Monday, March 12, 2018

"शादी से पहले

मेरा नाम एरिका सिंह है, और मैं कल रात से बहुत परेशान हूँ। इतनी ज़्यादा परेशान के दिल कर रहा है कि ख़ुदकुशी कर लूँ, मगर ख़ुदकुशी कमजोर लोगों का विकल्प होता है, और मैं कमजोर नहीं हूँ। मैं अपनी ज़िंदगी में आई अपनी सबसे बड़ी मुसीबत का डट कर मुक़ाबला करूंगी।
अब आपको बताती हूँ कि मेरी समस्या क्या है।
कल रात मेरी एक सहेली की शादी थी और मैं अपनी दो और सहेलियों के साथ उसकी शादी में गई थी खूब सज धज कर तैयार हो कर!
मेरी शादी को अभी अभी एक साल ही हुआ है। मेरी उम्र इस वक़्त 24 साल है, एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी जॉब पर हूँ, पति भी बहुत अच्छी जॉब पर हैं, मगर उनकी जॉब टूरिंग है, अक्सर शहर से बाहर जाते रहते हैं। कल भी वो दो दिन के लिए शहर से बाहर थे, तो मैंने अपनी मम्मी से कहा कि वो एक दो दिन के लिए मेरे पास आ जाएँ, क्योंकि मैं घर पे अकेली थी, और अकेले मुझे बहुत डर लगता है।
मैं शाम को करीब 6 बजे तैयार हो कर अपनी सहेलियों के साथ शादी में चली गई और मम्मी से कह गई के मैं सुबह डोली के बाद ही आऊँगी।
शादी में पहुँच कर हमने बहुत मस्ती की, दो टकीला शॉट मैंने भी मारे। नशा, जवानी, खूबसूरती, पैसा, प्यार क्या नहीं था मेरे पास... सबने मिल कर मुझे पूरा मदमस्त बना दिया।
हम सब सहेलियों की तो हंसी ही नहीं बंद हो रही थी, पता नहीं किस बात पर हंस रही थी। डीजे पर हम सब खूब नाची, खूब खाया पिया। मगर पता नहीं क्यों, रात के दस बजे के करीब मेरा पेट खराब होने लगा, पेट में मरोड़, गैस और खट्टे डकार।
धीरे धीरे मेरी हालत और खराब होने लगी। फिर तो मुझसे न कुछ खाया जाए न पिया जाए।
मैं और मेरी एक सहेली एक केमिस्ट की दूकान खोज कर उसके पास गए, उसने गैस, एसिडिटी की दवा दी, मैंने खा ली मगर आराम फिर भी नहीं आया।
रात साढ़े 11 बजे के करीब मुझे लगा जैसे मुझे उल्टी आएगी। मैं बाथरूम में गई, 10 मिनट बाथरूम में बैठी रही, फिर बड़े ज़ोर की उल्टी आई, सारा खाया पिया निकल गया, आँखों से आँसू निकल कर सारे चेहरे पर फैल गए और मेरा सारा मेक अप बिगड़ गया, सारा काजल फैल गया, चेहरे का रूज़, ब्लशर सब उतर गया।
मैंने शीशे में अपना चेहरा देखा, बाल बिखरे हुये, सारे चेहरे पर पसीने और आंसुओं के दाग। मेरी एक सहेली जो बहुत ही बिंदास बोलती है, मुझे देख कर बोली- एरी, तू तो ऐसे लग रही है, जैसे किसी तुझे बड़ी तबीयत से ठोका हो, और वो भी पीछे से गांड में!
मैं मुस्कुरा दी- अरे यार, यहाँ फटी पड़ी है, और तुझे बातें बनानी आ रही है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है, चल मुझे घर छोड़ कर आ!
मेरी तबीयत बिगड़ने से उस का भी मन नहीं लग रहा था तो हम दोनों शादी से वापिस आ गईं। उसने मुझे मेरी सोसाइटी के नीचे छोड़ा और चली गई।
मैं लिफ्ट से ऊपर आई, और अपने फ्लैट की डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला। अंदर गई तो देखा कि टेबल पर दो गिलास, शराब की बोतल, पानी, सोडा, नमकीन, खाना, सिगरेट सब कुछ बिखरा हुआ पड़ा था।
मुझे बड़ी हैरानी हुयी कि ये सब किसने किया, कौन आया था यहाँ पर, विरेन तो बाहर हैं, फिर घर में पार्टी किसने की।
घर की सभी बत्तियाँ जल रही थी।
मेरे मन में 100 किस्म के विचार आ रहे थे, एक बार ये भी सोचा कि हो सकता है कि विरेन वापिस आ गए हों। पर अगर वापिस आते तो मुझे फोन तो करते। किसी अंजान आशंका से डरते हुये धड़कते हुये दिल से मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ी। दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, और अंदर धीमी रोशनी जल रही थी।
अंदर का नज़ारा देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
पीछे से ही मैंने पहचान लिया, ये तो विरेन हैं। ये कब वापिस आए और ये औरत उनके नीचे कौन है, जिस से वो सेक्स कर रहे हैं। मैंने अपने सेंडल उतारे और दबे पाँव अंदर चली गई, विरेन अपना पूरा लगा रहे थे और वो दोनों चुदाई में पूरे मस्त थे।
मैंने एक दम से बड़ी लाइट जलाई।
जितना उन दोनों को देख कर मैं हैरान हुई, उस से ज़्यादा वो दोनों मुझे देख कर हैरान हो गए।
मेरे तो गुस्से की कोई सीमा ही नहीं रही, मैंने चीख कर कहा- विरेन, तुम ये क्या कर रहे हो? और माँ तुम?
मैं अपना सर पकड़ कर नीचे बैठ गई।
विरेन उठे और उठ कर अपना गाउन पहनने लगे। माँ ने पास पड़ी एक चादर उठा कर ओढ़ ली।
उसके बाद माँ तो कुछ नहीं बोली, मगर विरेन ने मुझे बहुत कुछ समझाने की नाकाम कोशिश की।
मेरा तो रो रो कर बुरा हाल था। मैं न उन दोनों से बोल रही थी, न उनकी बात सुन रही थी। गुस्से और दुख से भरी मैं उन दोनों को वहीं छोड़ कर दूसरे कमरे में आ गई, रूम अंदर से बंद किया, और खूब रोई, खूब रोई।
मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे पति मेरी ही माँ से सेक्स कर सकते हैं, और मेरी माँ, उन्होंने तो आज तक कभी ऐसी गंदी हरकत नहीं की थी, किसी भी मर्द को अपने पास नहीं फटकने दिया, मैं उनको बचपन से देख रही थी।
रोते रोते ना जाने मुझे कब नींद आ गई।
सुबह उठी तो मेरा सर बहुत बुरी तरह से दुख रहा था। मैं उठ कर किचन में गई, माँ चाय बना रही थी। वो मुझ से नजर नहीं मिला पाई, पर चाय बना कर एक कप मुझे दिया।
वो जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया- कब से चल रहा था ये सब?
मैंने उन्हें माँ कहना भी ठीक नहीं समझा।
वो बोली- तेरी शादी से पहले से!
मैं तो सुन कर हैरान ही रह गई। मतलब विरेन और माँ का ये नाजायज रिश्ता मेरी शादी से पहले का है।
विरेन तो घर पर थे नहीं तो मैंने माँ से ही सब कुछ जानना चाहा।
"शादी से पहले कब से?" मैंने पूछा।
माँ बोली- जब मैंने तुम दोनों को उस दिन गलत हालत में पकड़ लिया था, उसके बाद से!
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन ही निकल गई, मैं फिर फर्श पर ही बैठ गई, और फिर से फूट फूट कर रोने लगी, माँ मुझे चुप करवाने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस सब के लिए मैं अपनी माँ को दोष दूँ, या अपने पति को।
ये थी एक सच्ची घटना, अब पढ़िये इस कहानी का विस्तृत वर्णन पूरे मसाले के साथ, यानि के एक्स्टेंडेड वरशन विद एक्सट्रा चीज़ एंड स्पाइसेज़

रितिका

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धांसू चुदाई

ओ मम्मी, मर गयी रे... ओ... आह... और जोर से... ए रिया कामिनी, मार डाला रे इस कुत्ते ने... ओ माय गॉड... आआह हहहःहः उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊउफ्फ फ्फ्फ मार डाला हरामी!
दो कमसिन लड़कियां और पांच वर्दी वाले मुश्टण्डे... खुले आसमान के नीचे... हरे खेतों में... एक दूसरे की जवानी निचोड़ रहे थे!
हाय दोस्तो, मैं निकिता फिर से एक बार आप सबको मेरी  की कहानी सुनाने आयी हूँ. मेरी पिछली कहानियों में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने और रिया ने हरदम धकापेल सामूहिक सेक्स का लुत्फ़ उठाया।
मेरी सारी कहानियां पढ़ कर मुझे दो हजार से ऊपर फैन मेल्स आये. मैं आप सब की तहे दिल (या तहे चूत) शुक्रगुजार हूँ. अब की बार कहानी के लिए कुछ ज्यादा ही इंतजार करवाया आपको तो आप सबकी तहे दिल से माफ़ी मांगती हूँ.
बात पिछले साल की सर्दियों की है. आप तो जानते हैं कि दिसंबर में दिल्ली की सर्दियां कैसी रहती हैं? ऐसे ही एक शाम को हम दोनों सहेलियां घर पे बैठी बैठी उकता गयी थी. पीटर भी अपने प्रोजेक्ट में व्यस्त होने की वजह से पिछले तीन हफ्ते से मिला नहीं था. ठण्ड की वजह से हम दोनों भी चुपचाप घर में ही बैठी रहती थी. ऑफिस के बाद दारु पीना और लेस्बियन सेक्स करना इतना ही काम बचा था हमारे पास.
मगर आज तो वो भी मन नहीं कर रहा था.
टी.वी. पे कुछ बकवास सी मूवी देख कर हम दोनों ही बोर हो गयी. कुछ देर बाद मैंने रिमोट से टी.वी. बंद किया। दो कुर्सियां उठा कर मैं उन्हें टेरेस पे रख आयी. रिया के चेहरे पे सवालिया निशान आये.
मैंने बोतल उठाई और रिया का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे टेरेस पे ले गयी. टेरेस पे जाते ही रिया ने मुँह सा बनाया और कहा- निक्की, यहाँ बैठेंगे तो दो मिनट में हमारी कुल्फी बन जाएगी चल अंदर ही ठीक है.
मैंने उसे साफ़ मना किया और हंस कर कहा- अच्छा है, अगर तेरी कुल्फी बन गयी तो कम से कम डिलडो की तरह काम तो करेगी। आज बहुत ठरक चढ़ी है यार, और ये पीटर भी हरामी पता नहीं कहां मर गया है.
रिया हंसी, मेरे पास आकर उसने मेरे होंठ चूमे और कहा- कमीनी, तू तो दिन ब दिन रंडी बनती जा रही है. आज कौन सी खुराफात चल रही तेरे दिमाग में? और वैसे भी इस कड़कती सर्दी में तू यहाँ टेरेस पे कपड़े उतार के नंगी भी हो गयी ना तो कोई तुझे देखने नहीं आने वाला।
इतना बोल कर उनसे मेरे हाथ से बोतल खींच ली और एक तगड़ा सा घूंट भरा. उसे देख कर मैंने भी एक घूंट भरा. शराब पूरा जलाती हुई पेट में उतर गयी. सही में सर्दी खूब ज्यादा थी. जैसे तैसे दस मिनट टेरेस में बैठ कर हम दोनों वापिस अंदर आयी.
कुछ ही देर में दारु और अंदर के तापमान ने फिर से हमारे बदन में गर्मी आयी तो मुझे शरारत सूझी। मैंने हल्के से रिया को जकड़ा और उसके कान की की लौ के पीछे अपने होंठ रख दिए. ये रिया का वीक पॉइंट था. जैसे जैसे में होंठ घूमती गयी वैसे वैसे रिया गर्म होती गयी. धीरे धीरे मेरे होंठ उसकी गर्दन पे आ गए. रिया के मुँह से अब आहें निकलनी शुरू हुई, उसके हाथ मेरी जाँघों पे चले गए. धीरे धीरे हम दोनों के बदन से गर्म कपड़े निकलते गए. होटों से होंठ मिले और फिर एक जलजला सा आया. हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरी को किस करने लगी, एक दूसरी का बदन रगड़ने लगी, एक दूसरी की साकी बन कर पिलाने लगी.
मैंने रिया के मम्मे हल्के से दबाए तो उसके मुंह से एक सेक्सी आह निकल गयी. मैंने उसके निप्पल चुटकियों में पकड़े और एकदम से मरोड़ दिए. रिया के मुँह से एक हल्की चीख निकल आयी. मैंने देखा कि अब वो काफी गर्म हो उठी थी. पानी तो मेरी भी चुत से निकल रहा था, पूरे कमरे में हमारे बदन से निकले हुए गर्म कपड़े बिखरे पड़े थे. हमारे बदन अब किसी सुलगती भट्टी की तरह दहक रहे थे. नशा सर चढ़के बोल रहा था. अब हम दोनों के बदन पे सिर्फ छोटे सी बेबीडॉल नाइटी रह गयी थी.
मैंने खड़ी होकर रिया को अपनी तरफ खींचा और लगभग धकेलते हुए वापिस उसे टेरेस पे ले गयी. बाहर कदम रखते ही ठण्ड की वजह से पूरे बदन के रोयें खड़े हो गए. इससे पहले कि रिया कुछ कहे, मैंने फिर से अपने होंठ उसके होटों पे रख दिए. हम दो पागल लड़कियाँ उस कड़ाके की सर्दी में, अधनंगी हो कर, दुनिया से बेखबर, एक दूसरे को चूम रही थी. मैं एक पल के लिए उससे अलग हुई और मैंने अपनी नाइटी हटा दी.
मुझे इस तरह देख कर रिया की आँखे चौड़ी हो गयी मगर अगले ही पल मैंने उसकी भी नाइटी खींच कर उतार दी.
मुझे अपने आगोश में लेते हुए रिया ने कहा- पागल हो गयी है तू निक्की। इस तरफ रात को हम दोनों टेरेस पे अल्फ नंगी खड़ी है कोई देखेगा तो क्या कहेगा?
मैंने कहा- जिसे देखना है वो देखे। मुझे तो तुम अपना काम करने दो!
इतना कह कर मैंने अपनी एक उंगली रिया के चुत में सरका दी. रिया चिहुंक उठी. अपने आप उसके होंठ मेरे होंठों से जुड़ गए. साथ ही साथ उसकी भी एक उंगली मेरी चुत में घुस गयी. अब हम दोनों वहशी जानवरों की तरह एक दूसरी को उंगली से चोदने लगी. एक दूसरी के निप्पल काट खाने लगी, होटों को काटने लगी. और कुछ ही देर में दोनों ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया।
जैसे होश आया, रिया ने मेरा हाथ थामा और मुझे घर के अंदर ले आयी. अंदर आते ही रिया ने मुझे सोफे पे धकेल दिया। टेबल से बोतल उठा कर एक लंबा सा घूंट भरा और मुझे बोतल पकड़ाती हुई वो बोली- कमीनी, आग लगा दी ना? अब देखना तुझे सोने नहीं दूँगी। तूने आग लगाई है अब तू ही बुझाएगी!
मैंने भी एक बड़ा घूंट भरा और कहा- हां मेरी जान, मैंने आग लगाई तो मैं ही बुझाऊँगी। सिर्फ तुझे मेरा साथ देना पड़ेगा।
रिया ने पलट कर कहा- मैंने तो हमेशा तेरा साथ दिया है कमीनी, आज भी दूँगी।
उसके इतना कहते ही मेरे चहरे पे एक कमीनी हंसी छा गयी. रिया मेरे हावभाव ताड़ गयी.- क्या इरादा है तेरा?
उसने पूछा तो मैंने एक घूंट दारु पी कर कहा- चल आज कुछ करते है. कपड़े पहन. बाहर चलेंगे। और हां, कपड़े इतने ही पहनना कि बस निप्पल और चुत ढक जाए, समझी?
रिया ने उल्टा सवाल दागा- पागल है? रात के 11 बज रहे हैं. धुंध की वजह से गाड़ी भी नहीं चला पाएंगे। सारा कुछ बंद रहेगा। आखिर चाहती क्या है तू?
मैंने कहा- तू सोच मत, बस चली चल. जहा नसीब ले जायेगा, वहां चलेंगे।
दो मिनट के बाद हम दोनों अपनी कार में बैठी थी. मैंने और रिया ने घुटने तक लम्बे वाले हाय हील बूट पहने थे. रिया ने रॅप ऑन स्कर्ट पहने था जो उसके घुटनों तक ही था और ऊपर जैकेट था. उसके अंदर उसने पतली सी डोरियों वाली रेसरबैक ब्रा पहनी थी. मैंने सफ़ेद मिनी स्कर्ट के ऊपर सफ़ेद पुशअप ब्रा पहनी थी और उसके ऊपर एक हाल्टर नेक जैकेट पहना था.
हम दोनों ने स्कर्ट के नीचे सेक्सी सी थॉन्ग पैंटी पहनी थी. कुल मिला कर हम दोनों बिगड़ी हुई रईसजादियां लग रही थी.
मैंने व्हिस्की की दो बोतलें गाड़ी में रख ली और हम अपने अनजान सफर पे निकल पड़ी.
धुन्ध की वजह से गाड़ी सम्भल कर चलानी पड़ रही थी. रास्ते में बिल्कुल ट्रैफिक नहीं था. कुछ ही देर में हम यमुना एक्सप्रेसवे पहुँच गयी. जैसे ही यहाँ पहुंची तो रिया की बड़बड़ चालू हुई- ये कहा सुनसान जगह पे ले आई तू कम्बख्त? मुझे लगा किसी पब पे ले चलेगी। अब क्या आगरा जा कर इतनी रात में ताज महल दिखाएगी? कामिनी, तेरे चक्कर में रात ख़राब हुई. पहले पता होता तो मैं बिल्कुल नहीं आती.
तभी मुझे अपने पीछे पुलिस की गाड़ी होने का अहसास हुआ. मैंने बगल में पड़ी बोतल से तगड़ा घूंट भरा और रिया को चुटकी काट कर कहा- रियु, अब देख मैं तुझे कुतुबमीनार के दर्शन करवा देती हूँ.
इतना कह कर मैंने कार की स्पीड बढ़ा दी. जाहिर था कि हमारी स्पीड की वजह से पुलिस की गाड़ी हमारे पीछे लग गयी.
रिया थोड़ी सी डर गयी- निक्की, साइड पे रोक दे. लेने के देने ना पड़ जायें यार. हम दोनों ने पी हुई है. ये साले तंग करेंगे। रुक जा मेरी माँ!
मगर मैंने उसकी बातों को नजरअंदाज किया और करीब दो किलोमीटर तक वैसे ही गाड़ी भगाती गयी. जब पुलिस की गाड़ी हमारे बराबर आयी और उन्होंने हमें रुकने का इशारा किया तो मैंने धीरे धीरे कार साइड में रोक दी.
शायद उन सब ने धुंधले उजाले में हम दोनों का रूप देख लिया होगा तो जैसे गाड़ी रुकी तो सारे के सारे पुलिसिये कूदकर भागते हुए हमारे पास आए. आते ही उन में से एक ने बोनेट पे डंडा मार कर कहा- मैडम, लाइसेंस दिखाओ।
मैंने लाइसेंस दिखाया।
मगर उसकी नज़रे लाइसेंस पे कम और मेरे उठे हुए मम्मों पे ज्यादा थी और दूसरे लोग बारी बारी से मेरे और रिया के बदन का दीदार कर रहे थे.
लाइसेंस को देखने का बहाना करके उसने अगला आदेश दिया- बाहर आइये। आप शायद पी हुई है. चेक करना पड़ेगा।
हम दोनों बाहर निकल आयी.
उनका एक साथी ब्रीथ अनलाइज़िंग मशीन ले आया. जैसे ही उसने वो मशीन आगे करी मैंने गंदा सा मुँह बनाया और कहा- पता नहीं कितने लोगों के मुँह लगा होगा ये. मुझे नहीं लेना। जो सीनियर था, उसने डपटा- चेक तो करना पड़ेगा मैडम। सरकार हमें हर आदमी के लिए अलग मशीन नहीं देती।
अब तक मैं देख चुकी थी कि पांचों हट्टे कट्टे जवान थे. सब की भूखी निगाहें हम दोनों जवान लड़कियों के सेक्सी बदन को ताड़ रही थी. रिया भी अब तक शायद मेरा प्लान समझ गयी थी क्योंकि उसके चहरे पे एक कमीनी सी मुस्कान छा गयी थी.
मैंने उस सीनियर के आंखों में देखा और एक कातिल अदा से कहा- आपको करना है तो आप खुद कीजिये मगर मैं ये मशीन नहीं लगाने वाली।
वो भी ढीठ बन कर आगे आया, नजदीक आ कर उसने मुझे मुँह खोलने को कहा तो मैंने भी अपना मुँह खोल दिया। उस की गर्म साँसें मुझे महसूस हुई. जैसे ही मैंने अपनी आँखें बंद की, वो गुर्राया- आप ने तो बहुत पी रखी है. आप गाड़ी कैसे चला सकती हैं? ए जगत, वो दूसरी लड़की को देखना तो!
जगत नाम का पुलिसिया लपक कर रिया के पास आया तो रिया ने खुद ही मुँह खोल दिया। दो पल उसकी सुंदरता देख कर जगत ने ऐलान कर दिया- ये लड़की भी बहोत पी हुई है जनाब!
तब तक एक बन्दे को हमारी पिछली सीट पे पड़ी हुई बोतलें दिख गयी तो और बवाल मच गया. सीनियर, जिसका नाम सिराजुद्दीन था उसने कहा कि हमें पुलिस थाना चलना पड़ेगा।
अब हम दोनों सिराज के सामने गिड़गिड़ाने लगी- सर, पुलिस थाना जाकर क्या करेंगे... जो भी है यही सुलझा लीजिए प्लीज। अगर थाने में गई तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगी। प्लीज सर... प्लीज!
वैगरह वैगरह!
काफी देर बाद उसने हमें चुप रहने के लिए बोला। फिर उसका और उसके साथियों का नजरों में ही कुछ इशारा हुआ. तो वो बाकी चार पुलिसिए अपनी गाड़ी के पास गए.
फिर सिराज बोला- देखो, मैं अकेला नहीं तय कर सकता कि आपको छोड़ देना है या नहीं। अगर किसी ने कंप्लेंट मार दी तो मेरी तो नौकरी गयी.
अब तो हम दोनों उससे बिल्कुल सट गयी और फिर से गिड़गिड़ाने लगी- सर, आप जो कुछ बोलो वो हम करेंगी मगर थाने नहीं जाना है सर!
दो हॉट सी लड़किया चिपकने के बाद कौन नहीं पिघलेगा?
और वैसे ही हुआ.
हमारे मम्मों की तरफ घूर कर देखते हुए उसने कहा- पैसे तो नहीं चाहिए हमें। बाकी तो आप समझ गयी होंगी।
मैंने भी पागलों की तरह शक्ल बनाई और कहा- मतलब?
तभी रिया ने मुझे करीब खींचा और ऐसे दिखाया कि कुछ कानाफूसी कर रही है. मगर असल में उसने धीरे से कहा- कमीनी, क्या खेल खेला है तूने। अब ठुकवा ले इन सबसे!
और हम धीरे से हंस पड़ी.
सिराज को दिखाने के लिए मैंने अपनी आँखे चौड़ी कर ली और कहा- सर, और कुछ रास्ता नहीं है? आप पांच हो और हम दो लड़कियाँ!
सिराज ने कमीनी हंसी के साथ कहा- तुम कोई सती सावित्री तो नहीं लग रही. तो अब क्यों परहेज है?
अब तो सब क्लियर था. हमें जो चाहिए वो हमें मिलने वाला था और ये पांच पुलिसिये आज जन्नत की सैर करने वाले थे.
आगे पुलिस की गाड़ी और पीछे हमारी गाड़ी, ऐसे हम चल पड़े. सिराज हमारी गाड़ी में ही बैठ गया. करीब दस मिनट चलने के बाद पुलिस की गाड़ी रास्ता छोड़ कर कच्चे रास्ते पे मुड़ गयी. हम उनके पीछे ही थे. अब तक सिराज ने हमारी ही बोतल लेकर घूंट भरना शुरू किया था. बीच बीच में कुछ मजाकिया बातें करके वो मेरे बदन को भी छू रहा था. मुड़ कर पीछे बैठी रिया के मम्मों का भी दीदार कर रहा था.
एक सुनसान जगह पे दोनों गाड़ियां रुक गयी. शायद कोई बड़ा सा खेत था. जैसे गाड़ी रुकी, सिराज ने बोतल मुझे थमा दी, मैंने एक घूंट भरा और अपना मुँह उसकी तरफ किया। वो मतलब समझ गया और उसने अपने होंठ मेरे होटों से जोड़ दिए. धीरे धीरे करके मैंने अपने मुंह की थोड़ी दारु उसके मुंह में धकेल दी.
गाड़ी के बाहर खड़े उसके लोगों ने देख लिया तो वो अपने आप ही अपना लंड पैंट के ऊपर से ही रगड़ने लगे.
जैसे हम बाहर निकले, तो रिया ने झट से आगे आकर मेरे होंठ चूमना चालू किया। सभी बन्दों को इतनी ठरक चढ़ी कि हमारी बोतलें खोल कर पीते हुए उन्होंने हम दोनों को अलग किया।
मैं सिराज और एक और के हाथ लग गयी तो बाकी तीन ने रिया को घेर लिया।
किसी ने तब तक कुछ अलाव जैसी आग जलाई और खेतों में ही कुछ बड़ा सा घास फूस बिछा दिया। सिराज ने मुझे आगोश में लिया और वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगा. दूसरा बंदा मेरे पीछे से मुझे चिपक गया था और जहां छू सकता था वहाँ वो मुँह मार रहा था.
उधर रिया और बाकी तीनों के कपड़े निकल गए थे. पैरों के बूट छोड़ कर रिया के बदन पे कोई कपड़ा नहीं था. रिया का बदन आग के प्रकाश में चमक रहा था. दो लोग उसके मम्मों पे पीले पड़े थे तो एक उसके होंठ चूस रहा था.
इधर सिराज ने मेरे चहरे पे चुम्बनों की झड़ी लगा दी, इतनी कि उसके थूक से मेरा पूरा चेहरा गीला हो गया. खुले आसमान के नीचे आग की तपिश के सहारे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी. अगले कुछ पलों में मेरे भी कपड़े निकल गए. एक एक कर के सभी पुलिस वालों ने अपने कपड़े निकाल लिए. मैंने देखा कि सभी का भरा हुआ कसरती बदन था. सबके लंड बहुत ही अच्छे खासे थे. इधर जैसे सिराज ने कपड़े निकले तो मेरी आँखें अपने आप बड़ी हुई. खता हुआ लंड मैं जिंदगी में पहली बार देख रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैं खुदबखुद नीचे बैठ के उसके लंड को प्यार करने लगी. उस के ऊपर हाथ फेरने लगी.
तभी मुझे रिया की घुटी घुटी चीख सुनाई दी. मैंने पलट कर देखा कि दो लोगों ने आगे पीछे से एक साथ उसको चोदना चालू किया था और एक लंड उसके मुँह में था. यह देख कर मैंने तपाक से सिराज का लंड अपने मुँह में लिया और जी जान लगा कर उसे चूसने लगी.
सिराज के मुँह से आवाजें निकलने लगी, उसके दूसरे साथी ने मेरी चुत में उंगली डाली और मेरे एक निप्पल की वो भँभोड़ने लगा. करीब 7-8 मिनट मैंने सिराज का लंड चूसा तो उसने जबरदस्ती अपना हथियार मेरे मुँह से दूर किया और कहा- हमारे दोस्त को भी कुछ मजा दो, साला मारा जा रहा है.
तो मैंने उस दूसरे बन्दे को लंड से ही पकड़ कर करीब खींचा और उसे अपने मुँह में ले लिया। तब तक सिराज घूम कर मेरे पीछे आया. नीचे झुक कर उसने मेरे चूतड़ उठाये और बिना किसी वार्निंग अपना मोटा लंड पीछे से मेरी चुत में ठोक दिया। पल भर के लिए मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मुझे चीर दिया है. मुँह में लंड होने की वजह से मैं चीख भी नहीं पायी। तब तक सिराज ने दूसरा धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी चुत में घुस गया.
सिराज के उस धक्के से मैं तो आगे गिरने को हुई मगर आगे दूसरा था, जिसका लंड मेरे गले में अंदर तक घुस गया. तभी सिराज ने एक और करारा धक्का मारा तो उसका लंड जड़ तक घुस गया और तभी मैंने सामने वाले का लंड मुँह से निकाला और चीख पड़ी- ओ मम्मी, मर गयी रे... ओ... आह... और जोर से... ए रिया कमीनी, मार डाला रे इस कुत्ते ने... ओ माय गॉड... आआह हहहःहः उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊउफ्फ फ्फ्फ मार डाला हरामी!
उधर से रिया भी चीखी- मैं भी गयी रे निक्की! अहाहा हहाहय ऊऊहयहा… मेरी जान… और ज़ोर से चोदो मुझे… और ज़ोर से… फक मी… फक मी! फाड़ दे आज मेरी चूत को… अहह्ह हाह… जोर से चोद… साले दम नहीं है क्या! अहह्ह मेरे राजा, मैं झड़ने वाली हूँ!
हवस का नंगा नाच शुरू था, सिराज बड़ी तबियत से मुझे चोद रहा था. मेरे सामने वाला तो कब का मेरे मुँह में झड़ कर बाजू में बैठा था मगर सिराज मुझे कस कर चोदे जा रहा था. उसके लम्बे हाथ मेरे मम्मों को निचोड़ रहे थे. चोदने के दौरान वो मेरे चूतड़ों को भी बेरहमी से बजा रहा था. उसके हर धक्के पे मेरे मुँह से हल्की चीख निकल रही थी. झुक कर खड़े खड़े मेरी टाँगें जवाब दे रही थी.
सिराज ने शायद ये भांप लिया तो उसने अपना लंड बाहर खींचा और मुझे नीचे पड़ी बिछावन पे पीठ के बल सुला दिया, अगले ही पल मेरी टांगों के बीच घुसकर उठने अपना लंड फिर से मेरी चुत के अंदर कर दिया।
अब उसने इतना तेज ठोकना चालू किया कि मुझे सांस लेनेमें भी दिक्कत होने लगी. मगर मुझे अब इसकी वहशी चुदाई में मजा आ रहा था. मैंने गर्दन मोड़के देखा, उधर रिया शायद तीसरे लड़के से ठुकवा रही थी. उसने एक किसी छोटे पेड़ को पकड़ा था और वो लड़का उसे डॉगी स्टाइल में लगा हुआ था.
अब मैं सिराज के हर धक्के को चूतड़ उठा उठा कर साथ देने लगी. उतनी सर्दी में मेरा जिस्म पसीना पसीना हुआ था. तभी किसी ने मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया। मैंने देखा जो कुछ देर पहले मेरे मुँह में खली हुआ था वो फिर से जिन्दा हो गया था. मैंने उसका लंड पकड़ कर ऊपर नीचे करना चालू किया।
इधर सिराज मुझे बेतहाशा रौंद रहा था. पता नहीं क्या खा कर आया था कि छूटने का नाम नहीं ले रहा था. कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी चुत से निकाला और बिना कुछ कहे मुझे घुटने पे होने का इशारा किया।
मैं भी तुरंत घुटनों पे हो गयी, उसने अपनी तीन उंगलियाँ सीधी मेरे चुत में घुसेड़ी और मेरी गीली चुत का मर्दन करने लगा. मेरे मुँह से सिसकारियां छूटने लगी. कुछ देर उसने अपनी उंगलियों से मेरी चुदाई की तो मेरा संयम ख़त्म हुआ और मैं भरभरा कर झड़ गयी. बस तभी सिराज ने वो सारा पानी हाथ में लेकर अपना हाथ मेरे गांड के छेद में डालना शुरू किया।
आगे आने वाले संकट को लेकर मैं सचेत हो गयी.
इधर सिराज के दोस्त ने अपना लंड फिर से मेरे मुँह में ठूस दिया और वो चालू हुआ. इधर सिराज मेरे गांड को मालिश कर रहा था अब उसकी तीनों उंगलियाँ मेरे पिछवाड़े में भूकंप मचा रही थी. लंड चूसते हुए मैंने देखा, रिया ने अब एक जगह बैठ कर शराब की बोतल अपनी मुँह से लगाई हुई थी और वो तीनों उसके बदन को नोच रहे थे. तभी सिराज का लंड मेरे पिछवाड़े पे दस्तक देने लगा.
मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया और जैसे मक्खन में छुरी घुसती है, वैसे उसका लंड मेरी गांड में जड़ तक दाखिल हुआ. मुंह में एक लंड होने के बावजूद मेरी हल्की चीख निकल गयी. मेरे चूतड़ों पे करारी थाप मार कर सिराज बोला- साली तू तो एक नंबर की रंडी है यार... सब जगह से खुली हुई है.
और उसने अपने दोस्त से कहा- चल, नीचे आ जा और घुसा लौड़ा इसकी चुत में! दोनों भाई मिलकर बजाते है इस रांड को!
अँधा क्या मांगे एक आँख... वो जल्दी से मेरे नीचे घुस गया और सिराज ने मुझे नीचे दबा दिया, सरसराता हुआ नीचे वाले का लंड मेरे अंदर घुस गया. दो लंडो की फीलिंग ने मेरे मुँह से मस्त चीख निकल गयी. मगर उसे सुनने वाला इन पाँचों के सिवा कोई नहीं था. दोनों ने नए दम से मुझे ठोकना चालू किया। दो ही मिनट में मेरी सारी हड्डियाँ चूं बोल गयी. मगर कम्बख्त दोनों इतना शिद्दत से मुझे ठोक रहे थे कि पूछो मत!
कुछ ही समय में मेरे सामने एक और लंड आ खड़ा हुआ. मैंने बिना कुछ बोले मुँह खोला तो वो भी सीधा मुँह में दाखिल हुआ. बाकी लोग भी हमारे इर्दगिर्द खड़े हो गए.
सिराज ने पूछा- क्या हुआ? लगे रहो उसके साथ!
तो एक ने कहा- जनाब उसको तो दारु ज्यादा हो गई है, अब वो लुढ़क गयी घंटे तक! हमारा तो एक ही बार हुआ था, अभी मन भी नहीं भरा.
सिराज कस कस के मेरी गांड मारते हुए हंस कर बोला- कोई नहीं! ये रांड है ना! इसे बजाएंगे सब मिलकर सुबह तक!
यह सुन कर मेरे तो सारे पुर्जे पुर्जे ढीले हो गए. मगर एक दिल तो ये भी कह रहा था- पांच जने चोदने वाले है तो जिंदगी बन गयी यार! अपने आप मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी.
मैंने अपने मुँह में जो लंड था वो हटाया। मेरे दिल में जो भी था वो मेरे मुँह से निकलने लगा- अहाहा हहाहय ऊऊहयहा… मेरी जान… और ज़ोर से चोदो मुझे… और ज़ोर से… फक मी… फक मी! सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह... आहहह आःह्ह आःह्ह आह्ह आह्ह सिराज बाहर निकालो इसे, प्लीज इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है, आह्हज आईईई आह्ह उह्ह आह्ह, प्लीज। आअह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह आआह आअह्ह आःह्ह आह्ह्ह अहह ऊओह्ह ऊओह उम्मन आह्ह आअह्ह आअह्ह प्लीज धीरे चोदो, बहुत दर्द हो रहा है, आह्ह्ह अहह आअह... आज मैं तुम सबके साथ चुदवाऊँगी। जोर से बजा मेरी चुत भोसड़ी के, मर्द नहीं है क्या? आह्ह्ह आह्ह्ह बहनचोद सिराज, चोद तेरी रखैल को। फाड़ दे आज मेरी गांड! सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह...
तभी जो मेरे नीचे मेरी चुत चोद रहा था उसने एक किलकारी मार कर अपना पानी मेरे अंदर उड़ेल दिया। मेरे बदन ने कई अंगड़ाइयां ली. तभी सिराज के धक्के तेज हो गए और एक ही मिनट में उसने अपना सारा पानी मेरी गांड में भर दिया।
सिराज की कम से काम दस पिचकारी मैंने अपने अंदर महंसूस की. जैसे उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला, मैं अपने आप जमीन पे लुढ़क गयी. कुछ देर सांस लेने के बाद मैंने आँख खोली तो उन पाँचों को अपनी तरफ ही देखता पाया।
मैं जैसे तैसे उठ कर बैठी, सबसे पहले मैंने अपने बूट निकाल कर फेंक दिये, बगल में पड़ी बोतल उठा कर तीन चार तगड़े घूंट भरे, शराब गले से लेकर पेट टेक सब कुछ जलती हुई अंदर गयी. मैंने बगल में पड़ी किसी की सिगरेट उठा कर जलाई और सिराज की तरफ धुआँ छोड़ते हुए कहा- सिराज, तगड़ा ठोकते हो यार! कितने दिन का जोश जमा करके रखा था?
सिराज ने हंस कर कहा- तेरा भी स्टैमिना जबरदस्त है छोकरी। एक साथ तीन को झेल गयी तू तो!
सब हंस पड़े.
मैंने सिगरेट बुझाई और पूछा- अब कौन आएगा?
इतना पूछते ही वो तीनों जिन्होंने रिया को चोदा था, वो लपक कर मेरे पास आये. उनके लंड हाथ में लेते हुए मैंने सिराज से कहा- मेरी दोस्त को देखना। कुछ नहीं होना चाहिए उसको। उसको मेरी कार में सुला देना प्लीज!
आगे मैं बोल ही नहीं पायी।
किसी का मुँह मेरे मुँह पे चिपक गया था. मुझे घेर कर वो लोग मुझे खेतों के बीच ले गए. मैंने जमीं पर बैठ कर उनके बारी बारी से लंड चूसना चालू किया। रिया के नशे में लुढ़क जाने के बाद काफी देर बाद उन्हें मैं हासिल हुई थी तो सब जोश में थे. कुछ देर अपने अपने लंड चुसवाने के बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया एक लड़के ने झुक कर मुझे हवा में उठा लिया। मैंने भी उसकी कमर पे अपनी टाँगें लपेट ली और अपने ही हाथ से उसका लंड अपनी चुत में घुसा लिया।
उसने मुझे उछाल उछाल कर चोदना शुरू किया.
तभी एक ने हमें रोक कर पीछे से मेरी गांड में अपना लम्बा लंड गाड़ दिया। अब दोनों हुमच हुमच कर मुझे चोद रहे थे. आगे वाला मेरे निप्पल को काट खा रहा था तो पीछे वाला मेरी पीठ पे अपने दांत गाड़ रहा था.
करीब दस मिनट के बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी मेरे अंदर छोड़ दिया। हांफते हांफते उन्होंने जैसे मुझे नीचे उतारा तो बचे हुए तीसरे ने मुझे सीधा जमीं पे गिराया और सीधा अपना हथियार मेरी चूत में घुसा कर चोदना शुरू किया। नंगी जमीं पे वो बड़े जोरों से मुझे चोद रहा था. उस वजह से मेरी पीठ उस नंगी जमीं से रगड़ खाकर छिल गयी मगर जिस तरीके से वो मुझे चोद रहा था इस तरह का छीलना मेरे लिए मायने नहीं रखता था. सही मायने में वो मुझे रौंद रहा था और मैं असली रौंदने का अनुभव ले रही थी.
अब तक नरम गद्दों पे की हुई चुदाई से ये देसी चुदाई मुझे भा गयी. मैंने भी अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेटी और चूतड़ उठा उठा कर उसके हर धक्के का जवाब देने लगी. मेरी गर्मी के आगे वो टिक नहीं पाया और उसने मेरी चुत अपने पानी से भर दी. मगर मेरी चुत अभी शांत नहीं हुई थी. मैंने आँख खोल कर देखा तो पहले दोनों मुझे ही देखते हुए अपना लंड हिला रहे थे. मैंने उनको उकसाते हुए कहा- देख क्या रहे हो सालो? आ जाओ और चोदो मुझे दोनों साइड से! और लंड है तो ले आओ... आज सब के सब ले लूंगी!
तुरंत एक बंदा नीचे लेटा और उसने मुझे अपने ऊपर खींच कर अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया और दूसरे ने पीछे से अपना लंड मेरी गांड में ठोक दिया। मेरे मुँह से किलकारी निकल गयी. दोनों ने पूरी ताकत के साथ मुझे चोदना जारी रखा.
थोड़ी देर में सिराज हमें ढूंढता हुआ वहीं आ गया जहां खेतों के बीच मेरी ठुकाई हो रही थी.
मैंने देखा कि उसके हाथों में दो बियर की बोतल थी. उसने एक बोतल मेरे गाल को लगाई। चिल्ड बियर का ठंडापन मेरी हड्डियों में फ़ैल गया. मैंने उसे बियर साइड में रखने को कहा और उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में डाला।
एक साथ तीन लंडों से चुदते हुए मैं कुछ अलग सी फीलिंग पा रही थी. सिराज ने मेरे बालों को जकड़ा और मेरे मुँह को मेरी चुत समझ कर वो उसे चोदने लगा. मुझे चोदने वाले दोनों थोड़ी ही देर पहले मेरे अंदर अपना पानी गिरा चुके थे तो जाहिर था कि वो अब की बार जल्दी नहीं छूटने वाले थे.
तभी सिराज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर खींचा, मैं तड़प उठी, ऐसे लगा कि मेरा मनपसंद खिलौना मेरे हाथ से निकल गया. मैंने सिराज से मिन्नतें की मगर वो मेरे पास नहीं आया.
मैंने कहा कि मैं एक बार और उसके लंड से चुदना चाहती हूँ तो सिराज ने कहा- ये चुदाई होने के बाद अपने पैरों पे चल कर तू मेरे पास आ जा. फिर तुझे मैं ऐसा चोदूँगा कि तू जिंदगी भर भूलेगी नहीं।
इतना बोल कर वो चला गया.
अब मैंने अपने दोनों छेदों में अंदर बाहर होने वाले लंडों का मजा लेना चालू किया, उनको गाली दे दे कर उकसाना चालू किया। फिर एक बार रूक कर दोनों ने पोजीशन बदल ली. मतलब जो मेरी गांड बजा रहा था, वो अब चुत चोद रहा था और जो चुत मार रहा था, वो अब मेरी गांड ठोक रहा था. मेरी सिसकारियां, आहें, चीखें रुकने का नाम नहीं ले रही थी और वो दोनों रुकने का नाम नहीं ले रहे थे!
अधिक आनन्द की वजह से अब मेरी आँखें बंद होने लगी. दोनों के बीच सैंडविच बन कर मुझे मजा आ रहा था. किसी सड़क छाप बाजारू रंडी की तरह चुदवाने का पूरा पूरा आनद मिल रहा था मुझे।
कुछ ही देर में मेरे नीचे वाले के धक्के तेज हो गए, उसने फटाक से मेरा एक निप्पल अपनी दांतों में पकड़ा और वहशी बन कर चूसने लगा. उसके दांतों का अहसास होते ही मेरी चीखें बढ़ गयी. मैं दोनों के बीच में तड़पने लगी. दोनों ने अपनी गति बढ़ाई और कुछ ही देर में एक के बाद एक ने अपना उबलता लावा मेरे अंदर उड़ेल दिया।
मैंने खुद को दोनों से अलग किया और वहीं जमीन पर गिर कर मैं अपनी उखड़ी हुई साँसें संयत करने लगी. उनमें से एक ने मेरे ऊपर आकर कस कर मेरे होंठ चूमे और कहा- तूफानी लड़की हो. पिछले तीन चार घंटे से चुद रही हो और अभी तक तुम्हारा दिल नहीं भरा?
मेरे मुँह पर कमीनी सी हंसी छा गयी, उसको पलट कर चूम कर मैंने कहा- आज तो घर से बाहर ही निकली थी ये सोच कर कि तुम जैसे मुस्टंडे मिल जायें! और तुम लोग मिल गए तो चार चाँद लग गए!

मेरी बेटी शिखा

मेरा नाम सीमा है। बेशक आप मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर चौंक गए होंगे। पर ये एक सच्चाई है, जो सच में मेरे साथ गुज़री है। हर माँ की तरह मैं भी सोचती थी कि मेरी बेटी अभी छोटी है, बच्ची है, मगर एक दिन कुछ ऐसा देखा मैंने कि मैं भी खुद को उसी दलदल में गिरने से रोक न सकी।

तो आइये आज मैंने आपको बताती हूँ क्या हुआ हम माँ बेटी के साथ।

मैं और मेरा परिवार बहुत हंसी खुशी अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे, बस इस परिवार में मेरे पति के लिए ही जगह कम पड़ती थी क्योंकि मेरे और मेरे पति के बीच कभी भी ठीक से बनी नहीं। दो बच्चे भी हुये, मगर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, हम दोनों पति पत्नी दिल से एक दूसरे से और दूर होते चले गए, और फिर मेरे पति ने अपना तबादला ही दूसरे शहर में करवा लिया, और मैं अपनी रातें अकेले गुजारने लगी।
मगर कब तक गुजारती, फिर एक दिन मेरी ज़िंदगी में एक और मेहमान आया, जिसने मेरे पति की खाली जगह भर दी। इस देखने में काले भैंसे जैसे आदमी ने मुझे संभोग का वो सुख दिया, जिस मैं अपने 22 साल के शादीशुदा जीवन के बावजूद अंजान थी। औरत को किस तरह भोगा जाता है, उसे किस तरह संभोग में चरमोत्कर्ष तक पहुंचाया जाता है, और एक बार नहीं बार बार, कई बार। तब तक जब तक वो खुद आपके सामने हाथ न जोड़ दे कि बस करो, अब और नहीं, वरना मैं मर जाऊँगी। और इसी चरमोत्कर्ष में उसके बदन को इस तरह और इतना नोचा जाए कि सारे बदन पर मर्द के हाथों, दाँतों, होंठों के ही निशान नज़र आए, और जब सुबह औरत सो कर उठे तो उसका सारा बदन दर्द कर रहा हो, ऐसे उसे तोड़ा जाए।

आपको को भी लग रहा होगा, ऐसा कभी होता है क्या! अजी ये तो फिल्मों में होता है, जिसमे सेक्स बढ़ाने वाली दवाएं खा कर तगड़े तगड़े हब्शी और अंग्रेज़ लड़के अपनी साथी लड़कियों की टिका कर चूत मारते हैं, और लड़कियां तड़प तड़प जाती हैं। मगर ऐसी बात नहीं है, ये आप के साथ भी हो सकता है, अगर आपका साथी ज़बरदस्त हो। और ज़बरदस्त साथी, सिर्फ किस्मत से मिलता है। मेरा दोस्त भी मुझे मेरी शादी के 22 साल बाद मिला, और उस से मिल कर या सीधा कहूँ, उस से चुद कर मैं ऐसी तृप्त हुई हूँ कि मुझे किसी और मर्द की तरफ देखने की इच्छा ही नहीं होती।

चलिये अब आते हैं, मुद्दे पर।

4 साल पहले की बात है, तब मेरी बेटी शिखा सिर्फ 18 साल की थी, उसके स्कूल में गरमियों की छुट्टियाँ थी, तो मैंने सोचा कि चलो बच्चों को इनके ननिहाल घूमा लाऊं। तो हम सब ने अपना सामान पैक किया, और चल पड़े मेरे मायके। मेरा मायका गांव हमारे शहर से 70 किलोमीटर दूर है, सो थोड़ी ही देर में हम वहाँ जा पहुंचे।
वहाँ जा कर देखा तो गांव के बाहर कोई बहुत बड़ी फेक्टरी लग रही है, वहाँ तो ना जाने कितने काम चल रहे थे, सड़क नई बन रही थी, लोगों के रहने के लिए मकान बन रहे थे, और भी ना जाने क्या क्या काम चल रहे थे।
गांव में हमारा दो मंज़िला बड़ा सा मकान है, नीचे मेरे माता पिता, और भाई का परिवार रहता है, ऊपर भी 4 कमरे बने हैं, जो पहले तो खाली ही रहते थे, मगर अब उन कमरों में फेक्टरी लगाने आए कुछ लोग किराए पर रह रहे थे।

शाम को जब वो लोग आए तो मैं देख कर हैरान रह गई। तीन लड़के अंग्रेज़ और एक हब्शी, सब के सब 25 से 30 के बीच थे। एक बार उनको देख कर तो मेरे मुँह में भी पानी आ गया, मगर जब मैंने अपनी बेटी शिखा को देखा तो उसके चेहरे पर जो खुशी देखी, उसे देख कर तो एक बार मैं भी हैरान सी हो गई। उसकी आँखों में भी वही चमक थी, जो मेरी आँखों में थी।

मैंने सोचा, क्या मेरी बेटी भी जवान हो गई है, जो इन नौजवान लड़कों को देख कर मुस्कुरा रही है। क्या इसका दिल भी इनको देख कर धड़का है, मैं तो ये सोच कर मुस्कुराई थी कि अगर इन लड़कों में से किसी एक से भी चुदने का मौका मिल जाए तो मज़ा आ जाए। मैं भी कह सकूँ के मैंने अंग्रेज़ से या हब्शी से चुदवाया है, मगर मेरी नन्ही सी परी शिखा उन्हे देख कर क्यों मुस्कुराई? क्या वो भी उनसे चुदने का सोच रही थी, या सिर्फ दोस्ती करने का।

मगर जो भी हो दोस्ती, प्यार... सबकी आखरी मंज़िल है तो सेक्स ही।
फिर मैंने मन ही मन खुद को डांटा- चल हट, क्या बकवास सोच रही है, शिखा तो अभी छोटी है, स्कूल में ही पढ़ती है, अभी ये सब कहाँ उसके दिमाग में होगा, मैं भी कभी कभी फालतू में बहुत आगे का सोच जाती हूँ।
एक दो दिन तक तो सब कुछ शांत ठीक चलता रहा। मगर दो दिन बाद मैंने देखा शिखा उन लोगों से इंग्लिश में कुछ बात कर रही थी, सभी बहुत खुश थे। मगर मुझे जलन सी हुई, मैं भी धीरे धीरे चलती हुई उनके पास जा कर खड़ी हो गई, मुझे देख कर सबने मुझे विश किया और मुझसे भी बात करी, मगर उन लड़कों का सारा ध्यान शिखा की तरफ ही था। मैं भी कुछ देर उनके साथ बातें करके वापिस आ गई, एक लड़के ने मुझे भी बड़े गौर से देखा। करीब 6 फीट का गोरा चिट्टा अंग्रेज़ था। मुझे अच्छा लगा जब उसने मेरे हुस्न की तारीफ की के मैं जवान लड़की की माँ होकर भी बहुत जवान और हसीन हूँ, और मेरा फिगर आज भी बहुत बढ़िया है। सच में मैं तो फूली न समाई। मैंने मन में सोचा, अरे यार तूने तो दिल खुश कर दिया, इसके बदले में अगर मेरी चूत भी मांग लेता तो मैं हँसते हँसते दे देती।
अगले दिन शाम के करीब 7 बजे होंगे, मैं अपने एक पड़ोसी के घर गई थी, जब मैं वापिस अपने घर आई, तो मुझे हल्के से रोने की आवाज़ सुनाई दी।
अब माँ हूँ तो एकदम से पहचान गई कि ये तो शिखा के रोने की आवाज़ है।
मेरा दिल तो डर से काँप उठा, मैं तो भागी भागी गई कि अभी तो मेरी बच्ची छोटी है, कहीं किसी मुश्टंडे उसको छेड़ न दिया हो, उसके साथ कोई बदतमीजी तो नहीं कर रहे। मैं जल्दी जल्दी से सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर गई और ऊपर कमरे में जो नज़ारा देखा तो मैं सन्न रह गई।
मेरी बेटी शिखा बेड पे औंधी लेटी थी, बिल्कुल नंगी, और वो हरामज़ादा मुश्टंडा हब्शी उसे अपने 10 इंच लौड़े से चोद रहा था, और मेरी बच्ची, उस दर्द को न सहते हुये, रोये जा रही थी। मैं झट से कमरे के अंदर जा कर उस हब्शी के बच्चे का मुँह नोच लेना चाहती थी, मगर शिखा की बात ने मुझे रोक दिया।
उसने उस हब्शी से अँग्रेजी में कहा- ज़ोर से चोद मादरचोद, तेरे लौड़े में दम नहीं क्या?
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गई। मेरी बेटी, मेरी फूल सी बच्ची, इतनी बड़ी हो गई कि 10 इंच का लौड़ा लेकर भी उसकी चूत नहीं फटी।
शिखा की बात सुन कर हब्शी ने उसे और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, शिखा रो भी रही थी, उसके आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे, मगर वो फिर भी अपनी कमर हिला कर उस का लंड अपनी चूत में ले रही थी।
मैंने पहली बार देखा कि वो इतने दर्द को झेल कर भी मज़े में थी।
दूध जैसा गोरा जिस्म, छोटे छोटे मम्मे, छोटे छोटे गोल चूतड़, पतली पतली जांघें, मगर फिर भी कितनी चुदासी!
मैं कुछ देर खड़ी देखती रही। मगर इस देखने ने मुझ पर भी उल्टा असर किया। मुझे नहीं पता कब मेरा हाथ मेरी लेगिंग के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लग गया। मैं भी जवान हूँ, खूबसूरत हूँ, आग से भरी हूँ, तो मैं गरम क्यों न होती। मगर इसमें कुछ कुछ जलन भी थी, बेशक शिखा भी बहुत सुंदर है, मगर मैं भी कम सुंदर नहीं, मुझे भी अपनी खूबसूरती और जवानी का गुमान है। मैं भी चाहती थी कि अगर एक लड़का शिखा को चोद रहा है, तो कोई एक मुझे भी चोदे।
पहली बार अपनी ही बेटी से जलन हुई मुझे।
कुछ देर तो लेगिंग के ऊपर से ही मैंने अपनी चूत सहलाई, मगर कब तक...
फिर मैंने अपना हाथ अपनी लेगिंग में ही डाल लिया। शायद पहली बार ही कोई माँ अपनी ही बेटी की चुदाई देख कर हस्तमैथुन कर रही थी। अपनी चूत के दाना सहलाया तो पता लगा कि मेरी चूत तो पहले ही पानी पानी हो रही है।
मैं अपनी चूत का दाना मसल ही रही थी कि तभी पीछे से किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा। मैं एकदम से डर गई, पलट कर पीछे देखा, वही अंग्रेज़ लड़का खड़ा था।
हम दोनों ने कुछ पल एक दूसरे की आँखों में देखा, फिर वो आगे बढ़ा, बढ़ता गया, तब तक जब तक उसके होंठ मेरे होंठों से मिल न गए। मैं तो खुद चुदाई को मचल रही थी। होंठ मिलते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए। उसी तरह अपनी आगोश में लिए ही वो मुझे घसीट कर दूसरे कमरे में बेड पे ले गया और मुझे नीचे बेड पे गिरा कर खुद भी मेरे ऊपर ही लेट गया।
मैंने भी अपनी टाँगें खोल कर उसकी टाँगों से उलझा ली, अपनी बांहें उसके गले में कस दी और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे।
फिर वो एकदम से खड़ा हुआ, अपनी टाई खोली, कमीज़, बनियान, पेंट चड्डी सब उतार दी। इस अंग्रेज़ लड़के का दूध जैसा गोरा लंड करीब 8 इंच का होगा। मोटा मजबूत, बिल्कुल मेरे यार उस्मान के लंड जैसा।
मगर उस्मान का जितना काला था, ये उतना ही गोरा।
मैं इतना सुंदर लंड देख कर उसे चूसने का लालच कैसे छोड़ सकती थी, मैं एकदम से उठी और उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया। पहले उसको सहलाया, फिर उसकी चमड़ी पीछे हटा कर उसका सुर्ख लाल टोपा बाहर निकाला।
गुलाबी टोपा तो हिंदुस्तानी मर्दों का भी होता है, मगर ये लाल था। मैंने टोपा निकाला और अपने मुँह में ले लिया। अंग्रेज़ लड़के ने भी पहले मेरे कमीज़ के ऊपर से ही मेरे मम्मे दबा कर देखे, फिर वो मेरे कपड़े उतारने लगा, मैंने भी उसे उतारने में सहयोग दिया।
एक मिनट बाद मैं भी नंगी थी। वो मेरे मम्मो को दबाता रहा और मैं उसका लंड चूसती रही। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड मेरे मुँह से खींच लिया और बोला- लेट जाओ!
मैं लेट गई तो वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड उसने मेरी चूत पर रखा और हल्का सा ज़ोर लगा कर अपना टोपा मेरी चूत में डाल दिया।
"आह..." संतुष्टि से भरी एक ठंडी सांस तन से निकली। थोड़ा थोड़ा सा ज़ोर लगा कर ही उसने अपना सारा लंड मेरी चूत में पेल दिया और फिर लगा अपनी जवानी का जोश दिखाने। लड़के में दम था, बड़े अच्छे से वो मुझे चोद रहा था। मैं भी पूरी मस्त थी और नीचे से कमर उठा उठा कर उससे चुदवा रही थी।
इतने में कमरे में दो लड़के और आए, वो हमे देखने लगे, मुझे पहले तो बड़ा अजीब सा लगा और शरम भी आई, मगर अब मेरे कपड़े मेरे पास नहीं थे, और फिलिप ने भी कोई ऐतराज नहीं किया, और चुदाई वैसे ही चलती रही।
तभी एक लड़के ने कहा- साथ वाले रूम में मैक जो लड़की चोद रहा है, वो कौन है?
तो फिलिप बोला- इसकी बेटी है।
तो वो लड़का बोला- हम भी इसे चोदना चाहते हैं, इस से पूछो हमसे चुदवायेगी क्या!
मगर फिलिप के बोलने से पहले ही मैंने कह दिया- हाँ, मुझे अच्छा लगेगा।
तो उन लड़कों ने भी अपने कपड़े उतार दिये, और नंगे हो गए, मगर फिर एक लड़का उधर मैक के पास चला गया।
मेरी बेटी के रोने की आवाज़ जो आ रही थी, वो बंद हो गई, मतलब अब उसकी चुदाई खत्म हो चुकी थी।
फिलिप भी शायद झड़ने वाला था इस लिए ज़्यादा ज़ोर लगा रहा था, मैंने दूसरे लड़के का लंड चूस कर खड़ा कर दिया था, और उससे बोली- इसके उतरते ही तुम चढ़ जाना।
वो बोला- ठीक है।
अगले 2 मिनट की धुरंधर चुदाई के बाद फिलिप ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट को अपने सफ़ेद माल से नहला दिया। फिलिप के हटते ही दूसरा लड़का आया और अपना लंड उसने मेरी चूत में डाल कर मुझे पेलना शुरू कर दिया, ये भी अच्छा खिलाड़ी था, मुझे बहुत तसल्ली से चोद रहा था।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मुझे चोदा। इतने में मैंने देखा दरवाजे में मैक, तीसरा लड़का और मेरी बच्ची शिखा, सब खड़े मुझे देख रहे हैं। शिखा से जब मेरी नज़रें मिली तो वो बड़ी हैरानी से बोली- माँ!
मैंने सोचा, अब जब इसने सब देख ही लिया, तो शर्म कैसी, मैंने बड़ी बेशर्मी से कहा- क्यों मेरा दिल नहीं कर सकता क्या?
वो मेरे पास ही आकर बैठ गई- मगर माँ फिर भी... मैंने तो कभी ऐसे सोचा ही नहीं था।
मैंने कहा- सोचा तो मैंने भी नहीं था कि तुम अपने 18 की होने तक भी इंतज़ार नहीं कर पाओगी, अब जब शुरू कर ही दिया है, तो जाओ फिर। खुद भी मज़े करो, और मुझे भी करने दो।
वो मुस्कुरा दी- ओ के मॉम एंजॉय करो!
कह कर वो चली गई।
कोई पाँच मिनट बाद वो लड़का मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया, इतने में वो हब्शी लड़का मैक आ गया और मुझसे बोला- हे मिस, मैं भी तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ।
मैंने कहा- मैं भी तुमसे मिल कर बहुत खुश होऊँगी मगर मुझे अभी अभी दो लड़कों ने बहुत बढ़िया सेक्स किया है मेरे साथ, और अब मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ। हाँ, अगर तुम चाहो तो हम कल मिल सकते हैं।
वो लड़का खुश हो कर बोला- ओ के, कल इसी समय इसी जगह।
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और वापिस आ गई।
आने से पहले मैंने दूसरे कमरे में देखा, शिखा अभी भी दो लड़कों से चुदवा रही थी, मगर इस बार वो बहुत खुश थी, मेरी तरफ उसने देखा, उसकी आँखों में चमक थी, खुशी थी जैसे कह रही हो- माँ देखो मैं भी जवान हो गई।
उसको वैसे ही छोड़ कर मैं नीचे आ गई।
उसके बाद अगले 15 दिन हम दोनों माँ बेटी ने उन चारों लड़कों ने जी भर कर चोदा, हम दोनों माँ बेटी की अगले जन्म की भी सेक्स की प्यास मिटा दी।

हाईवे पर चोदन

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रानी से रंडी बनने का सफर

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी प्यारी दोस्त प्रीति शर्मा। आज मैं वैसे ही खाली बैठी थी, तो मैं फ्री टाइम पास करने के लिए एक पॉर्न साईट देखने लगी, उसमें मुझे एक पोर्न वीडियो देखने को मिली, मगर उस वीडियो ने मेरे पुराने जख्म हरे कर दिये, मुझे उन दिनों की याद दिला दी जब मैं अपने पति के बिज़नस डूब जाने पर मजबूरी में रंडी भी बनी थी। मेरी रण्डी बनाने की पूरी कहानी नीछे दिए लिंक पर आप पढ़ सकते हैं.
तब शिप्रा मैडम की मदद से मुझे कुछ ग्राहक भी मिले।
उन्हीं दिनों मुझे एक लड़का मिला था, नाम था सौरभ शर्मा। देखने में लड़का बहुत ही सुंदर था, उम्र होगी कोई 23-24 साल, कद थोड़ा छोटा, 5 फुट 7 इंच, रंग गोरा, सुंदर नयन नक्श, गठीला शरीर, चौड़े कंधे, फूला हुआ सीना सपाट पेट। बिना कोई जिम या कसरत के भी उसका जिस्म देखने लायक था।
जिस दिन मैं उससे मिली और मैंने उसे देखा तो वो कहते हैं न 'लव ऐट फर्स्ट साईट...' मुझे भी वही हुआ।
उसे देखते ही मुझे लगा कि अगर यह लड़का हाँ कर दे तो मैं अपने पति को तलाक दे कर इससे शादी कर लूँ।
3 सेकंड में उस लड़के ने मेरी तीन साल की शादीशुदा ज़िंदगी को भुला दिया।
खैर बात करते हैं, क्या हुआ, कैसे हुआ।
शिप्रा मैडम की वजह से ही मुझे मेरे पहले ग्राहक अरुण जी मिले, बेशक मुझे पहली बार इस तरह पैसे के लिए रंडी बन कर किसी के साथ सेक्स करना बड़ा अजीब लग रहा था। मगर अरुण जी ने मुझे इतने प्यार से डील किया कि मेरा सारा डर ही छू मंतर हो गया। मेरा और उनका मिलन बहुत ही बढ़िया रहा।
उसके बाद अगले दिन जब मैं शिप्रा मैडम के पास पहुंची, तो उन्होंने मुझसे मेरे पहले बिज़नस डील के बारे में पूछा। मैंने उन्हें सारा खुल कर बताया। उसके बाद भी मुझे कुछ और लोगों के साथ हमबिस्तर होना पड़ा। बेशक ज़्यादातर, ठर्की बुड्ढे ही आते थे, जिनके बिजनेस बड़े थे, पेट भी बड़े थे। काले काले गंदे से! कई तो आने से पहले अपना लंड भी धोकर नहीं आते थे, आते ही गंदा सा लंड मेरे मुँह में ठूंस देते। इसी वजह से मैंने ये सिस्टम शुरू किया के सबसे पहले मैं खुद ही उनके लंड को पकड़ कर वाश बेसिन पर धो देती और अपनी चूत और गांड भी धो लेती। अब 55 साल के बुड्ढे को 27 साल की लड़की मिल जाए, वो तो उसे खा ही जाएगा। मुझे भी लोग ऐसे ही चबा डालते थे, चूत में गांड में हर जगह अपनी जीभ से चाट जाते।
दिन में 2-3 ग्राहक ही मैं लेती थी, ज़्यादा बोझ नहीं डाला मैंने खुद पर।
शिप्रा मैडम मेरे एक शॉट के 2500 लेती थी और मुझे 1 हज़ार रुपये देती थी तो रोज़ 2-3 हज़ार रुपये मुझे मिल जाते थे। घर का सिस्टम ठीक होने लगा।
पति को भी एक दिन पता चल गया कि पैसा कहाँ से आ रहा है, पहले तो गुस्से में आकर उन्होंने मुझे चांटा मार दिया, पर अब तो मैं पिछले एक महीने से अपना घर चला रही थी, और इसी तरह से चला रही थी, तो अब इज्ज़त बचाने या लूटने को बचा ही क्या आता। थोड़ा बहुत गुस्सा हो कर वो भी चुप गए कि 'माँ चुदवा अपनी, जो मर्ज़ी कर!'
मगर उसके बाद उन्होंने कभी मेरे साथ सेक्स नहीं किया।
मुझे तो रोज़ 2-3 लंड मिल ही जाते थे तो मुझे तो कोई ज़रूरत थी ही नहीं पति की, मेरे लिए तो मेरा पति सिर्फ एक पट्टा था मेरे गले में, और कुछ नहीं।
एक दिन शिप्रा मैडम ने कहा- प्रीति, तुम्हें अभी मेरिडियन होटल में जाना होगा, वहाँ रूम नंबर 1730 में हमारा एक खास कस्टमर है, उसको एंटरटेन करना है। गाड़ी भेजी है उसने, तुम अच्छे से तैयार हो कर चली जाओ।
मैंने अपने मेक अप थोड़ा टच अप दिया, अपनी ब्रा और पेंटी बदले क्योंकि घर वाला तो ठीक ठाक सा था, पर कस्टमर के सामने तो बढ़िया महंगे वाला और नया फ्रेश ब्रा पेंटी पहन कर जाना पड़ता है।
मैं तैयार होकर बाहर खड़ी कार में बैठ कर चल पड़ी। होटल की पार्किंग में कार रुकी, ड्राइवर मुझे लिफ्ट से रूम के बाहर तक छोड़ आया।
मैंने बैल बजाई, अंदर से आवाज़ आने पर मैं अंदर गई।
बहुत ही शानदार और बड़ा रूम था। सामने सोफ़े पर दो तीन लोग बैठे थे, एक तो बुजुर्ग से थे, एक नौजवान लड़का था, जो अकेला बड़े सोफ़े पर बैठा था, और दूसरा उसका कोई दोस्त होगा जो साइड सोफा पे बैठा था।
मुझे देख कर साइड वाले दोनों खड़े हो गए मगर वो बीच वाला बैठा रहा। मैं तो एक बार उसको देखती ही रह गई। कितना सुंदर लड़का था वो... एकदम से राजकुमार।
मैं सामने जा कर खड़ी हो गई, मैंने कहा- हैलो सर!
उस लड़के ने आगे हाथ बढ़ा कर मुझसे हैंड शेक किया, बाकी के दोनों लोग 'गुड बाए सर, हैव आ गुड टाइम' कह कर चले गए।
उस लड़के ने मुझे अपने पास बैठने की जगह दी- आइये इधर बैठिए।
मैं बिल्कुल उसके पास बैठी, सफ़ेद कुर्ते पजामे और जाकेट में वो कोई राजनीतिक घराने का वारिस या वैसे ही कोई बहुत अमीर घर का लड़का लग रहा था।
"क्या लेंगी आप?" उसने पूछा।
मैंने उसे मोहक स्माइल दे कर कहा- एनिथिंग, मैं सिर्फ नॉन वेज नहीं खाती, बाकी और किसी चीज़ से मुझे कोई परहेज नहीं है।
वो उठा और साइड की एक अलमारी से कोई जैक डैनियल की बोतल निकाल कर लाया, मुझे दिखा कर बोला- ये चलेगी?
मैंने कहा- बिल्कुल, आप पिलाएँ तो हम कैसे ना कर सकते हैं।
उसने दो गिलासों में पेग बनाए, एक मुझे दिया, एक खुद उठा लिया।
"चीयर्ज" कह कर गिलास टकरा कर हम दोनों ने एक एक सिप ली।
"आपका नाम क्या है?" उसने पूछा, जबकि मैं बार बार उसके सुंदर चेहरे को ही घूरे जा रही थी और शायद इसी वजह से वो कुछ असहज भी महसूस कर रहा था।
मैंने कहा- मेरा नाम प्रीति है, आप मुझे तुम भी कह सकते हो।
वो बोला- तो तुम भी मुझे तुम ही कहो न, फॉरमेलीटी दोनों तरफ से ही खत्म हो।
मैं मुस्कुरा दी- ठीक है, तुम!
मैंने कहा तो उसने फिर से मेरे गिलास से अपना गिलास टकराया।
"इतने ध्यान से क्या देख रही हो प्रीति?" उसने पूछा।
मैंने कहा- दरअसल तुम मुझे बहुत स्वीट लगे, इतने स्वीट कि मैं तुमसे शादी भी कर सकती हूँ, अगर तुम चाहो तो।
मैं जानती थी कि इतने अमीर घर का लड़का किसी गश्ती से शादी क्यों करेगा, मगर मेरी बात सुन कर वो हंस पड़ा, बोला- तुम तो खुद भी बहुत सुंदर हो, तुम्हारी शादी हुई नहीं अब तक?
मैंने कहा- हो चुकी है, एक बेबी भी है, 2 साल की!
मेरी बात सुन कर वो बोला- अरे वाह, तुम तो लकी हो, मैं अभी कोई लड़की ढूंढ रहा हूँ, अगर कोई मिली तो शादी भी कर लूँगा। मगर जब तक शादी नहीं होती, तब तक आप से ही पत्नी का सुख पा लेता हूँ.
कह कर उसने मेरे गाल को छूआ।
मैं मुस्कुरा दी- डोंट वरी सर, मैं आपको पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करूंगी।
वो हंस पड़ा और अपना पेग खत्म किया, फिर उठ कर उसने अपनी जाकेट उतार दी।
मैं भी खड़ी हुई कि शायद ये मेरे भी कपड़े उतरवाएगा।
वो बोला- अरे तुम बैठो, सारी रात हमारी है। आराम से, कोई जल्दी नहीं है।
मैं बैठ गई। अब तो मुझे उसके ही इशारो पर नाचना था।
उसके बाद उसने खाना मंगवाया, सारा खाना शाकाहारी था, हमने एक साथ खाया, मैंने तो कम ही खाया कि पता नहीं ज़्यादा झटके लगे तो कहीं पेट ही न हिल जाए।
खाने के बाद वो बाथरूम में गया, और फिर अंदर रूम में आकर सिगरेट जला कर पीने लगा।
"तुम भी फ्रेश हो आओ" उसने मुझसे कहा।
मैं बाथरूम में गई, फिर से मेक अप, बालों, कपड़ों को ठीक किया और बाहर आ गई।
वो बेड पे लेटा था, मैं पास जा कर बेड पे बैठ गई।
"अरे प्रीति, फील फ्री यार, सेंडल उतारो और ऊपर आराम से बैठो!" उसने कहा तो मैंने अपने सेंडल उतारे और पाँव बेड पे फैला कर पीठ टिका कर बैठ गई। मैं सोच रही थी कि यह लड़का तो बड़ा ठंडा चल रहा है, नहीं अभी तो मेरे ऊपर से दो मोटे मोटे लाले गुज़र चुके होते और इसने अभी तक मुझे छूआ भी नहीं है।
टीवी देखते देखते उसने मुझे अपना पास बुलाया और मेरा हाथ खींचा तो मैं उसके कंधे पर अपना सर रख कर लेट गई। उसने अपने मुँह से सिगरेट निकाली और मेरे होंटों से लगा दी।
पहले कभी मैंने सिगरेट नहीं पी थी, मगर इस धंधे में आ कर मैंने बहुत बार पी थी, या यूं कह लो कि मुझे पिला दी गई।
मैंने भी एक कश खींचा, अभी धुआं मेरे मुँह में ही था कि उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के सामने कर दिया- अब धुआं छोड़ो!
उसने कहा तो मैंने सारा धुआं उसके मुँह पर मारा, उसने आँखें बंद करके एक लंबी सांस ली, और जब सांस छोड़ी तो उसने भी धुआं छोड़ा।
मैंने पूछा- ये क्या था?
वो बोला- आई लाइक इट, मुझे इस तरह चेहरे पर धुआं लेने अच्छा लगता है.
उसके बाद हमने कई बार एक दूसरे के मुँह पर सिगरेट का धुआं मारा और हँसते रहे। फिर उसने मेरी साड़ी का आँचल थोड़ा सा नीचे को खिसकाया, तो मेरे ब्लाउज़ में से मेरा क्लीवेज दिखने लगा। मैंने उसे और अच्छे से अपना क्लीवेज दिखाने के लिए अपना आँचल हटाना चाहा तो उसने रोक दिया- नहीं, तुम कुछ मत करो, जो भी करूंगा, मैं करूंगा.
मैं आराम से लेट गई कि ले भाई कर ले जो करना है।
फिर उसने अपने हाथ से मेरे क्लीवेज को छूकर देखा, फिर मेरे आँचल मेरे मम्में से हटा दिया। साटिन के गहरे हरे रंग के ब्लाउज़ में से मेरे मम्में के गोल उभार को उसने अपने हाथ में पकड़ कर देखा।
"लवली!" वो बोला- बहुत सुंदर बूब्स हैं तुम्हारे, बिल्कुल मेरी मिस्ट्रेस की तरह।
मैंने कहा- तो तुम मेरे क्लीवेज में अपनी मिस्ट्रेस का क्लीवेज देख रहे थे।
वो बोला- हाँ, वो मेरे बचपन का प्यार थी, एक एक्सीडेंट में नहीं रही। जब शिप्रा ने अपनी अल्बम दिखाई थी, तो मुझे उसमें तुम पसंद आई क्योंकि तुम्हारी शक्ल काफी कुछ मेरी उस मिस्ट्रेस से मिलती है। बचपन में मैं सोचता था, जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो अपनी मिस्ट्रेस से ही शादी करूंगा, वो नहीं रही पर तुमसे प्यार करके मैं अपना एक अरमान तो पूरा कर ही सकता हूँ।
कहते कहते उसने मुझे नीचे करके खुद मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया।
मुझे अपने पेट पर उसका बड़ा सारा लंड महसूस हुआ। उसने मेरे माथे से बाल हटा कर मेरे चेहरे अपने हाथों में पकड़ लिया और बोला- अगर मैं तुम्हें किरण मिस कहूँ तो तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं, तुम मुझे किसी भी नाम से पुकार सकते हो।
वो बोला- किरण मिस, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। आ लव यू किरण मिस।
मैं समझ गई कि ये रोल प्ले वाला केस है, ये मुझे अपनी मिस्ट्रेस बना कर चोदेगा, अपने बचपन की कामुक इच्छा को अब पूरा करेगा।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू, सौरभ।
मेरी बात सुनते ही उसने मेरे होंठ चूम लिए- ओह किरण मिस, तुम कितनी अच्छी हो, मेरा कितना ख्याल रखती हो, मैं हमेशा से ही तुम्हें पाना चाहता था, आज मेरा सपना पूरा हुआ। क्या मैं तुमसे सेक्स कर सकता हूँ किरण मिस?
मैंने मुस्कुरा कर उसके बालों में हाथ फिरा कर कहा- मुझे तुम बचपन से ही बहुत प्यारे लगते हो सौरभ, तुम जो चाहो कर सकते हो, मुझे तुम्हारी किसी बात से कोई इंकार नहीं है।
तो सौरभ ने मुझे कस कर अपनी बाहों में ले लिया और अपनी ताकत लगा जो पलटी खाई तो वो नीचे और मैं ऊपर आ गई। मेरे बाल उसके चेहरे पर थे, मेरा आँचल गिर गया, और अब मेरा बड़ा सा क्लीवेज उसके सीने से लगा था, उसने मेरे क्लीवेज को देखा और बोला- बचपन में जब मैं इस क्लीवेज को देखता था, मेरा बड़ा दिल करता था इसको छूने को, इन बूब्स को दबाने को, इन्हें चूसने को।
मैंने कहा- तो तुम्हें रोका किसने है, सौरभ, अब ये सिर्फ तुम्हारे हैं, जितना चाहे खेलो इनसे।
"सच में मिस?" उसने बड़ा उत्तेजित होते हुये कहा।
मैंने हां में सर हिलाया तो उसने मुझे उठाया और खुद भी उठ बैठा। अब तो मेरा आँचल बिल्कुल नीचे गिरा पड़ा था, उसके सामने मैं ब्लाउज़ में ही बैठी थी।
उसने मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथ में पकड़ कर देखा, हल्के से दबाया, और फिर मेरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगा। सभी हुक खोल कर उसने ब्लाउज़ के दोनों पल्ले आजू बाजू खोल दिये और ब्लैक ब्रा में छुपे मेरे गोरे गोरे मम्मो को निहारने लगा।
"तुम आज भी काली ब्रा पहनती हो, तब भी काली ब्रा ही पहनती थी, आई लव इट!" कह कर उसने ब्रा में ही मेरे दोनों मम्में पकड़ कर ऊपर को उठाए और मेरे क्लीवेज पे चूम लिया।
एक बात मैंने देखी थी सौरभ में, उसमें जल्दबाज़ी नहीं थी, बड़े आराम से वो सब काम कर रहा था।
फिर उसने मेरा ब्लाउज़ उतरवा दिया और मुझे बाल बांधने को कहा। मैंने अपने बालों की एक चोटी बना ली। उसने अपना कुर्ता उतारा, नीचे बालों से भरा सीना और पेट। गले में मोटी सारी सोने की चेन। उसने अपनी चेन, कड़ा, ब्रेसलेट सब उतार कर रख दिये। पजामे में से उसका लंड सर उठाए साफ दिख रहा था। मेरी साड़ी भी उतरवा दी, अब मैं ब्रा और पेटीकोट में थी और वो भी अपना पजामा उतार के सिर्फ चड्डी में आ गया।
चड्डी देख कर पता चला के अंदर कम से कम 8-9 इंच का औज़ार है। मेरे मन को बड़ी खुशी हुई कि न सिर्फ लड़का सुंदर है, तगड़ा है, इसका औज़ार भी सुंदर और तगड़ा है।
मुझे अपनी बाहों में लेकर वो फिर से लेट गया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने भी उसके होंठों को चूमा, एक दूसरे के बदन को सहलाते, एक दूसरे की पीठ पर हाथ फेरते हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे.
और पता नहीं कब होंठों का साथ ज़ुबान भी देने लगी, कभी मेरी जीभ उसके मुँह में तो कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में। दोनों ने एक दूसरे को खूब चूसा।
क्योंकि मुझे भी सौरभ पहली नज़र में बहुत प्यारा लगा था, तो मैं अपना मजा ले रही थी और उसे अपनी पुरानी मिस्ट्रेस का मजा मिल रहा था, दोनों की ठर्क पूरी हो रही थी।
हाथ फेरते फेरते मैंने उसके चूतड़ और फिर लंड भी सहला दिया। हाथ लगाने से मुझे ऐसे लगा कि यार क्या माल मिला है आज! जब मैंने उसके लंड को सहलाया तो उसने भी मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया, मेरी जांघों को सहलाया और फिर उठ कर मेरी जांघों को चूमने और चाटने लगा।
मेरी अपनी हालत खराब होने लगी थी, मुझ पर भी कामुकता सवार हो रही थी। मैंने अपनी टाँगें पूरी खोल दी तो वो मेरी टाँगों के बीच में आ गया और मेरी चड्डी के ऊपर से ही उसने मेरी चूत को छूआ, मैंने एक ठंडी सांस छोड़ी, उसने मेरी सारी चड्डी के ऊपर अपना हाथ फिरा कर फीलिंग ली और फिर अपने अंगूठे से उस जगह को मसला जहां मेरी चूत का दाना था।
मैंने आनन्द में डूब कर एक हल्की सी सिसकी ली।
"मजा आया किरण मिस?" उसने पूछा।
मैंने कहा- हाँ, जब तुम छूते हो तो बहुत मजा आता है।
उसने फिर से कई बार मेरी चूत के दाने को चड्डी के ऊपर से ही मसला और हर बार मैंने एक सिसकी के साथ उसका जवाब दिया।
"क्या क्या कर लेती हो किरण?" उसने पूछा।
मैंने कहा- तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करूंगी, जो मेरा बाबा कहेगा, मैं वो सब कर लूँगी।
उसने पूछा- मेरा लंड चूस लोगी?
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं!
उसने फिर पूछा- अपनी चूत भी चटवा लोगी?
मैंने कहा- हाँ, अगर तुम चाटना चाहो तो!
"और गांड?" उसने पूछा।
मैंने कहा- बिल्कुल, अगर तुम चाटना चाहो!
मेरा इतना कहते ही उसने मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भींच लिया, मुझे हल्का दर्द हुआ, मगर उसके और मेरे दोनों के मुँह से एक सिसकारी सी निकली। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोला और उतार दिया।
अब हम दोनों सिर्फ अंडरवियर्ज में ही थे, वो मेरे साथ मेरी बगल में लेटा मेरी आँखों में देखने लगा- तुम बहुत प्यारी हो, मैं अगर तुम्हें फिर से बुलाना चाहूँ, तो आओगी?
उसने पूछा।
मैंने कहा- क्यों नहीं आऊँगी, आप जब भी कहोगे मैं हर बार आऊँगी!
मेरी बात सुनते ही उसने मुझे अपनी बांहों में फिर से भर लिया और हम दोनों फिर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे और वो अपना लंड मेरे पेट पर रगड़ रहा था।
थोड़ा चूसने के बाद वो रुका और बोला- अगर मैं तुमसे बिना कोंडोम के सेक्स करना चाहूँ तो?
मैंने कहा- आप कर सकते हैं, पर अपनी और आपकी सुरक्षा के लिए कोंडोम ज़रूरी है।
वो बोला- पता है, पर मैं तुमसे ऐसे ही सेक्स करना चाहता हूँ, कोंडोम से न मजा नहीं आता।
मैंने कहा- हाँ ये तो सच है, पर कोई बात नहीं, बिना कोंडोम के भी कर सकते हो।
वो उठ कर खड़ा हो गया और उसने अपनी चड्डी उतार दी, नीचे से 8 इंच के करीब लंबा और मोटा, गोरा लंड बाहर निकला।
इतना सुंदर लंड... मैं तो उठ कर ही बैठ गई।
अपने हाथ में उसका गोरा लंड पकड़ कर देखा- अरे वाह, तुम्हारा लंड तो तुम्हारी तरह सुंदर और तगड़ा है।
वो बोला- पसंद आया तुमको?
मैंने हाँ कहा तो वो बोला- तो चूसो इसे, अपने मुँह में लेकर चूस रंडी!
वो ज़ोर से और डांट कर बोला।
फिर धीरे से बोला- तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं तुम्हें गाली भी दे दूँ?
मैंने कहा- नहीं कोई दिक्कत नहीं, बल्कि जोश में आकर तो मैं भी गाली दे देती हूँ।
वो बोला- तो ठीक जितनी गाली दे सकती हो देना, कोई परवाह मत करना।
मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और जैसे उसकी चमड़ी पीछे को हटाई, अंदर से सुर्ख लाल रंग का टोपा बाहर आया। लाल चमकदार मोटा टोपा!
मैंने उस टोपे को अपने मुँह में लिया और आँखें बंद कर ली, क्योंकि लंड चूसने का असली मजा आँखें बंद करके ही आता है।
उसने भी मर सर पकड़ा और हल्की सी "आह" कही। मैंने अपने पूरे मन से उस लंड को चूसा क्योंकि मैं उसे नहीं खुद को मजा दे रही थी। मैं चाहती इस गोरे गुलाबी लंड को चूसने का मैं भी पूरा मजा लूँ। सख्त, मजबूत लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर आ जा रहा था और मैं उसे अपनी जीभ से हर तरहा से चूस और चाट रही थी।
फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरा मुँह अपने आँड से लगा दिया। मैंने उसके दोनों आँड अपनी जीभ से चाटे और अपने मुँह में लेकर चूसे भी। सिर्फ यहीं तक बस नहीं उसने मुझे और आगे तक चाटने को कहा, तो मैं उसके आँड से आगे उसकी गांड तक चाट गई। वो भी अपनी आँखें बंद करके न जाने क्या क्या फीलिंग ले रहा था।
फिर उसने मुझे कंधों से पकड़ कर खड़ा किया, मैं उसके सामने खड़ी हो गई, उसने मेरे होंठों को फिर से चूसा- मारा डाला तूने कमीनी, इतना प्यार क्यों कर रही है मुझसे कि मैं तो तेरा दीवाना हो गया, अब सब्र नहीं होता अब मुझे तुम्हें चोदना है जानेमन, अपनी चूत निकाल!
मैंने अपनी चड्डी उतारी तो मेरी चूत देख कर वो नीचे ही बैठ गया- उफ़्फ़, क्या ज़ालिम चूत है तेरी!
कह कर उसने अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया, पूरी चूत को अपने मुँह में ले गया और अपनी जीभ से मेरी चूत के अंदर तक चाट गया।
मैंने अपनी टांग उठा कर बेड की पुश्त पर रख ली जिससे मेरी चूत खुल गई और उसको चाटने में और आसानी हो गई। गीली तो मेरी चूत पहले से ही थी, मगर उसकी मज़ेदार चटाई ने मुझे और भी कामुक कर दिया, मेरे अंदर सेक्स की भूख और बढ़ा दी।
मैंने उसके माथे पर हाथ फेर कर कहा- क्या खाते ही रहोगे, ये भी भूखी है इसका भी मुँह बंद करो।
वो उठ खड़ा हुआ और मेरी ब्रा के हुक खोल कर मेरी ब्रा उतार दी, मेरे दोनों मम्में पकड़े और मुझे बेड पे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आ गया, मैंने अपनी दोनों टाँगों के बीच में से अपना हाथ निकाल कर उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रखा और उसने बिना को ज़्यादा ज़ोर लगाए उसे अंदर डाल दिया।
एक दो तीन चार... आराम आराम से वो अपना लंड अंदर बाहर करते हुये मेरे और अंदर, और अंदर तक अपने लंड को डालता जा रहा था। फिर एक जगह लगा कि उसका लंड मेरी चूत के सिरे तक जा लगा है, मगर उसने और ज़ोर लगाया और उसका बाकी का लंड भी मेरे अंदर घुस ही गया, कहाँ तक और कैसे घुस गया, पता नहीं।
पूरा अंदर डाल कर वो रुक गया, उसकी कमर मेरी गांड से लगी थी।
उसने मेरी पीठ सहलाई- बहुत चिकनी हो तुम!
वो बोला।
मैंने कहा- और तुम भी बहुत जवां मर्द हो, आगे बढ़ो!
मैंने कहा तो उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की, एक शानदार लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा। प्यासी धरती को जैसे पानी मिल गया हो। मैं संभोग के आनन्द में सरोबार हुई जा रही थी, बिना कोई तेज़ी या जल्दबाज़ी के वो बड़े आराम से मुझे चोदता जा रहा था। सख्त, खुरदुरा, मर्दाना लंड मेरी नर्म, मुलायम और गीली चूत को अंदर तक रगड़ता जा रहा था।
आराम से होने वाला सेक्स अब मेरे लिए असहनीय होता जा रहा था क्योंकि उसकी लगातार एक ही स्पीड की चुदाई से मेरा पानी गिरने को था, मैं झड़ने वाली थी।
मैंने उससे कहा- मेरा होने वाला है सौरभ, तेज़ तेज़ करो।
मगर उसने अपनी स्पीड नहीं बढ़ाई, मैं खुद ही अपने कमर आगे पीछे करने लगी, मगर उसने मेरी कमर को भी पकड़ रखा था और इसी धीमी रफ्तार से जब मेरा स्खलन हुआ, मैं तो तड़प उठी, चीख उठी, अपना सर मारने लगी।
इतना आनन्द, इतना ज़बरदस्त मजा... मैं तो निहाल हो गई, मगर वो फिर भी वैसे ही लगा रहा।
जब मैं निढाल सी हो गई तो उसने अपना लंड निकाला और मुझे सीधा करके लेटा दिया। मैंने अपनी टाँगें खोली, वो मेरी टाँगों के बीचे में आया, अपना लंड मेरी चूत पे रखा और अंदर डाल कर फिर से चोदने लगा।
वही धीमी स्पीड... मैं लेटी उसके झड़ने का इंतज़ार करने लगी। मगर वो तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
2-3 मिनट की रगड़ाई के बाद मेरा फिर से मूड बनने लगा, मैं फिर से गरम हो उठी, जो चूत मेरी झड़ कर खुश्क हो गई थी, अब फिर से पानी छोड़ कर चिकनी हो गई।
मैं फिर से कराहने लगी, सिसकारियाँ भरने लगी, उसको अपने साथ चिपका कर उसके होंठ चूसने लगी, उसकी जीभ चूसने लगी।
मैंने सुना था कि जीभ चूसने में मर्द जल्दी झड़ जाते हैं मगर इस सब के बाद भी वो लगा रहा... लगातार... लड़के में दम था, सब्र था।
पहले मुझे लगा था कि मैं इसको हरा दूँगी, मगर मैं तो दूसरी बार झड़ने जा रही थी, और ये अभी तक नॉट आऊट खेल रहा था।
5 मिनट की चुदाई के बाद मैं फिर से तड़प उठी, मचल गई, जोश में मैंने उसके कंधे पे काट खाया, जब मेरा पानी गिरा, मगर वो माई का लाल फिर भी चल रहा था, बेशक उसके बदन पर पसीना आ गया था, उसकी सांस भी तेज़ थी, दिल बहुत तेज़ धडक रहा था मगर वो आऊट होने को तैयार नहीं था।
फिर मैंने कहा- अगर थक गए तो मैं ऊपर आ जाऊँ?
उसने कहा- हाँ, अब तुम अपना ज़ोर लगाओ।
मैं उसे नीचे लेटा कर उसके ऊपर बैठ गई, उसका लंड पकड़ा अपनी चूत पे रखा और अंदर ले लिया।
फिर मैंने ज़ोर लगाया, अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा कर चुदाई की। वो नीचे लेटा मेरे मम्में दबाता, उन्हें चूसता और उनसे खेलता रहा। मगर झड़ा नहीं!
मैंने उससे पूछा- तुम झड़ते नहीं क्या?
वो बोला- झड़ता हूँ, बस थोड़ी देर और, बस मेरा काम भी होने वाला है।
मैंने अपना मजा भूल के उसको झाड़ने के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया, पूरे ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उसकी कमर पर मारी तब कहीं जा कर वो झड़ा।
ऐ सी चल रहा था मगर मेरा पूरा बदन पसीने से नहा गया। जब उसका पानी निकला तो मैं भी टूट कर बिस्तर पर लुढ़क गई।
"तुम तो कमाल हो यार, क्या ज़बरदस्त मर्द हो!" मैंने कहा उसे।
वो हंस कर बोला- चिंता मत करो, अभी दूसरी पारी में देखना!
मैंने कहा- दूसरी पारी? मेरी तो इसी पारी में माँ चुद गई, और क्या करेगा यार?
वो हंस पड़ा।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद उसने सिगरेट सुलगाई और होटल की बड़ी सारी खिड़की के सामने जा कर खड़ा हो गया। मैं भी उसके पास जा कर खड़ी हो गई।
बाहर सड़क पर गाडियाँ आ जा रही थी।
मैंने उसके हाथ से सिगरेट ले कर दो कश लगाए।
"मुझे खरीद लिया तुमने सौरभ!" मैंने कहा।
वो बोला- और तुमने मुझे।
कितनी देर हम खिड़की के पास नंगे खड़े सिगरेट पीते रहे, उसके बाद उसने मुझे रात में दो बार और चोदा, मगर मैं उसकी चुदाई के आगे अपनी हार मान गई।
एक बार जब वो चढ़ता था तो 40-50 मिनट से पहले तो उतरता ही नहीं था। मेरी चुदाई कर कर के कमर दुखने लगी, चूत के अंदर तक दर्द होने लगा।
सुबह मैं 11 बजे सो कर उठी और फिर से तैयार हो कर जब वापिस आने लगी तो उसने पूछा- अब कब मिलोगी?
मैंने कहा- जब तुम कहो, ये मेरा पर्सनल नंबर है, जब दिल करे बुला लो!
मैं उसे अपना मोबाइल नंबर दे कर आ गई।
उसके बाद भी उसने मुझे कई बार बुलाया और सारी सारी रात चोदा।
बेशक अरुण जी भी बहुत अच्छा सेक्स करते थे, मगर सौरभ तो अनमोल मर्द था, एक ऐसा मर्द जिसे हर औरत पाना चाहे, मुझे मिला, मेरी किस्मत। मैंने उसके साथ बहुत सेक्स किया। मगर मुझे अपने पति का बिजनेस भी खड़ा करना था तो मैंने अरुण जी को ही चुना क्योंकि सौरभ मेरी बिजनेस में कोई मदद नहीं कर सकता था।
पहले तो मैं बड़ी परेशानी में थी क्योंकि मुझे सौरभ और अरुण जी दोनों ही बहुत पसंद थे, मगर मैं किसी एक को ही चुन सकती थी जिसके साथ मैंने अपनी आगे की ज़िंदगी बितानी थी।
एक बहुत ही शानदार चोदू यार, और दूसरी तरफ, चोदू भी और मददगार भी।
तो धीरे धीरे मैं सौरभ की जगह अरुण जी की तरफ आकर्षित होती गई और फिर एक दिन मैंने शिप्रा मैडम से कह दिया- मैं अब ये काम नहीं करूंगी।
मगर मैंने काम बंद नहीं किया, आज भी मैं अरुण जी की गुलाम हूँ, उनके हर इशारे पर मैं वो सब कुछ करती हूँ, जो वो कहते हैं।
कभी कभी सौरभ भी याद आता है, हो सकता है, उसको और भी रंडियाँ मिल गई हो, इसी लिए अब बहुत समय से उसका फोन नहीं आया, मैंने भी नहीं किया।
ज़रूरत भी क्या अब मैं फिर से शरीफज़ादी जो बन गई हूँ।