Saturday, January 27, 2018

पूजा और ऋतु

पूजा 
ऋतू 
अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई और मैंने जब छेद से ऋतु के रूम में देखा तो वहाँ अँधेरा था. मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें जमाने के बाद मैंने देखा कि ऋतु अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही थी. मेरी बहन एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से मेरी बहन की चूत
अलग ही चमक रही थी.
मेरा लंड यह नजारा देख कर फुफकारने लगा. मैंने फुर्ती में अपने कपड़े उतारे और उसकी खुली हुई टांगों के बीच कूद गया.
मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया, उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गई.
जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी. ऋतु सिसकारती हुई बोली- म्म्म्म म्म्म… आआ आआआह आआ… गुड मोर्निंग.. रोहन!
मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला- गुड मोर्निंग!
हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं चटखारे लेकर उसे पीने लगा. ऋतु ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी. मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे चूचों पर किस करता चला गया और अंत में उसके होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा कि मेरे मुंह से भी आह निकल गई.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया. उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया. बाकी काम मैं जानता था और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गर्म चूत में डाल दिया. उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर कुछ झटकों के बाद वही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें आने लगी- आअअ अअहह… चोदो… मुझए… मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…. आअहहह… जोर से और जोऊर से!
मैंने अपना मुंह ऋतु के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं झड़ने के करीब था. मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतु समझ गई और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया.
मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा और अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.
वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतु के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गई.
फिर ऋतु ने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई. उसकी चूत ने मेरे होंठों को ढक लिया. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चूसना शुरू कर दिया और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हल्के से चिल्ला कर झड़ने लगी.
झड़ने के बाद ऋतु उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे की किस ली. फिर उसने किस तोड़ी और बोली- अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ. इससे पहले कि मम्मी पापा उठ जाएँ… और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हें, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है.
मैं- ओह्ह मैं तो भूल ही गया था… मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है.
ऋतु- मुझे भी!
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.
नाश्ता करते हुए ऋतु ने सबको बता दिया कि आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.
कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा, मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया. घड़ी देखी तो तीन बजने वाले थे और ऋतु साढ़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी. मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद ऋतु और पूजा घर आ गई. मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रही थी. वो पूजा को बता रही थी कि कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे.
पैसों का नाम सुनकर पूजा ऋतु को हैरानी से देखने लगी.
पर जब ऋतु बोली- अगर तुम्हें लगे कि यह ‘शो’ अच्छा नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना.
कुछ सोचने के बाद वो मान गई क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और संकुचाते हुए अपनी जींस और चड्डी को उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया.
दूसरे रूम में से जब ऋतु ने देखा कि मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
छेद से झाँकने के बाद पूजा ने धीरे से कहा- वाव… ऋतु, तुम्हारे भाई का लंड तो काफी बड़ा है और सुन्दर भी!
ऋतु- हाँ शायद… क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है… ले दे के सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को तौल सकते हैं.
और दोनों हंसने लगी.
मुझे इस बात का आभास हो गया था कि छेद से मेरी बहन और और उसकी सहेली बारी-बारी से मुझे देख रही हैं.
पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है. लंड के ऊपर की नसें कैसे चमक रही हैं. सच में यह बहुत सुंदर है.
मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था यह सोच कर कि पूजा और ऋतु मुझे दूसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोड़ा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू कर दी.
यह देखकर दूसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गई और वो बोली- हाय… वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिल्कुल सामने है… वाव… अब उसके लंड में से रस निकल रहा है… कितना सुन्दर दृश्य है… मजा आ गया.
मैंने गहरी साँसें लेते हुए झड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा ‘काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता!’
दूसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतु को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया और बोली- मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है, निप्पल खड़े हो गए हैं… ये देख!
और उसने ऋतु का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया।
ऋतु दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पूछा- मतलब तुम मानती हो न कि यह शो एक हजार रूपए का था.
पूजा कुछ नहीं बोली और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतु को दे दिए और बोली- बिल्कुल था… ये लो!
और आगे बोली- काश! ये सब मुझे बिल्कुल मेरे सामने देखने को मिल जाए तो मजा ही आ जाए.
आगे की कहानी
ऋतु- तो चलो चल कर रोहन से ही पूछ लेती हैं… देखें वो क्या कहता है?
और फिर हँसने लगी.
पूजा- पागल हो गई है क्या… मैं तो सिर्फ बात कर रही हूँ. इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे जाकर बोलूँ कि वो मेरे सामने मुठ मार सकता है या नहीं.
ऋतु- तुम मत जाओ, मैं जाकर उसको बोलती हूँ तुम्हारी तरफ से.. अगर तुम चाहो तो?
पूजा- वो कभी भी नहीं तैयार होगा इस पागलपन के लिए… ये सिर्फ मेरे मन के विचार हैं और कुछ नहीं इन्हें ज्यादा गंभीरता से मत लो.
ऋतु- अरे कोशिश तो करते हैं ना… वो या तो हाँ करेगा या ना… और वो ये बात मोम डैड को भी नहीं बता पायेगा क्योंकि उसे ये बातें उन्हें बताने में बड़ी शर्म आएगी… मैं तो यह सोच रही हूँ कि उसको क्या देना पड़ेगा ये सब करवाने के लिए?
पूजा- क्या मतलब?
ऋतु- मतलब कि वो शायद कर सकता है अगर बदले में हम उसे कुछ ऐसा दें जिसकी उसे जरूरत है.
पूजा- जैसे कि?
ऋतु- मुझे नहीं पता…कुछ भी हो सकता है. ये तो सिर्फ मेरा आईडिया है. चलो एक काम करते हैं, मैं जाकर उससे पूछती हूँ कि क्या वो हमारे सामने मुठ मारने को तैयार है और उसके बदले में क्या चाहिए.
पूजा- तुझ में इतनी हिम्मत ही नहीं है कि अपने सगे भाई से इस तरह की बात पूछ सके और अगर पूछती भी है तो वो तैयार नहीं होगा.
ऋतु- अगर ऐसी बात है तो मैं अभी जाकर पूछती हूँ!
और यह बोल कर वो दरवाजे की तरफ चल पड़ी.
जाते जाते उसने पूजा से कहा- अगर तुम भी आना चाहो तो आ सकती हो, या फिर छेद में से देख सकती हो.
पूजा- ना बाबा ना..मुझे तो बड़ी शर्म आएगी इस सबमें… तुम ही जाओ.
ऋतु ने आकर मेरे रूम का दरवाजा खड़काया और अन्दर आ गई. मैंने बड़ी हैरानी से उसे देखा.
वो जल्दी से मेरे पास आई और मेरे मुंह पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने के लिए कहा और फुसफुसा कर बात करने लगी.
दूसरे रूम से पूजा बड़ी बेसब्री से ये सब देख रही थी. उसने देखा कि ऋतु ने मुझ से कुछ कहा और कुछ मिनट बात करने के बाद ऋतु का भाई झटके से अलग हुआ और अपने हाथ हवा में उठाकर मना करने के स्टाइल में कुछ बोलने लगा.
पूजा सांस रोके ये सब देख रही थी फिर ऋतु दुबारा अपने भाई के पास गई और उसे कुछ और बोला. फिर भाई ने भी आगे से कुछ कहा और ऋतु सोचने के अंदाज में सर खुजाने लगी और फिर कुछ और बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे के गले लग गए और ऋतु बाहर निकल गई.
अन्दर आते ही पूजा ने ऋतु से बड़ी अधीरता से पूछा- तुमने उससे क्या कहा? कैसे पूछा?
ऋतु- वही जो हमने तय किया था.
मैंने पूछा- क्या वो हमारे सामने हस्तमैथुन कर सकता है क्योंकि हमने कभी भी असली में ऐसा नहीं देखा.
पूजा- और उसने क्या कहा?
ऋतु- वो तो यह सुनकर काफी भड़क गया था.
पूजा- देखा… मैंने कहा था ना!
ऋतु- पर जब मैंने उससे कहा कि हम इसके लिए उसे कुछ पैसे देंगे या फिर कुछ और भी जो वो चाहे तो बात आगे बढ़ी.
पूजा ने उत्तेजित होकर पूछा- तो उसने क्या कहा?
ऋतु- वो तैयार है और वो इसके लिए दो हज़ार रूपए मांग रहा है.
पूजा ने आश्चर्य के भाव दिए और बोली- क्या सच में… वो सब हमारे सामने करने को तैयार है और उसे सिर्फ रूपए चाहियें?
ऋतु ने धीरे से कहा- हाँ… और साथ ही साथ वो चाहता है कि हमें भी उसके सामने नंगी होना पड़ेगा.
पूजा ने कटाक्ष भरे स्वर में कहा- वाह बहुत बढ़िया… वो हमें नंगी देखना चाहता है, तभी हस्तमैथुन करेगा.
ऋतु ने उसे उकसाते हुए कहा- पर जरा सोचो… उसका लम्बा और खूबसूरत लंड तुम्हारी नाक से सिर्फ कुछ ही दूरी पर होगा.
पूजा कुछ सोचते हुए बोली- चलो वो तो ठीक है, पर क्या तुम अपने भाई के सामने नंगी हो सकती हो?
ऋतु- उसे अपने सामने मुठ मारता हुए देखने के लिए तो मैं ये सब कर ही सकती हूँ… ये कोई बड़ी बात नहीं है और जब हम दोनों करेंगे तो मुझे इसमें ज्यादा शर्म भी नहीं आएगी.
पूजा- हम दोनों से तुम्हारा क्या मतलब है… मैं तो अभी तक इसके लिए तैयार ही नहीं हुई.
ऋतु ने अपनी आवाज में थोड़ी कठोरता लाते हुए कहा- तुम मुझे ये बताओ तुम तैयार हो या नहीं… ये तुम्हारा लास्ट चांस है?
पूजा- ठीक है… जब तुम्हें अपने भाई के सामने नंगी होने में कोई परेशानी नहीं है तो मुझे क्या… वो ये सब कब करेगा?
ऋतु- शायद आज रात को सबके सोने के बाद!
पूजा- मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है… क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो?
ऋतु- अरे हाँ… ये एक नया एडवेंचर होगा… मजा आएगा… और फिर हम बाद में… समझ गई ना?
पूजा- ठीक है… पर सच में तुम बड़ी पागल हो.
ऋतु- पागलपन करने में भी कभी-कभी बड़ा मजा आता है… चलो अब अपना होमवर्क कर लेती हैं, फिर रात को तो कुछ और नहीं कर पायेंगी.
रात को जब सभी डिनर कर रहे थे तो ऋतु ने सारी बातें मेरे कान में बता दी. बीच-बीच में जब मैं पूजा की तरफ देखता था तो वो शरमा कर अपना चेहरा नीचे कर लेती थी.
जब खाना ख़त्म हुआ तो ऋतु और पूजा अपने रूम में चली गई और आखिरकार सारे घर में शांति छा गई. ऋतु और पूजा अपने रूम में गाउन पहनकर मेरा इंतजार कर रही थी.
पूजा ने सोचा कि शायद मैं नहीं आऊँगा और कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला ही था कि उसे दरवाजे पर हल्की सी खटखट सुनाई दी. आवाज सुनते ही ऋतु उछल कर दरवाजे के पास गई और मुझे अन्दर खींच लिया.
मुझे खींचकर वो बेड के पास तक ले गई और वहाँ बैठी पूजा के पास बैठ गई.
मैं उन दोनों के सामने नर्वस सा खड़ा हुआ था.
ऋतु ने पूछा- अरे भाई, किस बात का वेट कर रहे हो… तुम ये करना भी चाहते हो या नहीं?
मैं- मुझे लगा तुम मुझे पहले पैसे दोगी.
ऋतु पूजा की तरफ देखकर- बिल्कुल देंगी, हमने बोला है तो जरूर देंगी.
मैं- तुमने बोला था कि तुम मुझे 2000 रूपए दोगी और नंगी भी होओगी दोनों?
ऋतु- क्या तब तुम हस्तमैथुन करना शुरू करोगे?
मैं संकुचाते हुए- ह्म्म्म हाँ!
ऋतु- ठीक है…
और पूजा की तरफ देखकर उसे कुछ इशारा किया, पूजा ने झट से अपने पर्स में से 2000 रूपए निकाल कर मुझे दिए पर मुझे कुछ न करते देखकर वो समझ गई कि आगे क्या करना है.
ऋतु- पूजा… चलो एक साथ नंगी होती हैं.
फिर पूजा उठी और दूसरी तरफ मुंह करके अपना गाउन खोल कर नीचे गिरा दिया, ऋतु ने भी उसके साथ-साथ वही किया, दोनों की गांड मेरी तरफ थी. मैं तो वो दृश्य देखकर पागल ही हो गया. एक गोरी और दूसरी सांवली… एकदम ताजा माल… भरी हुई जांघें और सुडौल पिंडलियाँ
फिर दोनों घूम कर मेरी तरफ मुंह करके बेड के किनारे पर बैठ गई. पूजा के चुचे देखकर मेरे मुंह से ‘आह’ निकल गई और मैं अपने लंड को अपने पायजामे के ऊपर से ही मसलने लगा.
यह देखकर ऋतु ने मुझे घूर कर गुस्से के लहजे में देखा और अगले ही पल हंसकर मुझे आँख मार दी.
पर पूजा ये सब नहीं देख पाई… वो तो अपनी नजरें भी नहीं उठा रही थी.
मैंने देखा कि उसके चुचे ऋतु से काफी बड़े हैं. थोड़े लटके हुए… शायद ज्यादा भार की वजह से… और उसके लाल निप्पल इतने बड़े थे कि शायद मेरे पैर की उंगली के बराबर… पेट बिल्कुल गोल मटोल और सुडौल था.
मैं खड़ा हो गया और अब मैं उसकी चूत भी देख पा रहा था. वो बिल्कुल काली थी, बालों से ढकी हुई और बीच में जो चीरा था, उसमें से गुलाबी पंखुड़ियाँ अपनी बाहें फैला कर जैसे मुझे ही बुला रही थी.
मेरी बहन और उसकी सहेली मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी. दो नंगी स्कूल गर्ल्स को देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. मैंने ऋतु की तरफ देखा, उसके चूचों का तो मैं वैसे ही दीवाना था. मुझे अपनी तरफ देखते पाकर उसकी आँखें बंद सी होने लगी और अपनी एक उंगली अपने मुंह में डालकर वो बोली- चलो अब तुम्हारी बारी है.
मैंने एक गहरी सांस लेकर अपना पायजामा और चड्डी नीचे गिरा दी और अपनी टी-शर्ट भी उतार दी. फिर मैंने अपना तना हुआ लंड हाथ में लिया और उसे आगे पीछे करने लगा.
ऋतु ने कहा- इतना दूर नहीं… यहाँ हमारे पास आकर खड़े हो जाओ और फिर हिलाओ.
मैं खिसककर आगे आ गया और अब मेरे पैर बेड से टकरा रहे थे और उन दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों का चेहरा मेरे लंड से सिर्फ चार या पांच इंच की दूरी पर ही था.
मैं लंड हिलाने लगा. पूजा ने ऋतु की तरफ देखा और वो मुस्कुरा दी. जवाब में पूजा भी मुस्कुरा दी और वो अब अपने सामने के नज़ारे के मजे लेने लगी.
मेरा पूरा ध्यान अब पूजा की तरफ था. वो अपनी आँखें फाड़े मेरे लंड को देख रही थी, उसका होंठ थोड़े से खुले हुए थे, चूचे तन कर खड़े हो गए थे, लगता था वो अपनी सुध बुध खो चुकी है.
मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो बड़े ही कामुक स्टाइल से मेरी ही तरफ देख रही थी. उसका एक हाथ अपनी चूत की मालिश कर रहा था और वो अपने होंठों पर अपनी लाल जीभ फिरा रही थी जैसे वो मेरा लंड चूसना चाहती हो.
पर वो पूजा के सामने मेरा लंड कैसे चूस लेगी.
यही सब सोच सोच कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं छुटने के बिल्कुल करीब पहुँच गया. ऋतु को शायद इस बात का अंदाजा हो गया था, वो थोड़ी और आगे खिसक आई.
साली मेरे रस की भूखी!
और मेरे लंड ने अपना रस उबाल कर बाहर उड़ेलना शुरू कर दिया.
मेरी पहली धार सीधे ऋतु के चेहरे से टकराई और वो थोड़ा पीछे हटी और फिर दूसरी धार सीधे पूजा के खुले हुए मुंह के अन्दर और तीसरी और चोथी उसके गालों और माथे पर जा लगी.
फिर मैंने थोड़ा लेफ्ट टर्न लिया और बाकी की बची हुई पिचकारी अपनी बहन के चेहरे पर खाली कर दी.
पूजा तो अवाक रह गई.. जब मैंने अपना वीर्य उसके मुंह में डाला पर जब उसने अपना मुंह बंद करके स्वाद चखा तो उसे साल्टी सा लगा और वो उसे निगल गई.
पूजा ने शायद सोचा की इसका स्वाद ऋतु के रस से थोड़ा अलग है पर टेस्टी है तो फिर उसने अपने चेहरे से बहते हुए रस को अपनी उँगलियों से समेटा और निगल गई. पूजा ने देखा कि ऋतु बड़े मजे से अपना मुंह खोलकर मेरी धारें अपने चेहरे और मुंह पर मरवा रही है और बड़े मजे से पी भी रही है.
मेरा लंड धीरे से मुरझाने लगा और ऋतु ने पूजा की तरफ देखा और उसे गले से लगा लिया और बोली- देखा कितना मजा आया… कितना उत्तेजक था.
यह बोल कर ऋतु अपने चेहरे पर बचा हुआ रस चाटने लगी.
पूजा- हाँ… बड़ा ही मजेदार था, मुझे भी देखने में काफी अच्छा लगा.
ऋतु- क्या तुम्हें इसके रस का स्वाद पसंद आया?
पूजा शर्माते हुए- हाँ… ठीक था.
ऋतु- चलो फिर मेरे चेहरे से सारा रस चाट कर इसे साफ़ कर दो… जल्दी!
पूजा ने सकुचाते हुए कहा- ठीक है.
और अपनी लम्बी जीभ निकालकर ऋतु का चेहरा चाटना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो बिल्कुल साफ़ हो गया और पूजा चटखारे लेते हुए पीछे हो गई.
मैंने अपने मुरझाये हुए लंड को निचोड़ कर आगे किया और उसके सिरे पर बड़ी सी वीर्य की बूंद चमकने लगी तो मैंने दोनों से कहा- अब इसका क्या होगा?
ऋतु- पूजा तुम चाट लो इसे!
पूजा घबराते हुए बोली- मैं… नहीं मैं कैसे!?!
मैं- जल्दी करो… नहीं तो मैं जा रहा हूँ.
ऋतु- अरे चलो भी पूजा, अब क्यों शरमा रही हो… चूस लो.
पूजा- नहीं मैं नहीं कर सकती.
ऋतु- बिल्कुल कर सकती हो!
और उसने पूजा का चेहरा पकड़ कर आगे किया और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसके मुंह में डाल दिया.
मैंने महसूस किया कि पूजा के होंठ मेरा लंड मुंह में लेते ही बंद हो गए और उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे को कुरेदने लगी. एक दो बार चाटने के बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?
पूजा बोली- मजेदार… काफी नर्म और गर्म है ये तो… मुझे नहीं लगता ये जल्दी पहले जैसा कड़ा हो सकेगा.
मैंने कहा- थोड़ा और चूसो… तब बोलना!
ऋतु ने भी उसे उकसाते हुए कहा- हाँ हाँ चलो थोड़ा और चूसो पूजा… देखते हैं क्या होता है.
पूजा ने अपना मुंह जल्दी से खोला और मैंने आगे बढ़कर उसका मुख अपने लंड से भर दिया. वो उसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चूसने लगी और अपनी जीभ का भी इस्तेमाल कर रही थी और अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हलके से दबा भी रही थी.
मेरे लंड ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया. मैंने पूजा को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया. मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में था और मैं उसके सख्त और गद्देदार चूचों पर हल्के भार से बैठ गया.
पीछे से ऋतु ने बिना कोई वक़्त गवाएं झुक कर अपना चेहरा उसकी काली चूत पर टिका दिया और चूसने लगी.
मैं अपने लंड से अपनी जीभ से उसकी चूत.
पूजा के लिए ये बहुत था, वो बेड पर लेटी हुई मचलने लगी और अपने एक हाथ से मुझे और दूसरे से ऋतु को धक्का देने लगी पर ऋतु ने उसकी दोनों टांगों को इस तरह से जकड़ रखा था कि वो छुड़ा ही नहीं पाई और मैं तो उसके चेहरे पर बैठा था और मेरे वजन को हटा पाना उसके बस का नहीं था.
पूजा सिसकार उठी… उसके शरीर में तरंगें उठने लगी और फिर उसे ऐसा लगा कि पूरे शरीर में करंट लग गया है. वो अकड़ गई और उसकी चूत हवा में उठ गई और वो झड़ने लगी और उसकी चूत में से रस दनादन बहकर बाहर आने लगा.
ऋतु ने उसे फिर भी नहीं छोड़ा और पूजा के उठते हुए चूतड़ों के साथ वो भी उठ गई और रसपान जारी रखा. ऋतु ने पीछे से एक हाथ आगे करके मेरी गांड में उंगली डाल दी. मेरे लिए यह काफी था, मेरा भी लंड अपना रस छोड़ने लगा और पूजा ने भी कोई गलती नहीं की और वो भी मेरा सारा रस पी गई.
जब सब कुछ शांत हो गया तो मैं उसके ऊपर से हट गया. ऋतु ने भी उसकी चूत से अपना मुंह हटा लिया और खड़ी हो गई.
ऋतु का पूरा चेहरा पूजा के रस से भीगा हुआ था. पूजा का चेहरा भी लाल सुर्ख हुआ पड़ गया था पर उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी.
मैंने कहा- वाह… ये तो बहुत ही मजेदार था, मुझे तो काफी अच्छा लगा.
पूजा ने भी खुश होते हुए कहा- मुझे तो ये विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने ये सब किया.
मैंने कहा- हाँ… बहुत मजेदार था.
और आगे बढ़ कर पूजा के होंठों को चूम लिया.
मेरे चूमते ही पूजा ने अपने हाथ मेरी गर्दन के चारों तरफ लपेट दिए और मुझे फ्रेंच किस करने लगी. उसके अधीर होठों ने मेरे होंठ पकड़ लिए और चूसने लगी. पूजा के होंठ काफी गर्म थे और उसकी जीभ मेरे मुंह के अन्दर जाकर मेरी जीभ को चाटने लगी.
पूजा के कठोर चूचे मेरे नंगे सीने से टकरा रहे थे. मेरा एक हाथ अपने आप उन पर चला गया. वो थोड़ा पीछे हुई और हम दोनों बेड पर गिर पड़े और उसका नाजुक सा शरीर मेरे नीचे मचलने लगा.
ये सब देखकर ऋतु आगे आई और हमें अलग करते हुए कहा- चलो चलो, बहुत हो गया. आज के लिए इतना ही काफी है. और भैया तुम अपने रूम में जाओ अब!
मैंने अनमने मन से अपने कपड़े पहने और अपने रूम में आ गया और छेद से देखने लगा.
ऋतु ने एक छलांग लगाकर अपना चेहरा पूजा की चूत पर टिका दिया था और अपनी चूत उसके चेहरे पर और फिर दोनों 69 के आसन में एक दूसरे की चूत को चूसने लगी.
मैंने भी अपना लंड निकालकर हिलाना शुरू कर दिया और सोचने लगा कि काश मैं भी वहीं पर होता!
पर जल्दी ही सभी झड़ गए और सोने चले गए.
अगली सुबह जब मैं उठा तो मैंने भाग कर अपनी आँख छेद पर लगा दी. मैंने देखा कि वो दोनों उठ चुकी हैं और दोनों के मुंह एक दूसरी की चूत में चिपके हुए हैं.
मैं अपने रूम से निकला और चुपके से उनके रूम में दाखिल हो गया.
ऋतु का चेहरा दरवाजे की तरफ था और वो पूजा के ऊपर लेटी हुई थी. पूजा का चेहरा ऋतु की मांसल जांघों के बीच पिस रहा था. ऋतु बड़ी बेरहमी से अपनी चूत पूजा के मुंह पर रगड़ रही थी. पूजा भी उसकी चूत चाटने में और अपनी चटवाने में व्यस्त थी.
मैं थोड़ा आगे आया और बेड के पास आकर खड़ा हो गया. ऋतु को मेरे आने का आभास हो गया और उसने चेहरा उठाकर मुझे देखा और मुस्कुरा दी. मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपना खड़ा हुआ लंड उसे दिखाया.
मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपना मुंह पूजा की चूत पर टिका दिया. ऋतु अपने एक हाथ से पूजा की चूत का दाना मसल रही थी और मैं पूजा की रसीली चूत को साफ़ करने में लग गया.
अपनी चूत पर हुए अलग तरह के हमले से पूजा सिहर उठी और उसने भी ऋतु की चूत पर दोगुने जोश से हमला बोल दिया और फिर दोनों झड़ने लगी.
मैंने अपने मुंह पर पूजा के रस का सैलाब महसूस किया और उसे पीने में जुट गया. पूजा भी ऋतु के रस से नहा चुकी थी और अपने मुंह से उसकी चूत को चाटने में लगी हुई थी. ऋतु झड़ कर साइड में हो गई पर मैंने पूजा की चूत को नहीं छोड़ा.
पूजा ने नोट किया कि ऋतु तो उसके ऊपर से उतर चुकी है फिर भी उसकी चूत पर किसी का मुंह लगा हुआ है तो वो झटके से उठी और मुझे देखकर उछल पड़ी और बोली- अरे तुम… तुम्म कब आये? और ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- नाश्ता!
तभी ऋतु ने पूजा की तरफ देखकर कहा- चलो भैया का लंड चूसती हैं.
और मेरे सामने आकर बैठ गई, अपना मुंह खोलकर मेरे फड़कते हुए लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और उसे चूसने और चाटने लगी.
पूजा बड़ी हैरानी से ये सब देख रही थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऋतु अपने सगे भाई का लंड इतने मजे से अन्दर ले रही है और वो अपना मुंह फाड़े ये सब अनहोनी होते देख रही थी.
ऋतु ने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ फिराते हुए पूजा से कहा- अरे देख क्या रही हो… इधर आओ और मेरी मदद करो.
पूजा थोड़ी हिचकिचाई पर मेरे लम्बे लंड को देखकर उसके मुंह में भी पानी आ गया और वो भी नंगी उठ कर ऋतु के साथ ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई और दोनों ने एक साथ मेरे लंड को सताना शुरू कर दिया.
दोनों बारी-बारी से मेरे पप्पू को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. फिर उन्होंने दोनों तरफ से मेरे लंड के चारों तरफ अपने रसीले होंठ फेरने शुरू कर दिए. उनके गीले होंठों के बीच मेरा लंड पिस कर रह गया.
वो दोनों मेरे लंड को बाँसुरी की तरह बजा रही थी और मेरे लंड को अपने मुंह में रखकर दोनों ने फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया. मेरी तो टांगें ही कांपने लगी क्योंकि जिस तरह का इलाज वो दोनों मेरे लंड को दे रही थी… वो मुझसे सहन नहीं हुआ और मेरे लौड़े ने अपना गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया.
दोनो में होड़ लग गई कि कौन ज्यादा से ज्यादा मेरा रस पीती है और इस तरह मेरी एक-एक बूंद निचोड़ ली कमीनियों ने… मेरा लंड मुरझा कर उनके होंठों से निकल कर बाहर आ गया पर फिर भी दोनों ने अपनी किस नहीं तोड़ी. वो शायद एक दूसरे के मुंह में मेरा रस ढूंढ रही थी.
मैंने धीरे से कहा- मैं चलता हूं अब!
और अपना पायजामा ऊपर करके बाहर निकल गया पर वो दोनों अभी भी एक दूसरी में व्यस्त थी.
नीचे नाश्ते पर दोनों बच्चों की तरह व्यवहार कर रही थी, बात बात पर हंस रही थी पर कुछ भी ऐसा बर्ताव नहीं कर रही थी कि हम सबके बीच रात को और सुबह में क्या-क्या हुआ.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जैसा हमने सोचा था, सब वैसा ही हुआ बल्कि उससे भी अच्छा हुआ क्योंकि पैसों के साथ साथ पूजा ने मेरा लंड भी चूसा और अपनी चूत भी चुसवाई.
मुझे आज अपने आप पर गर्व हो रहा था.
शाम को मैं और ऋतु अपने कमरे में बैठ कर आगे के बारे में बातें कर रहे थे. मैंने ऋतु से कहा- मैं अपने दोस्तों को तुम्हारा और पूजा का शो दिखाने के ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ या फिर दूसरा आप्शन यह है कि ऋतु अपनी चूत मेरे दोस्तों से चटवा ले.
ऋतु ने भी कहा कि क्यों न वो अपनी दूसरी सहेलियों को भी मेरा हस्तमैथुन करता हुआ शो दिखाए या फिर मैं उसकी सहेलियों की चूत चाटूं!
मैंने कहा- मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
ऋतु बोली- या फिर मुझे लगता है कि हमें दोनों काम करने चाहियें… हमें तो पैसों से मतलब है फिर जहाँ से मर्जी आयें… है न?
मैंने सोचते हुए कहा- ह्म्म्म… हाँ!
मैंने ऋतु से पूछा- पर क्या पूजा इन सबके लिए राजी होगी?
ऋतु ने हंसते हुए कहा- अगर तुम उसकी चूत फ्री में चाट कर झाड़ दो तो जरूर राजी हो जाएगी.
रात को डिनर के टाइम पापा ने एलान किया कि इस बार वो दोनों हमें भी अपने साथ जंगल कैंप पर ले जायेंगे क्योंकि पिछले साल भी कुछ लोग अपने बच्चों को लेकर आये थे. तो वो भी अपने बच्चों को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई अजय और उनकी पत्नी आरती, अपनी बेटी नेहा को भी साथ ला रहे हैं.
चाची के बारे में सुनकर मैं खुश हो गया. हम काफी समय से उनसे नहीं मिले थे, वो काफी आकर्षक थी… खासकर उनकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी और उठी हुई थी. नेहा भी जवान हो गई थी. मैंने उसे भी काफी समय से नहीं देखा था. मैं मन ही मन उन दोनों को सोचकर खुश होने लगा.
ऋतु ने ख़ुशी के मारे उछलते हुए कहा- अरे वाह… क्या सच में आप हम दोनों को अपने साथ लेकर चलोगे?
पापा (संदीप) ने अपनी पत्नी यानि कि हमारी मम्मी पूर्णिमा की तरफ देखते हुए कहा- हाँ… बिल्कुल!
मैंने उठ कर पापा के गले लग गया- ओह्ह पापा यू आर ग्रेट!
ऋतु भी उठी और हम दोनों से लिपट गई. मेरा हाथ सीधा ऋतु की गांड से टकराया और मैं उसे दबाने लगा. मम्मी भी आकर हमारे साथ बीच में घुस गई. अब मेरे दूसरी तरफ मम्मी थी और मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी कमर पर था. उन्होंने साड़ी पहन रखी थी. मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई अपनी माँ की नंगी कमर को पकड़ने मात्र से!
उस रात मैंने और ऋतु ने कुछ नहीं किया और सो गए.
अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़ने जाते समय मैंने उससे आगे के लिए बात की. हम सोच रहे थे कि जाने से पहले कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. हम दोनों ने निष्कर्ष निकाला कि हम अपने दोस्तों से बात करेंगे और देखेंगे कि क्या हो सकता है.
शाम को मैंने ऋतु को बताया कि मैंने सन्नी और विकास से बात कर ली है और वो ऋतु और पूजा को एक साथ नंगी देखने के लिए ढाई हजार देने को तैयार हैं यानी एक शो के पांच हजार रूपए! और साथ ही साथ ये भी कहा है कि अगर वो ऋतु की चूत भी चाटना चाहते हैं तो उसके पांच हजार रूपए अलग लगेंगे.
उन दोनो ने पहली बात तो झट से मान ली पर पाँच हजार का नाम सुनकर बोले कि ये तो बहुत ज्यादा है, वो फिर कभी कर लेंगे. अभी तो सिर्फ दो नंगी लड़कियों को नंगी देखना चाहते हैं.
ऋतु बोली कि उसने भी एक-दो लड़कियों से बात की है पर किसी ने अभी तक पक्का नहीं किया है.
हमने तय किया कि अगले दिन दोपहर को स्कूल से आने के बाद हम ये शो करेंगे… मम्मी पापा के आने से पहले.
ये सब बातें करते करते हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे. मैंने उसकी स्कर्ट को उठाया और उसे डायनिंग टेबल के ऊपर झुकाकर उसकी कच्छी उतार दी और अपना मुंह उसकी रस टपकती चूत पर टिका दिया.
ऋतु मचल पड़ी और उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- आआह… म्म्म्म ममम… जोऊऊर… से ए ए… आआहहह!
मेरी लम्बी जीभ ऋतु की चूत कुरेदने में लग गई. मैंने हाथ ऊपर करके उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और झटके से उसके कंधों से शर्ट के साथ साथ उसकी ब्रा के स्ट्रेप भी उतार दिए. उसके गोरे चूचे बाहर उछल पड़े.
फिर ऋतु आगे की तरफ झुक कर टेबल पर आधी लेट गई. टेबल का ठंडा कांच उसके चूचों को मसल रहा था और उसके शरीर में सिहरन दौड़ा रहा था. उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मैं सारा रस पी ही नहीं पा रहा था. उसका रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे तक जा रहा था.
मैंने उसका रस टांहों के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी टाँगें रस से भीगकर लसीली हो चुकी थी. फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी टाँगें चाटना शुरू कर दिया तो वो पागल ही हो गई, उसे गुदगुदी भी हो रही थी. उसने पलटकर मेरी तरफ मुंह किया और मेरा सर पकड़ कर जोर से चीख मारने लगी- ईईईई… क्याआआ… कर.. रहे होओ?
मैंने टाँगे चाटते हुए उसका पैर उठाकर अपने चेहरे के सामने किया और उसकी पैर की छोटी-छोटी उँगलियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. वो उत्तेजना के मारे दोहरी हो गई और उसने उसी पैर को मेरे सीने पर दबाव देते हुए मुझे नीचे जमीन पर लिटा दिया और उछल कर मेरे मुंह पर बैठ गई और दूसरी तरफ झुककर मेरे लंड को आजाद किया और चूसने लगी.
मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया.. वो समझ गई और अपने होंठ मेरे मुंह में देते हुए अपनी चूत मेरे लंड पर टिका दी और फिर जोरदार धक्कों के साथ मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.
हम दोनों के मुंह से ‘गूंन्न… गूंन…’ की आवाज निकली और मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. जल्दी ही मैं झड़ने के कगार पर आ गया, मैंने अपना चुम्बन तोड़ा और ऋतु से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ऋतु, अपना मुँह खोलो!
ऋतु फिर पहली जैसे अवस्था में आ गई और अपनी गीली चूत मेरे मुंह में डालते हुए मेरा रसीला और अपने ही रस में डूबा लंड चूसने और चाटने लगी. मेरे लंड ने जल्दी ही फायरिंग करनी शुरू कर दी.
‘माआआआ… आआ आआआह…’ और वो सब कुछ निगलती चली गई.
मेरा मुंह भी उसके काम रस से लबालब भर गया और हम गहरी साँसें लेते हुए वहीं आधे नंगे लेटे रहे.
इस तरह मैंने अपनी बहन को चोदा.
तभी मैंने मम्मी की कार की आवाज सुनी और हमने जल्दी से अपने कपड़े समेटे और ऊपर की तरफ भाग गए.
बेल की आवाज सुनकर मैं सिर्फ अपनी शोर्ट्स जल्दी से पहन कर नीचे आया और दरवाजा खोला. मैंने ऊपर कुछ नहीं पहन रखा था. मम्मी ने मेरा गठीला शरीर देखा और बोली- ऐसे क्यों घूम रहे हो?
तो मैंने कहा- मम्मी, अपने रूम में कसरत कर रहा था.
मम्मी ने ऋतु के बारे में पूछा तो मैंने कहा शायद वो अपने रूम में पढ़ाई कर रही है.
और फिर भाग कर ऊपर अपने कमरे में आ गया, छेद में से झांक कर देखा तो ऋतु कपड़े बदल रही थी नीचे जाने के लिए.
खाना खाने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम में जाकर सो गए.
अगली दोपहर मैं सन्नी और विकास तीन बजे घर आ गए. थोड़ी ही देर में हमने ऋतु और पूजा को भी घर में दाखिल होते देखा. हम पहले ही अपने कमरे में छुप गए थे और छेद से देख रहे थे.
उन दोनों ने आते ही अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही दोनों सहेलियाँ नंगी खड़ी हो गई. सन्नी और विकास बारी-बारी से देख रहे थे कि कैसे वो दोनों नंगी होने के बाद फ्रेंच किस कर रही हैं, एक दूसरी के चूचे दबा रहीं हैं.
वो दोनों तो पूजा का नशीला शरीर देखकर बिफर ही गए… उन्होंने ऐसी ‘ब्लैक ब्यूटी’ नहीं देखी थी. जिसके दूध इतने बड़े और गांड इतनी चौड़ी हो और साथ ही बला की खूबसूरत भी हो.
ऋतु की चमकती त्वचा के सामने वैसे तो पूजा कुछ भी नहीं थी पर हर किसी का अपना स्वाद है.
वो दोनों अब 69 की अवस्था में आ चुकी थी और एक दूसरे की चूत की रसमलाई चाटने में लगी हुई थी.
सन्नी ने ऋतु को देखते हुए कहा- अरे देख यार… कैसे साली ये दोनों एक दूसरे की चूत चाट रही हैं… भेनचोद… मेरा मन कर रहा है कि दोनों रंडियों को गली में ले जा कर चोद दूँ और पूरी दुनिया इनकी चुदाई देखे.
मैं अपनी बहन के बारे में ये सब सोचकर गुस्से होने के बजाय ये सब होने के बारे में सोचकर अपने ख्याल बुनने लगा.
मैंने धीरे से सन्नी के कान में कहा- तुम चाहो तो इसकी चूत तुम भी चाट सकते हो.
मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए गर्म लोहे पर चोट मारी।
सन्नी ने कहा- इस बात की क्या गारंटी है कि ये तुम्हारी बात मान जायेंगी?
मैंने कहा- मैंने बोल दिया ना बस!
तभी विकास बोला- और दूसरी वाली के बारे में क्या ख्याल है… क्या वो भी चूसने देगी?
मैंने कहा- उसके बारे में मैं ये कह सकता हूँ कि उससे मैं अपना लंड चुसवा सकता हूँ. अगर तुम उसे मेरा लंड चूसते हुए देखना चाहते हो तो बताओ?
मैंने उन दोनों से अपनी बहन की चूत चटवाने के लिए और पूजा से लंड चुसवाने के लिए पांच हजार रुपये लेने के लिए बोला.
दोनों बोले- ठीक है, हमें मंजूर है, और अगर तुम ये सब ना कर पाए तो तुम्हें इसके दुगने पैसे हमें देने होंगे.
मैंने खुश होते हुए कहा- ठीक है…कल दोपहर को मैं तुम्हें ये सब होते हुए दिखा दूंगा.
तब तक दूसरे रूम में रस का सैलाब आ चुका था और दोनों ने बिना कोई वक़्त गंवाए सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और फिर दोनों कपड़े पहन कर पढ़ने के लिए बैठ गईं.
थोड़ी देर बाद सन्नी विकास औऱ पूजा भी चली गई.
उसी रात मैं होले से ऋतु के कमरे मैं घुस गया और उसकी रजाई में जाकर लेट गया. वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी… पूरी नंगी.
मैंने अपना शोर्ट्स उतारा और वो मेरा लंड चूसने में लग गई. मैंने उसे बताना शुरू किया कि हमारी क्या-क्या बातें हुई और मैं ये सब कैसे करने वाला हूँ और कैसे मेरे दोस्त तेरी चूत को चूसेंगे.
ऋतु मेरी बात सुन रही थी और मेरा लंड चूसती जा रही थी. मेरे दोस्तों द्वारा अपनी चूत चाटने की बात सुनकर उसकी चूसने की स्पीड बढ़ गई और वो दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़कर अन्दर बाहर करने लगी.
मैंने अपना गाढ़ा वीर्य उसके दहकते हुए मुंह में झोंक दिया और वो सारा रस पी गई.
आज ऋतु काफी थक गई थी तो हमने चुदाई नहीं की.
अगले दिन सभी कुछ वैसे ही हुआ. हम तीनों उन दोनों का इन्तजार कर रहे थे. वो कल की तरह आईं और आते ही शुरू हो गई.
मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वे छेद से देखते रहें और मैं धीरे से अपने कमरे से निकल कर अपनी बहन के रूम में आ गया.
ऋतु और पूजा ने देखा कि मैं रूम में पहुंचकर नंगा हो गया हूँ और मेरा लंड खड़ा हुआ है.
मैं धीरे से आगे आया और बेड पर 69 की अवस्था में लेटी हुई ऋतु और पूजा के पास आकर खड़ा हो गया. ऋतु ऊपर थी और पूजा नीचे!
मैंने एक हाथ बढाकर ऋतु की चूत को पूजा के मुँह से हटा दिया और अपना लंड लेटी हुई पूजा के खुले हुए मुंह में डाल दिया. पूजा पहले तो चौंक गई पर फिर उसने मेरा लंड जोर शोर से चूसना शुरू कर दिया.
ऋतु अभी भी पूजा की चूत चूसने में लगी हुई थी.
फिर मैंने सन्नी और विकास को इशारे से अंदर आने के लिए कहा तो ऋतु दरवाजे के पास खड़ी हुई नंगी ही उनका वेट कर रही थी.
उन दोनों के रूम में आते ही ऋतु ने दोनों को चुपके से दीवार के सहारे सटा दिया और बिना कोई आवाज करे अपने पीछे आने को कहा.
पूजा की आँखें और मुंह मेरे लंड और कमर के नीचे छिपा हुआ था जिस वजह से वह कुछ देख नहीं पा रही थी.
फिर वो दोनों आगे आये और बेड पर नंगी लेटी हुई पूजा की तरफ देखने लगे. उसकी गुलाबी रंग की चूत काली टांगों के बीच चमक रही थी और आँखें बंद करे वो मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी. उसकी दोनों पहाड़ियाँ और उन पर चमकते दो मोती क़यामत ढा रहे थे.
विकास की नजरें तो पूजा के शरीर से हट ही नहीं रही थी और सन्नी ऋतु के नंगे शरीर का आँखों से बलात्कार करने में लगा हुआ था.
ऋतु की चूत भी अपने को चुसवाने के लिए मचल रही थी. उसने पूजा और अपनी चूत की तरफ इशारा करके दोनों को अपनी चोइस लेने को कहा.
विकास बिना वक़्त गंवाए पूजा की चूत को चाटने लगा और अपनी लम्बी जीभ से उसे कुरेदने लगा.
जब ऋतु ने ये देखा तो वो धीरे से बेड पर पूजा के बगल में लेट गई और हवा में अपनी टांगें उठा कर अपने हाथों से पैरों को पकड़ लिया और उसकी चूत खुल कर सामने आ गई. सन्नी के लिए ये बहुत था. वो भी लपक कर अपने मुंह से ऋतु की चूत पर गिर पड़ा.
पूरे कमरे में तरह तरह की आवाजें गूंज रही थी ‘आआआ आअह.. अम्मम… चाआआआटो… चाआआअटो… मेरी चूत!
ऋतु की आवाज सुनकर पूजा ने नोट किया कि ऋतु तो बेड पर लेटी अपनी चूत चुसवा रही है फिर भी उसकी चूत कोई चाट रहा है और उसके भाई का लंड तो उसके मुंह में है.
वो थोड़ा उठी और उसने परिस्थितियों का अवलोकन किया. फिर सब समझ कर उसने सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया और मेरा लंड और जोर से चूसने में लग गई.
मैं देख रहा था कि कैसे विकास उसकी चूत को खाने में लगा हुआ है, वो थोड़ा नीचे हुआ और अपनी नुकीली जीभ पूजा की गांड के छेद पर भी फिराने लगा. वो मेरा लंड मुंह में लिए मचल उठी।
दूसरी तरफ ऋतु की चूत पर नया मुंह लगने की वजह से वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुकी थी और उसने अपने पैरों से सन्नी की गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला था और अपनी चूत उससे चुसवाने में लगी हुई थी. उसने मेरी तरफ देखा और मेरी तरफ अपने होंठ गोल करके एक फ़्लाइंग किस किया.
मैं अपने चारों तरफ उत्तेजना का नंगा नाच देखकर झड़ने के करीब पहुँच गया और मेरा लंड फूलकर और लम्बा हो गया. मैं अब पूजा के कोमल चेहरे को बड़ी बेरहमी से चोदने लगा.
जब मेरा वीर्य निकला तो वो सारा ऐसे पी गई जैसे बच्चा दूध पीता है, वो कुतिया आखिरी बूंद भी निचोड़ कर ले गई मेरे लंड से!
‘तुम दोनों अब अपनी जगह बदल लो!’ मैंने सन्नी और विकास को कहा.
पूजा ने उठने की कोशिश की पर मैंने उसे वापिस लिटा दिया और कहा- घबराने की कोई बात नहीं है. ये सब किसी को पता नहीं चलेगा, तुम बस एन्जॉय करो.
और मैंने उसके कान में कहा- तुम्हें इसके पैसे भी नहीं देने होंगे.
पूजा कुछ कहना चाहती थी पर तभी सन्नी उठकर उसकी टांगो के बीच पहुँच चुका था, उसने पूजा की चूत पर अपनी जीभ रख दी और वो सब कुछ भूलकर फिर से चूत चुसवाने में मस्त हो गई.
विकास ने भी अपना मुंह मेरी बहन की चूत में दे मारा और उसे काफी तेजी से चाटने लगा. दोनों की चीखें गूंज रही थी कमरे में ‘आआआ आआआआ अहह ह हह हहह… सीईईई ईई… चाआआअटो… और तेज… और तेज… आआअह आआआह आआअह!
तभी ‘मैं तो गईईईईई ईईईई ईईईई’ बोलते हुए ऋतु झड़ने लगी और विकास ने सारा रस पी लिया.
सन्नी की मेहनत भी रंग लाई और पूजा की चूत ने भी पानी छोड़ दिया. वो दोनों आँखें बंद किये हांफ रही थी.
मैंने सन्नी और विकास को उठाया और उन्हें लेकर कमरे से बाहर आ गया.
ऋतु ने कहा- ऊह्ह पूजा… मजा आ गया! कैसे इन लड़कों ने हमारी चूत चाटी और हमें मजे दिए और बिना हमसे मिले कोई बात करे कमरे से चले गए… अपनी सेवा देकर!
पूजा ने हंसते हुए कहा- मैं तो डर ही गई थी… पर जब तुम्हारी चूत पर किसी की चूत का एहसास हो तो कुछ सोचने समझने की शक्ति ही नहीं रहती. मैं तो सब कुछ भूलकर बस चूत चटवाने में खो गई थी.
ऋतु ने उससे पूछा- क्या तुम्हें मेरे भाई का लंड चूसने में मजा आया?
पूजा ने कहा- हाँ… बहुत मजा आया.
फिर ऋतु ने कहा- क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी कोई सहेली भी अपनी चूत चुसवाना चाहती है?
पूजा- तुम्हारा मतलब क्या है?
ऋतु ने सब डिटेल में बताया- मेरा मतलब कि अगर तुम अपनी सहेलियों को भी यहाँ ले आओ जो ये सब मजे लेना चाहती हैं तो मेरा भाई और उसके दोस्त ये सब कर सकते हैं और अगर तुम चाहो तो हम उनसे चार्ज भी कर सकते हैं फिर और भी मजा आएगा.
पूजा- हाँ… मेरी कई सहेलियाँ हैं जो अपनी चूत चुसवाना चाहती हैं, उन्हें ऐसे मौके मिलते नहीं और वो दुनिया के डर से खुद ही एक दूसरी की चूत चाटती रहती है. मैं भी कई बार उनके साथ ये सब कर चुकी हूँ.
ऋतु- तो ठीक है, तुम उन सबसे बात करना और फिर हम देखेंगे कि आगे क्या करना है.
फिर दोनों मम्मी पापा के आने से पहले कपड़े पहन कर तैयार हो गए और पढ़ने बैठ गए
 की चूत चुसाई और लंड पिलाई के बाद ऋतु ने उसे सब डिटेल में बताया कि अगर वो अपनी सहेलियों को ये सब मजे दिलवा सकती है, फिर और भी मजा आएगा.
पूजा ने हाँ में जवाब दिया.
और फिर दोनों मम्मी पापा के आने से पहले कपड़े पहन कर तैयार होकर पढ़ने बैठ गई.
पूजा शाम को ही जा चुकी थी. रात को मैं खाना खाने के बाद सीधा ऋतु के रूम में आ गया. जब मैं अंदर घुसा तो ऋतु दरवाजे के पीछे छुपी हुई थी और मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी पीठ पर चढ़ गई और मुझे पीछे से चूमने लगी.
जब मेरे हाथ पीछे गए तो मैंने पाया कि मेरी बहन बिल्कुल नंगी है.
मैंने उसे बेड पर ले जा कर पटक दिया. ऋतु मुझे कामुक निगाहों से देखते हुए एक हाथ अपनी चूत में डालकर अपना रस चाटने लगी.
मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू किये और कुछ ही देर में अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया. मैंने कोई देर किये बिना उसकी रसीली चूत के स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी और उसने मेरे कूदते ही अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट ली.
मैंने अपना लंड बिना किसी चिकनाहट के ऋतु की चूत पर लगा दिया औऱ जोर से धक्का देते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत में भर दिया. ऋतु एकदम से चीख पड़ी- माआअर डाआअला… आआअ… आआआ आआअह… चोदो… मममुझे… डाडाआआलो… हाँ हाँ… हाँ… हाआआअ!
आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी. ऋतु हाँफते हुए मुझे गाली देती हुई बोली- साआआअले बड़े मजे ले रहा था!
वो शायद दोपहर वाली बात कर रही थी.
मैंने कहा- तुम्हारी सहेली है ही इतनी पटाखा!
यह सुनकर ऋतु जल उठी और मुझे नीचे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और जोर जोर से मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी. मेरा लंड उसकी चूत से बिल्कुल बाहर आ रहा था और फिर वो हर बार अन्दर भी जा रहा था.
ऋतु मेरे लंड पर बैठी तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी. उसकी वेलवेट जैसी चूत मेरे लंड को लपेटे हुए थी. ऋतु बड़े लम्बे धक्के ले रही थी. इस तरह से मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा था. मेरे लंड के ऊपर का ये दवाब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकलने लगी.
ऋतु समझ गई और हर बार की तरह हटी और मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. तुरंत ही मैं झड़ गया औऱ ऋतु मेरा सारा माल हड़प कर गई. फिर उसने अपनी गीली चूत मेरे मुंह पर रख दी और मैंने भी अपना पेट उसके रस से भर लिया.
उसके बाद हम दोनो नंगे एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहे और आगे की योजना बनाने लगे.
अगले दिन शाम को ऋतु ने बताया की पूजा की चार सहेलियाँ तैयार हो गई हैं अपनी चूत चटवाने के लिए… और वो इसके लिए दो-दो हजार रूपए देने को भी तैयार हैं.
हमने अगले दिन चार बजे का समय तय किया.
उस रात अगले दिन के बारे में सोच सोच कर मुझे नींद नहीं आई.
अगले दिन मैं उनका इन्तजार करने लगा. जब मैंने उनके आने की आवाजें सुनी तो छेद से देखा. ऋतु और पूजा के साथ उनकी चार और सहेलियाँ आई हुई थी.
उनमें से एक लड़की को तो मैं भी जानता था. वो ऋतु के बर्थडे पर पहले भी घर आई हुई थी. वो देखने में बिल्कुल सीधी-साधी लगती थी पर उसके नैन नक्श बहुत तीखे थे.
दूसरी लड़की काफी मोटी थी, उसकी कमर फैली हुई और छाती भरी हुई थी.
तीसरी उससे बिल्कुल विपरीत दुबली पतली और चुचे ना के बराबर पर उसके कूल्हे काफी भरे हुए और गुदाज दिख रहे थे.
पर चौथी लड़की को तो मैं देखता ही रह गया. वो बिल्कुल कैटरीना कैफ जैसी दिख रही थी. बिल्कुल वही हेयर स्टाइल… वैसा ही हंसमुख और लम्बा चेहरा… भरे हुए दूध के ग्लास और पतली कमर के नीचे मोटे-मोटे गद्देदार चूतड़… कुल मिलकर वो सेक्स बम्ब लग रही थी.
सभी लड़कियाँ अन्दर आते ही धीरे-2 अपने कपड़े निकाल कर नंगी हो गई और बेड पर लाइन से अपनी चूत को उभार कर लेट गई. ऋतु ने उनसे कुछ कहा और बाहर निकल गई.
फिर ऋतु मेरे रूम में आई और बोली- चल मेरे शेर..तेरे जलवे दिखाने का टाइम आ गया है.
मैं नंगा खड़ा था, ऋतु आगे आई और मेरा लंड पकड़कर मुझे अपने रूम में ले गई और अपनी नंगी सहेलियों के सामने ले जा कर खड़ा कर दिया.
मैंने इतना सुन्दर दृश्य कभी नहीं देखा था. पूजा साइड में नंगी खड़ी थी. बाकी चारों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी. उन सभी की नजरें मेरे लंड को घूर रही थी. मैंने पहली लड़की को देखा, वो मोटी वाली थी. उसके पास जाकर मैं झुका और उसकी टांगों पर हाथ रखकर उन्हें ऊपर उठाया और उसे पीछे की तरफ धक्का दिया.. वो लेट गई और अपनी टांगें ऊपर हवा में उठा दी.
मैंने अपनी जीभ निकाली और सीधे उसकी चूत पर लगा दी. उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गई, उसकी चूत काफी गर्म थी… बिल्कुल कसी हुई और छोटे-छोटे बाल भी थे. मैंने उसकी चूत चूसना और चाटना शुरू कर दिया. वो बिस्तर पर मचलने लगी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरे मुंह में अपनी चूत मारने लगी.
जल्दी ही वो झड़ने लगी और मेरे मुंह में उसका गर्मागर्म रस आ गया और मैंने सारा पी डाला. उसका रस अच्छा नहीं था पर बुरा भी नहीं था.
अब दूसरी लड़की की बारी थी. वो कटरीना कैफ जैसी थी. मैंने उसकी चूत को ध्यान से देखा… बिल्कुल चिकनी, बिना बाल की, लगता था आज ही उसने सफाई की हो.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. उसके चुचे एकदम कड़क और उठे हुए थे. मैंने एक हाथ उसके कड़क चुचे पर रखा. दूसरा उसकी गांड पर रखकर उसे थोड़ा उठाया और उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ उसकी चूत के होंठों से जोड़ दिए और उन्हें फ्रेंच किस करने लगा.
वो सिहर उठी और मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए अपने चुचे को दबाने लगी- आआहहह… ऊऊऊ उफ़…
मैंने चाटना जारी रखा.
मैंने नजर घुमाई तो पाया की बाकी सभी लड़कियाँ, पूजा और ऋतु भी… अपना मुंह फाड़े मुझे चूत चाटते हुए देख रही थी और उनका एक हाथ अपनी अपनी चूत पर था. मैंने अपना ध्यान वापिस कटरीना पर लगाया और उसकी चूत को जोर से चूसने और चाटने लगा. वो चीखने लगी और एक लम्बी सिसकारी के साथ मेरे मुंह पर झड़ने लगी.
फिर मैं उठा और अपनी अगली शिकार के सामने बैठ गया.
वो दुबली पतली लड़की थी. जैसा मैंने कहा था उसके सीने पर कोई भी उभार नहीं था. पर उसके निप्पल्स इतने बड़े थे कि मेरे हाथ खुद बा खुद उनके ऊपर जा टिके और मैंने उन्हें मसल दिया.
वो चिहुंक उठी और मेरा मुंह पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मैं तो उसकी चूत का चेहरा भी नहीं देख पाया था. पर उसकी उत्तेजना के आगे मैं कुछ न कर पाया और मैं उसे चाटने में लग गया.
उसका स्वाद बड़ा मीठा था. मुझे काफी मजा आ रहा था. कुछ देर की चुसाई के बाद वो भी जल्दी ही झड़ गई और मुझे अपना अमृत पिला कर हांफने लगी.
अंत में बची लड़की की निगाहें जब मुझसे मिली तो वो हौले से मुस्कुरा दी और पीछे सर करके लेट गई. मैंने देखा कि उसकी चूत पर घने बाल थे.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी काली-काली झाटें साइड करी और उसकी पिंक चूत को बाहर निकाला. मैंने इतने बाल चूत पर आज तक नहीं देखे थे.
खैर… मुझे क्या करना था… सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है.
मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे भी चूस चूस कर झड़वा दिया.
मैं उठ खड़ा हुआ, मेरा पूरा मुंह गीला था और उस पर सभी लड़कियों का मिला जुला रस लगा हुआ था. वो चारों अपनी चूत फैलाये अपने ओर्गास्म का आनन्द लेती हुई आँखें बंद किये हुए गहरी सांसें लेती हुई पड़ी हुई थी.
ऋतु ने मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथों में लेकर कहा- और अगर तुम चाहो तो इसका भी आनन्द ले सकती हो.
फिर ऋतु ने पूजा की तरफ देखते हुए कहा- पूजा, जरा दिखाओ तो इनको कि ये कितना मजा देता है.
पूजा अपनी मोटी गांड मटकाती हुई नंगी मेरे सामने आकर बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में लेकर आइस क्रीम की तरह चूसने लगी.
मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं खड़ा हुआ पूजा से अपना लंड चुसवाने में लगा रहा. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को अन्दर ले रही थी, जीभ से सहला रही थी और अपने होठों से चूस रही थी.
बाकी सभी लड़कियाँ उठी और गौर से हमें देखने लगी.
मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया. पूजा ने मेरे लंड को पूरा बाहर निकाला और अपना मुंह खोलकर लंड को जोर से हिलाने लगी.
मेरे लंड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपने सामने बैठी पूजा के मुंह पर, आँखों पर, माथे पर, नाक पर निशाने लगा-लगा कर उसका सांवला चेहरा अपने सफ़ेद वीर्य से भिगो दिया.
वो अपने मुंह में आये रस को पी गई और फिर अपने चेहरे पर लगे हुए वीर्य को भी अपने हाथों से इकट्ठा करके चाट गई.
ऋतु ने सभी लड़कियों से कहा- अगर तुम में से कोई भी मेरे भाई का लंड चूसना चाहती है तो मुझे बता देना… पर अभी तुम सब कपड़े पहनो और जाओ यहाँ से, मेरे मम्मी पापा आने ही वाले हैं.
मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया और बेड पर नंगा लेट गया. बिल्कुल संतुष्ट!
आज मैंने चार लड़कियों की चूत चाटी थी और पूजा ने मेरा लंड भी चूसा था और साथ ही साथ आठ हजार रूपए भी कमाए थे।
अगले दिन जैसा मैंने सोचा था, उन सभी लड़कियों ने आकर मेरा लंड एक-एक करके चूसा और मेरा वीर्य भी पिया. फिर मैंने उनकी चूत भी चाटी और हर रोज़ की तरह रात को ऋतु की चूत भी मारी.
अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से… कभी मेरे दोस्तों ने ऋतु की चूत चाटकर और कभी मैंने ऋतु की सहेलियों की चूत चाटकर और अपना लंड चुसवा कर लगभग एक लाख रूपए जमा कर लिए.
अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था. हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे.
और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हमारा पूरा परिवार सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.
मेरा नाम रोहन है और मेरी उम्र बीस साल की है। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतु रहते हैं। मेरे पापा का अपना बिज़नेस है और हम मिडल क्लास में आते हैं।
मैंने आज कॉलेज से घर पहुँच कर जल्दी से अपनी अलमारी का दरवाजा खोला और उसमे बनाये हुए छेद के जरिये अपनी छोटी बहन के कमरे में झाँकने लगा।
यह छेद मैंने काफी मेहनत से बनाया था और इसका मेरे अलावा किसी और को पता नहीं था।
ऋतु अपने स्कूल से अभी अभी आई थी और अपनी ड्रेस बदल रही थी।
उसने अपनी शर्ट उतार दी और फिर गौर से अपने फिगर को आईने में देखने लगी, फिर उसने अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा खोल दी।
ऋतु की ब्रा किसी बेजान पत्ते के समान जमीन की ओर लहरा गई और उसके 32 के बूब्स किसी अमृत कलश के समान उजागर हो गए… बिल्कुल तने हुए और उनके ऊपर गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए।
मैं ऋतु से दो साल बड़ा हूँ पर मेरे अन्दर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा है और मैं घर पर अपनी जवान होती बहन को देख कर उत्तेजित हो जाता हूँ। इसलिए तक़रीबन दो महीने पहले मैंने ये छेद अपनी अलमारी में किया था जो उसके रूम की दूसरी अलमारी में खुलता था जिस पर कोई दरवाजा नहीं था और ऋतु उसमें कपड़े और किताबें रखती थी।
मैंने यह नोट किया कि ऋतु रोज़ अपने कपड़े चेंज करते हुए अपने शरीर से खेलती है, अपने स्तनों को दबाती है, अपने निप्पल को उमेठती है और फिर अपनी चूत में उंगली डाल कर सिसकारी भरते हुए मुठ मारती है।
यह सब देखते वक्त मैं भी अपना लंड अपनी पैंट से निकाल कर हिलाने लगता हूँ और ये ध्यान रखता हूँ कि मैं तभी झडूं जब ऋतु झड़ती है।
आज फिर मैं अपनी नंगी बहन को देख रहा था, ऋतु अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी… अपने चुचे अपने हाथ में लेकर उनका वजन तय करने की कोशिश कर रही थी और धीरे-धीरे अपनी लम्बी उंगलियों से निप्पल को उमेठ रही थी।
ऋतु के बूब्स फूलकर ऐसे हो रहे थे जैसे अन्दर से कोई उनमें हवा भर रहा हो, किसी बड़े मोती के आकार में आने में उनको कोई समय नहीं लगा।
फिर उसने अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर अपने दायें निप्पल को अपने मुंह में लेने की असफल कोशिश की पर बात बनी नहीं और ऋतु उन्हें फिर से मसलने लगी. उसने फिर से अपनी जीभ निकाली और इस बार वह सफल हो ही गई।
अब उसने अपनी स्कूल पैंट को अपने सांचे में ढले हुए चूतड़ों से आज़ाद किया और उसको उतार कर साइड में रख दिया। उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी हुई थी।
यह मैं पिछले कई हफ्ते से नोटिस कर रहा था कि मेरी बहन हमेशा बिना पेंटी के घूमती रहती थी… यह सोच कर मेरा पप्पू तन कर खड़ा हो जाता था।
खैर पैंट उतारने के बाद वो बेड के किनारे पर अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ गई और अपनी टाँगें चौड़ी करके फैला दी और अपनी चूत को मसलने लगी।
फिर उसने जो किया… उसे देख कर मेरा कलेजा मुंह को आ गया…
उसने अपनी चूत में से एक ब्लैक डिल्डो निकाला।
मैं उसे देख कर हैरान रह गया… ऋतु सारा दिन उसे अपनी चूत में रख कर घूम रही थी… स्कूल में… घर पर… सभी के साथ खाना खाते हुए भी ये डिल्डो उसकी चूत में था।
मुझे इस बात की भी हैरानी हो रही थी कि यह उसके पास आया कहाँ से… लेकिन हैरानी से ज्यादा मुझे उत्तेजना हो रही थी और उस डिल्डो से जलन भी… जो उस गुलाबी चूत में सारा दिन रहने के बाद… चूत के रस में नहाने के बाद चमकीला और तरोताजा लग रहा था।
फिर ऋतु ने उस डिल्डो को चाटना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को मसलना जारी रखा… कभी वो डिल्डो चूत में डालती और अन्दर बाहर करती… फिर अपने ही रस को चाट कर साफ़ करती।
मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था और मैं जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, फिर मैंने वही अलमारी में जोर से पिचकारी मारी और झड़ने लगा।
वहाँ ऋतु की स्पीड भी बढ़ गई और एक आखिरी बार उसने अपनी पूरी ताकत से वो काला लंड अपनी चूत में अन्दर तक डाल दिया… वो भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गई और निढाल हो कर वही पसर गई।
अब उसकी चूत में वो साला काला लंड अन्दर तक घुसा हुआ था और साइड में से चूत का रस बह कर बाहर रिस रहा था… फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई और इस तरह मेरा शो भी ख़त्म हो गया।
मैं भी अनमने मन से अपने बिस्तर पर लौट आया और ऋतु के बारे में सोचते हुए सोने की कोशिश करने लगा… मेरे मन में विचार आ रहे थे कि… क्या ऋतु का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है… या फिर वो चुद चुकी है?
लेकिन अगर ऐसा होता तो वो डिल्डो का सहारा क्यों लेती… ये सब सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।
अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा… ऋतु ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजों से सरकती हुई निप्पलों के सहारे अटक गई पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए।
फिर अपनी टाँगें चौड़ी करके एक के बाद एक तीन उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और अपना दाना मसलने लगी.
मेरा लंड ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा।
ऋतु के मुंह से एक आनन्दमयी सीत्कार निकली और उसने पानी छोड़ दिया। मैंने भी अपने लंड को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और वीर्य से लंड को नहला दिया।
ऋतु उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गई। मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा… वो नीचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए ऋतु ने मुझे ‘गुड मोर्निंग’ कहा और इधर उधर की बातें करने लगी।
उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था की ये मासूम सी दिखने वाली… अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली… टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली लड़की इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घूमती है।
मेरी माँ पूर्णिमा… किचन में कुक के साथ खड़े होकर नाश्ता बनवा रही थी… वो एक आकर्षक शरीर की मालकिन है… चालीस की उम्र में भी उनके बाल बिल्कुल काले और घने हैं… जो उनकी कमर से नीचे तक आते हैं।
मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे… सभी को हंसा-हंसा कर लोट पोट करने में लगे हुए थे… कुल मिला कर उनकी केमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी।
वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे।
मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतु को अपनी बाइक पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया। रास्ते में मेरे दिमाग में एक नई तरकीब आने लगी… मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी।
हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे… जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते… पर कम पैसों की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था।
मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था। वो कभी भी ये यकीन नहीं करते कि ऋतु इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है. उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल और स्वीट सी लड़की थी।
मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा कि क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखी है?
उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया।
मैंने आगे कहा- तुम मुझे क्या दोगे… अगर मैं तुम्हें कुछ दूरी से एक नंगी लड़की दिखा दूँ तो?
विशाल- मैं तुम्हें सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा… पर ये मुमकिन नहीं है तो इस टोपिक को यहीं छोड़ दो।
मैंने कहा- लेकिन अगर मैं कहूँ कि जो मैं कह रहा हूँ… वो कर के भी दिखा सकता हूँ… तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो?
सन्नी बोला- अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हें एक हज़ार रूपए दे सकता हूँ।
‘मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ!’ विशाल बोला- पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा?
मैंने कहा- दस से पंद्रह मिनट!
‘अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कहीं कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा गली में नंगी घूमती हुई? हा… हा… हा…’ दोनों हंसने लगे।
मैं बोला- अरे नहीं… वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हें मुठ भी मारते हुए दिख जाए।
सन्नी ने कहा- अगर ऐसा है तो ये ले!
और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा- अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है?
‘हाँ मंजूर है!’ मैंने कहा।
सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा- कब दिखा सकता है?
‘कल… तुम दोनों अपने घर पर बोल देना कि मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है और रात को वहीं रहोगे।’
‘ठीक है!’ दोनों एक साथ बोले।
अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वहीं पढ़ने बैठ गए… शाम होते होते… पढ़ते और बात करते हुए हमने टाइम पास किया ओर फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए।
वहाँ पहुँचते ही सन्नी बोला- अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की… सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है।
विशाल भी साथ हो लिया- हाँ यार, अब सब्र नहीं होता… जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की?
‘यहीं है…’ मैंने कहा।
वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे… मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतु अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपड़े उतार रही थी… यह देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सन्नी से बोला- ले देख ले यहाँ आकर!
सन्नी थोड़ा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगाई तो वो हैरान ही रह गया और बोला- अबे तेरी ऐसी की तैसी… ये तो तेरी बहन ऋतु है।
ऋतु का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला- हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतु है और ये क्या… ये तो अपने कपड़े उतार रही है।
दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजयी।
विशाल- तो तू अपनी बहन के बारे में बात कर रहा था? तू तो बड़ा ही हरामी है।
विशाल बोला- अबे सन्नी, देख तो साली की चुची कैसी तनी हुई हैं।
सन्नी बोला- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगी देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है… तू सही में भेनचोद टाइप का इंसान है… कमीना कहीं ही…
मैंने कहा- तो क्या हुआ… मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं और ऋतु को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है और अगर हम उसको नंगी देखते हैं… तो उसे कोई नुक्सान नहीं है… तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बुराई है।
‘अरे वो तो अपने निप्पल चूस रही है!’ विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा।
‘मुझे भी देखने दे?’ सन्नी ने कहा।
फिर तो वो दोनों बारी बारी छेद पर आँख लगाकर देखने लगे।
विशाल बोला- यार, क्या माल छुपा रखा था तूने अपने घर पर अभी तक… क्या बॉडी है।
‘वो अपनी पैंट उतार रही है… अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई… ओह माय माय…’ और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा।
‘क्या चूत है… हल्के-2 बाल और पिंक कलर की चूत… अब वो अपनी चूत में उंगलियाँ घुसा कर सिसकारियाँ ले रही थी… और अपना सर इधर उधर पटक रही है…’
विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था… वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतु के बारे में गन्दी बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे।
तभी ऋतु झड़ गई और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गई।
विशाल और सन्नी अचंभित थे और मेरी तरफ देखकर बोले- यार मज़ा आ गया… सारे पैसे वसूल हो गए।
‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है… कि तूने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई.’ सन्नी बोला।
‘चलो अब सो जाते हैं.’ मैंने कहा।
विशाल- यार… वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, यह सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी।
मैं बोला- अगर तुम्हें ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना… वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है. लेकिन उसके लिए तुम्हें पांच सौ रूपए और देने होंगे।
‘हमें मंजूर है!’ दोनों एक साथ बोले।
मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था।
सुबह उठते ही हम तीनों फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए… हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा… दस मिनट बाद ही ऋतु उठी रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी।
उसने अपने सीने के उभारों को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला।
विशाल- यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीं लग रही है तेरी बहन!
फिर सन्नी बोला- अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है… और वो अब उसको चूस भी रही है… अपनी ही चूत का रस चाट रही है… बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार!
और फिर ऋतु डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी।
हम तीनों ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे… दूसरे कमरे में ऋतु का भी वो ही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गई।
फिर तो ये हफ्ते में दो तीन बार का नियम हो गया… वो मुझे हर बार तीन हज़ार रूपए देते और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग साठ हज़ार रूपए हो गए।
अब मेरा दिमाग इस बिज़नेस को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए सोचने लगा। एक दिन मैंने सब सोच समझ कर रात को करीब आठ बजे ऋतु का दरवाजा खटकाया।
मैं अन्दर जाने से पहले काफी नर्वस था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करी और जाने से पहले छेद मैं से देख लिया कि वो स्कूल होमवर्क कर रही है और बात करने के लिए यह समय उपयुक्त है।
मैंने दरवाज़ा खटखटाया… अन्दर से आवाज आई- कौन है?
‘मैं हूँ ऋतु’ मैंने बोला।
‘अरे रोहन तुम… आ जाओ!’
‘आज अपनी बहन की कैसे याद आ गई… काफी दिनों से तुम बिजी लग रहे हो… जब देखो अपने रूम में पढ़ते रहते हो, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करते हो!’ ऋतु ने कहा।
‘बस ऐसे ही… तुम बताओ लाइफ कैसी चल रही है?’
‘ऋतु आज मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने आया हूँ!’ मैंने झिझकते हुए कहा।
‘हाँ हाँ बोलो, किस बारे में?’ ऋतु ने कहा।
‘पैसो के बारे में!’ मैं बोला.
ऋतु बोली- देखो रोहन… इस बारे मैं तो मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पाऊँगी, मेरी जेब खर्ची तो तुमसे भी कम है।
‘एक रास्ता है… जिससे हमें पैसों की कोई कमी नहीं होगी!’
मेरे कहते ही ऋतु मेरा मुंह देखने लगी… बोली- ये तुम किस बारे में बात कर रहे हो, ये कैसे मुमकिन है?
‘मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ!’ और मैंने उसके टेबल के अन्दर हाथ डाल के उसका ब्लैक डिल्डो निकाल दिया और बेड पर रख दिया।
‘ओह माई गॉड!’ वो चिल्लाई और उसका चेहरा शर्म और गुस्से के मारे लाल हो गया और उसने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया… उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
‘ये तुम्हें कैसे पता चला, तुम्हें इसके बारे में कैसे पता चल सकता है… इट्स नोट पोस्सीबल!’ वो रोती जा रही थी।
‘प्लीज रोओ मत ऋतु!’ मैं उसको रोता देखकर घबरा गया।
‘तुम मेरे साथ ये कैसे कर सकते हो, तुम मम्मी पापा को तो नहीं बताओगे न? वो कभी ये सब समझ नहीं पांएगे!’ ऋतु रोते रोते बोल रही थी, उसकी आवाज में एक याचना थी।
‘अरे नहीं बाबा, मैं मम्मी पापा को कुछ नहीं बताऊंगा… मैं तुम्हें किसी परेशानी में नहीं डालना चाहता… बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूँ… जिससे हम दोनों को कभी भी पैसों की कोई कमी नहीं होगी.’ मैं बोला।
ऋतु ने पूछा- लेकिन पैसों का इन सबसे क्या मतलब है?’ उसने डिल्डो की तरफ इशारा करके कहा।
मैंने डिल्डो को उठाया और हवा में उछालते हुए कहा- मैं जानता हूँ… तुम इससे क्या करती हो, मैंने तुम्हें देखा है।
‘तुमने देखा है?’ वो लगभग चिल्ला उठी- ये कैसे मुमकिन है?
‘यहाँ से…’ मैं उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया और बोला- मैं तुम्हें यहाँ से देखता हूँ।
‘हे भगवान्… ये क्या हो रहा है, ये सब मेरे साथ नहीं हो सकता…’ और उसकी आँखों से फिर से अश्रु की धारा बह निकली।
‘देखो ऋतु… मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हें देखता हूँ… मेरे हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है, और सच कहूं तो ये मुझे अच्छा भी लगता है।’
ऋतु थोड़ी देर के लिए रोना भूल गई और बोली- अच्छा ! तो तुम अब क्या चाहते हो।’
‘तुम मेरे फ्रेंड्स को तो जानती ही हो… विशाल और सन्नी, मैं उनसे तुमको ये सब करते हुए देखने के तीन हज़ार रूपए चार्ज करता हूँ।’
‘ओह नो…’ वो फिर से रोने लगी- ये तुमने क्या किया, वो मेरे स्कूल में सब को बता देंगे… मेरी कितनी बदनामी होगी… तुमने ऐसा क्यों किया… अपनी बहन के साथ कोई ऐसा करता है क्या… मैं तो किसी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही!
ऋतु रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी।
‘नहीं वो ऐसा हरगिज नहीं करेंगे, अगर करें तो उनका कोई विश्वास नहीं करेगा, मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता!’ मैंने जोर देते हुए कहा- और उन्हें मालूम है कि अगर वो ऐसा करेंगे तो मैं उन्हें कभी भी तुमको ये सब करते हुए नहीं देखने दूंगा।
‘और तुमने उनका विश्वास कर लिया?’ ऋतु रोती जा रही थी- तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।
‘हाँ… मैंने उन पर विश्वास कर लिया और नहीं, मैंने तुम्हें बर्बाद नहीं किया… ये देखो!’
और मैंने पांच पांच सौ के नोटों का बण्डल उसको दिखाया… ‘ये साठ हजार रूपए हैं, जो मैंने विशाल और सन्नी से चार्ज करें हैं तुम्हें छेद में से देखने के!’
‘और मैं उन दोनों से इससे भी ज्यादा चार्ज कर सकता हूँ अगर तुम मेरी मदद करो तो?’ मैं अब लाइन पर आ रहा था।
‘तुम्हें मेरी हेल्प चाहिए?’वो गुर्राई- तुम पागल हो गए हो क्या?
‘नहीं, मैं पागल नहीं हुआ हूँ… तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर ठंडे दिमाग से सोचना… देखो मैं तुमसे सब पैसे बांटने के लिए तैयार हूँ और इनमे से भी आधे तुम ले सकती हो।’ ये कहते हुए मैंने बण्डल में से लगभग तीस हजार रूपए अलग करके उसके सामने रख दिए।
‘लेकिन मेरे पास एक ऐसा आइडिया है जिससे हम दोनों काफी पैसे बना सकते हैं.’ मैं दबे स्वर में बोला।
‘अच्छा… मैं भी तो सुनूँ कि क्या आइडिया है?’ वो कटु स्वर में बोली।
फिर मैं बोला- क्या तुम्हारी कोई फ्रेंड है जो ये सब जानती है कि तुम क्या करती हो? तुम्हें मुझे उसका नाम बताने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ हाँ या ना बोलो?
‘हाँ… है… मेरी एक फ्रेंड जो ये सब जानती है और ये डिल्डो भी उसी ने दिया है मुझे!’
‘अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहाँ पर बुला कर उससे ये सब करवा सकती हो… तो मैं अपने फ्रेंडस से ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ, और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ भी पता नहीं चलेगा.’ मैंने उसे अपनी योजना बताई।
‘लेकिन मुझे तो मालूम रहेगा ना… और वो ही सिर्फ मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेयर करती हूँ… अपने दिल की बात, अपनी अन्तरंग बातें सभी कुछ… मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती.’ ऋतु ने जवाब दिया।
‘तुम्हें तो अब मालूम चल ही गया है और हम दोनों इसके बारे में बातें भी कर रहे हैं… है ना…?’
‘मैं तो तुम्हें सिर्फ पैसे बनाने का तरीका बता रहा हूँ… जरा सोचो… छुट्टियाँ आने वाली हैं… मम्मी पापा तो अपने दोस्तों के साथ हमेशा की तरह पहाड़ों में कैंप लगाने चले जायेंगे और पीछे हम दोनों घर पर बिना पैसो के रहेंगे… अगर ये पैसे होंगे तो हम भी मौज कर सकते हैं, लेट नाईट पार्टी, और अगर चाहो तो कही बाहर भी जा सकते हैं। छुट्टियों के बाद अपने दोस्तों से ये तो सुनना नहीं पड़ेगा कि वो कहाँ कहाँ गए और मजे किये, हम भी ये सब कर सकते हैं… हम भी अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं, जरा सोचो…’
‘अगर मैं मना कर दूँ तो?’ ऋतु बोली- तो तुम क्या करोगे?
‘नहीं तुम ऐसा नहीं करोगी,’ मैंने कहा- ये एक अच्छा आईडिया है, और इससे किसी का कोई नुक्सान भी नहीं हो रहा है, विशाल और सन्नी तो तुम्हें देख देखकर पागल हो जाते हैं… वो ये सब बाहर बताकर अपना मजा खराब नहीं करेंगे… मेरे और उनके लिए ये सब देखने का ये पहला और नया अनुभव है।
‘और अगर मैंने मना कर दिया तो मैं ये सब नहीं करूंगी और ये छेद भी बंद कर दूँगी और आगे से कभी भी अपने रूम में ये सब नहीं करूंगी… फिर देखते रहना मेरे सपने…’ ऋतु बोली।
‘प्लीज ऋतु…’ मैं गिड़गिड़ाया- ये तो साबित हो ही गया है कि तुम काफी उत्तेजना फील करती हो और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपनी मुठ मारती हो और इस डिल्डो से मजे भी लेती हो। अगर तुम्हें और कोई ये सब करते देखकर उत्तेजना में अपनी मुठ मारता है तो इसमें बुराई ही क्या है… तुम भी तो ये सब करती हो और तुम्हें देखकर कोई और भी मुठ मारे तो इसमें तुम्हें क्या परेशानी है?’
‘मेरे कारण वो मुठ मारते हैं, मतलब विशाल और सन्नी…’ वो आश्चर्य से बोली।
‘मेरे सामने तो नहीं, पर मुझे विश्वास है घर पहुँचते ही वो सबसे पहले अपनी मुठ ही मारते होंगे.’ मैंने कुछ बात छिपा ली।
‘और तुम? क्या तुम भी मुझे देखकर मुठ मारते हो?’
‘हाँ… मैं भी मारता हूँ!’ मैंने धीरे से कहा- मुझे लगता है कि तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत और आकर्षक जिस्म की मलिका हो।
‘तुम क्या करते हो?’ उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।
‘मैं तुम्हें नंगी मुठ मारते हुए देखता हूँ और अपने ल… से खेलता हूँ.’ मैं बुदबुदाया।
‘और क्या तुम…’ उसने पूछा- क्या तुम्हारा निकलता भी है जब तुम मुठ मारते हो?
‘हाँ, हमेशा… मैं कोशिश करता हूँ कि मेरा तब तक ना निकले जब तक तुम अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँच जाओ… पर ज्यादातर मैं तुम्हारी उत्तेजना देखकर पहले ही झड़ जाता हूँ.’
‘मुझे इस सब पर विश्वास नहीं हो रहा है.’ ऋतु ने अपना डिल्डो उठाया और उसको वापिस ड्रावर में रख दिया।
‘देखो ऋतु… मैं तुम्हें इसमें से आधे पैसे दे सकता हूँ, बस जरा सोच कर देखो, वैसे भी मेरे हिसाब से ये रूपए तुमने ही कमाए हैं।’
‘हाँ ये काफी ज्यादा पैसे हैं, मैंने तो इतने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे।’
‘तुम ये आधे रूपए रख लो और बस मुझे ये बोल दो कि… तुम इस बारे में सोचोगी?’ मैंने कहा।
‘लेकिन सिर्फ एक शर्त पर?’ ऋतु बोली।
‘तुम कुछ भी बोलो?’ मैं ख़ुशी से उछल पड़ा- मैं तुम्हारी कोई भी शर्त मानने को तैयार हूँ।
‘तुम मुझे देखते रहे हो, ठीक!’ ऋतु ने कहा।
‘हाँ तो?’
‘मैं भी तुम्हें हस्तमैथुन करते देखना चाहती हूँ.’ ऋतु बोली- तुम अभी हस्तमैथुन करो… मेरे सामने!’
मैंने कहा- नहीं, ये मैं नहीं कर सकता… मुझे शर्म आएगी…
ऋतु बोली- तो फिर भूल जाओ, मैं इस बारे में सोचूंगी भी नहीं!
मैंने कहा- अगर मैंने करा तो तुम्हारी तरफ से हाँ होगा?
‘हाँ! बिल्कुल’- ऋतु ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई।
मैंने एक और शर्त रखी… कि कभी कुछ भी हो जाए, तुम ये अलमारी का छेद कभी बंद नहीं करोगी।
ऋतु ने कहा- अगर तुम मुझे बिना बताये अपने दोस्तों को यहाँ लाये तो कभी नहीं…
मुझे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ.
फिर ऋतु ने पूछा- तो क्या तुम अभी मेरे सामने हस्तमैथुन करोगे?
मैंने ‘हाँ’ कह दिया तो ऋतु ने मुस्कुराते हुए कहा- तो ठीक है… फिर शुरू हो जाओ।
मैंने शर्माते हुए अपनी जींस उतारी और अपनी चड्डी भी उतार कर साइड में रख दी और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मन ही मन में बोला… चल बेटा तेरे कारनामे दिखाने का टाइम हो गया… धीरे धीरे मेरे लंड ने विकराल रूप ले लिया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.
मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो आश्चर्य से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. उसकी आँखों में एक ख़ास चमक आ रही थी.
मैं अपने हाथ तेजी से अपने लंड पर चलाने लगा. ऋतु भी धीरे-धीरे मेरे सामने आ कर बैठ गई, उसका चेहरा मेरे लंड से सिर्फ एक फुट की दूरी पर रह गया.
उसके गाल बिल्कुल लाल हो चुके थे और उसके गुलाबी लरजते होंठ देखकर मेरा बुरा हाल हो गया… वो उन पर जीभ फिरा रही थी और उसकी लाल जीभ अपने गीलेपन से उसके लबों को गीला कर रही थी.
मेरा लंड ये सब देखकर दो मिनट के अन्दर ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया और उसमें से मेरे वीर्य की पिचकारी निकल कर ऋतु के माथे से टकराई.
वो हड़बड़ा कर पीछे हुई तो दूसरी धार सीधे उसके खुले हुए मुंह में जा गिरी और पीछे होते होते तीसरी और चौथी उसकी ठोड़ी और गले पर जा लगी.
‘अरे वाह… मुझे इसका बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था.’ ऋतु ने चुप्पी तोड़ी.
‘मतलब तुमने आज तक ये… मेरा मतलब असली लंड नहीं देखा?’ मैंने पूछा तो उसने ना में गर्दन हिला दी.
ऋतु ने अपने मुंह में आये वीर्य को निगलते हुए चटखारा लिया और मुझसे बोली- और मुझे इस बात का भी अंदाज़ा नहीं था कि ये पिचकारी मारकर अपना रस निकालता है.
मैंने पूछा- मैंने भी तुम्हें डिल्डो को अपनी योनि में डालने के बाद चाटते हुए देखा है… क्या इसका स्वाद तुम्हारे रस से अलग है?
ऋतु ने कहा- हाँ… थोड़ा बहुत… तुम्हारा थोड़ा नमकीन है… पर मुझे अच्छा लगा.
ऋतु ने मुझसे पूछा- मेरा इतना गाढ़ा नहीं है पर थोड़ा खट्टा-मीठा स्वाद आता है… क्या तुम टेस्ट करना चाहोगे?
मैंने कहा- हाँ… बिल्कुल… क्यों नहीं… पर कैसे?
ऋतु मुस्कुराती हुई धीरे धीरे अपने बेड तक गई और अपना डिल्डो निकालकर उसको मुंह में डाला और मेरी तरफ हिला कर फिर से पूछा- क्या तुम सच में मेरा रस चखना चाहोगे?
मैंने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई.
उसको डिल्डो चूसते देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड ने एक चटका मारा… जो ऋतु की नजरों से नहीं बच सका.
फिर उसने आहिस्ता से अपनी जींस के बटन खोले और उसको उतार दिया. हमेशा की तरह उसने पेंटी नहीं पहनी थी. उसकी बुर मेरी आँखों के सामने थी. मैंने पहली बार इतनी पास से उसकी बुर देखी थी.
उसमें से रस की एक धार बह कर उसकी जींस को गीला कर चुकी थी और वो काफी उत्तेजित थी. फिर वो अपनी टाँगे चौड़ी करके बेड के किनारे पर बैठ गई और डिल्डो अपनी बुर में डाल कर अंदर बाहर करने लगी.
मैं ये सब देखकर हैरान रह गया.
वो आँखें बंद किये मेरे सामने अपनी बुर में डिल्डो डाल रही थी. जब डिल्डो उसके अन्दर जाता तो उसकी बुर के गुलाबी होंठ अन्दर की तरफ मुड़ जाते और बाहर निकालते ही उसकी बुर के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ दिखा देते.
मैं तो उसके अंदर के गुलाबीपन को देखकर और रस से भीगे डिल्डो को अन्दर बाहर जाते देखकर पागल ही हो गया.
मैं मुंह फाड़े उसके सामने बैठा था.
उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और आखिर में वो भी जल्दी ही झड़ने लगी. फिर उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपनी बुर में से भीगा हुआ डिल्डो मेरे सामने करके बोली- लो चाटो इसे… घबराओ मत… तुम्हें अच्छा लगेगा… चाटो.
मैंने कांपते हाथों से उससे डिल्डो लिया और उसके सिरे को अपनी जीभ से छुआ. मुझे उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा पर फिर एक दो बार चाटने के बाद वही स्वाद काफी मादक लगने लगा और मैं उसे चाट चाटकर साफ़ करने लगा.
यह देखकर ऋतु मुस्कराई और बोली- कैसा लगा?
मैंने कहा- टेस्टी है ऋतु…
ऋतु ने डिल्डो मेरे हाथ से लेकर वापस अपनी बुर में डाला और खुद ही चूसने लगी और बोली- मज़ा आया?
मैंने कहा- हाँ!
फिर ऋतु बोली- मुझे भी मज़ा आता है अपने रस को चाटने मैं… कई बार तो मैं सोचती हूँ कि काश मैं अपनी बुर को खुद ही चाट सकती!
ऋतु ने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी अपना रस चखा है?
मैंने कहा- नहीं… क्यों?
ऋतु बोली- ऐसे ही… एक बार ट्राई करना!
फिर उसने कहा- आज रात सब के सोने के बाद तुम मेरे लिए एक बार फिर से मुठ मारोगे और अपना रस भी चाट कर देखोगे!
मैंने पूछा- मैं अपना वीर्य चाटूं… पर क्यों?
ऋतु ने अपना फैसला सुनाया- क्योंकि मैं चाहती हूँ और अगर तुमने ये किया तभी मैं तुम्हें अपना जवाब दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ऋतु- अब तुम जल्दी से यहाँ से जाओ, मुझे अपना होमवर्क भी पूरा करना है.
मैंने जल्दी से अपनी चड्डी और जींस पहनी लेकिन मेरे खड़े हुए लंड को अन्दर डालने में जब मुझे परेशानी हो रही थी तो वो खिलखिलाकर हंस रही थी और उसके हाथ में वो काला डिल्डो लहरा रहा था.
मैं जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने रूम में आ गया. अपने रूम में आने के बाद मैंने छेद से देखा तो ऋतु भी अपनी जींस पहन कर पढ़ाई कर रही थी.
रात को सबके सोने के बाद मैंने देखा कि ऋतु के रूम की लाइट बंद हो चुकी है. थोड़ी ही देर मैं मैंने अपने दरवाजे पर हल्की दस्तक सुनी. मैंने वो पहले से ही खुला छोड़ दिया था तो ऋतु दरवाजा खोलकर अन्दर आ गई उसने गाउन पहन रखा था.
अंदर आते ही ऋतु बोली- चलो शुरू हो जाओ.
मैं चुपचाप उठा और अपना पायजामा उतार कर खड़ा हो गया और अपने लंड के ऊपर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा. ऋतु मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. इस बार वो और ज्यादा करीब से देख रही थी.
उसके होठों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी.
मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया, तभी ऋतु बोली- अपना वीर्य अपने हाथ में इकट्ठा करो.
मैंने ऐसा ही किया… मेरे लंड के पिचकारी मारते ही मैंने अपनी मुठ से अपने लंड का मुंह बंद कर दिया और सारा माल मेरी हथेली में जमा हो गया.
फिर ऋतु बोली- वाह… मजा आ गया, तुम्हें मुठ मारते देखकर सच में मुझे अच्छा लगा… अब तुम इस रस को चख कर देखो.
मैंने झिझकते हुए अपने हाथ में लगे वीर्य को अपनी जीभ से चखा.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?
मैंने जवाब दिया- तुम्हारे रस से थोड़ा अलग है.
ऋतु- कैसे?
मैं- शायद इसमें मादकता कम है.
ऋतु मुस्कुराते हुए बोली- चलो मुझे भी चखाओ.
मैं- ये लो…
और मैंने अपना हाथ ऋतु की तरफ बढ़ा दिया. वो अपनी गर्म जीभ से धीरे धीरे उसे चाटने लगी फिर अचानक वो मेरा पूरा हाथ साफ़ करने के बाद बोली- यम्मी… मुझे तुम्हारा रस बहुत स्वाद लगा और काफी मीठा भी… क्या तुम मेरे रस के साथ अपने रस को चखना चाहोगे?
मैं- हाँ हाँ… क्यों नहीं!
फिर वो थोड़ा पीछे हठी और उसने अपना गाउन आगे से खोल दिया… मैं देख कर हैरान रह गया… वो अन्दर से पूरी तरह नंगी थी. उसकी 34 बी साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियाँ तन कर खड़ी थी और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे निप्पल किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.
उसने अपने हाथ अपनी जांघों के बीच में घुसाए और अपनी बुर में से वो काला डिल्डो निकाला. वो पूरी तरह से गीला था… उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतु की उंगलियों तक जा रहा था.
मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा.
उसका रस एकदम गर्म और ताज़ा था. मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया और वो ये देखकर खुश हो गई.
मैं- मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा.
ऋतु बोली- अब मुझे भी तुम्हारा थोड़ा रस और चखना है… तुम अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो.
मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारों तरफ अपने होंठों का फंदा बना कर उसमें बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई.
मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया… मैंने कहा- ये तो और भी अच्छा है.
ऋतु बोली- तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है.
मैंने शर्माते हुए ऋतु से पूछा- क्या मैं भी टेस्ट कर सकता हूँ?
ऋतु बोली- तुम्हारा मतलब है… जैसे मैंने किया… क्यों नहीं… ये लो!
और इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गई और अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली.
उसकी गीली बुर मेरे बिल्कुल सामने थी. मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघों को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी बुर में डाल दी.
वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया.
उसकी मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर गई.
फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से अपनी बहन की बुर किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा.
ऋतु का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे नियंत्रित करने लगी. मेरी जीभ और होंठ उसकी बुर में रगड़ कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी गर्म मखमल के गीले कपड़े पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ.
मेरी बहन की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थी.
और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी बुर में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा. मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा तो ऋतु का शरीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अधखुली आँखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हल्की रोशनी में गजब का लग रहा था.
मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था. वो हंसी और बोली- मुझे विश्वास नहीं होता कि आज मुझमें से इतना रस निकला… ऐसा लग रहा था कि आज तो मैं मर ही गई.
मैंने पूछा- तो तुम्हारा जवाब क्या है?
वो हँसते हुए बोली- हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ.
वो आगे बोली- लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए… तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे… फिर बाद में हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे मंजूर है.
मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगी ही गले से लगा लिया और उसे कहा- तुम्हें ये सब करना काफी अच्छा लगेगा.
ऋतु कसमसाई और बोली- देखेंगे!
अपना गाउन पहन कर उसने अपने डिल्डो को अंदर छुपा लिया और बोली- मुझे भी अपनी बुर पर तुम्हारे होंठों का स्पर्श काफी अच्छा लगा… ये अहसास बिल्कुल अलग है… और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है.
मैंने कहा- हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे और बहुत मज़ा भी करेंगे.
फिर मैंने बोला- गुड नाईट.
तो ऋतु भी ‘गुड नाईट’ कहकर वो अपने रूम में चली गई.
मैं भी ऋतु के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा
अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा. पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया क्योंकि ऋतु की बुर मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी. वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी बुर में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी… बिल्कुल नंगी.
मैं तो यह देखकर पागल ही हो गया, मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा. मेरा मन कर रहा था कि मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दूँ और उसे पूरा चाट डालूं.
मैं ये सोचते-2 जल्दी ही झड़ने लगा.
तभी छेद में से ऋतु को अपनी तरफ देखते हुए मैं पास गया तो उसने पूछा- क्या तुम्हारा हो गया?
मैंने जवाब दिया- हाँ और तुम्हारा?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ मेरा भी!
मैंने कहा- मुझे तो बड़ा ही मजा आया!
ऋतु बोली- मुझे भी… चलो अब नीचे नाश्ते पर मिलते हैं!
और यह कह कर वो अपनी गांड मटकती हुई बाथरूम में चली गई.
आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी. जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे. हालांकि भाई बहन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.
मैं नाश्ता करके अपनी बाइक पर ऋतु को स्कूल छोड़ने चल दिया. रास्ते भर हम अपने इस नए ‘बिज़नेस’ के बारे में बातें करते रहे कि कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. अगर हफ्ते में दो बार हम दो लोगों को या फिर चार लोगों को ये ‘स्पेशल शो’ दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे… और इस हिसाब से पैसे हमेशा बढ़ते जा रहे थे.
यह देखकर ऋतु काफी खुश हो रही थी.
उसी रात डिनर के टाइम ऋतु ने मम्मी पापा से कहा कि उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनकी परीक्षाएं आ रही है और वो उसकी तैयारी करना चाहती हैं.
पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया. मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतु के साथ देखा है. वो एक पंजाबी लड़की है… थोड़ी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी.
पर उसके मम्मे और गांड ग़जब की है, एकदम टाइट और फैली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मम्मे… मैंने उनके बारे में सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
पूजा ही वो लड़की है जिसने ऋतु को डिल्डो दिया था. तब तो वो काफी एडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी.
मैं यह सोचकर हल्के मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतु भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.
अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहाँ तो बिलकुल अँधेरा था. ऋतु ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्तर पर सो रही थी. मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.
क़रीब एक घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा कि ऋतु चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है, उसने कल वाला ही गाउन पहन रखा था.
मैंने पूछा- क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हें क्या चाहिए?
ऋतु ने कहा- क्या तुम फिर से मेरी बुर चाट सकते हो जैसे कल चाटी थी. मुझे सच में बड़ा मजा आया था.
मुझे तो खुद पर विश्वास ही नहीं हुआ तो मैंने कहा- क्या सच में?
ऋतु भी बोली- हाँ… और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता.
मैंने कहा- ठीक है, मैं तैयार हूँ.
फिर ऋतु ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका… उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था, एकदम नंगी… मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया. सफेद रोशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा, वो आकर मेरे बेड पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई.
मैंने भी अपना मुंह उसकी बुर पर टिका दिया और उसके निचले अधरों का रसपान करने लगा. आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी. उसकी गीली बुर में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था. वो लम्बी-2 सिसकारियाँ ले रही थी और बड़बड़ा रही थी ‘आआ… आआह… रोहन…म्म्म्म म्म्म…’
मैंने उसके दाने को अपने दांत में लेकर काटना शुरू कर दिया तो ऋतु पागल ही हो गई. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया, उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी बुर पर टिका दिया और बोली- बसस्स्स थोड़ा आआआआ और… म्म्मम्म्म.. चूसो मेरी बुर को… पी जाओ मेरा रस… माआआ…
फिर तो जैसे एक सैलाब आया और मैं दीवानों की तरह उसकी बुर में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया. अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया.
अंत में वह बोली- बस करो रोहन, वरना मैं मर जाऊँगी… बस करो.
मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था.
मैंने कहा- मुझे तो तुम्हारी बुर का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गई है.
ऋतु उठी और बोली- लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ!
मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा चड्डी सहित उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया. वो मेरे सामने बैठी और बोली- मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं है.
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी. नर्म हाथों में आते ही मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.
ऋतु बोली- ये कितना नर्म और गर्म है.
फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर वीर्य की बूँद चमकने लगी. वो थोड़ा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गई और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराने लगी.
मैं कोहनियों के बल बैठा आँखें फाड़े ये सब देख रहा था.
फिर ऋतु ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया. वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारों तरफ फिराने लगी.
मेरा तो बुरा हाल हो गया. उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था. मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था.
फिर उसने धीरे-2 लंड को बाहर निकाला और बोली- ये तो बहुत टेस्टी है.
और यह कह कर दुगने जोश के साथ ऋतु मेरे लंड को फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरे टट्टों को भी मसल रही थी.
मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर-2 से साँसें लेने लगा. वो समझ गई और जोर से मेरा लंड चूसने लगी.
तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई पर वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गई और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.
ऋतु बोली- मजा आ गया… लंड चूसने में तो मजा है ही… रस पीने का मजा भी अलग ही है.
मैंने उखड़ी सांसों से कहा- मुझे भी बहुत मजा आया.
ऋतु बोली- चलो… गुड नाईट.
और उठते हुए मेरे लंड पर एक किस दे दी. फिर वो अपना गाउन पहन कर चुपके से अपने रूम में चली गई और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.
अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़कर जब मैं कॉलेज गया तो मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगा. सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा.
जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा- बाद में बात करेंगे.
वो दरअसल अगले ‘शो’ के बारे में जानना चाहते थे.
शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतु का इन्तजार था. थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भाग कर गया, दरवाजा खोला तो ऋतु अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी.
मुझे देखते ही ऋतु ने मुझे आँख मारी और बोली- भाई, दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे?
और ये कह कर वो पूजा की तरफ देख कर जोर से हंस दी.
पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराकर धीरे से ‘हैल्लो’ बोला. मैं तो उसकी सफेद शर्ट में फंसी हुई चूचियाँ ही देखता रह गया जो शर्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार थी. मैंने मन में सोचा ये लड़कियाँ इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?
अन्दर जाकर दोनों ने कपड़े बदल लिए और डिनर के टाइम पर दोनों आपस में बातें करती रही, फिर दोनों अपने रूम में चली गई.
मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढ़ाई कर रही थी.
मैं वापिस आकर लेट गया.
उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पढ़ते हुए ही पाया.
एक घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड नाईट बोला और अपने कमरे में सोने चले गए.
मैंने फिर से छेद में झाँका तो देखा कि दोनों अपनी किताबें समेट रही हैं. फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतु ने धीरे से अपना गाउन खोल दिया लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी.
फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी. उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए.
मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी. क्या ग़जब के चूचे थे उसके… एकदम गोल और तने हुए… ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है और वो तन कर खड़े हुए हैं. उसके निप्पस डार्क ब्लैक कलर के थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की ओर घुसी हुई, बुर पर काले रंग के बाल थे, मोटी टाँगें और कसी हुई पिंडलियाँ!
वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा कि शायद उसने अपनी गांड में गद्दा लगा रखा है.
तभी ऋतु ने बेड के नीचे से अपना काला डिल्डो निकाला और मुंह में चूस कर पूजा को दिखाया… फिर दोनों हंसने लगी.
ऋतु बेड पर लेट गई और अपनी उंगलियों से अपनी बुर मसलने लगी. फिर पूजा लेटी और वो भी अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डालकर आँखें बंद करके मजे लेने लगी.
दोनों सिसकारियाँ ले लेकर अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डाल रही थी.
फिर ऋतु ने डिल्डो उठाया और अपनी बुर में डालकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगी. पूजा अभी भी अपनी उंगलियों से मजे ले रही थी.
थोड़ी देर बाद ऋतु अपकी बुर रस से भीगा हुआ डिल्डो पूजा की बुर पर रगड़ने लगी.
पूजा ने आँखें खोली और साँस रोककर ऋतु की तरफ देखा. ऋतु आगे बढ़ी और अपने होंठ पूजा के खुले हुए लबों पर रख दिए. दोनों के होंठ एकदम गीले थे.
फिर ऋतु ने एक ही झटके में पूरा डिल्डो पूजा की नाजुक बुर में उतार दिया.
पूजा झटपटाने लगी पर ऋतु ने उसके होंठ जकड़े हुए थे तो उसकी सिर्फ गूऊऊओ… गूऊऊऊऊ… की आवाज ही सुनाई दी.
मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और जोर जोर से मुठ मारने लगा.
फिर ऋतु ने उसके होंठ छोड़ दिए. वो एकदम लाल हो चुके थे. उसके खुले मुंह से एक लार निकल कर पूजा के चूचे पर गिर गई. ऋतु थोड़ा झुकी और लार के साथ साथ उसके चूचे भी चाटने लगी. बड़ा ही कामुक दृश्य था.
पूजा अपने निप्पल पर हुए इस हमले से मचलने लगी. उसके निप्पल एकदम सख्त हो चुके थे और लगभग एक इंच बाहर नजर आ रहे थे.
फिर ऋतु ने अपना पूरा ध्यान पूजा की बुर में लगा दिया, वो तेजी से डिल्डो अन्दर बाहर करने लगी. थोड़ी ही देर में एक आनंदमयी सीत्कार के साथ पूजा झड़ने लगी. उसका शरीर कांपते हुए बुर के जरिये अपना अनमोल रस छोड़ने लगा.
पूजा ने ऋतु का हाथ पकड़कर उसे रोक दिया. डिल्डो अभी भी पूजा की बुर में धंसा हुआ था और पूजा का रस बुर में से रिस रहा था. ऋतु ने उसे निकाला और उस पर लिपटा हुआ जूस चाटने लगी.
फिर वही डिल्डो अपनी बुर में डालकर पूजा के मुंह के आगे कर दिया.
पूजा भी उसे चाटने लगी.
तब तक ऋतु बेड पर लेट गई.
अब पूजा ने धीरे-2 पूरा डिल्डो ऋतु की बुर में उतार दिया. वो भी उसके मजे लेने लगी, वो पहले से ही उत्तेजित थी तो झड़ने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा.
झड़ते ही ऋतु ने झटके से पूजा की गर्दन पकड़ी और एक गहरा चुम्बन उसके होंठों पर जड़ दिया. पूजा ने डिल्डो निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया.
रस खत्म होने के बाद फिर से उसने बुर में डिल्डो घुसाया और निकाल कर फिर चाटने लगी.
थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों बेड पर लेट गई और एक दूसरी की बुर पर हाथ रखकर उन्हें मसलने लगी. दोनों की आँखें बंद थी.
फिर ऋतु धीरे से उठी और सीधे पूजा की बुर पर अपना मुंह लगा दिया. उसने पूजा की दोनों जांघें पकड़ रखी थी. पूजा ने ऋतु के बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और बेड पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.
ऋतु उसकी बुर नीचे से ऊपर तक चाट रही थी और फिर अपनी जीभ से उसकी बुर कुरेदने लगी.
पूजा अपने कूल्हे हवा में उठा कर सिसकारी ले रही थी ‘आआआअ… रीईईइतूऊऊउ… मैं माआआर गईईई… आआआ आआह्ह्ह… जऊऊर सीईईई… अह्हह्ह… हाआआआन हाआआन चाआआटो मेरीईई चूऊत… आआआह…’ और फिर वो झड़ने लगी.
ऋतु ने सारा रस ऐसे पिया जैसे जूस पी रही हो और फिर वो खड़ी हो गई… उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था.
पूजा का चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था. आँखें नशे में डूबी हुई लग रही थी और वो हौले से मुस्कुरा रही थी. फिर उसने ऋतु को धक्का देकर बेड पर लिटाया. पूजा अब ऋतु के सामने आकर लेट गई.
ऋतु की फूली हुई बुर देखकर पूजा के मुंह में पानी आ रहा था. वो थोड़ा झुकी और ऋतु की बुर के चारों तरफ अपनी जीभ फिराने लगी. पर ऋतु की वासना की आग इतनी भड़की हुई थी कि उसने उसका मुंह पकड़ कर सीधे अपनी बुर पर लगा दिया.
पूजा भी समझ गई और अपनी जीभ ऋतु की बुर में डाल कर उसे चूसने लगी. ऋतु के मुंह से ‘आआआअह… आआआह…’ की आवाजें निकल रही थी. उसका एक हाथ पूजा के सर के ऊपर और दूसरा अपनी चूचियों को मसलने में लगा था.
जब ऋतु झड़ने को हुई तो ‘आआआह… माआआर दाआआआ… और तेज… और तेज… हाँ चाआअट मेरीईईई चूऊउत…’ और वो तेजी से झड़ने लगी.
पूजा को काफी रस पीने को मिला.
मेरे मुंह में भी पानी आने लगा… और लंड में भी… मैं जल्दी से अपने लंड को झटके देने लगा और आखिर मैंने भी कुछ लम्बी धार अपनी अलमारी के अन्दर मार दी.
फिर थोड़ी देर बाद दोनों नंगी ही चादर के अन्दर घुस गई और अपनी लाइट बंद कर दी. मैं थोड़ी देर वही खड़ा रहा पर जब लगा कि अब कुछ और नहीं होगा तो अपने बेड पर आकर लेट गया.
 स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गई और मुझसे पूछा- तुमने देखा… कैसा लगा… मजा आया या नहीं… बोलो?
मैंने कहा- अरे हाँ, मैंने देखा और बहुत मजा आया.
ऋतु बोली- हाय… मैं तुम्हें क्या बताऊँ पूजा की चूत का रस इतना मीठा था कि बस मजा आ गया.
और फिर मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली- पर इसका कोई मुकाबला नहीं है.
फिर ऋतु ने पूछा- क्या तुम्हें देखने में अच्छा लगा?
मैंने कहा- हाँ, मेरा मन तो कर रहा था कि काश मैं तुम्हारे रूम में होता तुम्हारे साथ!
ऋतु ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा- शायद एक दिन तुम भी वहाँ पर होगे… हम दोनों के साथ!
मैंने पूछा- तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं… तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न?
ऋतु- तुम कितना चार्ज करोगे उनसे?
मैं- एक हजार एक बन्दे से यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो!
ऋतु- पर अब हम दो लड़कियाँ हैं क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें ज्यादा चार्ज करना चाहिए?
मैं- हाँ, बात तो सही है कितने बोलू उनको… पंद्रह सौ ठीक है क्या?
ऋतु- हाँ ठीक है.
मैं- तो ठीक है, अगला शो कब का रखें, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए?
ऋतु- उसको जो मजे कल रात मिले है.. मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.
और वो हंसने लगी.
ऋतु- मुझे भी एक आईडिया आया है जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं.
मैं- कैसे?
ऋतु- अगर मैं भी अपनी सहेलियों को अपने रूम में बुलाकर तुम्हें मुठ मारते हुए दिखाऊं तो?
मैं- मुझे मुठ मारते हुए… इसमें कौन रूचि लेगी?
ऋतु- जैसे तुम लड़के लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो वैसे ही हम लड़कियां भी लड़कों के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं, अगर कोई लड़की तुम्हें मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हें क्या आपत्ति है.
मैं- लेकिन ये तुम करोगी कैसे?
ऋतु- मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर चार बजे घर ले आऊँगी और तुम उससे पहले ही आ जाते हो. तुम ठीक चार बजे मुठ मारनी चालू कर देना. मैं उसको बोलूंगी कि मेरा भाई रोज इसी समय बजे अपने रूम में मुठ मारता है और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ. मुझे विश्वास है कि वो भी तुम्हें देखने की जिद करेगी, तब मैं उससे पैसों के बारे में बात करके तुम्हें मुठ मारते हुए दिखा दूँगी.
मैं- वाह, मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया… तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो.
ऋतु- आखिर बहन किसकी हूँ.
मैं- और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?
ऋतु- वो ही… एक हजार रूपए… ठीक है ना?
मैं- ठीक है.
ऋतु- और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों हम दोनों को देखने के तीन हजार रूपए अलग से तुम्हें देंगे… तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं.
ऋतु- वैसे एक बात बताऊँ… मुझे काफी उत्तेजना हो रही थी कि कल तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो… काफी मजा आ रहा था.
मैं- मुझे भी काफी मजा आ रहा था. मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है.
ऋतु- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ.
मैं- अभी… मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी.
ऋतु- अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा… अपना लंड निकालो… जल्दी!
मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतु झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई. ऋतु ने मेरी चड्डी एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नर्म हाथों में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और फिर उसे चूसने लग गई.
ऋतु के होंठ लगते ही उत्तेजित होकर एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली. वो उठी और अपना मुंह साफ़ करते हुए बोली- मुझे तो तुम्हारे वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है… और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसें छोड़ती हुई बोली- आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगे… समझे ना!
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.
मैंने धीरे से कहा- अगर तुम चाहो तो बाद में मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ.
ऋतु- तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली… मैं रात होने का इन्तजार करुँगी.
मैं- मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा.
फिर वो अपने रूम में चली गई और रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए.
मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था कि पिछले कुछ दिनों से मैं और ऋतु एक दूसरे से कितना खुल गए हैं… लंड-चूत की बातें करते हैं… मुठ मारना… एक दूसरे को नंगा देखना और छूना.. कितना आसान हो गया है… मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया. मुझे ऋतु का इन्तजार था.
मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली- वाह.. तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ.
मैं- पर मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ!
ऋतु- कोई बात नहीं तुम मेरी चूत चूसो और मैं तुम्हारा लंड… हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.
ऋतु ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मम्मे और तने हुए निप्पल देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे और मैंने नोट किया कि आज उसकी चूत एकदम साफ़ और चिकनी थी. शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे… मेरे तो मुंह में पानी आ गया.
ऋतु झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगें उठा कर घुमाते हुए बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गई.
उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गई. उसकी चूत जल रही थी… एकदम गर्म, लाल, गीली, रस छोड़ती हुई…
मैं तो अपने काम में लग गया. उसकी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी तो मुझे उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल…
मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियाँ साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता… मैं लगा रहा… लगा रहा… साथ ही साथ मैं अपनी एक उंगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.
मेरे लंड का भी बुरा हाल था. ऋतु उसको आज ऐसे चूस रही थी जैसे कुल्फी हो… अन्दर तक ले जाती, जीभ से चारों तरफ चाटती और फिर बाहर निकालते हुए हल्के से दांतों का भी इस्तेमाल करती… वो लंड चूसने में परफेक्ट हो चुकी थी.
मैंने अब उसकी चूत के मुंह पर अपने दोनों होंठ लगा दिए और बिना जीभ का इस्तेमाल किये बिना चूसना शुरू कर दिया. वो तो बिफर ही गई मेरे इस हमले से… और उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकलने लगा और वो झड़ने लगी.
मैं भी अब कगार पर था, मेरे लंड ने भी विराट रूप ले लिया और ऋतु ने जैसे ही मेरे टट्टों को अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया… मैं झड़ गया और वो मेरा पूरा माल पी गई.
फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे की तरफ देखा. हम दोनो के चेहरे गीले थे और हम ये देखकर हंसने लगे.
ऋतु- तुमने तो मुझे अपने वीर्य की लत लगा दी है… कितना मजा आता है तुम्हारा लंड चूसने में और तुम्हारा वीर्य पीने में!
मैं- मैं भी तुम्हारे मीठे रस का शौकीन हो चुका हूँ… जी करता है सारा दिन तुम्हारी चूत चूसता रहूँ.
मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था वो मेरे साथ लेट गई. उसके मोटे चूचे मेरे सीने से लग कर दब गए. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा. उसकी गर्म साँसें मेरे कानों पर पड़ रही थी. ऋतु की एक टांग मेरे ऊपर थी और वो उसको रगड़ रही थी जिससे ऋतु की गीली चूत मेरी जांघ से रगड़ खा रही थी.
ऋतु- तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है… मेरी चूत के अन्दर भी कुछ कुछ हो रहा है…
और फिर उसने जो किया, मैं स्तब्ध रह गया.
ऋतु उठी और अपनी दोनों टाँगें फैला कर मेरे ऊपर आ गई. उसकी दोनों बाहें मेरे सर के दोनों तरफ थी और ऋतु के दोनों मोटे मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे और मेरी बहन की रसीली चूत मेरे खड़े हुए लंड को छू रही थी.
फिर ऋतु थोड़ा झुकी और मेरे होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह में से मेरे वीर्य की गंध आ रही थी.
मैंने भी उसके नर्म होंठों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. फिर जब उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैं उसकी मचलती जीभ को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हुए जोर जोर से उसे चूसने लगा.
मेरे हाथ अपने आप उसकी छाती पर जा चिपके और मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल को सहलाने लगी. लटकने की वजह से उसके मम्मे काफी बड़े लग रहे थे और मेरी हथेली में भी नहीं आ रहे थे.
ऋतु धीरे धीरे अपनी चूत की बाहरी दीवारों पर मेरे खड़े हुए लंड को रगड़ रही थी और उसकी चूत की गर्म हवाओं से मेरा लंड झुलस रहा था.
मैंने भी अपनी जीभ अब उसके मुंह में डाल दी. वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड हो… पूरी तरह से वो मुझे पीना चाहती थी.
दूसरी तरफ मेरा लंड अब उसकी चूत की दरार में फंस गया था. ऋतु ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ नशीली आँखों से देखा और मुझसे कहा- आई लव यू… रोहण!
मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने अपनी गांड का दबाव मेरे ऊपर डाल दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया.
ऋतु के मुंह से एक कराह निकल गई ‘आआआईईई… .म्म्मम्म्म्म… माआआअर.. ग्ईईईईई.. आआआअहहह!’
मैं तो भौचक्का रह गया. मुझे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर जब मैंने ऋतु का तृप्ति भरा चेहरा देखा तब उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा तो मुझे एक सुखद अहसास हुआ और मैं भी पूरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
ऋतु ने अपनी बाहों से मेरी गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे.
मैंने अपने हाथ उसकी चौड़ी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा. उसके होंठ मेरे कान के बिल्कुल पास थे और वो मीठे दर्द से हल्के हल्के चिल्ला रही थी ‘आआआ आआअहहह… रोहण… आई लव यू… फ़क मी… आई लव यौर बिग… कॉक… तुम्हारा मोटा लंड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ… मेरी चूत में अन्दर तक डाआआअलो… और जोर से… और जोर से… आआआअह्ह्ह… मेरी चूत तुम्हारी है… मारो मेरी चूत… चोदो मुझे..’
ऋतु अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी ‘बहनचोद… चोद न… आआआअह… चोद अपनी कुँवारी… कमसिन… बहन को… अपने लम्बे लंड से… पूरा ले लूंगी… आआअईईई… हरामखोर… चोद मुझे… फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊत… आआआह…..माआआ आआआऐन तो गईई ईईई… आआअह…’
थोड़ी देर की चुदाई के बाद वो झड़ने लगी. मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया. वो गहरी गहरी साँसें लेकर ढीली पड़ गई… फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.
ऋतु की फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी. मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ा और अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी. उसके मुंह से ‘ओह्ह्हह्ह… ओफ्फ फ्फ्फ… आआहह…’ की आवाजें दोबारा आने लगी. मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया.
मैंने ऋतु से कहा- ऋतु मैं आया…
और अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर अपने हाथों में ले लिया.
वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया… मेरे लिए ये काफी था. मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया और वो सारी रसमलाई खा गई.
फिर ऋतु उठी और ‘आई लव यू’ कहकर मेरे सीने से लग गई. मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए ‘आई लव यू टू… आई लव यू टू…’ कहने लगा.
हाँफते हुए ऋतु ने अपनी नजर मुझसे मिलाई और मुस्कुराकर बोली- मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया… ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है. डिल्डो को अन्दर ले लेकर मैं थक गई थी. ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है.
मैंने कहा- तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है. कितना आनन्द आ रहा था तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में. मैंने कभी इस आनन्द की तो कल्पना भी नहीं की थी.
ऋतु ने बेड पर से उठते हुए कहा- अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में!
मैं- उठाने के लिए… पर किसलिए?
ऋतु- क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए… कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खूबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे… और अब तो हम बिज़नस पार्टनर हैं… हैं ना!
मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ हाँ… बिल्कुल हैं.
ऋतु- ठीक है फिर… गुड नाईट…
और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया और बाहर निकल गई.