाम हो गई।
मेरी सभी मामियाँ खाना की तैयारी में लग गईं और नानी अपने और कुछ काम करने में लग गईं।
अब मैं अकेली ही रह गई थी.. मेरा मामा का एक लड़का मुझ से एक साल बड़ा है.. वो मुझ से बात करने लगा। वो और मैं एक ही बिस्तर पर बैठे थे, वो मेरे कुछ ज़्यादा ही पास बैठा हुआ था, हम मस्ती में बात कर रहे थे।
उसने मेरा फ़ोन देखने के लिए माँगा.. तो मैंने उसे दे दिया। वो फ़ोन देख रहा था.. तो अचानक मुझे याद आया कि फ़ोन में तो मेरी मेरे ब्वॉय-फ्रेण्ड के साथ न्यूड फोटो है, मुझे ध्यान ही नहीं रहा और उसने वो फोटो देख ली।
उसने मुझे फ़ोन वापस दे दिया और बोला- इशी, तेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है?
मैंने उसे मना कर दिया.. तो बोला- फिर कॉलगर्ल का काम करती है क्या? तेरी उस लड़के का साथ नंगी फोटो क्यों है?
मैं सनाका खा गई और एकदम चुप हो गई, मैं उससे रिक्वेस्ट करने लगी कि किसी को ना बताना।
तभी उसके मन में भी वैसा ही चुदास का कीड़ा उठने लगा।
वो बोलो- ठीक है.. पर एक शर्त पर..
मैं बोली- क्या शर्त है?
वो बोला- तुझे मेरे साथ भी वैसा ही करना पड़ेगा.. जैसा उस लड़के के साथ किया था।
तो मैंने भी उसे ‘हाँ’ कह दिया.. तो वो मेरे मम्मों को दबा कर बोला- रात को मिलते हैं जान..
और वो वहाँ से चला गया।
अब मैं भी रात का इंतजार करना लगी कि रात को क्या करेगा.. पता नहीं।
करीब 8 बजे सबने खाना खाया और सब सोने की तैयारी करने लगे.. तो वो मुझसे आकर बोला- हम दोनों ऊपर छत पर सोएंगे..
और फिर वो मेरी कमर पर हाथ फेर कर वहाँ से चला गया।
मैंने मामी से कहा- मैं और अवी.. (उसे हम घर में अवी कहते हैं) हम दोनों छत पर सोएंगे..
तो मामी ने मेरा बिस्तर भी वहीं लगवा दिया।
करीब रात के 10 बजे में सबसे बात करके और कपड़े बदल कर ऊपर सोने चली गई। उन दिनों गर्मी का मौसम था.. तो बिस्तर खुले में ही लगवा कर सोने का सोचा था।
मैं ऊपर पहुंची.. तो देखा कि वो पहले से ही ऊपर है और अपने फ़ोन में कुछ देख रहा है।
मैं उसके पास गई.. तो मैंने देखा कि वो ब्लू फिल्म देख रहा था।
वो मुझसे कहने लगा- आ जा.. तू भी देख ले..
तो मैं भी वो ब्ल्यू फ़िल्म देखने लगी। उस फिल्म में एक लड़की को दो लोग चोद रहे थे, एक उसकी गाण्ड मार रहा था और दूसरा उसकी चूत चोद रहा था।
उसे देख कर मैं भी गर्म हो गई और मेरी भी चूत गीली हो गई, मेरे मुँह से अपने आप आवाजें निकलने लगीं।
अवी मेरी तरफ देखने लगा.. उसने एक हाथ मेरे मुँह पर रखा और अपना मुँह पास लाने लगा, वो मेरी चुम्मियाँ लेने लगा।
चुम्बन करते हुए उसने मेरे मम्मों को भी दबाना शुरू कर दिया, फिर उसने मेरी टी-शर्ट में हाथ डाल कर मम्मों को दबाना शुरू कर दिया, फिर मेरी टी-शर्ट उतार दी..
मैंने अन्दर स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखी थी.. तो वो उसके ऊपर से ही मेरे मम्मों को चूसने लगा।
मम्मों को चूसते-चूसते उसने मेरे निप्पल पर काट लिया, मैं चिल्ला उठी.. तो उसने कहा- चुप रह.. सब ऊपर आ जायेंगे.. और तू बिना चुदाए रह जाएगी।
तो मैं चुप हो गई और फिर उसने मेरी ब्रा उतार दी।
अब उसने मेरे मम्मों को नंगा कर दिया और मेरा एक चूचा मुँह में भर कर चूसने लगा।
मैं भी मजे से अपना चूचा चुसवा रही थी और मस्ती से कराहते हुए मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी थी।
तभी उसने अपना एक हाथ मेरा लोवर के अन्दर डाल दिया, वो बोला- तेरी चूत तो गीली हो गई है.. तू तो चुदने के लिए तैयार लग रही है।
मैं सीत्कार करने लगी।
उसने मेरा लोवर और पैन्टी एक साथ उतार दी.. और मेरी चूत पर उंगली घुमाने लगा।
फिर उसने मेरी चूत पर अपना मुँह रखा और उसे चाटने लगा, वो अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को ज़ोर से दबाने और हिलाने लगा था।
फिर कुछ देर ऐसा ही करने के बाद वो उठा.. और अपने कपड़े उतारने लगा।
अब वो नंगा होकर मेरे मुँह के पास अपना लंड लाकर बोला- चूस.. इसे..
मैंने कहा- मुझे चूसना पसंद नहीं..
वो बोला- मैंने देखा था कि उस फोटो में तू उसका खड़ा लौड़ा चूस रही थी।
तो मैंने कहा- वो तो खाली फोटो क्लिक करवाना के लिए लिया था।
बोला- मुझे नहीं पता.. तुमने उसका लण्ड चूसा हो या ना चूसा हो.. पर तुमको मेरा लौड़ा तो चूसना पड़ेगा।
अब उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया और मुझे उसका लंड चूसना पड़ा।
फिर उसने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल का कहा- अपने दोनों हाथों से अपने मम्मों दोनों तरफ से दबा लो..
तो मैंने उसकी लालसा को समझते हुए ऐसा ही किया.. वो मेरे ऊपर आकर मेरे मम्मों का बीच में अपना खड़ा लण्ड फंसा कर मेरे मम्मों की चुदाई करने लगा।
मैंने कहा- मेरे पास चूत भी है तू चूत में भी तो यही काम कर सकता है, तू उसमें भी अपना मूसल पेल कर मेरी चूत चुदाई कर सकता है।
तो बोला- भोसड़ी की.. तू चुप ही रह.. साली राण्ड.. बाहर चुदवाती है.. जब घर में ही इतने लंड मौजूद हैं.. फिर भी तुझे बाहर के लौड़े पसन्द हैं।
मैं चुप रही और जैसा वो कर रहा था मैंने वैसा उसे करना दिया क्योंकि मुझे भी अपने मम्मों की चुदाई में मजा आ रहा था।
फिर कुछ दर बाद उसने अपने लण्ड को मेरी चूत पर रखा और उसकी दरार पर रगड़ने लगा।
अब मुझे से रहा नहीं गया और मैंने सिसकारते हुए कहा- डाल भी दो ना भाई.. अब नहीं रहा जाता..
उसने कहा- मुझे तो पूरा मज़ा ले लेने दे.. फिर पता नहीं तेरी चूत कब मिलेगी?
फिर उसने एक झटके में अपना आधा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया.. मेरे मुँह से थोड़ी से चीख निकल गई.. क्योंकि मैं काफ़ी दिनों के बाद चुद रही थी।
मेरी चीख के बाद उसने मुझे ‘बहन चोद’ गाली बकते हुए चुप कराया और मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर मुझे किस करने लगा।
मैं भी दर्द भूल कर मजा लेने लगी तो उसने एक और झटका मार कर अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया।
अब वो अपने अण्डों को हिलाने लगा।
फिर कुछ दर बाद वो लौड़े को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।
उसका लंड 7 इंच का था.. जो कि मेरी बच्चेदानी पर चोट मारता हुआ लग रहा था।
10 मिनट की चुदाई के बाद मेरा पानी निकल गया, मैंने उससे कहा- आह्ह.. भाई.. मेरा तो हो गया..
तो भाई बोला- मेरा माल निकलने में तो अभी टाइम है।
वो मुझे मस्ती में चोदता रहा.. फिर 8-10 मिनट बाद एकदम तेज धक्के लगाते हुए बोला- ले आह्ह.. अब मेरा निकलने वाला है।
मैंने कहा- प्लीज़ चूत में मत निकालना..
तो बोला- या तो चूत में निकालूँगा या तेरे मुँह में..
तो मुझे ना चाहते हुए भी उसका लंड मुँह में लेना पड़ा और उसके लंड का पानी भी पीना पड़ा।
चुदाई के बाद देखा तो करीब रात का 12:30 हो गया था.. तो उसने बोला- अब हम ऐसे ही नंगे सोएंगे बिना कपड़ों के..।
तो मैंने कहा- कोई आ जाएगा तो?
बोला- मैं 3 बजे का अलार्म लगा कर सोऊँगा।
तो मैंने कहा- ठीक है।
उसने मुझे अपना ऊपर लिटा लिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बोला- अब लौड़ा लीलते हुए सो जा।
अब तो मुझे भी उसके लौड़े से चुदने में मज़ा आ रहा था तो मैं भी चूत में लण्ड रखवा कर सो गई।
करीब 3 बजे अलार्म बजने से आँख खुली तो देखा- वो मेरी चूत में हल्के हल्के धक्के लगता हुआ मुझे चोद रहा था।
मैंने भी मजा लेना शुरू कर दिया।

Monday, January 25, 2016

मेरा नाम आयुष है.. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 वर्ष है, मेरे परिवार में मेरे अलावा एक बड़ा भाई.. माँ-पापा और एक छोटी बहन है।
मेरी बहन का नाम निशा है.. उसकी उम्र 19 साल है। उसका फिगर मस्त था शायद 34-30-34 का रहा होगा। वो कॉलेज जाती थी।
मेरे मन में उसके लिए कभी ऐसा कुछ नहीं आया था।
बात उन दिनों की है.. जब वह 12वीं में थी। बड़े भाई की शादी हो गई थी.. वो अब हम लोगों के साथ नहीं रहते थे।
हम इतने बड़े हो जाने के बाद भी साथ में मस्ती किया करते थे, हमारा एक ही रूम था.. जिसमें दो बेड लगे थे।
एक बार हम मस्ती कर रहे थे कि गलती से मेरा हाथ उसके ‘दूध कलशों’ पर छू गया, वो कसमसा गई और भाग गई।
मुझे हाथों पर बहुत मुलायम सा अहसास हुआ, उसके बाद मैंने उसके बोबों को नग्न देखने का इरादा बना लिया।
मैं मौका ढूंढने लगा कि कब मैं निशा के बोबों को देखूँ।
अब जब भी हम मस्ती करते.. मैं जानबूझ कर उसके मम्मों को छू देता।
एक दिन मैंने हिम्मत करके उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?
उसने ‘न’ में जवाब दिया।
मैंने पूछा- क्यों नहीं है?
तो निशा ने जवाब दिया- भैया, मुझे ये सब बातें पसंद नहीं हैं।
वह उधर से चली गई।
अब मुझे रात में नींद नहीं आती.. मैं अपनी बहन को सोच कर मुठ्ठ मारने लगा।
एक दिन की बात है.. जब मैं रात में पानी पीने के लिए उठा.. तो मैंने देखा कि निशा की टी-शर्ट ऊपर को हो गई थी और उसका पूरा पेट दिखाई दे रहा था।
मेरा लंड खड़ा हो गया.. मैं हिम्मत करके उसके पास बैठा और उसके कमर को छुआ.. वो हिल गई.. पर वो उठी नहीं।
मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रखा और धीरे से सहलाने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने फिर अपना हाथ उसके टी-शर्ट के अन्दर डाला.. वो रात में ब्रा नहीं पहनती थी। मेरा हाथ ने जैसे ही उसके मम्मों को छुआ.. मेरे शरीर में मानो करंट दौड़ गया। मेरा मन नहीं हुआ.. पर मैंने उसके मम्मों को जोर से दबा दिया।
वो उठ कर बैठ गई.. मेरी फट गई.. कि अब तो गया।
वो उठी और चिल्लाने लगी- भैया, यह आप क्या कर रहे हैं.. कोई अपनी बहन के साथ ऐसा करता है क्या?
मैंने बोला- देख निशा.. बस मैं तो पानी पीने के लिए उठा था.. पर तेरा पेट देख कर मेरा मन नहीं माना।
निशा ने जवाब दिया- पर भैया.. मैं आपकी सगी बहन हूँ.. आप मेरे साथ ऐसा करने की सोच भी कैसे सकते हैं।
मैंने पटाने की कोशिश करते हुए उससे बोला- देख निशा.. इस उम्र में ये सब करने का सबका मन करता है.. तेरा नहीं करता क्या?
निशा पलट कर बोली- मन करे तो क्या तुम अपनी बहन के साथ ऐसा करोगे?
मैंने उसे समझाया- निशा प्लीज़ समझ न.. मेरी भावनाएं.. तेरा मन नहीं करता क्या?
निशा- नहीं करता.. आप जाओ यहाँ से..
मैं उसके पास गया और उसके होंठों पर हाथ फिराते हुए बोला- बस निशा.. एक बार साथ दे.. देख तुझे भी मज़ा आएगा।
निशा- नहीं भैया.. आप जाओ मुझे नहीं करना.. ये सब..
पर मैंने कुछ नहीं सुना और उसे बिस्तर पर धकेल कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा। उसने अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश की। इससे पहले कि वो अपने आपको मुझसे छुड़ा पाती.. मैं उसके लोअर में हाथ डाल कर उसकी कुंवारी चूत को दबाने लगा। वो गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी।
मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रखा और मसलने लगा। निशा की सिसकारियाँ निकलने लगीं- आह भाई.. मत करो ऐसा.. ये ठीक नहीं.. आह्ह..
मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया और मुझे उनके दीदार हुए.. जिनके लिए मैं मरा जा रहा था। क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या मस्त उठे हुए मम्मे थे..
मैं तो देखते ही टूट पड़ा.. उसके मम्मों को चूसते हुए मैंने अपने एक हाथ से उसकी चूत को सहलाना जारी रखा।
अब उसे अहसास होने लगा कि कुछ भी हो जाए.. आज वो पक्के में चुदने वाली है..
तो उसने भी मेरा साथ देने में अपनी भलाई समझी और मेरे खड़े 8 इंच लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया।
मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने अब उसके लोअर और पैन्टी को भी उतार दिया। हाय.. क्या मस्त नजारा था.. कुंवारी चूत.. और उसके ऊपर भूरी झांटों का जमावड़ा।
मैंने उसे कहा- निशा अपने भाई का लंड कैसा लगा?
उसने कहा- भाई.. आपका मस्त है।
मैं बोला- फिर निशा अपने भाई का मुँह में लोगी न?
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया। मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और वो चूसने लगी।
जब उसने चूस कर मेरा पानी निकाल दिया.. तो मैंने उसकी कुंवारी चूत को चूसना शुरू किया.. वो सिसकारियाँ भरने लगी- अहह.. ऊईई.. उम्म..
कुछ देर में ही उसने पानी छोड़ दिया।
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालने के लिए तैयार किया.. तो निशा डरने लगी- भाई मत करो.. आगे कुछ हो जाएगा तो?
मैंने समझाया- बेबी ऐसा कुछ भी नहीं होगा.. बस थोड़ा सा दर्द होगा शुरू में.. फिर बहुत मज़ा आएगा।
निशा- नहीं भाई मत करो।
मैंने बोला- चल नहीं करता.. बस ऊपर से थोड़ा कर लेने दे.. अन्दर नहीं डालूँगा।
वो मान गई, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर फिराना शुरू किया.. थोड़ी देर में निशा ज्यादा गरम हो गई और बोली- भाई अब मत तड़पाओ.. अन्दर डाल ही दो..
मुझे इसी पल का इंतज़ार था.. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर जमाया और एक जोरदार धक्का मार कर अपना आधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
‘अहह.. ऊईई.. भाई.. निकालो इसे.. मुझे दर्द हो रहा है।’
मैंने उसे और मौका नहीं दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और अपना बचा आधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। उसे बहुत दर्द हुआ.. पर मैंने उसे चिल्लाने का मौका नहीं दिया। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ.. तो मैंने अपने लण्ड को हिला कर चोदने लगा। उसकी चूत से खून निकला.. पर मैंने उसे बताया नहीं.. वर्ना वो ज्यादा डर जाती।
अब उसे मज़ा आने लगा और वो मेरी संगत करने लगी। लगभग 15 मिनट बाद हम दोनों साथ में झड़ गए और मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही झड़ा दिया।
अब हम थक चुके थे। हम थोड़ी देर वैसे ही पड़े रहे..
उसके बाद वो उठी और उसने अपना खून देखा.. तो वो रोने लगी- देखो भाई तुमने क्या किया.. अब मैं क्या करूंगी.. मुझे दर्द होगा।
मैंने उसका डर दूर किया- नहीं छोटी.. कुछ नहीं होगा.. मैं तुझे गोली ला दूँगा.. फिर तुझे कुछ नहीं होगा.. दर्द भी नहीं होगा और बच्चा भी नहीं.. ओके?
उसने ‘हाँ’ में जवाब दिया। उसके बाद वो उठी और अपने आपको साफ किया और हम दोनों सो गए।
उसके बाद हम रोज़ चुदाई करने लगे और मज़े लेने लगे।
अब मेरी जॉब लग गई और मैं घर नहीं जा पाता.. पर जब भी मैं घर जाता हूँ.. तो अपनी छोटी बहन को मौका देख के मज़ा दे कर आता हूँ।

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चाची और भतीजे की मस्ती

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Thursday, January 21, 2016

मैं हूँ आप की नेहा रानी और आज मैं आप के लिए अपनी एक और चुदाई की  कहानी ले कर आयी हूँ

 मैं और मेरे पति एक शादी मैं जबलपुर गए हुए थे वहाँ हमारे रुकने का इंतज़ाम एक होटल मैं किया हुआ था और दूल्हा और उस के जीजा भी हमारे  मैं रुके थे

संगीत के दिन मैं ने रानी कलर की साड़ी साड़ी और एक लो कट का बैकलेस ब्लाउज पहना था पार्टी के सभी मर्दों की निगाहें मेरी और ही घूम रही थी दूल्हे के जीजा मुझ मैं काफी  रूची ले रहे थे जहां मैं जाती  वह थोड़ी देर बाद मेरे  पीछे चले आते उन की हरकतें देख कर मेरी चूत मैं पानी आ रहा था

जब संगीत पूरी ज़ोर पर था तभी उन्होंने अचानक मेरे हाथ मैं एक पर्ची पकड़ा दी. मैं ने सब की नजरें बचा कर पर्ची  को खोला तो उस पर "कमरा नंबर ३०२ " लिखा था. मैं ने आँख उठा कर देख तो वह मुझे ही देख रहे थे और मेरे को देखते हुए उन्होंने आँख मार कर इशारा कर दिया मेरा भी अब तक मस्ती लेने का मूड बन चूका था मैं सब की नज़रों से बचती हुयी तीसरी मंजिल पर कमरा नंबर ३०२ की तरफ चल दी

कमरे के दरवाजे पर आ कर मैं एक बार हिचकिचा ही रही थी तभी अरुण वहाँ आ गए और मुझे हाथ पकड़ कर कमरे के अंदर ले लिया मैं अचानक ही एक गैर मर्द की बाहों मैं थी वैसे ऐसा नहीं है की यह पहली बार हो रहा था मैं शादी से पहले और शादी के बाद कई लण्डों का स्वाद चख चुकी थी मगर यह सब अचानक और बहुत तेज़ी से हो रहा था

अरुण ने  से बाल हटा कर मुझे चूमना चालू कर दिया और मैं उन की चौड़ी छाती मैं समाती जा रही थी

कमरे मैं एक डबल बेड था जिस पर कपडे ही कपडे फैले हुए थे अरुण जी ने मुझे सोफे की तरफ को लिया और मेरा छोटा सा ब्लाउज पीछे से खोल डाला
उस दिन मेरी ब्रा भी खूब छोटी थी इस लिए ब्लाउज के हट्टे ही मेरे दूधिया वक्ष लगभग खुले जैसे हो गए और अरुण उन पर टूट पड़े मैं होल होल अरुण की पेन्ट  मैं बंद उन के औज़ार  सहला रही कर यह ज़ाहिर कर रही थी की मुझे भी उन की उतनी ही जरूरत महसूस हो रही थी जितनी उन को मेरी

इस सब मैं  मुझे पता ही नहीं चला मेरी साड़ी कब उतार दी गयी थी मुझे तो होश तब आया जब अरुण ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उस को नीचे गिर जाने दिया और मैं ब्रा और पेंटी मैं उन के सामने थी

मेरे इस रूप को देख कर कई मर्द पागल हो चुके थे और अरुण पर भी वही असर हुआ उन्होंने मुझे अपनी बलिष्ठ बाहों मैं उठा कर सोफे पर लिटा दिया फिर पेंटी नीचे खिसका कर चूत के दर्शन किये  आज सुबह ही सफा चाट की गयी मेरी चूत के छेद मैं रस की बूँदें निकल रही थी

अरुण जी ने निकलते हुए रास को अपनी उंगली पर लिया और चाट डाला

"वाह क्या टेस्ट है जाने मन " उन के मुंह से निकला

अरुण बिलकुल डेरी नहीं करना चाहते थे इस लिए उन्होंने अपनी पेन्ट और चड्डी निकाली और मेरी जाँघों को फैलाते हुए उस के बीच बैठ गए फिर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरी टाँगे कंधे पर रखते हुए अपने हथियार को मेरी छूट की छेड़ पर सटाया और एक धक्का दे डाला

चूत पूरी गीली थी और खिलाड़ी एक्सपर्ट था इस लिए उन का पूरा ९ इंच मेरे अंदर घुस गया फिर तो बस दे दना दान स्टार्ट हो गया

फच फच। ..उम उम बस ऐसी ही आवाजें आ रही थी

करीब मिनट छोड़ने ने बाद मैं ने देखा उन्होंने अपने मोबाइल से एक नंबर डायल किया और फिर से धक्के देने लगे मेरे ऊपर मस्ती इस तरह छाई हुयी थी कि मैं ने सोचा ही नहीं अरुण के कॉल लगाई थी या उन को कॉल आयी थी , बाद मैं पता चला उन्होंने कॉल लगाई थी

मुझे झड़ने मैं देर नहीं लगी मगर जैसा होता है मर्द के फारिग होने तक चुदाई चलती ही है इस लिए अरुण तेजी से चोदते , शायद उन्हें ध्यान ही नहीं था की मैं पूरी तरह झड़ चुकी थी , क्यों की मेरा उन के साथ पहली बार था इस लिए मैं झड़ने के बाद भी पूरा सहयोग देती रही

तभी दरवाजे की घंटी बजी , अरुण रुके और लंड बहार खींच लिया और नंगे ही दरवाजे की तरफ जाने लगे और मैं ने देखा चलते चलते उन्होंने मेरे कपडे जो कालीन पर पड़े थे उन्हें मुझ से और दूर कर दिया , मुझे यह उम्मीद नहीं थी की वह इस हालत मैं दरवाजा खोलेंगे इस लिए मैं बे अपने आप को ढंकने की कोई कोशिश नहीं की मुझे लगा वह बंद दरवाजे से ही बात करके वापिस आप कर चुदाई जारी करेँगे क्यों की उन का लंड अभी पूरा तन हुआ था

मगर ऐसा नहीं हुआ

अरुण ने दरवाजा हल्का सा खोला और एक दम से दो लोग अंदर आ गए

ओह यह तो होने वाला दूल्हा और उस का छोटा भाई था

अब मैं ने कपडे उठाने की कोशिश की मगर कपडे दूर थे इस लिए हाथों से ही अपना नंगापन ढांकने की कोशिश कर रही थी

"क्या जीजू ? थोड़ी देर भी नहीं रुका गया ? अकेले ही शुरू हो गए

"यार अभी तेज भट्टी है" थोड़ा ठंडा न करता तो तुम दोनों के लँड जल जाते सालो , देखो अभी मैं ने माल भी नहीं गिर्राया है

ओह्ह माँ " यह मैं कहाँ फंस गयी मेरे तो होश ही उड़ गए

थैंक यू जीजू आप ग्रेट हो ऐसे ही चिड़िया फाँसते रहो और हम मिल कर शिकार करते रहेंगे