Wednesday, December 11, 2013

मैं 18 साल की एक खूबसूरत लड़की हूँ. घर मैं पापा, बड़े भैया और भाभी (पिंकी) हैं मैं कॉलेज मैं पढ़ती हूँ. एक बड़ी बहन आरती हैं जिस की शादी हो चुकी है मेरे जीजू (राज) बहुत  स्मार्ट हैं और  साथ बहुत खुश हैं 

मेरा कद पांच फुट तीन इंच है और फिगर  32 30 34, रंग गोरा है. मेरी पहली चुदाई जीजू के दोस्त रवि के साथ हुयी और उस चुदाई मैं मेरी भाभी पिंकी का हाथ था 

उस चुदाई के बाद  अपनी पिंकी भाभी से भी आगे निकल गयी और अपनी बहन आरती के साथ जीजू कइ हर दोस्त से चुदवाया जीजू  हम  बहनों को कुत्ती की तरह छोड़ते और चुदाई के साथ गालियां भी देते. हम दोनों को  ऐसी ही चुदाई की लत आग गयी थी और गालियां खा कर चुदना  हमें अच्छा लगता  

यह स्टोरी मैं ऐसे ही एक चुदाई के समारोह से प्रेरित हो कर लिख रही हूँ. 

एक बार मुझे अपनी दीदी के घर जाने का मौका मिला शाम  जीजू बोले आज तुझे क्लब ले जाने का मन कर रहा है जहां आरती ने तो कई  चुदाई की है दीदी ने मुझे बताया उस क्लुब्द मैं ओपन सेक्स होता है. एक एक लड़की को ७-८ आदमी एक  हैं मुझे यह सुन कर बड़ा मजा आया और मैं ने सोचा आरती तो ऐसे कुतिया की तरह चुद कर  है  भी इस सब का मजा लूं इस लिए मैं ने  के साथ जाने के  भर दी 

क्लब  पहुँचने से पहले जीजू ने मुझे कोने  मैं ले जा एक पिन देते हुए कर कहा की मैं अपनी ब्रा मैं यह पिन लगा लूँ  मुझे उस  वक़्त जीजू की बात समझ नहीं आयी मगर जैसे उन्होंने  बोला था मैं ने वैसे ही वह पिन अपनी ब्रा मैं  लगा ली. 

हम लोग ८ बजे क्लब मैं पहुँच गए. सब लेडीज एक कमरे मैं और सभी मर्द एक कमरे मैं इकठ्ठे हुए फिर हम लड़किओं ने ननगा होना स्टार्ट किया हम सब की ब्रा एक डब्बे मैं दाल दी गयी. सब मर्द लोग उस कमरे  डिब्बे मैं हाथ दाल कर एक एक ब्रा निकाल ली जिस लड़की की ब्रा जिस मर्द के पास गयी उस की पहली चुदाई उसी मर्द से होनी थी. मेरी ब्रा एक फौजी के हाथ लगी जो जीजू का बहुत अच्छा दोस्त था अब मुझे समझ आया जीजू ने मेरी ब्रा मैं वह पिन क्यों लगवाई थी और आरती की ब्रा एक काले हब्शी को मिली मैं ने देखा दीदी इस  खुश थी शायद वह हब्शी मस्त  चुदाई करता होगा क्या आरती ने भी हब्शी के साथ मिल कर ऐसा ही कुछ किया होगा ? मैं सोचने लगी 

कार्क्रम की शुरुआत एक नंगे नाच से हुयी सभी लडकियां नंगेहो  अश्लील नाच कर रही थी और नाचते नाचते अपनी चूत मैं उंगली कर रही थी मर्द लोग आते और हमारी चूत से उंगली निकाल कर चूसते और वापिस चले जाते कोई कोई मर्द अपना रुमाल हमें पकड़ा देता और हम  रुमाल से अपना चूत रास साफ़ करके रुमाल उछाल देते तब सब मर्द उस रुमाल पर टूट कर गिरते और उस को सूंघते या चाट लेते इस  शुरुआती बड़ी सेक्सी तरीके से हुयी 


तभी एक घोषणा हुयी उस मैं बताया की  बाकी बच गए हैं उन मैं से कोई एक मर्द हम अपनी पसंद से चुन सकती हैं वह मर्द हमें उस मर्द के साथ मिल कर चोदेगा मैं ने जीजू को चुन लिया इस से जीजू बहुत खुश हुए फिर जीजू और उन के दोस्त ने मुझे गोद मैं उठा लिया और कमरे के बीच ले जा कर  कुतिया की पोजीशन मैं ले आये जीजू मेरे पीछे जा कर मेरी  चूत और गांड चाटने लगे जीजू से यह चटवाना मेरे लिए कोई नयी बात नहीं थी पर इस मैं मजा बहुत आता था फिर रमेश (जीजू दोस्त) ने अपना लंड निकाल कर मेरेमुंह के सामने कर दिया बाप रे कितना बड़ा और लंड था 

गुड़िया रानी रमेश के लंड के लिए इस कमरे मैं हर औरत दीवानी रहती है मुझे थैंक्स बोलो आज इस के पहली धार तेरे को मिलेगी " जीजू बोले 

"सच मैं बड़ा मजा आएगा इन दोनों के लंड से चुदने मैं" मैं सोच रही थी 

मैं धीरे  रमेश का लंड अपने गले तक उतार लिया यह देख कर रमेश को जोश आ गया और वह मेरे बाल पकड़  मुंह को छोड़ने लगा उफ़ बड़ा मजा आ रहा था इधर रमेश अपने  फौलादी लंड को मेरे मुंह मैं घचाघच पेल  रहा था  पीछे जीजू अपनी जीभ कड़ी कर के  और गांड मैं घुसाने की कोशिश कर रहे थे थोड़ी ही देर मैं रमेश ने अपना लंड वापिस खींचा और उस की जड़ को पकड़ कर वीर्य की पिचकारी मेरे मुंह पर बरसाने लगा मेरा पूरा मुंह गरमा गरम माल से सन गया यह देख कर जीजू आगे गए और रमेश पीछे चले गया, पूरा माल निकाल देने के बाद भी रमेश का लंड पूरी तरह तना हुआ था रमेश ने मेरी गांड के छेद पर ढेर सारा थूक गिराया और उस मैं अपनी दो उंगली मेरी गांड मैं घुसा दी मैं चिहुंक गयी फिर जीजू नीचे लेट गए और मुझे अपने ऊपर ले लिया और अपना लंड मेरी गीली चूत मैं घुसा दिया रमेश मेरी गांड मैं उंगलियां घुमाए जा रहा रहा था इस दोहरी चुदाई मैं मुझे ऐसा मजा आ रहा था जो आज तक किसी चुदाई मैं नहीं आया मैं ने बगल मैं देखा एक मोटी आंटी के मोम्मे के बीच एक लंड घिसा जा रहा है और एक उनकी चूत को पेल रहा है और आंटी के मुंह से मस्ती भरी चीखें निकल रही थी थोड़ी दूर मैं दीदी को काले हब्शी की कमर पर जांघें लिपटा कर लटकी हुयी थी और उस का काला लंड दीदी की गुलाबी चूत मैं धंसा हुआ था और दीदी की चूत के रस से चमक रहा था 

थोड़ी ही देर मैं रमेश ने मेरी गांड मैं अपना लंड घुसा दिया और अब मेरी चूत और गांड दोनों मैं एक एक लंड था और दोनों के लंड अंदर मैं एक दुसरे से टकरा रहे थे जीजू की जीभ मेरे मुंह मैं घुस कर मेरी जीभ को टटोल रही थी और गांड पेलने के साथ साथ रमेश मेरी चूचियों को मसल मसल कर मुझे मजे दे रहा था मैं अब तक दो बार झड़ चुकी थी मगर यह दोनों मर्द रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे 

फिर जीजू ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुंह मैं घुसा कर माल छोड़ने लगे. मैं उन का गरमा गरम माल गटा गट पी गयी इस के एक दम बाद रमेश ने मेरी गांड से लंड निकाल कर मुझे थोड़ा सा उठा कर उस को मेरी चूत मैं पेल दिया और मेरी कमर से उठा कर मुझे पेलने लगा ऐसा लगता था इन दोनों को एक साथ एक लड़की चोदने का खूब अनुभव था क्यूंकि एक बार भी इन का लंड मेरी चूत या गांड से बाहर नहीं आया रमेश दूसरी बार माल छोड़ने के लिए मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे ऊपर माल की बारिश करने लगे मेरे पूरा बदन वीर्य स्नान कर रहा था  

फिर सब लड़किओं को कमरे के बीच आने को बोला गया और सभी मर्दों ने उन को अपने मूत्र से स्नान करवाया मूत्र स्नान के बाद हम खड़े हो गए और मर्दों ने हमारी चूत पर मुंह रख कर अमृत पान किया मेरे जीजू मेरी चूत से मुंह लगा कर मेरा मूत पिए जा रहे थे यह देख देख कर बड़ी मस्ती आ रही थी और मैं ने उन को  तक अपना मूत  पिलाया 
उस रात मैं कितने लुनद से कितनी बार चुदी कोई गिनती नहीं थी सुबह तक मेरे शरीर का हर रोयाँ वीर्य से भर गया था


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