मेरा नाम एरिका सिंह है, और मैं कल रात से बहुत परेशान हूँ। इतनी ज़्यादा परेशान के दिल कर रहा है कि ख़ुदकुशी कर लूँ, मगर ख़ुदकुशी कमजोर लोगों का विकल्प होता है, और मैं कमजोर नहीं हूँ। मैं अपनी ज़िंदगी में आई अपनी सबसे बड़ी मुसीबत का डट कर मुक़ाबला करूंगी।
अब आपको बताती हूँ कि मेरी समस्या क्या है।
कल रात मेरी एक सहेली की शादी थी और मैं अपनी दो और सहेलियों के साथ उसकी शादी में गई थी खूब सज धज कर तैयार हो कर!
मेरी शादी को अभी अभी एक साल ही हुआ है। मेरी उम्र इस वक़्त 24 साल है, एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी जॉब पर हूँ, पति भी बहुत अच्छी जॉब पर हैं, मगर उनकी जॉब टूरिंग है, अक्सर शहर से बाहर जाते रहते हैं। कल भी वो दो दिन के लिए शहर से बाहर थे, तो मैंने अपनी मम्मी से कहा कि वो एक दो दिन के लिए मेरे पास आ जाएँ, क्योंकि मैं घर पे अकेली थी, और अकेले मुझे बहुत डर लगता है।
मेरी शादी को अभी अभी एक साल ही हुआ है। मेरी उम्र इस वक़्त 24 साल है, एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी जॉब पर हूँ, पति भी बहुत अच्छी जॉब पर हैं, मगर उनकी जॉब टूरिंग है, अक्सर शहर से बाहर जाते रहते हैं। कल भी वो दो दिन के लिए शहर से बाहर थे, तो मैंने अपनी मम्मी से कहा कि वो एक दो दिन के लिए मेरे पास आ जाएँ, क्योंकि मैं घर पे अकेली थी, और अकेले मुझे बहुत डर लगता है।
मैं शाम को करीब 6 बजे तैयार हो कर अपनी सहेलियों के साथ शादी में चली गई और मम्मी से कह गई के मैं सुबह डोली के बाद ही आऊँगी।
शादी में पहुँच कर हमने बहुत मस्ती की, दो टकीला शॉट मैंने भी मारे। नशा, जवानी, खूबसूरती, पैसा, प्यार क्या नहीं था मेरे पास... सबने मिल कर मुझे पूरा मदमस्त बना दिया।
हम सब सहेलियों की तो हंसी ही नहीं बंद हो रही थी, पता नहीं किस बात पर हंस रही थी। डीजे पर हम सब खूब नाची, खूब खाया पिया। मगर पता नहीं क्यों, रात के दस बजे के करीब मेरा पेट खराब होने लगा, पेट में मरोड़, गैस और खट्टे डकार।
धीरे धीरे मेरी हालत और खराब होने लगी। फिर तो मुझसे न कुछ खाया जाए न पिया जाए।
हम सब सहेलियों की तो हंसी ही नहीं बंद हो रही थी, पता नहीं किस बात पर हंस रही थी। डीजे पर हम सब खूब नाची, खूब खाया पिया। मगर पता नहीं क्यों, रात के दस बजे के करीब मेरा पेट खराब होने लगा, पेट में मरोड़, गैस और खट्टे डकार।
धीरे धीरे मेरी हालत और खराब होने लगी। फिर तो मुझसे न कुछ खाया जाए न पिया जाए।
मैं और मेरी एक सहेली एक केमिस्ट की दूकान खोज कर उसके पास गए, उसने गैस, एसिडिटी की दवा दी, मैंने खा ली मगर आराम फिर भी नहीं आया।
रात साढ़े 11 बजे के करीब मुझे लगा जैसे मुझे उल्टी आएगी। मैं बाथरूम में गई, 10 मिनट बाथरूम में बैठी रही, फिर बड़े ज़ोर की उल्टी आई, सारा खाया पिया निकल गया, आँखों से आँसू निकल कर सारे चेहरे पर फैल गए और मेरा सारा मेक अप बिगड़ गया, सारा काजल फैल गया, चेहरे का रूज़, ब्लशर सब उतर गया।
रात साढ़े 11 बजे के करीब मुझे लगा जैसे मुझे उल्टी आएगी। मैं बाथरूम में गई, 10 मिनट बाथरूम में बैठी रही, फिर बड़े ज़ोर की उल्टी आई, सारा खाया पिया निकल गया, आँखों से आँसू निकल कर सारे चेहरे पर फैल गए और मेरा सारा मेक अप बिगड़ गया, सारा काजल फैल गया, चेहरे का रूज़, ब्लशर सब उतर गया।
मैंने शीशे में अपना चेहरा देखा, बाल बिखरे हुये, सारे चेहरे पर पसीने और आंसुओं के दाग। मेरी एक सहेली जो बहुत ही बिंदास बोलती है, मुझे देख कर बोली- एरी, तू तो ऐसे लग रही है, जैसे किसी तुझे बड़ी तबीयत से ठोका हो, और वो भी पीछे से गांड में!
मैं मुस्कुरा दी- अरे यार, यहाँ फटी पड़ी है, और तुझे बातें बनानी आ रही है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है, चल मुझे घर छोड़ कर आ!
मेरी तबीयत बिगड़ने से उस का भी मन नहीं लग रहा था तो हम दोनों शादी से वापिस आ गईं। उसने मुझे मेरी सोसाइटी के नीचे छोड़ा और चली गई।
मेरी तबीयत बिगड़ने से उस का भी मन नहीं लग रहा था तो हम दोनों शादी से वापिस आ गईं। उसने मुझे मेरी सोसाइटी के नीचे छोड़ा और चली गई।
मैं लिफ्ट से ऊपर आई, और अपने फ्लैट की डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला। अंदर गई तो देखा कि टेबल पर दो गिलास, शराब की बोतल, पानी, सोडा, नमकीन, खाना, सिगरेट सब कुछ बिखरा हुआ पड़ा था।
मुझे बड़ी हैरानी हुयी कि ये सब किसने किया, कौन आया था यहाँ पर, विरेन तो बाहर हैं, फिर घर में पार्टी किसने की।
घर की सभी बत्तियाँ जल रही थी।
मुझे बड़ी हैरानी हुयी कि ये सब किसने किया, कौन आया था यहाँ पर, विरेन तो बाहर हैं, फिर घर में पार्टी किसने की।
घर की सभी बत्तियाँ जल रही थी।
मेरे मन में 100 किस्म के विचार आ रहे थे, एक बार ये भी सोचा कि हो सकता है कि विरेन वापिस आ गए हों। पर अगर वापिस आते तो मुझे फोन तो करते। किसी अंजान आशंका से डरते हुये धड़कते हुये दिल से मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ी। दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, और अंदर धीमी रोशनी जल रही थी।
अंदर का नज़ारा देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
पीछे से ही मैंने पहचान लिया, ये तो विरेन हैं। ये कब वापिस आए और ये औरत उनके नीचे कौन है, जिस से वो सेक्स कर रहे हैं। मैंने अपने सेंडल उतारे और दबे पाँव अंदर चली गई, विरेन अपना पूरा लगा रहे थे और वो दोनों चुदाई में पूरे मस्त थे।
मैंने एक दम से बड़ी लाइट जलाई।
जितना उन दोनों को देख कर मैं हैरान हुई, उस से ज़्यादा वो दोनों मुझे देख कर हैरान हो गए।
जितना उन दोनों को देख कर मैं हैरान हुई, उस से ज़्यादा वो दोनों मुझे देख कर हैरान हो गए।
मेरे तो गुस्से की कोई सीमा ही नहीं रही, मैंने चीख कर कहा- विरेन, तुम ये क्या कर रहे हो? और माँ तुम?
मैं अपना सर पकड़ कर नीचे बैठ गई।
मैं अपना सर पकड़ कर नीचे बैठ गई।
विरेन उठे और उठ कर अपना गाउन पहनने लगे। माँ ने पास पड़ी एक चादर उठा कर ओढ़ ली।
उसके बाद माँ तो कुछ नहीं बोली, मगर विरेन ने मुझे बहुत कुछ समझाने की नाकाम कोशिश की।
उसके बाद माँ तो कुछ नहीं बोली, मगर विरेन ने मुझे बहुत कुछ समझाने की नाकाम कोशिश की।
मेरा तो रो रो कर बुरा हाल था। मैं न उन दोनों से बोल रही थी, न उनकी बात सुन रही थी। गुस्से और दुख से भरी मैं उन दोनों को वहीं छोड़ कर दूसरे कमरे में आ गई, रूम अंदर से बंद किया, और खूब रोई, खूब रोई।
मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे पति मेरी ही माँ से सेक्स कर सकते हैं, और मेरी माँ, उन्होंने तो आज तक कभी ऐसी गंदी हरकत नहीं की थी, किसी भी मर्द को अपने पास नहीं फटकने दिया, मैं उनको बचपन से देख रही थी।
मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे पति मेरी ही माँ से सेक्स कर सकते हैं, और मेरी माँ, उन्होंने तो आज तक कभी ऐसी गंदी हरकत नहीं की थी, किसी भी मर्द को अपने पास नहीं फटकने दिया, मैं उनको बचपन से देख रही थी।
रोते रोते ना जाने मुझे कब नींद आ गई।
सुबह उठी तो मेरा सर बहुत बुरी तरह से दुख रहा था। मैं उठ कर किचन में गई, माँ चाय बना रही थी। वो मुझ से नजर नहीं मिला पाई, पर चाय बना कर एक कप मुझे दिया।
वो जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया- कब से चल रहा था ये सब?
मैंने उन्हें माँ कहना भी ठीक नहीं समझा।
वो बोली- तेरी शादी से पहले से!
मैं तो सुन कर हैरान ही रह गई। मतलब विरेन और माँ का ये नाजायज रिश्ता मेरी शादी से पहले का है।
वो जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया- कब से चल रहा था ये सब?
मैंने उन्हें माँ कहना भी ठीक नहीं समझा।
वो बोली- तेरी शादी से पहले से!
मैं तो सुन कर हैरान ही रह गई। मतलब विरेन और माँ का ये नाजायज रिश्ता मेरी शादी से पहले का है।
विरेन तो घर पर थे नहीं तो मैंने माँ से ही सब कुछ जानना चाहा।
"शादी से पहले कब से?" मैंने पूछा।
माँ बोली- जब मैंने तुम दोनों को उस दिन गलत हालत में पकड़ लिया था, उसके बाद से!
"शादी से पहले कब से?" मैंने पूछा।
माँ बोली- जब मैंने तुम दोनों को उस दिन गलत हालत में पकड़ लिया था, उसके बाद से!
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन ही निकल गई, मैं फिर फर्श पर ही बैठ गई, और फिर से फूट फूट कर रोने लगी, माँ मुझे चुप करवाने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस सब के लिए मैं अपनी माँ को दोष दूँ, या अपने पति को।
ये थी एक सच्ची घटना, अब पढ़िये इस कहानी का विस्तृत वर्णन पूरे मसाले के साथ, यानि के एक्स्टेंडेड वरशन विद एक्सट्रा चीज़ एंड स्पाइसेज़
No comments:
Post a Comment