मेरा नाम अंशु है, 23 साल का लड़का हूँ। मेरा लण्ड 7 इंच लम्बा और दो इंच मोटा है।
मेरा हमेशा से ही लड़कियों और आंटियों के साथ सेक्स करने का मन करता रहा है, ख़ास तौर से आंटियों के प्रति कुछ ज्यादा ही वासना रही है।
आज मैं आपको अपने जीवन की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। दो साल पहले की बात है मैं अपनी बी टेक सेकंड इयर की छुट्टियों पर घर आया हुआ था। मई का महीना था, एक दिन पड़ोस में ही रहने वाली संगीता आंटी हमारे घर मम्मी से मिलने आई।
आंटी क्या वो तो बला थी, उम्र लगभग 32-34 होगी, उनका सावंला चिकना बदन और उस पर 36-28-34 का उनका फिगर !
आंटी को अपने 8 साल के लड़के बंटी के लिए एक टीचर की तलाश थी। मैं उनकी बातें दूसरे कमरे से सुन रहा था। जैसे ही मैंने यह सुना, मैं तुरंत उनके सामने जा पहुंचा, मैंने कहा- आंटी मेरी अभी छुट्टियाँ चल रही हैं, मैं बंटी को पढ़ा देता हूँ !
आंटी मान गई, उन्होंने कहा- ठीक है कल से शाम पांच से सात पढ़ाने आ जाना।
मैंने कहा- आंटी दोपहर तीन से पांच कर लीजिये, क्यूंकि पांच बजे से मेरा पढ़ने का टाइम हो जाता है।
आंटी मान गई। मैं खुश हो गया क्यूंकि मुझे पता था कि सात बजे तक अंकल ऑफिस से आ जाते हैं।
अगले दिन मैं अच्छे से तैयार होकर सही समय पर आंटी के यहाँ पहुँच गया। दरवाजा आंटी ने खोला, क्या लग रही थी आंटी उस हरी साड़ी में ! साड़ी उनके बदन से एकदम कसकर लिपटी थी, उनके नितम्बों की गोलाइयाँ साफ़ दिख रही थी, उनका भरा हुआ नशीला बदन मुझे मदहोश किये जा रहा था, ब्लाऊज़ भी उनका काफी गहरे गले का था और गर्मी होने वजह से पीछे पीठ पर भी गहरा था। उनकी चिकनी पीठ पर बार बार मेरा हाथ फिराने का मन कर रहा था।
उन्होंने मुझे पढ़ाने का कमरा दिखाया, जब वो चलती थी तो उनके नितम्बों का ऊपर नीचे होना पागल कर देता था। मैं अपने आप को बहुत मुश्किल से संभाल पा रहा था।
मैंने उनकी ओर देखना बंद कर दिया और बंटी को पढ़ाने लगा।
आंटी रसोई में चली गई एक घंटे बाद आंटी चाय नाश्ता लेकर आई, मैंने कसम खा ली थी कि इस बार उनको नहीं देखूँगा। लेकिन आंटी बिल्कुल मेरे सामने आकर बैठ गई और मुझसे पूछा- अंशु, चाय में चीनी कितनी लोगे?
मैं बंटी की तरफ देखते हुए बोला- बस एक चम्मच।
फिर आंटी ने चीनी घोलना शुरु किया। इस बार मैंने उनको एक नज़र देखा लेकिन सामने का नज़ारा तो एकदम नशीला था, आंटी थोड़ा झुक कर चीनी घोल रही थी, इससे उनके स्तनों के दर्शन होने लगे थे, हालाँकि ब्लाऊज़ गहरा होने के कारण स्तन बाहर आ रहे थे लेकिन साड़ी का पल्लू उसके ऊपर हल्का सा आवरण डाले था, मगर फिर भी उनके चिकने भरे भरे स्तनों की गोलाइयाँ देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था, अपने आप को संभालना मुझे मुश्किल लग रहा था।
मैंने आंटी से पूछा- बाथरूम कहाँ है?
उन्होंने आगे आगे चल कर मुझे बता दिया, मैं तो सिर्फ उनके ही नशे में खोया हुआ था, बाथरूम जाकर मैंने मुठ मारी तब जाकर मेरी वासना शांत हुई, वापस आकर मैं नोर्मल हो गया और आंटी के नशीले बदन हो निहारता हुआ मस्त चाय नाश्ते का आनन्द लिया।
अगले एक हफ्ते तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहा, मैं आंटी के नशीले बदन में खोता ही जा रहा था, उनके बारे में सोच सोच कर कभी उनके बाथरूम में तो कभी रात को बिस्तर पर मुठ मार लेता था। आंटी के लिए मैं पागल हुए जा रहा था, मैं दिन रात बस संगीता आंटी के लिए परेशान रहने लगा।
एक दिन बंटी को पढ़ाते समय आंटी आकर कमरे में झाड़ू लगाने लगी, वो झुक कर झाड़ू लगते समय इतनी मस्त लग रही थी कि मन कर रहा था कि इसी पोज़ में उनको चोद दूँ। उनकी भरी हुई कमर साड़ी से कसकर लिपटी हुई थी, लग रहा था कि मुझे चोदने के लिए निमंत्रण दे रही हो।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं उठ कर बाथरूम चला गया वहाँ जाकर अपनी पैंट खोली ही थी कि मैंने देखा, वहाँ पर संगीता आंटी की ब्रा और पैंटी धुलने के लिए पड़ी थी। मैंने उनकी पैंटी उठाई और उसे सूंघना शुरु किया। क्या खुशबू थी, मैं उस नशीली खुशबू में खोता जा रहा था। अब मैंने पैंटी को चाटना शुरु कर दिया। मुझे लग रहा था कि जैसे मैं संगीता आंटी की चूत चाट रहा था।मुझे समय का पता ही नहीं चला, एकदम से संगीता आंटी की बाथरूम का दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई, वो बोल रही थी- क्या हो गया अंशु? क्या कर रहे हो अंदर इतनी देर से?
मैं अंदर बिल्कुल पसीना-पसीना हो गया था, मुझे कुछ सूझ भी नहीं रहा था, हालाँकि बस एक बात अच्छी थी कि मैं मुठ मार चुका था। मैंने अंदर से कहा- आंटी, मेरा पैर फिसल गया है, मैं बिल्कुल भी चल नहीं पा रहा हूँ।आंटी परेशान होकर बोली- बेटा, तुम किसी तरह दरवाजा खोल लो और बाहर आ जाओ।
मैंने आंटी की पैंटी को एक बार जी भर कर और चाटा, फिर नीचे फेंक दी। उसके बाद मैंने पानी की कुछ बूंदों से अपने नकली आंसू बनाये, थोड़ा सा पानी लेकर अपना पैंट गीली कर ली और करीब एक मिनेट बाद दरवाजा खोला और अपनी रोने की एक्टिंग जारी रखी।
मुझे लंगड़ाता और घिसटता देख कर आंटी को मुझ पर दया आ गई, उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ा और ऊपर उठाने की कोशिश की। उन्होंने मुझे सामने से पकड़ा, उनके दोनों हाथ मेरी पीठ पर थे। मैं भी यह मौका कहाँ छोड़ने वाला था, मेरा एक हाथ उनकी चिकनी पीठ को सहला रहा था तो दूसरा उनके रसीले नितम्बों की गोलाइयाँ नाप रहा था और मैं उनसे चिपका जा रहा था, मुझे लग रहा था कि बस यही स्वर्ग की अनुभूति है।
उसी समय मुझे एक और शरारत सूझी, मैंने अपना वजन थोड़ा भरी किया और लड़खड़ा गया, इससे हुआ यह कि मैं नीचे गिरने लगा और इस चक्कर में आंटी का पल्लू नीचे गिर गया। नीचे गिरते हुए मेरे दोनों हाथ आंटी की पीठ से होते हुए उनके पेट पर,फिर उनकी कमर का स्पर्श लेते हुए उनकी दोनों जांघों पर टिक गए मैंने उनकी दोनों जांघों को कसकर पकड़ लिया और जी भर का उनकी रसीली जांघों का स्पर्श-आनन्द लिया।
इससे पहले कि आंटी अपना पल्लू सम्हालती, मैं जोर जोर से रोने लगा, इस कारण आंटी अपना पल्लू सम्हलना भूल कर मुझे फिर से उठाने के लिए झुकी। उनके बूब्स अब मुझे पूरी तरह से देख रहे थे। इस बार तो मैंने मैदान मारने की ठान ली थी।
आंटी बोली- अंशु बेटा, कहाँ लगी? चलो, रोते नहीं ! चलो उठो !
मैंने अपने दोनों हाथ उनके कंधों पर रख लिए और उनके खुले हुए वक्ष से चिपक कर रोने लगा।
फिर हम दोनों धीरे धीरे आंटी के बेडरूम जाने लगे, बेडरूम बाथरूम के बगल में था।
कहानी जारी रहेगी।
आंटी के लिए वासना-2
प्रेषक : अंशु
आंटी बोली- अंशु बेटा, कहाँ लगी? चलो, रोते नहीं ! चलो उठो !
मैंने अपने दोनों हाथ उनके कंधों पर रख लिए और उनके खुले हुए वक्ष से चिपक कर रोने लगा।
फिर हम दोनों धीरे धीरे आंटी के बेडरूम जाने लगे, बेडरूम बाथरूम के बगल में था।
चलते चलते मैंने अपने हाथ आंटी के बदन पर फिराना शुरु कर दिए, मैं अपना सीधा हाथ आंटी की गुलबदन पीठ पर फ़िरा रहा था और बायें हाथ से उनकी रसीली गांड को सहला रहा था। कमर पर हाथ फेरते फेरते मेरा हाथ थोड़ा सा उनके पेटीकोट के अंदर चला गया। पता नहीं आंटी को कुछ पता चल रहा था या नहीं लेकिन वो बहुत ही घबराई हुई थी।
मेरा चेहरा कभी उनके बूब्स पर तो कभी उनकी गर्दन से छू जाता था। धीरे धीरे हम बिस्तर तक पहुँच ही गए लेकिन तब तक मैंने आंटी के बदन के स्पर्श का काफ़ी मज़ा ले लिया था, अब तो बस मेरा उनको चोदने का मन कर रहा था।
बिस्तर पर बैठते ही मैंने उनसे पूछा- आंटी, मेरी जांघ में मोच आई है, कोई दर्द का मलहम है क्या?
आंटी बोली- हाँ है, अभी ला देती हूँ।
"आप प्लीज़ कोई तौलिया भी ला दीजिये, मैं तौलिया लगाकर मलहम खुद ही लगा लूँगा।"
आंटी ने कहा- ठीक है।
आंटी तौलिया ले आई, आंटी ने कहा- तुम मलहम लगा लो, मैं दूसरे कमरे में चली जाती हूँ।
मलहम लगाने के लिए मैंने अपनी पैंट उतारी, फिर चड्डी उतारी फिर ऊपर से तौलिया लपेटी और जानबूझ कर नीचे गिर गया। उसके बाद मैंने जोर जोर से फिर रोना शुरु कर दिया।
आंटी बंटी को विडियो गेम में लगाकर और उसका कमरा बंद करके आ गई।
आंटी ने मुझे उठाया, मैंने आंटी से कहा- आप बहुत अच्छी हो !
आंटी हल्का सा मुस्करा दी।
उस समय चार बज रहे थे, मैंने आंटी से कहा- आप प्लीज़ मलहम लगा दीजिये।
आंटी ने कहा- तू खुद लगा ले !
मैंने कहा- मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है।
थोड़ी ना नुकुर के बाद आंटी बोली- ठीक है, लगा देती हूँ।
मैं आंटी के सामने बेड पर अपनी जांघ दिखाकर बैठ गया, और आंटी फर्श पर बैठ गई और तौलिया ऊपर करके मलहम लगाने लगी, आंटी के पूरे बूब्स के दर्शन हो रहे थे मुझे और मेरा लंड भी तनकर खड़ा हो चुका था।
मैंने धीरे से अपने तौलिये की गांठ खोल दी और आंटी से कहा- आंटी अब दूसरी टांग पर लगा दीजिये !
दूसरे टांग उनकी तरफ करने के लिए जैसे ही उठा, तौलिया नीचे फर्श पर गिर गया। अब मेरा सात इंच लम्बा, दो इंच मोटा लण्ड आंटी के मुंह के पास खड़ा सलामी दे रहा था।
आंटी सकपका गई, उनके मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था, थोड़ी देर बाद बोली- तुमने चड्डी क्यूँ नहीं पहनी?
मैं डरा हुआ था, मैं तुरंत आंटी से चिपक गया, दर्द का नाटक करके रोने लगा और कहा- सॉरी आंटी, मैं आज चड्डी पहनना भूल गया था।
मैंने आगे कहा- आंटी, मुझे बहुत डर लग रहा है।
इसके बाद मैं आंटी से बुरी तरह से चिपक गया, अपने दोनों हाथ उनके जिस्म पर फेराने लगा, आंटी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।
अब मैं आंटी की दिल की धड़कनें भी सुन सकता था, उनका दिल बहुत तेज़ धड़क रहा था।
फिर मैंने आंटी की मखमली चिकनी कमर पर हाथ फेरते हुए आंटी की तारीफ करना शुरु की, मैं बोला- आंटी, आप बहुत सुन्दर हो, आप एकदम हिरोइन दिखती हो, आपके जितनी सुन्दर मैंने किसी को भी नहीं देखा।
आंटी गुस्से से बोली- तुम अब घर जाओ, तुम्हारा ये सब करना अच्छी बात नहीं है, अभी तुम्हारी उम्र बहुत छोटी है।
मैंने आंटी की गांड कस कर पकड़ते और अपने लंड की तरफ स्पर्श देते हुए कहा- आंटी, मैं तो बस आपकी सेवा करना चाहता हूँ, मुझे बस एक मौका दे दीजिये।
आंटी घबरा कर बोली- नहीं नहीं ! अंशु यह सब ठीक नहीं है।
और वो मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरी पकड़ भी बहुत मजबूत थी वो जिसे छुड़ा नहीं पा रही थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं आपको होंठों पर किस करना चाहता हूँ, वो कर लेने के बाद ही में यहाँ से जाऊँगा।
वो कुछ नहीं बोली, मैंने उसी समय अपने दोनों होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनको किस करने लगा, साथ में मेरा सीधा हाथ उनके पेटीकोट के अंदर जाकर उनकी मखमली रसीली गांड सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर उनके बूब्स दबाने लगा।
थोड़ी देर बाद आंटी भी किस करने में मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उनको बेड पर गिरा दिया और उनके ऊपर आकर उनके बूब्स किस करने लगा लेकिन आंटी अभी भी शरमा रही थी और बार बार मेरे हाथ और मुंह अपने बूब्स से हटाने लगी और कहने लगी- बस अंशु बस, अब और आगे मत करो।
मैंने कहा- संगीता आंटी, मैं तो सिर्फ आपको मजा देना चाहता हूँ, आप इतनी सेक्सी हो कि किसी का भी मन आपके लिए मचल जाये ! यह कहते हुए मैंने उनका ब्लाऊज़ खोल दिया, अब वो सिर्फ ब्रा और साड़ी में थी, उनके कसे हुए बूब्स हरी ब्रा में बड़े मस्त लग रहे थे, मैंने उनके बूब्स को चाटना शुरु कर दिया, उनके मुँह से सिसकारियों की हल्की-हल्की आवाज़ आने लगी उसके बाद मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ उनकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा कि तभी मेरा हाथ उन्होंने पकड़ लिया और मुझे मना करने लगी। मैंने एक उनको एक किस उनकी नाभि में दिया और उनका पेट सहलाया, उनके मुंह से सिसकारियाँ निकल गई, अब मैं उनकी नाभि चूम रहा था और पेटीकोट के अंदर उनकी चूत सहला रहा था और वो सिसकारियाँ भर रही थी।
उनकी चूत गीली हो चुकी थी, मैंने अपना गीला हाथ उनकी चूत से बाहर निकाला और उसे चाटने लगा, मुझे उनकी चूत का रस चाटता देखकर वो शरमा गई तो मैंने बाकी बचा रस उनके होंठों पर लगा दिया फिर उसको हम दोनों ने मिलकर चाटा।
अब मैंने अपनी शर्ट खोल दी और आंटी की साड़ी हटाई फिर उनका पेटीकोट उनके बदन से जुदा किया। वो सिर्फ ब्रा और काले रंग की पैंटी में थी, मैं पूरा नंगा हो चुका था।
आंटी को मैंने नीचे से चूमना शुरु किया और चूमते चूमते उनकी जांघ तक आ गया। फिर मैंने उनकी चड्डी उतार दी और उनसे कहा- संगीता, आई लव यूअर चूत !
और उनकी चूत चाटने लगा, वो आह आह करने लगी मगर मैं चाटता रहा, उनकी दोनों जांघों को हाथ से फैलाकर चूत में अपनी जीभ रगड़ता रहा। आंटी आह-आह सिसकारियाँ भरती रही।
मैं बड़े प्रेम से उनके जांघों को सहलाते हुए उनकी चूत चाटे जा रहा था और उनकी सिसकारियाँ तेज़ होती जा रही थी, वो साथ में कहती जा रही थी- और चाट,और चाट आह आह आह आह..
थोड़ी देर में उनकी चूत से पानी आने लगा और मैं उनकी चूत से पानी चाटने लगा, थोड़ा पानी मैंने आंटी के मुँह में भी चटा दिया और वो मेरी उंगली बड़े मजे से चाटने लगी।
मैं संगीता की चाहत समझ गया, मैंने उसका मुँह पकड़ा एक जोरदार किस किया, फिर बोला- संगीता, मेरा लंड चूमो/
आंटी बोली- तुम कैसे बोल रहे हो?
मैंने कहा- तुम तो मेरी रानी हो रानी ! और अपनी डार्लिंग से में ऐसे ही बोलता हूँ !
संगीता आंटी खुश हो गई, उन्होंने मेरे लण्ड की गुलाबी टोपी पर प्यार से चूमा, मेरे मुँह से आह निकल गई।
फिर उन्होंने पूरा लंड धीरे धीरे अपने मुँह के अंदर लिया और वो जोर जोर से चूसने लगी। मेरे अंदर उत्तेजना कि भट्टी और तेज होने लगी, मैंने आंटी के गाल सहलाये फिर उनके बाल सहलाने लगा। मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, मैं कह रहा था- संगीता जोर से ! और जोर से, आह आह !
मैं मर रहा था, आंटी मेरी तरफ देख कर चूस रही थी, मुझे तड़पता देख कर और तेजी से चूसने लगी, मैं तड़प रहा था, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने आंटी के मुंह में ही अपना माल छोड़ दिया, पूरा मुठ आंटी के चेहरे और मुंह में था, आंटी उसे चाटने लगी।
आंटी ने मेरा लंड जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया था।
फिर मैं बोला- संगीता उठो, मेरे पास आओ !
आंटी उठकर मेरे पास आ गई, मैंने अपनी जीभ से चाट कर अपना मुठ आंटी के चेहरे से साफ़ किया और फिर अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी और फिर से एक जोरदार चुम्बन किया।
हम दोनों पूरे नंगे बिस्तर पर बैठे थे, अब तक आंटी भी पूरी बेशर्म हो चुकी थी, आंटी को मैंने अपनी बाहों में भर लिया था और आंटी मुझसे पूरी तरह चिपकी हुए थी।
उसके बाद मैंने आंटी को बोला- आंटी मैं आपका पूरा बदन चूमना चाहता हूँ।
आंटी बोली- अब सब कुछ तेरा है जो चाहे कर, बस मुझे प्यार कर !
फिर मैंने आंटी को उल्टा लिटा दिया और उनका पूरा रसीला बदन एक एक अंग करके चूमा। फिर सीधा करके पहले उनके रसीले निप्पल चूमे, उनके स्तन दबाये।
आंटी सिस सिस करती जा रही थी, वो कहने लगी- बस अंशु, अब मुझे चोद दे।
मैं बोला- थोड़ा सब्र करो संगीता !
जी भर कर बूब्स चूमने के बाद उनकी चूत एक बार फिर से चाटी, उनकी बुर के होंठों को किस किया और जीभ से चाटना शुरु कर दिया।
उसके बाद बोला- संगीता, अब चुदने के लिए तैयार हो जाओ।
आंटी बोली- हाँ मेरी जान, मेरी यह तड़प पूरी कर दे।
मैंने आंटी की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाली और उन्हें उंगलियों से चोदना शुरु कर दिया, फिर तीन उंगलियों से चोदा। आंटी आह आह करे जा रही थी, मेरी उंगलियाँ फिर गीली हो गई थी, मैं उंगलिया चाटता हुआ बोला- जान,तुम्हारी चूत बहुत कसी हुई और रसीली है।
आंटी खुश होकर बोली- अंशु, अब और अपनी जान को मत तड़पा !
मैं बोला- अभी लो जान !
फिर मैं आंटी के ऊपर आ गया, आंटी मेरे नीचे, मैं आंटी के ऊपर, मेरा लंड आंटी की कसी चूत के ऊपर, मैंने आंटी के होंठों पर एक किस किया, फिर उनकी कमर को पकड़ कर लंड को एक धक्का दिया और लंड अंदर चला गया।
आंटी चिल्लाई-आह ! मार डाला !
मैंने कहा- डरो मत जान, अभी मजा आयेगा !
आंटी आह आह किये जा रही थी। मैं कभी उनके बूब्स को किस करता तो कभी उनके होंठों पर लेकिन आंटी सिसकारियाँ लेती जा रही थी, वो कह रही थी- साला कितना बड़ा लंड है तेरा ! आह आह आह ! मार डाला ऊह आह ऊह आह।
फ़िर थोड़ी देर बाद उनको मजा आने लगा, वो कहने लगी- और और कर, मेरे जानू, पूरा अंदर डाल दे, तेरे लंड में तो जादू है जादू, आह आह !
मैंने कहा- अब मजा आया ना !
अब मेरा लंड पूरी तरह से अंदर-बाहर आ-जा रहा था और चूत की कसावट के कारण हम दोनों को ही मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- जान, अब तुम ऊपर आ जाओ।
फिर हम दोनों पलट गए, अब संगीता आंटी मेरे ऊपर उछल रही थी, उनकी नर्म रसीली गांड का स्पर्श मेरी जांघों से हो रहा था, मैं मस्त हुआ जा रहा था और थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए फिर हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से चिपके रहे, फिर दोनों ने एक दूसरे को जमकर चूमा।
संगीता ने मुझे मेरे कपड़े पहनाये, फिर मैंने भी उसके बदन को चाटते और चूमते हुए उसे ब्रा और पैंटी पहनाई।
तैयार होकर जब मैंने टाइम देखा तो साढ़े छः बज चुके थे।
संगीता मुझे गेट तक छोड़ने आई, वो अपनी नज़रें नीचे किये हुई थी और मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थी।
मैंने उसे फिर से अपनी बाहों में भर लिया और एक जोरदार किस होंठों पर दिया, उसके चूतड़ सहलाते हुए कहा- जान घबराओ नहीं, मैं किसी को नहीं बताऊँगा, तुम तो मेरी रानी हो रानी ! मैं तुम्हारी रसीली चूत का एक सेवक हूँ।
आंटी खुश हो गई और मेरे बदन से चिपक गई। मैंने उनको गालों पर प्यार किया और एक प्यारी किस देकर घर आ गया।
दोस्तो, उस दिन के बाद, मैंने आंटी को लगभग हर दूसरे दिन चोदा और आंटी के लिए अपनी वासना की आग शान्त की।
..और साथ ही साथ आंटी को खुश भी किया और उनकी रसीली गांड को और भी रसीली बना दिया।
आंटी भी अब और ज्यादा मस्त लगने लगी हैं।
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