सोनाली और मीनाक्षी के माँ और पापा आने के बाद मैं वहाँ से निकल गया, पर मीनाक्षी और सोनाली लगातार मेरे संपर्क में थीं और मुझ से बात करती थीं और मुझे बुलाती रहती थीं।
एक दिन मुझे मीनाक्षी का फ़ोन आया और मुझसे कहा- तुम दो दिन में मुम्बई आ जाओ, कुछ जरूरी काम है।
मैंने हाँ कर दी।
उसने मेरे अकाउंट में पैसे डाल दिए और मैं मुम्बई के लिए निकल पड़ा। मैं जब मुम्बई पहुँचा तो मुम्बई में एक होटल में रुका और मीनाक्षी का इंतजार करने लगा। मीनाक्षी अपनी एक सहेली के साथ आई उसका नाम सुल्ताना था। वे दोनों बुरके में आई थीं। बुरके के ऊपर से औरत को क्या देख सकते हैं, सिर्फ आँखों के और मैंने ऊपर से ही उसके फिगर का अंदाजा लगाया। शायद बहुत खूबसूरत होगी।
पर मीनाक्षी जैसे अंदर आई, मेरे गले लग गई और सुल्ताना हमें देख के हँस रही थी। शायद उसको मीनाक्षी ने सब कुछ बता दिया था।
मीनाक्षी- राकेश कितने दिन हो गए जानू.. मुझसे अब रहा नहीं जाता.. कुछ भी अच्छा नहीं लगता जीजू को दो बार उकसाया भी पर वो कुछ नहीं कर पाए।
“मैं क्या करूँ यार ! और भी कुछ लोगों की सेवा करनी पड़ती है, तुमको तो कोई भी और मिल जाएगा, जरा कही ढूँढो या कहो तो मैं अपने किसी आदमी से सेटिंग करवा दूँ?
मीनाक्षी- नहीं यार, मुझे तो बस तुमसे ही करवाना है। मुझे और मेरी सहेलियों को तुम ही बहुत दमदार लगते हो। खैर छोड़ो, इनसे मिलो, यह मेरी सहेली है, इसकी 6 महीने बाद शादी होने होने वाली है। इसका होने वाला खसम 35 साल का है और पहले से उसकी शादी हुई है, पर उसको एक नया माल चाहिए, इसलिए सुल्ताना से शादी करने वाला है। पर सुल्ताना ने कसम खाई है कि वो भी किसी और से चुदवा कर ही उससे शादी करेगी, सो मैं उसको तुम्हारे पास लेकर आ गई। तुमसे उसको जरा ढंग से करवाना है।
मैं- यार, यह बात तो ठीक है पर मैं अकेले तुम दोनों को कैसे करूँ?
मीनाक्षी- नहीं हम दोनों नहीं हम 4 हैं। मेरी और दो सहेलियाँ हैं और हम लोग तुम्हें कल रुबीना के फार्म हाउस पर ले जाने वाले हैं। अब हम चलते हैं, कल सवेरे तैयार रहना।
और वो दोनों चली गईं.. मैं उनको पीछे से देखता रह गया। गांड मटकाते हुए वो जा रही थीं और मुझे टेंशन हो रही थी कि वो 4 और मैं अकेला और साली सुल्ताना ने तो बुरका भी नहीं उतारा, और चुदने चली है... हा…हा…हा…!
मेरे दिमाग में एक योजना बनने लगी। मैंने अपने दो जिगोलो जॅक और सुमित को होटल बुलवाया और दोनों को मेरी योजना बताई। जब मैं फार्म हाउस जाऊँगा, तब दोनों उनकी कार में मेरे पीछे आएँगे और मेरा इशारा मिलते ही फार्म हाउस में घुस जायेंगे।
दूसरे दिन सुबह करीब दस बजे मीनाक्षी मेरे होटल आई और हम लोग चेक-आउट करके बाहर निकले। कार में दो बुरके वालियाँ थीं, पर कल आई हुई सुल्ताना कौन है और रुबीना कौन.. मुझे समझ में नहीं आ रहा था।
पूरे रास्ते में उन दोनों ने मुझसे बात नहीं की, न ही मैंने उनसे बात की। मैंने उनको देखा भर और मीनू तो मुझे रास्ते भर चुम्मी लेती रही और वो दोनों हमें सिर्फ देखती रहीं।
अब मेरी योजना के तहत मेरे दोनों जिगोलो उनके फार्म हाउस के बाहर खड़े थे और जैसे ही हम अंदर गए, एक बला की खूबसूरत औरत जिसकी उम्र करीब 35 की रही होगी, ने मेरा स्वागत किया और कहा- क्यों राकेश जी, सुना है कि आप तो बहुत मजेदार इंसान हो, मेरा नाम श्रुति है और हम लोग किटी पार्टी मेंबर है। मीनाक्षी को तुम जानते ही हो और यह रुबीना है और यह सुल्ताना है।
मैं- हाँ और ये सिर्फ बुरके में ही रहेंगी या कुछ खोलेंगी भी और अब बुरका क्यों पहने हुए हैं? सब कुछ करवाना है या सिर्फ देखने आई हैं?
मेरे इतना कहते ही दोनों ने एक ही बार में अपने अपने बुरके उतार दिए।
हे भगवान क्या क़यामत थी...! रुबीना ने तो सिर्फ मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था और सुल्ताना ने कैपरी और टी-शर्ट पहना था। उनको देख कर तो लगा कि अब कि अब दोनों को अभी पटक कर चोद डालूँ।
इतने में श्रुति ने कहा- देखते ही रहोगे या कुछ बोलोगे भी..!
मैं तो हक्का-बक्का रह गया था, मैंने कहा- यार यहाँ तो सारे जहाँ की खूबसूरती मेरा इंतजार कर रही है और मैं बाँटने की सोच रहा था।
तो रुबीना ने कहा- बाँटना है तो बाँट लो तुम्हारी फट जाएगी.. हमसे जीत नहीं पाओगे..!
मैंने कहा- तुम सच कह रही हो.. जान ! इसीलिए तो मैंने कुछ इंतजाम कर के रखा था। तुम चारों तो मुझे खा जाओगी और मैं थक जाता इसलिए मैंने अपने दो साथियों को और बुलाया है।
श्रुति और रुबीना साथ में बोली- किसका इंतजार है.. बुला लो, हमें भी मज़ा आएगा..!
पर मीनाक्षी और सुल्ताना बोलीं- नहीं हमें किसी और के सामने कुछ नहीं करना है। राकेश है तो ठीक है वर्ना हम लोग चले जाते हैं।
मैंने कहा- जानू मेरा स्टैमिना भी तो देखो इंसान हूँ कोई मशीन नहीं हूँ, और तुम चार हो मैं थक जाऊँगा। कुछ इस बारे में तो सोचो।
तो वो मान गई, पर सुल्ताना नहीं मानी।
तो मैंने कहा- तुम उनके सामने कुछ मत करना मेरे साथ अलग कमरे में हम लोग करेंगे और वो इस बात पर मान गई और मैंने मेरे जिगोलो भाइयों को अंदर आने के लिए कहा।
जैसे ही जैक और सुमित अंदर आ गए, उनको थोड़ा अजीब लगा न ही कोई सेक्स हो रहा था, न ही कोई चूमा-चाटी, तो उन्होंने पूछा- क्या हुआ राकेश भाई !
सो मैंने उन्हें सभी कुछ बता दिया। अब तो नॉर्मल होकर बैठ गए और श्रुति वाइन लेकर आ गई। रुबीना, मीनाक्षी, सुल्ताना पहले से वहाँ पर बैठी थीं और हमें तक रहीं थीं, पर किसी के मुँह से शब्द नहीं निकाल रहे थे। वहाँ मेरे और मीनाक्षी के अलावा सभी एक-दूसरे से अनजान थे। श्रुति ने गिलास भर दिए और हम सभी लोग ड्रिंक करने लगे। तब तक कुछ नहीं हो रहा था, पर जैसे-जैसे चढ़ने लगी, वैसे-वैसे माहौल गर्माता गया।
मीनाक्षी उठ कर मेरे और जैक के बीच बैठ गई और मुझे चूमने लगी। जैक ने उसका टॉप फाड़ ही डाला और मम्मे दबाने लगा, पर उसका सारा ध्यान मेरी तरफ था और वो मुझे ही अपनी चूत देना चाहती थी, पर जैक जबरदस्ती उसको उठा कर दूसरे सोफे पर ले गया और दोनों के कपड़े निकाल दिए।
उसका लंड करीब 9 इंच का था और मोटा भी था। उसका लवड़ा देखा तो मीनाक्षी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा के आँख मार दी। शायद अब वो जैक की हो चुकी थी। उसको मुझसे बड़ा लंड जो मिल गया था।
मैं उठा और सुल्ताना के पास गया। मुझे पता था कि शायद वो अभी तक चुदी नहीं है, मैं उसको सहलाने लगा। श्रुति भी मेरे पास आकर बैठ गई। मुझे भी उम्र में बड़ी औरतें पसंद हैं, सो मैं भी उससे चिपटने लगा। अब सिर्फ रुबीना और सुमित ही बाकी थे और दोनों ही दूर-दूर बैठे थे।
मैंने कहा- भाई क्या मुठ मार कर ही भाग जाओगे?
तो सुमित बोल पड़ा- यार मैं तो रुबीना की चाहत कर रहा था और रुबीना ही बाकी है, पर उसके पास जाने की हिम्मत नहीं है।
मैं तड़ाक से उठा और रुबीना के कपड़े फाड़ डाले और कहा- ले ये जन्नत यहाँ तुझे बुला रही है और तू वहाँ बैठा हुआ हिचकोले खा रहा है साले !
तो रुबीना ही उठकर उसके पास गई। अब तो समा अलग हो रहा था।
सुल्ताना ने कहा- राकेश मुझे पहले नहीं करवाना। श्रुति और तुम मुझे एक डेमो दिखाओ, तब मैं कुछ करूँगी।
अँधा क्या मांगे ! मैंने श्रुति की साड़ी में हाथ डाल दिया। मैंने श्रुति को उठाया और सुल्ताना का हाथ पकड़ कर कमरे में ले गया।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा, वहाँ पड़े बैड पर मैंने उसे गिरा दिया और उसके ऊपर आ गया। साड़ी के ऊपर से ही मैं उसके वक्ष-उभारों को मसलने लगा। उसका सारा बदन मैंने साड़ी के ऊपर से चूम लिया था। उसके बाल भी खोल दिए। सच में उस दिन मैं उसके ऐसे मसल रहा था, जैसे कोई जानवर अपने शिकार को मसल कर रख देता है।
फिर मैंने उसको पूछा- आज सब कुछ मिलेगा या इतना ही?
तो वो बोली- तुमको रोका किसने है?
फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे कपड़े उतार दिए। हम दोनों नंगे हो गए, एक-दूसरे से लिपटते रहे। फिर मैंने उसको अपना लंड चूसने को बोला और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। उसने मेरा लंड अपनी गुलाबी होंठों से मसल कर रख दिया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा।
उसको इतना मजा आ रहा था कि वो अपनी चूत उठा-उठा कर मेरे चेहरे पर दबा रही थी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था। मैंने उसको बैड पर लिटाया और उसकी चूत के ऊपर अपना लण्ड रख दिया और एक ही धक्के में आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसको दर्द हुआ मगर थोड़ी देर में ही वो लंड को अपनी चूत में सैट करने लगी और फिर मैंने पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। मैंने उसकी जोर-जोर से चुदाई की और फिर वो झड़ गई। वो मेरे नीचे पड़ी-पड़ी आहें भरने लगी।
फिर मैं उसके ऊपर से उठ गया और उसको घोड़ी बनने के लिए कहा, वो घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसेड़ने लगा। उसकी गांड बहुत कसी थी।
उसने मुझे सिर्फ चूत में ही डालने को कहा, मगर मैंने कहा- मैं गांड मारे बिना नहीं जाऊँगा।
तो उसने मुझे दराज में से तेल निकाल कर दिया, मैंने उसकी गांड में तेल लगाया और अपने लंड के ऊपर भी तेल लगा कर अपना लंड फिर उसकी गांड के छेद पर रख दिया और जोर से अन्दर धकेला। पहले तो तेल के कारण लंड साइड को फिसल जाता, मगर एक झटका ऐसा लगा कि लंड सीधा उसकी गांड में घुस गया। श्रुति की तो चीख निकल गई। वो तड़प उठी और उसकी गांड हिलने से लंड बाहर आने लगा, मगर मैंने कस के उसके कूल्हों को पकड़े रखा और लंड बाहर नहीं निकलने दिया।
फिर वो भी शांत हो गई और धीरे-धीरे से मैं लंड को अन्दर धकेलने लगा। उसको जब भी ज्यादा दर्द होता तो मैं तेल गांड के ऊपर से टपका देता और तेल उसकी गांड में घुस जाता, जिससे गांड की चमड़ी थोड़ी सी चिकनी हो जाती और फिर आहिस्ता-आहिस्ता पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया। अब इतनी मुश्किल से लंड अन्दर गया था। इसलिए मैं इतनी जल्दी लंड बाहर नहीं निकालना चाहता था। मैंने उसको अपने लंड के ऊपर ही बिठा लिया और उससे बातें करने लगा और कभी-कभी धक्का भी लगा देता। वो भी अपनी गांड में लंड लिए मजे ले रही थी।
मगर उसी दौरान सुल्ताना ने कहा कि सिर्फ श्रुति से ही करते रहना है या मुझे कुछ देने वाले हो और उसने पैन्टी उतार दी।
सुल्ताना की सेक्सी गुलाबी चूत देख कर मेरे लंड की सच में बारह बजने लगी थी। मैंने श्रुति के गांड से लंड निकालकर अपनी दो उंगलियाँ सुल्ताना की चूत में डाली और उसके होंठों को फैलाया। सुल्ताना के मुँह से एक ‘आह’ निकल गई और उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ लिया।
मैंने उसकी और देख कर कहा- जान हाथ थोड़ा तो अंदर करने दो, जितनी गीली होंगी तुम्हारी तुम्हें उतना ही मजा आएगा।
मैंने साली की चूत में उंगली डाली, इतना कहते ही सुल्ताना ने हाथ से अपना हाथ हटा दिया। मैंने उँगलियों को उसकी चूत के होंठों पर रगड़ा। अब मेरी ऊँगलियाँ साली की चूत के दाने को तलाश रही थीं। मैंने उसे ढूँढ ही लिया और मेरी दोनों उँगलियों के बीच में हल्के से दबा दिया। सुल्ताना को जैसे हजार वोल्ट का झटका लगा हो, वो एकदम से उछल पड़ी और मुझ से लिपट गई।
मैंने उसे कंधे के ऊपर हल्के से किस किया और उसकी एक लंबी सांस निकल पड़ी। मैंने अपने दांतों से हल्के-हल्के कट्टू करने चालू कर दिए। सुल्ताना अब और भी गर्म होने लगी थी। वो खुद को जैसे मुझे समर्पित कर चुकी थी। वो हिल नहीं रही थी और मैं जो भी कर रहा था, उसमें पूरा सहयोग दे रही थी। उसके बदन में कंपन सा था और उसकी साँसें उखड़ चुकी थीं।
असली उत्तेजना शायद ऐसी ही होती है।
श्रुति अब मेरे पैरों के पास आकर बैठ गई। मैंने अपने लंड को उसके मुँह के सामने कर दिया। फिर से लौड़े को मुँह में चलाया और उसे थूक से लथपथ कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैं मुखमैथुन में अपनी उत्त्जेना नहीं खाली करना चाहता था, इसलिए मैंने मुँह से लंड को बाहर निकाल लिया और सुल्ताना को लिटा दिया। जैसे ही उसने अपनी टाँगें फैलाईं, साली की चूत का कामुक नजारा मुझे एक बार फिर से हो गया। सुल्ताना की चूत के ऊपर की हल्की-हल्की झांटें मेरे लंड को और भी खड़ा कर रही थीं। मैंने सुल्ताना की चूत को अपनी दो ऊँगली से फाड़ा और अंदर की लालिमा को फिर से देखा। सुल्ताना की आँखें बंद हो रही थीं और उसकी जुबान उसके होंठों के ऊपर घूम रही थी।
उसने दबी हुई आवाज में कहा- अब और कितना तड़पाओगे मेरे राजा... अब तो अपना हथियार डाल दो मेरे अंदर…!
मैंने लंड की सुल्ताना की चूत पर सैट किया। साली की चूत की गर्मी मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थी। सुल्ताना और वो जोर से चिल्लाई, सभी लोग वहाँ आ गए। मैंने अपना बिना कन्डोम वाला लण्ड बाहर निकाला तो देखा कि उस पर खून लगा हुआ है।
वास्तव में साली अभी तक कुंवारी थी। अब श्रुति ने मुझे आगे बढ़ने को कहा, तो मैंने आव देखा न ताव, और एक ही झटके में लण्ड अंदर घुसेड़ दिया।
अब वो जोर-जोर से चिल्ला कर लंड बाहर निकालने को कह रही थी, पर मैंने लंड बाहर नहीं निकाला और अपना काम करता रहा। धीरे-धीरे धक्के मारता रहा। सुल्ताना ने अपनी टाँगों को थोड़ा और भी फैला दिया। शायद वो मेरे लंड को अंदर घुसने का सुगम मार्ग बना रही थी। मैंने हल्के से एक और झटका दिया और अबकी बार का मेरा झटका सुल्ताना के लिए थोड़ा पीड़ादायक था।
साली की चूत में अभी पूरा लंड गया भी नहीं था, लेकिन फिर भी उसने अपने दोनों हाथ से मुझे कमर से पकड़ लिया था कि मैं अंदर और धक्का ना मार दूँ।
मैंने अब अपने लंड को उसकी चूत से हल्के से बाहर निकाला और उस आधे लौड़े को ही चूत के अंदर-बाहर करने लगा। सुल्ताना की चूत जैसे अपनी चिकनाई छोड़ रही थी, क्यूंकि मैं अपने लंड को अंदर आराम से अंदर-बाहर होता हुआ महसूस कर रहा था और फिर मैंने एक झटका और दे दिया।
अबकी बार सुल्ताना के मुँह से फिर से 'अह्ह्ह' निकल गया। मैंने नीचे झुक कर उसे फट से अपने गले से लगा लिया, उसके कड़े चूचुक और सख्त चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ रही थीं और उसकी उखड़ी साँसें मेरे बदन पर पवन बन कर आ रही थीं। मैंने सुल्ताना के बालों में अपना हाथ रख दिया और उसे धीरे-धीरे से सहलाने लगा।
मैंने जरा भी जल्दबाजी नहीं की क्यूंकि मैं जानता था कि जल्दी करने से कोई एक महीने में बच्चा बाहर नहीं आता है। मैं बिल्कुल धीरे-धीरे अपने लंड को सुल्ताना की चूत के अंदर हिला रहा था। कुछ दो मिनट तक मैंने ऐसे ही धीरे-धीरे अपने लंड को हिलाया और अब सुल्ताना सामान्य लग रही थी। मैंने अब अपने लंड को साली की चूत के अंदर-बाहर करने की गति बढ़ाई। सुल्ताना ने भी अपने कूल्हों को थोड़ा हिलाया और वो मेरे लंड को पूरा सपोर्ट देने लगी।
मैंने अपने मुँह को सुल्ताना के मम्मों पर रख दिया और मैं उसके अंगूरों को चूसने और चूमने लगा।
सुल्ताना ने मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों के ऊपर दबाया और वो बोली- मुझे बहुत मजा आ रहा है, आप प्लीज़ और भी जोर-जोर से कीजिए।
सुल्ताना ने चुदाई के असली मजे दिए। बस फिर तो कहना ही क्या था !
मैंने अपने लंड को और भी तीव्रता से सुल्ताना की कमसिन चूत के अंदर चलाना चालू कर दिया। सुल्ताना अपनी गांड को और भी जोर से हिला-हिला के मुझे मजे देती रही और मैंने अपने लंड को उसकी चूत की तली तक डाल कर फिर एक झटके से निकाल रहा था। सुल्ताना की चूत से पानी निकल कर मेरे लंड को और भी चिकना करने लगा था, जिसके चलते चुदाई और भी मजेदार होने लगी थी।
सुल्ताना अब अपने होंठों को जबान से भिगो रही थी, तथा कभी-कभी उन्हें अपने दांतों के तले कुचल भी रही थी। उसे भी चुदाई का मजा और नशा चढ़ने लगा था और ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी थी। मैंने 10 मिनट से भी ज्यादा ऐसे ही सुल्ताना की चूत का मजा लिया और फिर मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया।
अब मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाया और हम दोनों सोफे के पास चले गए।
मैंने उसे कहा- सुल्ताना, तुम एक काम करो, सोफे को पकड़ कर खड़ी हो जाओ और आगे से थोड़ा झुक जाओ, मैं पीछे से थोड़े मजे लेना चाहता हूँ।
सुल्ताना ने मेरी बात फट से मान ली और वो सोफे को पकड़ कर खड़ी भी हो गई। उसने अपने हाथ से थोड़ा थूक निकाला और अपनी चूत को थोड़ा गीला कर दिया। मैंने भी अपने हाथ में थोड़ा थूक निकाला और लंड के सुपारे के ऊपर मल दिया।
जैसे ही मैं सुल्ताना के करीब गया उसने पीछे हाथ कर के मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसने अपने हाथ से ही मेरे लंड को अपने छेद के ऊपर सेट कर दिया। मैंने जैसे ही अपने बदन का झटका दिया, लंड सुल्ताना के चूत के छेद में सही बैठ गया। अब मुझे उसकी मदद की जरूरत नहीं थी क्यूंकि शेर ने अपनी गुफा में मुँह डाल दिया था।
सुल्ताना ने अपना हाथ हटा लिया और मैंने एक झटका और दे दिया।
अब मेरा लंड साली की चूत में 85% घुस चुका था। वैसे भी पीछे से पूरा लंड डाल पाना मुश्किल होता है क्यूंकि कभी गांड बीच में लड़ जाती है, तो कभी पेट। सुल्ताना को मैंने आगे से थोड़ा और झुकाया और लग गया अपनी महनत करने में। सुल्ताना भी मेरे चुदाई के झटकों का मुकाबला अपनी गांड को मेरी तरफ धकेल कर रही थी।
सुल्ताना के नितम्बों को दोनों हाथों से पकड़ कर मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था।
साली के पोंदों को पकड़ कर उसकी चूत में लंड डालना बहुत ही मजेदार खेल था। सुल्ताना ने भी अपने झटके और भी बढ़ाए तो मैं समझ गया कि उसका ‘गलन-बिंदु’ नजदीक है।
मैंने भी अपने झटकों को बढ़ा दिया।
तभी सुल्ताना ने अपनी टाँगों को कस के मेरे लंड को जैसे अपनी बुर में जकड़ लिया। मुझे अपने लंड पर ढेर सारा पानी निकलता हुआ महसूस हुआ और मैं समझ गया कि उसकी चूत से नदी बह गई है।
साली सुल्ताना झड़ चुकी थी और मैं भी तकरीबन उसी कगार पे खड़ा हुआ था। सुल्ताना और भी नीचे झुक गई और मैंने उसे धकाधक हचक कर चोदना चालू कर दिया। एक सेकंड में मेरा लंड उसकी चूत से तक़रीबन दो बार अंदर-बाहर हो रहा था। सुल्ताना ने अपनी गांड को दोनों हाथों से फैलाया और मेरे रास्ते को और भी सीधा कर दिया।
उस वक्त वो अपने माथे को सोफे पर टिका कर कुतिया बनी हुई थी। अब मैं भी झड़ने लगा था उसकी चूत में।
सुल्ताना ने चूत को थोड़ा ढीला किया और ढेर सारा वीर्य नीचे फर्श पर जा गिरा।
इस मॉडर्न लड़की को इस ‘अति-शुद्ध’ घी का मोल शायद खबर नहीं था। हम दोनों ही निढाल हो चुके थे। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला, सुल्ताना निढाल होकर सोफे पर जा गिरी।
मैंने अपनी पैन्ट पहनी और रसोई से एक कपड़ा ला कर अपना वीर्य पौंछ लिया। फिर मैं सुल्ताना के पास जा बैठा। उसने लेटे-लेटे ही मुझे आँख मारी।
मैंने अपने शर्ट को पहनते हुए उससे पूछा- क्यों जी? मजा आया या नहीं?
'मजा इतना आया कि अब मैं हर वेकेशन में आप को ही वहीं बुला लूँगी।'
सुल्ताना का इरादा उसने अपने शब्दों में जाहिर कर दिया।
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