मेरा नाम रोहित है, उम्र 22 साल है। मैं आपके सामने एक घटना लाया हूँ, यह बात मेरी मम्मी की सहेली सुनीता की है।
मेरी मम्मी की सहेली सुनीता की उमर करीब 40 ही होगी, पर वो लगती नहीं थीं। देखने में जूही चावला सी लगती थीं। उनके पति ऑफिस के काम से अक्सर बाहर जाते थे।
उनके 2 बच्चे थे, एक लड़का, जो होस्टल में पढ़ता था और एक लड़की, जिसकी कुछ समय पहले शादी हुई थी।
वो मेरी मम्मी की कुछ समय पहले ही नई सहेली बनी थीं, वो मेरे घर आने लगी थीं। सुनीता आंटी हमेशा साड़ी ही पहनती हैं। मैं उनके बारे मैं कभी कुछ गलत नहीं सोचता था।
एक दिन आंटी मेरे घर आईं और मेरी मम्मी से कहने लगीं- मेरे घर मैं कोई नहीं है, मैं रोहित से कभी कुछ काम होगा तो क्या उससे करा सकती हूँ?"
मेरी मामी ने ‘हाँ’ कह दिया, "आपको कोई भी काम हो, इसको बोल दिया करो, यह कर देगा।
फिर क्या था, सुनीता आंटी मुझको बुला कर कुछ ना कुछ सामान मंगाती रहती थीं। और इस तरह मैं उनके घर में जाता रहता था। मैं कभी उनके घर के अंदर नहीं जाता था। बाहर से उनको सामान दे कर चला जाता था।
एक दिन आंटी ने मुझ को कॉल किया, "रोहित मेरे साथ तुम मार्केट चलो, मुझको कुछ सामान लेना है।
उन दिनों बारिश हो रही थी, मैं आंटी के घर के बाहर आया और कॉल किया- आंटी मैं आ गया हूँ।
फिर आंटी बाहर आईं।
"क्या साड़ी पहनी थी! सिल्क की लाल रंग की साड़ी ! मैंने कभी इतना ध्यान नहीं दिया था क्योंकि मैं आंटी के बारे में कभी भी गलत नहीं सोचता था।
मैं बाइक पर आंटी को मार्केट ले आया। आंटी ने कुछ घर का सामान लिया और फिर आंटी एक शॉप में गईं, जहाँ पैन्टी और ब्रा मिलते थे।
मैं शॉप के बाहर ही रुक गया।
आंटी बोलीं- रोहित क्या हुआ?
मैं बोला- आंटी आप ही जाइए।
आंटी बोलीं- चलो ना, कोई दिक्कत नहीं है।
मैं आंटी के साथ अंदर चला गया। आंटी ने शॉप-कीपर से कुछ पैन्टी और ब्रा दिखाने को कहा। आंटी का साइज़ 42 था। आंटी ने 3 पैन्टी और ब्रा खरीद लीं।
खरीददारी के बाद मैं उनको घर लाने लगा। तभी बारिश होने लगीं।
आंटी और मैं थोड़ा भीग गए। हम जैसे ही आंटी के घर पहुँचे, तभी बारिश और तेज़ हो गई।
आंटी बोलीं- रोहित अंदर चलो।
मैं जल्दी से बाइक लगा कर, आंटी के साथ उनके घर में अंदर गया। मैं आंटी के घर के अंदर पहली बार गया था।
आंटी ने कहा- रोहित, यह लो तौलिया, जल्दी से कपड़े उतार दो, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।
मैंने कहा- आंटी, कोई बात नहीं। मैं बारिश कम होते ही चला जाऊँगा।
आंटी ने कहा- अरे रोहित, तुम्हारी ड्रेस पूरी भीग गई है, तुम बीमार हो जाओगे।
मैंने आंटी की बात मान ली कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया। आंटी भी अपने रूम में कपड़े बदलने चली गईं।
आंटी जब वापस आई तो... क्या लग रही थीं ! वो गुलाबी रंग की नाइटी में आईं और मेरे सामने आकर बैठ गईं।
फिर आंटी बोलीं- रोहित मैं चाय बना कर लाती हूँ।
आंटी चाय लेकर आईं और मेरे सामने आ कर बैठ गईं। और हम दोनों चाय पीने लगे। आंटी इधर-उधर की बातें करने लगीं, "रोहित तुम क्या करते हो और क्या करना चाहते हो?"
फिर आंटी कहने लगीं, "रोहित मैं ब्रा बगैरह सब चैक कर लूँ कि साइज़ सही है या नहीं। अगर सही नहीं होगा, तो तुम चेंज कर लाना।
फिर आंटी अंदर गईं और थोड़ी देर बाद आंटी ने मुझ को आवाज़ दी, "राहुल ज़रा अंदर आना।"
मैं टॉवल में ही अंदर गया और अंदर जाते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
आंटी पैन्टी और ब्रा में थीं। ब्रा पहनने की कोशिश कर रही थीं। मैं झिझक के कारण अंदर नहीं जा रहा था।
आंटी बोलीं- अंदर आ जाओ।
मैं हिम्मत कर के अंदर गया।
आंटी बोलीं- रोहित ज़रा इस को पहनने में मेरी मदद करो प्लीज़। मुझ से हुक लग नहीं रहा।
मैं बोला- आंटी मैं कैसे?
आंटी बोलीं- तो क्या हुआ?
मैं आंटी की ब्रा का हुक लगाने लगा और मिरर मैं से चुपके-चुपके उनके मोटे चूचे देख रहा था।
आंटी मुझ से पूछने लगीं, "रोहित तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं चुप रहा तो आंटी फिर बोलीं- बताओ ना ! मैं किसी को नहीं बताऊँगी।
मैं बोला- आंटी, ऐसी कोई बात नहीं, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
आंटी- क्यों झूठ बोल रहा है।
मैं बोला- आंटी कोई मिली ही नहीं।
आंटी बोलीं- तुमको किस तरह की लड़की चाहिए?
मैं बोला- जो मुझको प्यार करे।
आंटी बोलीं- हाँ, सही है।
मैंने आंटी का ब्रा का हुक लगा दिया। आंटी मेरे सामने सीधी हो कर खड़ी हो गईं। उनके बड़े-बड़े पहाड़ देख कर लण्ड खड़ा हो गया, और टॉवल से साफ दिखने लगा।
आंटी ने शायद देख लिया। फिर आंटी बोलीं- रोहित, ज़रा वो वाली लाना, जो पीछे रखी है।
मैं उस दूसरी ब्रा को लेने गया। तब तक आंटी ने अपनी ब्रा उतार दी और मेरे सामने सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मेरा दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा था।
आंटी बोलीं- लाओ !
मैं उसे लेकर आंटी के पास गया।
आंटी बोलीं- क्या हुआ रोहित कभी किसी औरत को ऐसे नहीं देखा?
मैं कहा- नहीं आंटी।
मेरे लण्ड की तरफ़ लपकीं और बोलीं- ये क्या है?
मैं बोला- आंटी कुछ नहीं।
आंटी मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छूने लगीं और बोलीं- ये तो कुछ 'कहना' चाहता है।
मैं आंटी की बातें सुन कर पागल सा हो रहा था। आंटी ने मेरे टॉवल निकाल दिया। मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में था।
आंटी बोलीं- मैं इसको शाँत करती हूँ !
और आंटी मेरे लण्ड को अंडरवियर के बाहर से हिलाने लगीं।
मुझ से कंट्रोल नहीं हुआ। मैं आंटी को बाँहों में भर लिया और उनको चूमने लगा।
आंटी बोलीं- रोहित, काफ़ी टाइम से तेरे अंकल ने मुझ को प्यार नहीं किया। इसलिए मैंने यह सब किया। अगर मैं तुझसे ये सब करने को बोलती तो तू मुझसे बात भी नहीं करता। तुम को मुझ में क्या मिलेगा?
मैंने बोला- आंटी ऐसी बात नहीं है। आज से मैं आप को प्यार करूंगा।
आंटी मुझ को चूमने लगीं। मैंने आंटी को गोद में लिया और पलंग पर लिटा दिया। आंटी की पैन्टी के ऊपर से ही उन की चूत मसलने लगा और उनके चूचों को चूसने लगा। आंटी मस्त आवाज़ निकलती जा रही थीं।
मैंने आंटी की पैन्टी उतार दी। मैंने देखा उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं है।
आंटी बोलीं- मैंने आज की साफ किया है। आज तुझसे जो मिलना था।
मैंने कहा- क्या बात है डार्लिंग!
वो हंसने लगीं और मेरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगीं। मैं उसके बूब्स चूसते-चूसते उसकी नाभि को चाटने लगा।
उसने कहा- रोहित अपनी आंटी को मत तड़पाओ। प्लीज़, अपने लण्ड डालो।
मैंने आंटी के पैरों को फैलाया और उनकी चूत पर अपना लण्ड रखा। धीरे से अंदर डालना शुरू किया। एक शॉट मारा। आंटी की चीख निकल गई।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और आंटी की आवाजें मुझ को और उत्तेजित करने लगीं, "हहाआ हम्म हहा" मैं स्पीड से अपने लण्ड को उनकी चूत के अंदर-बाहर करता रहा।
आंटी ने अपना पानी छोड़ दिया, पर मेरी स्पीड चालू रही। करीब 15 मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था।
मैंने पूछा- आंटी कहाँ निकालूँ।
वो बोलीं- बाहर निकाल दो।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आंटी के ऊपर ही निकाल दिया।
आंटी बोलीं- अरे तूने अपनी आंटी को गन्दा कर दिया।
मैं कहा- आंटी लो इसको चूसो ना!
आंटी बोलीं- ये सब अच्छा नहीं होता।
मैंने कहा- आंटी प्लीज़!
वो मना करने लगीं। मैंने अपने लण्ड को जबरन उनके मुँह के अंदर डाल दिया और उनको चूसने को कहा। वो मना करने लगीं पर मैंने कहा- आप मुझ से प्यार नहीं करतीं।
फिर आंटी ने कहा- ऐसा नहीं है, चलो मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूँ। वो मेरे लण्ड को चूसने लगीं, और उनने पूरी तरह से साफ कर दिया।
कहने लगीं- तुम सबको इसमें क्या मज़ा आता है?
मैंने कहा- आंटी मजा आता है।
और आंटी अपने आप को साफ करने गुसलखाने में गईं, और थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। गुसलखाने से आंटी साफ होकर बाहर आईं। मेरा मन और कर रहा था। आंटी को मैंने अपने हाथों से फिर से उठा कर पलंग पर लाया।
आंटी बोलीं- अब क्या करना है?
मैंने कहा- आंटी अभी और करना है।
आंटी खुश हो गईं, बोलीं- हाँ हाँ, क्यों नहीं!
मैं आंटी को चूमने लगा और उनके बुब्बुओं को चूसने लगा। मैंने आंटी की चूत मैं फिर से अपने लण्ड को रखा और फिर से एक शॉट मारा और अपना लण्ड पूरा अंदर डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा।
आंटी भी अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगीं और मैं धक्के मारता रहा। फिर आंटी को अपने ऊपर बैठाया और वो मेरे लण्ड के ऊपर चढ़कर ऊपर-नीचे होने लगीं।
करीब 15 मिनट तक करता रहा। फिर मैंने आंटी को एक टेबल के ऊपर बैठाया और उनकी चूत में अपना लण्ड डाल कर शॉट मारा। मैंने उनको 5-6 पोजीशन में चोदा। मैं उनको पलंग पर लेटा कर चोदने लगा।
करीब 30 मिनट बाद मेरा माल निकलने को तैयार था। मैंने आंटी के अंदर ही छोड़ दिया।
आंटी बोलीं- रोहित यह क्या किया?
मैं कहा- आंटी, इसका असली मज़ा अंदर ही है।
और वो मुस्कुराईं, "तू बड़ा बदमाश है, चल हट मेरे ऊपर से।
मैं आंटी के ऊपर ही लेट गया और बोला- आंटी रूको ना! ज़रा आप को चूमने तो दो।
मैं आंटी के स्तनों को चूसता रहा और आंटी के साथ थोड़ी देर लेटा रहा। शाम के 5 बज गये थे। पर मेरा मन घर जाने हो नहीं कर रहा था।
आंटी बोलीं- घर नहीं जाना क्या?
मैंने कहा- आंटी, आपको छोड़ कर जाने का मन नहीं कर रहा है।
आंटी बोलीं- तो क्या हुआ ! रुक जा अपनी आंटी के पास और प्यार कर पूरी रात।
मैं खुश हुआ और सोचा आज सही टाइम है।
मैंने घर फोन कर के बोल दिया- आज मैं अपने दोस्त के यहाँ रुक गया हूँ। कुछ काम है।
आंटी को बाँहों में लेकर चूमने लगा।
आंटी बोलीं- रोहित, आज तो पूरी रात ही तेरी है। पूरी तरह से मुझ को प्यार करो।
मैंने ख़ुशी से आंटी को कस कर बाँहों में जकड़ लिया और किस करता रहा और वो भी साथ देने लगीं। थोड़ी दर हम एक-दूसरे को किस करते रहे।
फिर उसने कहा- अभी थोड़ा आराम कर लो। हम बाद में प्यार करेंगे।
फिर वो अपनी नाईटी पहन कर किचन में गईं और थोड़ा खाने के लिए स्नैक्स लाईं और बोलीं- चलो खाते हैं।
मैंने कहा- आंटी आप मुझ को अपने हाथों से खिलाओ।
मैंने आंटी से पूछा- आंटी आप ने कितने टाइम से सेक्स नहीं किया था?
आंटी बोलीं- सेक्स किए 2 साल से ऊपर हो गया था।
मैं बोला- आंटी आप कैसे अपने आप को संभाल रही थीं।
आंटी बोलीं- मैं आज तुमको और मज़ा दूँगीं।
मैं खुश हुआ और आंटी को चूमने लगा और उनके चूचों को दबाने लगा।
मैंने कहा- आंटी, आपकी गाण्ड का मज़ा लेना है।
आंटी ने कहा- नहीं, दर्द होगा।
मैं कहा- आंटी लेने दो ना !
आंटी कहा- ठीक है।
मैंने आंटी बेड में ले जाकर घोड़ी बना लिया और उनकी गाण्ड में अपना लण्ड डालने लगा। मक्खन लगा होने के कारण, लण्ड उनकी गाण्ड में जाने लगा।
'आआहहाअ…' आंटी को दर्द होने लगा, आंटी बोलीं- रोहित लण्ड निकाल।
मैंने कहा- आंटी रूको, अभी दर्द कम हो जायेगा और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मेरा लण्ड आंटी की गाण्ड में पूरा चला गया और आंटी तड़फती रहीं, पर मैंने उनकी एक न सुनी और अपना लण्ड आंटी की गाण्ड के अंदर-बाहर करता हुए शॉट मारता रहा।
धीरे-धीरे आंटी की आवाज़ भी कम होती रही। और उन को भी मज़ा आने लगा। मैंने आंटी की गाण्ड 15 मिनट तक मारी। मेरा लण्ड पूरे जोश में था।
मैंने आंटी को सीधा किया और अपना लण्ड उनकी चूत में ठेल दिया और शॉट मारने लगा। मैं आंटी को किस करने लगा और शॉट मारता रहा। अब मेरा निकलने वाला था। मैंने स्पीड तेज की और मैंने आंटी की चूत में ही निकाल दिया। मेरा लण्ड अब शाँत हो गया था। मैंने टाइम देखा, 10 बज गये थे।
मैंने कहा- आंटी, अब मैं चलता हूँ,
मेरी मम्मी की सहेली सुनीता की उमर करीब 40 ही होगी, पर वो लगती नहीं थीं। देखने में जूही चावला सी लगती थीं। उनके पति ऑफिस के काम से अक्सर बाहर जाते थे।
उनके 2 बच्चे थे, एक लड़का, जो होस्टल में पढ़ता था और एक लड़की, जिसकी कुछ समय पहले शादी हुई थी।
वो मेरी मम्मी की कुछ समय पहले ही नई सहेली बनी थीं, वो मेरे घर आने लगी थीं। सुनीता आंटी हमेशा साड़ी ही पहनती हैं। मैं उनके बारे मैं कभी कुछ गलत नहीं सोचता था।
एक दिन आंटी मेरे घर आईं और मेरी मम्मी से कहने लगीं- मेरे घर मैं कोई नहीं है, मैं रोहित से कभी कुछ काम होगा तो क्या उससे करा सकती हूँ?"
मेरी मामी ने ‘हाँ’ कह दिया, "आपको कोई भी काम हो, इसको बोल दिया करो, यह कर देगा।
फिर क्या था, सुनीता आंटी मुझको बुला कर कुछ ना कुछ सामान मंगाती रहती थीं। और इस तरह मैं उनके घर में जाता रहता था। मैं कभी उनके घर के अंदर नहीं जाता था। बाहर से उनको सामान दे कर चला जाता था।
एक दिन आंटी ने मुझ को कॉल किया, "रोहित मेरे साथ तुम मार्केट चलो, मुझको कुछ सामान लेना है।
उन दिनों बारिश हो रही थी, मैं आंटी के घर के बाहर आया और कॉल किया- आंटी मैं आ गया हूँ।
फिर आंटी बाहर आईं।
"क्या साड़ी पहनी थी! सिल्क की लाल रंग की साड़ी ! मैंने कभी इतना ध्यान नहीं दिया था क्योंकि मैं आंटी के बारे में कभी भी गलत नहीं सोचता था।
मैं बाइक पर आंटी को मार्केट ले आया। आंटी ने कुछ घर का सामान लिया और फिर आंटी एक शॉप में गईं, जहाँ पैन्टी और ब्रा मिलते थे।
मैं शॉप के बाहर ही रुक गया।
आंटी बोलीं- रोहित क्या हुआ?
मैं बोला- आंटी आप ही जाइए।
आंटी बोलीं- चलो ना, कोई दिक्कत नहीं है।
मैं आंटी के साथ अंदर चला गया। आंटी ने शॉप-कीपर से कुछ पैन्टी और ब्रा दिखाने को कहा। आंटी का साइज़ 42 था। आंटी ने 3 पैन्टी और ब्रा खरीद लीं।
खरीददारी के बाद मैं उनको घर लाने लगा। तभी बारिश होने लगीं।
आंटी और मैं थोड़ा भीग गए। हम जैसे ही आंटी के घर पहुँचे, तभी बारिश और तेज़ हो गई।
आंटी बोलीं- रोहित अंदर चलो।
मैं जल्दी से बाइक लगा कर, आंटी के साथ उनके घर में अंदर गया। मैं आंटी के घर के अंदर पहली बार गया था।
आंटी ने कहा- रोहित, यह लो तौलिया, जल्दी से कपड़े उतार दो, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।
मैंने कहा- आंटी, कोई बात नहीं। मैं बारिश कम होते ही चला जाऊँगा।
आंटी ने कहा- अरे रोहित, तुम्हारी ड्रेस पूरी भीग गई है, तुम बीमार हो जाओगे।
मैंने आंटी की बात मान ली कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया। आंटी भी अपने रूम में कपड़े बदलने चली गईं।
आंटी जब वापस आई तो... क्या लग रही थीं ! वो गुलाबी रंग की नाइटी में आईं और मेरे सामने आकर बैठ गईं।
फिर आंटी बोलीं- रोहित मैं चाय बना कर लाती हूँ।
आंटी चाय लेकर आईं और मेरे सामने आ कर बैठ गईं। और हम दोनों चाय पीने लगे। आंटी इधर-उधर की बातें करने लगीं, "रोहित तुम क्या करते हो और क्या करना चाहते हो?"
फिर आंटी कहने लगीं, "रोहित मैं ब्रा बगैरह सब चैक कर लूँ कि साइज़ सही है या नहीं। अगर सही नहीं होगा, तो तुम चेंज कर लाना।
फिर आंटी अंदर गईं और थोड़ी देर बाद आंटी ने मुझ को आवाज़ दी, "राहुल ज़रा अंदर आना।"
मैं टॉवल में ही अंदर गया और अंदर जाते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
आंटी पैन्टी और ब्रा में थीं। ब्रा पहनने की कोशिश कर रही थीं। मैं झिझक के कारण अंदर नहीं जा रहा था।
आंटी बोलीं- अंदर आ जाओ।
मैं हिम्मत कर के अंदर गया।
आंटी बोलीं- रोहित ज़रा इस को पहनने में मेरी मदद करो प्लीज़। मुझ से हुक लग नहीं रहा।
मैं बोला- आंटी मैं कैसे?
आंटी बोलीं- तो क्या हुआ?
मैं आंटी की ब्रा का हुक लगाने लगा और मिरर मैं से चुपके-चुपके उनके मोटे चूचे देख रहा था।
आंटी मुझ से पूछने लगीं, "रोहित तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं चुप रहा तो आंटी फिर बोलीं- बताओ ना ! मैं किसी को नहीं बताऊँगी।
मैं बोला- आंटी, ऐसी कोई बात नहीं, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
आंटी- क्यों झूठ बोल रहा है।
मैं बोला- आंटी कोई मिली ही नहीं।
आंटी बोलीं- तुमको किस तरह की लड़की चाहिए?
मैं बोला- जो मुझको प्यार करे।
आंटी बोलीं- हाँ, सही है।
मैंने आंटी का ब्रा का हुक लगा दिया। आंटी मेरे सामने सीधी हो कर खड़ी हो गईं। उनके बड़े-बड़े पहाड़ देख कर लण्ड खड़ा हो गया, और टॉवल से साफ दिखने लगा।
आंटी ने शायद देख लिया। फिर आंटी बोलीं- रोहित, ज़रा वो वाली लाना, जो पीछे रखी है।
मैं उस दूसरी ब्रा को लेने गया। तब तक आंटी ने अपनी ब्रा उतार दी और मेरे सामने सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मेरा दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा था।
आंटी बोलीं- लाओ !
मैं उसे लेकर आंटी के पास गया।
आंटी बोलीं- क्या हुआ रोहित कभी किसी औरत को ऐसे नहीं देखा?
मैं कहा- नहीं आंटी।
मेरे लण्ड की तरफ़ लपकीं और बोलीं- ये क्या है?
मैं बोला- आंटी कुछ नहीं।
आंटी मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छूने लगीं और बोलीं- ये तो कुछ 'कहना' चाहता है।
मैं आंटी की बातें सुन कर पागल सा हो रहा था। आंटी ने मेरे टॉवल निकाल दिया। मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में था।
आंटी बोलीं- मैं इसको शाँत करती हूँ !
और आंटी मेरे लण्ड को अंडरवियर के बाहर से हिलाने लगीं।
मुझ से कंट्रोल नहीं हुआ। मैं आंटी को बाँहों में भर लिया और उनको चूमने लगा।
आंटी बोलीं- रोहित, काफ़ी टाइम से तेरे अंकल ने मुझ को प्यार नहीं किया। इसलिए मैंने यह सब किया। अगर मैं तुझसे ये सब करने को बोलती तो तू मुझसे बात भी नहीं करता। तुम को मुझ में क्या मिलेगा?
मैंने बोला- आंटी ऐसी बात नहीं है। आज से मैं आप को प्यार करूंगा।
आंटी मुझ को चूमने लगीं। मैंने आंटी को गोद में लिया और पलंग पर लिटा दिया। आंटी की पैन्टी के ऊपर से ही उन की चूत मसलने लगा और उनके चूचों को चूसने लगा। आंटी मस्त आवाज़ निकलती जा रही थीं।
मैंने आंटी की पैन्टी उतार दी। मैंने देखा उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं है।
आंटी बोलीं- मैंने आज की साफ किया है। आज तुझसे जो मिलना था।
मैंने कहा- क्या बात है डार्लिंग!
वो हंसने लगीं और मेरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगीं। मैं उसके बूब्स चूसते-चूसते उसकी नाभि को चाटने लगा।
उसने कहा- रोहित अपनी आंटी को मत तड़पाओ। प्लीज़, अपने लण्ड डालो।
मैंने आंटी के पैरों को फैलाया और उनकी चूत पर अपना लण्ड रखा। धीरे से अंदर डालना शुरू किया। एक शॉट मारा। आंटी की चीख निकल गई।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और आंटी की आवाजें मुझ को और उत्तेजित करने लगीं, "हहाआ हम्म हहा" मैं स्पीड से अपने लण्ड को उनकी चूत के अंदर-बाहर करता रहा।
आंटी ने अपना पानी छोड़ दिया, पर मेरी स्पीड चालू रही। करीब 15 मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था।
मैंने पूछा- आंटी कहाँ निकालूँ।
वो बोलीं- बाहर निकाल दो।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आंटी के ऊपर ही निकाल दिया।
आंटी बोलीं- अरे तूने अपनी आंटी को गन्दा कर दिया।
मैं कहा- आंटी लो इसको चूसो ना!
आंटी बोलीं- ये सब अच्छा नहीं होता।
मैंने कहा- आंटी प्लीज़!
वो मना करने लगीं। मैंने अपने लण्ड को जबरन उनके मुँह के अंदर डाल दिया और उनको चूसने को कहा। वो मना करने लगीं पर मैंने कहा- आप मुझ से प्यार नहीं करतीं।
फिर आंटी ने कहा- ऐसा नहीं है, चलो मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूँ। वो मेरे लण्ड को चूसने लगीं, और उनने पूरी तरह से साफ कर दिया।
कहने लगीं- तुम सबको इसमें क्या मज़ा आता है?
मैंने कहा- आंटी मजा आता है।
और आंटी अपने आप को साफ करने गुसलखाने में गईं, और थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। गुसलखाने से आंटी साफ होकर बाहर आईं। मेरा मन और कर रहा था। आंटी को मैंने अपने हाथों से फिर से उठा कर पलंग पर लाया।
आंटी बोलीं- अब क्या करना है?
मैंने कहा- आंटी अभी और करना है।
आंटी खुश हो गईं, बोलीं- हाँ हाँ, क्यों नहीं!
मैं आंटी को चूमने लगा और उनके बुब्बुओं को चूसने लगा। मैंने आंटी की चूत मैं फिर से अपने लण्ड को रखा और फिर से एक शॉट मारा और अपना लण्ड पूरा अंदर डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा।
आंटी भी अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगीं और मैं धक्के मारता रहा। फिर आंटी को अपने ऊपर बैठाया और वो मेरे लण्ड के ऊपर चढ़कर ऊपर-नीचे होने लगीं।
करीब 15 मिनट तक करता रहा। फिर मैंने आंटी को एक टेबल के ऊपर बैठाया और उनकी चूत में अपना लण्ड डाल कर शॉट मारा। मैंने उनको 5-6 पोजीशन में चोदा। मैं उनको पलंग पर लेटा कर चोदने लगा।
करीब 30 मिनट बाद मेरा माल निकलने को तैयार था। मैंने आंटी के अंदर ही छोड़ दिया।
आंटी बोलीं- रोहित यह क्या किया?
मैं कहा- आंटी, इसका असली मज़ा अंदर ही है।
और वो मुस्कुराईं, "तू बड़ा बदमाश है, चल हट मेरे ऊपर से।
मैं आंटी के ऊपर ही लेट गया और बोला- आंटी रूको ना! ज़रा आप को चूमने तो दो।
मैं आंटी के स्तनों को चूसता रहा और आंटी के साथ थोड़ी देर लेटा रहा। शाम के 5 बज गये थे। पर मेरा मन घर जाने हो नहीं कर रहा था।
आंटी बोलीं- घर नहीं जाना क्या?
मैंने कहा- आंटी, आपको छोड़ कर जाने का मन नहीं कर रहा है।
आंटी बोलीं- तो क्या हुआ ! रुक जा अपनी आंटी के पास और प्यार कर पूरी रात।
मैं खुश हुआ और सोचा आज सही टाइम है।
मैंने घर फोन कर के बोल दिया- आज मैं अपने दोस्त के यहाँ रुक गया हूँ। कुछ काम है।
आंटी को बाँहों में लेकर चूमने लगा।
आंटी बोलीं- रोहित, आज तो पूरी रात ही तेरी है। पूरी तरह से मुझ को प्यार करो।
मैंने ख़ुशी से आंटी को कस कर बाँहों में जकड़ लिया और किस करता रहा और वो भी साथ देने लगीं। थोड़ी दर हम एक-दूसरे को किस करते रहे।
फिर उसने कहा- अभी थोड़ा आराम कर लो। हम बाद में प्यार करेंगे।
फिर वो अपनी नाईटी पहन कर किचन में गईं और थोड़ा खाने के लिए स्नैक्स लाईं और बोलीं- चलो खाते हैं।
मैंने कहा- आंटी आप मुझ को अपने हाथों से खिलाओ।
मैंने आंटी से पूछा- आंटी आप ने कितने टाइम से सेक्स नहीं किया था?
आंटी बोलीं- सेक्स किए 2 साल से ऊपर हो गया था।
मैं बोला- आंटी आप कैसे अपने आप को संभाल रही थीं।
आंटी बोलीं- मैं आज तुमको और मज़ा दूँगीं।
मैं खुश हुआ और आंटी को चूमने लगा और उनके चूचों को दबाने लगा।
मैंने कहा- आंटी, आपकी गाण्ड का मज़ा लेना है।
आंटी ने कहा- नहीं, दर्द होगा।
मैं कहा- आंटी लेने दो ना !
आंटी कहा- ठीक है।
मैंने आंटी बेड में ले जाकर घोड़ी बना लिया और उनकी गाण्ड में अपना लण्ड डालने लगा। मक्खन लगा होने के कारण, लण्ड उनकी गाण्ड में जाने लगा।
'आआहहाअ…' आंटी को दर्द होने लगा, आंटी बोलीं- रोहित लण्ड निकाल।
मैंने कहा- आंटी रूको, अभी दर्द कम हो जायेगा और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मेरा लण्ड आंटी की गाण्ड में पूरा चला गया और आंटी तड़फती रहीं, पर मैंने उनकी एक न सुनी और अपना लण्ड आंटी की गाण्ड के अंदर-बाहर करता हुए शॉट मारता रहा।
धीरे-धीरे आंटी की आवाज़ भी कम होती रही। और उन को भी मज़ा आने लगा। मैंने आंटी की गाण्ड 15 मिनट तक मारी। मेरा लण्ड पूरे जोश में था।
मैंने आंटी को सीधा किया और अपना लण्ड उनकी चूत में ठेल दिया और शॉट मारने लगा। मैं आंटी को किस करने लगा और शॉट मारता रहा। अब मेरा निकलने वाला था। मैंने स्पीड तेज की और मैंने आंटी की चूत में ही निकाल दिया। मेरा लण्ड अब शाँत हो गया था। मैंने टाइम देखा, 10 बज गये थे।
मैंने कहा- आंटी, अब मैं चलता हूँ,
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