Monday, January 19, 2015

बात उस समय की है जब मैं ग्रेजुयेशन कर रहा था। मेरे घर के पास एक फैमिली रहती थी। पति और पत्नी, जो रिश्ते में मेरी बुआ के लड़के और उनकी पत्नी यानि मेरे भाई और भाभी लगते हैं।
चूंकि. भाभी भी कॉमर्स ग्रेजुयेट थीं, तो वो मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती रहती थीं। इसीलिए मेरा भी ज़्यादातर वक्त उनके घर पर ही व्यतीत होता था। मैं उन्हीं के यहाँ खाना ख़ाता और सो भी जाता था। कोई इसको बुरा या ग़लत भी नहीं कहता, क्योंकि वो मेरे भाई और भाई थे। यहाँ तक की उनके घर में भी मेरा एक कमरा हो गया था जिसे सिर्फ़ मैं पढ़ने और सोने के लिए इस्तेमाल करता था।
भाभी का नाम सुमन है। वो बहुत ही खूबसूरत और कमनीय काया की महिला हैं। उस वक़्त उनकी उम्र 22 साल और मेरी 19 साल थी। उनकी देहयष्टि का नाप उस समय 34-26-40 थी।  भाभी के चूतड़ थोड़े से भारी थे और उन की चूचियाँ देख कर मेरा लैंड खड़ा हो जाता था 

क्या मादक जिस्म था उनका। बिल्कुल किसी परी की तरह।


एक दिन की बात है, भाभी मुझे पढ़ा रही थीं और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे थे, इतने में भैया की आवाज़ आई- सुम्मी और कितनी देर है जल्दी आओ ना..।


भाभी आधे में से उठते हुए बोलीं- राजू बाकी कल करेंगे, तुम्हारे भैया आज कुछ ज्यादा ही उतावले हो रहे हैं।

यह कह कर वो जल्दी से अपने कमरे में चली गईं।
मुझे भाभी की बात कुछ ठीक से समझ नहीं आई, काफ़ी देर तक सोचता रहा, फिर अचानक ही दिमाग़ की 'ट्यूब-लाइट' जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया किस बात के लिए उतावले हो रहे थे।
मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। आज तक मेरे दिल में भाभी को ले कर बुरे विचार नहीं आए थे, लेकिन भाभी के मुँह से उतावले होने वाली बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था।
मुझे लगा कि भाभी के मुँह से अनायास ही यह निकल गया होगा। जैसे ही भाभी के कमरे की लाइट बन्द हुई, मेरे दिल की धड़कन और तेज़ हो गई।
मैंने जल्दी से अपने कमरे की लाइट भी बन्द कर दी और चुपके से भाभी के कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया।
अन्दर से फुसफुसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुछ-कुछ ही साफ़ सुनाई दे रहा था।
'क्यों जी.. आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?'
'मेरी जान, कितने दिन से तुमने दी नहीं... इतना ज़ुल्म तो ना किया करो मेरी रानी...!'
'चलिए भी, मैंने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नहीं मिलती। राजू का कल इम्तिहान है, उसे पढ़ाना ज़रूरी था।'
'अब श्रीमती जी की इज़ाज़त हो तो आपकी बुर का उद्घाटन करूँ?'
'हाय राम.. कैसी बातें बोलते हो, शरम नहीं आती?'
'शर्म की क्या बात है, अब तो शादी को दो साल हो चुके हैं, फिर अपनी ही बीवी की बुर को चोदने में शर्म कैसी?'
'बड़े खराब हो... आह..अई..आह हाय राम… धीरे करो राजा.. अभी तो सारी रात बाकी है।'
मैं दरवाज़े पर और ना खड़ा रह सका। पसीने से मेरे कपड़े भीग चुके थे, मेरा लंड अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को तैयार था। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया, पर सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैं एक पल भी ना सो सका, ज़िंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हुआ था।
सुबह भैया ऑफिस चले गए। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था, जबकि भाभी मेरी कल रात की करतूत से बेख़बर थीं।
भाभी रसोई में काम कर रही थीं, मैं भी रसोई में खड़ा हो गया, ज़िंदगी में पहली बार मैंने भाभी के जिस्म को गौर से देखा।
उनका गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन, लम्बे घने काले बाल जो भाभी के कमर तक लटकते थे, बड़ी-बड़ी आँखें, गोल-गोल बड़े संतरे के आकार की चूचियाँ जिनका साइज़ 34 से कम ना होगा। पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े, भारी चूतड़, एक बार फिर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई।
इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, मेरा आज इम्तिहान है और आपको तो कोई चिंता ही नहीं थी, बिना पढ़ाए ही आप कल रात सोने चल दीं..!
'कैसी बातें करता है राजू, तेरी चिंता नहीं करूँगी तो किसकी करूँगी?'
'झूठ, मेरी चिंता थी तो गई क्यों?'
'तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।'
'भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था?' मैंने बड़े ही भोले स्वर में पूछा। 
भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गईं और तिरछी नज़र से देखते हुए बोलीं- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है। मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए। बोल है कोई लड़की पसंद?
'भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो।'
'चल नालायक भाग यहाँ से और जा कर अपना इम्तिहान दे।'
मैं इम्तिहान तो क्या देता, सारा दिन भाभी के ही बारे में सोचता रहा। पहली बार भाभी से ऐसी बातें की थीं और भाभी बिल्कुल नाराज़ नहीं हुईं, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी।
मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था। भाभी रोज़ रात को देर तक पढ़ाती थीं। मुझे महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर सोचता, अगर भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाए तो दिन में चार दफे चोदूँ।
दीवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा, क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी। टिकट खिड़की पर बहुत भीड़ थी, मैं भाभी के पीछे रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़ा था। धक्का-मुक्की के कारण आदमी-आदमी से सटा जा रहा था। मेरा लंड बार-बार भाभी के मोटे-मोटे चूतड़ों से रगड़ रहा था।
मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी, हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था, फिर भी मैं भाभी के पीछे चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था।
भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया, जिससे मेरा लंड और ज़ोर से उनके चूतड़ों से रगड़ने लगा। लगता है भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गई थी और उसका हाल पता था लेकिन उन्होंने दूर होने की कोशिश नहीं की।
भीड़ के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला, ट्रेन में हम दोनों एक ही सीट पर थे। 
रात को भाभी के कहने पर मैंने अपनी टाँगें भाभी की तरफ और उन्होंने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर लीं और इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गए।
रात को मेरी आँख खुली तो ट्रेन के नाइट-लैंप की हल्की-हल्की रोशनी में मैंने देखा, भाभी गहरी नींद में सो रही थीं और उनकी साड़ी जांघों तक सरक गई थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टाँगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना संयम खोने लगा। उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं।
मैं मन ही मन मानने लगा कि साड़ी थोड़ी और ऊपर उठ जाए ताकि भाभी की चूत के दर्शन कर सकूँ। मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया।
साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ़ 2 इंच ही नीचे थी, पर कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था की 2 इंच ऊपर जो कालिमा नज़र आ रही थी वो काले रंग की पैन्टी थी या भाभी की बुर के बाल।
मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की, भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया। मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा।
मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की, दस दिन के बाद हम वापस लौट आए।
वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका नहीं लगा। भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है।
उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया। भैया कुछ ज़्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ़ सुनाई दे रही थीं।
'सुम्मी मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया... देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है.. अब तो इनका मिलन करवा दो..!'
'हाय राम, आज तो यह कुछ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है... ओह हो.. ठहरिए भी.. साड़ी तो उतारने दीजिए।'
'ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता।'
'झूठ.. ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो-तीन बार ही!'
'दो-तीन बार ही क्या?'
'ओह हो.. मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं..!'
'बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?'
'अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो-तीन बार ही तो चोदते हो... बस..!'
'सुम्मी, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता... थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है... मेरी जान।'
'मुझे भी आपका बहुत... उई.. मर गई... उई… आ…ऊफ़.. बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे… हाँ ठीक है….थोड़ा ज़ोर से…आ..आह..आह...!'
अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज़ के साथ साथ ‘फच..फच’ जैसी आवाज़ भी आ रही थीं जो मैं समझ नहीं सका। 
बाहर खड़े हुए मैं अपने आप पर संयम नहीं कर सका और मेरा लंड झड़ गया। मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया। अब तो मैं रात-दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। मैं पहले भी अपने आस-पास की 3-4 लड़कियों को चोद चुका था इसलिए चुदाई की कला से भली-भाँति परिचित था।
मैंने इंग्लिश की बहुत सी कामुक ब्लू-फिल्म्स देख रखी थीं और हिन्दी और इंग्लिश के कई कामुक उपन्यास भी पढ़े थे। 
मैं अक्सर कल्पना करने लगा कि भाभी बिल्कुल नंगी होकर कैसी लगती होंगी।
जितने लम्बे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने ही घने बाल उनकी चूत पर भी होंगे। भैया भाभी को कौन-कौन सी मुद्राओं में चोदते होंगे। एकदम नंगी भाभी टाँगें फैलाई हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होंगी। यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
मैं भी 5’7' लंबा हूँ, अपने कॉलेज का बॉडी-बिल्डिंग का चैम्पियन था। रोज़ दो घंटे कसरत और मालिश करता हूँ। लेकिन सबसे खास चीज़ है मेरा लंड। ढीली अवस्था में भी 4 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा किसी हथौड़े के माफिक लटकता रहता है। यदि मैं अंडरवियर ना पहनू तो पैन्ट के ऊपर से भी उसका आकार साफ़ दिखाई देता है। खड़ा हो कर तो उसकी लम्बाई करीब 7-8 इंच और मोटाई 3.5 इंच हो जाती है।
एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि इतना लम्बा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है। मैं अक्सर बरामदे में तौलिया लपेट कर बैठ जाता था और अखबार पढ़ने का नाटक करता था। जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती, मैं अपनी टाँगों को थोड़ा सा इस प्रकार से चौड़ा करता कि उस लड़की को तौलिए के अन्दर से झाँकता हुआ लंड नज़र आ जाए।
मैंने अखबार में छोटा सा छेद कर रखा था। अखबार से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था। लड़कियों को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेख़बर हूँ। एक भी लड़की ऐसी ना थी जिसने मेरे लंड को देख कर मुँह फेर लिया हो।
धीरे-धीरे मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा, क्योंकि उन्हें ही लम्बे, मोटे लंड का महत्व पता था।
एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई- राजू, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं, उन्हें अन्दर ले आओ... बारिश आने वाली है।'
'अच्छा भाभी..।' मैं कपड़े लेने बाहर चला गया। घने बदल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी मदद करने आ गईं।
डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैंने देखा की भाभी की ब्रा और पैन्टी भी टंगी हुई थी। मैंने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 34बी, उसके बाद मैंने भाभी की पैन्टी को हाथ में लिया। गुलाबी रंग की वो पैन्टी करीब-करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो।
भाभी की पैन्टी का स्पर्श मुझे बहुत आनन्द दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी पैन्टी भाभी के इतने बड़े चूतड़ों और चूत को कैसे ढकती होगी। शायद यह कच्छी भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होंगी। मैंने उस छोटी सी पैन्टी को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुश्बू पा सकूँ।
भाभी ने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोलीं- क्या सूंघ रहे हो राजू ? तुम्हारे हाथ में क्या है?
मेरी चोरी पकड़ी गई थी। बहाना बनाते हुए बोला- देखो ना भाभी ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गई।
भाभी मेरे हाथ में अपनी पैन्टी देख कर झेंप गईं और चीखती हुई बोलीं- लाओ इधर दो।
'किसकी है भाभी ?' मैंने अंजान बनते हुए पूछा।
'तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो।' भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोलीं।
'बता दो ना... अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लौटा दूँ।'
'जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?'
'अरे भाभी, मैं तो इसको पहनने वाली की खुशबू सूंघ रहा था, बड़ी मादक खुश्बू थी। बता दो ना किसकी है?'
भाभी का चेहरा यह सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अन्दर भाग गईं।
उस रात जब वो मुझे पढ़ाने आईं तो मैंने देखा कि उन्होंने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी। नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी। भाभी जब कुछ उठाने के लिए नीचे झुकीं तो मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की पैन्टी पहन रखी थी। झुकने की वजह से पैन्टी की रूप-रेखा साफ़ नज़र आ रही थी। मेरा अंदाज़ा सही था। पैन्टी इतनी छोटी थी कि भाभी के भारी चूतड़ों के बीच की दरार में घुसी जा रही थी। 
मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी, मुझसे ना रहा गया और मैं बोल ही पड़ा- भाभी अपने तो बताया नहीं, लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छोटी सी पैन्टी किसकी थी।
'तुझे कैसे पता चल गया?' भाभी ने शरमाते हुए पूछा।
'क्योंकि वो पैन्टी आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है।'
'हट बदमाश..! तू ये सब देखता रहता है?'
'भाभी एक बात पूछूँ? इतनी छोटी सी पैन्टी में आप फिट कैसे होती हैं?' मैंने हिम्मत जुटा कर पूछ ही लिया।
'क्यों मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?'
'नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुन्दर हैं, लेकिन आपका बदन इतना सुडौल और गठा हुआ है, आपके चूतड़ इतने भारी और फैले हुए हैं कि इस छोटी सी पैन्टी में समा ही नहीं सकते। आप इसे क्यों पहनती हैं? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है, इसमें से तो आपका सब कुछ दिखता होगा।'
'चुप नालायक, तू कुछ ज़्यादा ही समझदार हो गया है, जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा। लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है।'
'जिसकी इतनी सुन्दर भाभी हो वो किसी दूसरी लड़की के बारे में क्यों सोचने लगा?'
'ओह हो..! अब तुझे कैसे समझाऊँ? देख राजू, जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है, वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसी लिए कह रही हूँ शादी कर ले।'
'भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती?' मैंने बहुत अंजान बनते हुए पूछा। अब तो मेरा लंड फनफनाने लगा था।
"चल भाग यहां से" कह कर भाभी ने मुझे वहाँ से जाने को कहा "जब शादी करेगा तब सब पता चल जाएगा" कह कर भाभी हंसने लगी 
धीरे धीरे मेरे मन मैं भाभी को छोड़ने की तमन्ना बढ़ने लगी और मैं उन के आगे पीछे ज्यादा घूमने लगा. भाभी भी मेरे साथ खूब खुश रहती थी अब वह मेरे साथ काफी खुल कर बात करती थी और कभी कभी मेरे सामने ही साड़ी बदल लेती थी. एक दिन वह मेरे सामने ही नह कर बाथरूम से निकली उस समय उन के शारीर पर सिर्फ एक टॉवल लिपटा हुआ था और मैं उन कें बदन को घूरे जा रहा था भाभी ने पूछा "क्या है जो ऐसे आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा है" 

भाभी आप पूरे दर्शन करवाती तो हो नहीं " मैं ने कहा 

  ले देख ले " कह कर भीभी ने वह तौलिया भी हटा दिए

वाह रे मेरी किस्मत " जिस बदन के बारे मैं सोच सोच कर मैं ने हज़ारों बार मुठ मारी थी आज वही दूधिया बदन सच मैं मेरे सामने था 

मैं ने आगे बढ़ कर भाभी के बूबस थामने की कोशिश की मगर भाभी दो कदम पीछे चली गयी और बोली "ओये बात देखने की हुए थी छूने की नहीं "

भाभी यह तो आप की ज्यादती है" देखो मेरा कितना बुरा हाल हुआ जा रहा है यह सेक्सी बदन देख कर

:क्या देखूं ? तू ने तो कुछ दिखाया ही नहीं "मुझे क्या पता कहाँ पर बुरा हाल हो रहा है ? "

"यहां नीचे भाभी ? "

दिखा ना ! फिर सोचूंगी क्या करना है उस के साथ

मैं समः गया आज भाभी चुदने के पूरे मूड मैं हाई इस लिए अपने शॉर्ट्स नीचे कर दिए

"मेरा आठ इंच का लंड फुंफकार मार कर बहार आ गया

"हाय राम  इत्ता बड़ा " भाभी की आँखें फटी की फटी रह गयी

भाभी बड़ा हो या छोटा है तो आप का दीवाना

हाय राम , किसी छोटी चूत मैं मत घुसा देना , फाड़ देगा उस को यह

भाभी अगर जाएगा तो आप की फ़ुद्दी मैं नहीं तो हाथ से काम चल ही रहा है

चल हट  , इतना मस्त माल देख कर कैसे रुक सकती है कोई औरत, आज तो इस के मजे लेने ही हैं

ओह्ह भाभी तुम कितनी अच्छी हो

फिर हम दोनों एक दुसरे से पूरी तरह चिपट गए और जल्दी ही हमारी साँसे खूब तेज चल रही थी और हम एक दुसरे को चूम चूम कर गीला कर रहे थे

फिर मैं और भाभी बिस्तर पर आ गए, यह वही बिस्तर था जहां भैया ने भाभी की सील खोली होगी और रोज़ रात मेरी प्यारी भाभी की चूत गीली कर के सो जाते होंगे , आज मुझे भाभी तो सही तृप्त करना होगा

अब मैं ने जितना भी सेक्स के बारे मैं पढ़ा सुना था भाभी के साथ करने लगा

मैं ने उन की चूचियाँ दबा दबा कर लाल कर दी और उन के निप्पल चूस चूस कर उन को मस्त कर दिया

फिर मैं उन की जाँघों के बीच जा कर उन की चूत चाटने की कोशिश करने लगा.

हट  वह गंदी होती होती है वहाँ नहीं चूमते

नहीं मेरी प्यारी भाभी का कुछ भी गन्दा नहीं है वह सब जगह प्यार करने लायक है मुझे मत रोको

ओह इतना प्यार आ रहा है मुझे तब भाभी मत बोल अपनी सुमन बना ले मुझे

ओह मेरी रानी मेरी सुमन तेरे बिना अब नहें रहा जाएगा जानेमन

ओह मेरे प्यारे रज्जा

फिर भाभी ने अपनी शर्म लिहाज दूर की और टाँगे फैला कर मेरे मुंह को अपने प्रेम द्वार के दर्शन करने दिए

बालों के बीच भाभी की चुत का गुलाबी छिद्र रास टपका रहा था

मैं ने जीभ बढ़ा कर पहले उस रास को चाटा और फिर चाट चाट कर भाभी को मजे देना लगा

मेरी भाभी मस्त हो गयी और मेरे सर को दबा दबा कर चोट चटाई के मजे ले रही थी इस तरह औरत को मस्त करने का पहला इम्तेहान मैं ने पार कर लिया अब दोनों को आगे बढ़ना था

मैं अं अपने घुटनों पर आ लगा और कुत्ते की तरह भाभी के छेद मैं अपना हथियार घुसाने का प्यास करने लगा मगर वह तो घुस ही नहीं रहा

"पूरा बुद्धू है तू तो  तुझे बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा नहीं तो मेरी देवरानी क्या सोचेगी" जब दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी मेरा हथियार सही जगह नहीं घुसा तो भाभी बोली

फिर भाभी ने मेरा लंड जड़ से कस  के पकड़ा और अपने छेड़ के साथ रह कर दबा दिया

अब मेरी बारी धक्का देने की थी , सही रास्ता और सही धक्का मिलते ही मेरा हथियार भाभी की छेद मैं समा गया

"आह" भाभी के मुंह से निकल गया

क्या हुआ भाभी ?

कुछ नहीं रे , इतना बड़ा लिया नहीं है न कभी कुछ दिनों मैं आदत पड़ जाएगी

अब मेरी मर्दानगी जोश पर आ गयी और मैं धक्के तेज तेज होने लगे

भाभी भी पूरी मस्ती  मैं आ चुकी थी और चूतड़ उचका उचका कर मेरे धक्के के साथ मिला कर चुदाई करवा रही थी

मस्त चुदाई से भाभी जल्दी ही झड़ने की कगार पर आ गयीं और मुझे कस  कर पकड़ लिया मैं ने झटके रोके नहीं और उन के झड़ने के पांच मिनट बाद तक चोदता रहा जब मेरा माल निकलने वाला था तब मैं ने भाभी से पूछा "सुमन अंदर छोड़ दूँ अपना माल ? "

हाँ राजा " अगर आ भी गया तेरा प्यार मेरे पेट मैं तो डर कैसा ?

यह सुन कर मैं ने अपना सारा माल भाभी की चूत की गहराई मैं उतार दिया और हम दोनों एक दुसरे से चिपट कर लेट गए

उस के बाद मेरी और भाभी की चुदाई रोज़ ही होने लगी जैसे ही माँ मंदिर जाती हम बिस्तर पर एक साथ होते

भाभी ने मुझे सेक्स की हर पोजीशन मैं सेक्स करना सिखाया उन को खुद कोआमने सामने बैठ कर चुदाई करना सब से ज्यादा पसंद है वह कहती हैं यह पोजीशन लम्बे लंड वाले ही ठीक से कर सकते हैं और उन्हें इस लिए खास पसंद है की उन्हें अपनी चूत मैं मेरा लंड घुसते हुए देखना अच्छा लगता है

मैं भाभी की गांड भी मार लेता हूँ. गांड मरवाने के लिए मुझे भाभी ने ही उत्साहित किया और पूरे सहयोग दे कर अपनी गांड कस मेरे लंड से उद्घाटन करवाया भाभी सेक्स मैं किसी बात के लिए मना ही नहीं करती जो दिमाग मैं आ जाए कर  के ही मानती हैं

एक दिन मेरे दिमाग मैं आ गया भाभी के साथ हनीमून नहीं मनाया यह सुनते ही भाभी प्लान बनाने लगी की  दोनों कैसे हनीमून मन सकते है और उन के दिमाग के एक प्लान बना ही डाला

भाभी ने घर मैं सब से बोला वह अपने मइके (देहरादून ) जाना चाहती हैं और मुझे बोला की वह भी कॉलेज की ट्रिप से उन्ही दिनों बाहर रहेगा ऐसे बोल दूँ

हम दोनों अलग अलग घर से निकले और स्टेशन पर मिल कर मसूरी निकल गए मसूरी मैं दो दिन खूब मस्त चुदाई कर के  भाभी अपने मइके चली गयीं और मैं अपने घर आ गया

जब भाभी वापिस आयी तब उन्होंने बताया की उन की माहवारी आने के दिन पूरे हो चुके है मगर इस महीने आयी नहीं है उन को पूरा विस्वास था की इस बीच भैया बहुत बिजी रहे थे और उन्होंने सेक्स नहीं किया था मतलब साफ़ था हम दोनों का हनीमून रंग लाया है और मैं बाप बनने वाला हूँ यह सोच कर मैं बहुत खुश हुआ और सोचने लगा इतनी अच्छी भाभी को कैसे और ज्यादा खुश रखूँ















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