बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था। मेरे भाई की शादी थी। शादी में काफी सारे रिश्तेदार भी आये हुए थे। इन्हीं में से एक थी जिसने मेरी जिंदगी बदल थी। उसने मेरे अंदर सेक्स भर दिया या यूँ कहिये कि मुझे सेक्स के लिए पागल कर दिया। यह थी मेरी एक दूर की भाभी जिसका नाम था ऋचा !
देखने में तो काफी ठीक थी लेकिन उसके बोबे थोड़े कम थे पर उससे क्या? बाकी फिगर तो अच्छा था। वो पतली कमर, गोरी जांघें, सुराही जैसी गर्दन और वो मीठी आवाज़ ! साला कोई वैसे ही बेहोश हो जाये पर अपने होश तो उड़ने वाले थे ना।
चूँकि मैं एक बहुत ही शरीफ किस्म का लड़का था। मैंने जब तक किसी लड़की से फ्रेंडशिप भी नहीं की थी वैसी वाली आप समझ रहे है न।
अब क्योंकि शादी में भीड़भाड़ तो होती ही है। ऐसे ही एक दिन मैं कमरे में जाकर बैठ गया। वहाँ पर भाभी ऋचा भी बैठी थी जो अपनी माता जी के पैर दबा रही थी। मैं भी उसी बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कुछ ऐसे ही सामान्य बातें करने लगा।
अचानक वो हो गया जो नहीं होना था। बिजली चली गई और कमरे में अँधेरा हो गया।
अरे यारो, एक बात तो बताना मैं भूल गया ! वो क्या है कि दरअसल जब सर्दियों के दिन थे और मैं सर्दी से बचने के लिए भाभी वाली रजाई में घुस गया था। बस मेरे हाथ और पैर ही रजाई के अंदर थे, मैं दीवार के सहारे पीठ लगा कर बैठा हुआ था।
हाँ तो जैसे ही अँधेरा हुआ, वैसे ही मेरी जिन्दगी में सेक्स का दीपक किसी ने प्रज्वलित कर दिया। अचानक किसी ने मेरा हाथ रजाई के अंदर से पकड़ लिया और मेरे हाथ को दबाने लगा। शुरुआत में तो मैं थोड़ा सा डर गया। पर यह मेरी भाभी थी, उनका हाथ बहुत गर्म था। मुझे काफी मज़ा आया।
वो एक अंगुली से मेरी हथेली को कुरेद रही थी। आप तो जानते हैं इसका मतलब क्या होता है ! लेकिन उस वक्त मुझे इसका मतलब नहीं पता था। मैं एक असीम आनन्द की झील में गोते लगा रहा था।
अब आप सोच रहे होंगे कि झील क्यों ?
क्योंकि अभी सागर का आना तो बाकी है। तभी बिजली आ गई, मेरे आनन्द पर तुषारापात हो गया। भाभी ने एक झटके से मेरा हाथ छोड़ दिया जैसे कुछ हुआ ही ना हो !
और फिर से लग गई माता जी के पैर दबाने।
अब क्योंकि अगले दिन बारात जानी थी तो कुछ हुआ नहीं। बारात में थोड़ी मस्ती की और साहब, हम वापिस आ गए।
अब जो नई भाभी आई थी, उसकी मुँह दिखाई की रस्म हो रही थी, वो ऋचा भाभी भी थी उसी कमरे में, वो भी पास में ही बैठी हुई थी।
मैंने नई भाभी की मुँह दिखाई की। अब वहाँ पर और भी कई महिलाएँ थी जिनमें से कई मेरी भाभी लगती थी।
उनमें से किसी ने कहा- तुमने ऋचा भाभी को भी तो पहले बार देखा है। तुमने इसको को कुछ दिया नहीं मुंह दिखाई में और मुँह भी देख लिया? ऐसे ही और पता नहीं कुछ और भी देखा हो।
और ऐसा कहकर कातिलाना मुस्कान देकर कर हंसने लगी। मैं थोड़ा शरमा गया। फिर मैंने एक बर्फी का टुकड़ा लिया और कहा- चलो कोई बात नहीं ! तब नहीं तो अब सही !
और भाभी को खिलाने लगा।
तभी किसी और मुझे धक्का दिया और मैं ऋचा भाभी के ऊपर गिर गया। मैं कुछ ऐसे गिरा कि हम दोनों के चेहरे बिल्कुल पास-पास थे और उन्होंने एक फोटो भी खींच ली और बोली- अब यह फोटो रमेश के पास जायेगी।
रमेश उनके पति का नाम है। अब जबकि हम दोनों साथ में गिरे थे और उस समय उन्होंने साड़ी पहन रखी थी काले रंग की, तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उनकी जांघ पर फेर दिया।
तभी अचानक वो हुआ जो यह कहिए कि ऐसे शादी के समय पर नहीं होना चाहिए था, एक बार फिर से बिजली चली गई और मैंने इस बार फिर एक बार मौके की नजाकत को समझते हुए उनकी साड़ी के अंदर थोड़ा सा हाथ डालने की थोड़ी सी गुस्ताखी की।
तो वो बड़े कातिलान अंदाज़ में बोली- डर जाओगे इसे देख के।
तो मैं भी बोला- मैं भी डरना चाहता हूँ।
तभी कमबख्त बिजली आ गई और अपना के एल पी डी हो गया।
उसके बाद सब कुछ सामान्य हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो !
लेकिन मेरे अंदर जो आग लग गई थी वो सामान्य नहीं हुई वो और बढ़ गई। अब मुझे किसी भी हालत में चूत, मम्मे देखने की इच्छा हो रही थी क्योंकि सेक्स तो मुमकिन नहीं था इस वक्त। हाँ अगर चूत में उंगली हो जाये अभी तो कम चल जाता क्योंकि अगले दिन सेक्स भी हो जाता इतना मुझे विश्वास था।
जो होना था, वो तो होना ही था।
अब आपको तो पता ही है कि सुहागरात गौने के बाद होती है। तो जो नई भाभी थी उसके कमरे में हमने गाने-वाने सुनने का कार्यक्रम रखा और सभी लोग आ गए।
मुझे उस समय तो नहीं पता था लेकिन अब मैं जरुर कह सकता हूँ मेरी ऋचा भाभी की चूत में जरूर खुजली हो रही होगी उस वक्त।
इसलिए उसने कहा- हम दोनों पास पास बैठेंगे।
मुझे भला क्या परेशानी हो सकती थी। हम बैठ गए और टीवी पर वीडियो गाने देखने लगे। अब जो गाने थे उनमें इमरान हशमी के ज्यादा थे, अब आपको को पता है उसके गाने कैसे होते हैं। तो धीरे-धीरे करके काफी लोग खिसक लिए। अब मैं तो खिसकने वाला नहीं था क्योंकि ऋचा जो मेरे पास थी। शुरू में हम लोग ठीकठाक बैठे थे, बस पैर रजाई के अंदर थे। इसी दौरान हमने आपस में एक दूसरे के हाथों को पकड़ा हुआ था और मजे ले रहे थे।
अब जबकि काफी लोग खिसक लिए थे और हमारे लेटने के लायक जगह थी तो मैं भी वहीं रुक लिया। कमरे में बाकी लोग सो गए थे और शायद हम दोनों ही जग रहे थे और लेटे हुए थे जिससे लगे कि हाँ साहब, ये तो सो रहे हैं।
अब मैंने भाभी के सबसे पहले गोरे गोरे गुलाबी गालों को चूमा। क्या मज़ा था।
फिर मैंने उनके गुलाबी होठों के ऊपर अपने होंठ रख दिए और मधुपान करता रहा।
हम एक दूसरे की जीभ को भी चूस रहे थे। सच में ऐसा लग रहा था कि मैं किसी और दुनिया में हूँ।
काफी देर तक चुम्बन करने के बाद मैंने सोचा कि अब आगे बढ़ना चाहिए। फिर मैंने भाभी के ब्लाउज में हाथ डालने की कोशिश की पर सफल नहीं हो पाया क्योंकि एक तो हम लेटे हुए थे और दूसरे कुछ ज्यादा आवाज़ भी नहीं कर सकते थे कहीं कोई जाग गया या फिर किसी को पता चल गया तो लेने के देने पड़ जाते।
भाभी को भी मजा आ रहा था शायद क्योंकि भाभीजी ने भी मुझे कुछ छूट देनी चाही तो वो बोली- जरा रुको।
अब सुनो उसने क्या किया?
उसने अपना मंगल सूत्र अंदर कर लिया जो बाहर था और उसके बाद अपने ब्लाउज के ऊपर के दो बटन भी खोल लिए जिससे मुझे हाथ डालने में थोड़ी आसानी हो। अब मैं बड़े आराम से उसके बोबे दबा रहा था और मसल भी रहा था। मेरा किसी औरत के बोबे दबाने या मसलने का यह पहला अनुभव था। मेरा पप्पू भी अब अंगड़ाई लेने लगा था।
उसके मम्मे बहुत ही मुलायम थे और दबाने से उनके निप्प्ल भी थोड़े कड़क से हो गए थे। अब मैं चुम्बन और वक्षमर्दन साथ में कर रहा था।
क्या बताऊँ यारो, कैसा महसूस हो रहा था। मैं तो किसी अलग ही दुनिया में पहुँच गया था। लगा, जब इसमें इतना मज़ा आ रहा तो नीचे वाली चीज में कितना मजा आएगा।
मेरा तो यही सोच-सोच कर पप्पू कुतुबमीनार बन गया था।
अब मैंने भाभी के एक हाथ को पकड़ के अपने पैंट में डालने की कोशिश की पर उन्होंने मना कर दिया, बोली- अभी नहीं। अभी ऐसे ही करते रहो बस देवर जी ! दबाते रहे और मेरे होठों को चूसते रहो। इसका स्वाद तुम अभी बाद में लेना।
लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- अगर तुमको मेरी चड्डी में हाथ नहीं डालना तो कोई बात नहीं। लेकिन मैं भाभी जी, जरूर चड्डी में हाथ डालूँगा|
उस समय उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी जो उन्होंने लेटते समय अपनी कमर से हटा दी थी। अब वो महज पेटीकोट और आधे खुले ब्लाउज में थी जिसमे उसकी काले रंग की ब्रा मुझे साफ़ दिख रही थी।
मैंने उसका एक मम्मा मुँह में ले रखा था और उसे चूस रहा था। अब मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी नाभि पर फिराने लगा। उनका पेट बहुत गर्म था, वो भी इतनी सर्दी में।
शायद वो काफी गर्म हो गई थी। मैं अपना हाथ उनके पेटीकोट के अंदर डालने लगा तो वो बोली- यह नहीं, यह सिर्फ तुम्हारे भाई के लिए है।
तो मैंने कहा- भाभी, तो मैं कौन सा इसे लेकर जा रहा हूँ। बस एक बार देखने तो दो, मैंने चूत आज तक देखी नहीं है और वैसे भी मैं अभी भी नहीं देखने वाला बस छू करके महसूस करना चाहता हूँ कि कैसी होती है।
लेकिन वो नहीं मानी और कहने लगी- अब तुम जाओ, काफी हो गया।
लेकिन मैं कहाँ जाने वाला था क्योंकि मुझे पता था कि इतनी मुश्किल से यह मौका मिला है, फिर कभी मिले या न मिले।
और मैं नहीं गया, वहीं लेटा रहा। अब मैंने ऐसे ही बातें करते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। चूँकि उनका एक हाथ मेरे सर के नीचे था और दूसरा फ्री था, अब वो मुझे एक हाथ से ही रोक सकती थी और रात के ४ बज रहे थे, मैंने जबरदस्ती अपना हाथ नाड़े वाली साइड से उनके पेटीकोट में घुसा दिया।
वो मुझे रोक नहीं सकी क्योंकि उनका दूसरे हाथ को मैंने पकड़ा हुआ था।
वो कहने लगी- यह तुम्हारे भाई के लिए है, इसे मत छेड़ो।
अब मैं आसानी से उसकी पैंटी को स्पर्श कर पा रहा था, मैं पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को छूने और दबाने लगा और वो बहुत ही धीरे-धीरे साँस लेने लगी क्योंकि जोर से नहीं ले सकती थी।
अब जबकि चूत बिल्कुल मेरे हाथ में थी, मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना आनन्दित हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कुबेर का धन भी इसके आगे कुछ नहीं है। कुबेर के धन को मैं इस चूत के आगे न्यौछावर कर दूँ।
अब मैंने उनकी पैंटी के अंदर अपनी उंगली घुसा दी। मुझे लगा कि उनकी पैंटी कुछ गीली हो गई थी। उन्होंने झांटें नहीं बना रखी थी। उनकी चूत के ऊपर बाल थे जो ज्यादा बड़े तो नहीं थे इसका मतलब उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपनी झांटें साफ़ की थी।
मैंने भाभी के कान में पूछा- भाभी, कितने दिन पहले मैदान साफ किया था?
वो बोली- चल हट बदमाश ! अभी 8-10 दिन पहले ही किया था।
और बोली- अब बहुत हो गया, अब कुछ मत करना।
दोस्तो, मैं एक बात कह सकता हूँ, ये लड़कियाँ हमेशा ही ऐसे करती हैं- प्लीज, कुछ मत करो।
अब क्योंकि वो भी फंस चुकी थी, आवाज़ वो कर नहीं सकती थी और उठ कर कहीं जा भी नहीं सकती थी और न ही मैं यह मौका हाथ से छोड़ना चाहता था। मैं उनकी झांटों के ऊपर अपनी अंगुलियाँ फिरा रहा था। वाह, क्या फीलिंग आ रही थी।
अब मैंने धीरे से उनकी भगनासा को छेड़ दिया और उनके पूरे शरीर ने एक मदमस्त कर देने वाली अंगड़ाई ली। कुछ ऐसा लग रहा था जैसे कि सब कुछ मिल गया है।
अब मैंने धीरे से उनकी चूत में उंगली कर दी। उनकी चूत तो काफी गीली थी भाभी धीरे-धीरे हिलने लगी। काफी देर तक मैं उंगली करता रहा और चूत को मसलता रहा।
मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि जब मैं उनकी चूत में उंगली कर रहा था तो कितना मज़ा आ रहा था।
उसके कुछ देर बाद मैंने उंगली बहार निकाल ली और उसे सूंघ कर देखा तो बहुत ही अजीब सी मादक खुशबू आ रही थी।
उसके बाद मैंने अपनी वो ऊँगली चाट कर देखी, कुछ नमकीन सा स्वाद था।
दोस्तों अब आपको अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन मुझे कहना पड़ रहा है कि उस रात उसके बाद और कुछ नहीं हुआ। उसके बाद मैं हॉल में जाकर सो गया।
अगर शानदार और खुशबूदार चूत की मालकिनें मेरा होंसला बढ़ाएँगी अपनी राय मुझे भेज कर तो मैं आपके आगे प्रस्तुत करूँगा कि कैसे मैंने भाभी को चोदा।
देखने में तो काफी ठीक थी लेकिन उसके बोबे थोड़े कम थे पर उससे क्या? बाकी फिगर तो अच्छा था। वो पतली कमर, गोरी जांघें, सुराही जैसी गर्दन और वो मीठी आवाज़ ! साला कोई वैसे ही बेहोश हो जाये पर अपने होश तो उड़ने वाले थे ना।
चूँकि मैं एक बहुत ही शरीफ किस्म का लड़का था। मैंने जब तक किसी लड़की से फ्रेंडशिप भी नहीं की थी वैसी वाली आप समझ रहे है न।
अब क्योंकि शादी में भीड़भाड़ तो होती ही है। ऐसे ही एक दिन मैं कमरे में जाकर बैठ गया। वहाँ पर भाभी ऋचा भी बैठी थी जो अपनी माता जी के पैर दबा रही थी। मैं भी उसी बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कुछ ऐसे ही सामान्य बातें करने लगा।
अचानक वो हो गया जो नहीं होना था। बिजली चली गई और कमरे में अँधेरा हो गया।
अरे यारो, एक बात तो बताना मैं भूल गया ! वो क्या है कि दरअसल जब सर्दियों के दिन थे और मैं सर्दी से बचने के लिए भाभी वाली रजाई में घुस गया था। बस मेरे हाथ और पैर ही रजाई के अंदर थे, मैं दीवार के सहारे पीठ लगा कर बैठा हुआ था।
हाँ तो जैसे ही अँधेरा हुआ, वैसे ही मेरी जिन्दगी में सेक्स का दीपक किसी ने प्रज्वलित कर दिया। अचानक किसी ने मेरा हाथ रजाई के अंदर से पकड़ लिया और मेरे हाथ को दबाने लगा। शुरुआत में तो मैं थोड़ा सा डर गया। पर यह मेरी भाभी थी, उनका हाथ बहुत गर्म था। मुझे काफी मज़ा आया।
वो एक अंगुली से मेरी हथेली को कुरेद रही थी। आप तो जानते हैं इसका मतलब क्या होता है ! लेकिन उस वक्त मुझे इसका मतलब नहीं पता था। मैं एक असीम आनन्द की झील में गोते लगा रहा था।
अब आप सोच रहे होंगे कि झील क्यों ?
क्योंकि अभी सागर का आना तो बाकी है। तभी बिजली आ गई, मेरे आनन्द पर तुषारापात हो गया। भाभी ने एक झटके से मेरा हाथ छोड़ दिया जैसे कुछ हुआ ही ना हो !
और फिर से लग गई माता जी के पैर दबाने।
अब क्योंकि अगले दिन बारात जानी थी तो कुछ हुआ नहीं। बारात में थोड़ी मस्ती की और साहब, हम वापिस आ गए।
अब जो नई भाभी आई थी, उसकी मुँह दिखाई की रस्म हो रही थी, वो ऋचा भाभी भी थी उसी कमरे में, वो भी पास में ही बैठी हुई थी।
मैंने नई भाभी की मुँह दिखाई की। अब वहाँ पर और भी कई महिलाएँ थी जिनमें से कई मेरी भाभी लगती थी।
उनमें से किसी ने कहा- तुमने ऋचा भाभी को भी तो पहले बार देखा है। तुमने इसको को कुछ दिया नहीं मुंह दिखाई में और मुँह भी देख लिया? ऐसे ही और पता नहीं कुछ और भी देखा हो।
और ऐसा कहकर कातिलाना मुस्कान देकर कर हंसने लगी। मैं थोड़ा शरमा गया। फिर मैंने एक बर्फी का टुकड़ा लिया और कहा- चलो कोई बात नहीं ! तब नहीं तो अब सही !
और भाभी को खिलाने लगा।
तभी किसी और मुझे धक्का दिया और मैं ऋचा भाभी के ऊपर गिर गया। मैं कुछ ऐसे गिरा कि हम दोनों के चेहरे बिल्कुल पास-पास थे और उन्होंने एक फोटो भी खींच ली और बोली- अब यह फोटो रमेश के पास जायेगी।
रमेश उनके पति का नाम है। अब जबकि हम दोनों साथ में गिरे थे और उस समय उन्होंने साड़ी पहन रखी थी काले रंग की, तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उनकी जांघ पर फेर दिया।
तभी अचानक वो हुआ जो यह कहिए कि ऐसे शादी के समय पर नहीं होना चाहिए था, एक बार फिर से बिजली चली गई और मैंने इस बार फिर एक बार मौके की नजाकत को समझते हुए उनकी साड़ी के अंदर थोड़ा सा हाथ डालने की थोड़ी सी गुस्ताखी की।
तो वो बड़े कातिलान अंदाज़ में बोली- डर जाओगे इसे देख के।
तो मैं भी बोला- मैं भी डरना चाहता हूँ।
तभी कमबख्त बिजली आ गई और अपना के एल पी डी हो गया।
उसके बाद सब कुछ सामान्य हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो !
लेकिन मेरे अंदर जो आग लग गई थी वो सामान्य नहीं हुई वो और बढ़ गई। अब मुझे किसी भी हालत में चूत, मम्मे देखने की इच्छा हो रही थी क्योंकि सेक्स तो मुमकिन नहीं था इस वक्त। हाँ अगर चूत में उंगली हो जाये अभी तो कम चल जाता क्योंकि अगले दिन सेक्स भी हो जाता इतना मुझे विश्वास था।
जो होना था, वो तो होना ही था।
अब आपको तो पता ही है कि सुहागरात गौने के बाद होती है। तो जो नई भाभी थी उसके कमरे में हमने गाने-वाने सुनने का कार्यक्रम रखा और सभी लोग आ गए।
मुझे उस समय तो नहीं पता था लेकिन अब मैं जरुर कह सकता हूँ मेरी ऋचा भाभी की चूत में जरूर खुजली हो रही होगी उस वक्त।
इसलिए उसने कहा- हम दोनों पास पास बैठेंगे।
मुझे भला क्या परेशानी हो सकती थी। हम बैठ गए और टीवी पर वीडियो गाने देखने लगे। अब जो गाने थे उनमें इमरान हशमी के ज्यादा थे, अब आपको को पता है उसके गाने कैसे होते हैं। तो धीरे-धीरे करके काफी लोग खिसक लिए। अब मैं तो खिसकने वाला नहीं था क्योंकि ऋचा जो मेरे पास थी। शुरू में हम लोग ठीकठाक बैठे थे, बस पैर रजाई के अंदर थे। इसी दौरान हमने आपस में एक दूसरे के हाथों को पकड़ा हुआ था और मजे ले रहे थे।
अब जबकि काफी लोग खिसक लिए थे और हमारे लेटने के लायक जगह थी तो मैं भी वहीं रुक लिया। कमरे में बाकी लोग सो गए थे और शायद हम दोनों ही जग रहे थे और लेटे हुए थे जिससे लगे कि हाँ साहब, ये तो सो रहे हैं।
अब मैंने भाभी के सबसे पहले गोरे गोरे गुलाबी गालों को चूमा। क्या मज़ा था।
फिर मैंने उनके गुलाबी होठों के ऊपर अपने होंठ रख दिए और मधुपान करता रहा।
हम एक दूसरे की जीभ को भी चूस रहे थे। सच में ऐसा लग रहा था कि मैं किसी और दुनिया में हूँ।
काफी देर तक चुम्बन करने के बाद मैंने सोचा कि अब आगे बढ़ना चाहिए। फिर मैंने भाभी के ब्लाउज में हाथ डालने की कोशिश की पर सफल नहीं हो पाया क्योंकि एक तो हम लेटे हुए थे और दूसरे कुछ ज्यादा आवाज़ भी नहीं कर सकते थे कहीं कोई जाग गया या फिर किसी को पता चल गया तो लेने के देने पड़ जाते।
भाभी को भी मजा आ रहा था शायद क्योंकि भाभीजी ने भी मुझे कुछ छूट देनी चाही तो वो बोली- जरा रुको।
अब सुनो उसने क्या किया?
उसने अपना मंगल सूत्र अंदर कर लिया जो बाहर था और उसके बाद अपने ब्लाउज के ऊपर के दो बटन भी खोल लिए जिससे मुझे हाथ डालने में थोड़ी आसानी हो। अब मैं बड़े आराम से उसके बोबे दबा रहा था और मसल भी रहा था। मेरा किसी औरत के बोबे दबाने या मसलने का यह पहला अनुभव था। मेरा पप्पू भी अब अंगड़ाई लेने लगा था।
उसके मम्मे बहुत ही मुलायम थे और दबाने से उनके निप्प्ल भी थोड़े कड़क से हो गए थे। अब मैं चुम्बन और वक्षमर्दन साथ में कर रहा था।
क्या बताऊँ यारो, कैसा महसूस हो रहा था। मैं तो किसी अलग ही दुनिया में पहुँच गया था। लगा, जब इसमें इतना मज़ा आ रहा तो नीचे वाली चीज में कितना मजा आएगा।
मेरा तो यही सोच-सोच कर पप्पू कुतुबमीनार बन गया था।
अब मैंने भाभी के एक हाथ को पकड़ के अपने पैंट में डालने की कोशिश की पर उन्होंने मना कर दिया, बोली- अभी नहीं। अभी ऐसे ही करते रहो बस देवर जी ! दबाते रहे और मेरे होठों को चूसते रहो। इसका स्वाद तुम अभी बाद में लेना।
लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- अगर तुमको मेरी चड्डी में हाथ नहीं डालना तो कोई बात नहीं। लेकिन मैं भाभी जी, जरूर चड्डी में हाथ डालूँगा|
उस समय उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी जो उन्होंने लेटते समय अपनी कमर से हटा दी थी। अब वो महज पेटीकोट और आधे खुले ब्लाउज में थी जिसमे उसकी काले रंग की ब्रा मुझे साफ़ दिख रही थी।
मैंने उसका एक मम्मा मुँह में ले रखा था और उसे चूस रहा था। अब मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी नाभि पर फिराने लगा। उनका पेट बहुत गर्म था, वो भी इतनी सर्दी में।
शायद वो काफी गर्म हो गई थी। मैं अपना हाथ उनके पेटीकोट के अंदर डालने लगा तो वो बोली- यह नहीं, यह सिर्फ तुम्हारे भाई के लिए है।
तो मैंने कहा- भाभी, तो मैं कौन सा इसे लेकर जा रहा हूँ। बस एक बार देखने तो दो, मैंने चूत आज तक देखी नहीं है और वैसे भी मैं अभी भी नहीं देखने वाला बस छू करके महसूस करना चाहता हूँ कि कैसी होती है।
लेकिन वो नहीं मानी और कहने लगी- अब तुम जाओ, काफी हो गया।
लेकिन मैं कहाँ जाने वाला था क्योंकि मुझे पता था कि इतनी मुश्किल से यह मौका मिला है, फिर कभी मिले या न मिले।
और मैं नहीं गया, वहीं लेटा रहा। अब मैंने ऐसे ही बातें करते हुए उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। चूँकि उनका एक हाथ मेरे सर के नीचे था और दूसरा फ्री था, अब वो मुझे एक हाथ से ही रोक सकती थी और रात के ४ बज रहे थे, मैंने जबरदस्ती अपना हाथ नाड़े वाली साइड से उनके पेटीकोट में घुसा दिया।
वो मुझे रोक नहीं सकी क्योंकि उनका दूसरे हाथ को मैंने पकड़ा हुआ था।
वो कहने लगी- यह तुम्हारे भाई के लिए है, इसे मत छेड़ो।
अब मैं आसानी से उसकी पैंटी को स्पर्श कर पा रहा था, मैं पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को छूने और दबाने लगा और वो बहुत ही धीरे-धीरे साँस लेने लगी क्योंकि जोर से नहीं ले सकती थी।
अब जबकि चूत बिल्कुल मेरे हाथ में थी, मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना आनन्दित हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कुबेर का धन भी इसके आगे कुछ नहीं है। कुबेर के धन को मैं इस चूत के आगे न्यौछावर कर दूँ।
अब मैंने उनकी पैंटी के अंदर अपनी उंगली घुसा दी। मुझे लगा कि उनकी पैंटी कुछ गीली हो गई थी। उन्होंने झांटें नहीं बना रखी थी। उनकी चूत के ऊपर बाल थे जो ज्यादा बड़े तो नहीं थे इसका मतलब उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपनी झांटें साफ़ की थी।
मैंने भाभी के कान में पूछा- भाभी, कितने दिन पहले मैदान साफ किया था?
वो बोली- चल हट बदमाश ! अभी 8-10 दिन पहले ही किया था।
और बोली- अब बहुत हो गया, अब कुछ मत करना।
दोस्तो, मैं एक बात कह सकता हूँ, ये लड़कियाँ हमेशा ही ऐसे करती हैं- प्लीज, कुछ मत करो।
अब क्योंकि वो भी फंस चुकी थी, आवाज़ वो कर नहीं सकती थी और उठ कर कहीं जा भी नहीं सकती थी और न ही मैं यह मौका हाथ से छोड़ना चाहता था। मैं उनकी झांटों के ऊपर अपनी अंगुलियाँ फिरा रहा था। वाह, क्या फीलिंग आ रही थी।
अब मैंने धीरे से उनकी भगनासा को छेड़ दिया और उनके पूरे शरीर ने एक मदमस्त कर देने वाली अंगड़ाई ली। कुछ ऐसा लग रहा था जैसे कि सब कुछ मिल गया है।
अब मैंने धीरे से उनकी चूत में उंगली कर दी। उनकी चूत तो काफी गीली थी भाभी धीरे-धीरे हिलने लगी। काफी देर तक मैं उंगली करता रहा और चूत को मसलता रहा।
मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि जब मैं उनकी चूत में उंगली कर रहा था तो कितना मज़ा आ रहा था।
उसके कुछ देर बाद मैंने उंगली बहार निकाल ली और उसे सूंघ कर देखा तो बहुत ही अजीब सी मादक खुशबू आ रही थी।
उसके बाद मैंने अपनी वो ऊँगली चाट कर देखी, कुछ नमकीन सा स्वाद था।
दोस्तों अब आपको अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन मुझे कहना पड़ रहा है कि उस रात उसके बाद और कुछ नहीं हुआ। उसके बाद मैं हॉल में जाकर सो गया।
अगर शानदार और खुशबूदार चूत की मालकिनें मेरा होंसला बढ़ाएँगी अपनी राय मुझे भेज कर तो मैं आपके आगे प्रस्तुत करूँगा कि कैसे मैंने भाभी को चोदा।
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