Wednesday, June 18, 2014


बात कुछ साल पहले की है जब मैं एक आश्रम जा रहा था. अकसर लोगो के दिमाग में आश्रम को लेकर कई दुर्विचार होते है जैसे वो मौजमस्ती का अड्डा होता है परन्तु ऐसा कुछ भी नही है, आश्रम एक पवित्र और मन को शान्ति देने वाली जगह होती है.

मेरी नई नई शादी हुई थी. मेरी पत्नी का नाम रीना था. रीना की उम्र २२ के करीब, पतली दुबली, रंग गोरा, गोल चेहरा, गुलाबी होंठ, लम्बे बाल, स्तन न तो ज्यादा बडे न ही ज्यादा छोटे, पतली कमर, सामान्य कद की आकर्षक व्यक्तित्व की मालिक थी. मेरी शादी घर वालो की मर्जी से हुई थी. शादी से पहले मैने रीना को कभी नही देखा था, शादी वाले दिन ही पहली बार रीना को देख कर अपनी किस्मत पर फक्र हो रहा था. सुहागरात के रात काम की वजह से कमरे में जाने मे देर हो गया और मैने रीना से बात की और ये निर्णय लिया की सुहागरात हम अपने हनीमून मे ही मनाऐंगे. दो दिन के कार्यक्रम के बाद हम हनीमून के लिए निकल गये. वैसे हनीमून ५ दिन बाद का था पर मैने सोचा की ३ दिन आश्रम मे रुक जायेंगे.

पुणे स्थित आश्रम पहुंचे तो पता चला कि वहां बहुत भीड़ चल रही थी. न होटल मिल रहा था न आश्रम में जगह थी. बुरे फसे की स्थिति थी, तभी किसी ने पिछे से आवाज लगाई. मैने पिछे मुड़ कर देखा, आर्यन था. आर्यन एक ३६ वर्ष का सन्यासी था और इस आश्रम मे मेरे खास परिचित मे से था, हमारे विचार काफी हद तक मिलते थे तो अच्छी दोस्ती थी. पहले जब आश्रम आता था तो अक्सर आर्यन के पास ही रुक जाता था. आश्रम के बाहर उसका एक कमरा था जिसमे अक्सर लोगो को ठहरा लेता था, इससे कुछ आमदनी हो जाती थी उसकी.

मेरे साथ रीना को देख कर उसने मुझे घुर कर देखा. मैने मुस्कुरा कर बताया कि मेरी पत्नी है तो मुझे काफी खरी खोटी सुनाई, ये पुछा कि शादी मे क्यो नही बुलाया आदि आदि. गुस्सा कम शिकायत ज्यादा थी, मैने प्यार से माफी मांगी तो मुस्कुराने लगा. फिर उसने आने का कारण पुछा तो मैने बताया कि हनीमून पर जाना था पर सोचा की रीना को कुछ दिन आश्रम घुमा कर जाऊं.

आर्यन ने मुझ से कहा कि होटल या कुछ भी मिलना मुश्किल है, मै खुद भी ये जानता था तो उसने ये सुझाव दिया कि उसके घर पर रुक जाऊं. वैसे अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ एक मर्द के यहां रुकना ठीक तो नही लग रहा था पर हालात के हिसाब से मजबूरी थी. हम आर्यन के साथ उसके घर चल दियेम घर कुछ ज्यादा दुरी पर था पर सन्यासियों के लिये तो इतना चलना रो़ज़ की बात थी. लगभग १० मिनट मे हम उसके घर पहुंचे.

घर पुरा मेस था, सिर्फ मर्द रहेगे तो वैसे भी बेतर्तीब तो रहता है. एक रस्सी से कपडे़ सूख रहे थे पर कुछ कपडे़ आर्यन के नही लग रहे थे. मैने आर्यन से पुछा तो उसने बताया की गांव से उसका भतीजा अजय आया हुआ है. अजय १७ साल का लड़का था, हिष्ट पुश्ट, लम्बा. मै उस्से एक दो बार मिल चुका था और मुझे उसका नेचर बहुत अच्छा लगा था तो मैने कुछ नही कहा इस बारे में. थोडा़ अजीब लग रहा था कि हम दोनो दो मर्दो के साथ एक ही कमरे के घर में तीन दिन रहेंगे.

आर्यन ने सुझाव दिया कि हम लोग नहा कर नाश्ता कर ले, वो २ बजे तक आश्रम से वापस आयेगा, तब तक अजय भी आ जायेगा. मैने सहमति दे दी और वो चला गया. मैने पहले खुद नहाया फिर रीना को नहाने के लिये बोला. रीना ने कपडे़ बदले और नहाने को चली, रीना ने नाईटी पहन रखी थी. जब पानी की आवाज आने लगी तो मैने जा कर दरवाजे का मुआएना किया. लकडी़ के दरवाजे मे ऊपर की तरफ एक झीर्री थी. मैने अंदर देखा तो रीना बिना कपडो़ के बदन पर साबुन लगा रही थी. पुरा बाथरूम साफ दिख रहा था. मैने निर्णय लिया कि जब आर्यन या अजय घर पर होंगे तब हम नही नहाएंगे. होने के लिए दोनो सन्यासी है पर कोई रिस्क नही लेना चाहिए. नहाने के बाद रीना नाईटी पहन कर बाहर आ गई. उसके निप्पल नाईटी पर साफ झलक रहे थे. मैने उससे पुछा कि वो ब्रा नही पहनी है क्या? उसने शरमाते हुए बताया कि वो जब साडी़ पहनेगी तब ब्रा पहन लेगी. मैने कुछ नही कहा बस मुस्कुरा दिया.

नहाने के बाद मैने खाने के बारे मे पुछा तो उसने सहमति जताई. मैने उसे बताया कि खाना लेने कुछ दूर जाना पडे़गा और क्या वो अकेले रह लेगी. वैसे तो वो इतनी हिम्मत वाली नही थी फिर भी उसने बडे़ आराम से कहा कि वो रह लेगी. मैने उसे बताया कि मुझे ३० मिनट लग जायेंगे. उसे दरवाजा अंदर से बंद करने को कह कर मै खाना लेने निकल पडा़. आस पास की दुकाने बंद थी तो वापस आते आते ४० मिनट हो गये.

जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा तो अंदर से किसी मर्द की आवाज सुनाई दे रही थी. मैने सोचा की इस वक्त अंदर कौन हो सकता है इसलिए दरवाजे के एक झिर्री से अंदर झांक कर देखा. अंदर अजय था और वो रीना से बात कर रहा था,उसने रीना को बताया कि आश्रम मे कुछ जरूरी काम है इसलिए वो जल्दी आ गया, बस नहा कर निकल जायेगा. फिर वो मेरे बारे में पुछने लगा, रीना ने उसे बताया की मै खाना लेने गया हूं. इतनी बात के बाद वो अंदर घुस गया और मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी. आटो वाला था, हड़बडी़ मे उसको किराया देना भूल गया था. मैने उसको किराया दिया और दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढा़या तो फिर अजय की आवाज सुनाई दी. वो रीना को आवाज लगा रहा था कि वो टावेल ले जाना भूल गया है और वो उसे टावेल दे दे. उत्सुक्तावश मैने झिर्री से अंदर झांक कर देखा तो रीना टावेल लिये बाथरूम के गेट पर खडी़ थी उसने अजय को आवाज लगाई कि वो टावेल ले ले.

अचानक अजय ने बाथरूम का पूरा दरवाजा खोल दिया, वो एक दम नंगा खडा़ था. मैं और रीना दोनो भौचक्के रह गये. अजय ने टावेल के साथ रीना का हाथ पकड़ कर रीना को बाथरूम के अंदर खींच लिया. ये सब इतना अचानक हुआ कि कुछ रिस्पांस करने का समय ही नही मिला. मुझे लगा की २ मिनट मे रीना चिल्लाते हुए बाहर आ जायेगी पर वो काफी देर बाहर नही आई तो मुझे डर सताने लगा. मैने दरवाजे पर दस्तक दी, कोई आवाज नही आई तो मैने फिर दस्तक दी. इस बार अजय ने पुछा की कौन है. मैने अपना नाम लेकर बताया और दरवाजा खोलने को कहा. उसने कहा दो मिनट तो मैने फिर झिर्री से झांका. अजय ने दरवाजा खोला और रीना की नाईटी लेकर बाहर निकला और एक तरफ मुड़ गया. दरवाजा पुरा खुला हुआ था और रीना बिना कपडो़ के एक कोने में उकडु़ बैठी थी. उसने अपने स्तन अपने जाघो मे छुपा रखा था. थोडी़ देर में अजय दिखा वो नाईटी सुखा रहा था और रीना की साडी़ ब्लाऊज लेकर बाथरूम मे चला गया. फिर उसने जल्दी जल्दी बदन पर साबुन लगाया और टावेल लपेट कर बाथरूम से निकला, निकलते हुए उसने बाथरूम का दरवाजा टिका दिया. कुछ रुक कर उसने दरवाजा खोला. मै अंदर गया और बिस्तर पर बैठ गया. मैने रीना के बारे मे पुछा तो उसने बताया की क्योकि मुझे देर हो रही थी इसलिए वो घबरा गई थी और मुझे बाहर धुंधने गई है. मै जानता था कि वो झुठ बोल रहा था पर क्या करूं कुछ समझ नही आ रहा था. अजय ने मुझसे कहा कि मै बैठ कर रीना का इंतजार करू और वो नहा कर आ रहा है. मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बाथरूम मे घुस चुका था और बाथरूम का दरवाजा बंद कर चुका था.

मै अपने होशोहवास खो चुका था, मेरी नई नवेली दुल्हन बिना कपडो़ के अपने से काफी कम उमर के लड़के के साथ बाथरूम मे बंद थी और ये जानते हुए कि मै कमरे मे हूं चिल्ला नही रही थी. शायद एक लड़के के साथ इस स्थिति मे पकडे़ जाने का डर और शर्म ने उसे चुप रहने पर मजबूर कर दिया था,या शायद अजय ने डराया धमकाया होगा.

मैं बहुत उत्सुक था ये जानने के लिए कि अंदर हो क्या रहा है. इसलिए दबे पांव मै बाथरूम के दरवाजे तक गया और झिर्री से अंदर झांक कर देखने लगा. अजय ने रीना को बाजू से पकड़ कर उठाया और चुप रहने का इशारा किया. रीना की नजरे निचे कि ओर थी और वो धीरे धीरे खडी़ हो गई. रीना का पुरा बदन थर थर कांप रहा था और पुरे बदन पर पसीना आ रहा था. अजय ने उसे दीवार से सटाया और उसके ऊपर ढह, उसका सीना रीना के स्तनो को दबा रहा था. उसने रीना की पीठ पर हाथ ले जाकर उसे बांहो मे जकडा़ और उसके गालो को चुमने लगा. रीना उससे बचने के लिए अपना सर इधर उधर करने लगी पर नाकाम रही. कुछ देर के बाद उसने रीना के होंठो को चुमने की कोशिश करने लगा. रीना आवाज तो नहीं कर रही थी पर अपना सर इधर उधर कर रही थी जिसके कारण वो उसके होंठो को चुम नही पा रहा था. उसने एक हाथ से रीना का चेहरा पकडा़ और उसके होंठो से अपने होंठ चिपका दिये. पुरी तन्मयता से वो रीना के होंठो का स्वाद लेने लगा. क्योकि रीना दरवाजे से ९० अंश के कोण पर खडी़ थी इसलिए रीना का बांया और अजय का दांया तरफ झिर्री की तरफ था. मैं अंदर से जल रहा था, जलन, गुस्सा, चिढ़, दुख और कुछ न कर पाने की मजबूरी मुझे अंदर से अजीब सा एहसास दे रही थी. दिमाग में यही चल रहा था कि कैसे अपनी पत्नी कि कौमार्य कि रक्षा करूं. मैने दरवाजा खटखटा कर कहा "अजय, जल्दी बाहर निकलो, मुझे भी अन्दर जाना है!" अजय ने रीना के होंठो को छोडा़ और गालो को चुम कर कहा, "पांच मिनट मेरे भाई, मुझे बस पांच मिनट लगेगा." अब पांच मिनट कुछ बोल ही नही सकता था. अजय ने रीना के होंठो को छोड़ कर थोडा़ नीचे झुका, और रीना के निप्पल को चुसने लगा. बीच बीच में वो रीना के स्तनो को मसल भी रहा था. २-३ मिनट तक रीना के स्तनो को मसलने के बाद वो खडा़ हुआ तो रीना ने हाथ जोड़ कर उसे कहा, "प्लीज, मुझे छोड़ दो, मुझे बरबाद मत करो." वैसे रीना ने इतने धीरे कहा था कि आवाज सिर्फ अजय को सुनाई दे पर होंठो के हिलने के अंदाज से पता चल रहा था कि वो क्या बोल रही है. अजय ने आंखे निकाल कर कहा, "साली कुतिया! मुंह बंद कर, वर्ना इतने बेरहमी से चोदुंगा कि चीखने लगोगी, तेरे मियां के पता चल जायेगा वो अलग, कुछ नहीं बोला तो ठीक वरना तेरे मियां को यही काट कर गाड़ दुंगा, और तेरे को तब तक अपनी रखेल बना कर रखुंगा जब तक तेरे जिस्म से मेरा दिल नही भर जाता, फिर तुझे किसी कोठे पर बेच दुंगा. इसलिए अपना मुंह बंद रख और ज्यादा नौटंकी मत कर." डर रीना के चेहरे पर साफ झलक रहा था, डर तो अजय के शब्दो से मुझे भी लग रहा था. अजय कसरती बदन का था, मुझसे उंचा भी था, मै किसी भी तरीके से उससे नही लड़ सकता था और अगर वो सच बोल रहा था ये सोच कर भी मेरी सांस रुकने लग रही थी. पर फिर भी रीना को किसी न किसी तरीके से बचाना ही था तो कोशिश तो करना ही था.

मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, "अजय पांच मिनट हो गये!" अजय ने फिर चिल्ला कर कहा, "पांच मिनट और भाई." मुझे फिर पांच मिनट के लिये खामोश होना पडा़. अजय ने हाथ फिराते हुए हाथ रीना के योनि तक ले गया और एक उंगली रीना कि योनि मे डाल दिया. रीना ने चुहंक कर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ विराम देने के बाद अजय ने फिर उंगली रीना कि योनि मे अंदर की तरफ घुसाया. रीना चुहंकी तो नही पर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ थोडा़ विराम दे कर अजय यही हरकत दुहराता रहा. रीना की शरीर में एंठन साफ दिख रहा था. लगभग तीन मिनट में रीना ने योनि रस छोड़ दिया. कुछ पल का विराम देने के बाद अजय ने रीना के सारे शरीर पर हाथ फेरा और उसे कंधो से दबा कर घुटनो के बल बैठा दिया. उसने अपना लिंग का छोर रीना के होंठो पर रख कर दबाव डाला. लिंग रीना के मुंह मे चला गया और रीना की सांसे रुकने लगी. उसका लिंग बहुत मोटा और लम्बा था. वो रीना को मुख मैथुन करने को कह रहा था पर रीना इससे अंजान थी तो उसने खुद ही लिंग अंदर बाहर करने लगा. अपने हाथो से उसने रीना के स्तन पकड़ रखे थे और वो उसे जोर जोर से मसल रहा था. मैने फिर से दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो जवाब देने कि स्थिति मे नही था. उसे बहुत मजा आ रहा था और ये चेहरे पर साफ झलक रहा था. मैने दो तीन बार और दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. कुछ ही देर में अजय ने रीना का सर बालो से पकड़ लिया और अचानक ही उसके शरीर की एंठन शांत हो गई. उसने अपने बीज रीना के मुंह मे ही छोड़ दिया था. उसके अलग हटते ही रीना ने सारा वीर्य एक तरफ उगल दिया.

मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, वो अपना लिंग सहलाने मे व्यस्त था. लिंग फिर से आकार लेने लगा. वो रीना के साथ जो कर चुका था वो तो कुछ नही था उसके सामने जो वो करने कि तैयारी कर रहा था. मैने इस बार जोर से कई बार दरवाजा खटखटाया. अजय ने एक झटके से दरवाजा खोला और गुर्राते हुए मेरा कॉलर पकड़ लिया. मुझे लगभग झंझोड़ते हुए कहने लगा, "सुनो मियां, मुझे और ३० मिनट या ज्यादा अंदर लग सकता है, क्योकि मै अपने हिसाब से नहाता हूं, कोई मुझे नहाते हुए डिस्टर्ब करता है तो मै उसका मुंह तोड़ देता हूं. तो अगर तुमको बाथरूम मे काम है तो गली के मोड़ पर सार्वजनिक शौचालय में चले जाओ. खबरदार जो मुझे डिस्टर्ब किया वरना बाहर आकर तुम्हारा मुंह तोड़ दुंगा. समझा!" मैने सहमति मे सर हिला दिया और उसने धर से दरवाजा बंद कर दिया. अब दरवाजा खटखटाने का तो प्रशन ही नही उठता था तो मैने झिर्री में आंख गडा़ दी.

अजय ने रीना के कंधे को दबाते हुए उसे ज़मीन पर चित लिटा दिया और उसकी टांगे चौडी़ कर दी. उसकी योनि द्वार से गुलाबी फांक साफ दिख रही थी. और गीलापन भी झलक रहा था. अजय रीना के ऊपर लेट गया और कुछ देर तक उसके होंठो और गले को चुमता रहा. फिर उसने अपने लिंग को उसके योनि पर रखा और रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट कर दिया. अगले ही पल मेरी दुख का बांध फूट गया, एक झटके से उसने अपना लिंग रीना के योनि मे प्रविष्ट कर दिया. रीना की आंखे कटोरो से बाहर आने लगी और वो अपना पैर फेंकने लगी. अगर रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट न किया होता तो रीना चीख पडी़ होती. रीना का कौमार्य भंग हो गया था. अजय कुछ देर तक स्थिर रहा जब तक रीना ने अपने हाथ पैर झटकने बंड नही किये. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया. जब रीना पुरी तरह से स्थिर हो गई तो उसने रीना के मुंह पर अपने हाथ हटा लिया. धीरे धीरे धक्के होने लगे. जब धक्के लगा कर थक जाता था तो थोडी़ देर रुक कर रीना के होंठ चुमता था और स्तनो को मसलता था. आराम करके फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर देता था. लगभग १५ मिनट बाद उसका शरीर एंठ गया और चेहरे के भाव से पता चल रहा था की वो अपना बीज अंदर ही छोड़ रहा था. फिर उसने अपना लिंग बाहर खींचा. लिंग वीर्य से और खून से सना हुआ था. थोडा़ अलग हट कर अजय नहाने लगा और रीना उकडू़ होकर बैठ गई उस नई चूत से खून और आर्यन के वीर्य का मिश्रण बूँद बूँद कर टपक रहा था .

तभी पिछे से दरवाजा खुलने कि आवाज आई तो मैं झट से बिस्तर पर बैठ गया. दरवाजे पर आर्यन था और वो अंदर आ गया. उसने रीना कि बारे में पुछा तो मैने कहा ही वो पास ही घुमने गई है. उसने बताया कि उसे वापस आश्रम जाना है और वो नहाने आया था. उसने अजय के बारे मे पुछा आउर बाथरूम की तरफ जाकर अजय को आवाज दी. फिर वो दोनो पंजाबी में बात करने लगे. दो मिनट मे आर्यन टावेल लपेट कर बाथरूम के सामने खडा़ था. मै उसे बाथरूम में घुसने से कैसे रोकुं यही सोच रहा था कि अजय गेट खोल कर बाहर आ गया. वो पुरी तरह तैयार था इसलिए सीधे बाहर चला गया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही आर्यन अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया.

मैं अपनी उत्सुक्ता दबा नही पाया और झिर्री से अंदर झांकने लगा. आर्यन ने जैसे ही पलट कर देखा तो रीना को बिना कपडो़ के उक्कडू़ बैठे पाया. उसने इशारे से उसे उठने को कहा और उसी दीवार से उसे टिका कर खडा़ कर दिया जिस दीवार से अजय ने रीना को टिका कर खडा़ किया था. हालाकि दोनो इतने धीरे बोल रहे थे कि बाहर आवाज़ न आये पर होंठो के हिलने से पता चल रहा था कि दोनो क्या बात कर रहे हैं!

आर्यन ने कहा, "अभी तो अजय बाहर निकला है, तुम क्या कर रही थी अजय से साथ अंदर?" रीना ने नजरे झुका कर कहा, "अजय ने मुझे जबरदस्ती अंदर खींच लिया था." आर्यन ने पुछा, "तुम्हारा पति कहा था उस टाईम?" रीना ने कहा, "वो बाहर गये थे खाना लेने, अजय नहाने आया था, नहाने के लिए अंदर घुसा और मुझसे टावेल मांगा, मै टावेल देने आई तो मुझे अंदर खींच लिया." आर्यन ने कहा, "बहुत कमीना है, है मेरा रिश्तेदार पर बहुत कमीना." आर्यन ने फिर पुछा, "तुम्हारे पति को पता है कि तुम अंदर हो?" रीना ने न मे सर हिलाया. आर्यन ने फिर पुछा, "क्या क्या किया अजय ने, सिर्फ ऊपर ऊपर मज़ा लिया या सब कुछ कर लिया?" रीना की नजरे झुकी हुई थी, वो थोडी़ देर रुक कर बोली, "सब कुछ कर लिया." आर्यन थोडी़ देर रुक कर बोला, "तुम चिल्लाई क्यो नही." रीना ने कहा, "उसने मुझे धमकी दी थी, मैं डर गई थी." आर्यन ने पुछा, "तुम्हे मालूम है कि तुम्हारा पति बाहर ही बैठा है." रीना ने सहमति में सर हिलाया. आर्यन ने आगे कहा, "अब जो हो गया सो हो गया, तुम अपने पति को कुछ मत बताना, मै उसे बाहर ले जाऊंगा और कह दुंगा कि तुम मेरे साथ आश्रम गई थी." रीना ने कहा, "आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने मेरी परेशानी आसान कर दी, पता नही मैं आपका कर्ज़ कैसे चुकाऊंगी." मेरे खुद के नजर मे आर्यन की इज्जत बढ़ गई थी पर अगले ही पल उतर भी गई. आर्यन ने अपने दोनो हाथो से रीना के दोनो स्तन थाम लिया और उन्हे सहलाने और मसलने लगा. उसने कहा, "एहसान का बदला तो अभी ही वसूल लुंगा, जो अजय करके निकला है मै भी वही कर लेता हूं." रीना कुछ कहना चाहती थी उससे पहले ही आर्यन ने कहा, "एक बार तो अजय सब कर चुका है, मै भी कर लुंगा तो तुम्हारा कुछ नही जाएगा." रीना ने उसे स्तनो से खेलने से रोका तो नही पर एक सवाल पुछा, "अभी तो आप अजय को गालियां दे रहे थे, आप भी तो वही कर रहे हैं." आर्यन ने रीना के होंठो को चुमा और मुस्कुरा कर कहा, "अजय तुम्हे मुसीबत में डाल कर गया है और मै तुम्हे मुसीबत से निकाल रहा हूं, इतना तो अंतर है ही. पर अगर तुम्हे परेशानी है तो चलो बाहर चलते है और मैं तुम्हारी तुम्हारे पति से आमना सामना करवा देता हूं." एक डर की लहर रीना के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी, उसने थोडा़ रुक कर कहा, "नही! मुझे कोई परेशानी नही है, आप कुछ भी कर सकते है, मुझे सब शर्ते मजूंर है, पर अजय तो कोई नहीं लगता उनका पर आप तो उनके दोस्त हैं आपको भी तो दिक्कत होगी अगर उनको पता चल जाए." आर्यन ने कहा, "मानता हूं अजय कमीना है, पर मैं भी कम नही हूं, अगर तेरे पति मुझसे उलझेगा तो मै भी वही करूंगा जो अजय कर सकता है. तुझे जी भर के नोचुंगा और फिर कोठे पर नुचवाने के लिए छोड़ दुंगा."

मैने चुप रहने में ही भलाई समझी, आर्यन जोर जोर से रीना के स्तनो को मसलने लगा. दर्द की लहर रीना के चेहरे पर दिख रही थी पर आवाज मुंह से नही निकल रहा था. संतुष्ट होने के बाद आर्यन रीना के निप्पल चुसने लगा, बारी बारी से एक एक निप्पल को आराम से चुसता रहा पर बीच बीच मे रीना के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो निप्पल को चबा भी रहा था. संतुष्ट होने के बाद उसने रीना के होंठो को चुमना शुरू किया और साथ ही रीना के योनि में भी उंगली डाल दी. जब भी आर्यन उंगली अंदर डालता था तो रीना थोडा़ उछल जाती थी. काफी देर बाद वो अलग हुआ और अपना टावेल उतार दिया. आर्यन का लिंग किसी भी तरीके से अजय से रत्ती भर भी कम नही था, बल्कि ज्यादा ही था.  आर्यन का लिंग देख कर रीना के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी. आर्यन ने रीना के टांगो को फैलाया और अपना लिंग रीना के योनि द्वार पर सटाया. रीना को समझ आ गया था कि क्या हो सकता है इसलिए उसने खुद अपने मुंह पर ढक्कन लगा लिया. उसने अपने हाथ से अपना मुंह बंद कर ली थी. आर्यन ने रीना के दोनो कंधो को पकडा़ और जोर से धक्का लगाया. पुरा लिंग अंदर समा गया, रीना के चेहरे पर दर्द की लहर दिख रही थी. वो चीखना भी चाहती थी पर मेरे बाहर होने के डर से उसने आवाज दबा ली. आर्यन ने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरु किया. लगभग ३ मिनट के बाद रीना उन धक्को से अभ्यस्त हुई और उसने अपने मुंह से अपना हाथ हटा लिया. आर्यन के धक्के इतने तीव्र थे कि ऐसा लग रहा था कि वो अपने बदन के भार से रीना को अपने और दीवार के बीच पीस देगा. धीरे धीरे धक्को का वेग तेज होता गया और एक समय पर आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया. उसने थोडे़ देर तक रीना के निप्पल और होंठो को चुसा और अलग हो गया. फिर दोनो साथ मे नहाए. मैं फौरन बिस्तर पर बैठ गया. आर्यन कपडे़ पहन कर बाहर आ गया. बाहर आते समय उसने बाथरूम का दरवाजा भीडा़ दिया.

आर्यन ने बडे़ भोलेपन से पुछा रीना के बारे में, मैने उसे बताया कि वो अभी तक नही आई है. उसने कहा कि अगर मुझे चिंता हो रही हो तो मैं रीना को धुंधने जा सकता हूं वो तब तक यही रूक जायेगा. मैं भी कोई फसाद नही करना चाहता था तो बाहर निकल गया. लगभग ३० मिनट के बाद वापस आया तो रीना आर्यन के साथ कमरे में बैठी थी. मैने उस से बस इतना ही कहा कि नये शहर में अकेले नही घुमने जाना चाहिए. आर्यन ने बीच मे पड़ कर कहा, "तुम व्यर्थ मे चिंता करते हो भाई, ये शहर आश्रम के लिए मशहूर है. इस शहर में कभी कुछ गलत नहीं हो सकता." मैने और बहस करने कि अपेक्षा चुप रहना ही उचित समझा. आर्यन के जाने के बाद रीना ने चुप चाप खाना खाया और सो गई.

मुझे पता था कि सुबह तक कोई ट्रेन नही थी तो सुबह तक रुकना मजबूरी थी, फिर भी अपने तरीके से होटल धुंधना शुरू किया पर नाकामयाब रहा. रात में ठीक आठ बजे आर्यन आ गया. उसने खाने के बारे में पुछा तो मैने बताया कि रीना के साथ बाहर खाने जाऊंगा. उसने अजय को फोन किया और कुछ देर पंजाबी में बात करने के बाद बताया कि अजय शायद रात में आश्रम में ही रुकेगा. उसने कहा कि अब तो जिंदगी भर मै रीना के साथ ही खाऊंगा एक दिन उसके साथ खा लु, वापसी में रीना के लिए ले आयेंगे. बहुत जिद करने के बाद मैने हा कह दिया और हम पास ही एक होटल में आ गये. एक कैबिन में बैठने के बाद आर्यन ने कहना शुरू किया, "सैम! मै जानता हूं कि रीना के साथ जो मैने और अजय ने किया वो तुम जानते हो, और मुझे उसका अफसोस भी नही है. अगर तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो, पर ट्रेन तो सुबह ही है. अभी निकल कर स्टेशन पर इंतिजार ही करोगे. और हमारा भी डर बढा़ दोगे, जिसमे हम कुछ उलटा सीधा कर सकते है. सुबह पुरे सत्कार के साथ जाओगे तो हमें बहुत खुशी होगी." मुझे तो उसकी बातो से बहुत डर लग रहा था तो मैने कोई जवाब नही दिया. उसने फिर पुछा कि अभी जाओगे या सुबह. मैने धीरे से कहा सुबह. उसने कहा की रात भर रुक रहे हो तो एक बात बता ही देता हूं. रात में ९ बजे के आसपास अजय आयेगा तो हम लोग फिर से एक बार रीना के साथ आन्नद लेगे. तुम बीच में मत पड़ना नही तो मुसीबत में आ जाओगे. हम बाथरूम के बजाए बिस्तर पर ही उसके साथ सब कुछ करेंगे. अगर तुम्हे अच्छा न लगे तो बाहर चले जाना. सुबह पुरे सत्कार के साथ तुम्हे विदा करेंगे. मुझे उसके बातो के विश्वास पर बहुत अचरज हो रहा था. वो एक पति के सामने ही ये कह रहा था कि वो और उसका रिश्तेदार आज रात में उसकी पत्नी को उसी के सामने भोगेंगे और या तो वो खडे़ होकर देखे या मुंह छुपा कर बाहर भाग जाये. पर मेरी स्थिति मे उसका पलडा़ भारी था, मैने कुछ जवाब नही दिया. वो मुस्कुराया और खाने के बारे में पुछने लगा तो मैने कह दिया कि मुझे खाने का मन नही है. उसने कहा कि वो समझ सकता है तो उसने रीना के लिए कुछ बंधवाया और हम वापस चले आये. रीना को खाने के लिये दिया तो उसने भी बेमन से थोडा़ ही खाया और बाथरूम जा कर मैक्सी पहन कर आ गई. आर्यन ने लुंगी पहन ली और मैने भी कपडे़ बदल लिये. रीना निचे ही लेट गई और सोने कि कोशिश करने लगी.

कुछ ही देर मे अजय आ गया और उसने आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की. उसके बाद उसने रीना को आवाज लगा और उठने को कहा. रीना उठ कर बैठ गई. उसने रीना को खडे़ होकर पास आने को कहा. रीना मुझे देखने लगी पर मैं कोई प्रतिक्रिया नही कर सका. उसने रीना की तरफ देखा और पास आ कर उसे हाथ से खींच कर उठाया और अपने पास खडा़ कर लिया. रीना बार बार मुझे ही देख रही थी, अजय ने पुच्कारते हुए कहा, "रीना, बाथरूम जाओ और सारे कपडे़ उतार कर आ जाओ."  उसने एक झटके से अजय को देखा फिर मुझे देखा. अजय ने आगे कहा, "उसे क्या देख रही हो, हमारे आश्रम का नियम है कि चीजो को मिल बांट कर भोगते है, तुम्हारे पति भी आश्रम के सदस्य है तो तुम्हे भी मिल बांट कर भोगेंगे. अब जल्दी जाओ." रीना ने फिर मुझे देखा तो मैने सर झुका लिया. वो चुपचाप बाथरूम में घुस गई, २ मिनट मे बाहर आई तो बिलकुल निर्वस्त्र थी. मैं चोर नजरो से उसे देख रहा था. अजय ने मुस्कुरा कर उस से बिस्तर पर चित लेटने को कहा. वो थोडा़ झिझकी फिर बिस्तर पर जाकर लेट गई. अजय और आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की और दोनो उसके अगल बगल जा कर लेट गये. दोनो ने उसके एक एक स्तनो को थाम लिया और निप्पल को चुसने लगे. एक एक हाथ रीना के जांघो के बीच रख कर बारी बारी से रीना के योनि मे ऊंगली घुसाते रहे. कुछ ही देर मे उन्होने रीना के दोनो स्तन थाम लिये और उसके निप्पल को चुसते हुए उसके स्तनो को मसलने लगे. रीना दर्द से कसमसाने लगी. कुछ देर मे पश्चात दोनो संतुष्ट हुए तो उठ कर दोनो ने कपडे़ उतार दिये. पहला नम्बर आर्यन का था. वो रीना के टांगो को फैला कर उस पर चढ़ गया और कुछ देर तक उसके होंठो को गाल को, गले को चुमता रहा. फिर उसने अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग इतना था की रीना की चीख निकल गई. आर्यन धीरे धीरे धक्के लगाने लगा, धीरे धीरे धक्को का वेग बढ़ने लगा और साथ ही रीना की कराहे भी और एक चरम पर पहुंचने के बाद आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया. आर्यन के उठते ही अजय रीना के टांगो के बीच आ गया और अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग तो बहुत था पर रीना सह गई. अजय धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. लगभग १५ मिनट के बाद अजय ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया.

इस बीच आर्यन अपने लिंग को सहला रहा था, अजय ने भी अपना लिंग सहलाना शुरू किया, कुछ ही देर मे लिंग फिर से तन गया था. मुझे समझ आ रहा था कि उनका एक और राऊंड का विचार था, उन्होने दराज से क्रीम निकाली और अपने अपने लिंग पर लगाने लगे. जब पुरी तरह से क्रीम से अपना लिंग भींगा चुके तो अजय ने रीना को टांगो से पकड़ कर बिस्तर के नीचे की तरफ खींचा, रीना कमर तक बिस्तर पर थी और रीना को उलटा लिटा दिया. उसकी टांगे निचे को झुल रही थी. इस से पहले कि मैं या रीना कुछ समझ पाते अजय ने अपना लिंग पीछे के छेद कर लगाया और रीना के स्तनो को अपने दोनो हाथ में कस कर भींच लिया. उसने एक झटके से अपना पूरा लिंग रीना के पीछे के छेद में अंदर तक घुसा दिया. रीना के मुंह से चीख निकल गई. चीख इतनी तेज थी कि मुझे खुद सिहरन होने लगी. अजय कुछ देर रूका रहा जब तक रीना पुरी तरह से शांत नही हो गई. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरी किया. हर एक धक्को पर रीना की सिसकी निकल रही थी. अजय बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता. लगभग २० मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. उसके हटते ही आर्यन ने वो जगह ले ली. उसने भी धीरे धीरे धक्के लगाना शुरी किया. अजय की तरह ही आर्यन भी बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता रहा. लगभग १५ मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. दोनो ने रीना के दोनो छेदो को गीले कपडे़ से पोछा और चित बिस्तर पर लिटा दिया. दोनो उसके अगल बगल लेट गये और अपना अपना चेहरा रीना के गले के पास रख लिया. अजय ने अपना एक हाथ रीना के पेट कर और आर्यन ने छाती पर रख लिया. दोनो ने अपनी एक एक टांगे रीना की टांगो पर चढा़ दी और बारी बारी से रीना के गाल, गले, और होंठो को चुमते रहे. बारी बारी से रीना के स्तनो को सहलाते और हलके हाथो से मसलते रहे. आर्यन ने मुझसे कहा, "सैम, तुम नीचे ही सो जाओ, हम भी सो रहे है." मैने रीना की तरफ देखा तो अजय ने कहा, "इसे हमारे बीच ही सोने दो, बहुत थक गई है, बिस्तर पर अच्छी नींद आयेगी." मैं बहस नही करना चाहता था इसलिए नीचे ही लेट गया.

रात मे आंख लग गई तो सुबह ही खुली, रीना और अजय बिस्तर पर नही थे सिर्फ आर्यन ही बिस्तर पर लेटा हुआ था. मुझे देख कर बोला, "अजय और रीना बाथरूम में नहा रहे है, इसके बाद मैं नहाऊंगा, उसके बाद तुम नहा लेना, अभी ट्रेन के लिए २ घंटे है. अजय तो नही जा पाऐगा पर मैं तुम दोनो को स्टेशन तक छोड़ दुंगा." मैंने कहा कुछ नही बस सर हीला दिया. आर्यन ने आंखे बंद कर ली तो मैं टहलते टहलते बाथरूम के गेट तक पहुंच गया. बाथरूम का गेट आधा खुला हुआ था तो मैने अंदर झांका. अंदर रीना और अजय बिना कपडो़ के खडे़ थे. दोनो के बदन भीगे हुए थे और रीना के बदन पर अजय साबुन लगा रहा था. जिस समय मैने अंदर झांका था वो रीना के स्तनो पर साबुन लगा रहा था. साबुन के बहाने वो रीना के स्तनो को कस के मसल रहा था. जब वो पुरी तरह से साबुन लगा चुका तो उसने खुद साबुन लगाया और फिर दोनो नहा लिये. अजय बाहर आने को हुआ फिर रुका और उसने रीना को ज़मीन पर लिटा दिया. वो खुद रीना पर लेट गया और उसकी योनि मे लिंग घुसा दिया और थोडी़ तेजी से धक्के लगाने लगा. १५ मिनट मे संतुष्ट होने के बाद खुद भी उठा और रीना को भी उठाया और एक बार फिर दोनो नहाये. नहाने के बाद अजय ने रीना के और खुद के बदन को पोछा और अपने कमर पर टावेल लपेट लिया. फिर रीना को गोद में उठा कर बाहर आ गया. मुझे बाथरूम के गेट पर खडा़ देख कर गुर्राते हुए बोला, "खा नही जाऊंगा तुम्हारी पत्नी को जो हर वक्त नजर रखे रहते हो!" आर्यन ने उसे डपटते हुए कहा, "क्या अजय? सैम ने तो अपने भाईचारे का सबूत दिया है, अपनी नई नवेली दुल्हन की नथ उतारने दिया है, और रात भर उसे भोगने भी दिया है. तुम फिर भी उस पर नाराज हुए जा रहे हो." अजय ने आर्यन से कहा, "चाचा भाईचारे में नही डर में, और मै क्या कम भाईचारे का सबूत दे रहा हूं, इसकी पत्नी मुझे इसके साथ जाने दे रहा हूं. वरना इसकी पत्नी तो मुझे इतनी पसन्द है कि मै इसे अपनी रखेल बना कर रख लेता, खुद भी इसकी जवानी का रस चुसता और अपने दोस्तो को भी इसकी जवानी चखाता." न आर्यन ने कुछ कहा न मैने कुछ कहा.

अजय रीना को गोद मे लेकर बैठ गया और आर्यन बाथरुम में घुस गया. नहा कर बाहर आया तो मुझे अंदर भेज दिया. मैं जल्दी जल्दी नहा कर बाहर आया दो देखा कि अजय तैयार होकर जा चुका था और रीना घुटनो के बल बैठी आर्यन के लिंग को चुस रही थी. साफ पता चल रहा था कि ये करने का रीना का बिल्कुल मन नही था और आर्यन उससे जबरदस्ती ये करवा रहा था. १० मिनट के बाद आर्यन रीना के मुंस में ही संखलित हो गया. रीना ने उसका वीर्य बाहर थूक दिया. उसके बाद आर्यन तैयार हो गया. मै भी तैयार हो गया पर आर्यन ने रीना को कपडे़ नही पहनने दिये. उसके बाद सबने बैठ कर नाश्ता किया. रीना बिना कपडो़ के ही बैठ कर नाश्ता की. फिर तैयार होने लगी.

उसके बाद हम तीनो स्टेशन पहुंचे. मैंने सामान ट्रेन में रखा और रीना को अंदर बैठा दिया. आर्यन ने मुझे प्लेटफार्म पर बुला लिया और बाते करने लगा. उसने कहा, "सैम, हम जानते है कि ये सब तुम्हारे लिए अच्छा अनुभव नहीं था, पर अजय तुम्हरी पत्नी को देख कर सैयम नही रख सका और न ही मैं. अब जो हुआ उसे भूल जाओ और अपनी जिंदगी जियो." मैने कोई जवाब नही दिया तो उसने आगे कहा, "अच्छा पहलु देखोगे तो रीना को यौन कला में निपुर्ण कर दिये है और उसका हर एक छेद खोल दिये है, तुम्हे किसी भी क्रिया में परेशानी नही होगी, अब रीना को सम्भोग का स्वाद लग गया है, उसे उपेक्षित मत कर देना, वरना अपने ही घर मे नौकरो के साथ रीना को बाथरूम में पाओगे." ट्रेन ने सिग्नल दिया तो मैं बिना कुछ बोले ही ट्रेन में चढ़ गया. हनीमून पर जाने के बजाय हम घर वापस आ गये. २ हफ्ते लगे इस झटके से उबरने में और उसके बाद ही मैने रीना के साथ पहली बार सम्भोग किया. फिर धीरे धीरे आश्रम की यादे धुंधली होती गई और हम अपनी जिंदगी में बस गये. 



त हूँ और कॉलेज में पढता हूँ. मेरे क्लास में एक नई प्रोफेसर आई थी उसका ट्रान्सफर किसी दुसरे शहरसे हुआ था उसकी उमर 33-34 साल थी उसके शादी के 5 साल हो गए थे पर उसको कोई बच्चानहीं हुआ था. उसका पति प्राइवेट नौकरी में था और वो अक्सर टूर पर रहता था. (कितना बेडलक था उसका, घर में फटके जैसे बीवी चूत फैला के सोती होंगी और वो होटलों में गांड अकेला सोता होगा) मेरी प्रो...फेसर सलमा का पति बाहर आफिस के काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था. सलमा को एक खाली मकान की जरुरत थी जिसे वो किराये पर लेना चाहती थी, कॉलेज ज्वाइन करने के बाद वो होटल में रहरही थी. हमारे पड़ोस में एकखाली मकान नया बना था जो काफ़ी अच्छा और हवादार था। जब मेम ने मुझसे पूछा तो मैने उस खाली मकान के बारे में और उस मकान का पताबता दिया. अगले दिन सलमा मेरे साथ घर आई और मकान देखने मेरी मां को साथ लेकर चली गई
मेरे घर के बाजू में मैंने मेडम को मकान किराये पे दिलवाया
मेडम को मकान काफ़ी अच्छा लगा और किराया भी काफ़ी ठीक -ठाक था, सो सलमा ने मकान मालिक को आने वाले महीने में शिफ्ट करुँगी कहा और एडवांस में किराया दे दिया. जून महीने की पहलीतारीख को सलमा अपने सामान के साथ आई और उस मकान में शिफ़्ट कर गई. मेडम का हमारे पड़ोस में आने के बाद हमारे यहाँ कुछ ज्यादा ही आना -जाना हो गया,धीरे-धीरे उसने मेरी मां से दोस्ती कर ली. एक दिन मेडम ने मेरी माँ को कहा कीमुझे कुछ सब्जेक्ट में ज्यादा पढ़ाई की जरुरत है और वो मुझे पढ़ा देगी और ट्यूशन फीस भी नहीं लेगी, बस मेरी मां को और क्या चहिये था. मेडम अब मुझे घर पर पढने आने के लिए बोल दिया और मैं जाने लगा, मैं वहां पढने वाला अकेला ही
पहले ही दिन ट्यूशन पढने मैं उसके घर गया तो देखा किउसने ढीली टॉप और जीन्स पहन रखा था, लग रहा था उसने टॉप के अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और टॉप का बटन भी खुला हुआ था. मेडम ने मुझे पढने के लिए दिया और मेरे सामने बैठ कभी-कभी वो अपनी चूचियां अपने हाथ ठीक करती रहती थी ,उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों जैसे बाहर आने के लिए मचल रही होमैं उसकी ये सब देख कर के मस्ती में भर जाता और मन में हो रहा था कि मैं सलमा की मस्त चूचियां दबा दूं और उसकी चूत में लंड दे दूँपर ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मेरा लंड तन कर मुसल की तरह सख्त हो गया था और मेरी पैंट से बाहर निकलने को मचल रहा था,पर मैं मैडम को कुछ कह नहींपा रहा था. कोई २ घंटे पढ़ाने के बाद मेडम ने मुझे कहा उदित तुम अपनी माँ से पूछ कर आ जाओ मैं सोच रही थी की तुम यहीं सो जाते तो अच्छा रहता. मैंने कहा ठीक है मैडम मैं माँ सेपूछ कर आता हु ,जब मैं चलने लगा तो मेडम ने कहा उदित तुम रहने दो यहीं रुको ,मैंही पूछ कर आती हूं.
तभी मैंने मेडम के चुंचे उनके टॉप के अंदर से देखे, मेरा मन बहुत सेक्सी हुआ था. मेडम ने देखा की मैं उनके चुंचे देख लिये हैं, वोह हंसी और बोली, घबरा मत उदित…मैं तेरी माँ को बोलके आती हूँ फिर खोल के देख लेना…ओह तो इसका मतलब मेडम ने इसीलिए यह सब नाटक रचा हुआ था
सलमा ने साडी पहना और मेरे यहाँ चली गई. काफी देर बाद वो मेरा पैजामा और शर्ट ले कर आ गई. मेरे घर से आते ही सलमा ने कहा- यार तेरी माँ तो कपडे दे ही नहीं रही थी वो बोल रही थी की उदित केवलपैजामा और बनियान में सोता है ,फिर भी मैं तेरी माँ से बोल कर तेरा पैजामा और शर्ट ले आई ताकि हमदोनो के बारे में किसी को कोई शकन हो. सलमा अपने कपडे खोलनेलगी उसने अपनी साडी और ब्लाउज को खोल लिया ,अब वो पेटीकोट और ब्रा में थी. पेटीकोट में उसकी भरी हुई चौड़ी गांड देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा , मैंने हिम्मत करके सलमा से बोला -मैडम जब मेरे सामने आप अपना कपडा खोलती हो तो लगता है मैं आपका ही पति हूँ.
तो सलमा मैडम ने कहा- तो तुम मुझे अपनी पत्नी की तरह समझ कर इस्तेमाल क्यों नहीं करते. फिर क्या था इतना सुनते ही मैंने सलमा मैडम की मस्त गोल-मटोल चुन्चियों को पीछे से ही पकड़ कर मसलने और दबाने लगा. इधर मेरा 8 इंच का मुसल लंड खड़ा हो करमैडम की चौड़ी भरी हुई गांड में पेटीकोट के उपर से ही घुसा जा रहा था. चुंचियां दबाते हुए मैंनेउसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया इससे सलमा सिसक उठी और बोली -और जोर से मसलो. मैं उसकी चुंचियां जोर-जोर से रगड़ने लगा और उसने अपनी मस्त भरी भड़कम गांड का पूरा दबाव मेरे खड़े लंड पर डाल दिया. मैं सलमा के ब्रा को उपर सडरका कर उसकी नंगी चुन्चियों को एक हाथ से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसके पेटीकोट को उठा कर उसके चूत पर ले गया, उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी और गीली भी.
मेरा लंड रह-रह कर उसकी गांड में घुस रहा था. मेडम अचानक मेरे से अलग हो गई औरपैजामा में हाथ डाल कर मेरे लंड को बाहर निकल लिया, लंड देखते ही बोल पड़ी- ये तो किसी गधे के लंड जैसा है मेरी छोटी सी चूत को तो फाड़ कर रख देगा. मैं बोला मैडम आप चिंता मत कीजिये मैं आपकी प्यारी सी चूत को आराम से चोदुंगा,मैडम मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखने लगी और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों से सहलाने लगी, सहलाते-सहलाते उसने अपने जीभ से मेरे लंड का सुपाड़ा चाटने लगी. कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह उसे चूसने लगी, लंड चूसते-चूसते वो मेरी तरफ भी आँख उठा कर देखती थी मैंतो आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था मन कर रहा था ये समय कभी खत्म ही न हो. वो काफी देर तक मेरा लंड चुसती रही और मैं सिसकियाँ लेता हुआ उसके मुंह में ही झड गया, वो सारा का सारा पानी पी गई औरलंड के उपर लगे बचे-कुचे वीर्य को चाट कर लंड साफ करदिया.
मेडम अपने बाकि बचे हुए कपडे पेटीकोट और ब्रा को खोल कर बिल्कुल नंगी हो गई और मेरे पैजामा को खींच कर मुझे भी नंगा कर कर दिया. उसकी नजर जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी वो हसने लगी मेरा लंड सिकुड़ कर आधा हो गया था. वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पर ले गई ,बेड पर वो खुद लेट गई और मुझे भी अपने बगल में सुला लिया और अपने निप्पल को मेरे मुंह में डाल कर बोली चुसो मेरी जान. मैं उसके चुन्चों को पकड़कर चूसने लगा वो मेरे जांघ पर अपना पैर चढ़ा कर मेरे गांड को पकड़ कर अपने दबा लिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत में सट रहा था. अब वो अपने हाथों से मेरा गांड और पीठ सहलाने लगी. कुछ देर बाद वो69 की पोजीशन में आकर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और अपनी चिकनी चूत को मेरे मुंह पर लगा दिया.
मैं उसकी चूत को फैला कर कुछ देर तक सूँघता रहा क्या मदमस्त सुगंध थी उसके चूत की और फिर उसके गुलाबी छेद को चूसने-चाटने लगा. उसके चूत से पानी बहने लगा और मेरा भी लंड अकड़ गया ,तभी सलमा अपने मुंह से मेरा लंड निकल कर चित हो कर लेट गई और मुझसे कहा -आओ जान अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत में डाल दो. मैंने अपना मुसल लंड उसकी गीली चूत पर रखा और कुछ देर चूत पर रगड़ने के बाद सीधा एक ही झटके मेंअंदर पेल दिया. लंड के अंदरजाते ही वो दर्द से बिलबिला उठी और चीख पड़ी. मैं थोड़ी देर रुक गया जब सलमा के चूत का दर्द कम हो गया तो धीरे-धीरे धक्का मार कर चोदने लगा. सलमा को अब चुदने में मज़ा आ रहा थावो अपनी भरी हुई गांड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी और सिसकियाँ लेते हुए बोल रही थी -उदित मजा आ रहा है जोर से चोदो प्लीज,और चोदो ,
मैं उसको चोद रहा था मुझे लग रहा था सलमा की चूत में मेरा लंड और मोटा हो गया हैहम दोनो पसीने में भींग गए थे और जोर-जोर से सिसकी भर रहे थे, मुझे तो लग रहा था ये रात कभी ख़त्म न हो और मैं जन्नत की शैर करता रहूँ. अब तक की चुदाई में वो 2 बार झड़ गई थी, तभी मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. कुछ देर लंडचुसाने के बाद मैंने उसको पलट कर घोड़ी बन जाने को कहा उसने वैसा ही किया. अब मैं उसके भारी चुतडों को हाथ से फैलाने को कहा, उसनेअपने दोनों हाथों से अपनी चूतडों को फैला लिया अब मुझे उसका चूत दिखाई दे रहा था मैंने सीधा उसके चूत में लंड गाड दिया और जोर -जोर से धक्का मार कर चोदने लगा. कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैं झड़ गया. मेरे झड़ते ही वो बेड पर लेट गई और मैं भी उसके उपर, उसकी चूत में लंड डाले ही लेट गया कुछ देर में मेरा लंड उसके चूत से सिकुड़ कर बाहर निकल गया और वो मेरे होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने


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नाम नीता है मेरे पति नवीन बहुत अच्छे और सुलझे हुए हैं। हम सेक्स का पूरा आनद लेते हैं, बात करते है और पर-पुरुष, पर-स्त्री की कल्पना भी करते हैं। मेरे पति को ऐसे ही सेक्स करना अच्छा लगता है और मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है !मेरे उम्र 29 साल है मेरे नवीन 32 के हैं। हमारी शादी को 9 साल हो गए हैं। वैसे तो हमें सेक्स में ठीक-ठाक मजा आता है पर हम लोग जब किसी पराये के साथ सेक्स करने की बात करते हुए सेक्स करते हैं तो मेरा मन बहुत ही चंचल हो जाता है और मुझे किसी दूसरे के साथ सेक्स करने का मन होने लगता है। वैसे मेरे पति का भी मन है कि मैं किसी और के साथ भी सेक्स का मजा लूँ। वो कहते हैं कि सबके लिंग का आकार अलग-अलग होता है और अलग-अलग लिंग का मजा अलग होता है।इनकी बुआ का लड़का मनोज जो अभी 25 साल का है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, हमारे यहाँ अकसर आता जाता रहता है क्योंकि बुआ का गाँव पास ही है और मनोज भैया अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनका कहना है- मनोज का लिंग बहुत अच्छा है और मेरे लिंग से बहुत बड़ा है। और देखने में सुंदर भी है। अगर तुम चाहो तो मैं बात करूँ मनोज से, या तुम खुद ही सेट कर लो अगर तुम चाहो तो ! सच ! चाहत तो मुझे भी हो गई है कि मैं भी कोई अलग लिंग लेकर देखूँ। नवीन ने मेरे मन में एक बात कूट-कूट कर भर दी है कि अलग लिंग का अलग मजा !मैं वही मजा लेना चाहती हूँ !खैर, एक दिन ऐसा ही हुआ कि मनोज हमारे यहाँ दो दिन के लिए आया। कोई परीक्षा देना था और उसका परीक्षा-केन्द्र यहीं था।बस क्या था, इन्होने भी दो दिन की छुट्टी ले ली। वैसे दोनों भाइयों के बीच में अच्छा प्रेम है। मनोज सवेरे-सवेरे आने वाला था, इन्होंने फोन लगाया तो वो बोला- भैया ग्यारह बजे तक पहुँच जाऊंगा, खाना साथ ही खाएँगे।मैंने खाना बनाया और इन्होंने परीक्षा के बाद घूमने का भी कार्यक्रम तय कर लिया, कहा- शाम को बाहर चलेंगे और रात का खाना बाहर ही खायेंगे!11.30 तक मनोज भैया आ गए। हमने सभी ने साथ ही खाना खाया, मैंने मनोज की पसंद का खाना बनाया था- खीर, आलू की मटर की सब्जी, रायता और काजू कतली ये बाहर से ले आये थे। दो बजे मनोज को पेपर देने जाना था, नवीन उसको परीक्षा-केन्द्र छोड़ कर आ गए।आने के बाद बहुत ही रोमांटिक मुद्रा में थे, साथ में कंडोम लेकर आये थे, मुझे दबा कर कहा- क्या मूड है जानू?मैंने कहा- जैसा आपका है, वही मेरा है !दिन में कभी-कभी ही तो मौका मिलता है, और ये शुरू हो गए, मुझे चूमने लगे।बस सेक्स शुरु होने के साथ ही हमारी बातें भी शुरू हो जाती हैं। ये बोले- आज क्या मन है जानू? आज तो मनोज आया है, आज अपनी इच्छा पूरी कर लो, बहुत मजा आएगा ! तुम कहो तो सारा कार्यक्रम मैं तय कर लेता हूँ, तुमको तो ज्यादा कुछ नहीं करना है।और हम ऐसे ही बात करते-करते सेक्स करने लगे। मैं कल्पना के गोते लगाने लगी और ये भी मेरे साथ सेक्स करते हुए मनोज का सा अहसास कराने लगे। हम लोग जल्दी ही निबट गए।शाम के पाँच बज गए थे, मनोज के आने का समय हो गया था। हम लोग नहा कर तरोताज़ा हुए।मनोज आया, हमने चाय पी और निकल लिए !मैंने पूछा- भैया, कैसा रहा तुम्हारा आज का पेपर?वो बोला- अच्छा रहा भाभी !और ऐसे ही बातें करने लगे। मेरी आँखों में शरारत थी !और ये भी बस रात का ही कार्यक्रम सेट करने की सोच में थे। खाना खाने के बाद हम घर आ गए।रात के आठ बज चुके थे, बाहर बहुत सर्दी थी तो चाय का एक दौर और होना था।अरे नीता ! चाय पी लेते हैं यार ! क्यों मनोज? क्या मन है ?अरे भैया ! बहुत मन है !मैं चाय बनाने के लिए उठी तो ये बोले- अरे रुको नीता ! मैं बना लेता हूँ !और चाय बनाने के लिए ये चले गए, शायद हमें मौका देने के लिए ! तो मैंने भी फालतू बात के साथ साथ पूछा- क्यों भैया, शादी का कब का मन है ? अब तो आपकी उम्र भी हो गई है ! कब कर रहे हो?वो बोला- अभी नहीं भाभी ! पहले मैं कुछ बन जाऊँ भैया की तरह, तो शादी की सोचूँगा !हम बात कर ही रहे थे, इतने में ये भी चाय चढ़ा कर बाहर आ गए, बीच में ही बोले- क्यों भाई? क्या मन नहीं होता है तुम्हारा?अरे होता तो है ! पर अब क्या करें भैया ! जैसा पहले चल रहा था वैसे ही अब भी काम चल रहा है !मैं नहीं समझी, मैंने कहा- क्या मतलब है तुम्हारा मनोज भैया?यह तो अब आपको भैया ही बताएँगे ! मैं नहीं बता सकता हूँ !अरे नहीं ! क्यों ? क्या बात है? बताओ ना? मैंने कहा- क्या कोई है तुम्हारी जिन्दगी में? मैंने कहा।अरे नहीं भाभी ! ऐसा कुछ नहीं है ! मैं अभी भी असली कुंवारा ही हूँ ! वैसे हमारी ऐसे बातें पहले भी होती रहती थी। मनोज इनके सबसे निकट रहा है बचपन से ही तो मेरे साथ भी जल्द ही घुलमिल गया था।ये चाय छानने के लिए चले गए तो मैंने जोर दिया- बोलो न मनोज, क्या बात है ? कैसे कम चल रहा है?वो बोला- फिर कभी बताऊंगा !कह कर बाथरूम चला गया और ये भी चाय लेकर आ गए। हमने चाय पी और ये बोले- यार चलो, अंदर आराम से लेट कर बात करते हैं !हम तीनों आराम से बैड्रूम में जाकर बिस्तर में लेट गए। ये बीच में, मनोज उधर मैं इधर ! हमने अपने ऊपर रजाई डाल ली। सर्दी कुछ ज्यादा ही थी।बात करते करते इन्होंने मेरे स्तन दबाने शुरू कर दिए, मुझे मजा आने लगा।यार मनोज ! क्या होता होगा तुम्हारा इस सर्दी में बिना सेक्स के ? ये बोले।अरे भैया, क्या बताऊँ? बहुत बुरा हाल है ! बहुत मन करता है ! आप तो बहुत किस्मत वाले हो जो आपको भाभी जैसे सुंदर पत्नी मिली ! भाभी के साथ सेक्स करके आपको बहुत मजा आता होगा न ?हाँ यार ! बहुत सुंदर है नीता ! और इसकी चूचियाँ ! बहुत अच्छी हैं, कितनी सख्त हैं आज भी !भैया, सच में?हाथ लगा कर देखना है क्या ? ये बोले।अरे ऐसा है तो मजा आ जायेगा ! मनोज बोला।और मनोज का हाथ पकड़ कर इन्होने मेरे वक्ष पर रख दिया। मैंने कहा- अरे ! यह क्या कर रहे हैं आप दोनों ?अरे कुछ नहीं भाभी ! थोड़ा सा देख रहा था !ये भी बोले- बेचारे को हाथ लगा लेने दो ! क्या फर्क पड़ता है तुम्हें?मनोज हाथ लगाने के बहाने दबाने लगा।जब पति ही अपनी पत्नी को चुदवाना चाहे तो कोई पराया मर्द छोड़ेगा क्या !ये बोले- मैं बाथरूम होकर आता हूँ ! जब तक तुम लोग बातें करो !मनोज और मैं अकेले कमरे में, मनोज के हाथ में मेरी चूचियाँ ! वो आराम से दबा रहा था।अब वो मेरे पास आ गया और बोला- भाभी, कैसा लग रहा है? मुझे तो बहुत मजा आ रहा है भाभी !और वो जोर-जोर से दबाने लगा। मनोज मेरे पास आकर मुझसे सट गया और उसका लिंग मुझसे छू गया तो मुझे अहसास हुआ कि वाकई मनोज का तो काफ़ी बड़ा है।मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने हाथ लगा ही लिया- अरे वाह मनोज ! तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ! मैंने कहा।हाँ भाभी, भैया का छोटा है, मुझे पता है !तुमको कैसे पता?अरे भाभी, तुमको भैया ने नहीं बताया क्या ? जब कभी हम दोनों साथ होते थे तो ऐसे ही एक दूसरे का हाथ में लेकर हिला कर मन को शांत करते थे ! और आज भी जब भी मौका मिलता है तो हम ऐसा ही करते हैं ! मजा आता है !तो आज भी ऐसा ही करोगे क्या? मैंने कहा।मनोज बोला- नहीं भाभी, आज नहीं ! आज तो तुम्हारे साथ !और बस उसने मेरे योनि पर हाथ रखा, तब तक मैं गीली हो चुकी थी।ये भी आ गये- क्या चल रहा है?मनोज बोला- भाभी का ख्याल रख रहा था भैया !अच्छा ठीक है ! अब तो बस करो ! मैं आ गया हूँ, मैं रख लूंगा ख्याल !मनोज को ऐसे ही चिड़ाने के लिए ये बोले।नहीं, अब नहीं रुका जाता है ! भाभी की खूबसूरती के सामने तो मैं ऐसे ही हो जाऊंगा ! और फिर भाभी मना कर दे तो फिर ठीक है !अरे नहीं-नहीं ! मनोज, मैं तो मजाक कर रहा था। चलो थोड़ा उधर सरको, मैं भी आता हूँ ! मजा दोगुना हो जायेगा !और दोनों ने मिल कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगे हो गए।मैंने मनोज का देखा तो नवीन बोले- मैंने कहा था ना कि मनोज का बहुत बड़ा है ! देखो मेरे भाई का लिंग आज तुमको मजा देगा !मैंने कहा- हाँ, वाकई तुम्हारे भाई का बहुत बड़ा है !और हम खुले सेक्स के लिए तैयार थे।मनोज ने कहा- भाभी, आप मुँह में ले लोगी क्या ?मैंने कहा- क्यों नहीं मनोज ! तुम्हारा इतना सुंदर लिंग मैं मुँह में ना लूँ? ऐसा हो सकता है क्या?मैंने मनोज का लौड़ा मुँह में लिया ही था कि इतने में इन्होंने मेरी योनि में अपना लण्ड पिरो दिया।मुझे दोनों तरफ से मजा रहा था।मनोज बोला- भैया, अब आप ऊपर आ जायें ! मैं थोड़ा देखूँ कि चूत में डालने का क्या मज़ा होता है ! पहली बार चूत में डालूँगा ना !अरे क्यों नहीं भाई ! आओ, तुम्हारे लिए तो यह बहुत प्यासी है ! मेरे छोटे से लिंग को यह बहुत मजेदार समझती है। मैं भी इसको बताना चाहता था कि इस दुनिया में अलग-अलग लिंग का मजा क्या होता है !आओ और इसको मजा दो !इतना कहना था कि मनोज नीचे आया और एक ही बार में मेरी चूत को फाड़ते हुए अपना लिंग अंदर डालने लगा।मेरे मुँह से आवाज निकल गई- आह ! मैं मर गई ! अरे मनोज, धीरे ! बहुत दर्द हो रहा है !ये बोले- तब ही तो मजा आएगा !थोड़ी देर में मजा आने लगा। मनोज जोर-जोर से करने लगा, मैं झड़ गई पर वो अभी तक अपने वार कर रहा था।अब इन्होंने कहा- रुको मनोज ! कंडोम लगा लो यार !मनोज ने कंडोम लगाया और फिर शुरू हो गया।वो भी थोड़ी देर बाद झड़ गया। मैं भी उसके साथ एक बार और झड़ गई।अब ये आ गये- क्यों जानू? कैसा लगा मेरे भाई के साथ सेक्स ?मैंने कहा- मजा आ गया ! पर अब तुम्हारा छोटा पड़ेगा !मैंने ऐसे ही मजाक में कहा था।ये बोले- अरे कोई बात नहीं ! मनोज आता रहेगा ना तुमको मजा देने के लिए!तुम चिंता मत करो ! क्यों मनोज? आओगे या नहीं अपनी भाभी के लिए?अरे भैया ! यह आप क्या कह रहे हैं ! आप कहें तो मैं भाभी के अंदर से कभी बाहर ही ना निकालूँ ! मुझे आज जन्नत मिल गई है भाभी जैसी औरत पाकर ! मैं कभी शादी भी ना करूँ अगर भाभी मेरे साथ सेक्स करें और आप करने दो तो !अरे क्यों नहीं मनोज ! आज से यह हम दोनों की है ! तुम जब चाहो, तब कर सकते हो ! मेरे तरफ से तुम आज़ाद हो ! क्यों नीता ? तुम मना करोगी क्या मनोज को?अरे नहीं ! कभी नहीं ! मुझे बहुत मजा आया।और इन्होंने भी झटके देना चालू कर दिए। मुझे तो इनके लिंग का अहसास ही नहीं हो रहा था मनोज का लिंग लेने के बाद।पर मैं फिर से झड़ने वाली थी और वो भी मेरे साथ ही झड गए !आज मेरे पति ने मुझे दूसरे लिंग का अहसास कराया।अब मुझे और लिंग देखने का मन होने लगा, मैंने कहा एक दिन अपने पति से- क्यों, और दूसरे लिंग और तरह के होते हैं?ये बोले- तुमको और लिंग देखना है क्या ?मैंने कहा- हाँ !ये बोले- तो ठीक है ! मैं तुम्हारे लिए नए लिंग की कोशिश करता हूँ पर फिर मनोज और मेरा क्या होगा?अरे आपको और मनोज को मैं हमेशा ही खुश करुँगी पर कोई नया लिंग देखने का मन है, अगर आप दिखाना चाहो तो !वो बोले- जानू क्यों नहीं ! मेरे साथ एक है जो बाबू का काम करता है ! और बहुत सेक्सी है 

बड़ी  नसीबवालियों को मिलता है जो मुझे अपनी सुहागरात  में मिला . 

मैं तो गोवा गयी थी अपने हसबैंड स्टीफेन के साथ हनीमून मनाने ? मुझे क्या मालूम था की उसी रात को मुझे विदेशी लण्ड भी मिल जायेंगे ? मेरे हसबैंड को क्या मालूम था की उसे विदेशी चूत मिल जाएगी . मुझे विदेशी मर्दों से चुदवाने में इतना मज़ा आ रहा था की मैं सोचने लगी की काश, आज की रात और लम्बी हो जाये ? 

मेरा हसबैंड तो विदेशी बीवियां चोदने में इतना मस्त हो गया की उसे दुनिया में किसी और की खबर ही न थी . मैं तो गयी थी एक लण्ड से चुदवाने और मिल गए मुझे कई लण्ड ?  वो भी बड़े मस्त मलंग लण्ड जिसकी मैंने कभी कल्पना भी न की थी . ओ' माई गाड ? मैं एक दिन क्या पूरे हफ्ते उन मर्दों के लण्ड का मज़ा लेती रही ?

>>>> मेरा नाम है लिंडा . मैं 26 साल की एक दुल्हन हूँ जिसकी की शादी  स्टीफेन के साथ हुई है . मैं अपने हसबैंड के साथ यहाँ गोवा में हनोमून मनाने आयी हूँ . मैंने सुना था की हनोमून के लिए गोवा से अच्छी जगह कोई और नहीं है . मैं सवेरे यहाँ पहुंची और होटल में चेक इन किया . दिन भर खूब घूमा और शाम को वापस आ गयी . हम दोनों थोडा थक चुके थे .इसलिए लिए थोडा आराम किया  . उसके बाद डिनर लिया और फिर रात में खूब सेक्सी बातें करते हुए चुदवाया . मुझे अपने हसबैंड का लण्ड पसंद आया और उसको मेरी चूत . उसने मुझे रात में तीन बार चोदा . सवेरे उठ  कर फिर एक बार चोदा ? वाह कितना मस्त लौड़ा है उसका ? मैं हर बार उसके लण्ड की तारीफ करती तो लण्ड सख्ती से खडा हो जाता .
दूसरी शाम को जब हम लोग वापस आये तो मेरी एक सहेली मिल गयी . उसका नाम है नीलू . वह भी अपने हसबैंड  नीरज के साथ हनीमून पर आयी थी .

मैनें कहा :- यार तेरी शादी तो पिछले साल हुई थी और तू इस साल हनीमून मना  रही है  ?
>>>> नीलू बोली :- अरे यार मैं यहाँ साल में दो बार आती हूँ हनीमून मनाने .
>>>> मैने पूंछा :- यार ऐसा क्या है हनोमून में ?
>>>> उसने कहा :- अरे तुम्हे नहीं मालूम क्या ? यहाँ तो लोग ग्रुप से मनाते है हनीमून . वह भी एक दूसरे की बीवियों के साथ ? यहाँ विदेशी कपल बहुत आते है . वे तो जरुर ग्रुप में मनाते  है
>>>> मैंने कहा :- यार ज़रा खुल कर बताओ ये सब कैसे होता है ?
>>>> उसने बताया :- यार यहाँ नीचे एक हाल में रात को 10 बजे के बाद सारे कपल आते है . वे पहले थोडा शराब पीते है और एक दूसरे की बीवियां चोदते है . बीवियां भी बड़े मजे से एक दूसरे के हसबैंड से चुदवाती है . यार देखो हम लोग अपने अपने घर में एक ही लण्ड से चुदवाते चुदवाते बोर हो जाते है . हर बार वही लण्ड ? और यहाँ देखो . जाने कितने तरह के है लण्ड ? मैं तो जम कर सब मर्दों के लण्ड का मज़ा लेती हूँ . सबसे बिंदास चुदवाती हूँ और सारे लण्ड चाट चाट कर खूब एन्जॉय करती हूँ . इसी तरह मेरा हसबैंड भी विदेशी बुर खूब चोदता है . मेरे सामने चोदता है . यार क्या मस्ती आती है चुदवाने में मैं कुछ कह नहीं सकती ? तुम एक बार अपने हसबैंड को लेकर आओ न प्लीज फिर देखो क्या मज़ा आता है ?
>>>>  मैंने कहा :- यार मैं चाहतीं तो हूँ पर पता नहीं मेरा हसबैंड कैसा सोचेगा ?
>>>>  नीलू बोली :- तो एक काम कर आज तू अभी कुछ देर बाद मेरे कमरे पर आ जा अपने हसबैंड के साथ . बाकि मैं देख लूंगी
>>>> नीलू मुझसे ज्यादा खूबसूरत है . उसकी चूंचियाँ मेरी चूंचियों से बड़ी है . उसकी सेक्सी मुस्कान बड़ी मशहूर है . मुझे लगा की वह मेरे हसबैंड को पटा लेगी . मैं आधे घंटे के बाद उसके कमरे में चली गयी . मैंने अपने हसबैंड से कहा ये है मेरी सहेली नीलू . इसकी शादी पिछले साल पहले हुई थी . और ये है इसका हसबैंड नीरज . मेरा हसबैंड नीलू को देखता रह गया . नीलू ने व्हिस्की निकाली और फिर हम चारों पीने लगे .
>>>> मेरा हसबैंड बोला :- नीलू भाभी आप अब हनीमून मनाने आयी है एक साल बाद ?
>>>> नीलू बोली :- हां यार यहाँ हनीमून मनाने का मज़ा कुछ और ही है . मुझे बार बार आने का मन होता है . स्टीफेन बोला :- ऐसा क्या है यहाँ भाभी ज़रा मुझे भी बताओ न प्लीज ?
>>>> नीलू बोली :- यहाँ ग्रुप में मनाया जाता है हनीमून ? सारे कपल एक साथ मनाते है हनीमून ?
>>>> स्टीफेन बोला :- क्या मतलब भाभी एक साथ कैसे मनाते है ? क्या सब एक दूसरे के सामने करते है .
>>>> नीलू बोली :- एक दूसरे के सामने ही नहीं बल्कि एक दूसरे के साथ करते है . देखो मैं खुल  कर बताती हूँ . यहाँ इस होटल में लोग अपने अपने कमरे में अपनी अपनी बीवी चोद कर मनाते है हनीमून और फिर नीचे एक बड़े हाल में सब मिल कर एक दूसरे की बीवी चोद कर मनाते है हनीमून .
>>>> स्टीफेन बोला :- अरे वाह क्या ऐसा होता है यहाँ ? मुझे तो मालूम ही नहीं था .
>>>> नीलू बोला :- तो अब मालूम हो गया न तुम्हे ? क्या अब तुम चलने को तैयार हो ?
>>>> स्टीफेन बोला :- तो क्या आप वहां जाती है भाभी ?
>>>> नीलू बोला :- हां बिलकुल मैं तो इसीलियें हर 6 महीने के बाद यहाँ अपने हसबैंड से साथ आती हूँ .  असली बात तो यह है की मुझे ग्रुप से पराये मर्दों से चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है और मेरे हसबैंड को परायी बीवियां चोदने में ?  इसलिए मैं हर 6 महीने में यहाँ आ जाती हूँ और मजे से चुदवा कर जाती हूँ .
>>>> स्टीफेन बोला :- तो क्या मैं भी चोद सकता हूँ परायी बीवियां, भाभी ?
>>>>  नीलू बोली :- हां अगर तेरी बीवी चाहे तो ?
>>>>  मेरे हसबैंड ने मेरी तरफ देखा तो मैंने सर हिलाकर हां कर दी .
>>>>  नीलू बोली :- देखो वहां जाओगे तो विदेशी बीवियां तेरा लौड़ा नोच लेंगी और तेरी बीवी की चूंचियाँ नोच लेंगे विदेशी लोग ? ऐसा करो की पहले थोडा एक्सपीरियंस कर लो . तुम मुझे यही अपनी बीवी के सामने चोदो और मेरा  हसबैंड तेरी बीवी लिंडा को तेरे सामने चोदे . तब तुम्हारी हिम्मत खुल जाएगी . फिर वहां तुम विदेशी बीवियां धकापेल चोद सकोगे .
>>>> ऐसा कह कर नीलू ने मेरे हसबैंड का लौड़ा पैंट के ऊपर से ही दबा कर बोली तो  अब खोलो इस मादर चोद लण्ड को . मैं भी देखूं की यह भोषडी वाला विदेशी बुर चोदने के काबिल है की नहीं ? मैं यह सुनकर मुस्करा पड़ी . मैं तो उसके लण्ड के बारे में जानती ही थी . मैं भी थोडा बेशरम हो गयी . मैंने भी नीरज का लौड़ा दबा कर कहा यार तुम भी दिखाओ  बहन चोद अपना लण्ड मुझे . मैं तो जाने कबसे उतावली हो रही हूँ तेरा लौड़ा पकड़ने के लिए . बस थोड़ी देर में मैंने  नीलू के हसबैंड का लौड़ा पकड़ा और उसने मेरे हसबैंड का लौड़ा . हम  दोनों नंगी भी हो गयी . वे दोनों एक दूसरे की बीवी की चूत सहलाने लगे . नीलू ने मेरे पति को बेड पर लिटा दिया और वह उसके ऊपर चढ़ बैठी . अपना बदन जोर जोर से उसके बदन से रगदने लगी . उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी . उसे मस्ती सवार हो गयी . वह चपर चपर चाटने लगी लण्ड . उसे देख कर मेरी भी मस्ती बढ़ गयी , मैं भी नीरज का लौड़ा चाटने लगी . उसके लण्ड में मुझे एक नया मज़ा मिला . नया स्वाद मिला नयी स्फूर्ति मिली . मैं तो बस लण्ड से खेलने लगी . लण्ड अपनी चुंचियों पर रगड़ने लगी . चूंचियों के बीच पेलने लगी लण्ड . नीरज का लौड़ा मुझे कुछ ज्यादा मोटा लग रहा था . उधर मेरी चूत गरम हो गयी . आग निकलने लगी मेरी बुर से . मैंने देर नहीं की और नीरज का लौड़ा गप्प अपनी चूत में घुसेड लिया और लगी दनादन्न चुदवाने ? नीरज तो बड़े मजे से चोद  रहा था . मैं समझ गयी इसे तो विदेशी बुर चोदने का अनुभव है . ये साला बहन चोद बहुत बढ़िया चोद लेता है . इसी तरह ग्रुप के लोग भी खूब अच्छी तरह चोदते होंगे . बस यही ख्याल मेरे दिमाग इ आया और तभी मैंने निश्चय कर लिया की मैं ग्रुप में जरुर जाऊंगी चुदवाने . मैंने अपने हसबैंड को देखा . वह भी खूब पटक पटक चोद रहा था नीलू की चूत . मुझे बड़ी ख़ुशी हुई की अब तो मेरे हसबैंड को भी खूब मज़ा आने लगा है . अब वह भी विदेशी बुर चोदने जरुर जायेगा और तब मेरा भी रास्ता साफ़ हो जायेगा . मैं तो तरह तरह के लण्ड की प्यासी हो गयी . इतने में नीरज मुझे पीछे से चोदने लगा और उधर नीलू मेरे हसबैंड के लण्ड पर बैठ कर चुदवाने लगी . हम दोनों बीवियां लण्ड की अदला  बदली करके बहुत खुश थी और हमारे मियां अपनी अपनी बीवियां अदल बदल कर ? बाद में जब मैंने नीलू को लन्ड का मुठ्ठ मारते हुए देखा तो मैं भी उसी तरह मुठ्ठ मारना सीख गयी . मैंने नीरा ला लौड़ा कास कर मुठ्ठी में पकड़ा और गचागच लगाना शुरू किया सडका . थोड़ी देर में वह झड गया मेरे मुह में मेरी चूंचियों पर . मैं उसका लौड़ा चाटने लगी और नीलू मेरे मियां  का लौड़ा चाटने लगी .
>>>> नीलू बोली :- हां यार लिंडा अब तुम विदेशी मर्दों से खूब चुदवा सकती हो . और तेरे मरद का लौड़ा विदेशी बुर खूब मजे से चोद सकता है . आज रात को हम दोनों कपल साथ चलेंगे चुदवाने . रात को 11 बजे नीलू मुझे वहां ले गयी .
>>>>  नीलू बोली :- देखो यार गेट पर ही सारे कपडे उतार कर रखना होगा और अन्दर एकदम नंगी होकर जाना होगा . यही तेरे मर्द को भी करना होगा . बस फटाफट हम चारों लोग नंगे हो गए . सबसे पहले नीलू घुसी उसके पीछे मैं और फिर वे दोनों ? मैंने जो वहां देखा बाप रे बाप मैं कह नहीं सकती . 14 / 15 कपल बिलकुल नंगे . सबकी चूंचियां उछल रही थी . गांड थिरक रही थी . चूत चुद रही थी . लण्ड खड़े खड़े हिनहिना रहे थे . कोई लण्ड चाट रही थी . कोई लन्ड पी रही थी . कोई लण्ड चूंची में घुसेड रही थी . कोई लन्ड अपनी गांड में पेल रही थी . कोई लण्ड का सडका लगा रही थी . कोई धकापेल चुदवाये चली जा रही थी . सबसे बड़ी बात यह थी की लण्ड और बुर की फटाफट हो रही थी अदला बदली . लण्ड एक बुर से निकल कर दूसरी बुर में घुस जाता . दूसरी से निकल कर तीसरी बुर में और फिर तीसरी से चौथी बुर में ? बीवियां भी कभी इसका लण्ड पेलती कभी उसका लण्ड . कभी इससे बुर चुदवाती कभी उससे ? कभी इससे गांड मरवाती कभी उससे ? बड़ा मज़ा आ रहा था . मेरे घुसते ही दो मर्दों ने मुझे पकड़ लिया . एक मेरी गांड सहलाने लगा और दूसरा मेरी चूंचियाँ . मैंने भी उन दोनों के लंड पकड़ लिया . बड़ी प्यारी प्यारी बातें सुनायी पड़ रही थी . ज़रा आप भी सुनिए :-
>>>>  हाय दईया कितना मोटा है बहन चोद तेरा लण्ड  =  दोनों पेल दो न मेरे भोषडा में = तेरी माँ की चूत साले गांड से जोर लगा के चोद = उसकी बहन की बुर = मैं तेरी माँ चोदूंगी भोषडी वाले = हाय पूरा लौड़ा पेलो न प्लीज़ ? = तेरे लण्ड की माँ का भोषडा ? साला लगता है की मेरी बुर आज ही फाड़ डालेगा =  हाय राजा मुझे रंडी की तरह चोदो = देख साले मेरा हसबैंड कैसे तेरी बीवी चोद रहा है तू भी मुझे उसी तरह चोद = हाय मियां तू भी अपनी बीवी चुदवाने आया है = हां यार तुम मेरी बीवी चोदो मैं तेरी बीवी चोद रहा हूँ = यार तेरी बीवी लौड़ा बहुत बढ़िया चाटती है  = यार तेरी बीवी की गांड बड़ी मस्त है = हां यार तेरे मियां का लौड़ा मुझे पसंद आ गया  = यार दो दो लण्ड पेलो मेरी बीवी की बुर में = अरे यार पहले तू मेरे मरद का लौड़ा तो देख  तेरी गांड फट जाएगी = अरे कोई पीछे से मारो मेरी गांड = वाओ, इतना लम्बा लौड़ा = तेरी चूत की बहन चोद छोटी छोटी झांटें बड़ी सेक्सी लग रही है =  अरे वो देख काला लौड़ा कितना मस्त लग रहा है आदि आदि .
>>>> उधर मेरे हसबैंड का लण्ड दो बीवियां एक साथ चाटने लगी .
>>>>  इतने में नीलू बोली :- लिंडा देख वो कोने में दो पठानी लण्ड . एक तू पकड़ और एक मैं पकडती हूँ . मुझे पठानी लण्ड बहुत अच्छे लगते है . उनके लण्ड बुर चोदने में माहिर होते है . मैं उसके साथ चली गयी . मैंने लन्ड पकड़ कर देखा तो  वाकई मज़ा आ गया . मैं सोचने लगी की अगर नीलू मुझे नहीं मिलती तो मैं इतना बढ़िया प्रोग्राम न देख पाती . बस ऐसा कह कर मैंने एक पठानी लण्ड पेल लिया अपनी चूत में . मैं तो चुदवाने में मस्त हो गयी . नीलू भी मेरे साथ दूसरे पठान से चुदवाने लगी . मेरे सामने मेरा हसबैंड एक गोरी मेम को चोदने लगा . अचानक मेरे कंधे पर किसी ने अपना लण्ड रख दिया . मैंने उसे पकड़ लिया और मुह में लिया मुझे गोरा गोरा विदेशी लण्ड बड़ा प्यारा लग रहा था . फिर मैंने भी शुरू किया लण्ड बदलना ? एक से बढ़कर एक लण्ड मुझे मिलाने लगा ? मैं मन ही मन सोचने लगी की क्या कभी किसी को अपने हनीमून में इतने लण्ड से चुदवाने का मौका मिला होगा ?
>>>> मेरी सुहागरात में चार चाँद नहीं दर्जनों चाँद लग गए . एक लण्ड से नहीं मुझे दर्जनों लण्ड से चुदवाने का मौका मिला . मेरे मियां को एक चूत नहीं दर्जनों चूत मिलीं चोदने को ?  मैंने रात भर जम कर  चुदवाया और जब तक  गोवा में रही तब तक  दिन रात देशी और विदेशियों से चुदवाती रही .

रूपा कविता

अंधेरे में एक साया एक घर के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया।

कमरे में कविता बिस्तर पर लेटी हुई कसमसा रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे अचानक लगा कि उसके घर में कोई कूदा है। वह दुविधा में रही, फिर उठ कर खिड़की के पास आ गई। उसे एक साया दिखा जो झाड़ियों के पास खड़ा था।

वो साया दबे पांव अन्दर की ओर बढ़ रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ था। वो तेजी से अन्दर आ गया और सीधे मौसी के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। कविता का दिल धक-धक करने लगा, पर उसे ताज्जुब हुआ कि वो मौसी के कमरे में ना जाकर ऊपर सीढ़ियों पर चला गया।

उसने अंधेरे में तुरंत अपना मोबाईल निकाला और अपनी पड़ोसन शमा आण्टी को फोन किया,"आण्टी, हमारे घर में कोई चोर घुस आया है।"

" क्या... क्या ... कहाँ है वो अभी ?"

"वो ऊपर गया है"

"रूपा कहाँ है...।"

"शायद सो रही है..."

"ओह्ह्... तुम सो जाओ वो चोर नहीं है ?"

"तो आण्टी ???" "वो दिल का चोर है... तुम्हारी आन्टी भी ऊपर ही है... सो जाओ !" शमा की खनकती हंसी सुनाई दी ।

कविता ने फोन बन्द कर दिया। ओह्ह्... तो यह बात है... यह मौसी का यार है !!! अरे ये वही तो नहीं है जो सवेरे चाय पी रहा था। इसका मतलब यह रात भर मौसी के साथ रहेगा।

मौसा अक्सर बिजनेस यात्रा पर चले जाते थे। "तो क्या मौसी ... छी ... छी ... ऐसा नहीं हो सकता। मैं ऊपर जाकर देखूँ? हाँ यह ठीक रहेगा।" कविता ने धीरे से दरवाजा खोला और नंगे पांव सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गई। मौसी के कमरे की लाईट जल रही थी। मतलब वो अभी तक सोई नहीं थी। वो चुपचाप सीढियाँ चढ़ गई। सारी खिड़कियाँ बन्द थी। पर हां खिड़की के पास एक पत्थर की बेन्च थी, उसके ऊपर ही एक खुला रोशनदान था। कविता बेन्च पर चढ़ गई। जैसे ही अन्दर झांका तो जैसे उसके दिल की धड़कन रुक गई।

वो लड़का वही था... उसका नाम आशू था। वो बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसका लण्ड लम्बा सा और मोटा सा था। उसका सीधा खड़ा और तन्नाया हुआ लण्ड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था। मौसी बस एक पेटीकोट में थी, उनका ब्लाऊज उतर चुका था। उनकी दोनों चूचियां खूबसूरत थी, गोल गोल, भूरे भूरे निपल, आशू ने मौसी को प्यार से चूम लिया और बदले में मौसी में उसके फ़डकते हुये लण्ड को अपनी मुठ्ठी की गिरफ़्त में ले लिया। उसे प्यार से सहलाते हुये उसके लण्ड अपना हाथ आगे पीछे चलाने लगी। कविता का दिल कांप उठा। धड़कन बढ़ गई। उसके मन में वासना जाग उठी।

"आशू, मस्त लण्ड के मजे कुछ ओर ही होते हैं... हैं ना...?"

"रूपा, और मस्त चूत भी कमाल की होती है... जैसे आपकी है !"

"कल तो तू बड़ा कविता की चूत मारने की बात कर रहा था...?" "वो तो नई चूत है ना ... अभी तक चुदी नहीं होगी... आप आदेश दे तो उसे भी सेट करें?" "अभी तो मेरी चूत कुलबुला रही है... चल अपना लौड़ा अब चूत में घुसा डाल... कविता को तो पटा ही लेंगे...

अब बेचारी के पास चूत है तो लण्ड तो चाहिये ही ! है ना?" आशू हंस पड़ा और रूपा से लिपट गया। कुछ देर तक तो वो कुत्ते की तरह लण्ड चूत पर मारता रहा फिर चूत के द्वार पर अपने आप ही सेट हो गया और चूत के पट खोलता हुआ अन्दर घुस गया।

रूपा आशू से लिपट गई और एक टांग उठा कर आशू की कमर में डाल दी और लण्ड को अपनी चूत में सेट कर लिया। कविता का बदन पसीने से भीग गया, सांस फ़ूलने लगी। उसकी चूत भी रिसने लगी और गीली हो उठी। अपने चुदने की बात से उसे अपनी पहली चुदाई याद हो आई।

दोनों की कमर धीरे हिलने लगी और रूपा चुदने लगी। दोनों के मुख से वासना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी। "हाय रे आशू, भगवान ने भी क्य मस्त चीज़ें बनाई हैं... धरती पर ही स्वर्ग का आनन्द ले लो !" "हां देखो ना आपके अधर रस से भरे, आंखों में जैसे शराब भरी हुई है, गुलाबी गाल को सेब की तरह काटने को मन करता है... चल बिस्तर लेट कर चुदाई करते हैं !"

 " नहीं रे अभी नहीं ... अभी थोड़ा सा गाण्ड को भी तो मस्ती दे यार !" और उसका लण्ड चूत से बाहर निकाल कर पीछे घूम गई और घोड़ी बन कर चूतड़ उभार दिये... जैसे ही आशू का लण्ड गाण्ड के छेद रखा... कविता सिहर गई। कविता का मन उनकी पूरी चुदाई देखने को हो रहा था, और अब तो ये हालत थी कि उसकी अपनी चूत भी फ़डफ़डा उठी थी। उसने अपनी चूत को अपने हाथ से हौले से दबा दी। उसकी चड्डी बाहर तक गीली हो गई थी और चिपचिपापन बाहर से ही लग रहा था। उसके सारे शरीर में एक वासना भरी कसक भर उठी थी।

रूपा की ग़ाण्ड के दोनों गोल गोल उभरे हुये चूतड़ किसी का भी लण्ड खड़ा कर सकते थे।आशू ने हल्का सा ही जोर लगाया और उसका लोहे जैसा डण्डा उसकी गाण्ड के छेद में उतर गया। दोनों ही एक साथ सिसक उठे। उन दोनों का रोज का ही गाण्ड मराने का और फिर चुदाने का दौर चलता था। सो रूपा की गाण्ड तो लण्ड ले ले कर मस्त हो चुकी थी। उसे दोनों ही छोर से चुदाने में मजा आता था। आशू ने रूपा के मस्त बोबे पकड़े और मसलने लगा। साथ ही साथ जोश में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों मस्ती के माहौल में डूबे हुये थे ... हौले हौले सिसकी भरते हुये रूपा गांड मरवा रही थी।

कविता की आंखें मदहोशी में डूबने लगी थी। उसका सारा शरीर पसीने से भीग उठा था। उसकी आंखों के कटोरे नशे से भर गये थे, नयन बोझिल हो गये थे। उसका बदन जैसे आग में जलने लगा था। उसकी नस नस में वासना की कसक भर चुकी थी। ऐसे में उसे यदि कोई मिल जये तो उसको जी भर के चोद सकता था।

रूपा की गाण्ड चुद रही थी। आशू का लण्ड भी फ़ूलता जा रहा था। उसे भी स्वर्ग का आनन्द आ रहा था। दोनों ही दीन दुनिया से बेखर जन्नत में विचरण कर रहे थे।

कविता का मन सकता जा रहा था। उसकी चूत भी चुदाई करने जैसी हालत में आगे पीछे चलने लगी थी। जाने कब उसकी एक अंगुली उसने अपनी चूत में घुसा ली और चूत को शान्त करने की कोशिश करने लगी।

तभी आशू ने अपना लण्ड रूपा की गांड से बाहर निकाल लिया और रूपा झट से बिस्तर पर आ गई और उसने अपनी टांगें लेटे हुये ऊपर की ओर उठा ली। अपनी चूत को लण्ड को घुसेड़ने के लिये खोल दी। आशू भी उछल कर रूपा पर सवार हो गया। उसे अपने बदन के नीचे दबा लिया। उसका लण्ड उसके मुख्य द्वार में घुस गया और अन्दर उतरता चला गया। दोनों ही एक बार फिर से सिसक उठे। दोनों के होंठ मिल गये और फिर दोनों के चूतड़ एक दूसरे दबाते हुये लण्ड को घुसाने लगे। दोनों एक लय में, एक ताल में चलने लगे और चुदाई आरम्भ हो गई। दोनों की वासना भरी चीखें कमरे में गूंजने लगी।

उस कामुकता भरे वातावरण में कविता का मन डोल उठा और उसने चुदाने की सोच ली।पर अभी चुदाई चल ही चल ही रही थी... उसे देखने का लोभ वो छोड़ ना सकी। रुपा की चुदाई के बाद वो भी कमरे में घुस कर चुदवाना चाहती थी। कविता की चूत मारे गुदगुदी के बेहाल हो रही थी। बार बार अपनी अंगुली चूत में घुसा लेती थी। तभी रूपा की चीख निकल पड़ी और वो झड़ने लगी। आशू भी साण्ड की तरह अपना मुँह ऊपर करके जोर लगा कर झड़ने की तैयारी में ही था। कुछ ही क्षणों में उसने अपना चेहरा ऊपर करके हुन्कार भरी और लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य उसकी उसके बदन पर बिखेरने लगा। कविता ने देखा कि मामला तो अब शान्त हो चुका है, बड़े बेमन से वो पत्थर की बेंच पर से उतरी और दबे पांवो से सीढ़ियाँ उतर गई। उसकी चूत की हालत यह थी कि उसकी चड्डी सामने से गीली हो चुकी थी। कमरे में घुसते ही उसने मोमबत्ती ली और बिस्तर पर लुढ़क गई। अपनी चूत को मोमबत्ती से शान्त किया, फिर वो निद्रा में लीन हो गई।

सुबह तक उसकी चड्डी सूख कर कड़क हो गई थी। उसकी चूत का पानी भी यहां वहां फ़ैल कर जांघ से चिपक गया था। उसने अपनी फ़्रॉक को नीचे खींचा और कमरे से बाहर निकल आई। उसने अपने खुले टॉप की तरफ़ भी ध्यान नहीं दिया। उसने बाहर आकर दोनों हाथों को उठाकर और आंखे बंद करके एक मदमस्त अंगड़ाई ली, पर आँखें खुलते ही उसने देखा कि आशू सामने खड़ा था। वो उसे आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर यूं घूर रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो। कविता ने उसे देखा और घबरा कर वापस अपने कमरे में आ गई। आशू भी मुस्कुरा पड़ा और कविता भी कमरे में मुस्कुरा उठी। वो तुरंत बाथरूम में जाकर नहा धो कर फ़्रेश हो गई। उसने रूपा के कमरे में जैसे ही कदम रखा तो उसे आशू वहाँ नहीं मिला। वो जा चुका था।

रात को खाना खाने के बाद रूपा अपने कमरे में आराम करने लगी, तभी कविता भी वहाँ पर आ गई। "मौसी, मैं भी आपके पास लेट जाऊं?" मौसी एक तरफ़ खिसक गई। कविता उनके पास लेट गई। "मौसी, एक बात पूछूँ... ये आशू क्या करता है...?" कविता ने धीरे से पूछा। रूपा ने उसकी तरफ़ करवट ली और कहा,"क्यूं क्या बात है ... है ना सुन्दर लड़का...?" "हां मौसी, सुन्दर तो है, पर मेरे से वो बात ही नहीं करता है..." कविता अपनी चूंचियां रूपा की बांह से दबाती हुई बोली। रुपा को कविता की बैचेनी का अहसास हो गया था। उसने अपनी बांह को उसकी चूंचियों पर और दबाते हुए कहा,

"अरे, वो तो तुम्हारी ही बात करता है ... कहो तो उससे दोस्ती करा दूँ...!" कविता को अपनी चूंची पर दबाव महसूस हुआ तो उसके मन में तरगें फ़ूट पड़ी।

"सच मौसी, मान जायेगा वो...आप कितनी अच्छी हैं...!" कविता ने अपनी चूची को उनकी बांह पर पूरा दबाते हुये उन्हें चूम लिया। "लगता है तेरा मन भटक रहा है... अब तेरी शादी करा देनी चाहिये !" मौसी ने मन की बात पढ़ ली थी। "मौसी, शादी तो करा देना... पर मन को तो हल्का कर दो... !" कविता की आवाज में कसक थी।

रूपा ने उसकी बैचेनी को देखते हुये अपने हाथों में कविता की दोनों चूंचियां भर ली। "मेरी कविता, अभी तो ये ले ... फिर समय आने दे... आशू भी मिल जायेगा...!" कविता सिसक उठी और रूपा से लिपट गई। रूपा ने भी मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और अपनी एक चूंची उसके मुँह से रगड़ दी। कविता ने भी रूपा को पटाना उचित समझा और उसके ब्लाऊज को ऊपर खींच कर उसकी चूंची को अपने मुँह में भर लिया। रुपा भावना में बह चली। दोनों ही वासना में लिप्त हो कर एक दूसरे के बदन से खेलने लगी थी। अंधेरा बढ़ चला था।

तभी आशू ने हौले से कमरे के भीतर कदम रखा। कविता चौंक गई, वो भूल गई थी कि आशू के आने समय हो चुका है। रूपा तो कविता को बहला कर बस आशू के आने का ही इन्तज़ार कर रही थी। कविता तो लगभग नंगी ही थी, पर रुपा ने अभी भी पेटीकोट पहना हुआ तो था पर वो पूरा ही ऊपर उठा हुआ था। "कविता, देख आशू आया है..." " मौ... मौसी, मैं तो मर गई, कुछ दो ना... मुझे शरम लग रही है !" कविता हड़बड़ा गई। "शरमा मत ... ये तो मुझे रोज रात को चोदता है... चल आज तू चुदवा ले ..." रूपा ने उसे धीरज बंधाते हुये कहा।

" रूपा जी आपने तो अपना वादा पूरा कर दिया ... वाह ... कविता जी यदि कहेंगी तो ही कुछ करने का मजा आयेगा... "

"आशू जी, आप तो अपने कपड़े उतारो ... कविता आपका स्वागत करेगी... कविता कुछ तो कहो !"
 "जी मैं क्या कहूँ... मुझे तो बहुत लज्जा आ रही है..." कविता ने मुँह छुपा रखा था। आशू कविता के और नजदीक आ गया था। " आपके मुख के पास कुछ है... कविता जी... मुख खोलो तो..." आशू ने कहा।

कविता ने अपना मुख खोल दिया... और आशू ने अपना कोमल, नरम चमड़ी वाला कठोर लण्ड उसके होंठो से सहला दिया। कविता के शरीर में सनसनी फ़ैल गई। उसने धीरे से हाथ बढ़ा कर उसका लण्ड पकड़ लिया,"हाय राम... इतना बड़ा...?" कविता की भारी आंखे आशू की ओर उठ गई और उसे प्यार से निहारने लगी। वो एक दम नंगा उसके सामने खड़ा था।

रूपा कविता की ओर देख-देख कर मुस्करा रही थी। उसने प्यार से कविता के सर पर हाथ फ़ेरा और आशू के लण्ड को उसके सर को दबा कर कविता के मुँह में प्रवेश करा दिया। कविता ने सारी शरम छोड़ कर आशू के चूतड़ पकड़ लिये और अपने मुँह में उसे भींच लिया। रूपा ने आशू को चूम लिया और उसकी गाण्ड में अंगुली डालने लगी। आशू झुक कर कविता के सर को पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।  आशू को रूपा की अंगुली अपनी गाण्ड में बहुत भली लग रही थी। आशू जैसे कविता का मुख चोद रहा था।

अब आशू ने कविता को लेटा दिया और उसकी चूंचियों को दबाने और मसलने लगा। उसके चुचूक जो बेहद कड़े हो चुके थे, उन्हें हौले हौले से सहलाने और अंगुलियों से खींचने लगा।
 "आह मौसी, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया... आशू जी, अब नहीं रहा जाता ... प्लीज आ जाओ ना..." "अभी से कहाँ कविता जी... जवानी का मजा तो लो अभी ..." अब आशू के हाथ उसकी चूत की पंखुड़ियो के आस पास सहला रहे थे। बीच बीच में चूत के ऊपर कविता की यौवन-कलिका को भी सहला देता था। उसे हिला हिला कर कविता को असीम आनन्द दे रहा था। कविता की दोनों टांगें ऊपर उठने लगी थी। नतीजा यह हुआ कि उसकी गाण्ड का भूरा-भूरा कमल भी नजर आने लग गया था। आशू पंजों के बल बैठा था, सो रूपा भी आशू का आनन्द ले रही थी। कभी वो उसके लण्ड को मसल देती थी, कभी उसकी गोलियों को सहला देती थी, तो कभी उसकी गाण्ड में अपनी एक अंगुली घुसा  देती थी।

आशू भी थूक लगा कर कविता की गाण्ड में अंगुली घुसाने लगा था। उसकी गाण्ड के छेद को बड़ा कर रहा था, पर इस क्रिया में कविता मस्ती में बेहाल हुई जा रही थी। उसके मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी, कभी कभी तो मस्ती में चीख भी उठती थी। आशू की अंगुलियाँ चूत में भी कमाल कर रही थी। रूपा का दिल भी मचल उठा और जान करके उसने आशू का कड़कता लण्ड कविता की गाण्ड में रख दिया और आशू को कुछ कहा। आशू मुस्कुरा उठा और उसने लण्ड का जोर गाण्ड के छेद पर लगा दिया। लण्ड कविता की गाण्ड में घुसता चला गया। कविता की गाण्ड तो कितनी बार उसके दोस्तो ने चोद रखी थी, सो लण्ड सरकता हुआ भीतर बैठने लगा। कविता ने भी अपनी गाण्ड थोड़ी ऊपर उठा दी। रूपा ने जल्दी से तकिया नीचे लगा दिया। रूपा ने आशू की गाण्ड में अपनी अंगुली फ़ंसाते हुये कहा,

"आशू चोद दे साली को, ये तो पहले से ही खुली हुई है... लगा धक्के साली की गाण्ड में..." "आह्ह्ह, आशू जी, जोर से चोद दो ना इसे ... बहुत दिन हो गये इसे चुदवाये ... आह्ह... लगा और जोर से..." कविता सीत्कार भरने लगी। कविता की गाण्ड चुदने लगी ... कविता को आनन्द आने लगा। अब रुपा कविता के पास आ गई और उसके स्तन मुँह में भर कर चूसने लगी, कभी कभी वो उसके मुख को भी जोर से चूस लेती थी। कुछ देर तक यही दौर चलता रहा, फिर आशू ने अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया। कविता के मुख से आनन्द की जोर से आह निकल गई। तभी आशू ने रूपा की चूत में भी अपनी अंगुली प्रवेश करा दी। वो भी चिहुंक उठी।

अब आशू का लण्ड कविता की चूत में घुस चुका था। कविता को लगा कि हाय, स्वर्ग है तो बस चूत में ही है... रुपा भी अपनी चूतड़ आशू की तरफ़ उठाये थी और वो उसमें अपनी अंगुली फ़ंसाये हुये था। अब तो कविता की कमर और आशू की कमर बराबरी से चल रही थी। मस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था। तीनों नशे में झूम रहे थे। कविता तो जबरदस्त चुदाई मांग रही थी,

"आशू, प्लीज ! मुझे जोर से चोदो ना...आशू ने रुपा को एक तरफ़ किया और अपनी पोजिशन को फिर से सेट की और उसके पांव खींच कर पलंग के किनारे कर दिया और खुद खड़े हो कर पोजीशन बना ली। अब उसका लण्ड उसकी चूत के बिल्कुल सामने था।

"तो कविता रानी, चूत फ़ाड़ चुदाई के लिये तैयार हो...?"

"हां जी... अब देर ना लगाओ ... मेरी तो अब फ़ाड़ दो आशू राजा !" "लगता है पहले से मस्त चुदी चुदाई हो...!"

"आशू जी। आप भी तो मस्त चोदते हो ना... पुराने खिलाड़ी हो ना।" तीनों ही हंस दिये। आशू ने अपना लण्ड पहले तो अपना लण्ड भीतर घुसा कर सेट कर लिया, फिर बोला,"हां जी... तैयार हो जाओ..." और कहते हुए उसने पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही जोर से धक्के के साथ घुसा डाला। कविता के मुख से खुशी की एक तेज चीख निकल गई। जल्दी ही दूसरा धक्का लगा जो जड़ तक चीर गया। फिर धक्के पर धक्के भीतर तक, चूत को फ़ाड़ देने वाले धक्के चलने लगे। कविता तेज धक्कों से प्रसन्न हो उठी। और उसे और तेज धक्कों के लिये प्रोत्साहित करने लगी। उसके मुख से आनन्द भरी चीखें वातावरण को और वासनामय बना रही थी। अब तो कविता के चूतड़ भी उछल उछल कर लण्ड भीतर तक लेकर चुदवा रहे थे। दोनों के दिल की धड़कनें तेज हो गई थी। पसीना छलक उठा था। रूपा दोनों का इस प्रकार का रूप देख कर विचलित हो रही थी और सोच रही थी कि आशू ने मेरी चुदाई तो कभी भी इस तरह से नहीं की थी। वो मन ही मन जल उठी। तभी एक तेज चीख ने रूपा का ध्यान भंग कर दिया। कविता झड़ रही थी। उसका यौवन रस निकल पड़ा था। कविता अपना यौवन रस अपनी चूत लण्ड पर दबा कर निकाल रही थी। आशू को लगा जैसे कि कविता की चूत ढीली पड़ गई थी, उसमें पानी भरा हुआ था और लण्ड अब फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। तभी रूपा ने अपने आप को आशू के सामने पेश कर दिया...
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"उसका काम तो हो गया, आशू जी, मेरी ओर तो देखो, यहाँ तो आपको फिर से बेकरार एक चूत मिलेगी... उठो और मेरे से चिपक जाओ !" रूपा ने अपनी चूत  का गुलाबी छेद अपने दोनों हाथों से चौड़ा कर के आशू को दिखाते हुए कहा
यह दृश्य देख कर आशू ने अपना कड़कता लण्ड कविता की चूत से बाहर लिया  जो कि रस से नहाया हुआ था। कविता बिस्तर पर ही लोट लगा कर एक किनारे हो गई और रूपा को चुदने के लिये जगह दे दी। कुछ ही पलों में आशू का लण्ड रूपा की चूत में घुस चुका था। इस बार रुपा की बारी थी सिसकारी भरने की। पर आशू तो कविता को ही चोद कर झड़ने के करीब आ चुका था, सो रुपा को चोदते हुये कुछ देर में अपने आप को सम्हाल ना पाया और अपना वीर्य छोड़ने लगा। दोनों ही अब आशू से लिपट पड़ी और उसे अपने चुम्बनों से बेहाल कर  दिया। कविता तो आशू का लण्ड मुँह में भर कर बचा खुचा वीर्य भी चट गई। रूपा और कविता भी आपस में लिपट कर एक दूसरे को प्यार करने लगी......