Thursday, September 26, 2013

मेरा नाम नजमा बानो है। मैं बिकानेर में रहती हूँ। मेरे अम्मी, अब्बू और चार भाई हैं। भाइयों के निकाह हो चुके हैं।

मेरा एक अट्ठारह, एक ग्यारह साल का भतीजा है, दो 5-6 साल के हैं। मेरा भी निकाह हो चुका था लेकिन तलाक होने की कगार पर है, मेरे शौहर मुझे लेने आए लेकिन अब्बू ने मुझे नहीं भेजा। अब मेरे शौहर मुझे नहीं ले जाना चाहते वो कहते हैं कि वे मुझे तलाक दे देंगे। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। वो भी मुझे बहुत प्यार करते उन्होंने मेरे लिए दुबई से काम छोड़ कर आ गये लेकिन मैं उनके प्यार को समझ ना सकी। 
अब घर में कोई मेरे बारे में नहीं सोचता सब अपना काम निकालने में लगे रहते हैं। शादी से पहले मेरे कुछ आशिक थे, मेरे भाईजान को भी पता था, मैं उनसे मिलने भी जाती थी लेकिन भाईजान कुछ नहीं कहते थे क्योंकि उनकी भी गर्लफ़्रेन्ड थी, वो उनसे मिलने जाते ! हमें किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था।
लेकिन मेरे शौहर के प्यार में मैं सबको भूल चुकी थी लेकिन अब मैं बिल्कुल तन्हा हूँ। मेरे अब्बू, अम्मी, भाईजान को मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं हैं। भाभी औरत होने के नाते मुझे कुछ समझती ! मैं रातों को बिस्तर पर रोती तो भाभी आती और समझाती !
मैंने भाभी से कहा- मुझे उनकी बहुत याद आती है। रातें अकेले काटना मुश्किल हो गया है।
भाभी ने भाईजान से मेरे बारे में बात की, उन्होंने भाभी की बात मान ली। नये साल में दो दिन बाकी थे, भाभी ने मुझे मार्केट चलने को कहा।
हम मार्केट गये। वहाँ भाभी ने कुछ कपड़े लिए। हम होटल में चाय पी रहे थे तो मैं उदास बैठी थी, भाभी ने कहा- दो दिन बाद पार्टी रखी है, तुम्हें कुछ लेना हैं? मेरे मना करने पर भी भाभी ने कुछ पहनने के लिए ले लिया, मुझे दिखाया भी नहीं, कहा- पार्टी में पहनना अब शाम को !
पार्टी में जाने से पहले भाभी ने मुझे और अपने बड़े बेटे आदिल को बुलवाया, एक पैकेट मुझे दिया, एक पैकेट अपने बेटे आदिल को दिया, मुझे कहा- ये कपड़े पार्टी में पहनने के लिए हैं।
और आदिल से कहा- यह पैकेट पार्टी के बाद तुम अपनी फ़ूफ़ी को अपनी तरफ से दे देना !
भाभी ने उसे पूरा समझा दिया था। भाईजान-भाभी, भतीजा आपस में मिल कर कुछ कर रहे थे।
भाभी ने मुझे तैयार होने को कहा, मैं तैयार हो रही थी, आदिल मेरे कमरे में आ गया, मैं पेन्टी ब्रा में थी, वो मुझे देखने लगा। मैं बाथरूम में चली गई मैंने कपड़े बदले और तैयार हो गई। 
हम सब पार्टी में पहुँचे, सबके चेहरों पर मास्क लगे थे। सभी ने हमारा स्वागत किया। सभी खाना खा रहे थे, भाभी ने हमें नाश्ता करवाया और जूस पिलाया।
12 बजने वाले थे, भाभी मेरे कपड़े बदलवाने के लिए कमरे में ले गई, मुझे तौलिया दिया और कपड़े बाहर छोड़ने को कहा।
मैं कपड़े उतार रही थी, मेरे हाथ में सलवार का इजारबन्द था, वो कस गया था, नहीं खुल रहा था।
कि तभी आदिल वहाँ आ गया, भाभी ने उसे पास बुलाया और सलवार खोलने को कहा। मेरे मना करने पर भाभी ने कहा- 12 बजने वाले हैं। खोलने दो ! तुम अपना कमीज उतारो !
मेरे न मानने पर भाभी ने मेरे कमीज उतार दी तभी मेरी सलवार का नाड़ा आदिल ने तोड़ दिया, देखते ही देखते मैं नंगी हो गई। आदिल मेरे नंगे बदन को देखने लगा।
भाभी ने मुझे बाथरूम में भेज दिया और जल्दी तैयार होने को कहा।
मैंने पैकेट को खोला, उसमें जाली का सूट था, मैंने पहनने से मना कर दिया।
भाभी ने कहा- तुम्हारे भतीजे को भेजूँ पहनाने के लिए या पहन रही हो?
मैं बिल्कुल नंगी थी और आदिल ने मुझे देखा भी था, मैंने कहा- मैं तैयार होती हूँ।
मेरा शरीर उस सूट में साफ नजर आ रहा था, मुझे शर्म आ रही थी लेकिन भाभी दरवाजा बजाने लगी। जब मैं बाथरूम से बाहर आई तो भाभी मुझे बाहर ले गई।
12 बजने ही वाले थे, सब साथ-साथ नाचने लगे, भाईजान भाभी आदिल सभी मुझे खुश देख कर खुश थे।
12 बज चुके थे, सभी शोर मचाने लगे। थोड़ी देर में लोग जाने लगे और अब वहाँ पर कुल तीन औरतें थी, भाभी, मैं और मेरी सहेली जिसका मेरे भाईजान से भी याराना है और दो ही मर्द थे भाईजान और आदिल।
भाभी ने कहा- आदिल 18 साल का हो गया है पर इसने लड़की का मज़ा नहीं लिया अभी तक ! तो आज हम तीनों के नाम की पर्चियाँ डलते हैं, जिसकी परची आदिल उठाएगा, उसी पर आदिल अपना कुंवारापन न्यौछावर करेगा।
सभी लड़कियों के नाम डिब्बे में डाल दिये ! अब भाभी ने आदिल को एक पर्ची उस डिब्बे में से निकालने को कहा। आदिल ने एक पर्ची उठा ली। भाभी ने उससे पर्ची लेकर खोली तो उसमें मेरा ही नाम था।
भाईजान ने वीडियो कैमरा उठाया और भाभी ने ऐलान किया- आदिल, नजमा को बेड पर ले चलो !
उसने मुझे गोद में उठाया और चल पड़ा। सभी हमारे पीछे आ रहे थे।
मुझे बैड पर लेटाने के बाद आदिल मेरे बेड पर बैठ गया, आहिस्ता आहिस्ता वो नजदीक आने लगा, मैं पीछे खिसकने लगी।
भाईजान विडियो बना रहे थे।
आदिल ने मेरा पैर पकड़ लिया ओर सहलाते हुए मेरे ऊपर आने लगा। मैं सिसकारने लगी और छुड़ाने लगी पर वो पूरा मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे चूमने लगा। चुम्बन करते करते मेरे चुच्चे दबाने लगा।
अब मैं भी मस्त होने लगी थी। वह हाथ नीचे ले जाने लगा, चाहते हुए भी मैं उसे रोक ना सकी, उसने मेरी सलवार का इज़ारबन्द पकड़ कर खींच दिया और भाभी ने मेरी सलवार उतारने में अपने बेटे की मदद की।
सलवार उतरने के बाद आदिल ने हाथ मेरी पेन्टी में डाल दिया और सहलाने लगा। मुझे मजा आने लगा सहलाते सहलाते उसने अपनी अंमगुली मेरी चूत में डाल दी, मेरे मुँह से चीख निकली तो भाभी पास आई, बोली- बेटे थोड़ा आहिस्ता करो !
फ़िर आदिल ने मेरी पेन्टी निकाली ओर मेरी टांगों को फैलाया, मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था मुझे प्यास लगने लगी, मैंने भाभी से पानी मंगवाया। मैं पानी पी रही थी तो आदिल ने अपने सारे कपड़े निलाक दिए। पानी पीते पीते मेरी नज़र आदिल के लण्ड पर पड़ी तो एकदम कड़क खड़ा था। 
इसी बीच मेरी सहेली ने भाईजान की ज़िप खोल कर उनका लण्ड निकाल लिया और उसे चूसने लगी।
पानी पीने के बाद उसने मुझे नीचे लेटाया और मेरे ऊपर 69 की अवस्था में चढ़ गया। उसने अपना लण्ड मेरे मुंह में डाला ओर आगे पीछे करने लगा, मेरी चूत को चाटने लगा।
15 मिनट बाद वो नीचे उतरा, मेरी टांगों को फैलाया और मेरी चूत के आगे अपना लण्ड लगाया और दबाया। लेकिन वो अन्दर नहीं गया उसने बहुत कोशिश की, मुझे हंसी आने लगी।
भाईजान ने भाभी को तेल देने को कहा। भाभी ने तेल मेरी चूत पर डाला और आदिल उसे अपनी उंगली से मेरी चूत में लगा रहा था, उंगली अन्दर डाल रहा था।
अब आदिल ने मेरी चूत पर अपने लण्ड को रखा और दबाया। मैं चीखने लगी उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर मेरी छाती से दूर किया और मेरे होंटों पर चुम्बन करने लगा और आहिस्ता आहिस्ता अपने लण्ड को मेरी चूत की गहराइयों में पहुँचा दिया।
मुझे दर्द हो रहा था, मैंने अपने हाथ छुड़ा कर उसे कस कर पकड़ लिया। थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा, मैं उसका साथ देने लगी।
अब भाभी ने मेरा कमीज और ब्रा उतारी और अपने बेटे आदिल को मेरे उरोज़ चूसने को कहा।
भाभी अपने बेटे का साथ देने लगी, उन्होंने मेरी टांगें पकड़ ली और चौड़ी कर दी। अब उसे चोदने में मजा आ रहा था लेकिन मुझे शर्म आ रही थी।
भाभी ने भाईजान को क्लोजप लेने को कहा, उन्होंने मेरे ऊपर से नीचे तक का क्लोजप लिया और मेरी चूत का क्लोजप लेने लगे।
भाईजान वीडियो बना रहे थे और मेरी सहेली उनके लण्ड पर पिली पड़ी थी। 
थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था, मैं आदिल का साथ देने लगी धक्के मारने में !
मेरा पानी निकल गया, मैंने भतीजे को देखा, वो बहुत खुश नजर आ रहा था।
वो रूक गया।
भाभी ने कहा- क्या हुआ?
लेकिन मैं अपने चूतड़ चला रही थी।
आदिल ने कहा- अम्मी, मेरा पानी निकलने वाला है।
भाभी ने कहा- रूक मत आदिल, जोर जोर के झटकों के साथ अपना सारा पानी अपनी फ़ूफ़ी की चूत में डाल दे !
उसने वैसा ही किया, वह जोर जोर के झटके देने लगा, उसका पानी निकलने ही वाला था। मैं बहुत खुश थी !
तभी एक तेज धार निकली जो मेरी बच्चेदानी में लगी। मैं आहें भरने लगी, सब समझ गये कि पानी निकल चुका हैं।
आदिल मेरे ऊपर ही लेट गया।
भाभी ने अपने बेटे से हटने को कहा। मैंने भाभी को थोड़ी देर और उसे लेटे रहने देने को कहा।
भाभी हंसते हुए बोली- मजा आया?
मैंने भतीजे को चूमते हुए भाभी को धन्यवाद दिया।
उसके बाद आदिल ने कैमरा सम्भाला और भाईजान मेरी सहेली के साथ बिस्तर पर आ गए।
फ़िर बाद में आदिल ने भी मेरी सहेली को चोदा।

भाई के साथ बरसात का एक दिन



 जब 19 साल की थी तब , जब  एक दिन जब बिजली गयी हुयी थी तब मेरे सगे भाई ने मेरी चूत के अंदर अपना लंड घुसा दिया, तब से मैं बिजली जाने से डरने लगी हूँ। मेरी उम्र तब 19 साल और ऊपर कुछ दिन ही हुई थी, मेरा बड़ा भाई सुन्दर मुझसे 8 साल बड़ा था और उसकी बीवी अनुपमा से उसका तलाक हो चुका था। वो अव्वल नंबर का शराबी और जुआरी था तभी तो बीवी उसे छोड़ कर चली गई थी।

उस दिन घर पर हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था। मम्मी पापा, बाजू वाले शर्मा जी का ऑपरेशन हुआ था तो जिला अस्पताल में उन्हें देखने गए थे। सुन्दर को मैंने रात का खाना परोसा और मैं अपने मेंहदी की डिजाइन सीखने के लिए किताब देखने लगी।

बारिश पहले हल्की और फिर एकदम जोरों से बरसने लगी, तभी पावर-कट लग गया और पूरा घर अँधेरे से भर गया। मैंने अलमारी से मोमबत्ती निकाली और जला कर जहाँ सुन्दर खाना खाने बैठा था, वहाँ नीचे लगाने के लिए झुकी। तभी शायद सुन्दर ने मेरे उभरे हुए स्तन देख लिए और उसका लंड का कीड़ा चूत मांगने लगा।

मेरी और उसकी नजर एक हुई और मैंने तुरंत मोमबत्ती रख के बाहर के रूम का रास्ता नापा। बारिश रुकने के बजाए और भी बढ़ रही थी। 

सुन्दर ने मुझे आवाज लगाई- "मंजू, ये बर्तन ले जा तो !

मैं जैसे ही अंदर गई उसने दरवाजे के पास ही मुझे पकड़ लिया। 

मैं बोली- भैया, यह क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा।

सुन्दर बोला- अभी कोई नहीं आएगा बरसात में। मुझे आज तेरी जवानी का रस पी लेने दे। तू भी तो जवान हो चली है और तेरी चूत भी तो लंड का खुराक मांगती होगी।

उसकी बात तो सही थी कि मेरी चूत को लंड की तलाश थी मगर यह लंड मेरे बड़े भाई का होगा यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। सुन्दर के हाथ मेरे स्तन को मसलने लगे और उसका दूसरा हाथ मेरे चूत के ऊपर घूमने लगा। मैं ना चाहते हुए भी उत्तेजित हो रही थी क्यूंकि सुन्दर एक स्त्री के सबसे उत्तेजित होने वाले दो अंगों पर कब्ज़ा जमाये बैठा था। वह मेरे चुच्चों को जोर जोर से मसलने लगा। मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने हाथ लम्बा के उसकी लुंगी में खड़े उसके लंड को पकड़ लिया। सुन्दर का लंड कुछ 6 इंच जितना लम्बा और ढाई इंच के करीब मोटा था।
सुन्दर ने लुंगी को एक हाथ से खोल दिया और वह बिना लंगोट पहने होने की वजह से उसका लंड अब खुली हवा में आ चुका था। बाहर बारिश बरस रही थी और यहाँ मेरी चूत अंदर से रस छोड़ रही थी। सुन्दर एक बार फिर दोनों हाथ मेरे शरीर पर चलाने लगा। उसने धीमे से मेरी टी-शर्ट को पकड़ा और एक झटके से उसे मेरे माथे पर से होते हुए उतार फेंका, फिर मेरी  ब्रा भी उसने उतनी ही जल्दी निकाल दी।
मेरे 34 इन्च के स्तन देख कर वो पगला सा गया। उसकी बीवी अनुपमा तो काफी दुबली पतली थी और उसके स्तन 30 इन्च के करीब के थे। इसलिए तो सुन्दर इन स्तन को देख बौखला सा गया था। सुन्दर ने मेरे स्तनों को मुँह में भर लिए और वह उन्हें एक हाथ से दबाता था और चूसने लगा ।
मुझे भी चूत के अंदर खुजली होने लगी। मैंने अपना हाथ लम्बा कर के सुन्दर के लंड को पकड़ कर हिला दिया। सुन्दर ने मुझे वहीं पलंग के ऊपर लिटा दिया और मेरी स्कर्ट उतारने लगा। उसने अपनी बनियान भी उतार दी। वह अब मेरे छाती के ऊपर आ गया  और मुझे पागलों की तरह चूमने लगा मेरे गोर बदन पर हर जगह उस के चुम्बन पद रहइ थे 

फिर उस ने मुझे सीधा किया और बिना कुछ कहे सीधा लंड मेरे मुँह के अंदर घुसा दिया।
सुन्दर ने मेरे मुँह के अंदर लंड को ठूंसे रखा और उसका लंड मेरे गले तक पहुँचा कर वो वापस बाहर निकाल लेता था, उसके ऐसे झटके कुछ 2-3 मिनट तक चलते रहे, उसका लंड पूरा लाल हो चुका था और मेरे होंठों के साइड से थूक बाहर आने लगा था। सुन्दर ने मुझे अपने दोनों हाथों से उठाया और पलंग पर डाल दिया। मुझे और सुन्दर दोनों को पसीना हो रहा था क्यूंकि बरसात और उमस की वजह से ऐसा हो रहा था।
सुन्दर ने पलंग पर चढ़ कर मेरी टाँगें फैला दी और वह मेरी हल्के बालों वाली चूत को टटोल रहा हो, वैसे खुजाने और सहलाने लगा। उसकी पहली दो उंगलियाँ चूत के होंठों को मसल रही थी और फिर उसने धीरे से एक उंगली चूत के अंदर दे दी। उसकी पूरी उंगली चूत के अंदर थी जिसे अब वो अंदर-बाहर कर रहा था, उसके नाख़ून मुझे चुभ रहे थे लेकिन मजा भी उतना ही आ रहा था।चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी और इसका रस सुन्दर के हाथों को भी लग रहा था। सुन्दर ने उसके उँगलियों पर लगे चूतरस को लंड के सुपारे पर लगाया और उसने धीरे से पूरा लंड मेरी योनि के अंदर धकेल दिया। उसका लंड चूत को मस्त चोद रहा था और वह बीच बीच में चूत के ऊपर उंगली से रगड़ भी रहा था। मैंने भी अपने कूल्हे हिलाने चालू कर दिए और मैं भी सुन्दर से मस्त चुदाई मजा लेने लगी। सुन्दर का तगड़ा लंड अब चूत को दनादन पेल रहा था और वो ऊपर मेरे स्तन को चूस रहा था।
सुन्दर ने लंड चूत से बाहर निकाला और वह मुझे उल्टा करने लगा, मुझे लगा की वो मुझे घोड़ी बना कर चोदना चाहता होगा। मेरा यह भ्रम तब टूटा जब मेरे उलटे होते ही सुन्दर ने अपने हाथ में थोड़ा थूक ले के मेरी गांड के छेद पर मसल दिया। उसका थूक एकदम चिकना था और गांड का छेद इससे गीला हो गया। उसका लंड तो पहले से चूत के रस से गीला था, उसने धीमे से गांड के अंदर घुसाना चालू किया, मुझे असहनीय दर्द हो रहा था इस तगड़े लौड़े के गांड में जाने से, मैंने दोनों हाथ से पलंग की किनारे पकड़ रखे थे जिसे मैं जोर से दबा कर गांड मरवाने के दर्द को झेलने की कोशिश करने लगी। मुझे पीड़ा में देख कर भी सुन्दर ने जरा दया नहीं दिखाई और उसने एक मिनट के अंदर तो गांड को लंड से भर दिया। उसने धीमे धीमे झटके चालू कर दिए और लंड गांड से आधा निकल कर वापस अंदर घुसा रहा था।
मेरा दर्द धीमे धीमे कम होता गया और अब तो मुझे गांड में लंड से मजा आने लगा। मैंने भी अब गांड को हौले हौले हिलाना चालू कर दिया। सुन्दर के हाथ मेरे कूल्हों पर थे और वह मुझमें अब उठ उठ कर लंड पेलने लगा था।
सुन्दर ने और जोर से गांड मारना चालू कर दिया, उसकी चूत मारने की स्टाइल जैसे ही गांड ठोकने की स्टाइल भी मुझे अच्छी लगी और वह अब थक चूका था इतना हिलने के बाद, उसका वीर्य गिरने ही वाला था कि वह लंड निकाल कर मुझे सीधा करने लगा।
मेरे सीधी होते ही उसने लंड को मेरे स्तन के ऊपर रख दिया। मैंने भी उसके लंड को अपने स्तनों के बीच दबा दिया, सुन्दर ने एक दो बार हिलाया और लंड से वीर्य छलक पड़ा। मेरे स्तनों के ऊपर सुन्दर का सारा वीर्य आ निकला !
दोस्तो, यह थी मेरे भाई के लंड से हुई मेरी चूत और गांड की ठुकाई की कहानी।
उस दिन चुदवाने के बाद मुझे बहुत ग्लानि हुई और मैं उस दिन से ही बिजली जाने से डरती हूँ, ना बिजली जाती, ना मैं मोमबत्ती जलाती !
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सुबह 9 बजे थे, जब पायल ने आकर मुझे जगाया। वह नहा कर तैयार हो गई थी और मेरे लिए चाय लाई थी। अपने खुले बालों को मेरे चेहरे पर डालकर उसने बालों को झटका दिया, इससे उसके बालों में अटकी पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर गिरी और मैंने आँखें खोलकर पायल को अपनी बांहों में भरकर पलंग पर खींचा।
तभी पायल बोली- चलिए, हो गया ना ये सब? अब जल्दी से फ्रेश हो जाइए।
मुझे याद आया कि रात को पायल के साथ सैक्स उसके ही घर में उसके पति के सामने ही हुआ है, तो अब मैं एकदम उठा और पायल से पूछा- कहाँ हैं साहबजी? क्या कहा उन्होंने तुमसे?
पायल बोली- वो नहाने गए हैं। काफी रात तक वो जगे, पर यहाँ कमरे में हमें नहीं देखा। मुझसे कुछ बोले ही नहीं शर्म के कारण !
यह बोलकर पायल हंसने लगी, मैं चाय पीने लगा।
पायल बोली- सुरेन्द्रजी अभी अपने काम से एजेंसी जाएँगे। आप आराम से फ्रेश होकर निकलना, तब फिर हम दोनों अकेले रहेंगे !
यह बोलकर उसने अपनी आँख दबाई और मुस्कुराने लगी।
पर मुझे सुरेन्द्रजी की टेंशन थी कि यह आदमी अपनी बीवी को चोदने वाले को चैन से कहाँ रहने देने वाला था, मैंने पायल से पूछा- मेरे बारे में कुछ बोल रहे थे क्या तुम्हारे साहब?
पायल बोली- नहीं, मैंने बताया ना कि वो कुछ बोले ही नहीं। अब आएंगे तब मैं उन्हें खूब नमक मिर्च लगाऊँगी, कि इतना बड़ा लौड़ा था उनका कि मेरी चूत से जाकर गांड से निकलता था, सो आपकी इस शर्त के कारण मेरी चूत और गांड दोनो फट गई।
मैं बोला- तुम भी गजब करती हो यार ! उनका मूड वैसे ही मेरे लिए खराब होगा, ऊपर से तुम अपना दर्द बताकर उन्हें और उकसा रही हो। ऐसे में उद्वेलित होकर वो मुझे पीटे बिना नहीं रूकेंगे।
पायल बोली- तो क्या करूँ?
मैं बोला- अब उन्हें कोसना बंद करो, और उनके सामने मेरा इंप्रेशन ठीक करो, ताकि उनके मन में मेरे लिए दुर्भावना कम हो। उनसे ऐसा बोलो कि मैं सारी रात तुमसे अपने ही घर की बात करता रहा व उनकी तारीफ करता रहा। और हाँ, रात में मैंने तुम्हें चोदा है, यह बात करना ही मत। मैं सिर्फ़ तुम्हारे बिस्तर में रहा, तुम्हारी सुंदरता की तारीफ और अपनी बीवी स्नेहा के बारे मे बातें करते रहा, ऐसी ही बातें करना अब।
पायल 'ठीक है' बोलकर कमरे के बाहर जाने लगी। मैं बिस्तर से उठा और उसे पीछे से पकड़ लिया। वह पलट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन लेने लगी। मैं उसके उरोज पकड़ कर दबाने लगा। वह भी मस्त होकर मुझे पूरा साथ देने लगी। पर थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि अभी इसमें लगे तो इस बार तो सैक्स कर नहीं पाएंगे, उल्टा सुरेन्द्र के मन में मेरे लिए खुंदक और बढ़ जाएगी और अभी तो वह पक्का मुझे बाहर करके ही दम लेगा, तो मैंने खुद को पायल से अलग किया और कहा- मेरी पारो, यह सब हमें आराम से करना है। चलो पहले सुरेन्द्रजी को पटाने के लिए तैयार हो जाओ, क्यूंकि अब हमारे आज और भविष्य में चुदाई का कार्यक्रम उनके मन में मेरे लिए बनी सोच से ही संभव हो पाएगा।
पायल सीधे होकर मुझसे लिपटी और 'ठीक है; बोलकर बाहर की ओर चली। मैं अभी तुंरत सुरेन्द्र का सामना करने को तैयार नहीं था तो वापस बिस्तर पर आकर लेट गया। मुझे बाहर सुरेन्द्र के आने का एहसास हुआ। काफी हिम्मत के बाद भी मैं उसके सामने जाने का साहस नहीं जुटा पाया।
बिस्तर पर वैसे ही लेटा हुआ था, तभी मुझे सुरेन्द्र की आवाज सुनाई दी- उठिए जवाहरजी, हमारे कमरे में आपको नींद ज्यादा आ रही हैं क्या? 9 बज गए हैं भाई।
अब जाना मेरी मजबूरी थी, तो वहीं से बोला-  हाँ, आ रहा हूँ !
अब मजबूरी थी जाना, तो उठकर वहीं आईने में अपनी शक्ल देखी, ठीक-ठाक हुआ और तौलिया लेकर बाहर निकल पड़ा।
सुरेन्द्र सोफे पर बैठा था, मुझे देखकर कहा- आज तो आपको बढ़िया नींद आई होगी ना?
मैं खिसियानी हंसी हंसकर 'जी' बोला और 'फ्रेश होकर आता हूँ' बोलकर वाशरूम की ओर बढ़ लिया।
अंदर जाकर मैं फ्रेश होते हुए यह सोचने लगा कि पायल उन्हें जैसा मैंने बोला था, वैसा बता रही होगी या नहीं।
ब्रश वगैरा करके मैं नहाने लगा ताकि सुरेन्द्र को समझाने का समय पायल को मिल जाए। मैं बाहर आया, वापस कमरे में जाकर अपने कपड़े पहनकर सुरेन्द्र के पास आया और कहा- माफ कीजिए, मेरी वजह से आपको बाहर सोना पड़ा।
सुरेन्द्र हंसते हुए बोला- अरे वो रास्ता मैंने खुद ही चुना था। चलिए छोड़िए, अब बताइए कैसी बीती आपकी रात? इसने परेशान तो नहीं किया आपको सोने में?
मैं बोला- वो मेरे कारण रात भर सो नहीं पाई होंगी, मैं बेवजह आप लोगों के बीच में आ गया।
सुरेन्द्र बोला- पायल बता रही थी कि आप कल अपनी पत्नी को बहुत याद कर रहे थे। अब मुझे लगा कि पायल ने अपना काम कर दिया है, अब मुझे उसमें और फ्लेवर डालना है बस।
मैं बोला- जी हाँ, कल आप लोगों के बिस्तर और सजे हुए कमरे में मैं जब पायलजी के साथ था, तो मुझे अपनी पत्नी स्नेहा की बहुत
याद आ रही थी क्योंकि उसे तो ऐसा सजा हुआ रूम और बैड अपने हनीमून में नसीब ही नहीं हुआ।
हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
यह बोलकर मैं उसे अपनी गरीबी और परेशानी के किस्से सुनाने लगा। उसे देखकर मुझे अहसास हुआ कि यह रंग सुरेन्द्र पर बढ़िया चढ गया है। वो मुझसे बहुत सहानुभूतिपूर्ण रूख अपनाने लगा। मैं उसे अपने घर से जुड़ी और काल्पनिक बातों को शेयर करने लगा कि कल रात जैसा बिस्तर मुझे पहले नहीं मिला है, और मैं रात को बिस्तर में लेटे हुए अपनी पत्नी को याद करते रहा। आपकी पत्नी मेरे बाजू में थी, पर मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया।
सुरेन्द्र ने मुझसे कहा- तुम तो मेरी बीवी के साथ हनीमून मनाना चाहते थे, फिर तुमने कुछ नहीं किया मैं कैसे मान लूँ?
मैं बोला- मैं आपको यह बात मानने के लिए नहीं बता रहा हूँ सुरेन्द्र जी। बल्कि मैं तो आपसे यह कहूँगा कि मैंने रात को पायलजी के साथ सैक्स किया है, ताकि मेरा रोल भी बढ़कर आपके लेवल तक पहुँच जाए। दरअसल कल रात मुझे आपकी शर्त लगाने की आदत पर नहीं अपनी माली हालत पर बहुत दुख हो रहा था और आपसे मिले ऐशोआराम के आगे मेरा दुख ज्यादा बढ़ गया था। अब आप इसे चाहे जिस रूप में लें, जो सच है वह मैंने आपको बता दिया।
अब सुरेन्द्र पूरी तरह से फूलकर कुप्पा हो गया था, अब उसे इस बात का मलाल नहीं था कि उसकी बीवी किसी दूसरे के साथ सोई थी, बल्कि इसका फख्र था कि उसके जैसे ऐशो आराम दूसरे कई लोगों के पास नहीं है।
सुरेन्द्र बोला- अब आपका क्या कार्यक्रम है?
मैं बोला- मुझे काम के सिलसिले में ही नागपुर जाना है, आज रात की ट्रेन है, मैं उससे ही जाऊँगा। तब तक यहीं थोड़ा घूम फिर लूँगा।
सुरेन्द्र बोला- नहीं आप हमारे साथ ही खाना खाएँगे और रात को यहीं से रवाना हो जाना। यानि आप जब तक सूरत में हैं हमारे घर में ही रहेंगे।
अब तक चुप खड़ी पायल अचानक सिसकने लगी और मेरे सामने अपने हाथ जोडते हुए बोली- मेरे लिए आप भगवान हैं, जो आपने मुझे कलंकित होने से बचा लिया। नहीं तो मैं सोच ली थी कि जब इज्जत नहीं रही तो जीकर क्या करूँगी। आज मैं अपनी जान अपने पति को समर्पित कर देती।
उसकी दमदार नौटंकी ने सोने में सुहागा सा असर किया। इस सारे नाटक से हमें यह फायदा हुआ कि मेरा खाना रहना अब सुरेन्द्र के कहने से उसी के घर में होना तय हो गया था।
खाना खाने के बाद सुरेन्द्र ने कहा- मुझे लौटने में रात हो जाएगी, सो मैं अपना काम निपटाकर आता हूँ और पायल तुम जवाहर का ख्याल रखना। उन्हें हमारे घर में कोई तकलीफ ना हो।
पायल ने हामी भरी। कुछ ही देर में सुरेन्द्र भी निकल गया। पायल उसे देखने ऊपर खिड़की के पास खड़ी रही, उसके कार में बैठकर निकलते ही वह 'याहू ! मेरे जस्सू चलो चुदाई करें !' बोलकर मेरे पास आकर आकर लिपट गई।
उसने दरवाजे को एक बार फिर चेक किया, और मुझे घसीटते हुए अपने कमरे में ले गई, वहाँ मेरे शर्ट की बटन खोलने लगी।
मैं बोला- क्या बात है पारो, आप तो सही में सेठानी के रोल में आ गई हो।
वह मुझे छोड़कर हसते हुए बोली- चलो अब आप जल्दी से नंगे हो जाओ।
'जी मालकिन, होता हूँ' बोलकर मैंने अपने पूरे कपड़े उतारे, उसके सामने नंगा हुआ तब वह बोली- अब हमें भी नंगी कीजिए।
मैंने उसके पास आकर उसकी साड़ी को खींचकर अलग किया। अब उसने अपने दोनों हाथों को यूं फैला दिया मानो मुझे अपने आगोश में लेना चाहती हो। पर मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींचा, वह खुलकर नीचे आ गया।
खुले हुए पेटीकोट को वहीं छोड़कर वह दो कदम आगे सरक आई।
अब मैं उससे चिपका और ब्लाउज के हुक खोलकर उसे भी उतारा। मेरे सामने सूरत की मेरी सुंदरी ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। अब तक मेरा लंड भी उफान पर आ गया था। मैंने उसे अपने से चिपकाया और उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया। वह भी मुझसे ऐसे चिपकी मानो मेरे भीतर ही घुस जाना चाहती हो। होंठो को जकड़े हुए ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्रा को निकालकर वहीं नीचे डाल दिया। उसके मस्त उठे हुए स्तन मानो मेरे मुख में समाने को लालायित हों। अब अपने होंठों को उसके पूरे चेहरे पर घुमाकर ठोडी, गर्दन से लाकर उसके स्तन पर टिकाया। उसके एक निप्पल को चूसा व दूसरे निप्पल को हाथ से हल्के से दबाने लगा।
पायल मेरा सिर पकड़कर ही पीछे सरककर बिस्तर पर आई। मैं भी पहले उसे लिटा कर ऊपर चढ़ कर उसके दूधों का रस लेने लगा। उसकी आवाज से लग रहा था कि उसका मूड बन गया है।
यकायक वह उठी और मेरे लंड को मुख में ले लिया। पहले लौड़े के सुपारे को अच्छे से चूसने के बाद वह पूरे लौड़े को अपने मुंह में भरने की कोशिश करने लगी। वह मेरे ऊपर आ गई। अब मैंने उसकी जांघ पर थपकी देकर अपनी ओर खींचा। उसने मेरे लौड़े को चूसते हुए ही अपनी चूत मेरी मुंह की ओर कर दी। अब हम 69 के पोज में थे। मैं उसकी चूत चूस रहा था, चूत की ऊपरी फली में जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, डालने के बाद फिर छेद में आया। उसकी चूत का स्वाद बदल गया था। यानि उसका रज आने लगा है। इससे उत्साहित होकर मैंने छेद में जीभ डालकर अंदर बाहर करने की स्पीड बढ़ा दी। उसने भी जोश में अपनी स्पीड बढ़ाई, और लौड़े को मुंह में ज्यादा अंदर व तेजी से करने की होड़ लगा दी।
यहाँ एक बात मैं सही कहना चाहता हूँ कि पायल मेरे लौड़े को अपने मुंह में जितना अंदर ले रही थी, उतना अंदर तो मेरी बीवी स्नेहा भी नहीं ले पाई है। पायल का प्यार मुझे परास्त न कर दे, इस डर से मैंने उसकी चूत में जीभ अंदर बाहर करने की स्पीड बढाई। अब

मुझे उसके रज की मात्रा अधिक लगने लगी। पर उसका गिरे इससे पहले ही मेरे लौड़े ने अपना रस

उसके मुंह में ही उडेल दिया। मेरे वीर्य की आखरी बूंद उसके मुंह में गिरे इसके पहले उसकी चूत से रज

की मात्रा और गति दोनो ही बढ गई। यानि उसका माल भी बाहर आ गया। मेरा गिरने के बाद भी वह

मेरे लंड को बहुत प्यार से चूसे जा रही थी। इससे लंड ठडा हो ही नहीं पाया। मैं भी उसकी चूत को फिर से गरमाने के लिए जीभ भीतर डाले जा रहा था। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा फिर टनटना गया। अब उसने लौड़े की निचली नली को जीभ से उपर तक चाटने के बाद बोली- अब इसे चूत में दो।
मैंने भी उसकी चूत को छोड़ा और उसके मुंह के पास आ गया। अब लंड को चूत के छेद में रखकर अंदर डाला। दूसरे समय की अपेक्षा पायल की चूत में मेरा लौड़ा आसानी से चला गया। लौड़ा अंदर जाते ही पायल ने उछलना शुरू कर दिया। मुझे शाट लगाने में थोड़ी देर हो रही थी, पर उसके शाट की गति कम नहीं हो रही थी। मुझे आभास हो रहा था कि मेरा लंड उसकी चूत के आखिरी पोर तक पहुँच रहा है।
पायल के बराबर लगते झटकों की वजह से इस चुदाई का आनन्द ही अद्भुत था। हम दोनों का ध्यान लंड को और ज्यादा भीतर तक घुसाना था। चुदाई के इस राउंड का लुत्फ़ हमने ज्यादा देर तक उठाया। मेरे वीर्य को उसने अपनी चूत में ही समेटा। इस दौर के बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपककर नंगे ही सो गए।
हमारी नींद शाम को करीब 5 बजे खुली। उठने के बाद हमने चुदाई का एक दौर और पूरा किया। फिर पहले पायल, फिर मैं वाशरूम जाकर तरोताज़ा हुए।
पायल बोली- आज ही जाएँगे क्या? 
मैं बोला- जी हाँ, आज का ही रिजर्वेशन है।
पायल बोली- आप जब मुझसे मैसेंजर पर चैटिंग करते हो तो मुझसे फोटो बहुत मांगते हो इसलिए आज आपको मेरी जितनी फोटो खींचनी हो खींच लीजिए। लीजिए आपकी पारो अपने जस्सू के सामने नंगी खड़ी है।
उसकी इच्छा देखकर मैंने भी अपने मोबाइल से पायल की बहुत सारी फोटो खींची। इनमें से कई नंगी थी और कुछ कपड़ों में भी।
ये फोटो लेने के बाद मैंने कहा- सुरेन्द्रजी के आने से पहले ही मैं निकल जाता हूँ। नहीं तो यदि वो मुझे छोडने स्टेशन गए, तो यहाँ से मुझे मजबूरी में जनरल क्लास में सफर करना पड़ेगा क्यूंकि ऐसा ही उन्हें मैंने कहा है।
मेरी इस बात से वह सहमत हुई और फिर जल्दी ही मिलने के वायदे के साथ पायल के घर से मैं अपना सामान लेकर स्टेशन की ओर निकल पड़ा।
तो दोस्तो, यह था पायल के साथ मेरी चुदाई का किस्सा !
इस कहानी का यह आखिरी भाग आप तक पहुँचाने में देर इसलिए हुई कि अपने एक और साथी की मांग पर मुझे उसके साथ सैक्स करने बाहर जाना पड़ा था। उसकी बहुत मजेदार चुदाई की बात आपको सुनाने मैं जल्दी ही आऊँगा।