Thursday, January 21, 2016

मैं हूँ आप की नेहा रानी और आज मैं आप के लिए अपनी एक और चुदाई की  कहानी ले कर आयी हूँ

 मैं और मेरे पति एक शादी मैं जबलपुर गए हुए थे वहाँ हमारे रुकने का इंतज़ाम एक होटल मैं किया हुआ था और दूल्हा और उस के जीजा भी हमारे  मैं रुके थे

संगीत के दिन मैं ने रानी कलर की साड़ी साड़ी और एक लो कट का बैकलेस ब्लाउज पहना था पार्टी के सभी मर्दों की निगाहें मेरी और ही घूम रही थी दूल्हे के जीजा मुझ मैं काफी  रूची ले रहे थे जहां मैं जाती  वह थोड़ी देर बाद मेरे  पीछे चले आते उन की हरकतें देख कर मेरी चूत मैं पानी आ रहा था

जब संगीत पूरी ज़ोर पर था तभी उन्होंने अचानक मेरे हाथ मैं एक पर्ची पकड़ा दी. मैं ने सब की नजरें बचा कर पर्ची  को खोला तो उस पर "कमरा नंबर ३०२ " लिखा था. मैं ने आँख उठा कर देख तो वह मुझे ही देख रहे थे और मेरे को देखते हुए उन्होंने आँख मार कर इशारा कर दिया मेरा भी अब तक मस्ती लेने का मूड बन चूका था मैं सब की नज़रों से बचती हुयी तीसरी मंजिल पर कमरा नंबर ३०२ की तरफ चल दी

कमरे के दरवाजे पर आ कर मैं एक बार हिचकिचा ही रही थी तभी अरुण वहाँ आ गए और मुझे हाथ पकड़ कर कमरे के अंदर ले लिया मैं अचानक ही एक गैर मर्द की बाहों मैं थी वैसे ऐसा नहीं है की यह पहली बार हो रहा था मैं शादी से पहले और शादी के बाद कई लण्डों का स्वाद चख चुकी थी मगर यह सब अचानक और बहुत तेज़ी से हो रहा था

अरुण ने  से बाल हटा कर मुझे चूमना चालू कर दिया और मैं उन की चौड़ी छाती मैं समाती जा रही थी

कमरे मैं एक डबल बेड था जिस पर कपडे ही कपडे फैले हुए थे अरुण जी ने मुझे सोफे की तरफ को लिया और मेरा छोटा सा ब्लाउज पीछे से खोल डाला
उस दिन मेरी ब्रा भी खूब छोटी थी इस लिए ब्लाउज के हट्टे ही मेरे दूधिया वक्ष लगभग खुले जैसे हो गए और अरुण उन पर टूट पड़े मैं होल होल अरुण की पेन्ट  मैं बंद उन के औज़ार  सहला रही कर यह ज़ाहिर कर रही थी की मुझे भी उन की उतनी ही जरूरत महसूस हो रही थी जितनी उन को मेरी

इस सब मैं  मुझे पता ही नहीं चला मेरी साड़ी कब उतार दी गयी थी मुझे तो होश तब आया जब अरुण ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उस को नीचे गिर जाने दिया और मैं ब्रा और पेंटी मैं उन के सामने थी

मेरे इस रूप को देख कर कई मर्द पागल हो चुके थे और अरुण पर भी वही असर हुआ उन्होंने मुझे अपनी बलिष्ठ बाहों मैं उठा कर सोफे पर लिटा दिया फिर पेंटी नीचे खिसका कर चूत के दर्शन किये  आज सुबह ही सफा चाट की गयी मेरी चूत के छेद मैं रस की बूँदें निकल रही थी

अरुण जी ने निकलते हुए रास को अपनी उंगली पर लिया और चाट डाला

"वाह क्या टेस्ट है जाने मन " उन के मुंह से निकला

अरुण बिलकुल डेरी नहीं करना चाहते थे इस लिए उन्होंने अपनी पेन्ट और चड्डी निकाली और मेरी जाँघों को फैलाते हुए उस के बीच बैठ गए फिर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरी टाँगे कंधे पर रखते हुए अपने हथियार को मेरी छूट की छेड़ पर सटाया और एक धक्का दे डाला

चूत पूरी गीली थी और खिलाड़ी एक्सपर्ट था इस लिए उन का पूरा ९ इंच मेरे अंदर घुस गया फिर तो बस दे दना दान स्टार्ट हो गया

फच फच। ..उम उम बस ऐसी ही आवाजें आ रही थी

करीब मिनट छोड़ने ने बाद मैं ने देखा उन्होंने अपने मोबाइल से एक नंबर डायल किया और फिर से धक्के देने लगे मेरे ऊपर मस्ती इस तरह छाई हुयी थी कि मैं ने सोचा ही नहीं अरुण के कॉल लगाई थी या उन को कॉल आयी थी , बाद मैं पता चला उन्होंने कॉल लगाई थी

मुझे झड़ने मैं देर नहीं लगी मगर जैसा होता है मर्द के फारिग होने तक चुदाई चलती ही है इस लिए अरुण तेजी से चोदते , शायद उन्हें ध्यान ही नहीं था की मैं पूरी तरह झड़ चुकी थी , क्यों की मेरा उन के साथ पहली बार था इस लिए मैं झड़ने के बाद भी पूरा सहयोग देती रही

तभी दरवाजे की घंटी बजी , अरुण रुके और लंड बहार खींच लिया और नंगे ही दरवाजे की तरफ जाने लगे और मैं ने देखा चलते चलते उन्होंने मेरे कपडे जो कालीन पर पड़े थे उन्हें मुझ से और दूर कर दिया , मुझे यह उम्मीद नहीं थी की वह इस हालत मैं दरवाजा खोलेंगे इस लिए मैं बे अपने आप को ढंकने की कोई कोशिश नहीं की मुझे लगा वह बंद दरवाजे से ही बात करके वापिस आप कर चुदाई जारी करेँगे क्यों की उन का लंड अभी पूरा तन हुआ था

मगर ऐसा नहीं हुआ

अरुण ने दरवाजा हल्का सा खोला और एक दम से दो लोग अंदर आ गए

ओह यह तो होने वाला दूल्हा और उस का छोटा भाई था

अब मैं ने कपडे उठाने की कोशिश की मगर कपडे दूर थे इस लिए हाथों से ही अपना नंगापन ढांकने की कोशिश कर रही थी

"क्या जीजू ? थोड़ी देर भी नहीं रुका गया ? अकेले ही शुरू हो गए

"यार अभी तेज भट्टी है" थोड़ा ठंडा न करता तो तुम दोनों के लँड जल जाते सालो , देखो अभी मैं ने माल भी नहीं गिर्राया है

ओह्ह माँ " यह मैं कहाँ फंस गयी मेरे तो होश ही उड़ गए

थैंक यू जीजू आप ग्रेट हो ऐसे ही चिड़िया फाँसते रहो और हम मिल कर शिकार करते रहेंगे







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