मेरा नाम संध्या है, मेरे आस पास के सभी लोग मुझे सैंडी कहते हैं है, इक्कीस साल की पंजाबन कुड़ी हूँ बीए के दूसरे साल की छात्रा हूँ। हम तीन बहनें हैं, मैं दूसरे नंबर की हूँ। मेरा गोरा रंग, पतली कमर, तीखे नैन-नक्श हैं, छल छल करता जिस्म है।
कई बॉय फ्रेंड बनाये और बदले हैं, दसवीं में ही चुद गई थी जब मेरा पहला एफेयर राजू नाम के लड़के से चला। हमारी मुलाकातें शुरु हुई, पहले ये मुलाकातें सिनेमा में जहाँ होंठ से होंठ चूमने का काम शुरु हुआ, फिर कभी कभी उसकी कार में मिलने लगे, फिर साइबर कैफे में मिले, केबिन में पहली बार उसने मेरे मम्मे दबाये, चुचूक चूसे, घंटों-घंटों स्कूल से भाग़ उसके संग बैठने लगी, वहाँ हल्का म्यूजिक चलता रहता। सभी आशिक जोड़े अब कैफे में मिलने लगे थे।
एक दिन उसने अपना लौड़ा निकाल हाथ में दिया, सांवले रंग का मोटा लंबा था, वेबसाइट पर नंगी तस्वीरें मुझे दिखाकर बोला- मुँह में ले !
मैंने मुँह में लेकर चूसा, मजा बहुत आया। अब थोड़ी देर रोज़ मिलते ही थे, मोनिटर साइड पर कर वो मेज पर बैठ जाता, मैं कुर्सी पर बैठ उसका लौड़ा चूसती, फिर मैं मेज पर बैठकर सलवार खिसका उससे अपनी फुदी चटवाती, मम्मे चुसवाती।
आखिर एक दिन उसका घर खाली था, मुझे घर ले गया, जाते ही दोनों बिस्तर में एक दूसरे के अंग चूसने लगे, पहली बार उसने मेरी फुद्दी मारी, सील तोड़ दी, खून निकला,दर्द हुआ, मजा भी आया। पहली बार उसका जल्दी निकल गया इसलिए दोबारा खड़ा करके उसने दूसरा राऊंड लगाया, काफी वक़्त निकला, घोड़ी भी बनाया।
अब जब सील टूट गई, खून भी निकल चुका था, अब कैफे में में उसका खड़ा करवाती चूस कर फिर वो कुर्सी पर बैठ जाता और मैं उस पर बैठ जाती, मेरे मम्मे उसके मुँह के करीब होते और लौड़ा फुद्दी में।
उसका दूसरी लड़की से एफेयर निकला, इधर मैंने भी बॉय फ्रेंड बदल दिया। फिर अगले कुछ सालों में मैंने कई लड़कों से एफेयर चलाये और सभी को अपनी जगह रख हेंडल किया।
फिर दीदी की शादी हो गई, ससुराल चली गई। जीजा जी बहुत बहुत हैण्डसम-स्मार्ट हैं।
पहले वो सामान्य रहे लेकिन फिर उन्होंने मुझमें दिलचस्पी लेनी शुरु कर दी। मैं भी उन पर मरने लगी, दोनों एक दूसरे की ओर खिंचने लगे।
सर्दी के दिन थे, दीदी-जीजू आये हुए थे, मुझे याद है नया साल चढ़ने वाली रात थी।
पापा और जीजा जी ने बैठकर दारु के पैग खींचे और फिर सबने एक साथ डिनर भी किया। जीजाजी की आँखों में नशा था और मेरे प्रति प्यास।
सभी रजाई में बैठ कर टी वी का कार्यक्रम देखने लगे। पहले दीदी, फिर जीजू फिर मैं और मेरे आगे माँ बैठी थी।
मैंने नोट किया जीजू मेरी तरफ सरके, इधर माँ झपकियाँ लेने लगी, उठी, बोली- मुझे नींद आ रही है।
माँ सोने चली गई, उधर दीदी भी बार बार झपकी ले रही थी। जीजू ने मेरी रजाई में हाथ घुसाया, मैं उनकी तरफ सरकी, नज़र दोनों की टी.वी पर थी, उनका हाथ मेरी जांघ पर रेंगने लगा। मैंने अपना हाथ घुसाया और उनके लौड़े को पकड़ लिया। वो पहले ही खड़ा हुआ था। जीजू ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लोअर में घुसा दिया।
हाय ! उनका कितना बड़ा था उनका !
मैं उनकी मुठ मारने लगी। देखा कि दीदी सो गई तो मैंने चेहरा उनकी ओर घुमाया, मेरे होंठ चूम लिए जीजा जी ने, मेरा हाथ हटाया और दीदी से बोले- जान सो गई क्या?
"चलो सोने चलते हैं फिर !"
"ठीक !"
मैं चुदना चाहती थी, बोली- जाओ, मैं दूध लेकर आती हूँ !
दीदी बोली- मुझे नहीं पीना !
जीजू बोले- पीना चाहिए !
मैंने दादी के कमरे से नींद की दो गोलियाँ पीस दीदी के ग्लास में मिला दी, बाकी जीजू ने काम किया, उठाकर पिला दिया।
माँ-पापा की नींद बहुत गहरी है।
मैं वापिस आकर लेट गई, आधे घंटे बाद जीजू आए, दरवाज़ा खुला था, मैंने नीचे सिर्फ पैंटी पहनी थी, ऊपर सिर्फ टीशर्ट !
"जीजा ! दरवाज़े को कुण्डी लगा कर आना !"
जैसे वो आये, रजाई में हाथ डाला- तू तो तैयारी करके बैठी है !
जीजू ने रजाई हटाई, मेरी टांगें फैला कर मेरी फ़ुद्दी का मुआयना किया और दाने को चाटने लगे। मेरा हाथ उनके बालों में फिरने लगा। उनको फ़ुद्दी चाटनी पसंद थी, एक उंगली फुद्दी में डाल घुमाने लगे और साथ दाना चाटने लगे। मेरे तो चूतड़ मस्ती में उठने लगे।
"लगता है काफी नज़ारे लूटें हैं?"
मैं चुप रही, मैंने भी उनका लौड़ा चूसने की इच्छा जताई तो जीजा जी उसी पल फ़ैल गए, मैं चुपचाप उनका लौड़ा चाटने लगी- बहुत मोटा है आपका !
"पसंद आया?"
"बहुत !"
"जिस दिन चहिए, फ़ोन कर दिया करना !"
"ज़रूर ! जीजा अब मारो न मेरी !"
जीजा ने मेरी फुद्दी में घुसा दिया !
नये साल वाले मिनट में जीजा का लौड़ा मेरे अंदर था, जीजू बोले- देख नये साल वाले मिनट तेरी ले रहा हूँ, अब पूरा साल ऐसे देती रहना मुझे और अपने आशिकों को !
"हाय मर गई ! बहुत लंबा-मोटा है ! चीर दी फुद्दी साली की ! खा गई लौड़ा जीजा का ! जोर जोर से मारो मेरी ! हाय फाड़ दो मेरी ! बहुत अच्छे ! अह अह !"
मुझे बहुत मजा आया ! इस तरह मेरे जीजू से मेरे अन्तरंग सम्बन्ध स्थापित हो गए।
जब कोई नई घटना घटेगी तो ज़रूर लिखूँगी।
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