मैं 35 साल का जवान हट्टा कट्टा पुरुष हूँ, छूट बदल बदल कर छोड़ने मैं मजा आता है इस लिए अपनी बीवी के इलावा अपनी दोनों सालियों को भी चोद रखा है
इस के बाद मेरी नज़र घर मैं काम वाली पर थी
उस पर जवानी अभी अभी आयी थी। मोम्मे बड़े हो रहे थे और गांड भर रही थी। मैं उस की हर फरकत बहुत ध्यान से देखता था। मुझे पता था उस ने हमारी सोसाइटी के एक गार्ड से दोस्ती कर राखी थी और उस से फ़ोन पर लंबी लंबी बातें करती थी
एक दिन उस की बातें छुप कर सुन लेने से पता चला उस का यार उस को छोड़ने का कार्यक्रम बना रहा है
इस से पहले यह कली किसी और की हो मैं ने उस को चोद लेने की योजना बना डाली
जब घर मैं मैं और वही थे तो मैं ने दबोच लिया और मसलने लगा
उसके मम्मों को दबाते दबाते पीठ पर हाथ फेरते फेरते मैं नीचे आया, धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया।
"हाय ! यह क्या किया? वापस बाँध दो, वरना आपके हाथ छोड़ते ही यह नीचे गिर जायेगी।"
"कौन है यहाँ तीसरा? मैं ही तो हूँ तेरा साईं दीवाना ! पूरी जिंदगी ऐश करवाऊँगा तुझे रूपा !"
"साब, अगर कोई ऊँच-नीच हो गई तो ऐसी ऐश का क्या होगा? पहले ही गरीब को बेटी हूँ !"
"साली, अगर तेरा यार तुझे ठोकता, जिससे बात हो रही थी, क्या उसके पास इतना पैसा है जो तेरा पेट साफ़ करवा दे?"
"आपने मैडम की दोनों बहनों को भी नहीं छोड़ा?"
"वो अब बासी हैं, तू कचनार कलि है ! रूपा अगर ज़रुरत पड़ी तो मैं तुझे सबके सामने अपनाऊँगा !"
मेरा हाथ उसकी चिकनी जांघों में चलने लगा, वो भी गर्म होने लगी, मैंने जो गोली दी थी उसका असर था कि उसका जिस्म कसने लगा था।
मैं जानता था तो बस हाथ फेरता रहा।
वो बेकाबू हुई, लो हुई !
उसकी पीठ से जिप खोल दी। उसका गोरा बदन, गोरी पीठ देख मेरा पप्पू पागल हो गया था। उसके हाथ आटे वाले थे।
मैंने उसकी पीठ पर अपने होंठ रगड़े, वो सिसकारने लगी। मैंने वहीं उसकी कमीज़ उतरवा डाली रसोई में !
कची कलि टू पीस में थी अब !
मैंने गौर से देखा उसकी भरती जा रही छाती, उसकी गोल गोल उभरती जा रही गाण्ड को !
उसने हाथ धोये और अपने कपड़ों की तरफ बढ़ने लगी।
कपड़े मैंने उठा लिए तो बोली- साब दे दो और मुझे छोड़ो !
"साली, बहुत प्यार करने लगा हूँ तुझे !"
उसको मैंने समझाया और वहीं शेल्फ पर लिटा कर उसके मम्मों को दबाया, प्यार से देखा, क्या मम्मा था- कुंवारी कन्या का मम्मा था उसका निप्पल मानो चने का दाना हो !
मैंने उसको जीब से रगडा तो वो मचलने लगी, तड़पने लगी, फिर भी कह रही थी- साब, जाने भी दो ! मत करो मुझे बर्बाद ! मैं अपने आशिक से बहुत प्यार करती हूँ, उससे मैंने शादी करने की कस्में खाई हैं !"
"बहन की लौड़ी, तो फिर आसान है, मैं उसको नौकरी दे दूँगा, तू भी यहीं काम करेगी, दोनों मस्त जिंदगी बिताना !"
मैंने फिर से दूसरे मम्मे को चूसा, निप्पल को चुटकी में लेकर मसला।
मैंने नीचे उसकी पैंटी के ऊपर से साथ साथ चूत रगड़नी ज़ारी रखी ताकि वो गर्म होती जाए।
वहीं घुटनों के बल बैठ गया मेरे होंठ उसकी चूत के सामने थे, मैंने उसकी पैंटी को एक तरफ़ खिसकाया और उसकी चूत देख पागल हो गया मैं। हल्के-हल्के रोम थे उस पर भूरे से !
मैंने उसकी चूत को सूंघा और जीभ निकाल कर उस पर फेरी। अब वो बेबस हो रही थी, गोली का असर और अगर लड़की की चूत चाट लो वो मचलने लगती है, मैं वैसा ही कर रहा था।
मैंने अपना लौड़ा भी निकाल लिया, खड़ा होकर उसको हिला कर दिखाया ताकि वो मर्द का अंग भी देख ले पास से।
फिर खड़ा हुआ उसकी चूत पर सुपारा रगड़ा तो मानो उसकी चूत में आग लग गई हो !
मैंने दुबारा बैठ कर जीभ को अन्दर डाला और घुमाया तो उसकी चूत कुंवारी लग रही थी।
वो अनाप-शनाप बकने लगी- हाय साब जी ! मर जाऊँगी ! अह अह ! कुछ होता है ! मेरी चूत में आग लग रही है ! हाय मेरी फाड़ डालो !
"हाँ हाँ लाडो ! फाड़ने के लिए तो यह सब कर रहा हूँ ! और मुझे कौन सी इसकी पूजा करनी है?"
मौका सम्भालते हुए मैंने भी उसको बाँहों में उठाया अपने आलिशान बेडरूम में ले गया, बिस्तर पर पटका। नर्म नर्म बिस्तर जिस पर सोने के बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा उसने !
"साली, तेरा आशिक तुझे ऐसा कमरा देगा? मैं तुम दोनों के लिए जो सर्वेंट क्वाटर तैयार करवाऊँगा, तू सोच भी नहीं सकती !'
मैंने खुद को पूरा नंगा कर दिया उसको भी अपना लौड़ा उसके होंठों पर रगड़ा- मुँह खोल ले मेरी जान रूपा !
रूपा ने मुँह खोल लिया तो मैंने उसमें लौड़ा घुसा दिया- चूस मेरी जान !
वो पागलों की तरह मेरा लौड़ा चाटने लगी, चूसने लगी।
"और चूस ले मेरी रूपा, क्या कहती है मलाई खिलवाऊँ क्या?"
वो चुप रही लेकिन मैंने कहा- चल एक साथ मजे लेते हैं !
मैं उसकी चूत चूसने लगा, वो मेरा लौड़ा !
एक और कच्ची कलि को हलाल करने को मेरा लौड़ा तैयार था, पिंकी की ली थी, इसलिए मेरा लौड़ा इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था।
रूपा नंगी पड़ी थी, मेरा सपना सच हो रहा था।
मैंने कहा- लौड़ा और चूस !
बोली- साब, मेरा मुँह दुखने लगा है ! कभी नहीं चूसा इसलिए !
"चल कोई बात नहीं ! चाट तो सकती है !"
वो जीभ निकाल-निकाल कर मेरा लौड़ा चाटने लगी।
मैंने उसकी टांगें उठवा दी और बीच में बैठ कर उस पर अपना लौड़ा रगड़ने लगा।
वो मरी जा रही थी- साब, बहुत तड़पा रहे हो, जो करना है, करो ना !
मैंने सुपारा सही जगह रख उसको झटका दिया। वो दर्द से कराहने लगी।
मैं रुक गया, गीला करके डाला लेकिन उसको दर्द हो रहा था, मैंने कहा- थोड़ा चूस कर गीला कर दे !
तभी बाज़ार से फ़ोन आ गया- हम फ्री हो गए हैं, आपकी इन्तज़ार कर रहे हैं !
मैंने कहा- मैं काम में फंस गया हूँ, बस थोड़ी देर लगेगी।
मैंने रूपा के मुँह में झटके देते हुए बात की।
मैंने रूपा की टांगें फैलाई और जोर से झटका दिया।
वो चीख उठी लेकिन मैंने बिना रुके उसकी चूत फाड़ डाली जोर जोर से झटके देने लगा। मेरा लौड़ा फंस चुका था। निकाल कर फिर घुसा दिया।
उसका दर्द कम तो नहीं हुई लेकिन मैं बेरहम किस्म का बंदा हूँ, ख़ास कर के बिस्तर में !
अगर औरत को तकलीफ होती है तो मेरा जोश दुगुना हो जाता है।
"साली, बस अभी तुझे मज़ा आएगा !"
"ख़ाक मजा आ रहा है? मैं मर रही हूँ ! ज़ालिम साब जी हो आप ! जल्लाद !"
'तेरी माँ का भोसड़ा ! देख तुझे कैसे भोगता हूँ मैं !" मैंने जोर जोर से झटके दिए, वो हिलकर रह गई।
रूपा के रूप को देख मैंने थोड़ा बहुत तरस भी खाया !
जब मेरा लौड़ा आराम से घुसने-निकलने लगा तब उसने राहत की सांस ली।
"अब क्या हुआ?" मैंने झटका लगते हुए कहा।
थोड़ी और देर लगी कि वो कूल्हे उठा उठा कर पटकने लगी, मेरा जोश बढ़ने लगा।
"साली !" मैंने उसकी चोटी को कुतिया की पूंछ की तरह पकड़ा, खींचा और तेज़ी से उसकी चूत रगड़ने लगा।
वो हाय हाय कर अब मेरा साथ दे रही थी, उसको पहली ही बार में इतना बड़ा मूसल लौड़ा मिल गया था।
कच्ची उम्र में अपनी चड्डी उतरवा वो भी मजा लेने लगी।
"साली इसको तेरी गाण्ड में भी दूँगा किसी दिन !" मैंने तेज़ी से झटके दिए क्योंकि मुझे बाज़ार भी जाना था।
जैसे मेरा निकलने वाला था, मैंने लौड़ा निकाला उसके चेहरे के करीब बैठ हाथ से दो तीन झटके दिए, मेरा माल निकलने लगा तो मैंने लौड़ा उसके मुँह में ठूंस दिया।
वो निकालना चाहती थी पर मैंने उसके बाल पकड़ रखे थे। जैसे वो निकलना चाहती थी मैंने उसकी चोटी खींच दी, एक भी बूँद, कीमती बूंद जाया नहीं जाने दी।
फिर उसको शायद स्वाद लगा था तो उसने थोड़ा बहुत जो लौड़े पर लगा था, वो भी चाट लिया, उठकर कपड़े पहनने लगी।
मैंने उसको पाँच सौ का नोट दिया और कहा- एक ब्रा-पैंटी का सेट खरीद आज ही।उसके मम्मो को सही शेप देने के लिए मैंने कागज़ पर उसको लिख दिया- पुश-अप ब्रा !
इससे नीचे से पूरी राऊंड शेप मिलती है मम्मे बड़े होकर भी लटकते नहीं।
दोस्तो, रूपा को मैंने ठोक लिया था।
फ़िर उन दोनों बहनों को बाज़ार से लेने गया।
तीनों ही बहनें मेरे मूसल की गुलाम थी ! मेरी बीवी मोना थोड़ी सी बिस्तर पर ठंडी है, उसको चूसा-चुसाई का इतना शौक नहीं है, मेरे लिए चूस ज़रूर लेती है !
उधर दोनों सालियाँ मेरा लौड़ा चूसने की दीवानी थी।
उधर रूपा ने मेरे कहने पर ब्रा पैंटी का सेट खरीद लिया, रूपा को देख मेरा गोपाल खिलने लगता, वो ताज़ी चीज़ थी।
शाम को थोड़ा अँधेरा हुआ था, मैं पौधों को, फूलों को पानी दे रहा था, तीनों बहनें घर में थी, बतिया रही थी।
रूपा मेरे पास आई, उसने अपनी कमीज़ उठाई, बोली- साब देखो, काली पुश-अप ब्रा !
मैंने उसके अनार मसल दिए, मस्त थे।
उसने नाड़ा ढीला किया और बोली- देखो !
काली चड्डी में वो कयामत दिख रही थी।
साथ वाला प्लाट भी मेरा था, मैंने वहाँ छोटे छोटे पोर्शन बनाये थे जिनको किराए पर दिया था। आगे वाले हिस्से में मैंने सब्जियां वगैरा लगाईं थी, रोज़ वहाँ ज़रूर जाता था, वहाँ का एक सेट खाली था, मैंने मौका पाकर रूपा को वहाँ बुला लिया और उससे अपना लौड़ा चुसवाने लगा, मैंने कहा- साली लेट जा ! ब्रा पैंटी नहीं उतारना !
तभी मेरी बीवी का फ़ोन आ गया- कहाँ हो जी आप?
मैंने कहा- रूपा के साथ बाज़ार में हूँ, उसको सामान खरीदना था रसोई का ! अकेली जाने से डर रही थी तो साथ आ गया।
"ओह, ठीक है, आते वक़्त रामू के स्प्रिंग रोल पैक करवा लेना !"
इधर मेरा रोल रूपा चाट रही थी।
मैंने उसको चोदा नहीं, जल्दी थी।
सीमा ने हमें निकलते देख लिया, सीमा मेरे किरायेदार की नव-बिआही औरत थी, उसकी शादी को सिर्फ सात महीने हुए थे।
वो हमें देख कर मुस्कुराई बहुत ही सवालिया नज़र के साथ देखा उसने।
मैंने नज़रें झुका ली, निकल आया।
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