मेरा कौशल्या है, मैं 38 साल की हूँ बलिया की रहने वाली हूँ जो हिन्दी स्टोरी मैं आप लोगों को बताने जा रही हूँ वो मेरे साथ हुई सच्ची घटना है।
मेरी एक बेटी उसका नाम चाँदनी है, वो 18 साल की है. हमारे यहाँ बेटियों की शादी जल्दी ही कर दी जाती है तो हम अपनी बेटी के लिए रिश्ते की तलाश में थे। कुछ लोगों से बात बनी नहीं, कुछ की दहेज़ की मांग बहुत थी।
मेरे पति किसान हैं, वो खेती करते हैं.
मेरे पति किसान हैं, वो खेती करते हैं.
मैं अपने बारे में बता दूँ… मैं लम्बी चौड़ी महिला हूँ, कामुक बदन और मेरे स्तन बहुत बड़े हैं जो आजाद होने को बेकरार रहते हैं।
मेरी उम्र के साथ मेरी तन की आग यानि कामवासना और बढ़ती जा रही है मगर मेरे पति मुझे कुछ ख़ास मजा नहीं देते है। कभी कभी ही मुझे चोदते हैं, और जब कभी चोदते हैं तो 2-3 मिनट का खेल खेल कर निबट कर एक तरफ होकर सो जाते हैं. मेरी चूत की आग बुझ नहीं पाती और मैं तड़प कर रह जाती हूँ और खुद को तो कभी पति को कोसने लगती हूँ कि ये मेरे साथ हो क्या रहा है.
मेरी उम्र के साथ मेरी तन की आग यानि कामवासना और बढ़ती जा रही है मगर मेरे पति मुझे कुछ ख़ास मजा नहीं देते है। कभी कभी ही मुझे चोदते हैं, और जब कभी चोदते हैं तो 2-3 मिनट का खेल खेल कर निबट कर एक तरफ होकर सो जाते हैं. मेरी चूत की आग बुझ नहीं पाती और मैं तड़प कर रह जाती हूँ और खुद को तो कभी पति को कोसने लगती हूँ कि ये मेरे साथ हो क्या रहा है.
जब मैं अपने खेतों की तरफ जाती हूँ तो गाँव का हर कोई मर्द, युवा या प्रौढ़… मुझे ऐसे देखता है जैसे अभी सरे आम मुझे चोद कर रख देगा सड़क पे या खेतों में!
एक दिन हमारी रिश्तेदारी में से एक जन एक रिश्ता लेकर आये। रिश्ता बहुत बड़े घर से था और उनकी कोई मांग भी नहीं थी तो हमने अपनी बेटी की शादी उस घर में तय करने की सोच ली।
मैं बहुत खुश थी कि मेरी लड़की का रिश्ता इतने बड़े घर में होने जा रहा है।
मैं बहुत खुश थी कि मेरी लड़की का रिश्ता इतने बड़े घर में होने जा रहा है।
कुछ दिन बाद लड़का और उसके पिता जी माता जी सब मेरी बेटी को देखने आये। लंडके का नाम केशव था, मेरे होने वाले समधी जी का नाम गोपाल था. समधन जी का नाम सरिता था।
सारी बातें तय होने के बाद रिश्ता पक्का हो गया।
सारी बातें तय होने के बाद रिश्ता पक्का हो गया।
लेकिन इस सब के दौरान मैंने गौर किया कि मेरे होने वाले मेरे समधी मुझे बहुत कातिल निगाह से देख रहे थे। मुझे अजीब सा तो लगा लेकिन कहीं अंतर्मन में कुछ खुशी सी भी हुई कि समधी जी को मैं अच्छी लग रही थी. मैं अपने मन में सोचने लगी कि काश मेरे समधी जी मुझे चोद दें!
कुछ महीनों बाद मेरी बेटी की शादी उसी घर में हो गयी।
शादी के 3 महीने बाद मेरी बेटी हमारे घर में कुछ दिन के लिए रहने आई, वो बहुत खुश थी। उसने सबके बारे में मुझे बताया, ये भी बताया कि समधी जी ने मुझे भी बुलाया है।
फिर कुछ दिनों बाद मेरी बेटी चली गयी।
शादी के 3 महीने बाद मेरी बेटी हमारे घर में कुछ दिन के लिए रहने आई, वो बहुत खुश थी। उसने सबके बारे में मुझे बताया, ये भी बताया कि समधी जी ने मुझे भी बुलाया है।
फिर कुछ दिनों बाद मेरी बेटी चली गयी।
एक दिन अचानक मेरे समधी जी मेरे घर आ गए। उस वक़्त घर मेरे पति नहीं थे, समाधी जी को अपने घर में देख कर मैं बहुत खुश हुई, मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा. मैंने समधी जी को नाश्ता दिया और उनके बगल में बैठ गयी, उनसे बातें करने लगी।
वो मुझसे बोले- समधन जी, आप तो आज भी जवान हो!
मैंने खुश होकर उनसे कहा- क्यों आप जवान नहीं हो अब क्या?
वो हँसने लगे. हम दोनों ने काफी बातें की जिनका रुख थोड़ा थोड़ा अश्लीलता की ओर मुड़ने लगा था.
वो मुझसे बोले- समधन जी, आप तो आज भी जवान हो!
मैंने खुश होकर उनसे कहा- क्यों आप जवान नहीं हो अब क्या?
वो हँसने लगे. हम दोनों ने काफी बातें की जिनका रुख थोड़ा थोड़ा अश्लीलता की ओर मुड़ने लगा था.
इसी तरह रात हो गयी। मेरे पति खेतों से आ गए. रात को खाना वगैरा खाकर हम सब घर के आंगन में 3 खटिया डाल कर लेट गए, एक पे मेरे पति दूसरी पे समधी जी एक पे मैं!
रात को अचानक मौसम खराब होने लगा, मेरे पति मुझसे बोले- बारिश हुई तो खेत में पानी भर जाएगा, इसलिए नाली बनानी जरूरी है!
और वो रात को ही चले गए।
रात को अचानक मौसम खराब होने लगा, मेरे पति मुझसे बोले- बारिश हुई तो खेत में पानी भर जाएगा, इसलिए नाली बनानी जरूरी है!
और वो रात को ही चले गए।
अब सिर्फ मैं और समधी जी लेटे थे। मैंने अपनी खटिया उनकी खटिया से जोड़ दी।
आँधी चल रही थी, बिजली भी कड़क रही थी।
आँधी चल रही थी, बिजली भी कड़क रही थी।
समधी जी पूरी नींद में थे, मैंने कामुकता वश उनके हाथ को उठा कर अपने ब्लाऊज में डाल दिया और उनके करीब होकर लेट गयी। अपने होंठों को उनके होंठों के करीब रख दिया, उनकी गर्म सांस मेरे होंठों में लग रही थी।
अचानक बिजली कड़की और वो हिल कर जग गये।
मैं सोने का नाटक करने लगी।
मैं सोने का नाटक करने लगी।
उन्होंने पहले तो अपने हाथ को मेरे ब्लाऊज से निकाल लिया। फिर कुछ पल बाद कुछ सोच कर वो अपने हाथ से मेरी चुचियों को ब्लाऊज के ऊपर से दबाने लगे.
मुझे अच्छा लग रहा था पर मैं सोने का नाटक कर रही थी।
मुझे अच्छा लग रहा था पर मैं सोने का नाटक कर रही थी।
फिर वो मेरे पूरे बदन पे हाथ फिराने लगे। उन्होंने मेरी नाभि में भी अपनी उंगली घुमायी तब मेरे मुख से आआह की आवाज निकल गयी।
वो मेरे कान में बोले- समधन जी, अब ये नाटक बंद करो सोने का… अब जग भी जाओ।
मैंने आँख खोली… उनकी आँखों में देखा और उनसे लिपट गयी।
वो मेरे कान में बोले- समधन जी, अब ये नाटक बंद करो सोने का… अब जग भी जाओ।
मैंने आँख खोली… उनकी आँखों में देखा और उनसे लिपट गयी।
उन्होंने पहले तो मेरे होंठों को अपने जुबान से चाटा, फिर मेरे होंठों पर अपने दांतों से काट लिया, मेरे मुख से आआह की आवाज निकल गयी।
अब वो धीरे धीरे मेरे ब्लाऊज के हूक को खोलने लगे।
मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी मेरे दोनों चुचियों के निप्पल को अपने उंगली से मसलने लगे।
मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी मेरे दोनों चुचियों के निप्पल को अपने उंगली से मसलने लगे।
मैं बोल रही थी- आआआह… धीरे दबाओ…
वो पूरी ताकत से मेरी चुची दबा रहे थे।
वो पूरी ताकत से मेरी चुची दबा रहे थे।
फिर उन्होंने मेरी साड़ी को अलग किया मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगे, नाड़ा टाइट था खुल नहीं रहा था तो उन्होंने एक झटके में मेरे पेटीकोट का नाड़ा तोड़ दिया और पेटीकोट नीचे कर दिया। मैंने उनकी लुंगी के ऊपर से उनके लंड को पकड़ लिया, उनका लंड एकदम रॉड जैसा था।
वो मेरी नंगी चूत के ऊपर हाथ फिरा रहे थे, मेरी चूत पर काफी बाल थे. मैंने उनकी लुंगी को खोल दिया, उनके लंड को हाथ में थाम लिया. उनका लंड मोटा बहुत था, एकदम गर्म गर्म था।
वो मुझसे बोले- तुम अपनी चूत के बाल क्यों नहीं बनाती?
मैंने कहा- कोई मुझे चोदता ही नहीं है।
वो मुझसे बोले- तुम अपनी चूत के बाल क्यों नहीं बनाती?
मैंने कहा- कोई मुझे चोदता ही नहीं है।
फिर उन्होंने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर चढ़ गए। अपने लंड को मेरी चूत के द्वार पे रख कर एक दमदार धक्का मारा उनके लंड का मोटा सुपारा मेरी चूत में घुस गया। मेरे मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह… मर गयी समधी जी…
वो मेरी चूत में अपने लंड के धक्के लगाने लगे बड़ी जोर जोर से… पट पट की आवाज के साथ उनका लंड मेरी चूत में पिल रहा था। मुझे भी खूब आनंद आने लगा।
वो मेरी चूत में अपने लंड के धक्के लगाने लगे बड़ी जोर जोर से… पट पट की आवाज के साथ उनका लंड मेरी चूत में पिल रहा था। मुझे भी खूब आनंद आने लगा।
मैं बड़बड़ाने लगी- आआह… ओह्ह… सस्स… ऐसे ही चोदो ना आह… कितना जालिम लंड है तुम्हारा… मजा आ…उआआ… गया आआआ…
वो भी बोले- कितनी रसीली चूत है आआह… आपकी! समधन जी मुझे भी मजा आ गया अपनी बहू की मां चोद कर!
वो भी बोले- कितनी रसीली चूत है आआह… आपकी! समधन जी मुझे भी मजा आ गया अपनी बहू की मां चोद कर!
मैं बोलने लगी- और तेज चोदो… फाड़ डालो मेरी चूत को! वाह सस्स… हाहा… हां हाँ!
मैंने अपना पानी छोड़ दिया।
मैंने अपना पानी छोड़ दिया।
वो भी आआह उम्म्हा की आवाज के साथ मेरे नंगे बदन पर गिर गए, उनका माल मेरी चूत से बाहर बह रहा था।
हम दोनों सो गए, सुबह हो गयी, सुबह ही मेरे पति आये।
समधी जी मुझसे कुछ नहीं बोले।
सुबह को नहा धोकर नाश्ता करके समधी जी अपने घर लौट गए, मुझे अपने घर भी आने को कह गए।
सुबह को नहा धोकर नाश्ता करके समधी जी अपने घर लौट गए, मुझे अपने घर भी आने को कह गए।
एक महीना बीत गया, मेरी भी चूत में खुजली होने लगी, मैंने अपने पति से बोला- बेटी की याद आ रही है।
फिर वो बोले- तुम जाकर मिल आओ, मुझे तो खेतों में बहुत काम है।
फिर वो बोले- तुम जाकर मिल आओ, मुझे तो खेतों में बहुत काम है।
मैं अपनी बेटी के घर पहुँच गई. वहाँ पर सब मुझे दिखे पर समधी जी नहीं दिख रहे थे।
रात को समधी जी आये तो मुझे देख कर बहुत खुश हुए।
रात को समधी जी आये तो मुझे देख कर बहुत खुश हुए।
मैं जानबूझ कर बाथरूम करने जाने लगी कि वो मेरे पीछे आये और मुझे कुछ मजा दें… ऐसा ही हुआ, वे मेरे उठाने के कुछ देर बाद हाथ मुंह धोने के बहाने से मेरे पास आये, तभी उन्होंने मुझे पकड़ लिया और पागलों की तरह मेरी चुचियों पर टूट पड़े।
उनकी खींचा तानी में मेरा ब्लाऊज भी फट गया। फिर मैंने मना किया।
फिर उन्होंने मुझे चुपके से समधन जी का ब्लाऊज लाके दिया लेकिन उनका ब्लाऊज छोटा था मेरी आधी चुचियों को ही ढक पा रहा था, क्योंकि मेरी चूचियां बहुत बड़ी बड़ी हैं. मैंने जैसे तैसे साड़ी से फटे ब्लाउज को ढका।
फिर उन्होंने मुझे चुपके से समधन जी का ब्लाऊज लाके दिया लेकिन उनका ब्लाऊज छोटा था मेरी आधी चुचियों को ही ढक पा रहा था, क्योंकि मेरी चूचियां बहुत बड़ी बड़ी हैं. मैंने जैसे तैसे साड़ी से फटे ब्लाउज को ढका।
रात को सब सोने लगे, मैं समधन जी के साथ सो रही थी।
समधन जी के बगल में समधी जी भी लेट गए। कमरे में हल्की रोशनी थी।
समधन जी के बगल में समधी जी भी लेट गए। कमरे में हल्की रोशनी थी।
समधी जी समधन की यानी अपनी पत्नी का ब्लाऊज खोलने लगे, धीरे धीरे उन्होंने समधन जी की चुचियों को नंगी कर दिया और मसलने लगे।
उन्हें देख कर मुझे भी गर्मी चढ़ गयी, मैं अपने हाथ से अपनी चुचियों को मसलने लगी.
तभी समधन जी ने अपना एक हाथ मेरे ब्लाऊज पे रख दिया और मेरे ब्लाऊज के हूक को खोलने लगी।
मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले उन्होंने मेरे बूब्स को नंगा कर दिया, एकदम से मेरे ऊपर आ गयी और अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया.
मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले उन्होंने मेरे बूब्स को नंगा कर दिया, एकदम से मेरे ऊपर आ गयी और अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया.
तब तक समधी जी ने लाइट चालू कर दी। तब तक मैं घबरा गयी.
फिर समधन जी मुझ से बोली- अपने समधी जी से ही चुदवा लोगी, मुझे मजे नहीं दोगी?
मैं समझ गयी कि मेरे समधी जी ने हम दोनों की चुदाई के बारे में सब कुछ बता दिया है अपनी पत्नी यानि मेरी बेटी की सास को!
मैं कुछ बोलती, इससे पहले उन्होंने मेरी एक चूची को अपने मुख में ले लिया और जोर से चूसने लगी। फिर वो अपनी चुचियों को मेरी चुचियों के ऊपर रख कर मसलने लगी।
फिर समधन जी मुझ से बोली- अपने समधी जी से ही चुदवा लोगी, मुझे मजे नहीं दोगी?
मैं समझ गयी कि मेरे समधी जी ने हम दोनों की चुदाई के बारे में सब कुछ बता दिया है अपनी पत्नी यानि मेरी बेटी की सास को!
मैं कुछ बोलती, इससे पहले उन्होंने मेरी एक चूची को अपने मुख में ले लिया और जोर से चूसने लगी। फिर वो अपनी चुचियों को मेरी चुचियों के ऊपर रख कर मसलने लगी।
मुझे भी मजा आ रहा था।
फिर वो बोली- समधन जी, मैं तुम्हें अपने पति से चुदती हुई देखना चाहती हूँ।
फिर वो बोली- समधन जी, मैं तुम्हें अपने पति से चुदती हुई देखना चाहती हूँ।
फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट को उतारा और मुझे नंगी कर दिया। समधन जी मुझसे बोली- पहले तुम मेरी चूत को चाटो!
मैंने उनको लिटाया और उनकी चूत पर अपने मुँह को रख दिया. वो वासना के सैलाब से उछल पड़ी और मैं तेजी से उनकी चूत को चाटने लगी।
मैंने उनको लिटाया और उनकी चूत पर अपने मुँह को रख दिया. वो वासना के सैलाब से उछल पड़ी और मैं तेजी से उनकी चूत को चाटने लगी।
वो बोलने लगी- आआह… हां…! चाटो मेरी चूत आआह… बहुत गरम है ये! इसे रोज लंड चाहिए… बहुत पानी छोड़ती है ये!
फिर मेरे चाटने से उन्होंने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और उनकी वासना शांत हो गई।
फिर मेरे चाटने से उन्होंने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और उनकी वासना शांत हो गई।
मेरी बेटी की सास की चूत का पानी मेरे मुँह पर भी लग गया था जिसे मैंने जीभ से चाट चाट कर गटक लिया.
फिर समधी जी ने मुझे लिटाया और अपनी बीवी की चूत का पानी मेरे लबों पर से चाटने लगे.
इसी बीच समधन जी ने अपने पति के लंड को चूस कर और सख्त कर दिया तो समधी जी मेरी चूत में लंड डालने लगे, समधन जी ने अपने पति का लंड अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिकाया, तभी उनका लंड मेरी चूत में घुस गया.
मैंने आआह की आवाज की और इसके साथ ही समधी जी मुझे चोदने लगे समधन जी अपनी चूत में उंगली करने लगी।
मैंने आआह की आवाज की और इसके साथ ही समधी जी मुझे चोदने लगे समधन जी अपनी चूत में उंगली करने लगी।
हम दोनों औरटें तेजी से आआह आआह रही थी।
समधन जी बोलने लगी- चोद दे साली को… बहुत गरम है ये!
मैंने भी कहा- आआह चोदो मुझे समधी जी!
वे पूरी ताकत से मुझे चोद रहे थे।
समधन जी बोलने लगी- चोद दे साली को… बहुत गरम है ये!
मैंने भी कहा- आआह चोदो मुझे समधी जी!
वे पूरी ताकत से मुझे चोद रहे थे।
कुछ देर बाद मेरी चूत ने परम आनन्द प्राप्त किया और मैंने अपनी धार छोड़ दी, समधी जी भी कुछ पल बाद ही मेरी चूत में झड़ कर रह गए।
कुछ देर बात करने पर पता चला कि मेरी समधन जी ने ही समधी को मेरे पास भेजा था।
मैंने उसने पूछा- आपको पता था कि समधी जी मुझे चोद रहे हैं, फिर भी आप ने कुछ नहीं कहा?
वो बोली- कुछ साल पहले मेरे पति ने मुझे एक आदमी से चुदवाते पकड़ लिया था, तब से हम दोनों के बीच खुला सेक्स हो गया है। मैं इनकी मदद करती हूँ इनको नई नई चूतें दिलवाने में… और ये भी मुझे नहीं रोकते किसी गैर मर्द से चुदाई करवाने से
मैंने उसने पूछा- आपको पता था कि समधी जी मुझे चोद रहे हैं, फिर भी आप ने कुछ नहीं कहा?
वो बोली- कुछ साल पहले मेरे पति ने मुझे एक आदमी से चुदवाते पकड़ लिया था, तब से हम दोनों के बीच खुला सेक्स हो गया है। मैं इनकी मदद करती हूँ इनको नई नई चूतें दिलवाने में… और ये भी मुझे नहीं रोकते किसी गैर मर्द से चुदाई करवाने से
Mara 12 inch ka micro lund hai jis unsatisfied female ko lena ho wo Meara gmail id per call kara ek bar chodkar dekho dubara sabhi ko bhool jaogi mera gmail.id ak472791@gmail....
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