कुसुम को मेरे घर से गए हुए कुछ 4 महीने हुए थे. वो मुझे मोबाइल मेसेज के जरिये हिन्दी शायरी, गंदे जोक्स और दूसरी चीजें भेजती रहती थी. कभी कबार वो फोन कर के भी मुझ से बातें कर लेती थी. मेरी बीवी मधु से छुपाने के लिए मैंने उसका नाम रतन नूरा के नाम से सेव किया था मोबाइल में. एक दिन मैं डाइनिंग टेबल पे बैठा अख़बार पढ़ रहा था तभी बीवी ने आवाज लगाई, “अजी सुनते हो किसी रतन नूरा का फोन आया हैं.”
चुदक्कड साली का फोन आया
मैंने फट से अख़बार फेंका और फोन अपने हाथ में लिया.
“हल्लो, बोलो.” मैंने फोन ले के गेलरी की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा.
“जीजू कैसे हो आप. आप तो आजकल अपनी साली को याद ही नहीं करते.” कुसुम हंस के बोली.
“अरे हम तो याद करते हैं बस थोडा बीजी थे.” मैंने फोन की वोल्यूम के बटन को निचे दबाते हुए कहा.
“अच्छी बात हैं. मैंने आप के शहर में ही हूँ दो दिन के कोलेज के इंडस्ट्रियल टूर पे. हो सके तो शाम को मिलने का जुगाड़ कीजिए कुछ.” कुसुम की बातो ने चुदवाने की महेच्छा नजर आ रही थी.
मैंने कहा, “कहा ठहरना हैं आप लोगो का.”
“हम लोग होटल न्यू एरा में हैं. आज सुबह आये हैं और परसों तक यही हैं. हो सके तो एक शाम हमारे साथ ननिकाल लीजिए.” कुसुम की चुदासी आवाज मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.
मैंने कुसुम को हाँ कहा और फोन रख के मैंने अरविंद को फोन लगाया. अरविन्द दरअसल मेरा मेनेजर हैं जिसे जवान लड़कियां चोदने का बड़ा शौक हैं. उसके हाथ में मेरे प्रोमोशन की रेखा हैं और मैं जानता हूँ की कुसुम की चूत मुझे प्रमोशन दिलाने में बड़ी मदद कर सकती हैं.
“हल्लो कौन अरविंद साहब.?” मैंने पूछा.
“हाँ बोलो क्या हुआ.” सामने अरविंद बाबू ही थे.
“कुछ नहीं एक जुगाड़ हुआ था आप के लिए. कच्ची कली हैं. 20 साल की उम्र हैं रिशेत में मेरी साली हैं लेकिन उसकी चूत बड़ी ही प्यासी हैं. अगर आप कहो तो हम तीनो मजे ले सकते हैं होटल न्यू एरा में.” मैंने अरविंद के सामने चारा फेंका.
“बढ़िया हैं. मैं होटल न्यू एरा में ही एक रूम बुक कर लेता हूँ ताकि बहार ना जाना पड़े. लेकिन वो मुझ से चुदवा लेंगी ना?” अरविंद की बेताबी बढ़ रही थी.
“अरे वो ले लेंगी आप का भी टेंशन ना लो. बस आप मजे लो सर जी.” मैंने अरविंद को भरोसा दिलाया.
अरविंद से फोन पे बात करने के बाद मैंने वापस कुसुम को फोन किया.
“हेल्लो, मैं शाम को होटल से ही तुम्हे फोन करता हूँ. मेरे साथ मेरे एक दोस्त भी आयेंगे; कोई दिक्कत तो नहीं हैं ना?” मैंने पूछा.
कुसुम हंस के बोली, “अरे एनिथिंग फॉर यू माय स्वीट जीजू.”
मैं समझ गया की कुसुम की चूत और गांड में अजब खुजली हैं जीजा से चुदवाने की. मैं भी मनोमन अपनी साली की चूत का मजा लेने के लिए उतावला हुआ पड़ा था.ऑफिस में मैंने अरविंद सर से बात की और उन्होंने मुझे शाम को 4 बजे ही ऑफिस से निकल जाने को कहा. साथ में निकलने से किसी को शक हो सकता था इसलिए वो साढ़े 4 बजे निकलने वाले थे. मैंने होटल न्यू एरा जाके अरविंद सर का नाम लिया और होटल के रिसेप्शनिस्ट ने मुझे एक कमरे की चाबी दे दी. अरविंद सर शायद यहाँ आते जाते रहते थे तभी तो उनके नाम मात्र से मुझे एक चाबी di गई थी. शायद यही होटल थी जहाँ अरविंद सर जवान चूत का लुत्फ़ उठाते होंगे.
कमरे में जाने के बाद मैंने फिर से कुसुम को फोन किया. मैंने उसे तीसरी मंजिल पे कमरा नंबर 351 में आने के लिए कहा. कुसुम ने मुझे कहा की वो 10 मिनिट के अंदर आ रही हैं; क्यूंकि उसके 1-2 दोस्त उसके साथ थे. मैंने कुसुम की चूत की राह में बैठ गया और वेटर से एक बियर और कुछ फ्राय सिंग मंगा ली. बियर की ठंडी घूंट भर रहा था तभी दरवाजे के ऊपर दस्तक हुई. मैं जान गया की कुसुम आ गई हैं. मैंने ग्लास मेज पे रखा और दरवाजे को खोला. कुसुम फट से अंदर आई और मुझेचिपक गई. इतने महीनो के बाद उसके चुंचो में कुछ भारीपन जरुर आया था. मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठो को अपने होंठो से लगा दिया. कुसुम ने भी मेरी लिप किस का सटीक तरीके से जवाब दिया और वो मुझे उतनी ही तीव्रता से किस करने लगी. मेरा लंड खड़ा हो गया कुसुम को छुते ही. उसने उसके हाथ मेरे बालों में फंसा लिए और वो मुझे एकदम डीप किस करने लगी. उसकी जबान मेरी जबान को लपेट रही थी और वो उसे खिंच खिंच के चूसती जा रही थी. मैंने भी उसके चुम्मे का जवाब अपने चुम्मे से दिया और मेरे हाथ भी उसके स्तनों से खिलवाड़ करने लगे. मेरी साँसों की गति बढ़ने लगी और लंड जैसे की दस्तक देने लगा पेंट के दरवाजे को.
लंड चूस रही थी तभी अरविंद सर आये
कुसुम की आहें गरम होने लगी थी और उसकी चूत ने भी जरुर पसीना छोड़ा होंगा. उसके हाथ मेरे लंड की लम्बाई नापने लगे और मैंने उसे और भी कस के चुम्मा दे दिया. उसकी हालत अब बिगड़ने लगी थी. उसने फट से अपनी ऊँगली ज़िप पे लगाईं और उसे खोल दी. मैंने अपने एक हाथ से मेरा लंड बहार निकाला. लंड के बहार आते ही वो निचे अपने घुटनों पे जा बैठी और लौड़े को चुम्मे देने लगी. उसका स्कर्ट बैठने की वजह से थोडा उठ गया और उसने दुसरा हाथ अपने स्कर्ट के अंदर अपनी चूत पर रख दिया. कुसुम ने अपना मुहं खोल के मेरे लंड को सीधा मुहं में ले लिया और वो उसे चूसने और चाटने लगी. मैंने अपने बाल्स को हाथ में लिया और उन्हें ऊपर उठाया. कुसुम समझ गई की उसे अब क्या करना हैं. उसने कुत्ते की तरह अपनी जीभ बहार की ओर निकाली और वो मेरे बाल्स यानी को गोलियों को चाटने लगी. यह एक बड़ा ही रोमांचित कर देने वाला सेक्स आसन होता हैं; और जिसने अपने बोल्स चट्वायें हैं वो इसका सुखद अनुभव जानते हैं. कुसुम बड़े ही ससेक्सी तरीके से अब बाल्स और लंड चाट रही थी.
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी. वो अरविंद सर ही थे. मैंने उन्हें कमरे में बुला लिया. उन्होंने दस्तक दी और मैंने खड़े लंड के साथ ही दरवाजा खोला. अंदर आते ही अरविंद सर ने कुसुम की और देखा. कुसुम का हाथ अब भी उसकी चूत के ऊपर रखा हुआ था जिसे वो मसल रही थी. अरविंद सर ने आके सोफे के ऊपर अपनी गांड टिकाई और बोले, “क्या नाम हैं तुम्हारा?”
कुसुम ने अपना नाम बताया और वो अपनी चूत को मलती रही. अरविंद ने फट से अपनी पेंट खोली और अपने लौड़े को बहार निकाला. उनका लंड तो मेरे से भी लम्बा था जैसे नाग का बच्चा. कुसुम ने अरविंद के लंड को अपने हाथ में लिया और मेरे लंड को अपने मुहं में. मेरी साली को चुदाई री-स्टार्ट करने में कोई दिक्कत ही नहीं हुई जैसे. अरविंद सर ने अपनी शर्ट के बटन खोले और वो कुसुम के चुंचो को मसलने लगे. कुसुम ने अब की मेरा लंड अपने मुहं में गले तक भर लिया और वो उसे मस्त चूसने लगी. अरविंद सर बड़ी बेताबी से अपने लंड के ऊपर थूंक लगने की राह देख रहे थे शायद. मैंने कुसुम के माथे को पकड के उसके मुहं में लंड के झटके लगाये और मेरी यह चुदासी साली लंड के झटको को बड़े ही आराम से सहने लगी. अरविंद का लंड वैसे ही प्यार से सहलाया जा रहा था जैसे मेरा लौड़ा चूसा जा रहा था. कुसुम ने अब धीरे से मेरे लंड को अपने मुहं से बहार निकाला और उसके ऊपर अपने हाथ जमा दिए. अरविंद का लौड़ा अब उसने अपने छोटे से मुहं में भर लिया और उसे चूसने लगी.
अरविंद की आँखे बंध हो गई और वो एक एक सेकण्ड की चूसाइ का लुत्फ़ उठाने लगे.मैंने कुसुम के हाथ से अपने लौड़े को छुड़ाया और मैं निचे बैठ गया. अरविंद ने यह देखा और उसने कुसुम को कंधे से पकड के पलंग पे बिठाया. वो खुद पलंग के ऊपर खड़ा हो गया और कुसुम को वापस लौड़ा मुहं में देने लगा. मैंने कुसुम की टांगो को फैलाया और उसकी पेंटी को धीरे से निचे सरकाया. कुसुम ने अपनी चूत नजदीक में ही शेव की थी तभी तो उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था. मैंने पेंटी को पूरा निचे खिंच लिया और उसकी टाँगे उठा के अपने कंधो के ऊपर रख दी. उसकी चूत बिलकुल मेरे सामने थी और मैं अपनेआप को जरा भी रोक नहीं पाया. मैंने अपनी जबान चूत के ऊपर फेरा और कुसुम की आह मैंने सुनी. कुसुम ने मेरे माथे को पकड के अपनी चूत की तरफ खिंच लिया. मैंने अपनी जबान को चूत के छेद में डाला और कुसुम को मजे देने लगा. कुसुम की आह पे आह निकलने लगी.
अरविंद अभी भी अपना लंड कुसुम के मुहं में पेलने लगे. मैंने कुसुम की चूत को फाड़ा और चूत के दाने के ऊपर अपनी जबान रगड़ने लगा. जिस ने चूत के दाने के ऊपर जबान घिसवाई हो उसे ही पता हैं की इसका मजा क्या हैं. क्यूंकि कुसुम तो जैसे की पगला सी गई थी और वो अरविंद के लौड़े को और भी मजे से चूसने लगी. बिच बिच में वो मेरे सर को अपनी और खिंच लेती थी.अरविंद सर भी बड़े मजे से कुसुम को मजे से लौड़ा चूसा रही थी. अब मेरा लंड बिलकुल तैयार था कुसुम की गरम चूत को चोदने के लिए. मैंने कुसुम के भोसड़े से अपना मुहं हटाया और लंड पकड के चूत के ऊपर रख दिया. कुसुम भी चुदवाने के लिए बेताब थी इसलिए उसने अपनी चूत में मेरे लंड का रास्ता अपने हाथ से बनाया. मैंने एक झटका दिया और कुसुम की चूत के अंदर अपना लंड ठेल दिया. कुसुम ने एक आह निकाली और पुरे लंड को अपने भोसड़े में भर लिया. अरविंद का लंड अभी भी कुसुम के मुहं में था और वो मुझ से चुद रही थी. मैंने कुसुम के चुंचो को पकड़ा और अपनी गांड हिला हिला के उसकी चुदाई करने लगा. कुसुम ने अरविंद का लंड अपने मुहं से निकाला और वो उसे अपने हाथ से हिलाने लगी.
चूत वीर्य की मलाई से भर दी
मैंने कुसुम की कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसे आगे पीछे कर e हिलाने लगा. कुसुम भी अपनी गांड हिला हिला के मेरा साथ दे रही थी. मेरे तोते उड़े हुए थे और मैं जोर जोर से चूत की गहराई तक अपना लंड डाल रहा था. अरविंद सर अपना लंड कुसुम के हाथ में पकड़ा के मजे ले रहे थे. कुसुम की कमर से अब मैंने अपने हाथ उसके चुंचो के ऊपर रख दिए. अरविंद सर मेरी तरफ देख के कुसुम की और देखने लगे. मैं समझ गया की उनका लौड़ा भी चूत मारने के लिए बैठा हैं. मैंने अपनी चुदाई की झडप बढ़ा दी और कुसुम को और भी जोर जोर से ठोकने लगा. कुसुम की आह आह निकल गई. २ मिनिट के भीतर ही मेरे लंड ने अपने मुहं से वीर्य की मलाई निकाल दी. कुसम ने भी अपनी चूत को टाईट की और वीर्य को अंदर ले लिया.
मैंने लौड़ा बहार निकाला और मैं सोफे के ऊपर जा बैठा. अब बारी अरविंद सर की; वो उठ खड़े हुए और उन्होंने कुसुम की चूत के छेद पे अपना लंड सेट किया. मैंने अपनी जेब से एक सिगरेट निकाल के जलाई और फूंकने लगा. अरविंद सर ने अपना लंड कुसुम की चूत के ऊपर रख दिया और एक ही झटके में वो काला लंड कुसुम की चूत के अंदर गायब हो गया. कुसुम के मुहं से एक आह निकल गई और उसने पलंग की चद्दर को पकड के मरोड़ दिया. अरविंद सर ने कुसुम की कमर को पकड़ा और झटके लगाने लगे. कुसुम की आह आह निकल रही थी और अरविंद सर उसे और भी जोर जोर से चोद रहे थे. कुसुम ने भी अपनी गांड एक मिनिट के बाद हिलानी चालू कर दी. उसे भी अब इस बड़े लंड से चुदने की मजा आने लगी थी.
कुसुम की गांड अब और भी जोर जोर से हिल रही थी. अरविंद सर उसकी गांड के ऊपर चमाट लगा लगा के उसे ठोक रहे थे. कुसुम अपनी गांड को जोर जोर से हिला के अपनी चूत कके अंदर लौड़े को गायब कर रही थी. अरविंद सर ने अपना लोहे जैसा मजबूत लंड बहार निकाला और कुसुम को कुतिया बना दिया. कुसुम ने गांड को फैलाया और अरविंद सर ने पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया. कुसुम की गांड के निचे उसके चूत के छेद में लंड गायब हो गया और फिर धीरे धीरे झटको के साथ वो दिखने लगा और फिर अंदर जा रहा था.कुसुम अपनी गांड हिला हिला के चुदाई करवाती रही और अरविंद सर अपने लंड को चूत में पेलमपेल करते रहे.
5 मिनिट की चुदाई और चली और अरविंद सर भी अपना मावा चूत में निकाल बैठे. कुसुम ने लंड को अंदर निचोड़ा और कुछ वीर्य की बुँदे उसके गांड के छेद पे भी आ गया. अरविंद सर अपना लंड ले के मेरे पास आ गए और सिगरेट सुलगा ली. कुसुम ने अपनी स्कर्ट पहनी और वो उठ बैठी. मैंने उसे अपने पास इशारे से बुलाया और अपनी गोद में बिठा लिया. कुसुम के बालों में हाथ घुमाते हुए मैंने अरविंद सर से पूछा, “क्यों सर कैसी लगी मेरी सेक्सी साली…?”
अरविंद सर ने मुहं के धुंए को हवा में छोड़ते हुए कहा, “अरे मस्त हैं आपकी यह सेक्सी साली तो. मेरा तो मन और एक राउंड के लिए हैं आज रात.”
कुसुम की और देख के मैंने पूछा, “क्यों भाई क्या इरादा हैं तुम्हारा…!”
कुसुम ने हामी भरी. तभी अरविंद सर बोले, “मैं और भी एक लड़की को ले के आऊंगा. साथ में मजे करेंगे.”
कुसुम ने मेरी और देख के कहा, “अरे किसी और को ले के आने की क्या जरुरत हैं. मेरी दोस्त शिल्पा हैं ना. उसे भी सेक्स के मजे लेने का बड़ा शौक हैं.”
मैंने कुसुम की और देख के कहा, “तो फिर उसे ही बुला लो शाम को ९ बजे. मैंने और अरविंद सर तब तक डिनर कर लेंगे…!”
कुसुम कपडे ठीक कर के निकल गई. मैंने अरविंद सर को देखा और पाया की वो भी शिल्पा और कुसुम की चूत मारने के लिए बेताब हैं. आप भी मैं अगली कहानी में बताऊंगा की कैसे मैंने शिल्पा और कुसुम के साथ ग्रुपसेक्स का मजा लिया था…..! कहानी अच्छी लगी ना, तो फिर फेसबुक पे शेर करना मत भूलना…..!
चुदक्कड साली का फोन आया
मैंने फट से अख़बार फेंका और फोन अपने हाथ में लिया.
“हल्लो, बोलो.” मैंने फोन ले के गेलरी की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा.
“जीजू कैसे हो आप. आप तो आजकल अपनी साली को याद ही नहीं करते.” कुसुम हंस के बोली.
“अरे हम तो याद करते हैं बस थोडा बीजी थे.” मैंने फोन की वोल्यूम के बटन को निचे दबाते हुए कहा.
“अच्छी बात हैं. मैंने आप के शहर में ही हूँ दो दिन के कोलेज के इंडस्ट्रियल टूर पे. हो सके तो शाम को मिलने का जुगाड़ कीजिए कुछ.” कुसुम की बातो ने चुदवाने की महेच्छा नजर आ रही थी.
मैंने कहा, “कहा ठहरना हैं आप लोगो का.”
“हम लोग होटल न्यू एरा में हैं. आज सुबह आये हैं और परसों तक यही हैं. हो सके तो एक शाम हमारे साथ ननिकाल लीजिए.” कुसुम की चुदासी आवाज मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.
मैंने कुसुम को हाँ कहा और फोन रख के मैंने अरविंद को फोन लगाया. अरविन्द दरअसल मेरा मेनेजर हैं जिसे जवान लड़कियां चोदने का बड़ा शौक हैं. उसके हाथ में मेरे प्रोमोशन की रेखा हैं और मैं जानता हूँ की कुसुम की चूत मुझे प्रमोशन दिलाने में बड़ी मदद कर सकती हैं.
“हल्लो कौन अरविंद साहब.?” मैंने पूछा.
“हाँ बोलो क्या हुआ.” सामने अरविंद बाबू ही थे.
“कुछ नहीं एक जुगाड़ हुआ था आप के लिए. कच्ची कली हैं. 20 साल की उम्र हैं रिशेत में मेरी साली हैं लेकिन उसकी चूत बड़ी ही प्यासी हैं. अगर आप कहो तो हम तीनो मजे ले सकते हैं होटल न्यू एरा में.” मैंने अरविंद के सामने चारा फेंका.
“बढ़िया हैं. मैं होटल न्यू एरा में ही एक रूम बुक कर लेता हूँ ताकि बहार ना जाना पड़े. लेकिन वो मुझ से चुदवा लेंगी ना?” अरविंद की बेताबी बढ़ रही थी.
“अरे वो ले लेंगी आप का भी टेंशन ना लो. बस आप मजे लो सर जी.” मैंने अरविंद को भरोसा दिलाया.
अरविंद से फोन पे बात करने के बाद मैंने वापस कुसुम को फोन किया.
“हेल्लो, मैं शाम को होटल से ही तुम्हे फोन करता हूँ. मेरे साथ मेरे एक दोस्त भी आयेंगे; कोई दिक्कत तो नहीं हैं ना?” मैंने पूछा.
कुसुम हंस के बोली, “अरे एनिथिंग फॉर यू माय स्वीट जीजू.”
मैं समझ गया की कुसुम की चूत और गांड में अजब खुजली हैं जीजा से चुदवाने की. मैं भी मनोमन अपनी साली की चूत का मजा लेने के लिए उतावला हुआ पड़ा था.ऑफिस में मैंने अरविंद सर से बात की और उन्होंने मुझे शाम को 4 बजे ही ऑफिस से निकल जाने को कहा. साथ में निकलने से किसी को शक हो सकता था इसलिए वो साढ़े 4 बजे निकलने वाले थे. मैंने होटल न्यू एरा जाके अरविंद सर का नाम लिया और होटल के रिसेप्शनिस्ट ने मुझे एक कमरे की चाबी दे दी. अरविंद सर शायद यहाँ आते जाते रहते थे तभी तो उनके नाम मात्र से मुझे एक चाबी di गई थी. शायद यही होटल थी जहाँ अरविंद सर जवान चूत का लुत्फ़ उठाते होंगे.
कमरे में जाने के बाद मैंने फिर से कुसुम को फोन किया. मैंने उसे तीसरी मंजिल पे कमरा नंबर 351 में आने के लिए कहा. कुसुम ने मुझे कहा की वो 10 मिनिट के अंदर आ रही हैं; क्यूंकि उसके 1-2 दोस्त उसके साथ थे. मैंने कुसुम की चूत की राह में बैठ गया और वेटर से एक बियर और कुछ फ्राय सिंग मंगा ली. बियर की ठंडी घूंट भर रहा था तभी दरवाजे के ऊपर दस्तक हुई. मैं जान गया की कुसुम आ गई हैं. मैंने ग्लास मेज पे रखा और दरवाजे को खोला. कुसुम फट से अंदर आई और मुझेचिपक गई. इतने महीनो के बाद उसके चुंचो में कुछ भारीपन जरुर आया था. मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठो को अपने होंठो से लगा दिया. कुसुम ने भी मेरी लिप किस का सटीक तरीके से जवाब दिया और वो मुझे उतनी ही तीव्रता से किस करने लगी. मेरा लंड खड़ा हो गया कुसुम को छुते ही. उसने उसके हाथ मेरे बालों में फंसा लिए और वो मुझे एकदम डीप किस करने लगी. उसकी जबान मेरी जबान को लपेट रही थी और वो उसे खिंच खिंच के चूसती जा रही थी. मैंने भी उसके चुम्मे का जवाब अपने चुम्मे से दिया और मेरे हाथ भी उसके स्तनों से खिलवाड़ करने लगे. मेरी साँसों की गति बढ़ने लगी और लंड जैसे की दस्तक देने लगा पेंट के दरवाजे को.
लंड चूस रही थी तभी अरविंद सर आये
कुसुम की आहें गरम होने लगी थी और उसकी चूत ने भी जरुर पसीना छोड़ा होंगा. उसके हाथ मेरे लंड की लम्बाई नापने लगे और मैंने उसे और भी कस के चुम्मा दे दिया. उसकी हालत अब बिगड़ने लगी थी. उसने फट से अपनी ऊँगली ज़िप पे लगाईं और उसे खोल दी. मैंने अपने एक हाथ से मेरा लंड बहार निकाला. लंड के बहार आते ही वो निचे अपने घुटनों पे जा बैठी और लौड़े को चुम्मे देने लगी. उसका स्कर्ट बैठने की वजह से थोडा उठ गया और उसने दुसरा हाथ अपने स्कर्ट के अंदर अपनी चूत पर रख दिया. कुसुम ने अपना मुहं खोल के मेरे लंड को सीधा मुहं में ले लिया और वो उसे चूसने और चाटने लगी. मैंने अपने बाल्स को हाथ में लिया और उन्हें ऊपर उठाया. कुसुम समझ गई की उसे अब क्या करना हैं. उसने कुत्ते की तरह अपनी जीभ बहार की ओर निकाली और वो मेरे बाल्स यानी को गोलियों को चाटने लगी. यह एक बड़ा ही रोमांचित कर देने वाला सेक्स आसन होता हैं; और जिसने अपने बोल्स चट्वायें हैं वो इसका सुखद अनुभव जानते हैं. कुसुम बड़े ही ससेक्सी तरीके से अब बाल्स और लंड चाट रही थी.
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी. वो अरविंद सर ही थे. मैंने उन्हें कमरे में बुला लिया. उन्होंने दस्तक दी और मैंने खड़े लंड के साथ ही दरवाजा खोला. अंदर आते ही अरविंद सर ने कुसुम की और देखा. कुसुम का हाथ अब भी उसकी चूत के ऊपर रखा हुआ था जिसे वो मसल रही थी. अरविंद सर ने आके सोफे के ऊपर अपनी गांड टिकाई और बोले, “क्या नाम हैं तुम्हारा?”
कुसुम ने अपना नाम बताया और वो अपनी चूत को मलती रही. अरविंद ने फट से अपनी पेंट खोली और अपने लौड़े को बहार निकाला. उनका लंड तो मेरे से भी लम्बा था जैसे नाग का बच्चा. कुसुम ने अरविंद के लंड को अपने हाथ में लिया और मेरे लंड को अपने मुहं में. मेरी साली को चुदाई री-स्टार्ट करने में कोई दिक्कत ही नहीं हुई जैसे. अरविंद सर ने अपनी शर्ट के बटन खोले और वो कुसुम के चुंचो को मसलने लगे. कुसुम ने अब की मेरा लंड अपने मुहं में गले तक भर लिया और वो उसे मस्त चूसने लगी. अरविंद सर बड़ी बेताबी से अपने लंड के ऊपर थूंक लगने की राह देख रहे थे शायद. मैंने कुसुम के माथे को पकड के उसके मुहं में लंड के झटके लगाये और मेरी यह चुदासी साली लंड के झटको को बड़े ही आराम से सहने लगी. अरविंद का लंड वैसे ही प्यार से सहलाया जा रहा था जैसे मेरा लौड़ा चूसा जा रहा था. कुसुम ने अब धीरे से मेरे लंड को अपने मुहं से बहार निकाला और उसके ऊपर अपने हाथ जमा दिए. अरविंद का लौड़ा अब उसने अपने छोटे से मुहं में भर लिया और उसे चूसने लगी.
अरविंद की आँखे बंध हो गई और वो एक एक सेकण्ड की चूसाइ का लुत्फ़ उठाने लगे.मैंने कुसुम के हाथ से अपने लौड़े को छुड़ाया और मैं निचे बैठ गया. अरविंद ने यह देखा और उसने कुसुम को कंधे से पकड के पलंग पे बिठाया. वो खुद पलंग के ऊपर खड़ा हो गया और कुसुम को वापस लौड़ा मुहं में देने लगा. मैंने कुसुम की टांगो को फैलाया और उसकी पेंटी को धीरे से निचे सरकाया. कुसुम ने अपनी चूत नजदीक में ही शेव की थी तभी तो उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था. मैंने पेंटी को पूरा निचे खिंच लिया और उसकी टाँगे उठा के अपने कंधो के ऊपर रख दी. उसकी चूत बिलकुल मेरे सामने थी और मैं अपनेआप को जरा भी रोक नहीं पाया. मैंने अपनी जबान चूत के ऊपर फेरा और कुसुम की आह मैंने सुनी. कुसुम ने मेरे माथे को पकड के अपनी चूत की तरफ खिंच लिया. मैंने अपनी जबान को चूत के छेद में डाला और कुसुम को मजे देने लगा. कुसुम की आह पे आह निकलने लगी.
अरविंद अभी भी अपना लंड कुसुम के मुहं में पेलने लगे. मैंने कुसुम की चूत को फाड़ा और चूत के दाने के ऊपर अपनी जबान रगड़ने लगा. जिस ने चूत के दाने के ऊपर जबान घिसवाई हो उसे ही पता हैं की इसका मजा क्या हैं. क्यूंकि कुसुम तो जैसे की पगला सी गई थी और वो अरविंद के लौड़े को और भी मजे से चूसने लगी. बिच बिच में वो मेरे सर को अपनी और खिंच लेती थी.अरविंद सर भी बड़े मजे से कुसुम को मजे से लौड़ा चूसा रही थी. अब मेरा लंड बिलकुल तैयार था कुसुम की गरम चूत को चोदने के लिए. मैंने कुसुम के भोसड़े से अपना मुहं हटाया और लंड पकड के चूत के ऊपर रख दिया. कुसुम भी चुदवाने के लिए बेताब थी इसलिए उसने अपनी चूत में मेरे लंड का रास्ता अपने हाथ से बनाया. मैंने एक झटका दिया और कुसुम की चूत के अंदर अपना लंड ठेल दिया. कुसुम ने एक आह निकाली और पुरे लंड को अपने भोसड़े में भर लिया. अरविंद का लंड अभी भी कुसुम के मुहं में था और वो मुझ से चुद रही थी. मैंने कुसुम के चुंचो को पकड़ा और अपनी गांड हिला हिला के उसकी चुदाई करने लगा. कुसुम ने अरविंद का लंड अपने मुहं से निकाला और वो उसे अपने हाथ से हिलाने लगी.
चूत वीर्य की मलाई से भर दी
मैंने कुसुम की कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसे आगे पीछे कर e हिलाने लगा. कुसुम भी अपनी गांड हिला हिला के मेरा साथ दे रही थी. मेरे तोते उड़े हुए थे और मैं जोर जोर से चूत की गहराई तक अपना लंड डाल रहा था. अरविंद सर अपना लंड कुसुम के हाथ में पकड़ा के मजे ले रहे थे. कुसुम की कमर से अब मैंने अपने हाथ उसके चुंचो के ऊपर रख दिए. अरविंद सर मेरी तरफ देख के कुसुम की और देखने लगे. मैं समझ गया की उनका लौड़ा भी चूत मारने के लिए बैठा हैं. मैंने अपनी चुदाई की झडप बढ़ा दी और कुसुम को और भी जोर जोर से ठोकने लगा. कुसुम की आह आह निकल गई. २ मिनिट के भीतर ही मेरे लंड ने अपने मुहं से वीर्य की मलाई निकाल दी. कुसम ने भी अपनी चूत को टाईट की और वीर्य को अंदर ले लिया.
मैंने लौड़ा बहार निकाला और मैं सोफे के ऊपर जा बैठा. अब बारी अरविंद सर की; वो उठ खड़े हुए और उन्होंने कुसुम की चूत के छेद पे अपना लंड सेट किया. मैंने अपनी जेब से एक सिगरेट निकाल के जलाई और फूंकने लगा. अरविंद सर ने अपना लंड कुसुम की चूत के ऊपर रख दिया और एक ही झटके में वो काला लंड कुसुम की चूत के अंदर गायब हो गया. कुसुम के मुहं से एक आह निकल गई और उसने पलंग की चद्दर को पकड के मरोड़ दिया. अरविंद सर ने कुसुम की कमर को पकड़ा और झटके लगाने लगे. कुसुम की आह आह निकल रही थी और अरविंद सर उसे और भी जोर जोर से चोद रहे थे. कुसुम ने भी अपनी गांड एक मिनिट के बाद हिलानी चालू कर दी. उसे भी अब इस बड़े लंड से चुदने की मजा आने लगी थी.
कुसुम की गांड अब और भी जोर जोर से हिल रही थी. अरविंद सर उसकी गांड के ऊपर चमाट लगा लगा के उसे ठोक रहे थे. कुसुम अपनी गांड को जोर जोर से हिला के अपनी चूत कके अंदर लौड़े को गायब कर रही थी. अरविंद सर ने अपना लोहे जैसा मजबूत लंड बहार निकाला और कुसुम को कुतिया बना दिया. कुसुम ने गांड को फैलाया और अरविंद सर ने पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया. कुसुम की गांड के निचे उसके चूत के छेद में लंड गायब हो गया और फिर धीरे धीरे झटको के साथ वो दिखने लगा और फिर अंदर जा रहा था.कुसुम अपनी गांड हिला हिला के चुदाई करवाती रही और अरविंद सर अपने लंड को चूत में पेलमपेल करते रहे.
5 मिनिट की चुदाई और चली और अरविंद सर भी अपना मावा चूत में निकाल बैठे. कुसुम ने लंड को अंदर निचोड़ा और कुछ वीर्य की बुँदे उसके गांड के छेद पे भी आ गया. अरविंद सर अपना लंड ले के मेरे पास आ गए और सिगरेट सुलगा ली. कुसुम ने अपनी स्कर्ट पहनी और वो उठ बैठी. मैंने उसे अपने पास इशारे से बुलाया और अपनी गोद में बिठा लिया. कुसुम के बालों में हाथ घुमाते हुए मैंने अरविंद सर से पूछा, “क्यों सर कैसी लगी मेरी सेक्सी साली…?”
अरविंद सर ने मुहं के धुंए को हवा में छोड़ते हुए कहा, “अरे मस्त हैं आपकी यह सेक्सी साली तो. मेरा तो मन और एक राउंड के लिए हैं आज रात.”
कुसुम की और देख के मैंने पूछा, “क्यों भाई क्या इरादा हैं तुम्हारा…!”
कुसुम ने हामी भरी. तभी अरविंद सर बोले, “मैं और भी एक लड़की को ले के आऊंगा. साथ में मजे करेंगे.”
कुसुम ने मेरी और देख के कहा, “अरे किसी और को ले के आने की क्या जरुरत हैं. मेरी दोस्त शिल्पा हैं ना. उसे भी सेक्स के मजे लेने का बड़ा शौक हैं.”
मैंने कुसुम की और देख के कहा, “तो फिर उसे ही बुला लो शाम को ९ बजे. मैंने और अरविंद सर तब तक डिनर कर लेंगे…!”
कुसुम कपडे ठीक कर के निकल गई. मैंने अरविंद सर को देखा और पाया की वो भी शिल्पा और कुसुम की चूत मारने के लिए बेताब हैं. आप भी मैं अगली कहानी में बताऊंगा की कैसे मैंने शिल्पा और कुसुम के साथ ग्रुपसेक्स का मजा लिया था…..! कहानी अच्छी लगी ना, तो फिर फेसबुक पे शेर करना मत भूलना…..!
No comments:
Post a Comment