चाचाजान जो पास के ही एक छोटे से शहर में रहते हैं, अक्सर हमारे घर आया करते हैं, पर वे ज़्यादातर अम्मी के कमरे में ही घुसे रहते हैं। मुझे पहले तो कु्छ नहीं लगा पर एक दिन जान ही गई कि अम्मी अपने देवर यानी मेरे चाचा से ही फ़ुद्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेती हैं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर अजीब सा मज़ा भी मिला दोनों को देखकर।
मैं जान गई अम्मी अपने देवर से फँसी है और दोनों चुदाई का मज़ा लेते हैं। चाचा करीब 30 साल के हैं। चाचा अब मुझे भी अजीब नज़र से देखते हैं पर मैं कु्छ ना बोलती !
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा, चाचा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था मुझे ! अगर पापा नहीं होते तो अम्मी चाचा को अपने कमरे में ही ठहराती, सुलाती।
एक रात अम्मी के कमरे में कान लगा कर मैं दोनों की बात सुन रही थी तो दोनों की बात सुन दंग रह गई।
चाचा ने कहा- सायरा भाभी, अब तो अपनी फ़ातिमा भी जवान हो गई है। भाभी, आपने कहा था कि फ़ातिमा का मज़ा भी आप दिलवाओगी?
"ओह्ह मेरे प्यारे देवर जी, तुमको रोकता कौन है। तुम्हारी भतीजी है, जो करने का मन है वो करो। जवान हो गई है तो चोद दो साली को। जब मैं फ़ातिमा की उम्र की थी तो कई-कई लंड खा चुकी थी। 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुदवा रही हूँ। आजकल तो लड़कियाँ हाई स्कूल में चुदवाने लगती हैं।
मैं चुपचाप दोनों की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी।
"वो गुस्सा ना हो जाए?"
"नहीं होगी ! तुम गधे हो, पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मानती है पर जब मज़ा पाएगी तो खुद उछल उछल कर देने लगेगी। ज़रा चूत चाटो और तैयार ! अब अपनी भाभी की चूत चाटो, भतीजी की जब मिलेगी तो मिलेगी।"
"जी भाभी !" चाचा अम्मी की चूत को चाटने लगे।
कु्छ देर बाद फिर चाचा की आवाज़ आई- फ़ातिमा पूरी गदरा गई है भाभी !
"हाँ ! हाथ लगाओगे तो और गदरायेगी ! डरने की ज़रूरत नहीं। वो खुद ही चुदने को तैयार दीखती है, एक दिन गली में कुत्ते-कुतिया की गांठ लगी देख कर अपनी बुर पर हाथ फ़ेर रही थी ! फ़िर भी अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद देना, देखना मज़ा पाते ही अपने चाचा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने देवर भैया की दीवानी हो गई हूँ। चाटो मेरे देवर जी ! मुझे चटवाने में बहुत मज़ा आता है।"
"हाँ भाभी, मुझे भी तुम्हारी चूत चाटने में बड़ा मज़ा मिलता है।"
मैं दोनों की बात सुन कर मस्त हो गई। मन का डर तो अम्मी की बात सुन निकल गया, जान गई कि मेरा कुँवारापन अब बचेगा नहीं। अम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी।
जान गई कि जब अम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा। अम्मी तो अपने देवर से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी। अम्मी और चाचा की बात सुन वापस आ अपने कमरे में लेट गई। मैं अपनी दोनों चूचियों तेज़ी से मसल रही थी और रानों के बीच की चूत गुदगुदा रही थी।
कु्छ देर बाद मैं फिर अम्मी के कमरे की खिड़की के पास गई और अंदर की बात सुनने लगी। अजीब सी पक्क-चक्क की आवाज़ आ रही थी, मैंने सोचा कि पता नहीं यह कैसी आवाज़ है, तभी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी- हाए थोड़ा और साले बहनचोद तुमने तो आज थका ही दिया।
"अरे साली रंडी भाभीजान ! अभी तो दस बार ऐसे ही करूँगा।"
मैं तड़प उठी दोनों की गंदी-गंदी बातें सुनकर, जान गई कि पक्क-पक्क की आवाज़ चुदाई की है और अम्मी अंदर चुद रही हैं, चाचा अम्मी को चोद रहे हैं। मैंने धीरे से खिड़की के पल्ले को धकेला तो वो थोड़ा सा खुल गया, अन्दर का नजारा मुझे साफ़ दिखने लगा। अम्मी पूरी नंगी बैड पर हाथ टिका कर जमीन पर खड़ी थी और चाचा उन्हें पीछे से चोद रहे थे। मुझे तो चाचा के कूल्हे आगे पीछे होते दिख रहे थे।
तभी अम्मी ने कहा- अय हाय… बहुत दमदार लौड़ा है तुम्हारा। ग़ज़ब की ताक़त है ! मेरी दो बार झड़ चुकी है। आ…आअहह… बस ऐसे ही… तीसरी बार निकलने वाला है… आह… अहह… बस राजा… निकला… तुम सच में एक बार में दो तीन लौण्डियों को खुश कर सकते हो। जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो फ़ातिमा को जवान कर दो जाकर !
"कहाँ होगी मेरी जान?"
"अपने कमरे में ! जाओ दरवाज़ा खुला होगा। मुझमें तो अब जान ही नहीं रह गई है।"
अम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था, घर में ही सारा मज़ा है तो बाहर क्यों चूतड़ तुड़वायें !
चाचा अपनी भाभी को चोदने के बाद अब अपनी कुँवारी भतीजी को चोदने को तैयार थे। अम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई। मैं जान गई कि चाचा अम्मी को चोदने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोदकर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे में आएँगे।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे। मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था। मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती। अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
10 मिनट बाद उसकी आहट मिली, मेरे रोएँ खड़े हो गये, मुझे चैन नहीं मिला तो झटके से एक पूरी चूची को बाहर निकाल आँख बंद कर ली।
जब 30 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 18 साल की देखकर तो चचाजान पागल हो जाता। तभी वह कमरे में आया। मैं गुदगुदी से भर गई, जो सोचा था वही हुआ, पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मैक्सी में उघड़ी रानों के बीच गई।
अम्मी के पास से वापस आने पर मज़ा खराब हुआ था पर अब फिर मज़ा आने लगा था।
जब चाचा अपने दोनों हाथ पलंग पर जमा मेरी रानों पर झुका तो मैंने आँखें बंद कर ली, मेरी साँसें तेज़ हुई, मेरी चूचियों और चूत में फुलाव आया। मैं दोनों रानों के बीच एक फुट का फासला किए उसे अपनी अनछुई हक्ले रोमों से सजी उजली चूत का पूरा दीदार करा रही थी।
कु्छ देर तक वा मेरी चूत को घूरता रहा, फिर मेरे दोनों उभरे उभरे अनारों को निहारता रहा, फ़िर धीरे से बोला- हाय, क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा ! बुर की लकीर बिल्कुल पके हुए आड़ू जैसी ! हाय फ़ातिमा, गर तू अपने चचा से चुदने को राज़ी हो जाए तो कितना मज़ा मिले तुझे भी और मुझे भी !
और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया !
मेरे तो पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया ! मैं तो नींद का बहाना किए लेटी थी, चचा अप्नी भतीजी की नंगी कोरी बुर को चूमकर कु्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मैक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला- हाय, क्या मस्त माल है ! अब तो चुदी माँ के साथ बेटी की कुँवारी फाँकों का पूरा मज़ा लूँगा।
मैंने अपने चोदू चाचा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हो गई। चूत पर बोसे से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया कि उससे लिपट कर कह दूँ कि 'अब नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं तैयार हूँ ! लूटो मेरी कुँवारी चूत को चाचा !
पर चुप रही।
तभी चाचा बेड पर बैठ गये और मेरी गोरी चिकनी जांघों पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे। उससे चूत पर हाथ लगवाने में इतना मज़ा आ रहा कि बस मन यह कहने को बेताब हो उठा कि 'राजा, नंगी करके पूरा बदन सहलाओ, मसल दो अपनी भतीजी को !
अम्मी का कहना सही था कि 'हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी।'
तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच में आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी- हाय ! कौन?
मैं जान गई अम्मी अपने देवर से फँसी है और दोनों चुदाई का मज़ा लेते हैं। चाचा करीब 30 साल के हैं। चाचा अब मुझे भी अजीब नज़र से देखते हैं पर मैं कु्छ ना बोलती !
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा, चाचा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था मुझे ! अगर पापा नहीं होते तो अम्मी चाचा को अपने कमरे में ही ठहराती, सुलाती।
एक रात अम्मी के कमरे में कान लगा कर मैं दोनों की बात सुन रही थी तो दोनों की बात सुन दंग रह गई।
चाचा ने कहा- सायरा भाभी, अब तो अपनी फ़ातिमा भी जवान हो गई है। भाभी, आपने कहा था कि फ़ातिमा का मज़ा भी आप दिलवाओगी?
"ओह्ह मेरे प्यारे देवर जी, तुमको रोकता कौन है। तुम्हारी भतीजी है, जो करने का मन है वो करो। जवान हो गई है तो चोद दो साली को। जब मैं फ़ातिमा की उम्र की थी तो कई-कई लंड खा चुकी थी। 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुदवा रही हूँ। आजकल तो लड़कियाँ हाई स्कूल में चुदवाने लगती हैं।
मैं चुपचाप दोनों की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी।
"वो गुस्सा ना हो जाए?"
"नहीं होगी ! तुम गधे हो, पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मानती है पर जब मज़ा पाएगी तो खुद उछल उछल कर देने लगेगी। ज़रा चूत चाटो और तैयार ! अब अपनी भाभी की चूत चाटो, भतीजी की जब मिलेगी तो मिलेगी।"
"जी भाभी !" चाचा अम्मी की चूत को चाटने लगे।
कु्छ देर बाद फिर चाचा की आवाज़ आई- फ़ातिमा पूरी गदरा गई है भाभी !
"हाँ ! हाथ लगाओगे तो और गदरायेगी ! डरने की ज़रूरत नहीं। वो खुद ही चुदने को तैयार दीखती है, एक दिन गली में कुत्ते-कुतिया की गांठ लगी देख कर अपनी बुर पर हाथ फ़ेर रही थी ! फ़िर भी अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद देना, देखना मज़ा पाते ही अपने चाचा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने देवर भैया की दीवानी हो गई हूँ। चाटो मेरे देवर जी ! मुझे चटवाने में बहुत मज़ा आता है।"
"हाँ भाभी, मुझे भी तुम्हारी चूत चाटने में बड़ा मज़ा मिलता है।"
मैं दोनों की बात सुन कर मस्त हो गई। मन का डर तो अम्मी की बात सुन निकल गया, जान गई कि मेरा कुँवारापन अब बचेगा नहीं। अम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी।
जान गई कि जब अम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा। अम्मी तो अपने देवर से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी। अम्मी और चाचा की बात सुन वापस आ अपने कमरे में लेट गई। मैं अपनी दोनों चूचियों तेज़ी से मसल रही थी और रानों के बीच की चूत गुदगुदा रही थी।
कु्छ देर बाद मैं फिर अम्मी के कमरे की खिड़की के पास गई और अंदर की बात सुनने लगी। अजीब सी पक्क-चक्क की आवाज़ आ रही थी, मैंने सोचा कि पता नहीं यह कैसी आवाज़ है, तभी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी- हाए थोड़ा और साले बहनचोद तुमने तो आज थका ही दिया।
"अरे साली रंडी भाभीजान ! अभी तो दस बार ऐसे ही करूँगा।"
मैं तड़प उठी दोनों की गंदी-गंदी बातें सुनकर, जान गई कि पक्क-पक्क की आवाज़ चुदाई की है और अम्मी अंदर चुद रही हैं, चाचा अम्मी को चोद रहे हैं। मैंने धीरे से खिड़की के पल्ले को धकेला तो वो थोड़ा सा खुल गया, अन्दर का नजारा मुझे साफ़ दिखने लगा। अम्मी पूरी नंगी बैड पर हाथ टिका कर जमीन पर खड़ी थी और चाचा उन्हें पीछे से चोद रहे थे। मुझे तो चाचा के कूल्हे आगे पीछे होते दिख रहे थे।
तभी अम्मी ने कहा- अय हाय… बहुत दमदार लौड़ा है तुम्हारा। ग़ज़ब की ताक़त है ! मेरी दो बार झड़ चुकी है। आ…आअहह… बस ऐसे ही… तीसरी बार निकलने वाला है… आह… अहह… बस राजा… निकला… तुम सच में एक बार में दो तीन लौण्डियों को खुश कर सकते हो। जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो फ़ातिमा को जवान कर दो जाकर !
"कहाँ होगी मेरी जान?"
"अपने कमरे में ! जाओ दरवाज़ा खुला होगा। मुझमें तो अब जान ही नहीं रह गई है।"
अम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था, घर में ही सारा मज़ा है तो बाहर क्यों चूतड़ तुड़वायें !
चाचा अपनी भाभी को चोदने के बाद अब अपनी कुँवारी भतीजी को चोदने को तैयार थे। अम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई। मैं जान गई कि चाचा अम्मी को चोदने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोदकर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे में आएँगे।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे। मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था। मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती। अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
10 मिनट बाद उसकी आहट मिली, मेरे रोएँ खड़े हो गये, मुझे चैन नहीं मिला तो झटके से एक पूरी चूची को बाहर निकाल आँख बंद कर ली।
जब 30 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 18 साल की देखकर तो चचाजान पागल हो जाता। तभी वह कमरे में आया। मैं गुदगुदी से भर गई, जो सोचा था वही हुआ, पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मैक्सी में उघड़ी रानों के बीच गई।
अम्मी के पास से वापस आने पर मज़ा खराब हुआ था पर अब फिर मज़ा आने लगा था।
जब चाचा अपने दोनों हाथ पलंग पर जमा मेरी रानों पर झुका तो मैंने आँखें बंद कर ली, मेरी साँसें तेज़ हुई, मेरी चूचियों और चूत में फुलाव आया। मैं दोनों रानों के बीच एक फुट का फासला किए उसे अपनी अनछुई हक्ले रोमों से सजी उजली चूत का पूरा दीदार करा रही थी।
कु्छ देर तक वा मेरी चूत को घूरता रहा, फिर मेरे दोनों उभरे उभरे अनारों को निहारता रहा, फ़िर धीरे से बोला- हाय, क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा ! बुर की लकीर बिल्कुल पके हुए आड़ू जैसी ! हाय फ़ातिमा, गर तू अपने चचा से चुदने को राज़ी हो जाए तो कितना मज़ा मिले तुझे भी और मुझे भी !
और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया !
मेरे तो पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया ! मैं तो नींद का बहाना किए लेटी थी, चचा अप्नी भतीजी की नंगी कोरी बुर को चूमकर कु्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मैक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला- हाय, क्या मस्त माल है ! अब तो चुदी माँ के साथ बेटी की कुँवारी फाँकों का पूरा मज़ा लूँगा।
मैंने अपने चोदू चाचा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हो गई। चूत पर बोसे से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया कि उससे लिपट कर कह दूँ कि 'अब नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं तैयार हूँ ! लूटो मेरी कुँवारी चूत को चाचा !
पर चुप रही।
तभी चाचा बेड पर बैठ गये और मेरी गोरी चिकनी जांघों पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे। उससे चूत पर हाथ लगवाने में इतना मज़ा आ रहा कि बस मन यह कहने को बेताब हो उठा कि 'राजा, नंगी करके पूरा बदन सहलाओ, मसल दो अपनी भतीजी को !
अम्मी का कहना सही था कि 'हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी।'
तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच में आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी- हाय ! कौन?
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