Friday, April 29, 2016

भाई का लंड




हेलो जी, मेरा नाम ज़ोया शर्मा है. मैं अब आपको अपनी चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ, यह मेरी सच्ची कहानी है. मेरी उमर 23 साल है. मेरे घर में हम 6 सदस्य हैं. मेरे पापा मम्मी मेरा एक भाई जिसकी उम्र 22 साल है और दो छोटी बहन एक 20 और दूसरी 18 साल 2 मास है.

मेरे भाई का नाम करण है और उस से छोटी बहन का नाम रीना और उस से छोटी का नाम मीनू है. मेरा भाई हमेशा मुझे गलत नजर से देखता था. वो बी.कॉम के दूसरे साल का छात्र है और मैं बी.ए फाइनल की छात्रा हूँ. मैंने कई बार देखा है कि मेरा भाई कभी गंदी किताब पढ़ कर अपने लंड को हिला रहा है.

वो मौका देख कर मुझे कपड़े बदलते देखता था, वो कभी-कभी मुझे नहाते भी देखा करता था लेकिन मैंने कभी उस इस बात को कभी किसी को नहीं बताया .

बात इन्हीं सर्दियों की है, एक बार वो अपना मोबाइल अपने कमरे में छोड़ कर नहाने चला गया तो मैंने उसके मोबाईल में ब्लू मूवी देखी जिसमें एक लड़की एक लड़के का लंड चाट रही होती है और दो लड़के उसकी चूत और गाण्ड मार रहे होते हैं. उन दोनों लड़कों के लंड बहुत मोटे थे कि मैं तो देख कर डर गई थी. भाई के आने का टाइम हो गया था इसलिए मैंने मोबाइल जैसे रखा था, वैसा ही रख दिया.

एक बार मैं उसके कमरे में उसे उठाने के लिए गई तो मैंने देखा कि उसका लंड उसकी पैंट से बाहर निकला हुआ था और तना हुआ था, उसका लंड बहुत मोटा और लम्बा था. मैं तो उससे डर कर कमरे से बाहर आ गई. उस दिन के बाद तो मुझे भाई से थोड़ा डर लगने लगा.

एक बार की बात है पापा मम्मी किसी विवाह में गए थे, वहाँ से वे चार दिन बाद आने वाले थे. उस दिन हम सारे बहन भाई एक कमरे में सो गए. मेरा भाई मेरे साथ सो गया. रात को करीब दो बजे मैंने देखा की मेरे चूतड़ों पर कुछ चुभ रहा है, देखा तो मेरे भाई का लंड था जो उसकी पैंट से बाहर था. मैंने देखा कि भाई तो सोया हुआ है तो मैंने उसे हाथ से हटाने के लिए छुआ तो मुझे वो सखत और प्यारा सा लगा, मुझे उसे छूने में मज़ा आ रहा था.

फिर मैं उससे थोड़ा दूर हो गई ताकि वो मेरे चूतड़ों को छुए ना ! फिर मैं सो गई, फिर 30 मिनट बाद वो फिर गांड में चुभ रहा था. अब मुझे पता चल गया कि भाई उसे जानबूझ कर चुभा रहा है. मैंने सिर्फ सोने की एक्टिंग की ! उस दिन सिर्फ यही हुआ.

उससे अगले दिन भाई अपने किसी काम से बाहर चला गया. मेरी गली का एक लड़का था वो मेरा बॉय-फ्रेंड था पर उसने आज तक ना तो मुझे किस किया और ना ही इसके अलावा कुछ और ! असल में मैंने ही उसे कुछ करने ही नहीं दिया. उसे पता लग गया था कि मैं घर पर अकेली हूँ तो उस दिन वो मेरा घर पर आया और मुझे किस करने लगा. अब मेरा भी मन करने लगा.

तभी मेरा भाई आ गया और उसने हमें किस करते देख लिया लेकिन उस ऐसे नज़र अंदाज कर दिया जैसे कुछ देखा ही नहीं और अपने कमरे में चला गया. इतने में वो लड़का वहाँ से चला गया.

उस रात को हम चारों बहन भाई ने मिलकर खाना खाया, मेरी दोनों बहनें अभी टी.वी देख रही थी, मैं और मेरा भाई सोने के लिए चल दिए. मैं जाकर लेटने लगी कि तभी भाई आ गया और मेरे पास बैठ कर मुझसे बोला- मैंने सब देख लिया है कि तू आज क्या कर रही थी. यह बात पापा और मम्मी को बता दूँगा.

मैं डर गई कि मैं अब क्या करूँ, मैंने भाई से कहा- तू भी तो करता होगा किसी लड़की के साथ ऐसा?

तो भाई ने कहा- मेरी ऐसी किस्मत कहाँ कि मैं किसी लड़की के साथ ऐसा करूँ. कोई लड़की मौका ही नहीं देती है.

मैंने कहा- लड़की कभी मौका नहीं देती, लड़के को ही मौका देख कर उस बाहों में भर लेना चाहिए.

तो भाई ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- अगर मैं किसी लड़की का हाथ ऐसे पकड़ लूँ तो इसके बाद क्या करना चाहिए?

‘तो उसका हाथ खींच कर उस अपनी बाहों में भर लेना और उसके होंठों को चूम लेना.’

इतना कहने की देर थी कि भाई ने मुझे अपनी बाहों भरा और मुझे किस करने लगा. मैंने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन छुड़ा नहीं पाई. फ़िर उसने एक हाथ अपना मेरी चूची पर रखा दिया और दबा दिया. मैं सिसकार उठी लेकिन उसकी पकड़ से अपने आप को छुटा ना सकी और कुछ देर बाद मैं भी उसका साथ देने लगी, उसके साथ चूमाचाटी करने लगी. फिर उसने मेरा टॉप उतार दिया. मैं अब उसके सामने ब्रा में थी. उसने मेरी ब्रा भी उतार दी, अब मैं अधनंगी हो चुकी थी. फिर वो अपने हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा और मेरी चूत पर अपना हाथ फिराने लगा.

मुझे कुछ ग्लानि महसूस हो रही थी कि वो मेरा भाई है, मैं उससे छुट कर दूसरे कमरे में आ गई और दरवाज़ा बंद कर लिया और दूसरे कपड़े पहन लिये. वैसे मज़ा मुझे भी आ रहा था पर मैंने अपने आपको रोका कि वो मेरा भाई है. कुछ देर बाद मेरी दोनों बहनें सोने के लिए आ गई तो उन्होंने भाई से मेरा बारे में पूछा- जोया कहाँ पर है?

तू उसने कहा- वो दूसरे कमरे में है.

और मेरी दोनों बहनें सो गई. मुझे भाई के सामने जाने में भी शर्म आ रही थी. फिर मेरा भाई मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाने लगा, उसके लाख बार कहने पर मैंने दरवाज़ा खोला और वो जल्दी से कमरे में आया और दरवाज़ा लगा दिया. इससे पहले मैं कुछ कहती, उसने मुझे पकड़ा किस करने लगा.
मुझे पता चल चुका था कि आज मुझे चुदना ही पड़ेगा.

और फिर से उसने मेरी टॉप भी उतार दी और मुझे आधी नंगी करके मेरी चूत पर अपना हाथ फिराने लगा.

मैंने उसे कहा- यह गलत है.

उसने कहा- तू ही तो कह रही थी कि लड़की कभी मौका नहीं देती, लड़के को ही मौका देखकर उस बाहों में भर लेना चाहिए.

मैंने कहा- मैं तेरी बहन हूँ !

फिर उसने कहा- है तो तू लड़की !

वो ज्यादा ज़िद करने लगा तो मैंने कह दिया- ऊपर-ऊपर से कुछ भी कर ले उस ज्यादा मैं नहीं करने दूँगी.
उसने मेरी बात मानी और मुझे किस करने लगा, ऊपर से मेरी चूची को दबाने लगा और फिर थोड़ी देर बाद मेरी चूची को चूसने लगा. मैं बहुत गर्म होने लगी और मुझसे फिर अपनी जींस उतारने को कहने लगा. उसके ज्यादा जिद करने पर मैंने जींस उतार दी और उसने जल्दी से मेरी पैन्टी भी उतार दी. अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी थी. उसने मेरी चूत में उंगली घुसा दी, मैं सिसकार उठी और वो उंगली ज़ल्दी-जल्दी अन्दर बाहर करने लगा जिससे मैं और गर्म हो गई. फिर उसने मुझे मेज पर बैठाया, इससे मेरी चूत और खुल गई और वो और वो झुक कर मेरी चूत को चाटने लगा.

उसकी इस हरकत से मुझे बड़ा मज़ा आया और मैं इसे और ज्यादा गर्म हो गई और उसके सिर पर हाथ फिराने लगी. काफ़ी देर तक मेरी चूत चाटी उसने और फ़िर अपना लंड निकाला. मैं तो उस देख कर ही डर गई, वो 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था. उसने वो मेरी चूत पर लगाया तो मैंने कहा- मैंने कहा था कि सिर्फ ऊपर-ऊपर से कुछ भी कर सकते हो !

उसने कहा- दीदी, मैं वो ही तो कर रहा हूँ, मैं तो इस पर इसे फिरा रहा हूँ इसकी ऐसी किस्मत कहाँ कि आप जैसी सुन्दर लड़की की चूत मिले !

मैंने कहा- अच्छा.

मैंने जैसे ही यह बात कही, उसने लंड में बहुत तेज धक्का मारा और उसके लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया. मुझे बहुत दर्द हुआ और मेरी चूत से खून निकलने लगा, मेरी आँखों से आँसू निकल गये. मैंने उसकी पकड़ से छुटने की बहुत कोशिश की पर छुट नहीं पाई. उसने एक धक्का और मारा जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में घुस गया और मैं एक बार चीख पड़ी- अई…अई… मर गई ! फिर उसने एक और धक्का मारा और उसका सारा लंड मेरी चूत में घुस गया. और उसने मुझे फिर से किस करना चालू कर दिया और तब तक करता रहा जब तक मैं नार्मल नहीं हो गई. और तब फिर से लंड को अन्दर बाहर करने लगा, अब मेरी चूत में दर्द तो हो रहा था पर पहले जितना नहीं.

जब उसका लंड मेरी चूत के अन्दर जाता तो कभी-कभी मेरी बच्चेदानी की दीवार से टकराता जिससे मैं ‘आअअहह अअआहहह ऊई…’ कर रही थी क्योंकि मुझे दर्द होता था, वैसे अब मुझे मज़ा आने लगा था और लंड ने मेरी चूत में जगह बना ली थी. अब तो भाई का हर धक्का मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था. फिर वो मुझे मेज से उठा कर बिस्तर पर ले गया और मुझे चूमने लगा और फिर से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया.

अब दर्द तो हो रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था, उसका मोटा लंड मेरी चूत की खुज़ली अच्छी तरह मिटा रहा था. उस मुझे 20 मिनट तक चोदा और उसका माल मेरी चूत में निकल गया और मेरी भी साथ ही निकल गया. मुझे पता नहीं था कि चुदाई में इतना मज़ा आता है वरना मैं तो कब की चुद जाती किसी ना किसी से ! मेरी सुंदरता के तो सारे लड़के दीवाने थे.

फिर भाई मेरी ऊपर ही सो गया और जब हमने आँखें खोली तो 2:00 बजे गए थे. भाई फिर से मुझे गर्म करने लगा तो मैंने मना कर दिया, मुझे दर्द भी हो रहा था और चक्कर भी आ रहे थे. फिर भाई उसी कमरे में सोने चला गया जिसमें मेरी बहनें सोई थी. मैं पहले वाशरूम में फ्रेश होने गई और फिर आकर उसी कमरे में भाई के पास लेट गई. भाई गहरी नीद में था !

सुबह मेरी बहन ने मुझे उठाया और मैं सही से चल भी नहीं पा रही थी तो उस ने पूछा -क्या हुआ?

मैंने कहा- पता नहीं, पैर में मोच आ गई है !

पर उसने मरी जींस पर खून देख लिया, वो बच्ची तो नहीं थी, सब समझ गई थी कि दीदी की सील टूट चुकी है.

जबसे मैं चुदी थी तब से मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था.

रीना ने कहा- दीदी, भाई को चाय पीने के लिए जगा दो !

तो मैं भाई को जगाने के लिए चल दी.

मैंने भाई को जगाया तो उसने मुझसे पूछा- ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है?

मैंने कहा- कहा था ना कि सब ऊपर-ऊपर से करना पर तूने मेरी सील भी तोड़ दी और मेरा घमण्ड भी कि मैं अपने पति के अलावा किसी से नहीं चुदाऊँगी. तेरा लंड बहुत मोटा था फिर भी मेरी चूत में चला गया, यह कैसे कर दिया तूने !

‘यह मेरे लंड का कमाल है.’ भाई बोला.

फिर हम सबने खाना खाया और मेरी बहनें अपने-अपने काम में लग गई. वो टी.वी देख रही थी, मैं रसोई में थी. तभी भाई आया और पीछे आकर मेरे मम्मे बहुत तेज भींच दिए जिससे मैं चिल्ला उठी और यह आवाज मेरी रीना बहन ने सुन ली.

वो रसोई की तरफ आकर हमरी हरकत देखने लगी. तभी भाई ने मेरे कपड़े उतार दिए और एक मिनट में मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूत को चाटने लगा जिससे मैं थोड़ी देर में गर्म हो गई और फिर उसने अपने लंड निकाला और मुझसे उसे चूसने के लिए कहने लगा. मैंने पहले तो मना किया पर उसकी ज्यादा जिद करने पर चूसने लगी और फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी चूत में लंड घुसाने लगा. मैंने उसे मना किया पर उसने अपने लंड पर अपना थूक लगाया और मेरी गांड में लंड लगा कर जोर लगाया और उसका लंड मेरी गान्ड में आधा घुस गया जिससे मैं क़राह उठी.

मैंने कहा- भाई तू मुझे मार ही डालेगा.

उसने मेरी बात अनसुनी की, एक बार और जोर मारा जिससे सारा लंड मेरी गांड में घुस गया और मैं दर्द के मारे आह…हआआ…आहहआ ऊईऊईऊई… करने लगी. गाण्ड मरवाने में चूत जितना दर्द ही हो रहा था.

भाई ने 10 मिनट तक मेरी गांड की खूब चुदाई की और जब माल आने वाला था तू लंड निकलाकर कर सारा माल मेरे चेहरे पर गिरा दिया और बाद में मुझसे पूछा- मज़ा आया?

तो मैं लाज के मारे कुछ नहीं बोली और वाशरूम में अपने आप को ठीक करने के लिए जैसे ही उठी तो मैंने देखा कि रीना सब देख चुकी है. और वो मुझे वहाँ आता देख वहाँ से चली गई.

बाद में मैंने यह बात भाई को बताई तो भाई ने कहा- उसे भी चुदवा दे, उसका भी मन करता होगा किसी से अपनी चूत मरवाने का !

अब मैं समजहने लगी थी कि मेरे भाई पर सिर्फ मेरा हक़ है, मैं उसे किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहूँगी चाहे वो मेरी बहन ही क्यों ना हो, इसलिए मैंने कह दिया- वो बच्ची है, उसे बड़ी होने दे, तेरे लंड लेने लायक. तब मैं उससे बात करूंगी.

आपको मेरी चुदाई में मज़ा आया या नहीं, मुझे मेल कर के बताएँ, धन्यवाद.

विदेशी लंड देसी योनि


हैलो दोस्तो, मैं आपकी दोस्त संजना, लुधियाना से एक बार फिर आपके के लिए एक और कहानी लेकर आई हूँ. यह कहानी काल्पनिक नहीं है, कुछ-कुछ सच है और बाकी मेरी कल्पना है.

मेरी कुछ ख्वाहिशें थीं जो पूरी हुईं तो मैंने उसे एक कहानी का रूप दे दिया और अब आपके मनोरंजन के लिए पेश है.

हमारी बातचीत को मैं इंग्लिश की बजाए हिन्दी में लिख रही हूँ ताकि आपको ज़्यादा मज़ा आए, तो मजा लीजिए…

जो लोग मुझे फ़ेसबुक पर जानते हैं, उन्हें पता है कि मेरे पति की लुधियाना में साइकल पार्ट्स की फैक्ट्री है, अच्छा बिजनेस है, किसी बात की कमी नहीं है. पति से मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ, कभी-किसी गैर मर्द की तरफ देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी, पर दिल में कभी-कभी एक ख़याल आता था कि अगर कोई गैर मर्द मेरे साथ करे तो क्या मैं कर पाऊँगी..!

मैं यह कैसे एड्जस्ट कर पाऊँगी कि मेरा बदन जो सिर्फ़ मेरे पति की अमानत है, उसे कोई और छुए, कोई और उसका मज़ा ले.

खैर.. ना कभी ऐसी ज़रूरत आन पड़ी, ना ही मैंने किसी और को लाइन दी, हालांकि हमारे कई जानने वाले मुझ पर फिदा थे, जो उनके हाव-भाव से पता लग जाता था.

बात करीब दो साल पहले की है, मेरे पति के साथ कोई स्पेन की पार्टी से बिजनेस डीलिंग चल रही थी और इसी सिलसिले में वहाँ की कंपनी की मालकिन मार्टिनेज़ लोपेज़ और उसका बेटा मार्क एडवर्ड लोपेज़, हमारे पास आए.

मार्टी करीब 50-55 साल की लंबी-चौड़ी लेडी थी जबकि मार्क दुबला-पतला करीब 28-30 साल का नौजवान था और उसका तलाक़ हो चुका था.

हमने उनके ठहरने का प्रबंध एक बढ़िया होटल में कर दिया था. वो करीब 15-20 दिन के लिए आए थे.
एक दिन मेरे पति ने मुझसे कहा- संजू, तुम मेरा एक काम कर दोगी?

‘क्या काम है?’

‘अरे यार, वो मार्क हमारी बिजनेस डीलिंग्स से बोर हो गया है, क्या तुम उसे कहीं घुमा कर ला सकती हो?’
‘तो यह मेरा काम थोड़े ही है, मुझे स्पैनिश नहीं आती और उसे टूटी-फूटी इंग्लिश आती है, मुझसे नहीं होगा, अपने किसी और आदमी से कह दो!’

‘अरे जानेमन, मैं उन्हें फैमिली मेंबर्स की तरह ट्रीट कर रहा हूँ, एक दिन की तो बात है… प्लीज़ समझा करो, हमें एक बड़ा ऑर्डर मिल सकता है, अगर हम उन्हें इंप्रेस कर सके तो..!’

यह कह कर खैर.. उन्होंने मुझे मना ही लिया.

अगले दिन हम सब उनकी फैक्ट्री में सुबह 9 बजे मिले. मैंने एक काली और सफ़ेद साड़ी पहनी थी, जिसका एक लो-कट और स्लीव्लैस ब्लाउज था.

जब तैयार हो कर मैंने शीशे में देखा तो शीशे ने भी मेरी तारीफ की.

मेरे पति, मार्टी और दो और लोग ड्राइवर के साथ इनोवा में बैठ गए और मार्क मेरे साथ आ कर आई-20 में आगे वाली सीट पर बैठ गया.

मार्क की पसंद को ध्यान में रखते हुए मैं कुछ खाने-पीने का सामान साथ में ही ले आई थी, मैंने गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े.

करीब दो घंटे का सफ़र था, पर गाड़ी में बातें करते-करते, मुझे मार्क बहुत अच्छा लगा.

थोड़ी देर बाद तो मैं और मार्क अच्छे दोस्त बन गए और खूब हँसते- बोलते हमारे फार्म हाउस पर पहुँच गए. गाड़ी अन्दर लगा कर चौकीदार को कुछ ठंडा लाने को कहा.

एक-एक ड्रिंक पीकर हमने अपनी खाने-पीने की बास्केट और बिछावन उठाई और पैदल ही चल पड़े. हमारे फार्म हाउस की बिल्डिंग से काफ़ी दूर हम एक ट्यूबबेल पर पहुँचे. ट्यूबबेल के आस-पास काफ़ी घने छायादार पेड़ लगे थे. मैंने वहाँ ज़मीन पर मैट बिछाई, एक साइड में बास्केट रखी और बैठ गई, मार्क भी बैठ गया.

फिर उसने पूछा- क्या यह ट्यूबबेल चलता है?

‘हाँ.. बिल्कुल, चला दूँ क्या?’

‘ओह यस, ट्यूबबेल में नहाने का तो मज़ा ही कुछ और है!’

‘पर तुम तो घर से नहा कर ही आए हो!’

‘तो क्या हुआ, फिर से सही..!’

मैंने ट्यूबबेल ऑन कर दिया, पानी की एक मोटी धार हौद में गिरने लगी, मार्क ने झट से कपड़े उतारे और हौद में कूद गया.

मुझे यह देख कर बड़ी हैरानी हुई कि उसने मेरे वहाँ होने की कोई शर्म नहीं की, एकदम से बिल्कुल नंगा हो कर हौद में कूद गया.

मैंने सोचा कि स्पेन में जहाँ न्यूडिस्ट बीच हैं, वहां नंगे होने की क्या कोई शर्म करता होगा, शायद इसीलिए इसने ये सोचा ही नहीं कि उसके साथ एक औरत भी है.

पर मेरी बड़ी हैरानी यह थी कि सोई हुई हालत में भी उसका लिंग इतना बड़ा था, जितना मेरे इनका पूरा तन कर होता था.

मैं यह सोच रही थी कि खड़ा हो कर इसका कितना बड़ा होता होगा. पर इन सब बातों से बेखबर वो पानी के हौद में डुबकियाँ लगा-लगा कर नहा रहा था.

तभी उसने आवाज़ लगाई- हे संजू… क्या तुम पीने के लिए बियर भी लाई हो?

‘हाँ, चाहिए तुम्हें?’

‘ओह यस, एक देना प्लीज़!’

मैंने बास्केट में से एक बियर का कैन निकाला और लेकर मार्क के पास गई, वो गले तक पानी में था, पर साफ़ पानी में से वो पूरा नंगा दिख रहा था. मैंने बियर देते वक़्त एक बार फिर उसके लिंग को देखा, जो पानी की वजह से ऊपर को उठा हुआ था. सच कहूँ तो मेरा मन बेईमान हो चला था. मैं बियर देकर वहीं रुक गई और हौद की मुंडेर पर कोहनियाँ टिका कर खड़ी हो गई.

इस तरह खड़े होने से मेरा बड़ा सारा क्लीवेज बन गया, जो बिल्कुल मार्क के सामने था और मेरे क्लीवेज को मार्क ने 2-3 बार बड़े गौर से भी देखा, पर उसने घूरा नहीं.

बियर पीते-पीते मार्क ने कहा- संजू, तुम भी आ जाओ, बड़े मज़े का ठंडा पानी है और ठंडी बियर!
‘अरे नहीं, मैं बिकिनी ले कर नहीं आई!’

‘तो क्या हुआ, बिकिनी पहनने की ज़रूरत ही क्या है, ऐसे ही चली आओ!’

मैंने मुस्कुरा के टाल दिया और वापिस आ कर मैट (बिछावन) पर बैठ गई. बैठते वक़्त मैंने अपने कंधे पर लगा ब्रोच निकाल दिया जिससे मेरी साड़ी का पल्लू जो बँधा हुआ था, अब खुल गया. शायद मैं मार्क को अपने पूरे क्लीवेज के दर्शन करवाना चाहती थी.

मैंने मोबाइल पर गाने लगा लिए, पर मेरे मन को मेरे पसन्दीदा गाने भी अच्छे नहीं लग रहे थे, मेरे दिमाग़ में तो बस मार्क का लिंग ही घूम रहा था.

4-5 मिनट बाद मार्क बाहर निकल कर आ गया और ऐसे ही बिल्कुल नंगा ही मेरे पास आकर लेट गया.
‘अ..हा..या, मज़ा आ गया, इंडिया इस ग्रेट.. अब थोड़ी देर धूप सेंकी जाए..!’

यह कह कर उसने आँखों पर कपड़ा रखा और टाँगें फैला कर लेट गया. उसका लिंग अब मेरे सामने था और मेरी पहुँच में था, मैं जब चाहे उसे पकड़ सकती थी, चूम सकती थी पर मैंने ऐसा नहीं किया. जब वो लेट गया तो मैं भी लेट गई.

मेरी साड़ी का पल्लू मेरी गोद में था और मेरे मम्मे मेरे लो-कट ब्लाउज से बाहर झाँक रहे थे.

‘संजू, क्या तुम यहाँ कभी नहाई हो?’ उसने पूछा.

‘हाँ..बहुत बार..!’

‘अकेली या अपने पति के साथ?’

‘पति के साथ!’

‘फिर तो बिकिनी भी नहीं पहनती होगी?’

‘नहीं, हम तो खुल्लम-खुल्ला नहाते हैं!’

‘उसके बाद?’

‘उसके बाद खेतों में घुस जाते हैं!’

‘खेतों में क्या करते हो?’

‘शट-अप मार्क, ये हमारा प्राइवेट मामला है..!’

‘अरे मैंने तो वैसे ही पूछ लिया..!’

‘खेतों में क्या करेंगे, जो किया जा सकता है वो ही करते हैं..!’

‘मतलब सेक्स..!’

‘हाँ, पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो..?’

‘वैसे ही, इतनी खूबसूरत और सेक्सी लेडी के अकेले में ऐसी सुनसान जगह पर एक साथ नंगे नहाने के बाद किस मर्द का सेक्स करने को दिल नहीं करेगा..!’

‘मार्क स्टॉप इट, तुम ये क्या बोल रहे हो..?’

‘प्लीज़ माइंड मत करना, हमारे यहाँ तो ये बातें नॉर्मल हैं.. सेक्स के बारे में हम अपने माँ-बाप, भाई-बहन सबसे बात कर सकते हैं, क्या तुम लोग नहीं करते..?’

‘बिल्कुल नहीं, हमारे यहाँ सेक्स कोई बात करने का विषय नहीं है..!’

‘ओह माय गॉड, इतने बैकवर्ड हो आप लोग..!’

मैं हँस दी, पर मेरा ध्यान मार्क के लिंग पर ही टिका था. मौसम सुहावना था. वैसे ही लेटे-लेटे मार्क सो गया. जब मैंने उसके खर्राटते सुने तो पता चला. फिर मैं भी उठी और थोड़ी दूर जाकर पेशाब करके आई, मगर इतनी दूर नहीं गई थी कि मार्क मुझे ना दिखता. जब मैंने बैठने से पहले अपनी साड़ी ऊपर उठाई तो बैठते वक़्त मेरे मन में ख़याल आया कि अगर इस वक़्त मार्क का तना हुआ लिंग नीचे हो तो क्या हो, वो सर्रर से मेरे अन्दर घुस जाएगा और मुझे कितना आनन्द आएगा.

पेशाब करने के बाद भी मैं वहीं उसी हालत मैं यूँ ही बैठी रही और मार्क को सोते हुए देखती रही. मैंने देखा कि सोते-सोते मार्क का लिंग खड़ा होने लगा था, मैं वहीं बैठी देखती रही और देखते-देखते उसका लिंग पूरा तन गया. करीब 9 इंच लंबा और ढाई-तीन इंच मोटा लिंग उसकी नाभि को छू रहा था.

मुझे लगा जैसे मेरी योनि में कुछ गीला-गीला सा होने लगा था. मैं उठी और मार्क के पास जा कर देखा, वो खर्राटते छोड़ रहा था.

मैंने उसे आवाज़ लगाई पर वो नहीं जगा, फिर मैंने उसे हिलाया पर वो फिर भी नहीं जगा, मतलब गहरी नींद में था.
मैं कुछ देर बैठी उसे देखती रही पर मेरा हाल बेहाल हो रहा था. काम मेरे सिर पर सवार हो चुका था, मैं

अपनी सुध-बुध भूल रही थी. ना जाने कब मेरा हाथ अपने आप उठा और मैंने उसका लिंग पकड़ लिया.
मुझ पर मदहोशी छाने लगी, मेरी आँखें बंद होने लगीं, मैं बता नहीं सकती कि कब मैंने उसका लिंग अपने मुँह में ले लिया. उसके लिंग के सुपारे से मेरा मुँह भर गया. मैंने उसके लिंग की चमड़ी पीछे हटाई, एकदम लाल सुर्ख सेब जैसा उसका सुपारा..! मैं उसे जीभ से चाट रही थी और ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में समाने की कोशिश कर रही थी, पर इतना लंबा और मोटा लिंग मेरे मुँह में नहीं समा रहा था.

मेरी आँखें बंद थीं और मैं सिर्फ़ उस नायाब लिंग को चूसने के मज़े ले रही थी. जब मुझे अहसास हुआ कि कोई हाथ मेरे ब्लाउज के अन्दर घुस चुका है और मेरे मम्मों को मसल रहा है.

मैंने आँखें खोल कर देखा, मार्क उठ बैठा था और मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था.

‘कैसा लगा, संजू?’

‘बहुत बढ़िया, ये मेरी ज़िंदगी का अब तक का सबसे बड़ा लौड़ा है. मार्क तुम्हारे जितना लंबा और मोटा, मैंने आज तक ना देखा और ना ही लिया है..!’

‘क्या सिर्फ़ चूसोगी या!?’

मैं हँसी, ‘जब यहाँ तक आ गए हैं तो आगे जाने में क्या बाकी रह गया.. आज मैं सारी की सारी तुम्हारी हूँ..!’

मार्क ने मुझे कस कर बाँहों में पकड़ लिया, मुझे नीचे लिटा कर खुद मेरे ऊपर चढ़ गया. मैं उसका लिंग अपने पेट पर महसूस कर रही थी. उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे और हमने शुरुआत ही एक-दूसरे की जीभ चूसने से की. मैंने अपनी बाँहें उसके गिर्द कस कर जकड़ लीं. उसने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.

‘संजू, मैं तुम्हें बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूँ, अपने कपड़े उतारो, प्लीज़..!’

मैं उठ कर खड़ी हुई और बोली- यह काम तुम्हारा है, अगर तुम मेरे कपड़े उतारोगे तो मुझे अच्छा लगेगा..!’

उसने बिना कोई देरी किए मेरी साड़ी खींच दी, फिर पेटिकोट का नाड़ा खोला, मैंने चड्डी नहीं पहनी थी, सो नीचे से मैं बिल्कुल नंगी हो गई. मार्क ने मेरे कूल्हों को दोनों साइड से पकड़ा और मेरी क्लीन शेव्ड योनि को चूम लिया.

मैंने मार्क का सिर पकड़ कर अपनी योनि से सटा लिया. वो मेरा इशारा समझ गया, थोड़ा नीचे झुका और मेरी योनि को अपने मुँह में भर लिया, मेरी आँखें बंद हो गईं और उसने अपनी जीभ से मेरी भगनासा को चाटना शुरू किया.

आनन्द से मैं सराबोर हो गई, मैं नहीं जानती कि मेरे मुँह से क्या-क्या शब्द निकल रहे थे.

मैंने अपना ब्लाउज और ब्रा भी निकाल दिए, अपने सारे गहने भी उतार कर फेंक दिए. अपने दोनों हाथों से मार्क का सिर पकड़ कर अपनी योनि ज़ोर-ज़ोर से उस पर रगड़ रही थी. मार्क अपनी जीभ से मेरी भग्नासा चाट रहा था. अपने दायें हाथ की दो ऊँगलियाँ उसने मेरी योनि में घुसा दीं और मेरी योनि के पानी से भिगो कर बायें हाथ की बीच वाली ऊँगली उसने मेरी गुदा में घुसा दी थी.

वो अपनी जीभ और दोनों हाथों को चला रहा था, मैं तड़प रही थी. अब मेरे लिए और सहना मुश्किल हो रहा था, मेरी टाँगें काँप रही थीं. मार्क की स्पीड बढ़ती जा रही थी.

अचानक मैं बेसुध हो कर गिर पड़ी, मेरी योनि से पानी के फुआरे छूट पड़े. मेरे गिरते ही मार्क मेरे ऊपर आ गया, इससे पहले कि मैं संभलती, मार्क ने मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं, खुद बीच में आया और अपना लिंग मेरी योनि पर रख कर अन्दर धकेल दिया.

एक पर पुरुष का लिंग पहली बार मेरी योनि में दाखिल हुआ था. योनि गीली होने की वजह से सुपारा पूरा अन्दर आ गया था और जितनी मेरी योनि की चौड़ाई थी उतनी मार्क के लिंग की मोटाई थी. उसका लिंग पूरा कस कर फिट हुआ था. मैंने अपनी टाँगें मार्क की कमर के गिर्द लपेट लीं और बाँहों से उसे अपने ऊपर भींच लिया.

यह मार्क के लिए इशारा था कि मैं उसे अपने अन्दर चाहती हूँ.

उसने अपनी कमर चलानी चालू की और अपना आधे से ज़्यादा लिंग मेरी योनि में उतार दिया, पर इससे ज़्यादा आगे उसका लिंग नहीं जा रहा था. उसने मेरे होंठो पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की, जिसे मैंने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

मार्क अब पूरे अधिकार के साथ मुझसे संभोग कर रहा था. मैंने भी उसका भरपूर साथ दिया. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज मैं पहली बार सेक्स कर रही हूँ. इतना मोटा के पूरा फंस कर जा रहा था और इतना लंबा के अन्दर जैसे मेरे कलेजे से जा कर टकरा रहा था. बेशक़ मुझे काफ़ी तक़लीफ़ हो रही थी, पर दर्द का जो मज़ा होता है वो अपना होता है. आज मुझे फिर से पहली बार जैसा अनुभव हो रहा था. देखने में मार्क पतला-दुबला सा था पर उसमें दम बहुत था.

ना जाने कितनी देर वो मुझे भोगता रहा, मैं उसके नीचे पड़ी तड़पती रही, मचलती रही और कसमसाती रही. उसे मेरे दर्द का कोई अहसास ना था, उसे सिर्फ़ अपने मज़े से मतलब था और मर्दों की यही अदा मुझे पसंद थी.

मार्क पसीने से भीग चुका था, उसने अपनी पूरी जान लगा रखी थी, तभी उसका भी छूट गया और उसने अपने गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी मेरे अन्दर ही छुड़वा दी.

मेरी योनि उसके वीर्य से भर गई, वो निढाल होकर मेरे ऊपर ही गिर गया. कितनी देर वो मेरे ऊपर पड़ा रहा, मैं उसके दिल की धड़कन महसूस कर रही थी.

करीब 5-7 मिनट बाद वो उठा और साइड में लेट गया. मैं उठ कर बैठी और देखा कि उसका वीर्य चू कर मेरी योनि से बाहर आ रहा था. मैंने अपनी उंगली से उसका थोड़ा सी वीर्य चाटा.

‘अगर तुम्हें ये पसंद है, तो पहले बतातीं… मैं तुम्हारे मुँह में झड़ता और तुम मेरा सारा वीर्य पी जातीं..!’

‘कोई बात नहीं.. अभी तो दोपहर ढल रही है, एक बार फिर सही..!’

‘ये बात.. तो पहले नहा लें, फिर..!’

‘यस, बड़ी गर्मी लग रही है..!’

मार्क ने मुझे गोद में उठाया और पानी की हौद में डाल दिया और खुद भी अन्दर आ गया. हम दोनों, बिल्कुल नंगे खूब नहाए और पानी से खूब खेले. जब बाहर निकले तो नंगे ही जाकर मैट पर लेट गए.
‘मार्क, तुम एक शानदार मर्द हो, तुमसे सेक्स करके मुझे बहुत खुशी हुई..!’

‘थैंक्स, अगर तुम्हें मैं अच्छा लगा..!’

‘पर ये बताओ, तुम्हारी बीवी से तुम्हारा डाइवोर्स क्यों हुआ?’

‘तुम यकीन नहीं करोगी..!’

‘क्या?’

वो कहती थी कि तुम्हें चोदना नहीं आता, उसकी सेक्स की भूख इतनी थी कि हर रोज़ उसे 2-3 बार सम्भोग चाहिए था और मेरे काम की वजह से ये संभव नहीं था. उसकी चूत में हर वक़्त आग लगी रहती थी. शादी के बाहर उसके 3 बॉय-फ्रेंड्स और भी थे, जिनसे वो रेग्युलर चुदाई करती थी…!’

‘तो, फिर क्या हुआ?’

‘मैंने ही उसे छोड़ दिया कि जाओ तुम आज़ाद हो, अब जिस से चाहो उस से उतना सेक्स करो..!’
‘पर मेरे लिए तो तुम ही बड़े धाँसू निकले, मुझे तो लगता है कि जो संतोष मुझे आज मिला है, पहले कभी नहीं मिला..!’

‘तो आ जाओ, फिर एक बार और सही..!’

यह कह कर मार्क मेरे ऊपर आ गया. उसका सिर मेरी योनि की तरफ था. मैंने अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं और उसने मेरी योनि को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ से मेरी योनि, यहाँ तक की मेरी गुदा भी चाटने लगा.

मैंने भी उसका ढीला लिंग अपने हाथ में पकड़ा, उसकी चमड़ी पीछे की और उसका सुपारा बाहर निकाल कर लिंग मुँह में ले लिया.

अब हम दोनों फिर एक शानदार चुदाई के दौर के लिए तैयार थे.

भाई के साथ बनाई सेक्स मूवी

भाई के साथ बनाई सेक्स मूवी

मेरी उम्र १९ साल हे, गोरा बदन, काले बाल, ५’४ की हाईट और मेरी आँखों का रंग भूरा हे. एक दिन में अपनी सहेलियों के साथ सोपिंग कर  के घर पहोंची, अपने कमरे में पहोंच कर मेने अपनि मेज की दरितेश खोली तो पाया की मेरी ब्लू रंग की पेंटी वहां रख्खी हुई थी. मेने अपनी पेंटी कभी भी वह रख्खी हो ये मुझे याद नही आ रहा था. इतने में मेने कदमो की आवाज मेरे कमरे की और बढ़ते सुनी. मेरी समज में नहीं आया की में क्या करू, में दौड़ कर अलमारी में जा छुपी. देखती हु की मेरा छोटा भाई पिंकू जो १८ साल का हे अपने दोस्त रितेश के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ, प्रीति…,”पिंकू ने आवाज़ लगाईं.

में चुपचाप उनको देख रही थी, अच्छा हे वो घर पर नहीं हे, रितेश में ये पहली और आखरी बार तुम्हारे लिए कर रहा हूँ, अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी.

पिंकू ने कहा, शुक्रिया दोस्त, तुम्हे तो पता हे तुम्हारी बहन कितनी सुन्दर और सेक्सी हे.

पिंकू ने मेरा ड्रावर खोला और वो ब्लू पेंटी निकल कर रितेश को पकड़ा दी. रितेश वो पेंटी हाथ में लेकर सूंघने लगा, पिंकू तुम्हारी बहिन की चूत की खुसबू अभी भी इसमें से आ रही हे. पिंकू जमीन पर नजरे गड़ाए खामोश खड़ा था.

यार ये धूलि हुई हे अगर न धूलि होती तो चूत के पानी की भी खुसबू आ रही होती. रितेश ने ये पेंटी को चाटते हुए कहा.

तुम पागल हो गए हो, पिंकू हस्ते हुए बोला.

कम ओन पिंकू, माना वो तुम्हारी बहन हे लेकिन तुम इस बात से इनकार नहीं कर सकते की वो बहोत ही सेक्सी हे, रितेश ने कहा.

में मानता हु की वो बहोत ही सुन्दर और सेक्सी हे, लेकिन मेने ये सब बाते अपने दिमाग से निकाल दी हे. पिंकू ने जवाब दिया. अगर वो मेरी बहन होती तो.

रितेश कहने लगा, क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मुठ नहीं मारते हो ?

पिंकू कुछ बोला नहीं और खामोश खड़ा रहा.

शरमाओ मत यार अगर में तुम्हारी जगह होता तो यही करता.

रितेश ने कहा, क्या तुम्हारी बहन की बिना धूलि हुई पेंटी यहाँ नहीं हे.

जरूर यही कहीं होगी, में ढूँढता हूँ तब तक खिड़की पे निगाह रख्खो अगर प्रीति आती दिखे तो बताना. पिंकू कमरे में मेरी पेंटी ढूंढने  लगा. पिंकू और रितेश को ये नहीं पता था की में घर आ चुकी थी और अलमारी में छिप कर उनकी हरकते देख रही थी.

वो रही मिल गयी, पिंकू ने गंदे कपडे के ढेर में से मेरी लाल पेंटी की और इशारा करते हुए कहा. रितेश ने कपडे के ढेर में से मेरी पेंटी उठाई जो मेने दो दिन पहले पहनी थी. पहले कुछ देर तक उसे देखता रहा, फिर मेरी पेंटी पे लगे दाग को अपनी नाक के पास ले ले जा कर सुंगने लगा.

म्मम्मम क्या सेक्सी सुगंध हे पिंकू, कहकर वो पेंटी को अपने गालों पे रगड़ने लगा.

मुझे अब भी उसकी चूत और उसकी गांड की खुसबु आ रही हे इसमें से, रितेश बोला.

तुम सही में पागल हो गए हो, पिंकू बोला.

क्या तुम सूंघना चाहोगे ? रितेश ने पूछा.

किसी हालत में नहीं पिंकू ने शर्माते हुए बोला.

में जानता हूँ तुम इसे सूंघना चाहते हो, पर मुझे कहते हुए शर्मा रहे हो, रितेश बोला. चलो यार इसमें शर्माना क्या आखिर हम दोस्त हे.

पिंकू कुछ देर तक सोचता रहा, तुम वादा करते हो की इसके बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताओगे.

पक्का वादा करता हूँ, रितेश ने कहा.

आओ अब और शरमाओ मत, सूंघो इसको कितनी मादक खुसबू हे. पिंकू रितेश के नजदीक पहुंचा और उसने हाथ से मेरी पेंटी ले ली. थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पे ले जा के जोर से सूंघने लगा जेसे कोई परफ्यूम की महक निकल रही हो. मुझे ये देख के विश्वास नहीं हो रहा था की मेरा भाई मेरी ही पेंटी इस तरह से सुन्घेगा.

सही में रितेश बहोत ही सेक्सी स्मेल हे. मानना पड़ेगा, पिंकू सिसकते हुए बोला, मेरा लंड तो इसे सूंघते ही खड़ा हो गया हे.

मेरा भी,रितेश अपने लंड को सहलाते हुए बोला. क्या तुम अपना पानी इस पेंटी में छोड़ना चाहोगे ?

क्या तुम सीरियस हो  पिंकू ने पूछा.

हाँ, रितेश ने जवाब दिया.

मगर मुझे किसी के सामने मुठ मारना अच्छा नहीं लगता, पिंकू ने कहा.

अरे यार में कोई पराया थोडा ही हूँ, हम दोस्त हे और दोस्ती में शरम केसी, रितेश बोला.

ठीक हे अगर तुम कहते हो तो.

रितेश ने अपनी पेंट के बटन खोले और उसे निचे खसका दी, पेंट निचे खसकते ही उसका खड़ा लंड उछल कर बहार निकल पड़ा. उसने उस पेंटी को अपने लंड की चारो और लपेट लिया और दूसरी को अपनी नाक पे लगा ली. फिर पिंकू ने भी अपनी पेंट उतारी रितेश की तरह ही करने लगा. दोनों लड़के उत्तेजना में भरे हुए थे और अपने लंड को हिला रहे था. दोनों को इस हालत में देखते होए मेरी भी हालत ख़राब हो रही थी.

में अपना हाथ अपनी पेंट के अन्दर डाल अपनी चूत पे रखा तो पाया की मेरी चूत गीली हो गयी थी और उससे पानी छुट रहा था. अलमारी में खड़े हुए मुझे काफी दिक्कत हो रही थी पर साथ में ही अपने भाई और उसके दोस्त को मेरी पेंटी में मुठ मारते देख में भी पूरी गरमा गयी थी.

मेरा अब छुट ने वाला हे, मेरे भाई पिंकू ने कहा.

मेने साफ़ देखा की मेरे भाई का शरीर थोडा अकड़ा और और उसके लंड से सफ़ेद वीर्य की पिचकारी निकल के मेरी पेंटी में गिर रही थी. वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा जब तक की उसका सारा पानी नहीं निकल गया. फिर उसने अपने लंड को अच्छी तरह मेरी पेंटी से पूछा और अपने हाथ भी पूछ लिए. थोड़ी देर में रितेश ने भी वेसा ही किया.

इससे पहले की तुम्हारी बहन आ जाए और हमें ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए. रितेश अपनी पेंट पहनते हुए बोला.

दोनों लड़के मेरे कमरे से चले गए. में भी खिड़की से कूद कर घूमते हुए घर के मैन दरवाजे से अन्दर दाखिल हुई. तो देखा पिंकू डाइनिंग टेबल पे बता सेंडविच खा रहा था.

हाय प्रीति, पिंकू बोला.

हाय पिंकू केसे हो? मेने जवाब दिया.

आज तुम्हे आने में काफी लेट हो गयी?

हाँ फ्रेंड्स लोग के साथ शोपिंग में थोड़ी देर हो गयी.

मेने जवाब दिया में किचन में गयी और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी. मुझे पता था की मेरा भाई मेरी और कितना आकर्षित हे. जेसे ही में थोडा झुकी ओर मेने देखा की वो मेरी झांकती पेंटी को ही देख रहा था.

दुसरे दिन में सो कर लेट उठी, मुझे काम पर जाना नहीं था. पिंकू कॉलेज जा चूका था और मम्मी पापा काम पे जा चुके थे में अपने खुले बिस्तर पे पड़ी थी. अब भी मेरी आँखों के सामने कल वाला द्रश्य घूम रहा था. मेने अपने कपड़ो के ढेर की तरफ देखा और कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी. किस तरह मेरा भाई और उसके दोस्त ने मेरी पेंटी में अपना वीर्य छोड़ा था. पता नहीं ये सब सचते हुए मेरा हाथ कब मेरी चूत पे चला गया और में अपनी ऊँगली से अपनी चूत की चुदाई कर रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेने बिस्तर से खड़ी हो के अपने सारे कपडे उतार दिए अब में आईने सामने खड़ी हो के अपने बदन को निहार रही थी. मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत सही में सुन्दर दिख रही थी. में घूम कर अपनी चूत पर हाथ फिरने लगी, मेरे भाई और उसके दोस्त ने सही कहा था की में सही में सेक्सी देख रही थी. मे अपने कपड़ो के पास पहोची ओर लाल पेंटी को उठा लिया. रितेश के वीर्य के धब्बे उसपे साफ़ दिखाई दे रहे थे. में पेंटी को अपनी नाक पे लगा के जोर से सूंघने लगी रितेश के वीर्य की महक मुझे गरमा रही थी. में अपनी जीभ निकाल उस भाग को चाटने लगी. मेरी चूत में जोरो की खुजली हो रही थी, एसा लग रहा था की मेरी चूत से अंगारे निकल रहे हो.

पिंकू ने जो पेंटी में अपना वीर्य छोड़ा था उसे भी उठा सूंघने और चाटने लगी. मेने सोंच लिया था की जिस तरह पिंकू ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी उसी तरह में भी उसके कमरे में जा कर देखूंगी. बहोत सालो के बाद में उसके कमरे में जा रही थी. मेने उसके बिस्तर के निचे झाँक के देखा तो पाया बहोत से गन्दी मेगेजिंस पड़ी थी. फिर उसके कपड़ो को टटोलने लगी उसके कपड़ो में मुझे उसकी शर्ट मिल गयी. मेरी पेंटी की तरह इस पर भी धब्बो के निशान थे में उसकी सर्ट को अपनी नाक पे ले जाके सूंघने लगी. उसके वीर्य की खुसबू आ रही थी शायद एसी हरकत मेने जिंदगी में नहीं की थी. उसकी शर्ट को जोर से सूंघते हुए में अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी. उत्तेजना में मेरी साँसे उखड़ रही थी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

मेने तय कर लिया था की आज शाम को जब पिंकू कॉलेज से वापस आएगा तो में घर पर ना होने का बहाना कर छुप कर फिर उसे देखूंगी. और मुझे उम्मीद थी की वो कल की तरह मुझे घर पर ना पाकर फिर मेरी पेंटी में मुठ मारेगा.

जब पिंकू का आने का समय हो गया तो मेने अपनी दिन भर पहनी हुई पेंटी कपड़ो के ढेर पर फेंक दी. और कमरे के बहार जा कर खिडकी के पीछे छुप गई. मेने पिंकू के लिए एक नोट लिख कर छोड़ दिया था की में रात को देर से घर आउंगी. पिंकू जेसे ही घर आया तो उसने घर पर किसी को ना पाया. वो सीधे मेरे कमरे पहुंचा और मेरी छोड़ी हुई पेंटी उठाकर सूंघने लगा. उसने अपनी पेंट खोली और अपने खड़े लंड के चारो और मेरी पेंटी को लगा मुठ मारने लगा. दुसरे हाथ से उसने दूसरी पेंटी उठा कर सूंघ रहा था. में पागलो की तरह अपने भाई को मुठ मारते देख रही थी. मेने सोच लिया था की में चुपचाप कमरे में जाकर पिंकू को ये करते हुए रंगे हाथो पकड़ लुंगी. में चुपके से खिड़की से हटी और दबे पांव चलते हुए अपने कमरे के पास पहुंची. कमरे का दरवाज़ा थोडा खुला था, में धीरे से कमरे में दाखिल होकर उसे देखने लगी. उसकी आँखे बंध थी और वो मेरी पेंटी को अपने लंड पे लपेटे हुए जोर जोर से हिला रहा था.

पिंकू ये क्या हो रहा हे? मेने जोर से पूछा.

उसने मेरी और देखा, ओह मर गया. यह कहकर वो बिस्तर से उछल कर खड़ा हो गया. जल्दी से अपनी पेंट ऊपर कर के बंध की और मेरी पेंटी को मेरे कपड़ो के ढेर पे रख दी. उसकी आँखों में डर और शरम के भाव थे. हम दोनों एक दुसरे को घूरे जा रहे थे.

आई ऍम सॉरी, में इस तरह कमरे में नहीं आना चाहती थी, पर मुझे मालुम नहीं था की तुम मेरे कमरे में होंगे मेने कहा.

पिंकू मुह खोल कुछ कहना चाहता था पर शायद डर के मारे उसकी जबान से एक सब्द भी नहीं निकला.

तुम ठीक तो हो ना? मेने पूछा.

मुझे माफ़ कर दो… वो इतना ही कह सका.

मुझे उस पर दया आ रही थी, में उसे इस तरह शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी.

कोई बात नहीं अब यहाँ से जाओ और मुझे नहाकर कपडे बदलने दो. मेने शांत भरे स्वर में कहां जेसे खुछ हुआ ही नहीं हे. उसने अपनी गर्दन हिलाई और चुप चाप वह से चला गया. रात तक वो अपने कमरे में ही बंद रहा. जब मम्मी काम पर से वापस आई और खाना बनाया तो हम सब खाना खाने डाइनिंग टेबल पर बेठे थे. पिंकू लेकिन शांत ही बैठा था.

बेटा पिंकू क्या बात हे आज इतने खामोश क्यों बेठे हो? मम्मी ने पूछा.

कुछ नहीं माँ बस थक गया हूँ. उसने मेरी और देखते हुए जवाब दिया.

में उसे देख कर मुस्कुरा दी और वो भी मुस्कुरा दिया. खाना खाने के बाद रात में मेने उसके कमरे पर दस्तक  दी, उसने दरवाज़ा खोला.

हाय, क्या बात हे आज बात नहीं कर रहे, तुम ठीक तो हो? मेने पूछा.

ठीक हूँ बस आज जो हुआ उसकी शर्मिंदगी हो रही हे, उसने जवाब दिया.

शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं हे, ये सब होते रहता हे. पर ये कब से चल रहा हे मुझे सच सच बताओ? मेने कहा.

वो एसा हे ना मेरा दोस्त रितेश, तुम तो उसे जानती ही हो. वो तुमसे प्यार करता हे. उसने मुझे १०० रूपये दिए की अगर में तुम्हारे कमरे में लाकर तुम्हारी पेंटी दिखा दूँ.

तो क्या तुम उसे ले कर आए? मेने पूछा.

मुझे कहते हुए शर्म आ रही हे, पर मैं उसे लेकर आया था और उसने तुम्हारी पेंटी को सुंघा था. उसने मुझे भी सूंघने को कहा और में अपने आपको रोक नहीं पाया. तुम्हारी पेंटी को सूंघते हेमे इतना गरम हो गया की में आज अपने आप को ये वापस करने से रोक ना पाया.

वैसे तो बहोत गन्दी हरकत थी तुम दोनों की. फिर भी मुझे अच्छा लगा. मेने हँसते हुए कहा.

तुम्हारा जब जी चाहे तुम ये कर सकते हो.

सही में ! क्या में अभी कर शकता हूँ? मम्मी पापा सो रहे हे, उसने पूछा.

एक ही शर्त पर जब में ये सब देख सकती हूँ तभी, मेने कहा.

हम लोग बिना शोर मचाये मेरे कमरे में पहुंचे. मेने टीवी ऑन कर दिया और कमरा बंद कर लिया जिससे सब यही समझे हम टीवी देख रहे हे.

पिंकू मेरे कपड़ो के पास पहुँच कर मेरी पेंटी को ले कर सूंघने लगा. मुझे देखने दो हंसते हुए उसके हाथ से अपनी पेंटी खिची और जोर से सूंघने लगी. म्मम्मम अच्छी स्मेल हे. हम दोनों धीमे से हँसे और बेड पर बेठ गए. तो तुम दिन में कितनी बार मुठ मारते हो? मेने पूछा.

दिन में कम से कम ३ बार, उसने जवाब दिया.

क्या तुम ये रितेश को बताओगे की मेने तुम्हे ये सब करते हुए पकड़ लिया? मेने फिर पूछा.

अभी तक इसके बारे में सोंचा नहीं हे.

मेने रितेश को कई बार तुम्हारे साथ देखा हे. देखने में स्मार्ट लड़का हे. मेने कहा.

वो तुम्हे पाने के लिए तड़प रहा हे. उसने कहा.

तुम्हे क्या लगता हे मुझे उसके साथ सोना चाहिए ? मेने पूछा.

हाँ इससे उसका सपना पूरा हो जाएगा, उसने कहा.

हम दोनों कुछ देर तक युही खामोश बेठे रहे फिर में उसकी आँखों में जांकते हुए मुस्कुरा दी. आज अगर तुम मुझे अपना लंड दिखाओ तो में तुम्हे अपनी चूत दिखा सकती हूँ. मेने कहा.

पिंकू ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए हाँ कर दी. हम दोनों कुछ देर तक चुप चाप एसे ही बेठे रहे आखिर उसने पूछा, पहले कौन दिखाएगा?

मुझे नही पता, मेने शरमाते हुए कहा.

तुम मेरा लंड दिन में देख चुकी हे इस लिए पहले तुम्हे अपनी चूत दिखानी होगी, वो बोला.

ठीक हे पहले में दिखाती हूँ, लेकिन तुम्हे दुबारा से अपना लंड दिखाना होगा. पहली बार में अच्छे से देख नहीं पाई थी. मेने कहा.

उसने गर्दन हिला कर हाँ कर दी.

में बिस्तर से उठकर उसके सामने जा खड़ी हुई. मेने अपनी जिन्स के बटन खोल कर उसे निचे खिसका दी और अपनी काली पेंटी भी निचे कर दी . अब मेरी गुलाबी चूत ठीक उसके सामने थी. पिंकू १० मिनट तक मेरी चूत को घूरता रहा. मेने अपनी जिन्स के बटन बंद किये और बिस्तर पर बेठ गई, अब तुम्हारी बारी हे.

पिंकू बिस्तर से खड़ा हो कर अपनी जिन्स और शोर्ट को निचे खिसका दी. उसका ७ इंच का लंड उछल कर बाहर आ गया. में काफी देर तक उसे घूरती रही फिर उसने अपना लंड अपनी शोर्ट में कर लिया और जिन्स पहन ली. कल मम्मी पापा बहार जाने वाले हे और रात को लेट घर आने वाले हे. तो क्या में कल रितेश को साथ ले आऊ ? उसने पूछा.

हाँ जरूर ले आना, मेने कहा.

में उसे जब बताऊंगा की मेने तुम्हारी चूत देखी हे तो वो जल जाएगा, उसने कहा.

उससे कहना की चिंता ना करे कल तुम दोनों साथ में मेरी चूत देख सकते हो मेने कहा.

दुसरे दिन में जब काम पर थी तो पिंकू का फोन मेरे सेल फोन पे आया. हाय क्या कर रही हो ?उसने पूछा.

कुछ ख़ास नहीं तुम कहो की फोन किया ?

अगर रितेश अपने एक दोस्त को साथ ले कर आये तो तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ? उसने पूछा.

अगर सब कोई इस बात को रितेश रखते हे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मेने जवाब दिया.

दोनों किसी से कुछ नहीं कहेंगे ये में तुम्हे विश्वास दिलाता हूँ. ठीक हे शाम को मिलते हे. कहकर पिंकू ने फोन रख दिया.

जब में शाम को घर पहोंची तो थोडा परेशान थी. पता नही क्या होने वाला था. में टीवी चालु करके शान्ति से उनका इन्तेजार कर ने लगी. थोड़ी देर में पिंकू घर में दाखिल हुआ. उसके पीछे रितेश और एक सुन्दर लम्बा सा लड़का था. उसने कंधे पे विडिओ केमेरा लटका रख्खा था. में शरमाई से सोफे पे बेठी हुई थी.

प्रीति ये रितेश और प्रशांत हे. पिंकू ने मेरा उनसे परिचय करवाया.

हेलो! मेने धीमी आवाज में कहा.

क्या हम सब तुम्हारे कमरे में चले? पिंकू ने पूछा.

हाँ यही ठीक रहेगा. कहकर में सोफे से खडी हो गेई. जब हम मेरे कमरे की और बढ़ रहे थे तो मेने पिंकू से पूछा, क्या तुम्म इन्हें सब बता चुके हो?

हाँ क्यों ? क्या कोई परेशानी हे ?

नहीं एसी कोई बात नहीं हे, मेने का.

जब हम कमरे में पहोंचे तो प्रशांत ने अपना केमेरा बिस्तर पे रख दिया. पिंकू कह रह था की अगर हम यहाँ आयेंगे तो हम अपनी चूत हमें दिखाओगी रितेश ने कहा.

अगर पिंकू कह रहा था तब तो दिखानी पड़ेगी, मेने हस्ते हुए जवाब दिया.

अगर तुम्हे बुरा नहीं लगे तो क्या में तुम्हारी चूत क फोटो ले सकता हूँ ? प्रशांत ने पूछा.!

बुरा तो नहीं लगेगा. पर तुम इसे किसे दिखाना चाहते हो? मेने पूछा.

अगर तुम नहीं चाहोगी तो किसी को नहीं दिखाएंगे. पर में अपनी एक वेबसाईट चालू करना चाहता हूँ. और में इस फोटो को अपनी उस साईट पे डाल दूंगा. तुम्हारा चेहरा तो दिखेगा नहीं इसलिए किसी को पता नहीं चलेगा की तुम कौन हो. प्रशांत ने जवाब दिया.

लगता हे इससे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं आनि चाहिए, मेने जवाब दिया.

प्रशांत ने अपना केमेरा उठा एडजस्ट करने लगा. फिर उसने मुझे अपनी जिन्स और पेंटी उतारने को कहा. दोनों लड़के मुझे घूर रहे थे. जब मेने अपनी जिन्स उतार दी और अपनी पेंटी भी निचे खिसका दी. मेरी गुलाबी ओर झांटोरहित चूत खुली सबके सामने थी. प्रशांत ने केमेरा एक दम चूत के सामने कर उसका डिजिटल फोटो ले लिया. में अपने कपडे पह्न कर बिस्तर पर बेठ गई. दोनों लड़के खुर्सी पर मेरे सामने बेठे थे, हम चारो आपस में बाते करने लगे पिंकू उन्हें बताने लगा की केसे मेने उसे अपनी पेंटी सूंघते पकड़ा था और केसे एक दिन पहले वो रितेश को हमारे घर लाकर मेरी पेंटी सुंघाई थी. रितेश और प्रशांत दोनों ही अच्छे स्वाभाव के लड़के थे. प्रशांत २२ साल का था और समजदार भी था. वो दौड़ कर बाजार गया और सब के लिए बियर ले आया बाते करते करते हमारा टॉपिक सेक्स पर आ गया. सब अपने चुदाई की कहानिया सुनाने लगे. केसे ये सब लोग कॉलेज की लड़कियों को चोदते थे. बाते करते करते सब के शारीर में गर्मी बढती जा रही थी.

अचानक रितेश ने कहा, क्यों ना हम प्रशांत के केमरे से एक ब्लू फिल्म बनाते हे और उसे उसकी वेबसाइट पे डाल देते हे. हम इसका पैसा भी सब व्यूअर्स से चार्ज कर सकते हे. फिर हर महीने एक नई फिल्म एड कर देंगे.

सूनने में तो अच्छा लग रह था. मेने कहा.

देखो तुम्हारे पेरेंट्स को भी आने में अभी ३ घंटे बाकी हे अगर तुम चाहो तो हम एक फिल्म आज ही सूट कर सखते हे, प्रशांत ने कहा.

शुरुआत केसे करेंगे कुछ आइडिया हे ? रितेश ने पूछा .

प्रीति क्यों न में केमेरा तुम पर फोकस कर दूँ. और शुरुआत तुम्हारे इंटरव्यू से करते हे. प्रशांत ने कहा. सुनने में इंट्रेस्टिंग लग रह हे. मेने कहा. में एक खुर्सी पर बेठ गयी और प्रशांत ने कैमरा मेरे चेहरे पर फोकस कर दिया.

अच्छा दोस्तों ये सुन्दर सी लड़की प्रीति हे. और प्रीति तुम्हारी उम्र क्या हे ? प्रशांत इंटरव्यू की सुरुआत करते हुए पूछा. और ये तुम्हारे साथ लड़का कौन हे.? उसने कैमरा को पिंकू की और घुमाते हुआ पूछा.

ये मेरा भाई पिंकू हे.

मेने जवाब दिया अच्छा तो ये तुम्हारा भाई हे तब तो तुम इसे बचपन से जानती हो. क्या कभी इसका लंड देखा हे ? प्रशांत ने पूछा.

मेरा मुह शर्म से लाल हो गया. हां बचपन में जब हम साथ साथ नहाते थे तो कई बार देखा हे, और अभी तो मेने कल ही देखा हे. मेने इसे रंगे हाथो अपनी पेंटी को अपनी पेंट पे लपेटे हुए मुठ मार रहा था और दुसरे हाथ में दूसरी पेंटी को पकडे सूंघ रहा था. मेने कहा.

ओह और जो आप ने देखा क्या वो आप को अच्छा लगा ? प्रशांत ने पूछा.

शर्म के मारे चेहरा लाल होता जा रहा था. हाँ काफी अच्छा लगा, मेने जवाब दिया.

क्या तुम पिंकू के लंड को फिर से देखना चाहोगी ? उसने पूछा.

हाँ अगर ते अपना लंड दिखाएगा तो मुझे अच्छा लगेगा, मेने शर्माते हुए कहा.

ओके प्रीति में तुम्हारा ड्राईवर लाइसंस देखना चाहूँगा और पिंकू तुम्हारा भी.

मेने अपना लाइसंस निकाला और पिंकू ने भी. प्रशांत ने दोनों लाइसंस पर कैमरा फोकस कर दिया. दोस्तों ये इनका परिचय पत्र हे दोनों सही में बहन भाई हे. और सकल भी काफी आपस में मिलती हे. प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब तुम अपना लंड बहार निकालो अपनी बड़ी बहन को क्यों नहीं दिखाते जिससे ये अच्छी तरह से देख सके. प्रशांत ने कहा पिंकू का चेहरा भी उत्तेजना से लाल हो रह था. उसने अपनी जिन्स के बटन खोले और अपनी शोर्ट के साथ निचे खिसका दी . उसका लंड तन कर खड़ा था. तुम्हारा लंड वाकई में लम्बा और मोटा हे पिंकू. प्रशांत ने कहा.

प्रीति तुम अपने भाई के लंड के बारे में क्या कहती हो ? प्रशांत ने कहा.

मेने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, बहुत ही जानदार और सेक्सी हे.

प्रीति अब तुम अपना मुंह पूरा खोल दो, अब तूम्हारा भाई तुम्हारे मुह में अपना लंड डालेगा ठीक हे प्रशांत ने कहा.

प्रशांत की बात सुनकर में चोंक गई. मेने ये बात सपने में भी नहीं सोंची थी, में और पिंकू एक दुसरे को घूर रहे थे. थोडा जिझाकते हुए मेने कहा, ठीक हे.

मेने पिंकू की तरफ देखा जो मेरे पास अपना लंड मेरे चेहरे पे रगड़ रहा था. मेने अपना मुह खोला और उसने अपना लंड मेरे मुह में डाल दिया. पहले तो में धीरे धीरे उसे चूस रही थी फिर चेहरे को आगे पीछे करते हुए जोर से चूस ने लगी. जब उसने अपना लंड मेरे मुह से निकाला तो एक पुच्च्च्छह्ह्ह्ह सी आवाज मेरे मुह से निकली मेने पलट कर कैमरे की तरफ मुस्कुराते हुए देखा. तुम सही बहोत ही अच्छा लोडा चुस्ती हो.

तुम्हारा क्या ख़याल हे रितेश इस के बारे में ? प्रशांत ने कैमरा रितेश की ओर मोड़ दिया जो अपना लंड अपने हाथो में ले हिला रहा था. प्रशांत ने फिर कैमेरा मेरी और करते हुए कहा प्रीति हम सब और हमारे दर्शक तुम्हारी चूत देखने के लिए मरे जा रहे हे. क्या तुम अपनी जिन्स और पेंटी उतार उन्हें अपनी चूत दिखा सकती हो?

मेने अपनी जिन्स और पेंटी उतार दी.

बहोत अच्छा मुझे तुम्हारी चूत पे कैमरे को फोकस करने दो.

उसने कैमरा ठीक मेरी चूत के सामने कर दिया.

एक बाल भी नहीं हे तुम्हारी चूत पे जेसे आज ही पैदा हुई हो, प्रशांत बोला. अब हम सब के लिए अपनी अपनी चूत से खेलो.

मेने अपना हाथ अपनी चूत पे रख दिया और अपनी ऊँगली अन्दर डाल रगड़ ने लगी. म्मम्मम मेरे मुह से सिसकारी निकल रही थी. बहोत अच्छा प्रीति लेकिन क्या तुम जानती हो की हम सब क्या देखना चाहेंगे? प्रशांत ने कहा.

क्या देखना चाहोगे ? मेने पूछा.

अब हम सब तुम्हारी गांड देखना चाहेंगे. प्रशांत ने कहा, तुम पीछे घूम कर अपनी गांड कैमरे के सामने कर दो.

मेने घूम कर अपनी गांड को कैमरे के सामने कर दिया और थोड़ी झुक गई जिससे मेरी गांड ऊपर को थोडा उठ गई. पिंकू देखो तुम्हारी बहन की गांड कितनी सुन्दर हे. रितेश ने कहा.

प्रीति अब में चाहता हु की अब तुम पूरी नंगी हो कर बिस्तर पर जाकर लेट जाओ और अपनी टांगो को हो सके उतना ऊपर हवा में उठा दो. प्रशांत ने कहा.

मेने अपनी गर्दन हिलाते हुए अपनी सेंडल उतार दी फिर अपना टॉप और ब्रा खोलकर एकदम नंगी हो गयी. में बिस्तर पे लेट के अपनी टाँगे घुटनों तक मोड़ अपनी छाती पे कर ली. प्रशांत ने कैमरा मेरी चूत और गांड पे ज़ूम कर दिया.

पिंकू तुम अपनी बहन की चूत को चाटोगे, प्रशांत ने कहा.

पिंकू ने हां में अपनी गर्दन हिला दी.

प्रीति तुम्हे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हे अगर पिंकू तुम्हारी चूत को चाटे. प्रशांत ने पूछा.

मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हे बल्कि में तो कब से इन्तेजार कर रही हूँ की कोई मेरी चूत को चाटे. मेने हस्ते हुए कहा.

पिंकू घुटने के बल मेरी जांगो के बिच बेठ गया. और धीरे से अपनी जीभ मेरी चूत पे रख दी वो धीरे धीरे मेरी चूत को चाट रहा था. थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद वो अपनी जुबान मेरी चूत से ले के मेरी गांड की छेद तक चाटता और वापस आके मेरी चूत को मुह में ले चूसने लगा.

पिंकू क्या तुम्हे तुम्हारी बहन की चूत का स्वाद अच्छा लग रहा हे. प्रशांत ने पूछा.

बहोत ही अच्छा स्वाद हे मज़ा आ गया. पिंकू मेरी चूत को और जोर से चूसते हुए बोला कौन सा स्वाद अच्छा हे चूत का या गांड का ? रितेश ने पूछा. वो अब भी अपने लंड को हिला रहा था.

पहले मुझे चखने दो फिर बताता हूँ कहकर पिंकू ने अपनी एक ऊँगली पहले मेरी चूत में डाल दी और फिर उसे निकाल अपने मुह में डाल के चूसने लगा. वेसे तो दोनों ही स्वाद अच्छे हे पर मुझे तो चूत ज्यादा अच्छी लग रही हे.

मुझे भी मेरी चूत का स्वाद चखाओ ना, मैंने पिंकू से कहा.

पिंकू ने अपनी दो उंगलिया पूरी की पूरी मेरी चूत में डाल गोल गोल घुमाने लगा. मेरी चूत की अन्दर से खुलने लगी. मेने अपनी चूत की नसों द्वारा उसकी उँगलियों को भीच लिया. थोड़ी देर में उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में से निकाल मेरे चेहरे के सामने कर दी. मेने कैमरे की और देखते हुए उसकी उंगलिया झपटकर अपने मुह में ले चूस ने लगी. जेसे में किसी लौड़े को चूस रही हूँ. पिंकू ने दुबारा अपनी उंगलिया मेरी चूत में डाल दी और अन्दर बहार करने लगा. फिर उसने झुक कर अपनी नुकीली जीभ मेरी चूत में डाल दी. उसकी जीभ काफी लम्बी थी और करीब ३ इंच मेरी चूत में घुसी हुई थी.

फिर वो निचे की और होते हुए मेरी गांड के छेद को चूसने लगा.

केसा लग रहा हर प्रीति? प्रशांत ने पूछा.

बहुत मज़ा आ रहा हे, मेने सिसकते हुए जवाब दिया.

क्या तुम अब अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेना चाहोगी ? प्रशांत ने कैमरा मेरी गांड की और करते हुए पूछा.

हाँ उसे कहो की जलदी से अपना मेरी गांड में पेल दे, मेने कहा.

मेरा भी उठ कर खड़ा हो गया. मेने भी अपनी टाँगे सीधी कर थोडा उन्हें आराम दिया और फिर टांगो को मोड़ छाती पे रख ली.

पिंकू क्या तुम ने कभी सोंचा था की तुम अपना लंड अपनी बाहें की गांड में डालोगे ? प्रशांत ने पूछा.

हाँ सपने देखते हुए मेने कई बार अपने लंड का पानी छोड़ा हे, पिंकू ने जवाब दिया.

देखो तुम्हारी बहेन अपनी गांड को ऊपर उठाए तुम्हारे लंड का इन्तेजार कर रही हे. में रितेश और हमारे सभी दर्शक इसका बेताबी से ये देखना चाहते हे. प्रशांत ने कहा. आज में डायरेक्टर हूँ इस लिए में बोलता हूँ वेसा ही करो. पहले अपने लंड के सुपाडे को इसकी गांड पे रगडो. पिंकू ने वेसा ही किया. अब धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड में डाल दो. उसने कहा पिंकू बड़े प्यार से अपना लंड मेरी गांड में घुसाने लगा. उसका सुपाडा घुसते ही मेरी गांड अन्दर से खुलने लगी. उसका लंड काफी मोटा था और वो अपने ७ इंच लंड को एक एक इंच करके घुसाता रहा. जब तक की उसका पूरा लंड मेरी गांड में नहीं घुस गया. पिंकू अब कस कास कर धक्के मारो और अपना पूरा पानी इसकी गांड में उढल दो प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब मेरी चुतड पकड़ कर तूफानी रफ़्तार से मेरी गांड मार रहा था.

हम दोनों पसीने से तरबतर हो गए थे. में अपने हाथ से अपनी चूत घस्ते हुए अपनी उन्गली अन्दर बाहर करने लगी. मेरे मुह से सिसकियाँ फुट रही थी हाआआन ऐसे ही किया जाओ और जोर से पिंकू हाँ चोदो मुझे फाड़ दो मेरी गांड को आह में तो गयी. मेरा चूत में उबाल आना सुरु हो गया था. और दो धक्को में ही मेरी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया था.

मेरा भी छुट रहा हे, कहकर पिंकू के लंड ने अपने वीर्य की बोछार मेरी गांड में कर दी.

हम दोनों के बदन ढीले पड़ गए थे गहरी साँसे ले रहे थे. उसका लंड अब ढीला पड़ने लग गया था मेने मुस्कुराकर उसे बाहों में लिया और चूम लिया प्रशांत अपने कैमरे से सूट कर रहा था. उसने कैमरे को बंद करते हुए कहा, प्रीति ये हमारा आज का आखरी सिन था. उम्मीद हे हम जल्द ही मिलेंगे. ओके बाय. बाय बाय सब कोई. मेने जवाब दिया में खड़ी हो कर अपने कपडे पहनने लगी. तीनो लड़के मुझे देख रहे थे.

क्या तुम सब कोई फिर से कुछ सिन सूट करना चाहोगे? में चाहता हूँ की हमारी वेब साईट सबसे अच्छी पोर्न साईट बन जाए.

रितेश ने कहा. हाँ जरुर करना चाहेंगे.

पिंकू बोला. हाँ मुझे भी अच्छा लगा.

में तैयार हूँ. मेने जवाब दिया.

थोड़ी देर में रितेश और प्रशांत चले गए.

मेरे मम्मी डेडी भी घर आ गए थे रात को हम सब खाना खाने डाइनिंग टेबल पर जमा थे. में और पिंकू खामोशी से खाना खाके अपने अपने कमरे में सोने चले गए. दो हफ्ते गुजर गए. मेरे और पिंकू के बिच इस दौरान किसी तरह की बातचित नहीं हुई थी. मुझे लगा की पोर्न साईट के लिए सिन सूट अब एक कहानी बन कर रह गयी हे. शायद सब कोई इससे बहोत चोके हे. लेकिन हर रात सोने से पहले में उस शाम के बारे में सोचते हुए अपनी चूत की गर्मी को अपनी उंगलियों से शांत करती थी. फिर एक दिन कॉलेज जाने से पहले पिंकू मेरे कमरे में आया. रितेश और प्रशांत पूछ रहे थे की क्या तुम दूसरी फिल्म करना चाहोगी ?

में खुद यही सोंच रही थी की तुम लोग ये फिल्म कब करोगे ? मेने कहा.

मम्मी डेडी दो दिन के लिए बहार जा रहे हे. पिंकू ने कहा.

क्या तुम लोग फिर आना चाहोगे ? मेने पूछा.

अगर तुम हाँ कहोगी तो, पिंकू ने जवाब दिया.

उस दिन में काम पर चली गयी और पुरे दिन शाम होने के इन्तेजार करती रही. सिर्फ सोच सोच के में इतना गरमा गयी थी की मेरी चूत से पानी छूटने लगा था. आखिर शाम को ठीक ५;०० बजे में घर पहोंच गयी. घर में घुसते ही मेने तीनो को सोफे पर बेठे हुए देखा.

हाय सब कोई केसे हो ? मेने पूछा.

हम सब ठीक हे. तुम केसी हो ? रितेश ने कहा.

मेने वहा जमीन पर कुछ सामन पड़ा देखा, ये सब क्या हे ? ये मेरे कैमरे का सामान हे. स्टैंड, ट्राईपेड़ वगेरह इससे मुझे कैमरा पकड़ कर सूट नहीं करना पड़ेगा. आटोमेटिक सूट होता रहेगा. प्रशांत ने कहा.

ठीक हे, अब क्या प्रोग्राम हे? सूटिंग कहा करना चाहोगे? मेने पूछा.

हम यहाँ भी कर सकते हे, प्रशांत ने कहा.

प्रशांत ने अपना केमेरा ओन किया और मुझ पर केन्द्रित कर दिया. दोस्तों हम आज फिर सुन्दर प्रीति के साथ बेठे हे. मेने अपना हाथ कैमरे के सामने हिलया. और ये पिंकू हे प्रीति का भाई. इससे तो प सभी मिल चुके हे. पिंकू ने भी अपना हाथ हिलाया. चलो तुम दोनों अब सुरु हो जाओ. प्रशांत एक डिरेक्टर की तरह निर्देश देने लगा. मेने और पिंकू ने मुस्कुराते हुए देखा. पिंकू आगे बढ़ मेरे होंठो पे अपने होंठ रख चूमने लगा.

मेने अपनी जीभ बहार निकाली और पिंकू मेरी जीभ को चूसने लगा. फिर उसने अपनी जीभ मेरी मुह में डाल दी हम दोनों की जीभ एक दुसरे के साथ खेल रही थी.

ओके प्रीति अब हमारे दर्शक तुम्हारी सुन्दर और आकर्षक गांड एक बार फिर देखना चाहेंगे. क्या तुम दिखाना पसंद करोगी ? प्रशांत ने कहा.

क्यों नहीं, इतना कहकर मेने अपनी पेंट और टॉप उतार दिया. फिर ब्रा का हुक खोल उसे भी निकाल दिया. फिर में अपनी पेंटी को निकाल के सूंघने लगी. और उसे अपने भाई की और उछाल दिया. उसने मेरी पेंटी को पकड़ लिया और सूंघने लगा. फिर में सोफे पर लेट गयी और अपनी टाँगे अपने कंधे पर रख ली जिससे मेरी गांड उठ गई. प्रशांत ने कैमरा मेरी गांड पर ज़ूम कर दिया.

मेने इतनी गुलाबी और सुन्दर गांड आज तक नहीं देखी, प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब अपनी बाहें की गांड को चोदने के लिए तैयार करो. पिंकू ने अपनी दो ऊँगली मुह में ले ली गीली की और मेरी गांड में अन्दर तक घुसा दी. अब वो अपनी ऊँगली को मेरी गांड में गोल गोल घुमा रहा था. प्रशांत ने कैमरे को स्टैंड पे लगा के उसे आटोमेटिक सिस्टम पे कर दिया. मेने देखा की प्रशांत भी अपने कपडे उतार नंगा हो चूका था.

प्रशांत अब मेरे पास आया और मुझे गोद में उठा लिया. ठीक कैमरे के सामने आ वो सोफे पर लेट गया. और मुझे अपनी पीठ के बल अपनी छाती पे लिटा लिया. मेरा चुतोड़ो को उठा उसने अपने खड़े लंड को मेरी गांड के छेद पे लगा मुझे निचे करने लगा. कैमरा में उसका लंड मेरी गांड में घुसता दिखाई पड़ रहा था. अब वो निचे से धक्का लगा रहा था. साथ ही मेरे चुतड को अपने लंड के ऊपर निचे कर रहा था.

पिंकू आओ और अपने लंड को अपनी बहन के चूत में डाल दो तब तक में निचे से इसकी गांड मारता हूँ. प्रशांत मेरे मोमो को भिचते हुए बोला.

पिंकू ने तुरंत अपने कपडे उतारे नंगा हो कर एक जटके में अपना लंड मेरी चूत में डाक दिया. मेरे मुह से सिसकारी निकल पड़ी. मुझे बहोत ही मजा आ रहा था. एसी चुदाई मेने सिर्फ ब्लू फिल्म में ही देखि थी. लेकिन आज खुद करवा रही थी. एक लंड निचे से मेरी गांड मार रहा था और दूसरा लंड मेरी चूत का भरता बना रहा था. जब पिंकू अपना लंड मेरी चूत में जड़ तक पलता तो उसके बदन के दबाव से पूरी तरह प्रशांत के लंड पर दब जाती जिससे उसका लंड भी मेरी गांड की जड़ तक जा घुसता. दोनों खूब जोरो से धक्के लगा रहे थे. और मेरी साँसे उखड रही थी. हाँ छोड़ो मुझे और जोर से हां अमाआआर ऐसी ही चोद्द्द्दते जाओ. रुको मत हां और तेज हाँ प्रशांत ने मुझे थोड़े से ऊपर से उठा के घोड़ी बना दिया. पिंकू ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल पीछे होकर खड़ा हो गया. प्रशांत अब मेरे चुत्तड पकड़ कर जोर के धक्के मार रहा था. उसके भी मुह से सिसकारी निकल रही थी. इतने में मेने उसके वीर्य की बोछार अपनी गांड में महसूस की. वो तब तक धक्के मारता रह जब तक की उसका सारा पानी नहीं छुट गया.

प्रशांत खड़ा हो कैमरा को अपने हाथ में ले मेरी गांड के छेड़ पे ज़ूम कर दिया. प्रशांत का वीर्य मेरी गांड से छुट रहा था. अपनी गांड को अपने हाथो से फेलाओ, उसने कहा.

मेने अपने दोनों हाथो से अपनी गांड और फेला दी. एसा करने उसका वीर्य मेरी गांड से टपकने लगा.

पिंकू देखो तुम्हारी बेहेन की गांड से केसा मेरा पानी टपक रहा हे, प्रशांत कैमरा को और मेरी गांड के नजदीक करते हुए बोला.

अच्छा हे मुझे लंड घुसाने में परेशानी नहीं होगी. पिंकू ने हस्ते हुए कहा.

पिंकू मेरे चेहरे के पास आ अपना लंड थोड़ी देर के लिए मेरे मुह में दिया.

मेने दो चार बार ही चूसा था की उसने अपना लंड निकाल लिया. मेरे पीछे आ उसने एक ही जटके अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया और धक्के मारने लगा.

थोड़ी देर मेरी गांड मारने के बाद उसने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ दिया. मेने अपनी उँगलियों को उसके पानी से भिगोने लगी. और फिर कैमरे के सामने देखती हुई अपनी ऊँगली चूसने लगी. अगली बार जल्द ही मिलेंगे. कहकर मेने अपना हाथ कैमरे के सामने हिला दिया.

बहन की चुदाई

छिप के देखी बहन की चुदाई












मैं घर से निकलने का ढोंग कर के पिछले दरवाजे से वापस घर में घुसा. मेन हॉल में बैठी मेरी छोटी बहन सुमन को पता नहीं था की मैं पीछे से चोरो की तरह घर में घुसा था. आज मैं सुमन को रंगेहाथो पकड़ना चाहता था. मुझे पिछले एक हफ्ते से हमारे घर के नौकर बलदेव पर शक था की वो मेरी १९ साल की बहन के साथ सबंध रख रहा हैं.
मेरी बहन सुमन अभी कोलेज में हैं और मैं हमारे घरेलु सिरेमिक का बिजनेश देखता हूँ. मेरे पापा और मम्मी की डेथ हुए डेढ़ साल हो गया हैं. वो दोनों की एक रोड एक्सीडेंट में मौत के बाद मैं ही सुमन की देखभाल करता हूँ. और उसकी देखभाल में कमी ना आये इसलिए उसकी शादी के बाद ही मैंने अपनी शादी का फैसला किया हैं.
लेकिन एक अरसे से मुझे लग रहा हैं की सुमन बलदेव के साथ सेक्स कर रही हैं और मैं आजतक उसे पकड नहीं पाया था. लेकिन आज मैंने घर मे ही छिप के उन्हें पकड़ने का फैसला किया था.

मैं बाथरूम के पास स्टोररूम में जाने के रस्ते में छिप गया जहाँ अभी कोई आने वाला नहीं था.

तभी मैंने देखा की बलदेव किचन से बहार आया. सुमन हॉल में ही बैठी अखबार पढ़ रही थी.

बलदेव ने हॉल में घुसते हुए पूछा, साहब गए क्या मेमसाब?

हां तेरे साहब गए इसलिए अब मेमसाब मेमसाब बंध कर दे.

यह सुन के दोनों ही ठठ्ठा लगा के हंस पड़े. सुमन ने अखबार फेंका और वो उठ के बलदेव के पास आई. बलदेव ने अपने हाथ में रखा हुआ गमछा सोफे पर फेंका और सुमन को अपनी बाहों में भर लिया. कसम से ऐसा लगा की दिल में किसी ने खंजर चिभा दिया हो. मैं अपनी इस बहन के लिए अच्छे रिश्तो में से भी सब से अच्छे रिश्ते को छांटने की कोशिश में था और वो नौकर के साथ लगी हुई थी. मन तो किया की निकल के दोनों की गांड में चाक़ू घुसेड दूँ लेकिन फिर मैंने सोचा की चलो देखता हूँ किस हद तक जाते हैं यह दोनों.

बलदेव की बाँहों में जाते ही सुमन ने अपने होंठो से उसके गालो को चूमना चालू कर दिया. मुझे कितनी ग्लानी हुई वो मैं शब्दों में नहीं बता सकता.

बलदेव ने सुमन के बूब्स दबाते हुए कहा, रवि के सामने तो बड़ी शरीफ बनती हो और उसके जाते ही वापस मुझे ढूंढने लगती हो तुम.

सुमन ने बलदेव के लंड को उसके पेंट में ही दबाते हुए कहा, अरे वो मेरा भाई हैं और मेरी देखभाल करता हैं मुझे इतनी तो सीमा रखनी पड़ेंगी ना.

मुझे सुन के अच्छा लगा की वो मेरी कदर तो करती थी लेकिन फिर भी नौकर की बाँहों में और उसके लंड से खेल रही बहन किस को अच्छी लगेंगी.

लेकिन उसके बाद जो हुआ वो तो अब तक जो हुआ उस से भी बुरा था!

बलदेव ने सुमन को  साइड में हटा के अपना लंड बहार निकाला. बाप रे उसका लंड तो एकदम काला और मोटा था. उसके सुपाडा नाग की तरह था जो खड़े हुए लंड की वजह से फुल के किसी गिरगिट की माफक अपनी गरदन को ऊपर किये हुए था. बलदेव के लंड को सुमन ने अपने हाथ में लिया और उसे मुठ्ठी में दबाने लगी. बलदेव ने सुमन की छाती पर दोनों हाथ रख दिए और वो मेरी जवान बहन की छोटी छोटी चुन्चियों से खेलने लगा. मैं खड़े खड़े अपनी बहन का संगम देख रहा था. बलदेव ने अब सुमन के होंठो पर अपने होंठो को लगा दिया और किस करने लगी.

बलदेव ने उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के रखा था और वो एक हाथ से अभी भी उसके लौड़े का मसाज कर रही थी. और वो काला लंड तो आकर में बढ़ता ही जा रहा था. मैंने सोचा की बहार निकल के दोनों को झाड दूँ, लेकिन तभी मुझे सुमन के वो वाक्य याद आ गए.

अब मैं नहीं चाहता था की मैं उसे अपने सामने बगावत करने पर मजबूर कर दूँ, वो मेरे से डर रही थी और मैं उसे ऐसे ही रखना चाहता था. मैं नहीं चाहता था की वो मेरे हाथो सेक्स करते पकड़ी जाएँ और फिर उसे मेरा कोई डर ही ना रहे. आप मेरी मनोस्थिति समझ सकते हो दोस्तों, मेरी मज़बूरी जिसने मुझे बहन का सेक्स दिखाया.

बलदेव ने अब अपने लंड को हाथ में पकड़ा और बोला, तुम्हारें मुह को ढूँढ रहा हैं ये तो!

सुमन ने अपने हाथ से बलदेव को छाती पर मस्ती से मारा और वो अपने घुटनों के ऊपर बैठ गई. बलदेव उसके करीब आया और सुमन ने अपना मुह खोला. बलदेव ने फट से अपना लंड सुमन के मुह में धर दिया. मेरे आश्चर्य के बिच मेरी बहन  उस काले लंड को चूसने लगी. वही मुह जिसे मैं चोकलेट खिलाता था अभी वो एक काला मोटा लंड चूस रहा था. सुमन ने बलदेव के टट्टे पकडे हुए थे और वो लंड को जोर जोर से अपने मुह में चला रही थी. बलदेव ने सुमन ने बालों को पकड़ा हुआ था और वो उसके मुह में लंड से झटके दे रहा था. कसम से शर्मिंदा करने वाला द्रश्य था. अब मेरी मुश्किल यह थी की वो लोग मेरी साइड में खड़े हुए ही सेक्स कर रहे थे. जब मैं यहाँ छीपा तो सुमन की पीठ मेरी और थी और अब उसका मुहं. साला मैं तो यहाँ से सर छिपा के भाग भी नहीं सकता था.

बलदेव के के काले लंड को २ मिनिट और चूसने के बाद सुमन ने उसे अपने मुह से निकाला. लंड के ऊपर ढेर सारा थूंक लगा हुआ था. बलदेव ने सुमन को खड़ा किया और दोनों वापस किस करने लगे.

अब सुमन सोफे में लेट गई और उसने अपनी स्कर्ट को खिंचा, अन्दर उसकी काली पेंटी थी जिसे बलदेव अपने हाथ से खींचने लगा. सुमन की छोटी सी चूत देख के बलदेव ने अपने लंड को थोडा मर्दन किया. सुमन ने बलदेव के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली, आज तुम मेरी नहीं चाटोगे डार्लिंग?

नहीं आज मूड नहीं हैं!

दोनों हंस पड़े क्यूंकि शायद बलदेव ने मजाक में वो कहा था.

और वो सच में सुमन की चूत में अपना मुह लगा के उसे जोर जोर से चाटने लगा. सुमन आह आह ओह ओह कर रही थी और बलदेव के बालों को नोंच रही थी. बलदेव ने अब अपनी एक ऊँगली सुमन की चूत में डाली और उसे अन्दर बहार करने लगा. सुमन की सिसकियाँ मेरे कानो में टकरा रही थी.

बलदेव ने अब अपनी ऊँगली चूत से निकाल के सुमन के मुहं में डाली. सुमन ने अपनी ही चूत का स्वाद चखा उस ऊँगली को चाट के.

अब बलदेव का लंड चूत लेने के लिए फड़क रहा था. उसने सुमन की टांगो को खोला और अपना सुपाडा चूत पर रख दिया. उसका लंड मोटा था इसलिए चूत में जाने में कष्ट होना ही था. सुमन ने अपने हाथ से लंड को पकड के उसे चूत पर सही सेट किया. बलदेव ने एक झटके में आधा लंड अन्दर कर दिया.

मुझे तो लगा था की सुमन रो पड़ेंगी लेकिन उसके चहरे पर सिर्फ हल्का सा दुःख का भाव आया और उसने लंड चूत में सही तरह से ले लिया. इसका मतलब सुमन लंडखोर थी और उसके लिए लोडा चूत में लेना कुछ नया नहीं था. बलदेव निचे झुका और सुमन के बूब्स चूसने लगा.. फिर अपनी कमर को एक झटका और दे के उसने लंड पूरा अन्दर कर दिया. सुमन ने अपने हाथ बलदेव की कमर की और लपेटें और उसे अपनी करीब खींचने लगी. बलदेव जोर जोर से अपने लौड़े को चूत में अन्दर बहार धकेलने लगा. सुमन भी अपनी कमर को हिला के बलदेव का साथ दे रही थी.

कुछ देर तक ऐसे ही चुदाई करने के बाद बलदेव ने सुमन को घोड़ी बना दिया. सुमन ने सोफे की कमर को पकड़ा हुआ था और बलदेव ने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. सुमन आह आह ओह ओह करती गई और बलदेव अपना लंड जोर जोर से उसकी चूत में धकेलता गया.

१० मिनिट्स की पूरी मस्त चुदाई के बाद बलदेव ने लंड जब बहार निकाला तो उसके अन्दर से फव्वारा निकल के सुमन की कमर पर गिरने लगा. कम से कम १०-१५ एम्एल वीर्य निकल के सुमन के ऊपर आ गिरा था. सुमन ने पलट के बलदेव के लंड को अपनी जबान से चाट के साफ़ कर दिया. बलदेव ने सुमन को खड़ा कर के उसे किस दी और फिर दोनों अपने कपडे पहनने लगे. बलदेव ने कपडे पहनते पहनते भी कई बार सुमन के बदन को छुआ. और एक भाई छिप के बहन की चुदाई देखता रहा.

मैंने मनोमन सोच लिया था की बलदेव के चुंगल से सुमन को कुछ भी कर के छुड़ाना हैं और अब अगले महीने बलदेव को काम से निकाल के किसी कामवाली को उसकी जगह रखना हैं!

मेरा पहला सेक्स, रंडी के साथ

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मालिन की चूचियाँ

मालिन की चूचियाँ 


बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।

मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम अंजू था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया... यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।

इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।

मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।

मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।

अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।

अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- अंजू एक बात बताऊँ?

तो वह बोली- क्या?

मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !

तो वह बोली- क्या मतलब?

तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !

वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- "धत्त" ! अपना काम करो।

तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।

तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?

तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर...। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?

मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।

हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।

फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।

तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।

इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।

तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।

वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।

उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।

हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।


उस
पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने
कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो...?

वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।

मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना... तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी... मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।

तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म... आआआआआहहहह्ह्हह्ह्हहह... की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ
खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।

मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।

वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।

मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ्फफफफ..... आआआआहहह्ह्ह्हहह.... उईईईईईई मममाँआआआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।

मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।

वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म्म्म्म.... आआआआआहहहहहहह... उउउउफ्फ्फ्फ्फ... आआआआहहहह... करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआहहहहहह... करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?

तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।

मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे

मेहन्दी वाली रात दुल्हन के साथ

मेहन्दी वाली रात दुल्हन के साथ

ये बात है 9 एप्रिल 2009 की जब हमारे मुहल्ले मे एक लड़की की शादी थी क्योंकि हमारी मुहल्ले मे सब से बनती है इस लिए उन्हो ने हमे भी इन्वाइट किया था हम सब भी गये थे उस रात मेहन्दी की रसम थी जेसा की आप सब जानते हो की मेहन्दी की रस्म मे सब कितने फ्री हो जाते हें ओर हर तरहा का मज़ाक चलता है मैं भी सब के साथ काफ़ी मज़ाक कर रहा था इसी तरहा से वो फंक्षन ख़तम हो गया ओर ये कोई 12 बजे का टाइम हो गा मैं अपने घर आगया बाकी घर वाले अभी उन्ही के घर थे मैं ने घर आ कर कपड़े चेंज किए ओर अपनी शॉर्ट पहन कर अपने मोबाइल अपनी गर्ल फ्रेंड से बात करनी शुरू कर दी.
मे अपने रूम मे बैठा बातें कर रहा था ओर अपने पीसी पर सेक्स मूवी देख रहा था मेरे रूम की सेट्टिंग ऐसी है की जब डोर ओपन करो तो राइट हॅंड पर पीसी रखा है. मैं अपनी गर्ल फ्रेंड से हमेशा सेक्सी बातें करता हूँ उस रात भी हम सेक्सी बातें कर रहे थे की मे ने अपनी शॉर्ट उतार दी ओर मेरा लंड फुल खड़ा था ओर मे सेक्शी मूवी देख रहा था .मेरे रूम मे कोई भी नही आता था इस लिए मुझे कोई टेन्षन नही थी . ये कोई रात के एक बजे का टाइम था मुझे नही पता की घर वाले कब वापिस आए मे अपने रूमकी लाइट बंद करके सेक्स मूवी देख रहा था ओर मेरा लंड फुल खड़ा था ओर मे अपने हाथ से मूठ मार रहा था लेकिन मेरा दिल नही कर रहा था मे ने अपनी गर्ल फ्रेंड को कहा की बस बहुत हो गया मुझे अब नींद आरही हे बाकी कल को करें गे वो नही मानी ओर हम फ़ोन सेक्स करने लगे मुझे बोहत प्यास लग रही थी मे पानी पीने क लिए उठा ओर जब मे ने डोर की तरफ़ देखा तो मेरे तो होश ही ओर गये वो लड़की जिस की मेहन्दी थी वो खड़ी थी ओए सेक्स मूवी देख रही थी मुझे देख कर वो फॉरन चली गई ओर मैं घबरा गया कही ये किसी को बता ना दे मे ने फॉरन फोन बंद किया ओर डोर की तरफ़ गया वो मेरे साथ वाले रूम मे चली गई थी मुझे नही पता था की वो हमारे घर मे आई हुई है वो तो उस ने बाद मे बताया था की उन के घर मे गेस्ट्स बोहत ज़ियादा आए हें इस लिए वो हमारे घर आगाई थी सो जब वो साथ वाले रूम मे चली गई तो मे भी ईज़ी हो गया ओर पानी पीने लगा पानी पी कर मे बाथरूम मे से फ्रेश हो कर आया मे काफ़ी चितित था की क्या हो गा फिर मे ने सोचा की जो हो गा देखा जाए गा ओर सेक्स मूवी देखने लगा मेरा लंड फिर से खड़ा हो रहा था कि अचानक मुझे लगा कि कोई मेरे रूम का डोर खोल रहा है मे फॉरन उठा ओर डोर के पीछे जा कर खड़ा हो गया कि अचानक डोर खोला ओर अनु(नेम चेंज्ड) अंदर आई अभी वो थोड़ी ही सेक्स मूवी देख पाई थी कि मे ने उस को पकड़ा ओर अंदर खींच लिया वो एक दम घबरा सी गई ओर कहने लगी कि मुझे माफ़ कर दो मे आइन्दा कभी ऐसा नहीं करू गी लेकिन मेरा दिल उस पर खराब हो चुका था वो शर्म क मारे नज़रे नहीं उठा पा रही थी एक तो परी जेसा मासूम चेहरा ओर उस पर इतनी शर्म मे ने उस को कहा कि
तुम क्या देख रहीं थी तो उस ने कहा वो फिल्म जो तुम देख रहे थे मे ने कहा की सब को बता दूं गा कि तुम चुप चुप कर ये सब देखती हो तो उस ने कहा क प्लीज़ किसी को मत बताना कल मेरी शादी है प्लीज़ मत बताना मे ने कहा कि नहीं बताउ गा तो वो कुछ रेलेक्स हो गई ओर जाने लगी तो मे ने कहा कि एक बात पूंच्छू तो उस ने कहा क पूच्छो तो मैने कहा कि तुम्हें ये सब केसा लगा तो उस ने डरते डरते कहा - अछा लगा तब मे ने कहा ,, तो चलो साथ मे बैठ कर देखते हैं तो उस ने कहा थॅंक्स फिर हम दोनो साथ मे ही नीचे कार्पिट पर बैठ कर मूवी देखने लगे मेरा लंड फुल खड़ा था वो बड़े गोर से सेक्शी मूवी देख रही थी मेरा उस के साथ सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था क्योंकि मे जानता था कि कल उस की शादी है ओर उस को बोहत प्राब्लम हो सकती हे लेकिन अब होनी को कॉन टाल सकता है अचानक मेरे दिमाग़ मे शैतान जाग गया ओर मेरा कंट्रोल ख़तम होने लगा मे वहाँ से उठ कर बाथ रूम मे गया ओर पेशाब कर के वापिस आया तो देखा वो अपनी चूत को मसल रही है मैं आराम से उस के पीछे जाकर बैठ गया ओर अपना हाथ उस की चूत पर रखा तो उस ने जल्दी से हाथ हटा लिया ओर कहने लगी , ये क्या कर रहे हो तो मे ने कहा जो तुम कर रही हो वही कर रहा हूँ तो वो उठ कर जाने लगी तो मे ने उसे अपने सिने से लगा लिया ओर उस के होंटो पर अपने होंठ रख दिए ओर उसे किस करने लगा वो मुझ से छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मे ने उसे बोहत ज़ोर से पकड़ रखा था कुछ देर इसी तरहा किस करने के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी ओर मे ने उसे हल्का छोड़ दिया उस ने अपने दोनो हाथ मेरी गर्दन के पीछे रखे ओर मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी मुझे अब बोहत मज़ा अरहा था मेने अपनी ज़ुबान उस के मुँह मे डाल दी ओर वो मेरी ज़ुबान को सक करने लगी मुझे बड़ा मज़ा अरहा था मेने अपने हाथ उस की गंद पर रखे ओर उसे सहलाने लगा वो ओर ज़ोर से मेरी ज़ुबान सक करने लगी फिर मे ने अपना एक हाथ उस की शलवार के अंडर डाला ओर उस की गंद पर फेरा ओर उस की चूत पर रखा तो उस ने मुझे ज़ोर के साथ अपनी बाँहों मे जाकड़ लिया फिर मे ने उसे कहा वो नीचे बैठ जाए वो नीचे बैठ गई ओर मे ने अपने रूम का डोर लॉक किया ओर उस के पास आ कर बैठ गया ओर उसे किस करने लगा ओर एक हाथ से उस के बूब्स प्रेस करने लगा हम दोनो को बोहत मज़ा अरहा था मे ने उस का हाथ पकड़ा ओर अपने लंड पर रख दिया उस ने मेरे लंड को ज़ोर से पकड़ लिया फिर मे ने उस की कमीज़ उतार दी उस ने पिंक कलर की ब्रा पहनी हुई थी उस के बॉंब्स 34 साइज़ के थे मे ने उनको ब्रा के उपेर से ही अपने मुँह मे लेने लगा फिर मे ने ब्रा की हुक भी खोल दी तो उस के बिल्कुल गोल शेप बॉंब्स मेरे सामने थे मे ने उसे लिटाया ओर उस के बॉंब्स को सक करने लगा उस के मुँह मे से सिसकियाँ निकल रही थी मैं उस के बॉंब्स को पागलों की तरहा सक कर रहा था वो मेरे बालों मे अपने हाथ फेर रही थी थी फिर मे ने एक हाथ उस की शलवार के अंदर डाला ओर उस की चूत पर रखा तो उस ने मुझे ज़ोर से जाकड़ लिया फिर मे ने अपनी एक उंगली उस की चूत मे कर दी जो कि बोहत ही गर्म थी उस की चूत बिल्कुल साफ थी ऐसा लग रहा था जेसे आज ही साफ की हो मुझे बोहत मज़ा अरहा था फिर मे ने उठ कर अपने सारे कपड़े उतारे ओर उस की शलवार भी उतार दी अब हम दोनो एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे उस ने मेरे लंड को पकड़ा ओर हाथ मे ले कर उसे प्यार करने लगी ओर फिर उस ने नीचे हो कर अपने होंठ मेरे लंड पर रखे ओर लंड को सक करने लगी मे ने भी एक हाथ से उस की गंद ओर दूसरे से उस के बूब्स मसालने लगा मुझ से ओर वेट नही हो रहा था मे ने उसे सीधा किया ओर 69 पोज़िशन मे होने को कहा उस की चूत पर जब मे ने अपनी ज़ुबान रखी तो मुझे ऐसा लगा क जेसे मे जन्नत मे पोहन्च गया दोस्तो इतनी गर्म चूत थी क्या बताउ मुझे सच मे बोहत मज़ा अरहा था उस की चूत से पानी बह रहा था जिसे मे किसी सदिओं के पियासे की तरहा पी रहा था कि अचानक उस ने अपनी चूत का सारा पानी छोड़ दिया जिसे मे खुशी खुशी पी गया लेकिन वो किसी भूखी की तरहा मेरे लंड को सक कर रही थी मुझे मेरे लंड मे तकलीफ़ महसूस हो रही थी फिर मे खड़ा हुआ और चेर पर बैठ गया ओर उस के बालों को पीछे से पकड़ कर उस को कहा , अब मेरे लंड को सक करे वो मेरे लंड को सक करने लगी मुझे बड़ा मज़ा अरहा था फिर मे ने उस के मुँह मे ही अपनी मनी छोड़ दी उस ने सारी की सारी पी ली ओर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ कर दिया.
)फिर मे ने उसे लिटाया ओर उस की गांड  के नीचे एक पिलो रखा ओर उस के मोम्मे चूसने लगा वो फिर से गर्म हो गई थी वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी फिर मे ने उस की टाँगो को अपने कंधो पर रखा ओर आगे को हुआ तो उस की चूत मे से आवाज़े आ रही थी मे ने उस के बॉंब्स सक क्र रहा था उस ने मेरा लंड अपनी चूत पर रखा ओर नीचे से हिलने लगी मे ने अपने होंठ उस के होंठो पर रखे ओर उस के होंठ चूसने लगा वो बोहत बेचेन हो रही थी फक्किंग के लिए मेने लंड को आराम आराम से उस की चूत मे किया वो अपने हाथो से मेरी कमर को सहला रही थी फिर मेने एक ज़ोर दार धक्का मारा जिस से उस की चूत की सील टूट गई ओर मेरा लंड उस की चूत की गहराइयों मे पोहन्च गया था वो बुरी तरहा तड़प रही थी उस की आँखों मे आँसू आ गये थे उस ने अपने नाख़ून मेरी कमर मे गाढ दिए थे मुझे भी काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी फिर मेने आहिस्ता2 उस की चूत मे धक्के मारने शुरू कर दिए फिर थोड़ी देर मे उस ने भी अपनी गंद उपेर उठाना शुरू कर दी फिर मे ने उस के होंठ छोड़े तो वो कहने लगी तुमने तो मुझे मार ही दिया था कोई इतनी बे दरदी से भी चोद्ता है क्या , मेने उसे कहा फर्स्ट टाइम ऐसे ही होता है फिर मे ने उसे कहा कि मेरे उपेर बैठे तो उस ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत को मेरे लंड पर रखा ओर उपरनीचे होने लगी साथ मे वो आआहहाअ आआहहाअ आआहहाा ऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईईई आआआआआआहहााआआ की आवाज़ें निकल रही थी वो आराम आराम से मेरे लंड पर बैठ रही थी लेकिन मुझ से सब्र नही हो रहा था मे ने नीचे से एक धक्‍का लगाया ओर उस ने एक चीख मार दी ऊऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई हााआआययययययययईई म्‍म्म्ममममममाआआआरररर गई वो मेरे लंड पर गिर पड़ी थी ओर मेरा लंड उस की बच्चेदानि को टच कर रहा था मे ने उसे समझाया किस तरहा इस तरीक़े मे फक्किंग करते हें मे उस के बॉंब्स को पकड़ कर उन से खेल रहा था ओर वो मेरे लंड के उपेर नीचे हो रही थी उस ने कहा वो डिस्चार्ज होने वाली है फिर मे ने उसे उसी तरहा नीचे लिटा लिया ओर उस की टाँगो को खोल कर उस की चूत मे अपना लंड डाल कर उस की चुदाई करने लगा मुझे भी लग रहा था मे भी डिसचार्ज होने वाला हूँ तो मे ने उसे कहा मे भी फारिग होने वाला अनु उस ने अपनी टाँगे मेरी कमर के पीछे बाँध लें ओर उसनेअपने हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया ओर नीचे से अपनी गंद उठा उठा कर फक्किंग करने लगी मे भी फुल स्पीड से उसे चोद रहा था और उस के होंठो पर किस कर रहा था हम दोनो की स्पीड काफ़ी तेज़ थी फिर एक दम उस ने अपना पानी छोड़ दिया मुझे ऐसे लगा क जेसे मेरे लंड को किसी ने पकड़ लिया है मेने बोहत कोशिश की किमैं अभी डिस्चार्ज ना हूँ लेकिन मे खुद पर कंट्रोल ना रख सका ओर उस की चूत मे ही फारिग हो गया ओर सारा वीर्य उस की चूत मे ही छोड़ दिया ओर उस के उपेर ही गिर गया हम दोनो पसीने मे नहा रहे थे ओर ज़ोर ज़ोर से सांस ले रहे थे मेरा लंड अबी भी उस की चूत मे था मे ने उस के बॉंब्स से खेलना शुरू कर दिया तो उस ने कहा तुम ने आज मुझे सब से बड़ी खुशी दी है मैं हमेशा तुम्हारी एहसान मंद रहू गी फिर मे उस के उपेर से उठा ओर उस की चूत की तरफ़ देखा तो उस मे से खून पानी की तरहा बह रहा था मे ने अपना लंड उस के मुँह कर आगे कर दिया वो समझ गई कि क्या करना है उस ने मेरा लंड चूस चूस कर साफ कर दिया फिर मे ने उस की पेंटी से उस की चूत को साफ किया फिर वो ब्रा पहनने लगी तो मे ने उस से कहा

वो ये ब्रा मुझे दे दे तो उस ने वो ब्रा मुझे दे दी मे ने उसे पेन दिया और कहा इस पर कुछ लिख दो तो उस ने डेट ओर अपने साइन कर दिए और कपड़े पहन कर खड़ी हो गई मे ने उसे दीवार क साथ लगाया ओर उस की गर्दन पर किस करने लगा वो सीधी हुई ओर हम फ्रेंच किस करने लगे .उस के बाद वो चली गई ओर मे सोने लगा लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी कुछ देर क बाद मेरे रूम का दरवाज़ा खुला तो मेने देखा अनु अंदर आई उस ने लाइट ऑन की ओर रूम लॉक किया ओर मेरे उपेर आ कर लेट गई ओर मेरे होंठो पर किस करने लगी मैं भी उसे किस करने लगा फिर हम दोनो ने अपने कपड़े उतारे ओर एक दूसरे के पूरे जिसम को चूमने लगे फिर 69 की पोज़िशन मे अगये ओर एक दूसरे को सक करने लगे फिर मे ने उसे सीधा किया ओर उस की टाँगें खोल कर उस की चूत पर अपना लंड रगड़ा तो वो किसी मछली की तरह तड़पने लगी मे ने एक तकिया उठाया ओर उस के नीचे रख दिया ओर मे उस के उपेर झुका अपना लंड उस की चूत मे डाल दिया ओर उसे चोदने लगा दोस्तो इस बार चुदाई मैं इतना मज़ा आया की पुछो मत मैं उसे सुबह 5 बजे तक चोद्ता रहा उस के बाद वो साथ वाले कमरे मे चली गी. अब तक मे उसे 2 बार ओर चोद चुक्का हूँ उस ने मुझ से वादा किया है कि वो मेरे लिए एक मासूम सी लड़की का इंतज़ाम करे गी