मेरा नाम रमाकांत है। मैं इस समय 16 वर्ष का हूँ। मेरी मॉम का नाम रमा-रानी है। मेरे पापा नहीं हैं। घर में मैं, मेरी मॉम, व तीन बहनें हैं। मेरी तीन बहनों के नाम सीता, राधा, और ऊर्मि हैं। अभी सीता 14 वर्ष की, राधा 12 वर्ष, और ऊर्मि 10 वर्ष की हैं। तीनों बहुत नटखट और शैतान हैं। सीता और राधा को अपने ये पुराने जमाने के नाम पसंद नहीं इसलिए उन्होंने अपने नाम बदल लिए हैं। सीता अब पिंकी है और राधा रिंकी। ऊर्मि अभी ऊर्मि ही है। इन लड़कियों ने मेरा नाम भी रमाकांत से बदल ‘लोलो’ रख दिया है, और मॉम का नाम ‘एलेक्सा’ ।
मेरे पापा सेक्स के मामले में उदार और फ्री विचारों के थे , वे खुद बहुत सेक्सी और रसिक थे। वे अपनी दो बहनों के साथ भी सेक्सी मज़ाक व व्यवहार से बाज नहीं आते थे, मॉम भी सेक्सी थी, फिर पापा की वजह से खुल कर सेक्सी हो गई। पापा और हम सब एक ही बिस्तर पर पहले नंगे सोते थे। कोई टेबू नहीं था। पापा ने एकबार अपनी छोटी व बड़ी बहनों को एकसाथ चोदा था।जो इंसान अपनी सगी बड़ी बहन को चोद सकता है वो भला अपनी जायंदा बिटिया को क्यों छोड़ेगा? मुझे पता है की पापा ने सीता अर्थात पिंकी को मज़े ले-ले कर चोदा था। और उनकी राह चल मैंने भी अपनी मॉम को चोदा है , और अब तो और भी खुलकर चोदता हूँ। मैं रात को आधे वक्त अपनी मॉम के बिस्तर पर और आधे वक्त अपनी तीनों बहनों के बिस्तर पर संग-साथ सोता हूँ। तीनों बहने भी मस्त माल हैं। ये खुद चला कर मुझसे मस्ती और बदमाशियां करती हैं। तो गलत क्या है??
मैंने दो साल पहले अपनी मॉम को पहली बार चोदा था। फिर मॉम ने ही मुझे बताया कि तेरे पापा ने पिंकी गुड़िया को चोदा था। मॉम ने मुझे यह भी कहा कि जब तू अपनी सगी मां को चोद सकता है तो सगी बहन को क्यों नहीं? सो ये भी दो साल पहले की बात है। हाँ, दो साल पहले मैंने पहले पिंकी और फिर दो महीने बाद रिंकी को चोदा था।
पिंकी की चुदाई ! उस रात मां को पहली बार चोदा और इस क्रिया में हम दोनों को मज़ा आया तो अगली दो रात लगातार मैंने अपनी मॉम को चोदा । मैंने देखा इससे उनकी तबीयत और शरीर खिला-खिला नजर आया। वो और जवान होने लगी। चौथे या पांचवे दिन मॉम ने मुझसे पूछ लिया– ‘ तूने सीता अर्थात पिंकी को चोदा कि नहीं? ” मैं चुप रहा। फिर झिझकते हुए मैंने कहा– ‘ मॉम, अगर वो बुरा मान जाय ?’ तो मॉम ने कहा ‘ वो क्यों बुरा मानेगी , और फिर ये तो अच्छा नेक काम है; तेरे पापा से चुदने के बाद वो खुश थी। अब तीन साल बाद तो वो और समझदार हो गई होगी। ” फिर भी मैं चुप रहा तो शायद मॉम ने समझा मैं डरपोक हूँ। मगर वैसा नहीं था। वैसे पिंकी और रिंकी से मैं छेड़खानी तो करता ही था। सातवें दिन एक कमरे में मैं व मॉम अकेले थे , सर्दियों के दिन थे, दिन के दस बजे, अच्छी धूप थी। उस समय मॉम ने मुझे एक पान खिलाया और फिर ऊर्मि को बुलाया। वो आठ साल की ही थी उस वक्त। मॉम ने ऊर्मि के बदन को सहला कर अच्छी तरह से प्यार किया और फिर उससे पूछा, ‘ तुझे कुछ चाहिए तो नहीं?’ वो शर्मा रही थी। मॉम ने उसके प्यारे गालों पर धौल धार कर कहा, ‘ जा, रिंकी को बुला?’ थोड़ी ही देर में रिंकी आ गई। उसने टाइट स्कर्ट व टॉप्स पहन रखे थे। उस समय उसकी भी उम्र यही 10 वर्ष की थी। मॉम ने उसे कुछ sweetmeats/ मधुर मिठाई खिलाई और फिर कहा, ” देखो, वसन्ता बहिन के घर तुम और ऊर्मि जाओ, उसे तुमसे कुछ काम है; और हाँ, पिंकी को इधर मेरे पास भेजो, कहो उससे कि मॉम बुला रही। उसके बाद बिना देर किए पिंकी आ गई। उसने टाइट जीन्स व टाइट टी-शर्ट पहन रखा था। वह उस समय बारह साल की ही थी जबकि मैं चौदह का। मुझे नहीं पता मॉम ने उसे पहले कुछ सिखाया-पढ़ाया या कुछ बताया है पर पिंकी के हाव-भावों से मुझे लगा कि वो सेक्स के लिए उत्सुक है क्योंकि उसकी आँखों कि पुतलियाँ और गालों का बदलता रंग व सेक्सी-किस्म का शर्मीलापन यह बता रहा था कि कुछ इस किस्म की बात है जरूर क्योंकि उसकी नजर बार–बार मेरे निकर की ओर उस जगह जा रही थी जहां लड़कों का गुप्तांग रहता है।
मॉम ने उसे अपने से चिपटाया, यहाँ तक कि उसकी चूतड़ पर भी हाथ फिराया और फिर धीरे से मेरी ओर इशारा कर पूछा, उससे, ” तेरे भैया हैं ना? तू इसे प्यार करती है या नहीं?’ उसने जल्दी से अपनी आँखें मिचमीचाई और अजीब सी गूं-गूं आवाज में बोली — ”हूँ-हूँ-हूँ , हाँ !” मॉम ने पिंकी को कहा, ‘ तुझे लोल्लिपॉप चूँसना आता है/ चखेगी?’ उसने एकदम से कहा — हाँ, मॉम”। मॉम ने कहा–‘ चल, जीभ दिखा, उसने जब दिखाई तो मॉम ने उसके मुंह में अपना अंगूठा दल दिया और चूँसने को कहा। वो बच्ची कि तरह मज़े से चूँसने लगी। मैं सोफ़े पर बैठा था, मॉम ने उसे भी मेरे पास, बिलकुल पास बैठा दिया, फिर मॉम ने अपनी दो अंगुलिया पिंकी के गीले-तर मुंह में डाली जिसे वो फिर चूँसने लगी। मॉम ने तब पिंकी का दायाँ हाथ पकड़ा और मेरे निकर की ज़िप के ऊपर रख दिया , और उसके कान में फुसफुसा कर कहा: ” इसे सहला, मेरी बच्ची!’ मेरे निकर कि ज़िप पहले से ही खुली थी और भीतर अंडरवीअर भी नहीं था सो जब उसने सहलाया तो मेरा लंड भक करते खड़ा हो गया, और वह उछल कर बाहर आ गया। मतलब मेरा नंगा लंड बाहर आ गया और पिंकी उसे घूर-घूर कर देखने लगी। मॉम ने भी झट से मेरा निकर खोला और उसे मेरी टांगों से निकाल दूर रख दिया। मैं मुस्कराते हुए खड़ा हो गया, कमर से नीचे मैं पूरा नंगा था और अपनी सगी बहन को अपना नंगा लौड़ा खुशी से दिखा रहा था; और मज़े की बात ये कि मॉम भी नंगी हो गई, वह तो पूरी नंगी। मॉम मेरे पीछे लग गई और अपने मम्मे मेरी पीठ से चिपका व अपनी जांघों को मेरी जांघ से रगड़ते हुए मेरी नंगी छाती को सहलाने लगी। उसने पिंकी को इशारा किया तो वो घुटनों के बल बैठ गई और कुछ शर्म कुछ मुस्कराहट के साथ, ऊंची हुई, उसका प्यारा-प्यारा मुखड़ा मेरे नगे लंड के बिलकुल करीब था। मैंने पहल कर उसकी ठुड्डी उठाई और फिर उसके ओठों की कलियों को खोला व लंड छोटी बहिन के मुंह में ठेल दिया। वो सचमुच उसे मज़े से चूँसने लगी। एक हाथ से उसने मेरे लंड का किनारा या उसकी जड़ पकड़ राखी थी और वो मेरा नंगा लौड़ा तबीयत से चूँसने लगी। उसके यों चूँसने से मेरे लंड की चौड़ाई बढ्ने लगी, वो खासा मोटा हो गया। मैं भी लंड उसके मुंह में धक्का देते हुए धंसा रहा था। मेरे हाथ उसके गालों पर थपकी देने लगे। कुछ देर बाद मैंने लंड निकाल बाहर किया। मॉम फिर आगे आ गई। उसने पिंकी को खड़ा किया और फ़ुल मादरजत नंगी होने को कहा। मॉम ने खुद अपनी बेटी को मेरे लिए नंगी किया। दूसरे दौर में मैं सोफ़े पर टांगें फैलाये बैठा और पिंकी पूरी नंगी हो दुबारा से मेरा लंड चूँसने को फिट हुई। इस बार मॉम ने पिंकी का मुंह काफी चौड़ा कर खुलवाया और उसमें मेरा लौड़ा दूर गहराई तक गया। इस बार मुझे जोश चढ़ा और मैं दाँत पीसते हुए ज़ोर-धक्का देते हुए अपनी प्यारी छोटी बहन सीता की मुख-चुदाई करने लगा। मॉम ने बेशर्मी से मेरा अंडकोश मुंह में भरा। मैं भी एक हाथ से बहिन की नंगी गांड में और दूसरे हाथ से मॉम की नंगी गांड में अंगुल करने लगा।
सिर्फ मुख-चुदाई काफी नहीं थी। छोटी बहन कू पूरा रगड़ने की जरूरत थी । मैंने उसे पकड़ अपनी गोद में ऊपर उठाया और फिर धम्म से एक भारी भरकम -गुदगुदे बेड पर सुला दिया। फिर उसे करवट किया और उसकी गांड से चिपक उसकी चूत में अंगुली करने लगा। मॉम ने कहा– ‘बेटा, तू बहन के आगे आ, उसकी जांघों को खींच के चौड़ा कर, और फिर बहन की फुद्दी की झिल्लियों को विपरीत दिशा में खींच । मैंने वही किया, और फिर बहन की चूत में मुंह मार दिया। दोनों हाथों के दो अंगूठे फंसा कर मैंने बहन की चूत चौड़ी की। आहा! क्या मज़ा था। गीली-गीली चूत में मॉम ने भी अंगुलियाँ धँसाई । फिर मेरा टन्नाया हुआ लंड बहन की भोसड़ी में भक से घुस गया। यूं थोड़ा-थोड़ा करके मैंने उसे तीन घंटे चोदा। यह सब मेरी मॉम की पहल पर हुआ, हालांकि मैं देर-सबेर खुद ही उसे चोदने वाला था।
No comments:
Post a Comment